Champai soren - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 27 Aug 2024 10:31:27 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Champai soren - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 झारखंड की सियासत में हलचल, पूर्व सीएम चंपई सोरेन भाजपा में होंगे शामिल। https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/jharkhands-politics-is-in-turmoil/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/jharkhands-politics-is-in-turmoil/#respond Tue, 27 Aug 2024 10:31:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4454 झारखंड में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की घोषणा करने वाले हैं। भाजपा प्रदेश प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस खबर की पुष्टि की। चंपई सोरेन 30 …

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झारखंड में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की घोषणा करने वाले हैं। भाजपा प्रदेश प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस खबर की पुष्टि की। चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में भाजपा में औपचारिक रूप से शामिल होंगे। चंपई सोरेन ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और भाजपा में शामिल होने के निर्णय की पुष्टि की। उनकी दिल्ली की यह यात्रा उनकी झामुमो से अलग होने की अटकलों के बीच आई है। चंपई ने झामुमो नेतृत्व पर अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया और एक नई राजनीतिक राह तलाशने की बात कही थी।

चंपई सोरेन की राजनीति में एक लंबी यात्रा रही है। उन्होंने 1991 में निर्दलीय विधायक के रूप में राजनीति में कदम रखा और फिर 1995 में झामुमो के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 2005, 2009, 2014 और 2019 में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। झारखंड के आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही है, जिससे उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के उपनाम से जाना जाता है। चंपई ने शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के साथ मिलकर झारखंड के आदिवासी समुदाय के हितों के लिए काम किया।

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चंपई ने 2010 से 2014 तक विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली और 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री पदों पर कार्य किया। हाल ही में, 31 जनवरी 2024 को भूमि घोटाले के आरोपों में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया। लेकिन, जुलाई 2024 में हेमंत सोरेन की जमानत पर रिहाई के बाद चंपई को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया और वे फिर से कैबिनेट मंत्री के पद पर नियुक्त हुए।

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चंपई सोरेन के झामुमो से अलग होने और भाजपा में शामिल होने के निर्णय ने झारखंड की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे के बाद झामुमो के नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए थे और एक नई राजनीतिक दिशा की ओर कदम बढ़ाया। अब देखना यह होगा कि भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी राजनीतिक यात्रा कैसी रहती है और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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कोल्हान में JMM की स्थिति पर चंपई सोरेन का प्रभाव, विस चुनाव में पार्टी को झटका लगने की संभावना. https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/status-of-jmm-in-kolhan/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/status-of-jmm-in-kolhan/#respond Mon, 19 Aug 2024 06:41:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4360 चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में एक महत्वपूर्ण और लंबा राजनीतिक सफर रहा है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनका यह सफर समाप्ति की ओर है। चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में झामुमो की जड़ें जमाने में एक मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं। अलग राज्य आंदोलन के …

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चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में एक महत्वपूर्ण और लंबा राजनीतिक सफर रहा है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनका यह सफर समाप्ति की ओर है। चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में झामुमो की जड़ें जमाने में एक मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं। अलग राज्य आंदोलन के दौरान से ही वे ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से लोकप्रिय रहे हैं और उनका जनमानस पर प्रभाव व्यापक रहा है। चंपई सोरेन ने मजदूर आंदोलनों में भी एक अहम भूमिका अदा की है, जिसमें उन्होंने बड़े औद्योगिक घरानों को सम्मानजनक समझौतों के लिए मजबूर किया। उनके इस प्रभाव के कारण ही झामुमो ने कोल्हान प्रमंडल में एक अभेद्य गढ़ बना रखा था, जैसा कि संताल प्रमंडल में भी देखने को मिलता है। यह प्रभाव ही था जिसके चलते विपरीत परिस्थितियों में उन्हें मुख्यमंत्री पद भी सौंपा गया।

हालांकि, चंपई सोरेन के राजनीतिक सफर में एक मोड़ तब आया जब उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में उनकी नाराजगी की खबरें छनकर आने लगीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस नाराजगी के चलते वे झामुमो से अलग रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। लेकिन जब उन्हें हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, तो यह संभावना बनी कि वे पार्टी में ही बने रहेंगे। अब सवाल यह है कि यदि चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं, तो झामुमो को कोल्हान प्रमंडल में किस प्रकार का झटका लग सकता है? खासकर तब, जब पिछली विधानसभा चुनावों में झामुमो ने इस प्रमंडल में भाजपा का खाता भी नहीं खुलने दिया था। कोल्हान प्रमंडल के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी पराजित होना पड़ा था।

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भाजपा ने इस बार कोल्हान क्षेत्र को लेकर अपनी रणनीति को मजबूत किया है और चंपई सोरेन के संभावित भाजपा में शामिल होने को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा के बड़े रणनीतिकारों ने कोल्हान क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चंपई सोरेन के प्रभाव का लाभ उठाने की योजना बनाई है। बंगाल भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की मध्यस्थता ने इस प्रक्रिया को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। चंपई सोरेन ने हाल ही में दिल्ली रवाना होने से पहले कोलकाता के एक बड़े होटल में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की, जिसके बाद वे दिल्ली की ओर रवाना हुए। इस घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। अगर चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं, तो यह झामुमो के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर कोल्हान प्रमंडल में, जहां उनकी अनुपस्थिति में झामुमो के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चंपई सोरेन का यह कदम झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव लाता है। झामुमो के लिए यह एक कठिन दौर साबित हो सकता है, जबकि भाजपा के लिए यह एक बड़ी सफलता हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें इस पूरे घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है।

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“मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड विधानसभा में बहुमत साबित कर कैबिनेट का विस्तार किया, तीन नये चहरे भी होंगे शामिल। https://chaupalkhabar.com/2024/07/08/chief-minister-hemant-soren/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/08/chief-minister-hemant-soren/#respond Mon, 08 Jul 2024 13:25:14 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3869 सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड विधानसभा में बहुमत साबित कर एक बार फिर अपनी सरकार की स्थिति को मजबूत किया। इसके साथ ही, दोपहर चार बजे उनके नेतृत्व में कैबिनेट का विस्तार भी हुआ। राजभवन में आयोजित इस समारोह में सभी नए मंत्रियों को राज्यपाल द्वारा पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। …

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सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड विधानसभा में बहुमत साबित कर एक बार फिर अपनी सरकार की स्थिति को मजबूत किया। इसके साथ ही, दोपहर चार बजे उनके नेतृत्व में कैबिनेट का विस्तार भी हुआ। राजभवन में आयोजित इस समारोह में सभी नए मंत्रियों को राज्यपाल द्वारा पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। विशेष रूप से, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को हेमंत सोरेन के बाद कैबिनेट में नंबर दो की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह हेमंत सोरेन का तीसरा कार्यकाल है। नए कैबिनेट में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सात, कांग्रेस के चार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक मंत्री शामिल किए गए हैं। कांग्रेस से डॉ. इरफान अंसारी और दीपिका पांडेय सिंह को नए चेहरों के रूप में शामिल किया गया है, जबकि झामुमो से बैद्यनाथ राम को भी नई भूमिका में प्रस्तुत किया गया है। हालांकि, बैद्यनाथ राम पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं।

शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में आयोजित किया गया था, जिसमें मंत्रियों, विभागीय सचिवों और कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। सबसे पहले चंपई सोरेन ने शपथ ली और फिर अन्य मंत्रियों ने एक-एक कर शपथ ग्रहण की। इस प्रकार, चंपई सोरेन ने कैबिनेट में नंबर दो की स्थिति हासिल की। उनके इस नई जिम्मेदारी को लेने से पार्टी में उनके नाराज होने की अफवाहों पर भी विराम लग गया है झारखंड की विधानसभा में कुल 81 विधायक हैं, जिसके आधार पर मुख्यमंत्री समेत कुल 12 मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती है। हेमंत सोरेन सरकार ने पहले चार वर्षों में 11 मंत्रियों के साथ ही काम चलाया। इनमें झामुमो के छह, कांग्रेस के चार और राजद के एक मंत्री शामिल थे। इस बार झामुमो के एक और सदस्य को शामिल करके मंत्रियों की संख्या सात कर दी गई है। इस प्रकार, अब कैबिनेट अपने पूर्ण स्वरूप में है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, किसी भी राज्य में सांसदों अथवा विधायकों की संख्या के 15 प्रतिशत सदस्यों को ही कैबिनेट में रखा जा सकता है। झारखंड में 81 विधायकों के हिसाब से यह संख्या 12 तक होती है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में अब कैबिनेट इस प्रकार से तैयार है:

1. हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झामुमो
2. चंपई सोरेन, झामुमो
3. डा. रामेश्वर उरांव, कांग्रेस
4. सत्यानंद भोक्ता, राजद
5. बैद्यनाथ राम, झामुमो
6. दीपक बिरुआ, झामुमो
7. बन्ना गुप्ता, कांग्रेस
8. डा. इरफान अंसारी, कांग्रेस
9. मिथिलेश कुमार ठाकुर, झामुमो
10. हफीजुल हसन, झामुमो
11. बेबी देवी, झामुमो
12. दीपिका पांडेय सिंह, कांग्रेस

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हेमंत सोरेन की इस नई कैबिनेट में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि विभिन्न दलों से अनुभवी और नए चेहरों का समावेश किया गया है, जो राज्य के समग्र विकास के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। चंपई सोरेन की नंबर दो की स्थिति उन्हें पार्टी में उनके कद और महत्व को दर्शाती है। इसके साथ ही, कांग्रेस और राजद के मंत्रियों की भागीदारी सरकार की सहयोगी रणनीति को मजबूत करती है। इस कैबिनेट विस्तार से सरकार के आगामी कार्यकाल में कई नई योजनाओं और विकास कार्यों की उम्मीद की जा रही है। हेमंत सोरेन ने अपने तीसरे कार्यकाल में विकास और समृद्धि को प्राथमिकता देने की बात कही है, जिससे झारखंड के लोगों की उम्मीदें और अधिक बढ़ गई हैं। नई कैबिनेट के गठन के बाद, सभी मंत्रियों से अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाने की अपेक्षा की जा रही है, ताकि राज्य में प्रगति और विकास की नई लहर आए।

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चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, हेमंत सोरेन बनेंगे नए मुख्यमंत्री. https://chaupalkhabar.com/2024/07/04/champai-soren-ne-jharkhand-ke-mu/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/04/champai-soren-ne-jharkhand-ke-mu/#respond Thu, 04 Jul 2024 08:41:19 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3843 झारखंड में हाल ही में राजनीतिक घटनाक्रम में बड़ी हलचल मची है। राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बुधवार की देर शाम को वह राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश …

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झारखंड में हाल ही में राजनीतिक घटनाक्रम में बड़ी हलचल मची है। राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बुधवार की देर शाम को वह राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसका मतलब है कि हेमंत सोरेन एक बार फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायकों के बीच सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करने के लिए तैयार हैं। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन के नेताओं और विधायकों ने रांची में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के आवास पर एक बैठक के दौरान सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को जेएमएम विधायक दल का नेता चुना है। पार्टी के एक सूत्र द्वारा न्यूज एजेंसी को बताया गया की , “बैठक में चंपई सोरेन के स्थान पर हेमंत सोरेन को लाने का फैसला लिया गया है।

झारखंड में JMM की सरकार बनने का दावा पेश करने के बाद JMM के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन द्वारा बयान दिया गया,उन्होंने कहा की “CM (चंपई सोरेन) ने आपको सब कुछ बता दिया है। हम आपको सब कुछ विस्तार से बताएंगे। हमने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है। राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद झारखंड के सीएम चंपई सोरेन ने कहा, “कुछ दिन पहले, मुझे मुख्यमंत्री बनाया गया और मुझे राज्य की जिम्मेदारी सौपी गयी थी । परन्तु अब स्थिती बदल गयी है और हेमंत सोरेन के वापस आने के बाद, हमारे गठबंधन ने यह निर्णय लिया है और हमने हेमंत सोरेन को हमारा नेता चुना।है , जिसके बाद अब मैं इस मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देता हूँ।

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हेमंत सोरेन को लगभग 5 माह के बाद 28 जून को जेल से रिहा कर दिया गया है। हाई कोर्ट द्वारा कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत दे दी गयी हैं । 31 जनवरी को गिरफ्तारी से पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। हेमंत सोरेन पर आरोप है की उन्होंने 31 करोड़ रुपए से अधिक की 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल की है। और जिसके बाद ED द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद 31 जनवरी को कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले गिरफ्तार कर लिया था। हेमंत सोरेन की वापसी झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उन्होंने पहले भी मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं और राज्य के विकास में उनका अहम योगदान रहा है। उनकी वापसी से पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक खुश हैं और उम्मीद है कि वे फिर से राज्य की बेहतरी के लिए काम करेंगे।

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इस राजनीतिक घटनाक्रम से झारखंड में एक नई सरकार बनने की संभावना बढ़ गई है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा और उनके सहयोगी दल राज्य की नई सरकार बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। राज्य के नागरिकों को भी उम्मीद है कि यह नया नेतृत्व राज्य के विकास और समृद्धि के लिए सकारात्मक कदम उठाएगा।

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