DELHI HIGH COURT - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 26 Sep 2024 09:27:33 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg DELHI HIGH COURT - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 दिल्ली हाईकोर्ट से सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को मिली राहत, गिरफ्तारी 7 दिन के लिए टली. https://chaupalkhabar.com/2024/09/26/delhi-high-court-to-suspey/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/26/delhi-high-court-to-suspey/#respond Thu, 26 Sep 2024 09:27:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5111 दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को 7 दिनों के लिए टाल दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी कोटा का गलत तरीके से फायदा उठाया और अपने बारे में झूठी जानकारी दी थी। इस मामले में …

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दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को 7 दिनों के लिए टाल दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी कोटा का गलत तरीके से फायदा उठाया और अपने बारे में झूठी जानकारी दी थी। इस मामले में कोर्ट ने फिलहाल 4 अक्टूबर तक पूजा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। पूजा खेडकर की पिछली गिरफ्तारी से मिली राहत अब समाप्त हो गई है, और अब कोर्ट ने उन्हें 7 दिनों की और मोहलत दी है। पूजा ने 15 दिनों का समय मांगा था, लेकिन अदालत ने उन्हें केवल 7 दिनों की ही मोहलत दी है। पूजा खेडकर ने अपने डॉक्यूमेंट्स जमा करने और मामले की तैयारियों के लिए कोर्ट से 15दिनों का समय मांगा था। उनके वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि पूजा पर लगे आरोप गंभीर हैं और वह अपने डॉक्यूमेंट्स की पूरी तैयारी के लिए अधिक समय चाहती थीं। हालांकि, कोर्ट ने 15 दिनों की मांग को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया और केवल 7 दिन की ही मोहलत दी है। अब पूजा को इस दौरान अपने दस्तावेज़ों और मामले से जुड़े सभी जरूरी कागज़ात अदालत में जमा करने होंगे।

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पूजा खेडकर 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने साल 2022 में यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा दी थी और 841वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। लेकिन उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने आरक्षण का फायदा उठाने के लिए अपने बारे में गलत जानकारी दी थी। पूजा पर यह आरोप है कि उन्होंने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटे का फायदा उठाने के लिए यूपीएससी को गलत जानकारी दी थी। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित मानदंडों का गलत फायदा उठाया। इन आरोपों के बाद यह भी खुलासा हुआ कि उनके पिता, जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं, के पास करीब 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इस संपत्ति के चलते पूजा गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थीं।

पूजा के वकीलों ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि पूजा को मीडिया और सार्वजनिक दबाव के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पूजा कहीं भागी नहीं हैं, बल्कि वे पुणे में ही हैं और सभी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग कर रही हैं। उनके वकीलों का कहना था कि उन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें अपनी स्थिति को सही ढंग से पेश करने का समय मिलना चाहिए। इसी के आधार पर उन्होंने कोर्ट से 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने 15 दिनों का समय देने की बजाय सिर्फ 7 दिन का समय दिया है। कोर्ट ने पूजा को आदेश दिया है कि वह इस दौरान अपने सभी दस्तावेज जमा करें और मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तारी से बची रहेंगी। कोर्ट का यह फैसला इस शर्त पर आधारित है कि पूजा इस दौरान जांच एजेंसियों और अदालत की सभी शर्तों का पालन करेंगी।

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कोर्ट ने पूजा खेडकर को 7 दिनों की राहत दी है, लेकिन इसके बाद उनका अगला कदम काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी 4 अक्टूबर के बाद संभव है, जब तक कि वे अदालत में अपने पक्ष को और मजबूती से पेश नहीं कर पातीं। पूजा पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह मामला अभी और लंबा खिंच सकता है। पूजा खेडकर के खिलाफ लगाए गए आरोपों के पीछे कई कानूनी और सामाजिक सवाल उठते हैं। आरक्षण का गलत फायदा उठाने के आरोप, खासकर तब जब वह गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थीं, एक बड़े विवाद का मुद्दा बन सकता है। इस बीच, कोर्ट के अगले फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, जो पूजा के भविष्य और करियर को निर्धारित करेगा।

 

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राउज एवेन्यू कोर्ट ने तीन IAS अभ्यर्थियों की मौत के मामले में छह आरोपियों को CBI की 4 दिन की हिरासत में भेजा. https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/rouse-avenue-court-ne-three-ias/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/rouse-avenue-court-ne-three-ias/#respond Sat, 31 Aug 2024 13:16:30 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4580 दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को तीन IAS अभ्यर्थियों की डूबने से हुई मौत के मामले में छह आरोपियों को चार दिन के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की हिरासत में भेज दिया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने अभियुक्तों अभिषेक गुप्ता, देशपाल सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह, सरबजीत सिंह, और परमिंदर …

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दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को तीन IAS अभ्यर्थियों की डूबने से हुई मौत के मामले में छह आरोपियों को चार दिन के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की हिरासत में भेज दिया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने अभियुक्तों अभिषेक गुप्ता, देशपाल सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह, सरबजीत सिंह, और परमिंदर सिंह की हिरासत का आदेश दिया। ये आरोपी एक महीने पहले गिरफ्तार किए गए थे और अब 4 सितंबर को अदालत में पेश किए जाएंगे। यह मामला जुलाई 27 को घटी उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से जुड़ा है जिसमें राउ के आईएएस स्टडी सर्कल, ओल्ड राजेंद्र नगर, दिल्ली के बेसमेंट में बाढ़ के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थी—श्रेय यादव, तान्या सोनी, और नेविन डालविन—की मौत हो गई थी।

दिल्ली पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद, हाई कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। CBI ने आरोपियों से आगे की पूछताछ के लिए और समय मांगा था ताकि मामले की जांच को आगे बढ़ाया जा सके। एजेंसी ने आरोपियों पर हत्या के बराबर न आने वाले हत्या, लापरवाही से मौत का कारण बनने, जानबूझकर चोट पहुंचाने, और निर्माण और मरम्मत से संबंधित लापरवाही के आरोप लगाए हैं। हाई कोर्ट ने प्रारंभिक जांच को लेकर चिंताओं के कारण इस मामले को CBI को सौंपा था। अदालत ने माना कि इस मामले में निष्पक्ष और गहन जांच आवश्यक है, जिससे CBI को जिम्मेदारी दी गई।

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CBI अब इस मामले में सभी पहलुओं की गहराई से जांच कर रही है। एजेंसी यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि क्या इस घटना में किसी प्रकार की निर्माण या मरम्मत की लापरवाही शामिल थी, जिसके कारण यह त्रासदी घटी। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि क्या सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया था जिससे छात्रों की जान गई। इस मामले में अब तक की जांच में पता चला है कि राउ के आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में जलभराव के समय पर्याप्त बचाव या निकासी की व्यवस्था नहीं थी, जो इस घटना का प्रमुख कारण बना। आरोपियों पर यह आरोप है कि उन्होंने निर्माण और मरम्मत कार्यों में लापरवाही बरती, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई।

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अदालत ने CBI को 4 दिन की हिरासत इस उद्देश्य से दी है ताकि एजेंसी यह समझ सके कि इस मामले में और कौन-कौन लोग जिम्मेदार हो सकते हैं और घटना के समय किस प्रकार की लापरवाही बरती गई थी। आरोपियों से पूछताछ के बाद, यह संभव है कि CBI इस मामले में और आरोपियों को गिरफ्तार करे या अदालत में आरोपपत्र दाखिल करे। यह मामला दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच चिंता का विषय बन गया है। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पढ़ाई के लिए उपयोग किए जाने वाले संस्थान सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी, जब अदालत CBI की जांच के आधार पर आगे के आदेश जारी करेगी।

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दिल्ली हाईकोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह की याचिका पर आपत्ति, यौन उत्पीड़न मामले में अगली सुनवाई 26 सितंबर को. https://chaupalkhabar.com/2024/08/29/delhi-high-court-in-brijabh/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/29/delhi-high-court-in-brijabh/#respond Thu, 29 Aug 2024 08:31:30 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4516 दिल्ली हाईकोर्ट में भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए। यह याचिका बृजभूषण शरण सिंह द्वारा उनके खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में आरोप तय करने के आदेश और कार्यवाही को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी। न्यायमूर्ति …

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दिल्ली हाईकोर्ट में भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए। यह याचिका बृजभूषण शरण सिंह द्वारा उनके खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में आरोप तय करने के आदेश और कार्यवाही को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अगुवाई वाली पीठ ने इस याचिका पर प्रथम दृष्टया आपत्ति जताते हुए बृजभूषण से पूछा कि उन्होंने आरोप तय करने के आदेश और कार्यवाही को चुनौती देने के लिए एक ही याचिका क्यों दायर की है। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने स्पष्ट किया कि बृजभूषण की याचिका प्रथम दृष्टया ऐसी प्रतीत होती है जैसे यह मुकदमे को पूरी तरह से रद्द करने की परोक्ष याचिका हो। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि यह याचिका तब दायर की गई है जब उनके खिलाफ मामला पहले ही ट्रायल कोर्ट में शुरू हो चुका है। यह सवाल उठाते हुए कोर्ट ने पूछा कि क्या इस तरह की याचिका सही है या नहीं।

बृजभूषण शरण सिंह पर छह महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं। इन शिकायतों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इन महिला पहलवानों ने आरोप लगाया था कि बृजभूषण ने उनके साथ यौन उत्पीड़न किया और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई। ट्रायल कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीर मानते हुए बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री मौजूद है, जिसके आधार पर बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय किए जा सकते हैं। इस आदेश को चुनौती देते हुए बृजभूषण ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

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दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण की याचिका की स्वीकार्यता को चुनौती दी है। पुलिस का कहना है कि इस याचिका के माध्यम से बृजभूषण मुकदमे को लंबा खींचने का प्रयास कर रहे हैं और यह न्याय प्रक्रिया में रुकावट पैदा कर सकता है। पुलिस का तर्क है कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई कानूनी खामी नहीं है, और इसलिए हाईकोर्ट को इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह के वकील से दो सप्ताह में एक संक्षिप्त नोट तैयार करने को कहा है। इस नोट में उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने एक ही याचिका में आरोप तय करने के आदेश और कार्यवाही को चुनौती क्यों दी है। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि बृजभूषण की याचिका पर गहन विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह मामला केवल बृजभूषण की प्रतिष्ठा से नहीं, बल्कि कई महिला पहलवानों की गरिमा से भी जुड़ा हुआ है।

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इस मामले में अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। इस दौरान कोर्ट यह तय करेगा कि बृजभूषण की याचिका पर आगे क्या कार्रवाई की जाए। यदि कोर्ट बृजभूषण की याचिका को स्वीकार करती है, तो इससे मुकदमे की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। दूसरी ओर, अगर याचिका खारिज होती है, तो बृजभूषण को ट्रायल का सामना करना होगा। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के चलते यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील है।

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Bharatiya Nyaya Sanhita में अप्राकृतिक यौन संबंध के गैर-सहमति वाले कृत्यों को शामिल करने पर केंद्र सरकार से शीघ्र निर्णय लेने का दिल्ली हाई कोर्ट का निर्देश. https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/bharatiya-nyaya-sanhita-in-unnatural-sexual-relations/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/bharatiya-nyaya-sanhita-in-unnatural-sexual-relations/#respond Wed, 28 Aug 2024 11:51:55 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4506 दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह गैर-सहमति से किए गए अप्राकृतिक यौन संबंधों (अप्राकृतिक यौन संबंध) को दंडित करने के प्रावधान को भारतीय न्याय संहिता (BNS) में शामिल करने की मांग पर शीघ्रता से निर्णय ले। अध्यक्ष न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने पहले …

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दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह गैर-सहमति से किए गए अप्राकृतिक यौन संबंधों (अप्राकृतिक यौन संबंध) को दंडित करने के प्रावधान को भारतीय न्याय संहिता (BNS) में शामिल करने की मांग पर शीघ्रता से निर्णय ले। अध्यक्ष न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने पहले केंद्र के वकील को नए आपराधिक कानूनों के तहत भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के समकक्ष प्रावधान को छोड़ने के खिलाफ एक जनहित याचिका (PIL) में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा था। आज, केंद्रीय सरकार के स्थायी वकील (CGSC) अनुराग आह्लुवालिया ने प्रस्तुत किया कि यह मुद्दा सरकार के सक्रिय विचाराधीन है और इस पर समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि जब किसी अपराध की बात हो, तो कोई शून्य नहीं हो सकता। “लोग जो मांग रहे थे वह यह था कि सहमति से किए गए यौन संबंध को अपराध न बनाया जाए। आपने गैर-सहमति से किए गए यौन संबंध को भी अपराध नहीं माना है… किसी अपराध के मामले में कोई शून्य नहीं हो सकता। मान लीजिए कि कोर्ट के बाहर कुछ होता है, तो क्या हमें अपनी आंखें बंद कर लेनी चाहिए क्योंकि यह विधायी पुस्तकों में अपराध नहीं है?”  कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में तत्परता आवश्यक है और सरकार को यह समझना चाहिए। “यदि इसके लिए एक अध्यादेश की आवश्यकता हो, तो वह भी आ सकता है। हम भी जोर से सोच रहे हैं। चूंकि आप कुछ समस्याओं का संकेत दे रहे हैं, इसलिए प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है। हम बस जोर से सोच रहे हैं,” यह जोड़ा। अंततः, पीठ ने सरकार को आदेश दिया कि वह जनहित याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में मानते हुए “जितनी जल्दी संभव हो, अधिमानतः छह महीने के भीतर” निर्णय ले।

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मामले की पिछली सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा था कि नए आपराधिक कानूनों में इस अपराध का प्रावधान नहीं है। “कोई प्रावधान ही नहीं है। यह वहां नहीं है। कुछ तो होना चाहिए। सवाल यह है कि अगर यह वहां नहीं है, तो क्या यह एक अपराध है? यदि यह अपराध नहीं है और इसे हटा दिया गया है, तो यह अपराध नहीं है… सजा की मात्रा हम तय नहीं कर सकते, लेकिन गैर-सहमति से किए गए अप्राकृतिक यौन संबंधों को विधायिका द्वारा ध्यान में लिया जाना चाहिए,” यह कहा था।

आईपीसी की धारा 377, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है, में पहले “किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति के नियम के विरुद्ध किए गए स्वैच्छिक संभोग” के लिए आजीवन कारावास या दस साल की जेल की सजा का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में नवलजीत सिंह जौहर मामले में दिए गए फैसले में धारा 377 IPC के तहत सहमति से किए गए यौन कृत्यों को अपराधमुक्त कर दिया था। “धारा 377 के प्रावधान गैर-सहमति से किए गए यौन कृत्यों, नाबालिगों के खिलाफ किए गए सभी कार्नल इंटरकोर्स और पशुता के कृत्यों को नियंत्रित करते रहेंगे,” शीर्ष अदालत ने इस ऐतिहासिक फैसले में कहा था। BNS ने इस साल जुलाई में IPC की जगह ली थी। BNS के तहत “अप्राकृतिक यौन संबंध” के गैर-सहमति से किए गए कृत्यों को अपराध मानने का कोई प्रावधान नहीं है।

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IPC की धारा 377 के समकक्ष प्रावधान की अनुपस्थिति की आलोचना की गई है क्योंकि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई पुरुष या ट्रांसजेंडर व्यक्ति बलात्कार का शिकार होता है, तो उसे अपराध मानने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। आज हाई कोर्ट एक याचिका पर विचार कर रहा था, जिसे अधिवक्ता गंतव्य गुलाटी ने दायर किया था, जिसमें तर्क दिया गया था कि नए कानूनों के प्रवर्तन ने एक कानूनी शून्यता पैदा की है। “मुख्य राहत के रूप में यह घोषणा शामिल है कि धारा 377 IPC को निरस्त करना, बिना BNS में समान प्रावधानों को शामिल किए, असंवैधानिक है, और भारतीय संघ को BNS में संशोधन कर गैर-सहमति से किए गए यौन कृत्यों को अपराध घोषित करने के लिए स्पष्ट प्रावधानों को शामिल करने का निर्देश दिया जाए। अंतरिम राहत अत्यंत आवश्यक है ताकि कमजोर व्यक्तियों और समुदायों को अपूरणीय हानि से बचाया जा सके और अविनाशी मौलिक अधिकारों और सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखा जा सके,” गुलाटी ने तर्क दिया।

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दिल्ली हाईकोर्ट से पूजा खेडकर को मिली राहत, बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21अगस्त तक लगायी गयी रोक. https://chaupalkhabar.com/2024/08/12/relief-from-delhi-high-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/12/relief-from-delhi-high-court/#respond Mon, 12 Aug 2024 07:38:50 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4265 बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली है, जो कि ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाने के आरोप में घिरी हुई थीं। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे 21 अगस्त तक पूजा को गिरफ्तार न करें। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने …

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बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली है, जो कि ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाने के आरोप में घिरी हुई थीं। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे 21 अगस्त तक पूजा को गिरफ्तार न करें। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने पूजा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे उन्हें गिरफ्तारी का डर सताने लगा था। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी प्रस्तुत की थी, ताकि आरक्षण का लाभ उठाया जा सके। इस मामले में UPSC ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी और भविष्य में उन्हें आयोग की परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक भी लगा दी। यह निर्णय UPSC द्वारा पूजा के आवेदन की गहन जांच के बाद लिया गया, जिसमें उन्होंने पाया कि पूजा ने गलत ढंग से आरक्षण का लाभ उठाने का प्रयास किया था।

एक अगस्त को ट्रायल कोर्ट ने पूजा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि उन पर लगे आरोप गंभीर हैं और उनकी गहन जांच की आवश्यकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस साजिश में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं, इसकी जांच के लिए आरोपितों से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस मामले की निष्पक्ष जांच करने का निर्देश भी दिया था। पूजा खेडकर ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें गिरफ्तारी का डर है और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने इस याचिका को ठुकराते हुए कहा था कि यह मामला गंभीर है और इस मामले की तह तक जाने के लिए आरोपित से पूछताछ करना जरूरी है।

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दिल्ली हाई कोर्ट में पूजा की ओर से यह तर्क दिया गया कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और उन्हें अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए फिलहाल पूजा को गिरफ्तारी से राहत दी है।

दिल्ली हाई कोर्ट में पूजा की ओर से यह तर्क दिया गया कि उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और उन्हें अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए फिलहाल पूजा को गिरफ्तारी से राहत दी है और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे 21 अगस्त तक उन्हें गिरफ्तार न करें। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक पूर्व आईएएस प्रशिक्षु के खिलाफ आरक्षण का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है। यह मामला सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसमें आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे का गलत इस्तेमाल किया गया है। दिल्ली पुलिस अब इस मामले की आगे की जांच कर रही है और यह देखना होगा कि मामले की जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं।

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पूजा खेडकर के खिलाफ लगे आरोपों और उन्हें मिली राहत से यह मामला और भी जटिल हो गया है। जहां एक तरफ हाई कोर्ट ने उन्हें अस्थायी राहत दी है, वहीं दूसरी तरफ इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की आवश्यकता बनी हुई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे की कानूनी प्रक्रिया में क्या मोड़ आते हैं और न्यायालय का अंतिम निर्णय क्या होता है।

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सुप्रीम कोर्ट में बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई: कोर्ट की कड़ी फटकार, अगली सुनवाई 7 अगस्त को.. https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/supreme-court-in-bibhav-ku/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/supreme-court-in-bibhav-ku/#respond Thu, 01 Aug 2024 08:21:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4132 सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। बिभव पर आम आदमी पार्टी (AAP) की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट का आरोप है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान …

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सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। बिभव पर आम आदमी पार्टी (AAP) की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट का आरोप है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान बिभव कुमार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि एक महिला के साथ ऐसा बर्ताव करते हुए उन्हें शर्म नहीं आई? बिभव कुमार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि जिस आदेश को उन्होंने चुनौती दी है, उसके बाद चार्जशीट दाखिल हुई है। उन्होंने आगे कहा कि एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज की गई, जबकि स्वाति मालीवाल पहली बार पुलिस स्टेशन गई थीं, लेकिन बिना एफआईआर दर्ज कराए लौट आईं। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि क्या मालीवाल ने 112 पर कॉल किया था? अगर ऐसा हुआ, तो यह बिभव के दावे को झूठा साबित करता है कि मालीवाल ने कोई मनगढ़ंत कहानी गढ़ी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर बिभव की जमानत याचिका पर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई सात अगस्त को निर्धारित की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि घटनाक्रम जिस तरह से हुआ है, उससे वह स्तब्ध है। कोर्ट ने पूछा, “क्या मुख्यमंत्री का सरकारी आवास निजी संपत्ति है? क्या यह उचित है कि इस तरह के गुंडों को वहां रखा जाए? यह सवाल हमें चिंतित करता है कि यह सब कैसे हुआ?” स्वाति मालीवाल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि बिभव कुमार अचानक कमरे में घुस आए और बिना किसी उकसावे के उन पर चिल्लाने और गाली-गलौज करने लगे। उन्होंने बिभव से शांत रहने और मुख्यमंत्री को बुलाने के लिए कहा, लेकिन बिभव ने उनकी बात नहीं मानी। इस घटना के बाद मालीवाल ने तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज करवाई।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 जुलाई को बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बिभव का राजनीतिक प्रभाव काफी है, और यदि उन्हें जमानत दी जाती है, तो गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका हो सकती है। कोर्ट ने इस आधार पर बिभव की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिंघवी ने बिभव की जमानत के पक्ष में तर्क दिया और अन्य मामलों का हवाला देते हुए कहा कि कई मामलों में जमानत दी गई है, जिसमें हत्या के आरोपियों को भी जमानत मिली है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वे उन मामलों का जिक्र न करें, क्योंकि यह मामला अलग है और यहां जिस तरह की घटनाएं हुई हैं, वे हमारी चिंता का कारण हैं। कोर्ट ने बिभव से सवाल किया कि उन्हें महिला से इस तरह का व्यवहार करते समय शर्म क्यों नहीं आई?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह मामला मामूली या गंभीर चोट का नहीं है, बल्कि नैतिक दृढ़ता का है। कोर्ट ने कहा, “क्या आपको नहीं लगा कि उस कमरे में मौजूद कोई भी व्यक्ति बिभव कुमार के खिलाफ कुछ कहने की हिम्मत करेगा?”

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बिभव कुमार को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिल पाई थी, और अब सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी इस पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई सात अगस्त को होगी, जिसमें दिल्ली पुलिस द्वारा बिभव कुमार की जमानत याचिका पर अपना जवाब प्रस्तुत किया जाएगा।

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दिल्ली हाई कोर्ट की MCD पर कड़ी फटकार: Rau IAS कोचिंग सेंटर हादसे में अधिकारियों की जवाबदेही पर उठाए सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/07/31/delhi-coaching-accident-hike/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/31/delhi-coaching-accident-hike/#respond Wed, 31 Jul 2024 11:53:16 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4126   दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ओल्ड राजेंद्र नगर के Rau IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस हादसे में तीन छात्रों की जान चली गई थी। कोर्ट ने इस घटना को लेकर दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट की …

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दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ओल्ड राजेंद्र नगर के Rau IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस हादसे में तीन छात्रों की जान चली गई थी। कोर्ट ने इस घटना को लेकर दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य संबंधित अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है।

कोर्ट की मुख्य चिंताएं और सवाल:

1. MCD अधिकारियों की जवाबदेही: अदालत ने सीधे-सीधे पूछा कि क्या इस हादसे के बाद किसी MCD अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है? कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि हादसे के बाद किसी राहगीर को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन MCD के किसी अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है? कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस मामले में MCD अधिकारियों की जांच की गई है?

2. अनधिकृत निर्माण: हाई कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि अनधिकृत निर्माण और जल निकासी की समस्याएं पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकतीं। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में अनधिकृत निर्माण को कैसे अनुमति दी जाती है, जबकि यह एक सामान्य समझ की बात है कि ऐसे निर्माण अव्यवस्थित जल निकासी की समस्या को बढ़ाते हैं।

3. जल निकासी और अतिक्रमण: कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं है। अदालत ने पूछा कि क्षेत्र में इतना पानी जमा कैसे हुआ और क्या MCD अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी? इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने क्यों नालियों को ढकने वाले ढक्कन नहीं हटाए? अदालत ने कहा कि अगर यह समस्या MCD के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में थी, तो उन्होंने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया?

4. कार्रवाई की कमी: हाई कोर्ट ने कहा कि अब तक हमने MCD में किसी अधिकारी को अपनी नौकरी से हाथ धोते हुए नहीं देखा है। इमारतों के ध्वस्त होने की घटनाओं के बावजूद MCD के किसी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि MCD ने अपने सबसे जूनियर अधिकारी को निलंबित किया है, लेकिन उस वरिष्ठ अधिकारी का क्या हुआ जिसने पर्यवेक्षण का काम नहीं किया?

5. फ्रीबी कल्चर: कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि MCD के वरिष्ठ अधिकारी अपने वातानुकूलित कार्यालयों से बाहर नहीं निकलते हैं। अदालत ने कहा कि दिल्ली में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी है, जबकि इसकी योजना केवल 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी। इस तरह की बड़ी आबादी को बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किए कैसे समायोजित किया जा सकता है?

6. समाधान के सुझाव: अदालत ने कहा कि अगर MCD अधिकारियों को आज नालियों की योजना बनाने के लिए कहा जाए, तो वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्हें यह भी नहीं पता कि नालियां कहां हैं। अदालत ने कहा कि दिल्ली एक त्रासदी घटित होने का इंतजार कर रही है, क्योंकि नालियों के लिए कोई मास्टरप्लान नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जांच अधिकारी इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं कर सकते, तो इसे किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया जाएगा।

7. आगे की कार्रवाई: कोर्ट ने आदेश दिया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर के सभी नालों को तुरंत साफ किया जाए और इलाके के सभी अतिक्रमणों को दो दिनों के भीतर हटाया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को मैदान पर जाना चाहिए और स्थिति की व्यक्तिगत रूप से जांच करनी चाहिए।

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दिल्ली हाई कोर्ट का यह सख्त रुख MCD और अन्य संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। अदालत की ये टिप्पणियाँ इस ओर इशारा करती हैं कि अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो दिल्ली में भविष्य में और भी गंभीर हादसे हो सकते हैं।

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दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद आम आदमी पार्टी को मिला नया मुख्यालय, केंद्र सरकार ने आवंटित किया बंगला नंबर 1…. https://chaupalkhabar.com/2024/07/25/delhi-high-court-order-a/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/25/delhi-high-court-order-a/#respond Thu, 25 Jul 2024 09:25:07 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4035 दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी (आप) को नया कार्यालय आवंटित कर दिया है। सूत्रों की माने तो, दिल्ली की रविशंकर शुक्ला लेन में बंगला नंबर 1 अब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी का नया मुख्यालय होगा। इस नए कार्यालय का आवंटन आप के लिए एक बड़ी …

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दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी (आप) को नया कार्यालय आवंटित कर दिया है। सूत्रों की माने तो, दिल्ली की रविशंकर शुक्ला लेन में बंगला नंबर 1 अब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी का नया मुख्यालय होगा। इस नए कार्यालय का आवंटन आप के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। आम आदमी पार्टी के मुख्यालय को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आप को 15 जून तक अपना वर्तमान कार्यालय खाली करना होगा, क्योंकि यह दिल्ली हाईकोर्ट के विस्तार के लिए आवंटित जमीन पर स्थित था। कोर्ट ने कहा था कि आप को अपने कार्यालय के निर्माण के लिए स्थायी भूमि आवंटित होने तक सामान्य पूल से आवास इकाई का उपयोग करने का अधिकार है। इसके तहत दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को छह सप्ताह के भीतर आप के प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

आम आदमी पार्टी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा हाईकोर्ट को बताया गया था कि एक राष्ट्रीय पार्टी को तब तक ही अस्थायी कार्यालय का अधिकार है जब तक कि उसे स्थायी कार्यालय बनाने के लिए भूमि आवंटित नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि पार्टी के पास अपने कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक स्थायी कार्यालय की आवश्यकता है, और इस विवाद के चलते पार्टी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।

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दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद, केंद्र सरकार ने अब आप को नया कार्यालय आवंटित कर दिया है। यह निर्णय आप के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो कि पार्टी के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक था। नए कार्यालय का पता, बंगला नंबर 1, रविशंकर शुक्ला लेन, नई दिल्ली, अब आम आदमी पार्टी के मुख्यालय के रूप में जाना जाएगा।

इस नए कार्यालय का आवंटन आप के कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि इससे पार्टी को अपने कार्यों को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद मिलेगी। अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम अब नए कार्यालय से पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ा सकेंगे, जो कि आप के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा। इस प्रकार, दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश और केंद्र सरकार के निर्णय ने आप के लिए एक नई शुरुआत का रास्ता खोला है।

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‘केजरीवाल की गिरफ्तारी: क्यों, कैसे और किस प्रकार? कोर्ट में सिंघवी ने CBI पर उठाए सवाल’ https://chaupalkhabar.com/2024/07/02/arrest-of-kejriwal/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/02/arrest-of-kejriwal/#respond Tue, 02 Jul 2024 10:33:03 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3817 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सीबीआई को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी। सीबीआई ने …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सीबीआई को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी। सीबीआई ने 26 जून को कोर्ट की अनुमति के बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई की। केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। इस सुनवाई की अध्यक्षता न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने की। अदालत ने सीबीआई को नोटिस जारी कर 7 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।

सुनवाई के दौरान केजरीवाल के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “पहला बिंदु यह है कि गिरफ्तारी की आवश्यकता क्या है? जून में सीबीआई द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार करने का कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि सीबीआई की एफआईआर अगस्त 2022 की है। सीबीआई ने केजरीवाल को अप्रैल 2023 में बुलाया और नौ घंटे तक पूछताछ की, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया।” सिंघवी ने आगे कहा, “वर्ष 2022 की प्राथमिकी पर 2023 अप्रैल में पूछताछ की गई और अब जून 2024 में गिरफ्तार हुई है। ऐसे में गिरफ्तारी की तात्कालिकता या आवश्यकता नहीं हो सकती। एजेंसी को गिरफ्तारी का कोई कारण या आधार होना चाहिए। सिंघवी ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी मेमो में कुछ कारण होने चाहिए। केजरीवाल पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे। गिरफ्तारी मेमो उल्लेखनीय है, जिसमें क्यों, कैसे, किस प्रकार की जानकारी नहीं दी गई।

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अदालत ने इस पर सवाल उठाया कि क्या केजरीवाल ने जमानत याचिका दायर की है। सिंघवी ने जवाब दिया कि अभी नहीं, लेकिन हम फाइल करने के हकदार हैं। सिंघवी ने कहा, “मैं आपको अनौपचारिक रूप से बता सकता हूं कि हम जमानत के लिए याचिका दायर करने वाले हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी दायर नहीं किया गया है।” अदालत ने केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी कर सीबीआई को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।इस प्रकरण ने दिल्ली के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर उनके समर्थकों और आम आदमी पार्टी ने सीबीआई की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है। वहीं, विपक्ष ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है।

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केजरीवाल पर लगे आरोपों के मद्देनजर सीबीआई की यह कार्रवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आरोप है कि दिल्ली की आबकारी नीति में अनियमितता और भ्रष्टाचार हुआ था। सीबीआई का दावा है कि इस घोटाले में केजरीवाल की संलिप्तता पाई गई है, जिसके आधार पर उनकी गिरफ्तारी की गई है। वहीं, केजरीवाल और उनके समर्थकों का कहना है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है और इसे विपक्ष द्वारा उठाया गया है। अब सभी की नजरें दिल्ली हाई कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जो 17 जुलाई को होनी है। इस सुनवाई में कोर्ट के फैसले का इंतजार रहेगा, जो इस मामले के भविष्य को निर्धारित करेगा।

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केजरीवाल ने खुद कोर्ट में दी सफाई, CBI द्वारा दी गई दलील ‘मनीष सिसोदिया दोषी हैं’ पर किया बचाव https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/kejriwal-himself-in-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/kejriwal-himself-in-court/#respond Wed, 26 Jun 2024 09:12:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3744 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब नीति घोटाला मामले में सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट में कई महत्वपूर्ण दलीलें प्रस्तुत की हैं। सीबीआई का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में सारा दोष अपने साथी और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर मढ़ दिया है। सीबीआई का कहना है कि निजीकरण …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब नीति घोटाला मामले में सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट में कई महत्वपूर्ण दलीलें प्रस्तुत की हैं। सीबीआई का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में सारा दोष अपने साथी और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर मढ़ दिया है। सीबीआई का कहना है कि निजीकरण का विचार मनीष सिसोदिया का ही था और केजरीवाल इस मामले में अपनी भूमिका से बचने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी स्कैम केस में फंसे अरविंद केजरीवाल को फिलहाल कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत पर रोक लगा दी, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं। इसी के साथ, सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए तिहाड़ जेल में पहुंचकर आवश्यक कार्रवाई की। बुधवार की सुबह, सीबीआई केजरीवाल की रिमांड लेने के लिए राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंची, जहां सीबीआई और केजरीवाल के वकीलों के बीच कड़ी बहस हुई।

सीबीआई ने कोर्ट में यह दावा किया कि अरविंद केजरीवाल ने अपने बयान में कहा कि वे विजय नायर को नहीं पहचानते और नायर आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम कर रहे थे। सीबीआई का कहना है कि केजरीवाल को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है ताकि सच का पता लगाया जा सके। सीबीआई के वकील ने अदालत में कहा कि केजरीवाल ने अपने बयान में मनीष सिसोदिया पर सारा दोष डाल दिया है और यह दावा किया है कि निजीकरण की नीति का विचार सिसोदिया का था।

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सीबीआई का मानना है कि अरविंद केजरीवाल ने जानबूझकर मनीष सिसोदिया पर दोष मढ़ा है ताकि खुद को इस घोटाले से बचा सकें। सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि केजरीवाल को कई दस्तावेजों का सामना करना पड़ेगा और उनसे संबंधित सवालों के जवाब देने होंगे। सीबीआई का कहना है कि केजरीवाल को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए ताकि इस मामले की सच्चाई सामने आ सके। इस बीच, केजरीवाल के वकील ने अदालत में जोरदार दलीलें पेश कीं और कहा कि उनके मुवक्किल को फंसाया जा रहा है। वकील का कहना है कि केजरीवाल का इस घोटाले में कोई हाथ नहीं है और उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा रहा है।

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कोर्ट में चल रही इन दलीलों के बीच, इस मामले में क्या निर्णय आएगा यह देखना बाकी है। फिलहाल, अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं और सीबीआई का उन पर शिकंजा कसता जा रहा है। इस मामले में आगे की कार्रवाई और न्यायालय का फैसला क्या होगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।

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