Central goverment - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 10 Sep 2024 06:42:11 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Central goverment - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 वक्फ संशोधन विधेयक 2024: सत्ता और विपक्ष के बीच विवाद, वायरल वीडियो से उठे सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/09/10/waqf-amendment-bill-2024-power/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/10/waqf-amendment-bill-2024-power/#respond Tue, 10 Sep 2024 06:36:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4776 वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देश के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। सत्ता और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर तीखी बहस चल रही है, वहीं एक वायरल वीडियो ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। वीडियो में लोगों से वक्फ विधेयक का विरोध करने की अपील की जा रही है …

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देश के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। सत्ता और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर तीखी बहस चल रही है, वहीं एक वायरल वीडियो ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। वीडियो में लोगों से वक्फ विधेयक का विरोध करने की अपील की जा रही है और लाउडस्पीकर के माध्यम से विधेयक के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है, वीडियो में लोगों से अपील की जा रही है कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करें। यह भी कहा जा रहा है कि अगर यह विधेयक पास हो गया तो मस्जिदें, मजारें और कब्रिस्तान छिन जाएंगे। लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि संसद की संयुक्त समिति ने इस विधेयक पर राय मांगी है और सभी को ईमेल के माध्यम से अपनी राय भेजनी चाहिए। इसमें यह भी दावा किया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर भी सरकार का कब्जा हो जाएगा अगर यह बिल पारित हो जाता है।

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वायरल वीडियो किसी बाजार या सार्वजनिक स्थान का प्रतीत हो रहा है। इसमें एक व्यक्ति लाउडस्पीकर लेकर घूम रहा है और दूसरा माइक के माध्यम से लोगों से अपील कर रहा है। लगभग एक मिनट के इस वीडियो में बताया गया है कि वक्फ संशोधन विधेयक को फिलहाल संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है। वीडियो में कहा जा रहा है कि सभी नागरिक, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लोग, समिति को ईमेल के माध्यम से अपनी राय भेजें ताकि इस विधेयक को रोका जा सके। वीडियो में यह भी बताया गया कि 13 अगस्त तक राय भेजने का समय है और अगर विधेयक पारित हो गया तो मस्जिदों, मजारों और कब्रिस्तानों पर खतरा मंडरा सकता है।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष के भारी विरोध और दबाव के चलते इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया। समिति ने मुस्लिम संगठनों और आम नागरिकों से इस विधेयक पर राय मांगी है। समिति की राय जानने के बाद ही विधेयक पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस वायरल वीडियो पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा है, वह दुखद और विचलित करने वाला है। उन्होंने कहा कि वे खुद इस विधेयक का गहराई से अध्ययन कर चुके हैं और इसे कम से कम 100 बार पढ़ चुके हैं। दुबे ने जोर देकर कहा कि इस विधेयक में कहीं भी मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान, या मदरसों पर सरकार का कब्जा करने का प्रावधान नहीं है।

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दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि यह वीडियो झूठी सूचनाओं पर आधारित है और इसे मुस्लिम समुदाय के बीच भ्रम और डर फैलाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष और मोदी सरकार विरोधी ताकतें इस विधेयक का गलत इस्तेमाल कर एक विशेष वर्ग के मन में नफरत भरने का प्रयास कर रही हैं। दुबे ने इस प्रकार की राजनीति को “वोट बैंक की राजनीति” और “अंधी राजनीति” करार दिया। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का भविष्य अब संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों पर निर्भर करेगा। इस बीच, मुस्लिम संगठनों और आम जनता को अपनी राय प्रस्तुत करने का समय दिया गया है। समिति इस राय के आधार पर विधेयक में सुधार कर सकती है या फिर इसे नए रूप में पेश किया जा सकता है।

विपक्ष का आरोप है कि इस विधेयक से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा और इससे अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को खतरा हो सकता है। वहीं, सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और पारदर्शी और जिम्मेदार बनाना है। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर मचे घमासान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। वायरल वीडियो और इससे जुड़ी चर्चाओं ने इस मुद्दे को और भड़का दिया है। हालांकि, अब देखना यह होगा कि संयुक्त समिति इस पर क्या निर्णय लेती है और विधेयक का अंतिम रूप क्या होगा।

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अमित शाह ने दी चुनौती, ‘बाबा मन्हास की कसम खाकर कहता हूं, धारा 370 की वापसी नहीं होने दूंगा’, राहुल गांधी पर साधा निशाना. https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/amit-shah-gave-challenge-baba/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/amit-shah-gave-challenge-baba/#respond Sat, 07 Sep 2024 08:03:14 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4726 जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दौरा हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, और इस बार भी वह अपने दो दिवसीय दौरे पर जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। जनसभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विकास और शांति का मुद्दा उठाया और विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने साफ़ कहा कि …

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जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दौरा हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, और इस बार भी वह अपने दो दिवसीय दौरे पर जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। जनसभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विकास और शांति का मुद्दा उठाया और विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने साफ़ कहा कि अगर विपक्ष सत्ता में आया, तो राज्य में विकास ठप हो जाएगा और आतंकवाद का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास के प्रति प्रतिबद्ध है। अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जैसी पार्टियों पर तीखे शब्दों में हमला करते हुए कहा कि उनके सत्ता में आने से आतंकवाद को फिर से बल मिलेगा। उन्होंने कहा, “अगर नेकां (नेशनल कॉन्फ्रेंस) सत्ता में आती है, तो आतंकवाद बढ़ेगा।” शाह ने फारूक अब्दुल्ला की पार्टी और कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधा बताया और कहा कि भाजपा ने राज्य को आतंकवाद की आग से बचाने के लिए कठोर कदम उठाए हैं।

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अमित शाह ने भाजपा के शासन में किए गए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि जम्मू में हजारों करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने आतंकियों का चुन-चुन कर सफाया किया है और श्री अमरनाथ यात्रा को भयमुक्त वातावरण में संपन्न कराने में सफलता पाई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सब भाजपा के शासन में संभव हुआ है और अगर विपक्ष सत्ता में आया तो आतंकवाद और अस्थिरता लौट आएगी। शाह ने धारा 370 पर कांग्रेस के वादों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने राहुल गांधी की बात का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की बात कर रही है, लेकिन यह अधिकार केवल भारत सरकार और प्रधानमंत्री के पास है। उन्होंने यह भी कहा कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिया जाएगा, जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है।

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अमित शाह ने अपने भाषण में यह स्पष्ट किया कि जब तक जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित नहीं हो जाती, तब तक पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं की जाएगी। उन्होंने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार ने जम्मू-कश्मीर को लूटने का काम किया है और राज्य की जनता को यह तय करना है कि उन्हें आतंकवाद चाहिए या विकास और शांति। गृहमंत्री ने अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि उन्हें केवल विपक्ष को हराना नहीं है, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त करानी है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार धारा 370 के बिना चुनाव हो रहे हैं और यह भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे घर-घर जाकर भाजपा के विकास कार्यों को बताएं और अधिक से अधिक लोगों को मतदान केंद्र तक पहुंचाने का काम करें।

जनसभा के दौरान, मंच पर अमित शाह के साथ केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे। सभा स्थल भगवा रंग में रंगा हुआ था और भाजपा के झंडे लहराते हुए महिला कार्यकर्ता “भारत माता की जय” के नारे लगा रही थीं। पूरे कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं में गजब का जोश देखा गया, जिससे भाजपा के चुनावी अभियान को मजबूती मिली। अमित शाह के इस भाषण ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक गर्म कर दिया है।

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मध्यम वर्ग में बढ़ता असंतोष, मोदी सरकार की दीर्घकालिक रणनीति पर सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/growing-disruption-in-the-middle-class/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/growing-disruption-in-the-middle-class/#respond Sat, 31 Aug 2024 11:19:00 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4571 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की पिछले कुछ हफ्तों की गतिविधियों और उनके फैसलों को लेकर प्रेस में आलोचनात्मक कवरेज देखने को मिला है। इसके बावजूद, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कोई खास गिरावट नहीं आई है, और वे अभी भी भारत के सबसे प्रभावशाली और चतुर नेताओं में गिने जाते हैं। …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की पिछले कुछ हफ्तों की गतिविधियों और उनके फैसलों को लेकर प्रेस में आलोचनात्मक कवरेज देखने को मिला है। इसके बावजूद, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कोई खास गिरावट नहीं आई है, और वे अभी भी भारत के सबसे प्रभावशाली और चतुर नेताओं में गिने जाते हैं। उनके हर कदम पर देश-विदेश के नेता और टिप्पणीकार नज़रें गड़ाए रखते हैं, लेकिन मोदी अक्सर अपने विरोधियों से तीन कदम आगे होते हैं। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में उनकी राजनीतिक रणनीति को लेकर कुछ सवाल खड़े हुए हैं।

नरेंद्र मोदी के शासनकाल में मध्यम वर्ग, जो कभी भाजपा का मजबूत समर्थक था, अब असंतुष्ट नज़र आ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में मध्यम वर्ग के एक बड़े हिस्से ने भाजपा का समर्थन किया था। हालांकि, यह कहना गलत होगा कि यह समर्थन केवल भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे के कारण था। शिक्षित मध्यम वर्ग का एक बड़ा हिस्सा मोदी के विकासवादी दृष्टिकोण और भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने के उनके वादों के कारण उनके साथ जुड़ा था। लेकिन, चुनाव अभियान के दौरान मोदी सरकार का फोकस बदलता हुआ नजर आया। उनके भाषणों में कांग्रेस पर सीधा हमला और सांप्रदायिकता का खुला समर्थन दिखा। प्रधानमंत्री के मुख्य भाषण, जो अभियान की दिशा तय करते थे, अक्सर नकारात्मक थे। इसके परिणामस्वरूप, मध्यम वर्ग, जो आर्थिक सुधारों और विकास की उम्मीद कर रहा था, को निराशा हाथ लगी।

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इस असंतोष को और बढ़ावा मिला जब मोदी सरकार का बजट मध्यम वर्ग की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। 2024 के बजट में मध्यम वर्ग के लिए खास राहत का कोई प्रावधान नहीं था, जबकि इस वर्ग को करों के दायरे में बड़ी भूमिका निभाने के बावजूद नज़रअंदाज किया गया। वित्तीय वर्ष 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, भारत के कुल करदाताओं में से केवल 2% ऐसे थे जिन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर से ज्यादा आयकर का भुगतान किया। लेकिन, इस वर्ग की अपेक्षाओं को पूरा करने के बजाय, कर प्रस्तावों में कई ऐसे प्रावधान थे जो मध्यम वर्ग के लिए हानिकारक थे। यहां तक कि दंडात्मक कर प्रस्ताव को वापस लेने के मामले में भी सरकार ने आधे-अधूरे कदम उठाए, जिससे इस वर्ग का विश्वास और भी कमजोर हो गया।

न्यायपालिका के साथ मोदी सरकार के संबंध भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने अपने विरोधियों को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और कानूनों का इस्तेमाल किया है। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) का उपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया गया, जिससे सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने के आरोप लगे। हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे मामलों पर सवाल उठाए हैं, जिनमें आरोप केवल अभियुक्तों के बयान के आधार पर लगाए गए थे। यह पहली बार नहीं है जब सरकार की नीतियों की आलोचना हुई है, लेकिन इस बार, अदालत ने भी इस पर कड़ी नज़र रखी है। सरकार की आलोचना बढ़ती जा रही है, और ऐसे में मोदी सरकार के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बन गई है।

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इन सबके बीच, सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दीर्घकालिक रणनीति क्या है? वे एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं, इसलिए उनके पास कोई न कोई योजना ज़रूर होगी, लेकिन यह समझना मुश्किल हो गया है कि वह योजना क्या है। अभी तक जो रणनीति स्पष्ट दिख रही है, वह हमला करने की है। भाजपा का आईटी सेल भी प्रधानमंत्री के विचारों का समर्थन करता नजर आता है, लेकिन इसके पोस्ट का लहजा भी नकारात्मक है। पार्टी के कीबोर्ड योद्धा अब भी गाली-गलौज और आक्रामकता का सहारा लेते हैं। यहां तक कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी हिंसा का सहारा लिया जाता है, जैसे कोलकाता में आरजी-कर बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुआ।

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मध्यम वर्ग, जो कभी भाजपा का मजबूत समर्थक था, अब सवाल उठा रहा है। वे पूछते हैं कि सरकार उनकी चिंताओं को गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है? ईमानदार वेतनभोगी लोगों की परेशानियों को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? उन्हें असहनीय कर बोझ से राहत क्यों नहीं दी जा रही है? अगर सरकार कुलीन वर्ग के प्रति उदारता दिखा सकती है, तो मध्यम वर्ग को भी कुछ राहत मिलनी चाहिए थी। लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार मध्यम वर्ग की समस्याओं को हल करने के बजाय केवल अपनी राजनीतिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है।आखिरकार, नरेंद्र मोदी की राजनीति और उनकी रणनीति को समझना मुश्किल हो गया है। जनता के बीच बढ़ता असंतोष और न्यायपालिका की कड़ी निगरानी के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे क्या कदम उठाते हैं।

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ममता बनर्जी के बयान पर बवाल, बीजेपी के हमलों के बाद दी सफाई, कोलकाता रेप केस से जुड़ा विवाद. https://chaupalkhabar.com/2024/08/30/mamta-banerjees-statement-on-bava/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/30/mamta-banerjees-statement-on-bava/#respond Fri, 30 Aug 2024 10:31:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4546 पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद का स्थापना दिवस 28 अगस्त को आयोजित किया गया, जिसे कोलकाता रेप केस में जान गंवाने वाली PG ट्रेनिंग महिला डॉक्टर को समर्पित किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हिस्सा लिया और भाषण दिया, लेकिन उनके बयान से विवाद खड़ा हो गया, जिस …

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पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद का स्थापना दिवस 28 अगस्त को आयोजित किया गया, जिसे कोलकाता रेप केस में जान गंवाने वाली PG ट्रेनिंग महिला डॉक्टर को समर्पित किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हिस्सा लिया और भाषण दिया, लेकिन उनके बयान से विवाद खड़ा हो गया, जिस पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया पर भी ममता बनर्जी के बयान की तीखी आलोचना हुई, जिससे उन्हें सफाई देनी पड़ी। ममता बनर्जी के 28 अगस्त वाले बयान पर नजर डालें तो उन्होंने कहा, “जो लोग सोचते हैं कि यह बांग्लादेश है, उन्हें बताना चाहती हूं कि मैं बांग्लादेश का सम्मान करती हूं। वह भी इसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन बांग्लादेश एक अलग राष्ट्र है और भारत एक अलग देश है।”

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा, “मोदी जी, आप चाहते हैं कि वह आग बंगाल में फैले, तो आपको समझ लेना चाहिए कि अगर आग बंगाल में लगेगी तो असम, नॉर्थ ईस्ट, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे।” इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा। बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी को ‘राष्ट्रविरोधी’ तक कह दिया। बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे पर ममता को आड़े हाथों लिया। ममता बनर्जी ने इस विवाद पर सफाई देते हुए अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “कल मैंने एक भाषण दिया था, जिसका कुछ मीडिया संस्थान दुष्प्रचार कर रहे हैं। मेरी बात को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैंने छात्र विरोध के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा है। मैं उनके विरोध का समर्थन करती हूं, उनका आंदोलन सच्चा है। मैंने कभी उन्हें धमकी नहीं दी।”

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ममता बनर्जी ने अपने बयान में आगे कहा, “मेरे खिलाफ लगाए जा रहे आरोप गलत हैं। मैंने बीजेपी के खिलाफ बोला है। मैंने इसलिए बोला क्योंकि बीजेपी और भारत सरकार मिलकर हमारे राज्य में लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं और अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने उनके खिलाफ आवाज उठाई है।” बीजेपी सांसद सौमित्र खान ने ममता बनर्जी पर राजनीति के लिए कुछ भी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “दीदी अपने फायदे के लिए राज्य में आतंकवादियों को भी रहने दे सकती हैं। जितनी बड़ी घटना घटेगी, उतना बड़ा आतंकवादी होगा, वह सबको वहां रहने के लिए कहेंगी, क्योंकि उनका उद्देश्य सत्ता पाना है।”

इस विवाद पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “दीदी, आपकी हिम्मत कैसे हुई असम को धमकाने की? हमें लाल आंखें मत दिखाइए। आपकी असफलता की राजनीति से भारत को जलाने की कोशिश मत कीजिए। विभाजनकारी भाषा बोलना आपको शोभा नहीं देता।” ममता बनर्जी के बयान का संदर्भ कोलकाता के एक दर्दनाक केस से जुड़ा है। 9 अगस्त की सुबह कोलकाता के NRS मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक ट्रेनिंग महिला डॉक्टर बेहोशी की हालत में मिली थीं, जहां बाद में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। आरोप है कि उनके साथ रेप के बाद उनकी हत्या की गई। इस मामले में संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया। 13 अगस्त को कलकत्ता हाई कोर्ट ने केस को CBI को ट्रांसफर कर दिया।

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20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को जनता की आवाज को दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बीजेपी और CPI ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने इस मामले में सबूत मिटाने की कोशिश की है। ममता बनर्जी ने इसी संदर्भ में 28 अगस्त को अपने बयान में बात की थी, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद उन्हें सफाई देनी पड़ी।

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सीएम ममता बनर्जी का भाजपा के बंगाल बंद पर तीखा हमला, दुष्कर्मियों के खिलाफ सख्त कानून लाने का ऐलान. https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/cm-mamata-banerjee-of-bjp/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/cm-mamata-banerjee-of-bjp/#respond Wed, 28 Aug 2024 10:25:36 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4491 पश्चिम बंगाल में भाजपा द्वारा आहूत बंगाल बंद के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक तीखा हमला किया है। ममता ने आरोप लगाया कि इस बंद का मुख्य उद्देश्य बंगाल की छवि को खराब करना है और यह आरजी कर अस्पताल में हुए बलात्कार और हत्या की जांच को प्रभावित करने की साजिश है। कोलकाता …

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पश्चिम बंगाल में भाजपा द्वारा आहूत बंगाल बंद के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक तीखा हमला किया है। ममता ने आरोप लगाया कि इस बंद का मुख्य उद्देश्य बंगाल की छवि को खराब करना है और यह आरजी कर अस्पताल में हुए बलात्कार और हत्या की जांच को प्रभावित करने की साजिश है। कोलकाता में टीएमसी छात्र संघ की रैली को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि अगर राज्य सरकार के पास पर्याप्त शक्ति होती, तो वह डॉक्टर की हत्या के आरोपियों को सिर्फ सात दिनों के भीतर मौत की सजा दिला देती। ममता ने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे को लेकर किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतेगी और मृत डॉक्टर के आरोपियों को मृत्युदंड दिलाने के लिए एक आंदोलन शुरू करेगी।

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि अगले सप्ताह विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा जिसमें दुष्कर्मियों को 10 दिनों के भीतर मृत्युदंड देने के लिए एक विधेयक पारित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्यपाल इस विधेयक को मंजूरी नहीं देते हैं, तो टीएमसी राजभवन के बाहर धरना देगी। ममता ने इस विधेयक की पारितगी को अनिवार्य बताया और कहा कि राज्यपाल को जवाबदेही से नहीं बचना चाहिए। ममता बनर्जी ने आरजी कर अस्पताल की घटना के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर दुष्कर्म के मामलों में त्वरित न्याय और कठोर सजा की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि देश में दुष्कर्म के मामलों को लेकर सख्त कानून बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि दोषियों को कठोरतम सजा मिल सके।

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ममता बनर्जी का यह बयान और उनकी कार्रवाई का इरादा साफ है कि वह दुष्कर्म और हत्या के मामलों में कठोर कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बंगाल बंद पर उनकी तीखी प्रतिक्रिया और नए कानून की घोषणा यह संकेत देती है कि उनकी सरकार इस मुद्दे को अत्यंत गंभीरता से ले रही है और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दिखाने का प्रयास कर रही है।

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कोलकाता रेप केस के बाद ममता बनर्जी का पीएम मोदी को पत्र: कहा देश में बढ़ते बलात्कार के मामलों पर सख्त कानून बनाए केंद्र सरकार. https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/kolkata-rape-case-after-mamat/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/kolkata-rape-case-after-mamat/#respond Fri, 23 Aug 2024 12:49:32 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4408 हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने देश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। ममता बनर्जी ने इस पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि बलात्कार के मामलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं। …

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हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने देश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। ममता बनर्जी ने इस पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि बलात्कार के मामलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं। पत्र में ममता बनर्जी ने कहा है कि बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से समाज और राष्ट्र का विश्वास हिल गया है। उन्होंने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 90 बलात्कार के मामले सामने आते हैं, जिनमें से कई में हत्या भी शामिल होती है। ममता बनर्जी ने लिखा, “देशभर में बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। यह बेहद चिंताजनक है कि रोजाना औसतन 90 बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें से कई मामलों में पीड़ित की हत्या भी हो जाती है। इससे समाज और राष्ट्र का विश्वास और विवेक डगमगाने लगता है। हमारा यह कर्तव्य है कि हम इस स्थिति को बदलें और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करें।”

सीएम ममता बनर्जी ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री के सामने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं। पहली मांग यह है कि बलात्कार के मामलों में कठोर और सख्त कानून बनाए जाएं, जो जघन्य और क्रूर अपराधों को रोकने में सक्षम हों। दूसरी मांग यह है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जाए, ताकि ऐसे मामलों में तेजी से सुनवाई हो सके। ममता बनर्जी का मानना है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से बलात्कार के मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए।

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तीसरी मांग के तहत ममता बनर्जी ने सुझाव दिया है कि बलात्कार के मामलों में सुनवाई की समय सीमा 15 दिनों के भीतर पूरी की जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी न्याय नहीं मिला, तो यह न्याय प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास को और कमजोर कर सकता है। यह पत्र उस समय आया है जब हाल ही में कोलकाता में हुए एक रेप-मर्डर केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने न केवल इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए, बल्कि देशभर के डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता पर जोर दिया। इस मामले ने न केवल बंगाल, बल्कि पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति चिंता को और बढ़ा दिया है। ममता बनर्जी का यह पत्र देश में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति उनकी गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि बलात्कार के मामलों को गंभीरता से लिया जाए और इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। इस पत्र के माध्यम से ममता बनर्जी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उनके द्वारा उठाई गई मांगें यह दर्शाती हैं कि वे इस मुद्दे को लेकर कितनी चिंतित हैं और इससे निपटने के लिए वे कठोर कदम उठाने को तैयार हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन रद्द, विपक्ष और सहयोगी दलों द्वारा किया गया था विरोध. https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/#respond Tue, 20 Aug 2024 08:48:18 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4378 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशानुसार यूपीएससी के प्रमुख प्रीति सुदान को पत्र लिखकर इस विज्ञापन को रद्द करने की मांग की। यूपीएससी ने 17 अगस्त 2024 को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। ये पद सचिव और उपसचिव के थे, जो विभिन्न मंत्रालयों में भरे जाने थे। हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान नहीं था, जिससे विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूहों में असंतोष फैल गया।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का रामराज्य का ‘विकृत संस्करण’ संविधान को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है और बहुजनों के आरक्षण के अधिकार को छीनना चाहता है। राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इस मुद्दे को उजागर किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं, जो संविधान पर सीधा हमला है।

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सरकार के सहयोगी दलों में शामिल केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस भर्ती प्रक्रिया पर चिंता जताई। चिराग पासवान ने कहा कि किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं होने के बावजूद, सरकारी पदों पर आरक्षण लागू नहीं होने की स्थिति चिंताजनक है और वे इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के समर्थक हैं और उनकी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीति सुदान से अनुरोध किया कि 17 अगस्त को जारी विज्ञापन की समीक्षा की जाए और उसे रद्द कर दिया जाए।

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इस पत्र में जितेंद्र सिंह ने यूपीए सरकार के दौरान लेटरल एंट्री की पहल का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पहली बार केंद्र सरकार ने इस पर विचार किया था और 2013 में यूपीए सरकार ने इस प्रकार की नियुक्तियों की संभावना पर चर्चा की थी। साथ ही, उन्होंने यूआईडीएआई और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में नियुक्त सुपर ब्यूरोक्रेसी की भी चर्चा की। लेटरल एंट्री की इस प्रक्रिया के खिलाफ उठे विरोध को देखते हुए, सरकार ने इस भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का निर्णय लिया। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि आरक्षण के मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने अपनी नीति में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

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लेटरल एंट्री पर विपक्ष का हमला, दलित, ओबीसी और एसटी आरक्षण के खिलाफ साजिश का आरोप. https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/lateral-entry-at-cons/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/lateral-entry-at-cons/#respond Mon, 19 Aug 2024 09:06:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4366 हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना बनाई गई है। इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को …

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हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना बनाई गई है। इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को सीधे तौर पर ओबीसी, एससी और एसटी आरक्षण के खिलाफ बताया है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। भाजपा का यह कदम संविधान को कमजोर करने और बहुजन समाज से आरक्षण छीनने की कोशिश है।” इससे पहले, राहुल गांधी ने इसी मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के माध्यम से लोकसेवकों की भर्ती कर रहे हैं, जिससे संविधान पर हमला हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करके एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।

राहुल गांधी ने कहा, “मैंने हमेशा यह बात कही है कि देश के शीर्ष पदों पर वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं है। इसे सुधारने के बजाय, सरकार लेटरल एंट्री के माध्यम से उन्हें और अधिक दूर कर रही है। यह न केवल UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के अधिकारों पर हमला है, बल्कि सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर भी चोट है।” कांग्रेस नेता के इस बयान पर विपक्ष के अन्य प्रमुख नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि इन पदों को निचले स्तर के कर्मचारियों को पदोन्नति देकर भरा जाना चाहिए। मायावती ने कहा कि एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के लिए कोटा व्यवस्था लागू करके इन पदों पर भर्ती होनी चाहिए। अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती है, तो यह संविधान का उल्लंघन होगा।

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समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह अपनी विचारधारा के लोगों को यूपीएससी के उच्च पदों पर बैठाने का षडयंत्र कर रही है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की यह साजिश पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) से उसका आरक्षण और अधिकार छीनने की है।

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अखिलेश यादव ने युवाओं और अधिकारियों से अपील की है कि अगर सरकार अपने फैसले को नहीं बदलती है, तो वे इस मुद्दे पर सपा द्वारा दो अक्टूबर से शुरू किए जाने वाले आंदोलन में शामिल होकर विरोध करें। लेटरल एंट्री के मुद्दे पर विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रियाओं ने इसे एक गंभीर राजनीतिक विवाद बना दिया है। सरकार के इस कदम के खिलाफ आवाजें और तेज हो रही हैं, और आगामी समय में यह मामला और गर्मा सकता है।

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बंगाल में राष्ट्रपति शासन की संभावना पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस का क्या कहना है? https://chaupalkhabar.com/2024/08/17/president-rules-in-bengal/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/17/president-rules-in-bengal/#respond Sat, 17 Aug 2024 05:53:35 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4344 पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, डॉ. सीवी आनंद बोस ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। शुक्रवार को उन्होंने इस घटना को न केवल परेशान करने वाला, बल्कि चौंकाने वाला भी बताया। राज्यपाल ने कहा कि इस घटना से न …

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, डॉ. सीवी आनंद बोस ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। शुक्रवार को उन्होंने इस घटना को न केवल परेशान करने वाला, बल्कि चौंकाने वाला भी बताया। राज्यपाल ने कहा कि इस घटना से न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश के लोग निराश और गुस्से में हैं। राज्यपाल बोस ने कोलकाता पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है या फिर उन्हें नष्ट करने का प्रयास किया गया है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि क्या लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई, ताकि यह मामला आत्महत्या के रूप में दिखाया जा सके। राज्यपाल के अनुसार, यह घटना पुलिस अधिकारियों द्वारा बेहद लापरवाही से संभाली गई है, जिससे न्याय की मांग और भी बढ़ गई है।

डॉ. बोस ने कहा कि एक महिला चिकित्सक के साथ ऐसी घटना होने के बावजूद पुलिस द्वारा उचित और निष्पक्ष जांच नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद राज्यभर में आक्रोश का माहौल है और लोग सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग कर रहे हैं। यह न्याय केवल पीड़िता के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। राज्यपाल ने इस मामले पर एनडीटीवी के साथ बातचीत में बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की संभावनाओं पर भी अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन की मांग की गई है और वह इस मुद्दे पर सतर्क रहेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस समय अपने विकल्पों को सुरक्षित रखेंगे और संविधान के तहत अपने अगले कदमों को सार्वजनिक नहीं करेंगे।

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डॉ. बोस ने आगे कहा कि यह मामला सिर्फ एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज की न्यायिक और संवैधानिक संरचना के साथ खिलवाड़ का मामला है। उन्होंने आरजी कर अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि वह गुरुवार को खुद घटनास्थल पर गए थे। वहां उन्होंने देखा कि लोग केवल न्याय की मांग कर रहे हैं और उन्हें न्याय दिलाना राज्य की जिम्मेदारी है।

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राज्यपाल ने कहा कि इस घटना के बाद से समाज में असंतोष और अविश्वास का माहौल बन गया है। उन्होंने पुलिस और प्रशासन से आग्रह किया कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच करें और दोषियों को सजा दिलाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पुलिस और प्रशासन इस मामले को सही तरीके से नहीं संभालते हैं, तो यह समाज के लिए एक खतरनाक संदेश हो सकता है। राज्यपाल ने अंत में कहा कि इस घटना ने समाज के हर वर्ग को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने और समाज में न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा।

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कोलकाता के बाद उत्तराखंड में नर्स की यौन शोषण के बाद हत्या, आरोपी गिरफ्तार, पुलिस की जांच जारी https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/kolkata-after-uttarakhand/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/kolkata-after-uttarakhand/#respond Fri, 16 Aug 2024 07:06:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4326 उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर कस्बे में एक निजी अस्पताल में काम करने वाली नर्स के साथ कथित तौर पर यौन शोषण और हत्या के आरोप में एक व्यक्ति को बुधवार को गिरफ्तार किया गया। यह घटना उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित एक गांव में हुई थी। अभियुक्त व्यक्ति, धर्मेंद्र कुमार, …

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उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर कस्बे में एक निजी अस्पताल में काम करने वाली नर्स के साथ कथित तौर पर यौन शोषण और हत्या के आरोप में एक व्यक्ति को बुधवार को गिरफ्तार किया गया। यह घटना उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित एक गांव में हुई थी। अभियुक्त व्यक्ति, धर्मेंद्र कुमार, को नर्स की लाश मिलने के एक सप्ताह बाद उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के एक गांव से गिरफ्तार किया गया। बताया जा रहा है कि इस व्यक्ति ने 30 जुलाई की शाम को अस्पताल से लौट रही नर्स को रोका और उसके साथ यौन शोषण किया।  मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जब महिला 30 जुलाई की शाम को अस्पताल से निकली थी, तब उसे रुद्रपुर के इंद्रा चौक से एक ई-रिक्शा में जाते हुए सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था। रुद्रपुर, उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित है। हालांकि, वह उत्तर प्रदेश के बिलासपुर स्थित काशीपुर रोड पर अपने किराए के मकान पर नहीं पहुंची, जहां वह अपनी 11 वर्षीय बेटी के साथ रहती थी। महिला की बहन ने 31 जुलाई को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। महिला का शव एक सप्ताह बाद उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के दिबडीबा इलाके में एक खाली प्लॉट में मिला। महिला की उम्र 33 वर्ष थी।

उधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजनाथ टीसी ने बताया, “जब हमने महिला की खोजबीन की, तो हमें पता चला कि वह उत्तर प्रदेश में अपने गांव तक पहुंच गई थी, जहां उस पर हमला हुआ। 8 अगस्त को हमें सूचना मिली कि उस इलाके में झाड़ियों में एक महिला का शव बरामद हुआ है। जल्द ही पुष्टि हो गई कि वह शव उसी लापता महिला का था।” पुलिस ने बताया कि धर्मेंद्र कुमार, जो उत्तर प्रदेश के बरेली का निवासी है, को सीसीटीवी फुटेज में महिला का पीछा करते हुए देखा गया था। आरोपी कभी-कभी उस कस्बे में मजदूरी करता था, जहां नर्स काम करती थी।

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पुलिस का कहना है कि आरोपी नशे का आदी है और महिला को नहीं जानता था। पुलिस अधिकारी के अनुसार, “घटना के दिन, उसने महिला को अकेला जाते हुए देखा और उसे रोक लिया। महिला ने जोरदार प्रतिरोध किया, लेकिन आरोपी ने उसे दबोच लिया और गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। उसने महिला के साथ यौन शोषण भी किया। हत्या के बाद आरोपी ने महिला का सामान लिया और फरार हो गया।” जांच के दौरान, पुलिस को महिला का फोन राजस्थान में मिला। आरोपी को राजस्थान के जोधपुर जिले से गिरफ्तार किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी ने अपराध स्वीकार कर लिया है। हालांकि पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह महिला को पहले से नहीं जानता था। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने पहले भी छोटे-मोटे अपराध किए हैं और नशे के चलते उसने यह घिनौना अपराध किया। पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ हत्या और यौन शोषण के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और उसे न्यायालय में पेश किया जाएगा।

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महिला की हत्या और यौन शोषण की इस घटना ने क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया है। स्थानीय लोगों ने आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई कर रही है। उधम सिंह नगर पुलिस ने कहा कि वे घटना से जुड़े सभी तथ्यों की जांच कर रहे हैं और दोषी को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे। इस घटना ने एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

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