China - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 17 Sep 2024 13:40:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg China - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 भारत-अमेरिका के बढ़ते संबंधों से चीन और रूस चिंतित, वैश्विक राजनीति में नया मोड़. https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/growing-relations-between-india-and-usa/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/growing-relations-between-india-and-usa/#respond Tue, 17 Sep 2024 13:40:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4943 भारत और अमेरिका के बीच के मजबूत होते संबंधों ने वैश्विक राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। खासकर चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह गठबंधन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बढ़ती मित्रता का आधार दोनों देशों के समान विचारधारा पर आधारित है, जो विभिन्न आवाजों का आदर, समावेशिता, शांति …

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भारत और अमेरिका के बीच के मजबूत होते संबंधों ने वैश्विक राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। खासकर चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह गठबंधन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बढ़ती मित्रता का आधार दोनों देशों के समान विचारधारा पर आधारित है, जो विभिन्न आवाजों का आदर, समावेशिता, शांति और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को प्राथमिकता देती है। अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और अमेरिका के प्रबंधन एवं संसाधन के उपविदेश मंत्री, रिचर्ड वर्मा ने इस संबंध की मजबूती पर जोर दिया है। वर्मा, जो भारत में अमेरिका के राजदूत रह चुके हैं, ने हाल ही में वॉशिंगटन डीसी स्थित हडसन इंस्टीट्यूट में एक कार्यक्रम में भारत-अमेरिकी संबंधों पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “भारत-अमेरिका संबंध ठोस बुनियाद और उज्ज्वल भविष्य के साथ एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं।”

रिचर्ड वर्मा के अनुसार, अमेरिका और भारत के संबंधों में हर मुद्दे पर सहमति संभव नहीं है, लेकिन यह संबंध राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में पहले से कहीं अधिक मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और वैश्विक स्थिरता को लेकर न केवल संवाद बढ़ा है, बल्कि नई-नई साझेदारियाँ भी आकार ले रही हैं। उदाहरण के तौर पर ‘क्वाड’ को देखा जा सकता है, जो अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच एक सुरक्षा सहयोग है। ‘क्वाड’ का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है। हाल ही में रिचर्ड वर्मा ने इस पर भी टिप्पणी की कि यह सहयोग सिर्फ किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।

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वर्मा ने यह भी स्वीकार किया कि भारत-अमेरिका संबंधों में चुनौतियाँ हैं, विशेषकर रूस और चीन के बढ़ते सहयोग के संदर्भ में। उन्होंने कहा, “मुझे रूस-चीन के बढ़ते सुरक्षा सहयोग को लेकर चिंता है, क्योंकि यह सहयोग रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने गैरकानूनी युद्ध में मदद कर सकता है।” यह साझेदारी न केवल रूस को यूक्रेन में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर सकती है, बल्कि चीन को भी नए सुरक्षा संसाधन उपलब्ध करा सकती है, जो कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक चुनौती साबित हो सकती है। यह क्षेत्र पहले से ही भू-राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बना हुआ है, और चीन की बढ़ती आक्रामकता इसे और जटिल बना सकती है।

वर्मा ने भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग को और अधिक मजबूत करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सहयोग को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए दोनों देशों को कड़ी मेहनत करनी होगी। इससे न केवल व्यापार संबंध मजबूत होंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर दोनों देशों का प्रभाव भी बढ़ेगा। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपने सामूहिक नागरिक समाजों का समर्थन जारी रखना चाहिए ताकि बोलने की स्वतंत्रता और विभिन्न विचारों को महत्व दिया जा सके।

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क्वाड को लेकर हाल ही में हुई चर्चाओं में यह भी बताया गया कि इसका चौथा शिखर सम्मेलन अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा उनके डेलवेयर स्थित आवास पर आयोजित किया जाएगा। इस साल क्वाड की मेजबानी भारत को करनी थी, लेकिन अब वह इसे अगले साल आयोजित करेगा। यह शिखर सम्मेलन भारत-अमेरिका और उनके सहयोगी देशों के बीच सुरक्षा और आर्थिक रणनीतियों को मजबूत करने का एक और मौका साबित होगा।

भारत-अमेरिका संबंधों का यह नया अध्याय न केवल इन दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है। चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह एक संकेत है कि विश्व की शक्ति संरचना में बदलाव हो रहा है। जहां अमेरिका और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मिलकर वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं, वहीं रूस और चीन अपने-अपने हितों के लिए नई साझेदारियों को बढ़ावा दे रहे हैं। इस बदलते परिदृश्य में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में।

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सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक, भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/saint-petersburg-in-br/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/saint-petersburg-in-br/#respond Sat, 14 Sep 2024 08:04:29 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4864 बीते गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों की बैठक हुई, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के सुरक्षा सलाहकार सम्मिलित हुए। इस बैठक में भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और सीमा विवाद को …

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बीते गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों की बैठक हुई, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के सुरक्षा सलाहकार सम्मिलित हुए। इस बैठक में भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और सीमा विवाद को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत भी हुई। खासतौर पर, चीन के विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख के गलवान सहित चार विवादित क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने पर चर्चा की।

बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, “एनएसए अजित डोभाल और चीन के वरिष्ठ विदेश मंत्री वांग यी ने बैठक के बाद अलग से एक द्विपक्षीय चर्चा की। इस दौरान दोनों देशों ने सीमा विवाद से संबंधित हालिया घटनाओं पर विचार किया और भविष्य में संबंधों को सुधारने के लिए आपसी सहयोग पर सहमति व्यक्त की।” चीन की ओर से यह कहा गया कि हाल के वर्षों में भारत और चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए चार प्रमुख बिंदुओं से पीछे हटने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया है। इन क्षेत्रों में गलवान घाटी भी शामिल है, जो 2020 में हिंसक संघर्ष का केंद्र रही थी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओं से सैनिक पीछे हट चुके हैं, और वर्तमान स्थिति सामान्य और नियंत्रण में है।”

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प्रवक्ता माओ निंग से जब सवाल किया गया कि क्या दोनों देश पूर्वी लद्दाख में चार वर्षों से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के बाद अब अपने संबंधों को सुधारने के करीब हैं, तो उन्होंने कहा, “दोनों देशों ने अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों को वापस बुला लिया है और वर्तमान में सीमा पर स्थिति स्थिर है। यह दोनों देशों के संबंधों को सामान्य स्थिति में लाने का संकेत है।” बैठक के दौरान भारत और चीन दोनों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और आपसी विश्वास बहाल करने की आवश्यकता है। दोनों पक्षों ने एक ऐसे माहौल को विकसित करने पर जोर दिया, जिसमें सीमा पर तनाव को कम किया जा सके और आर्थिक तथा सामरिक संबंधों को मजबूत बनाया जा सके।

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हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के बाद भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे, लेकिन दोनों देशों ने मौजूदा स्थिति को संतोषजनक बताया है। भारत-चीन संबंधों में सुधार और सीमा विवाद को हल करने की दिशा में यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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भारत, चीन और ब्राजील मिलकर रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कर सकते हैं? पुतिन ने शांति वार्ता के लिए किया बड़ा खुलासा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/india-china-and-brazil-together/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/india-china-and-brazil-together/#respond Thu, 05 Sep 2024 09:44:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4676 रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत लगातार कूटनीतिक प्रयास कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ महीनों में रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया है। उनकी ओर से कई बार शांति वार्ता की पेशकश की गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है …

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रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत लगातार कूटनीतिक प्रयास कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ महीनों में रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया है। उनकी ओर से कई बार शांति वार्ता की पेशकश की गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध पर विराम लगाने के लिए मध्यस्थता करने को तैयार है। इसी कड़ी में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस मुद्दे पर भारत की संभावित भूमिका को महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश यूक्रेन में शांति वार्ता के मध्यस्थ बन सकते हैं। यह बयान उन्होंने ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में दिया, जहां उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की। पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस का पहला लक्ष्य यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र पर कब्जा करना है, जो कि इस युद्ध का मुख्य कारण बना हुआ है।

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पिछले महीने पीएम मोदी दो दिवसीय यात्रा पर रूस गए थे। यह रूस-यूक्रेन युद्ध के आरंभ के बाद से उनकी पहली रूस यात्रा थी। उस दौरान प्रधानमंत्री ने मासूम लोगों के जीवन की क्षति को नकारते हुए शांति के महत्व पर जोर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि भावी पीढ़ियों के भविष्य के लिए शांति आवश्यक है और युद्ध से किसी समाधान की उम्मीद करना व्यर्थ है। उन्होंने युद्ध को समाप्त करने के लिए वार्ता को एकमात्र रास्ता बताया। भारत की बढ़ती भूमिका पर अमेरिकी दृष्टिकोण भी सकारात्मक है। कई मौकों पर अमेरिका ने इस बात को दोहराया है कि भारत जैसे देश युद्ध को रोकने में सक्षम हो सकते हैं।

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यूक्रेन की ओर से भी भारत की मध्यस्थता को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया गया है। पीएम मोदी जब यूक्रेन के दौरे पर गए थे, तब यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने शांति शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए भारत के नाम का प्रस्ताव रखा था। जेलेंस्की ने व्यक्तिगत तौर पर पीएम मोदी से इस शिखर सम्मेलन का नेतृत्व करने की अपील की थी। यह कूटनीतिक रूप से भारत के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका साबित हो सकती है, क्योंकि जून में स्विट्जरलैंड में आयोजित प्रथम यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में 90 से अधिक देशों ने भाग लिया था। भारत के पास यह अवसर है कि वह इस संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।

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चीन का दलाई लामा पर बयान: ‘धर्म की आड़ में इनसे दूर रहें…’; धर्मशाला में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की दलाई लामा से मुलाकात पर नाराज हुआ चीन https://chaupalkhabar.com/2024/06/19/statement-on-chinas-dalai-lama/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/19/statement-on-chinas-dalai-lama/#respond Wed, 19 Jun 2024 09:57:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3643 अमेरिकी कांग्रेस सदस्य माइकल मैककॉल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय अमेरिकी कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से उनके आवास पर मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व अमेरिकी सदन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी भी शामिल थीं। दलाई लामा से मुलाकात से पहले, अमेरिकी प्रतिनिधियों ने मुख्य तिब्बती मंदिर में …

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अमेरिकी कांग्रेस सदस्य माइकल मैककॉल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय अमेरिकी कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से उनके आवास पर मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व अमेरिकी सदन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी भी शामिल थीं। दलाई लामा से मुलाकात से पहले, अमेरिकी प्रतिनिधियों ने मुख्य तिब्बती मंदिर में आयोजित एक सार्वजनिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा हवाई अड्डे पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अधिकारियों ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। धर्मशाला में त्सुगलागखांग परिसर के प्रांगण में आयोजित अभिनंदन समारोह में बच्चों ने तिब्बती संस्कृति का प्रदर्शन किया, जो अद्वितीय और रंगारंग था।

धर्मशाला में इस मुलाकात के दौरान, माइकल मैककॉल ने दलाई लामा को तिब्बत के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने हेतु ‘द रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ की फ्रेमयुक्त प्रति भेंट की।पिछले सप्ताह, अमेरिकी कांग्रेस द्वारा एक विधेयक पारित किया गया , जिसमें बीजिंग से दलाई लामा और अन्य तिब्बती नेताओं के साथ तिब्बत की स्थिति और शासन से आग्रह किया गया की विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जाये । रेडियो फ्री एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक , अमेरिकी प्रतिनिधि सभा द्वारा तिब्बत-चीन विवाद के समाधान को बढ़ावा देने वाला अधिनियम पारित कर दिया गया है , जिसे ‘द रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ के रूप में भी जाना जाता है, और अब यह अधिनियम कानून बनने के लिए राष्ट्रपति जो बिडेन के हस्ताक्षर के पास भेजा जाएगा।

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इस बीच, चीन ने मंगलवार को अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की धर्मशाला यात्रा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अमेरिका से आग्रह किया कि वह दलाई समूह की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति को पूरी तरह से पहचानें और दुनिया को गलत संकेत भेजना बंद करें। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा कहा गया कि 14वें दलाई लामा कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं, बल्कि धर्म की आड़ में चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त एक राजनीतिक निर्वासित व्यक्ति हैं।

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इस घटनाक्रम ने तिब्बत-चीन संबंधों में नए मोड़ लाए हैं, जहां तिब्बत के प्रति अमेरिकी समर्थन का संकेत मिलता है, जबकि चीन ने इस पर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है। दलाई लामा के साथ अमेरिकी कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की यह मुलाकात तिब्बत की स्थिति के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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विदेश मंत्री का पदभार संभालते ही जयशंकर द्वारा चीन-पाकिस्तान को दी गई यह नसीहत https://chaupalkhabar.com/2024/06/11/possible-to-take-over-as-foreign-minister/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/11/possible-to-take-over-as-foreign-minister/#respond Tue, 11 Jun 2024 07:32:20 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3551 डॉ. एस. जयशंकर ने आज (11 जून) को विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल लिया है। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “हम सभी को पूरा विश्वास है कि यह हमें ‘विश्व बंधु’ के रूप में स्थापित करेगा, एक ऐसा देश जो बहुत ही अशांत दुनिया में है, एक बहुत ही विभाजित दुनिया में है, …

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डॉ. एस. जयशंकर ने आज (11 जून) को विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल लिया है। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “हम सभी को पूरा विश्वास है कि यह हमें ‘विश्व बंधु’ के रूप में स्थापित करेगा, एक ऐसा देश जो बहुत ही अशांत दुनिया में है, एक बहुत ही विभाजित दुनिया में है, संघर्षों और तनावों की दुनिया में है।” हालाँकि जयशंकर 2019 से ही देश के विदेश मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ हमारे संबंध अलग-अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग-अलग हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन दोनों देशों के साथ संबंधों में विविधता और चुनौतीपूर्ण मुद्दे मौजूद हैं।

डॉ. एस. जयशंकर का विदेश मंत्री के रूप में कार्यकाल महत्वपूर्ण और घटनाओं से भरपूर रहा है। 2019 में इस पद को संभालने से पहले, वह 2015 से 2018 तक भारत के विदेश सचिव के रूप में कार्यरत थे। वह विदेश मंत्री की भूमिका निभाने वाले पहले पूर्व विदेश सचिव भी बने। इस नई जिम्मेदारी के साथ उन्होंने भारत की विदेश नीति को नई दिशा दी और वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को मजबूत किया। जयशंकर के कार्यकाल के दौरान कई बड़ी वैश्विक घटनाएं घटीं। रूस-यूक्रेन संघर्ष, इजरायल-हमास युद्ध, और कोविड-19 महामारी जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं का सामना करना पड़ा। इन सभी चुनौतियों के बीच जयशंकर ने भारत की विदेश नीति को कुशलता से संभाला और वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को सुदृढ़ किया।

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कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्होंने विभिन्न देशों के साथ समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महामारी के समय में उन्होंने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत विभिन्न देशों को वैक्सीन प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाई, जिससे भारत की वैश्विक छवि और मजबूत हुई। इसके साथ ही उन्होंने महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। रूस-यूक्रेन संघर्ष और इजरायल-हमास युद्ध जैसी घटनाओं के दौरान भी जयशंकर ने भारत की तटस्थ और संतुलित नीति को बनाए रखा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग करते हुए भारत के हितों की रक्षा की और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए अपना योगदान दिया।

जयशंकर के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले। उन्होंने विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और सुदृढ़ किया। उनके कुशल नेतृत्व और रणनीतिक दृष्टिकोण ने भारत को एक मजबूत और विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित किया। जयशंकर ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने विभिन्न मंचों पर भारत के हितों की पुरजोर वकालत की और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। उनके नेतृत्व में भारत ने विभिन्न देशों के साथ व्यापार, सुरक्षा, और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया।

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विदेश मंत्री के रूप में डॉ. एस. जयशंकर का कार्यकाल न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण रहा है। उनके नेतृत्व में भारत ने एक मजबूत और स्थिर विदेश नीति का पालन किया और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया। जयशंकर के अनुभव और दूरदर्शिता ने भारत को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया और भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

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जयशंकर ने कहा 2014 के बाद देश में बदला माहौल, ‘विदेश नीति के साथ साथ अब आतंकवाद से निपटने का तरीका भी बेहतर हुआ https://chaupalkhabar.com/2024/04/13/jaishankar-said-in-the-country-after-2014/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/13/jaishankar-said-in-the-country-after-2014/#respond Sat, 13 Apr 2024 08:28:57 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2926 विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में युवाओं के साथ एक बातचीत में भारत-चीन सीमा विवाद पर बातचीत की। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि जब तक सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जातीं, सेना को सीमा पर ही रहना होगा। उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश …

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में युवाओं के साथ एक बातचीत में भारत-चीन सीमा विवाद पर बातचीत की। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि जब तक सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जातीं, सेना को सीमा पर ही रहना होगा। उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश का रक्षा बजट बढ़कर 14,500 करोड़ रुपए हो गया है, जो कि पहले 3500 करोड़ रुपए था।

जयशंकर ने विदेश नीति में भी महत्वपूर्ण परिवर्तनों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि भारत को 1962 के युद्ध से सबक सीखना चाहिए था, लेकिन 2014 तक सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में कोई प्रगति नहीं हुई। इसी संदर्भ में, जयशंकर ने शुक्रवार को युवाओं के साथ भारत के वैश्विक उत्थान और बेहतर अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने चीन के साथ भारत को यथार्थवादी नीति अपनाने की सलाह दी और इतिहास से सबक सीखने की जरूरत बताई।

जयशंकर ने इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था, जिसके बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को चीन के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की थी। पटेल ने चीन की संदीप्ति को भलीभाँति समझा था, जबकि नेहरू ने इसे उपेक्षित किया था। जयशंकर ने इस परिस्थिति को व्यावहारिक, जमीनी दृष्टिकोण और नेहरू को आदर्शवादी वामपंथी दृष्टिकोण के बीच तुलना की। उन्होंने जोर दिया कि भारत सीमा पर तनाव नहीं चाहता, लेकिन सीमाएं सुरक्षित होने तक सेनाएं सीमा पर ही रहेंगीं।

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जयशंकर ने उदाहरण देते हुए बताया कि जब 2022 में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, तो 18,282 भारतीय छात्रों को निकाला गया था, जिनमें से अधिकतर छात्र थे। इस घटना में मोदी सरकार ने भारतीय युवाओं की सुरक्षा की गारंटी दी। जयशंकर ने उत्कृष्ट भारत-अमेरिका संबंधों की भी प्रशंसा की और कहा कि भारत के साथ अमेरिका की राजनीतिक संबंध मोदी की विश्वसनीयता के कारण मजबूत हो गए हैं। इसका एक उदाहरण यह है कि एपल ने चीन के बजाय भारत में आइफोन बनाने का फैसला किया है। जयशंकर ने कहा कि अमेरिका हमेशा प्रधानमंत्री मोदी के साथ साझेदारी चाहेगा और अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के साथ अच्छे संबंध बनाएगा।

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