Chirag paswan - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 01 Oct 2024 11:27:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Chirag paswan - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 चिराग पासवान का बड़ा बयान, “मैं सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा, पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने को तैयार”. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/#respond Tue, 01 Oct 2024 11:27:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5185 लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और …

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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और यदि आवश्यक हुआ, तो मंत्री पद छोड़ने में भी संकोच नहीं करेंगे। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है, और अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

चिराग पासवान ने साफ कहा कि वह अपने पिता के उदाहरण का पालन करते हुए, अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने भी उस समय मंत्री पद छोड़ दिया था, जब वह महसूस करते थे कि दलितों के हितों का उल्लंघन हो रहा है।” उनका इशारा स्पष्ट था कि वह भी उसी तरह का फैसला लेने के लिए तैयार हैं। चिराग ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता रामविलास पासवान ने यूपीए सरकार में दलितों के मुद्दों पर समझौता नहीं किया था और मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

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हालांकि, चिराग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह वर्तमान में एनडीए गठबंधन के साथ बने रहेंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा, “जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम एनडीए का हिस्सा रहेंगे।” पीएम मोदी की तारीफ करते हुए चिराग ने मौजूदा सरकार को दलितों के प्रति संवेदनशील बताया। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने दलितों की समस्याओं और उनकी चिंताओं को प्राथमिकता दी है। चिराग पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनकी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उनके पास पार्टी के 5 सांसदों का समर्थन है, जो उन्हें भाजपा के सहयोगी दल के रूप में मजबूती प्रदान करता है। हालांकि, इस बयान से यह संकेत मिलता है कि चिराग पासवान अपने राजनीतिक भविष्य के लिए स्वतंत्र रूप से सोच रहे हैं और अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

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पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान के इस बयान को उनकी राजनीतिक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि चिराग भाजपा नेतृत्व को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ भाजपा की बढ़ती नजदीकियों से पूरी तरह खुश नहीं हैं। यह भी संभव है कि चिराग अपनी पार्टी को भाजपा की छाया से बाहर निकालकर स्वतंत्र रूप से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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उपचुनावों की तैयारी में जुटी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), चिराग पासवान का यूपी दौरा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/in-preparation-for-by-elections/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/in-preparation-for-by-elections/#respond Fri, 27 Sep 2024 08:37:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5123 उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनावों के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी सिलसिले में बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी यूपी की राजनीतिक जमीन पर पैर जमाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रमुख, चिराग पासवान, इन दिनों उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। गुरुवार को …

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उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनावों के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी सिलसिले में बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी यूपी की राजनीतिक जमीन पर पैर जमाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रमुख, चिराग पासवान, इन दिनों उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। गुरुवार को चिराग कौशांबी जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए नजर आए। उनकी पार्टी का लक्ष्य है दलित समुदाय के साथ-साथ अन्य वर्गों के मतदाताओं को अपने पक्ष में करना।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और जमुई से सांसद, अरुण भारती ने चिराग पासवान के इस दौरे पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के साथ एलजेपी-आर का गठबंधन केवल बिहार विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए है। यूपी जैसे अन्य राज्यों में पार्टी एनडीए के साथ किसी भी प्रकार का गठबंधन नहीं करेगी। अरुण भारती ने कहा, “हमारा मुख्य फोकस उत्तर प्रदेश में अपने संगठन का विस्तार करना है और ऐसे लोगों का समर्थन करना है जो यूपी में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।”

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पार्टी की रणनीति यह है कि वह दलित, पासवान और पासी समुदाय के लोगों को एकजुट कर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करेगी। पार्टी पहले ही ऐलान कर चुकी है कि 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में वह 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चिराग पासवान उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लगातार दौरे कर रहे हैं और उनकी कोशिश है कि पार्टी के लिए यूपी में एक सशक्त आधार तैयार हो।

चिराग पासवान ने कौशांबी में अपने दौरे की शुरुआत की और इसके बाद वह गोरखपुर, प्रतापगढ़, बलिया और प्रयागराज में भी रैलियों को संबोधित करेंगे। उनके दौरे की तारीखें इस प्रकार हैं: गोरखपुर में 20 अक्टूबर, प्रतापगढ़ में 16 नवंबर, बलिया में 4 दिसंबर और प्रयागराज में 25 दिसंबर को रैलियां होंगी। इन रैलियों के माध्यम से चिराग पासवान यूपी में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल्द ही उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें फूलपुर, गाजियाबाद, मीरापुर, करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, मझवां, कटेहरी और खैर जैसी प्रमुख विधानसभा सीटें शामिल हैं। अरुण भारती ने साफ किया कि पार्टी इन सीटों पर उपचुनाव लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सपा और बसपा सरकारों ने दलितों, पासवान और पासी समुदाय के लोगों को केवल वोट बैंक की तरह देखा है और उन्हें कभी भी उचित मंच या अवसर नहीं दिया है। इसी कारण अब एलजेपी-आर यूपी में इन वर्गों को एक मंच पर लाकर उनकी आवाज बनना चाहती है।

बिहार में हुए लोकसभा चुनावों में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का प्रदर्शन शानदार रहा था। पार्टी ने एनडीए के साथ मिलकर 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर जीत हासिल की थी, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा हो गया है। अब पार्टी उत्तर प्रदेश में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, और इस प्रक्रिया में उपचुनाव उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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चिराग पासवान ने गृह मंत्री अमित शाह से की मुलाकात, बिहार चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन पर जताई प्रतिबद्धता. https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/chirag-paswan-new-home-mantra/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/chirag-paswan-new-home-mantra/#respond Sat, 31 Aug 2024 07:39:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4561 केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दिया है, खासकर जब से चिराग पासवान की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार से अलग रुख रखती है। जातिगत जनगणना, लैटरल एंट्री …

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केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दिया है, खासकर जब से चिराग पासवान की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार से अलग रुख रखती है। जातिगत जनगणना, लैटरल एंट्री आरक्षण, और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चिराग पासवान के विचारों ने कई बार सत्ताधारी दल के साथ असहमति के संकेत दिए हैं।

हालांकि, इन अटकलों के बीच चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच संबंध अविभाज्य हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “नरेंद्र मोदी के प्रति मेरा प्यार अटल है। जब तक वह प्रधानमंत्री हैं, मैं उनसे अविभाज्य हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी और भाजपा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें। यह बयान उन अफवाहों को खारिज करता है जिनमें कहा जा रहा था कि चिराग पासवान और भाजपा के बीच संबंधों में खटास आ गई है।

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चिराग पासवान ने बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन पर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “हमारी पार्टी का बिहार और केंद्र में भाजपा के साथ गठबंधन है, और हम इस गठबंधन धर्म का पालन करेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी झारखंड जैसे राज्यों में भी एनडीए के अन्य साथियों के साथ गठबंधन के लिए तैयार है। “हम राष्ट्रीय स्तर पर और अपने गृह राज्य में गठबंधन धर्म का पालन करेंगे। हालांकि झारखंड जैसे राज्यों में हमारे पास कोई बंधन नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम वहां भाजपा के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं। अगर भाजपा और एनडीए के अन्य साथी हमें अपने साथ चाहते हैं, तो हम तैयार हैं,” चिराग ने कहा।

अपने चाचा और लोक जनशक्ति पार्टी के अलग हुए गुट के नेता, पशुपति पारस, के बारे में चिराग पासवान ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “उन्होंने (पारस) जनता का सारा समर्थन खो दिया है। वह लोकसभा चुनाव से पहले भी सभी लोगों से मिल रहे थे, लेकिन यह कवायद कोई फायदा नहीं पहुंचा पाई।” चिराग की यह टिप्पणी पारस की राजनीतिक स्थिति और उनके पार्टी में प्रभाव को लेकर एक स्पष्ट संदेश देती है।

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चिराग पासवान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति में असमंजस का माहौल है। बिहार में जातिगत जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दे केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद पैदा कर रहे हैं। इन मुद्दों पर चिराग पासवान का स्पष्ट रुख और भाजपा के साथ उनकी प्रतिबद्धता, बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। आगामी चुनाव में भाजपा और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के गठबंधन की संभावना इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों दल इन जटिल मुद्दों को कैसे संभालते हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर यूपीएससी की लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन रद्द, विपक्ष और सहयोगी दलों द्वारा किया गया था विरोध. https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/prime-minister-modi-2/#respond Tue, 20 Aug 2024 08:48:18 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4378 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने 17 अगस्त 2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सरकार के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशानुसार यूपीएससी के प्रमुख प्रीति सुदान को पत्र लिखकर इस विज्ञापन को रद्द करने की मांग की। यूपीएससी ने 17 अगस्त 2024 को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। ये पद सचिव और उपसचिव के थे, जो विभिन्न मंत्रालयों में भरे जाने थे। हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान नहीं था, जिससे विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूहों में असंतोष फैल गया।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का रामराज्य का ‘विकृत संस्करण’ संविधान को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है और बहुजनों के आरक्षण के अधिकार को छीनना चाहता है। राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इस मुद्दे को उजागर किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं, जो संविधान पर सीधा हमला है।

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सरकार के सहयोगी दलों में शामिल केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस भर्ती प्रक्रिया पर चिंता जताई। चिराग पासवान ने कहा कि किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं होने के बावजूद, सरकारी पदों पर आरक्षण लागू नहीं होने की स्थिति चिंताजनक है और वे इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के समर्थक हैं और उनकी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीति सुदान से अनुरोध किया कि 17 अगस्त को जारी विज्ञापन की समीक्षा की जाए और उसे रद्द कर दिया जाए।

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इस पत्र में जितेंद्र सिंह ने यूपीए सरकार के दौरान लेटरल एंट्री की पहल का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पहली बार केंद्र सरकार ने इस पर विचार किया था और 2013 में यूपीए सरकार ने इस प्रकार की नियुक्तियों की संभावना पर चर्चा की थी। साथ ही, उन्होंने यूआईडीएआई और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में नियुक्त सुपर ब्यूरोक्रेसी की भी चर्चा की। लेटरल एंट्री की इस प्रक्रिया के खिलाफ उठे विरोध को देखते हुए, सरकार ने इस भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का निर्णय लिया। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि आरक्षण के मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने अपनी नीति में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

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चर्चा का विषय बनी NDA की बैठक में कंगना रनौत और चिराग पासवन की मुलाकात। https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/nda-of-meeting-in-kangana-ranaut-and-ch/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/nda-of-meeting-in-kangana-ranaut-and-ch/#respond Fri, 07 Jun 2024 07:45:19 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3482 केंद्र सरकार के सेंट्रल हॉल में आज एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई, जिसमें एनडीए के सभी दलों के शीर्ष नेता, मुख्यमंत्रियों और सांसदों ने भाग लिया। इस बैठक में विशेष रूप से एजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान और भाजपा की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत के बीच हुई मुलाकात चर्चा का विषय …

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केंद्र सरकार के सेंट्रल हॉल में आज एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई, जिसमें एनडीए के सभी दलों के शीर्ष नेता, मुख्यमंत्रियों और सांसदों ने भाग लिया। इस बैठक में विशेष रूप से एजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान और भाजपा की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत के बीच हुई मुलाकात चर्चा का विषय रही। दोनों नेता एक-दूसरे से गले मिले और कुछ समय के लिए बातचीत की। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया। हालांकि एनडीए ने कुल 293 सीटें हासिल करके बहुमत के 272 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया। इस चुनाव परिणाम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और अब वे एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह 9 जून को शाम 6 बजे आयोजित किया जाएगा।

बैठक से पहले संसद परिसर में चिराग पासवान और कंगना रनौत की मुलाकात हुई। राजनीति में आने से पहले चिराग पासवान एक अभिनेता थे और उन्होंने कंगना रनौत के साथ फिल्म “मिले ना मिले हम” में काम किया था। इस फिल्म में दोनों की केमिस्ट्री काफी अच्छी थी। यह मुलाकात न केवल पुरानी यादों को ताजा करने का अवसर थी, बल्कि इससे राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई। कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। उनकी यह जीत भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। कंगना का राजनीति में आना और चुनाव जीतना एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि वे अपने विवादास्पद बयानों और स्पष्टवादी दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं। उनकी चुनावी जीत ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा के लिए एक नया जोश भर दिया है।

हालांकि, कंगना हाल ही में एक विवाद में भी फंस गई थीं। गुरुवार को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर उनके साथ बदसलूकी की घटना हुई। सीआईएसएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी, कुलविंदर कौर ने कंगना को थप्पड़ मार दिया। यह घटना एयरपोर्ट लाउंज में सुरक्षा जांच के दौरान हुई, जब कंगना और कुलविंदर कौर के बीच बहस हो गई। यह बहस कंगना द्वारा किसान आंदोलन के बारे में दिए गए बयानों को लेकर थी। इस घटना ने मीडिया और सोशल मीडिया में काफी चर्चा बटोरी। एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलों के नेताओं से मिलकर आगामी योजनाओं और रणनीतियों पर चर्चा की। बैठक में शामिल हुए नेताओं ने आगामी सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों पर विचार-विमर्श किया। बैठक का मुख्य उद्देश्य आने वाले समय में एनडीए के समग्र विकास और सहयोग को सुनिश्चित करना था।

सीआईएसएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी, कुलविंदर कौर ने कंगना को थप्पड़ मार दिया। यह घटना एयरपोर्ट लाउंज में सुरक्षा जांच के दौरान हुई, जब कंगना और कुलविंदर कौर के बीच बहस हो गई। यह बहस कंगना द्वारा किसान आंदोलन के बारे में दिए गए बयानों को लेकर थी।

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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने पिछले दस वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इन उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए, एनडीए की नई सरकार के सामने कई चुनौतियां भी होंगी। मोदी ने बैठक में अपने संबोधन में सभी नेताओं से अनुरोध किया कि वे एकजुट होकर देश की सेवा में जुटें और सभी दलों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा दें। चिराग पासवान और कंगना रनौत की मुलाकात के बारे में बात करते हुए, यह उल्लेखनीय है कि दोनों नेता राजनीति में आने से पहले फिल्मी दुनिया का हिस्सा थे। चिराग पासवान ने कंगना के साथ काम करने के अनुभव को साझा किया और दोनों ने फिल्म उद्योग की पुरानी यादों को ताजा किया। इस मुलाकात से यह स्पष्ट हुआ कि राजनीति में भी व्यक्तिगत संबंध महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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बैठक के दौरान, एनडीए के नेताओं ने आगामी योजनाओं पर विचार-विमर्श किया और देश के विभिन्न हिस्सों में विकास और सुधार के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक में आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय, और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया। सभी नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एनडीए की नई सरकार को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश के समग्र विकास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। कुल मिलाकर, एनडीए की इस बैठक में नेताओं के बीच आपसी सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने पिछले दो कार्यकालों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और अब नई सरकार से भी यही उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शपथ ग्रहण समारोह को लेकर सभी दलों में उत्साह और जोश का माहौल है। इस बैठक में हुई चर्चाओं और प्रस्तुत सुझावों से स्पष्ट है कि एनडीए की नई सरकार देश के विकास और समृद्धि के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सभी दलों के नेताओं ने एकजुट होकर देश की सेवा में जुटने का संकल्प लिया है।

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‘डेढ़ घंटे बाहर खड़ा था, मंझली मां ने…’, भावुक होकर बोले चिराग; चाचा को लेकर भी दिया जवाब https://chaupalkhabar.com/2024/04/08/stood-outside-for-an-hour-and-a-half-at-midnight/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/08/stood-outside-for-an-hour-and-a-half-at-midnight/#respond Mon, 08 Apr 2024 08:19:24 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2875 बिहार की राजनीतिक चर्चाओं में एक नई कड़ी जुड़ चुकी है, जिसमें लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के वक्तव्य और गतिविधियों को विशेष महत्व दिया जा रहा है। इस सप्ताह, हाजीपुर में स्व. रामविलास पासवान की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया, जिसमें चिराग पासवान ने भाग लिया। उन्होंने जिले के विभिन्न क्षेत्रों …

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बिहार की राजनीतिक चर्चाओं में एक नई कड़ी जुड़ चुकी है, जिसमें लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के वक्तव्य और गतिविधियों को विशेष महत्व दिया जा रहा है। इस सप्ताह, हाजीपुर में स्व. रामविलास पासवान की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया, जिसमें चिराग पासवान ने भाग लिया। उन्होंने जिले के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में भी भाग लिया।जफराबाद गांव में पूर्व पंचायत समिति सदस्य शिवप्रसाद राय की माता के श्राद्ध कार्यक्रम में भी चिराग पासवान शामिल हुए।

वहीं, मीनापुर में सत्येंद्र कुमार वर्मा की माता के निधन के उपरांत चौरासी भोज एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अजय बिहारी सिंह के पौत्र जयदीप कुमार के निधन के पश्चात श्रद्धांजलि सभा में भी उनकी उपस्थिति दर्शाई गई।हाजीपुर में चिराग ने मीडिया से अपनी बातें साझा की। उन्होंने चित्र पर पुष्प अर्पित कर आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। चिराग ने कहा, “चाचा पारस का आशीर्वाद लंबे समय से मुझे मिल रहा था, लेकिन अचानक उन्होंने अपना हाथ मेरे सर से क्यों हटा लिया, मुझे समझ में नहीं आ रहा।”मुझे नहीं पता क्यों मुझे घर और परिवार से निकालकर बाहर फेंक दिया, मुझे नहीं पता क्या कारण था।

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जब आप लोग उनसे बार-बार पूछते थे, क्या आप चिराग के साथ कभी समझौता हो सकता है, तो उनका बार-बार यह कहना कि सूरज पश्चिम से उग सकता है, लेकिन चिराग से मेरा कोई रिश्ता नहीं रहेगा।”चिराग ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “परिवार और पार्टी के टूटने के बाद, जब मैं घर गया, उसके बाद दरवाजे मेरे लिए बंद कर दिए थे। डेढ़ घंटे तक दरवाजे के बाहर खड़ा था, उसके बाद दरवाजा खुलता है, सामने मेरी मंझली मां होती हैं। उनका मैं पैर छूआ तो वह दो कदम पीछे कर लेती हैं और बोली कि तुम्हारे साथ जो हो रहा है अच्छा हो रहा है।”चिराग ने अपने आत्मविश्वास को दिखाते हुए कहा, “मुझे नहीं पता यह सब क्यों हुआ। अगर मैं उनका अगर सगा बेटा होता, तो वह इसी तरीके से मुझे निकाल कर बाहर फेंक देते। अब इन सब चीजों से मैं बहुत आगे निकल चुका हूं, मेरी लड़ाई अलग है।”वह आगे बढ़ते हुए कहते हैं, “बिहार फर्स्ट की लड़ाई के साथ मैं आगे बढ़ रहा हूं। तमाम चीजों को मैं पीछे छोड़ चुका हूं। आज की तारीख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिहार कि 40 की 40 सीट जीता कर देनी है।

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देश में यह आकड़ा 400 के पार होगा।”चिराग पासवान के वक्तव्य और कड़ी मेहनत को देखते हुए, उनके समर्थन में नई सामाजिक और राजनीतिक दिशा देखने की आशा की जा रही है। उनके विचारों का समर्थन करते हुए, लोजपा ने अपनी बुनियादी प्रिंसिपल्स को फिर से सामने लाने का वादा किया है। यह तबादला बिहार की राजनीतिक दायरे में नया रंग भर सकता है।

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बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में एक सांसद वाली पार्टी को क्यों दीं पांच सीटें? चिराग पासवान के साथ होने से क्या हो सकता है नफा-नुकसान? https://chaupalkhabar.com/2024/03/20/bjp-in-lok-sabha-elections/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/20/bjp-in-lok-sabha-elections/#respond Wed, 20 Mar 2024 09:29:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2656 बिहार की राजनीति ने फिर से उस उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे है। लोकसभा चुनाव के घोषित होने के साथ ही, राज्य में टिकटों का बंटवारा हो गया है, जिसने नए दांव को प्रकट किया है। न केवल नीतीश कुमार की भाजपा, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस चुनाव में अपने दावों को मजबूत …

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बिहार की राजनीति ने फिर से उस उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे है। लोकसभा चुनाव के घोषित होने के साथ ही, राज्य में टिकटों का बंटवारा हो गया है, जिसने नए दांव को प्रकट किया है। न केवल नीतीश कुमार की भाजपा, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस चुनाव में अपने दावों को मजबूत किया है। इस चुनाव में, बीजेपी 17 सीटों पर उम्मीदवार लड़ाएगी, जबकि 16 सीटें जदयू को दी गई हैं। इसके अलावा, चिराग पासवान की पार्टी, लोक जन शक्ति पार्टी (राम विलास), 5 सीटों पर मैदान में होगी। इसके अलावा, एक सीट उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को दी गई है।

आगामी चुनाव के महत्वपूर्ण मोर्चे में से एक चिराग पासवान का है। बीजेपी ने बिहार एनडीए में चिराग पासवान पर बड़ा दांव लगाया है और उनके चाचा पशुपति पारस को किनारे लगा दिया है। इससे सवाल उठता है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए चिराग पासवान को 5 सीटों पर लड़ने के लिए क्यों चुना? और क्यों राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस) को एक भी सीट नहीं दी गई? चिराग पासवान, जो अपनी पार्टी के एकमात्र सांसद हैं, जिन्होने बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले चुनावों में उनका रवैया और प्रभाव साफ़ रूप से दिखा है। खासकर 2020 के विधानसभा चुनाव में, चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की भाजपा के खिलाफ उम्मीदवारों को खड़ा किया, जिससे उनकी पार्टी ने बिहार में बड़ा उत्तरदायित्व उठाया। चिराग पासवान की पार्टी ने विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर तीसरे और चौथे स्थान पर आई, जिससे उनका प्रभाव व्यापक रूप से बढ़ा।

2020 विधानसभा चुनाव में, चिराग पासवान की पार्टी ने बिहार में कई सीटों पर अन्य दलों को बड़ा नुकसान पहुंचाया। उनके उम्मीदवारों ने दूसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को हराया, जिससे उनकी पार्टी का दबदबा बढ़ा। विशेष रूप से, उनकी पार्टी ने 120 सीटों पर दूसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। चिराग पासवान की पार्टी के आंकड़ों की बात करें, तो विधानसभा चुनाव में उन्हें कुल 23,83,457 वोट मिले थे, जोकि उनका वोट प्रतिशत 5.66 फीसदी था। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि चिराग पासवान ने बिहार की राजनीति में बड़ा उतार-चढ़ाव लाया है और अगर वे मैदान में नहीं होते, तो चुनाव का परिणाम भिन्न हो सकता था।

चिराग पासवान की पार्टी के आंकड़ों की बात करें, तो विधानसभा चुनाव में उन्हें कुल 23,83,457 वोट मिले थे, जोकि उनका वोट प्रतिशत 5.66 फीसदी था।

इस बीच, बीजेपी ने चिराग पासवान को विपक्षी दलों के साथ एक मजबूत दांव पर ले आया है। उनकी पार्टी को 5 सीटों पर उम्मीदवार लड़ने के लिए चुना गया है, जिससे वे चुनाव में अभिन्न भूमिका निभा सकें। इसके विपरीत, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस) को एक भी सीट नहीं दी गई है। यह चुनाव के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिससे बीजेपी ने अपने रणनीतिक दायरे को बढ़ाने का प्रयास किया है।

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चिराग पासवान के बड़े दांव और बीजेपी के निर्णय के पीछे कई कारण हैं। चिराग पासवान की पार्टी ने पिछले चुनावों में बिहार की राजनीति में बड़ा उतार-चढ़ाव लाया है और उनका प्रभाव विस्तार गया है। उनके आंकड़े और वोट की संख्या इसे साबित करते हैं कि उनकी पार्टी का कार्यकर्ता और समर्थकों की भरपूर समर्थन है। इसी बीच, बीजेपी ने चिराग पासवान को एक महत्वपूर्ण दांव पर ले आया है, जिससे उनकी पार्टी को चुनाव में बड़ा फायदा हो सकता है। इसी तरह, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को एक सीट भी नहीं दी गई है, जिससे बीजेपी ने उनके प्रभाव को कम करने का प्रयास किया है। यह निर्णय भी बीजेपी के राजनीतिक दायरे को बढ़ाने के उद्देश्य के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों को कमजोर करने के लिए किया गया है।

चुनाव में बिहार की राजनीति में इस नए दौर के साथ, बीजेपी ने अपने प्रभाव को और बढ़ाने का प्रयास किया है। चिराग पासवान की पार्टी को महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीदवार लड़ने के लिए चुना गया है, जिससे वे चुनाव में बड़ा उत्तरदायित्व उठा सकें। इसके विपरीत, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को कोई सीट नहीं दी गई है, जिससे बीजेपी ने उनके प्रभाव को कम करने का प्रयास किया है। इससे स्पष्ट है कि बीजेपी ने इस चुनाव के लिए एक नई रणनीति अपनाई है, जिसमें वे राजनीतिक दायरे को विस्तारित करने के साथ-साथ अपने प्रतिद्वंद्वियों को भी कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।

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पशुपति पारस ने चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री पद से दिया इस्तीफा, कहा- मेरी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई। https://chaupalkhabar.com/2024/03/19/pashupati-paras-before-the-election/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/19/pashupati-paras-before-the-election/#respond Tue, 19 Mar 2024 11:04:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2640 पशुपति पारस ने लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें पार्टी से नाराजगी है क्योंकि उनकी पार्टी, रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास), को बिहार में NDA के साथ सीटों के बंटवारे में कोई सीट नहीं मिली। इस्तीफा देते समय उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई …

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पशुपति पारस ने लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें पार्टी से नाराजगी है क्योंकि उनकी पार्टी, रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास), को बिहार में NDA के साथ सीटों के बंटवारे में कोई सीट नहीं मिली। इस्तीफा देते समय उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई है। पशुपति पारस पहले खाद्य और प्रसंस्करण मंत्री थे।

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सीटों के बंटवारे का ऐलान किया है, जिसमें बीजेपी को 17 सीटें, जेडीयू को 16 सीटें, लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 5 सीटें, HAM को 1 सीट, और राष्ट्रीय लोक जनता दल को 1 सीट मिली है। इस बंटवारे में पशुपति पारस की पार्टी को कोई सीट नहीं मिली। पशुपति पारस को इस बात की भनक लग गई थी कि उनकी पार्टी को एनडीए में कोई सीट नहीं मिलेगी। उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा था कि अगर उचित सम्मान नहीं मिला तो वे स्वतंत्र हैं और उनके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं।

पशुपति पारस को इस बात की भनक लग गई थी कि उनकी पार्टी को एनडीए में कोई सीट नहीं मिलेगी। उन्होंने धमकी भरे अंदाज में कहा था कि अगर उचित सम्मान नहीं मिला तो वे स्वतंत्र हैं

चिराग पासवान को इस बार 5 लोकसभा सीटें मिली हैं, जिनमें वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, और जमुई शामिल हैं। चिराग पासवान फिलहाल खुद जमुई से सांसद हैं। उनकी पार्टी, लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास), को इन 5 सीटों पर नामांकन करने का मौका मिला है।अब जब सीटों के बंटवारे का ऐलान हो चुका है तो पशुपति पारस INDIA ब्लॉक के साथ जाने की संभावनाओं पर भी विचार कर रहे हैं। इसके बाद उनकी नाराजगी भी खुलकर सामने आ रही है।

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चिराग पासवान की पार्टी को बीजेपी से अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है, लेकिन यह संभावना है कि वे कुछ सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ सकते हैं। पशुपति पारस की पार्टी, RLJP, को इस बंटवारे में कोई सीट नहीं मिली है, जिससे उनकी नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। इससे पहले भी रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा में फूट पड़ गई थी, जिससे पार्टी में दो गुट हो गए हैं। एक गुट के मुखिया पशुपति पारस हैं और दूसरे गुट के मुखिया चिराग पासवान हैं।

पशुपति पारस के इस्तीफे के बाद, एनडीए में बीजेपी के साथ RLJP की संभावित सहयोग की संभावना है। यहाँ तक कि कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया जा रहा है कि पशुपति पारस INDIA ब्लॉक के साथ जाने की संभावनाओं को लेकर विचार कर रहे हैं। इस बीच, चिराग पासवान की पार्टी ने अपनी 5 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। उनकी पार्टी को इस बार बिहार में बीजेपी के साथ आलाकमान समझौता हो सकता है, लेकिन इस बार उनके बिना होने का भी खतरा है।

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INDIA गठबंधन ने दिया आठ सीटों का ऑफर, चिराग पासवान को अपने खेमे में शामिल करने की तैयारी… https://chaupalkhabar.com/2024/03/07/india-%e0%a4%97%e0%a4%a0%e0%a4%ac%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a4%a8-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%86%e0%a4%a0-%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%9f%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%be/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/07/india-%e0%a4%97%e0%a4%a0%e0%a4%ac%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a4%a8-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%86%e0%a4%a0-%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%9f%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%be/#respond Thu, 07 Mar 2024 09:45:53 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2483 चिराग पासवान और पशुपति पारस, जो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता हैं, को एनडीए में छह सीट देने की बात कही जा रही है, लेकिन दोनों इस विवादित मुद्दे पर सहमत नहीं हैं। चिराग पासवान की मांग है कि उन्हें लोकसभा चुनाव में उसी संख्या की सीटें दी जाएं, जैसा कि 2019 में उन्होंने …

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चिराग पासवान और पशुपति पारस, जो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता हैं, को एनडीए में छह सीट देने की बात कही जा रही है, लेकिन दोनों इस विवादित मुद्दे पर सहमत नहीं हैं। चिराग पासवान की मांग है कि उन्हें लोकसभा चुनाव में उसी संख्या की सीटें दी जाएं, जैसा कि 2019 में उन्होंने जीती थीं। वहीं, पशुपति पारस का दावा है कि उनकी पार्टी के साथ एक संयुक्त बातचीत के बाद, उन्हें भी छह सीटों की दावेदारी की जानी चाहिए। इससे पहले, हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी उनके बीच में एक उत्तेजनापूर्ण विवाद चल रहा है। चिराग पासवान ने अपने पिता और पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की विरासत का हवाला देते हुए हाजीपुर सीट पर भी दावेदारी की है, जो कि पशुपति पारस के भीतर नाराजगी का कारण बन गया है।

नीतीश कुमार के वापसी के बाद, एनडीए में सीटों के बंटवारे के मामले में और भी ज्यादा उत्तेजना बढ़ी है। महागठबंधन के एक अंग के रूप में, चिराग पासवान को आठ लोकसभा सीटों की पेशकश की गई है, जिसमें दो उत्तर प्रदेश की सीटें भी शामिल हैं। चिराग पासवान द्वारा महागठबंधन के इस ऑफर पर अभी तक कोई स्पष्ट रुख नहीं है। लेकिन अगर उन्हें एनडीए में उनकी मांग के अनुसार सीटें नहीं मिलती हैं, तो महागठबंधन का रास्ता उनके लिए खुला है। इसी बीच, राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी चिराग पासवान के लिए महागठबंधन के दरवाजे खोल दिए हैं, जिसके माध्यम से उन्होंने साफ किया कि जिनको महागठबंधन में शामिल होना है, उन्हें फैसला लेना होगा।

इस तरह, बिहार में राजनीति का दिल एक बार फिर से हलचल में है। चुनावी समय के करीब आते ही, सियासी दलों के बीच सीटों के बंटवारे के मुद्दे और तकरारें  बढ़ती जा रही हैं। इस उत्तेजनापूर्ण माहौल में, सभी नेताओं की समझदारी और संवेदनशीलता की आवश्यकता है, ताकि राज्य के लोगों को एक समृद्ध और सुरक्षित भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सके।

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