CBI - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 28 Sep 2024 08:15:21 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg CBI - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की मौत, सीबीआई जांच में पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया पर सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/rg-kar-hospital-in-junior/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/rg-kar-hospital-in-junior/#respond Sat, 28 Sep 2024 08:15:21 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5147 आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर की दर्दनाक मौत के बाद हुई पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में जांच करते हुए पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को अस्पताल के …

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर की दर्दनाक मौत के बाद हुई पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में जांच करते हुए पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को अस्पताल के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष ने पूरी तरह नियंत्रित किया था। उन्होंने अपने करीबी और विश्वसनीय डॉक्टरों के जरिए यह सुनिश्चित किया कि पोस्टमॉर्टम की पूरी प्रक्रिया उनके हिसाब से हो।

CBI ने मुर्दाघर सहायक से पूछताछ के दौरान पाया कि पोस्टमॉर्टम के समय सहायक को शव के पास आने तक नहीं दिया गया था। उसे कमरे के एक कोने में बिठाकर रखा गया, जबकि सामान्य स्थिति में उसका काम होता है शव के क्षतिग्रस्त अंगों को चिन्हित करना और पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को पूरा करने में डॉक्टरों की मदद करना। इसके अलावा, सहायक का काम शव को सिलने का भी होता है, लेकिन इस बार उसे यह करने से रोका गया।

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CBI की इस जांच से यह संकेत मिलता है कि पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया गया था, जो कि इस घटना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। पोस्टमॉर्टम के समय की यह परिस्थितियाँ यह दर्शाती हैं कि मामले को दबाने या छिपाने की कोशिश की जा रही थी। इस घटना के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की छात्र शाखा से जुड़े प्रांतिक चक्रवर्ती और राजन्या हलदर ने इस घटना पर आधारित “आगमनी तिलोत्तमार गल्पो” नामक एक लघु फिल्म तैयार की है, जिसे लेकर पार्टी के भीतर विवाद उत्पन्न हो गया है। फिल्म का पोस्टर सामने आने के बाद TMC ने इन दोनों को पार्टी से निलंबित कर दिया है।

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हालांकि, दोनों का कहना है कि फिल्म का पोस्टर देखकर इसके कंटेंट पर कोई निष्कर्ष निकालना गलत होगा। उनका कहना है कि वे फिल्म के जरिए किसी भी तरह का अन्याय उजागर करना चाहते हैं, और वे फिल्म को प्रदर्शित करने के अपने निर्णय पर अडिग हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि फिल्म का तृणमूल कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है और पार्टी का इसमें कोई हाथ नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी आरजी कर अस्पताल में हुई घटना के मामले में न्याय चाहती है और वह इस मुद्दे को लेकर गंभीर है।

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तिरुपति लड्डू विवाद,गाय की चर्बी के दावे से हंगामा, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने की सीबीआई जांच की मांग. https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/tirupati-laddu-controversy-cow-k/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/tirupati-laddu-controversy-cow-k/#respond Sat, 21 Sep 2024 06:53:12 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5028 हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में गाय की चर्बी के इस्तेमाल को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है, जिससे देशभर में हंगामा मच गया है। इस मामले को लेकर हिंदू समुदाय में भारी नाराजगी है। तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू प्रसाद को श्रद्धालुओं के बीच विशेष आस्था का प्रतीक माना …

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हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में गाय की चर्बी के इस्तेमाल को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है, जिससे देशभर में हंगामा मच गया है। इस मामले को लेकर हिंदू समुदाय में भारी नाराजगी है। तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू प्रसाद को श्रद्धालुओं के बीच विशेष आस्था का प्रतीक माना जाता है, और इस तरह के आरोपों ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।

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इस विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता शोभा करंदलाजे ने आंध्र प्रदेश सरकार से इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार या तो इस मामले में एक विशेष जांच टीम का गठन करे या फिर इस पूरे मामले को सीबीआई को सौंप दे। करंदलाजे का कहना है कि पिछले चार वर्षों में मंदिर को घी सप्लाई करने वाले आपूर्तिकर्ताओं की भी पूरी जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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मंत्री ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म के आस्था और विश्वास पर इस तरह के हमले अस्वीकार्य हैं। उन्होंने टेंडर प्रक्रिया और घी के स्रोत की पारदर्शी जांच की मांग करते हुए कहा कि अब इस मामले में गोपनीयता नहीं बरती जाएगी। शोभा करंदलाजे का कहना है कि मंदिर से जुड़ी धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं का संरक्षण जरूरी है और इस मामले की निष्पक्षता के साथ जांच होनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।

यह मामला आंध्र प्रदेश में राजनीतिक रूप से भी चर्चा का विषय बना हुआ है, और अब सभी की नजरें सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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दिल्ली शराब नीति केस: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, जानिए किन शर्तों पर रिहा हुए https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/#respond Fri, 13 Sep 2024 06:26:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4837 दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने …

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दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी रिहाई के साथ कुछ सख्त शर्तें भी लगाई हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी है। इसके अलावा, कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि इस मामले को लेकर केजरीवाल कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। अदालत ने निर्देश दिया कि केजरीवाल मुकदमे में पूरी तरह सहयोग करेंगे। इन शर्तों के तहत, केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, जमानत पर रहते हुए केजरीवाल को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:
1.  जमानत के लिए केजरीवाल को 10 लाख के दो मुचलके जमा करने होंगे।
2.  केजरीवाल इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।
3. जमानत की अवधि में केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जा पाएंगे।
4.  अदालत ने यह भी कहा है कि केजरीवाल को मामले की सुनवाई में पूरा सहयोग देना होगा।

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अरविंद केजरीवाल के वकीलों ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी, क्योंकि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी, उसके ठीक बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने सुनवाई की थी। दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग थी, लेकिन जमानत के मामले में वे एकमत थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का मानना था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत सही थी और इसमें कोई अनियमितता नहीं थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान सीबीआई ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का पालन किया। दूसरी ओर, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी केवल मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केजरीवाल को मिली जमानत को विफल करने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि 22 महीने तक सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और फिर अचानक उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता को लेकर सवाल खड़े किए।

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जमानत मिलने के बावजूद, केजरीवाल की कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई का आदेश दिया है, और यह भी कहा गया है कि निकट भविष्य में मुकदमे का अंत होता नहीं दिख रहा। हालांकि, अदालत ने इस बात पर ध्यान दिया कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है, इसलिए जमानत दी जा सकती है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईडी के मामले में जमानत पर लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। यानी केजरीवाल को प्रशासनिक कामकाज से दूर रहना होगा।

अरविंद केजरीवाल की जमानत की खबर के बाद आम आदमी पार्टी के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसे न्याय की जीत बताया है। हालांकि, केजरीवाल के ऊपर लगे आरोप गंभीर हैं और अब आगे की कानूनी प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान केजरीवाल ने खुद पर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था और दावा किया था कि यह केंद्र सरकार की साजिश है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देखना यह होगा कि आगे की सुनवाई में क्या दिशा मिलती है।

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कोलकाता मेडिकल कॉलेज बलात्कार और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, सीबीआई को ताजा रिपोर्ट जमा करने का निर्देश. https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/kolkata-medical-college-bala/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/kolkata-medical-college-bala/#respond Mon, 09 Sep 2024 08:11:32 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4756 कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सुनवाई शुरू कर दी है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार …

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सुनवाई शुरू कर दी है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट को लेकर भी कई प्रश्न उठाए। इसके बाद, उन्होंने सीबीआई को आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक ताजा स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से यह जानकारी मांगी कि क्या रात 8:30 से 10:45 बजे तक की गई तलाशी और जब्ती प्रक्रिया की वीडियो फुटेज उन्हें सौंप दी गई है। इस पर एसजी मेहता ने बताया कि 27 मिनट की अवधि की 4 क्लिप्स उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने नमूनों को एम्स और अन्य केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में भेजने का निर्णय लिया है।

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सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे को उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी मिलकर यह सुनिश्चित करें कि सुरक्षा कर्मियों को उचित आवास उपलब्ध कराया जाए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सीआईएसएफ कर्मियों की आवश्यकताओं को आज ही संकलित किया जाए और सुरक्षा उपकरण रात 9 बजे तक उपलब्ध कराए जाएं।

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वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि जब डॉक्टरों की हड़ताल चल रही थी, तब 23 लोगों की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और प्रश्नों के मद्देनजर, इस मामले की जांच और सुरक्षा प्रबंधों को लेकर आने वाले समय में महत्वपूर्ण निर्णय संभव हैं।

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कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस, कोर्ट में CBI की लापरवाही पर फटकार, DNA साक्ष्यों से आरोपी की पुष्टि. https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/kolkata-trainee-doctor-ray/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/kolkata-trainee-doctor-ray/#respond Sat, 07 Sep 2024 09:07:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4729 कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना को लेकर जांच अब भी जारी है। सियालदह कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की लापरवाही पर सवाल उठाए गए, जब जांच अधिकारी और वकील कोर्ट में समय पर उपस्थित नहीं हुए। इस मामले …

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना को लेकर जांच अब भी जारी है। सियालदह कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की लापरवाही पर सवाल उठाए गए, जब जांच अधिकारी और वकील कोर्ट में समय पर उपस्थित नहीं हुए। इस मामले में आरोपी संजय रॉय की जमानत पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सीबीआई की टीम करीब 40 मिनट देर से पहुंची, जिसके कारण कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि अगर जांच एजेंसी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले सकती, तो क्या हम आरोपी को जमानत दे दें? सुनवाई के दौरान जज ने सीबीआई के वकील और जांच अधिकारी से नाराजगी व्यक्त की और कहा कि ऐसा रवैया किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एजेंसी को अपने काम में तेजी और सटीकता दिखानी चाहिए। देरी के कारण, कोर्ट की यह टिप्पणी सीबीआई की ओर से केस को गंभीरता से न लिए जाने के संकेत के रूप में देखी जा रही है।

मृतिका के शरीर से जुटाए गए साक्ष्यों से मिले DNA सैंपल को जांच के लिए एम्स भेजा गया था। एम्स के डॉक्टरों के पैनल ने इसे बारीकी से अध्ययन करने के बाद पुष्टि की है कि सैंपल संजय रॉय के DNA से मेल खा रहा है। इससे पहले, सीबीआई को DNA रिपोर्ट मिल चुकी थी, लेकिन इसे फाइनल ओपिनियन के लिए एम्स भेजा गया था। अब तक की जांच में यही सामने आया है कि इस जघन्य अपराध में संजय रॉय अकेला ही शामिल था और किसी अन्य व्यक्ति की भूमिका नहीं पाई गई है।

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सीबीआई इस मामले में 100 से अधिक लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है और जांच को मजबूत करने के लिए 10 लोगों के पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराए गए। यह टेस्ट सीबीआई की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का हिस्सा थे, ताकि चार्जशीट दाखिल करते समय कोई कानूनी कमी न रह जाए। यह मामला 9 अगस्त को उस समय सामने आया जब ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया। अगले ही दिन, यानी 10 अगस्त को संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद कोलकाता पुलिस द्वारा शुरू की गई जांच को 13 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। सीबीआई ने 14 अगस्त से इस केस की जांच शुरू की थी।

इस घटना के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी सख्त कदम उठाए। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की सदस्यता निलंबित कर दी गई। यह फैसला मामले की गंभीरता और अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर उठे सवालों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। इस हृदयविदारक घटना के बाद, मृतका की मां ने अपनी बेटी के नाम एक भावुक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने अपनी बेटी को याद करते हुए लिखा कि उसकी बेटी का सपना डॉक्टर बनने का था, और वह अपने इस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी। शिक्षक दिवस के मौके पर अपनी बेटी की ओर से सभी शिक्षकों को नमन करते हुए, मृतिका की मां ने इस पत्र के जरिए न्याय की मांग की और आम जनता से भी समर्थन की अपील की।

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उन्होंने लिखा, “मेरी यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि आप सबकी लड़ाई भी है। मैं अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए आप सबका समर्थन चाहती हूं। मेरी बेटी ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था, और उसके इस सपने को पूरा करने में आप सभी शिक्षक प्रेरक शक्ति थे।” इस मामले में अब तक सामने आए सबूतों और गवाहों के बयान से साफ हो चुका है कि संजय रॉय ही इस अपराध का मुख्य आरोपी है। हालांकि, सीबीआई की ओर से पेश की जा रही धीमी गति और कोर्ट में देरी से आने की घटनाओं ने जांच पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतिका के परिजनों और आम जनता की उम्मीद अब इस बात पर टिकी हुई है कि न्यायिक प्रक्रिया में और कोई देरी न हो और आरोपी को सख्त सजा मिले।

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर वित्तीय अनियमितताओं और टेंडर घोटाले के आरोप, सीबीआई और ईडी की जांच जारी. https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/rg-kar-medical-college-k-pu-3/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/rg-kar-medical-college-k-pu-3/#respond Fri, 06 Sep 2024 05:35:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4691 आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर वित्तीय कदाचार और अन्य अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जड़ में आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की ओर से दाखिल की गई एक याचिका है, जिसे उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। याचिका में डॉ. अली ने …

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर वित्तीय कदाचार और अन्य अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जड़ में आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की ओर से दाखिल की गई एक याचिका है, जिसे उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। याचिका में डॉ. अली ने संदीप घोष पर वित्तीय गड़बड़ियों के साथ-साथ टेंडरों में पक्षपात और मेडिकल कचरे की अवैध बिक्री के आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही, घोष पर यह भी आरोप है कि उन्होंने पैसे लेकर मेडिकल छात्रों को परीक्षा में पास कराने का काम किया।

सीबीआई ने इस मामले में संदीप घोष के साथ सुरक्षा गार्ड अफसर अली, बिप्लब सिंह और सुमन हाजरा को भी गिरफ्तार किया है। आरोप यह भी हैं कि अस्पताल में विभिन्न टेंडरों की प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई, जिससे आर्थिक नुकसान हुआ। इसके अलावा, मेडिकल ऑर्गेनिक कचरे की अवैध बिक्री भी एक प्रमुख मुद्दा है, जिसमें भारी धनराशि का लेन-देन हुआ। ईडी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए संदीप घोष के कोलकाता स्थित आवास पर छापेमारी की, साथ ही हावड़ा में अन्य दो लोगों के आवासों पर भी तलाशी ली गई। ईडी ने जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत बरामद किए, जो इन आरोपों को पुष्ट करते हैं।

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यह मामला तब और भी गंभीर हो गया जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में पाया गया। शुरुआत में इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस ने की, लेकिन बाद में उच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया। इस महिला डॉक्टर की मौत के 26 दिनों बाद, सीबीआई ने वित्तीय कदाचार के मामले में संदीप घोष और उनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया।

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16 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था, लेकिन अगले ही दिन हाईकोर्ट ने इस केस को भी सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने 24 अगस्त को औपचारिक रूप से मामला दर्ज किया और इसके बाद कई गिरफ्तारियां कीं। संदीप घोष पर लगे इन गंभीर आरोपों के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज का प्रशासन सवालों के घेरे में है। मामले की जांच अब ईडी और सीबीआई द्वारा की जा रही है, और उम्मीद है कि इस केस में न्याय जल्द ही होगा।

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अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सीबीआई और बचाव पक्ष की दलीलें, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फ़ैसला. https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/arvind-kejriwals-bail-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/arvind-kejriwals-bail-2/#respond Thu, 05 Sep 2024 11:09:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4677 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के आरोपों में आरोपी बनाया है। ईडी के मामले में केजरीवाल को पहले ही …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के आरोपों में आरोपी बनाया है। ईडी के मामले में केजरीवाल को पहले ही जमानत मिल चुकी है, लेकिन आज सीबीआई मामले में उनकी जमानत याचिका पर बहस हो रही है। इस सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा, जबकि सीबीआई की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने जिरह की।

एएसजी एसवी राजू ने शुरुआत में सवाल उठाया कि केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट को दरकिनार कर सीधे सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका क्यों दायर की। राजू ने तर्क दिया कि मामले में पहले मनीष सिसोदिया, के कविता और अन्य आरोपी ट्रायल कोर्ट से होते हुए हाईकोर्ट पहुंचे थे, फिर अरविंद केजरीवाल को भी उसी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था। राजू ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि केजरीवाल कोई ‘विशेष’ व्यक्ति हैं, जिन्हें अलग तरह की कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि ईडी मामले में केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट से ही जमानत मिली थी, इसलिए उन्हें सीबीआई मामले में भी पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए।

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इसके अलावा, एएसजी राजू ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और ट्रायल कोर्ट में जाने का विकल्प दिया था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जमानत याचिका दायर करते समय केजरीवाल ने चार्जशीट दाखिल होने का इंतजार नहीं किया था, जो कि कानूनी दृष्टिकोण से गलत है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने अभी तक गुण-दोष पर विचार नहीं किया है और अगर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलती है, तो इससे उच्च न्यायालय की प्रक्रिया कमजोर हो जाएगी। अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलों की शुरुआत करते हुए कहा कि यह शायद पहला मामला है, जिसमें किसी व्यक्ति को दो बार जमानत मिल चुकी है, फिर भी उसे रिहा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने उनके मुवक्किल को दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया और अब अचानक उनकी गिरफ्तारी की मांग की जा रही है।

सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल का नाम एफआईआर में नहीं था और उन्हें अप्रैल 2023 में एक गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। सिंघवी ने आगे कहा कि सीबीआई ने अभी तक केजरीवाल के खिलाफ कोई नया ठोस सबूत नहीं पेश किया है। केवल एक पुराने बयान के आधार पर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है। सिंघवी ने यह भी तर्क दिया कि केजरीवाल न तो फ्लाइट रिस्क (भागने का खतरा) हैं, और न ही वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर हैं, इसलिए उनके विदेश भागने का सवाल ही नहीं उठता।

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सिंघवी ने आगे कहा कि केजरीवाल को पहले से ही तीन बार जमानत मिल चुकी है, जिसमें ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश शामिल हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि अब केजरीवाल को फिर से ट्रायल कोर्ट में भेजना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे केवल देरी होगी और मामले की सुनवाई लंबी खिंच सकती है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुय्यां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कई टिप्पणियाँ कीं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यदि हाईकोर्ट को इस मामले में पहले ही आदेश देना चाहिए था जब उन्होंने नोटिस जारी किया। वहीं जस्टिस भुय्यां ने कहा कि हाईकोर्ट ने फैसला लिखने में 7 दिन का समय लिया, जबकि उन्हें तुरंत निर्णय देना चाहिए था।

जब एएसजी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उच्च न्यायालय के मनोबल को कमजोर कर सकता है, तो जस्टिस भुय्यां ने इसे खारिज करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के पास अभी भी मामला गुण-दोष पर विचार करने का अवसर है। अंततः, जिरह के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि मामले पर फैसला सुनाया जाएगा, लेकिन एएसजी एसवी राजू ने और समय की मांग की।

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उत्पाद शुल्क नीति घोटाला, अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू. https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/excise-dutyexcise-duty/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/excise-dutyexcise-duty/#respond Thu, 05 Sep 2024 07:05:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4663 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई। केजरीवाल ने उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है और जमानत की मांग की है। केजरीवाल का नाम सीबीआई की प्राथमिकी में नहीं है, और उनकी ओर से पेश वरिष्ठ …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई। केजरीवाल ने उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है और जमानत की मांग की है। केजरीवाल का नाम सीबीआई की प्राथमिकी में नहीं है, और उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में यही तर्क दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के भागने का कोई खतरा नहीं है और उनका आचरण ऐसा नहीं है जिससे समाज को कोई खतरा हो। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि 2023 में शुरू हुई जांच के बाद, केजरीवाल को मार्च 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले शीर्ष अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी और यह भी कहा था कि केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि निचली अदालत और सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें जमानत दे चुकी हैं।

केजरीवाल ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। एक याचिका में उन्होंने जमानत से इनकार किए जाने को चुनौती दी है, जबकि दूसरी में उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें 5 अगस्त को उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले 14 अगस्त को उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, और सीबीआई से इस पर जवाब मांगा था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि अरविंद केजरीवाल उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं जो घोटाले में गवाही दे सकते हैं। इसके बाद ही हाई कोर्ट ने उन्हें नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में आवेदन करने का आदेश दिया था। दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति 2021-2022 में सीबीआई द्वारा अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। जांच के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने इस नीति को रद्द कर दिया था। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया और नीति में जानबूझकर बदलाव किए गए।

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सीबीआई और ईडी के अनुसार, इस नीति को लागू करने में कई स्तरों पर अनियमितताएं की गईं। इससे सरकार को नुकसान हुआ और कुछ विशेष ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया। यह घोटाला तब सामने आया जब दिल्ली सरकार की नीति पर सवाल उठने लगे और उपराज्यपाल ने इस पर सीबीआई जांच के आदेश दिए। अगस्त 2023 में शुरू हुई जांच के बाद, इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं और कई नेताओं पर आरोप लगे। सीबीआई का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी जरूरी है क्योंकि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने भी सीबीआई के इस तर्क को सही माना और मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया।

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वहीं, केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के तहत निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है, और आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि अदालत क्या फैसला देती है।

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सुप्रीम कोर्ट की ईडी को फटकार, मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में आरोपी के अधिकारों पर उठाए सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/supreme-court-ki-ed-ko-fat/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/supreme-court-ki-ed-ko-fat/#respond Wed, 04 Sep 2024 13:06:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4657 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों के मामले में कड़ी आलोचना की। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने की, जहां ईडी द्वारा दस्तावेजों को आरोपियों को न देने के फैसले पर सवाल उठाए गए। न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति …

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों के मामले में कड़ी आलोचना की। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने की, जहां ईडी द्वारा दस्तावेजों को आरोपियों को न देने के फैसले पर सवाल उठाए गए। न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ईडी से पूछा कि क्या जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों को आरोपी से छिपाना उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा? इस मामले की सुनवाई के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों को दस्तावेजों की आपूर्ति से संबंधित अपील पर विचार किया गया। अदालत ने पूछा कि यदि आरोपी को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है, तो क्या उसे आवश्यक दस्तावेजों से वंचित करना न्यायसंगत होगा? न्यायमूर्ति संजय करोल ने सवाल उठाते हुए कहा कि “क्या आरोपी को सिर्फ तकनीकी आधार पर दस्तावेज़ों से वंचित किया जा सकता है?” न्यायमूर्ति ने आगे कहा, “सब कुछ पारदर्शी क्यों नहीं हो सकता? न्याय का उद्देश्य न्याय करना है, न कि आरोपी को अंधेरे में रखना।”

इस मामले में ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए, जिन्होंने तर्क दिया कि यदि आरोपी को दस्तावेज़ों का पता होता है, तो वह उन्हें प्राप्त करने की मांग कर सकता है। लेकिन यदि आरोपी को दस्तावेजों के बारे में पता नहीं है, तो वह सिर्फ अनुमान के आधार पर दस्तावेजों की मांग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “अगर आरोपी को इन दस्तावेजों के अस्तित्व के बारे में जानकारी नहीं है, तो वह इनकी मांग नहीं कर सकता।” जस्टिस अमानुल्लाह ने इस तर्क को चुनौती देते हुए कहा कि समय के साथ कानूनों में परिवर्तन हो रहा है, और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय प्रणाली सख्त न हो जाए। “हम इतने कठोर कैसे हो सकते हैं कि एक व्यक्ति अभियोजन का सामना कर रहा हो, लेकिन हम यह कहें कि दस्तावेज़ सुरक्षित हैं? क्या यह न्याय होगा?” उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य न्याय करना है, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आरोपी को उसके खिलाफ आरोपों से संबंधित सभी दस्तावेज़ मिलें।”

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इस मामले के संदर्भ में, कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य हाई-प्रोफाइल मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया, और बीआरएस नेता के कविता शामिल हैं। इन मामलों में पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) का उपयोग किया गया है, और इस कानून की वैधता पर बार-बार सवाल उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जमानत एक नियम होनी चाहिए, और जेल एक अपवाद। कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 45 का उल्लेख करते हुए कहा कि जमानत के लिए दोहरी शर्तें हैं – प्रथम दृष्टया यह संतोष होना चाहिए कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और जमानत पर रहते हुए वह कोई और अपराध नहीं करेगा।

हालांकि, इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आरोपी को दस्तावेज़ों तक पहुंच का अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि ऐसा कोई दस्तावेज़ नहीं है और यह स्पष्ट रूप से दोषसिद्धि का मामला है, और आरोपी सिर्फ मुकदमे में देरी करने के लिए दस्तावेज़ों की मांग कर रहा है, तो यह अधिकार नहीं दिया जा सकता।” अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। साथ ही, यह फैसला पीएमएलए के तहत चल रही जांचों और मामलों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

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यह मामला विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में पीएमएलए के तहत कई हाई-प्रोफाइल विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, जिससे यह कानून जांच के दायरे में आ गया है। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय हो सकता है।

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष गिरफ्तार, वित्तीय अनियमितताओं और रेप मर्डर केस में सीबीआई की कार्रवाई. https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/rg-kar-medical-college-k-pu-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/rg-kar-medical-college-k-pu-2/#respond Tue, 03 Sep 2024 06:45:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4585 कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को सोमवार को केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने कुछ दिनों पहले इस प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी, जिसके तहत यह गिरफ्तारी की गई है। इस कार्रवाई ने न …

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को सोमवार को केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने कुछ दिनों पहले इस प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी, जिसके तहत यह गिरफ्तारी की गई है। इस कार्रवाई ने न केवल मेडिकल कॉलेज की प्रतिष्ठा को प्रभावित किया है बल्कि इसके साथ ही बंगाल के राजनीतिक और चिकित्सा क्षेत्र में भी हलचल मचा दी है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एक लंबे समय से अपने उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल ही में कॉलेज पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे। सीबीआई ने इस मामले में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और तीन व्यापारिक संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। आरोपों के अनुसार, इन अनियमितताओं के कारण सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ और कॉलेज के प्रशासनिक कार्यों में गड़बड़ियां पाई गईं।

सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान कई सबूतों को इकट्ठा किया, जिनसे यह प्रतीत होता है कि इन वित्तीय अनियमितताओं में संदीप घोष की भूमिका संदिग्ध है। इसके आधार पर, एजेंसी ने संदीप घोष को गिरफ्तार किया। इस मामले में, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) भी मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच कर रही है। ईडी, सीबीआई के एफआईआर के आधार पर ईसीआईआर (एन्फोर्समेंट केस इनफॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज कर चुकी है, और अब मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना को लेकर जांच जारी है आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल इन दिनों लगातार विवादों में घिरा हुआ है। हाल ही में, इस कॉलेज के एक जूनियर डॉक्टर के साथ घटित एक भयानक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। 9 अगस्त की रात, नाइट ड्यूटी के दौरान, इस डॉक्टर के साथ रेप किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। यह घटना अस्पताल के भीतर हुई और इसके बाद से कॉलेज प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले में भी सीबीआई ने जांच शुरू की है और संदीप घोष से पूछताछ की जा रही है।

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संदीप घोष से इस मामले में पूछताछ के दौरान उनके बयान लगातार बदलते रहे, जिससे जांच एजेंसियों का शक और भी गहरा हो गया। फिलहाल, यह मामला भी सीबीआई के लिए एक महत्वपूर्ण जांच का विषय बना हुआ है। इस केस ने कॉलेज प्रशासन की जिम्मेदारी और सुरक्षा उपायों पर सवाल उठाए हैं, और इसने राज्य में चिकित्सा पेशे की नैतिकता पर भी गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। संदीप घोष की गिरफ्तारी पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा, “बंगाल के लोग इस मामले में न्याय चाहते थे और यह गिरफ्तारी उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुझे पहले से ही अंदेशा था कि संदीप घोष को सीबीआई गिरफ्तार करेगी। यह कार्रवाई राज्य में बढ़ती भ्रष्टाचार और अपराध की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जरूरी है।” सीबीआई और ईडी की जांच अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने बंगाल के राजनीतिक माहौल को भी गरमा दिया है, क्योंकि यह मामला केवल एक मेडिकल कॉलेज तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य की चिकित्सा व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र पर भी सवाल उठा रहा है।

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इस मामले में संदीप घोष के साथ-साथ तीन व्यापारिक संस्थाओं की भूमिका भी जांच के दायरे में है, और यह देखना बाकी है कि जांच में और क्या खुलासे होते हैं। फिलहाल, इस पूरे मामले को लेकर बंगाल के लोग और राज्य का चिकित्सा समुदाय बेचैनी से आगे की घटनाओं का इंतजार कर रहे हैं।

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