Delhi Liquor Policy Scam - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 21 Sep 2024 12:11:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Delhi Liquor Policy Scam - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 दिल्ली की 8वीं मुख्यमंत्री बनीं आतिशी, LG ने 5 अन्य मंत्रियों को भी दिलाई शपथ. https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/8th-chief-minister-of-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/8th-chief-minister-of-delhi/#respond Sat, 21 Sep 2024 12:11:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5052 आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद यह सम्मान पाने वालीं। 43 वर्ष की आतिशी ने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपने बेहतरीन काम की वजह से देशभर में पहचान …

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आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद यह सम्मान पाने वालीं। 43 वर्ष की आतिशी ने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपने बेहतरीन काम की वजह से देशभर में पहचान बनाई है और अब वह राष्ट्रीय राजधानी की सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास रचने वाली हैं। शपथ समारोह से पहले आतिशी अपने आवास से निकलकर राजभवन के लिए रवाना हो चुकी हैं, वहीं, पार्टी के अन्य मंत्री और विधायक भी शपथ लेने के लिए तैयार हैं। दिल्ली सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाली आतिशी का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प और चुनौतियों से भरा रहा है। साल 2013 में आतिशी ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और जल्द ही पार्टी की प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं। आतिशी की नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए सुधारों की पूरे देश में सराहना हुई।

2015 में, उन्होंने मध्य प्रदेश में जल सत्याग्रह में भाग लिया, जो उनकी समाज सेवा की भावना को प्रदर्शित करता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में, उन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता गौतम गंभीर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार को एक सीख के रूप में लिया और 2020 के विधानसभा चुनावों में कालकाजी सीट से शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को 11,000 से अधिक वोटों से हराया।

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आतिशी की शिक्षा और नीति-निर्माण में गहरी समझ और उनके अनुभव ने उन्हें दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया। अब, वह मुख्यमंत्री के रूप में नई जिम्मेदारियों को संभालने के लिए तैयार हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले मंगलवार को उपराज्यपाल (LG) को अपना इस्तीफा सौंपा था। इस्तीफे के बाद, आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। पार्टी के अंदर और बाहर आतिशी को इस भूमिका के लिए उपयुक्त नेता के रूप में देखा जा रहा है। आतिशी के साथ, पार्टी ने उनकी नई कैबिनेट में चार अन्य मंत्रियों को भी जगह दी है, जो उनके साथ काम करेंगे। इनमें गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन शामिल हैं, जो पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

एक नए चेहरे के रूप में, सुल्तानपुर माजरा से विधायक मुकेश अहलावत को भी कैबिनेट में जगह दी गई है। मुकेश अहलावत अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह राजकुमार आनंद की जगह लेंगे। अब दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल छह मंत्रियों की टीम होगी। शपथ ग्रहण समारोह से पहले आतिशी, प्रस्तावित मंत्रियों के साथ, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके घर पहुंची थीं। यह मुलाकात नई सरकार के एजेंडे और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण थी। बैठक के बाद, आतिशी और अन्य मंत्री केजरीवाल के साथ राजनिवास के लिए निकल गए, जहां वह शपथ लेंगे।

दिल्ली के कैबिनेट मंत्री के रूप में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत शपथ लेंगे। इन मंत्रियों के साथ, दिल्ली की नई सरकार जनता के कल्याण और विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हुए अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। शपथ ग्रहण से पहले, आप नेता गोपाल राय ने कहा, “जनता के लिए काम करना हमारी प्राथमिकता है और दिल्ली की जनता ने हमें काम करने के लिए चुना है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार में बदलाव विशेष परिस्थितियों के कारण हुआ है, लेकिन उनका लक्ष्य बचे हुए महीनों में लंबित कामों को पूरा करना है।

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आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे ने भी शपथ से पहले अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पूरी दिल्ली और देश ने देखा कि कैसे बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को तोड़ने के इरादे से संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया। उन्होंने ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के जरिए हमारे नेताओं को गिरफ्तार करने की कोशिश की। लेकिन अदालतों और संविधान ने हमें न्याय दिया।” मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी की प्राथमिकता दिल्ली की जनता के लिए बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सेवाओं को उपलब्ध कराना होगा। आतिशी का मानना है कि दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार और नई तकनीकों का उपयोग बेहद जरूरी है।

पार्टी के सूत्रों के अनुसार, आतिशी का कार्यकाल पार्टी के एजेंडे को और आगे ले जाने का प्रयास करेगा, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा में और सुधार और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर दिया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को जमानत, आप नेताओं ने दी प्रतिक्रिया, मनीष सिसोदिया ने कहा “सत्यमेव जयते. https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/supreme-court-to-kejriwa/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/supreme-court-to-kejriwa/#respond Fri, 13 Sep 2024 08:28:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4843 दिल्ली की राजनीति में उस समय बड़ा मोड़ आया जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में जमानत दी। जैसे ही यह खबर आई, आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी। पार्टी के बड़े नेता और समर्थक सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं …

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दिल्ली की राजनीति में उस समय बड़ा मोड़ आया जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में जमानत दी। जैसे ही यह खबर आई, आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी। पार्टी के बड़े नेता और समर्थक सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करने लगे। आप के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बेहद भावुक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “सत्यमेव जयते। सत्य की शक्ति से तानाशाही के जेल के ताले टूट गए हैं।” उनका यह बयान संकेत करता है कि पार्टी इसे सिर्फ कानूनी जीत नहीं बल्कि नैतिक जीत के रूप में देख रही है।

सिसोदिया ने बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मैं बाबा साहेब अंबेडकर की सोच और दूरदर्शिता को नमन करता हूं, जिन्होंने आम आदमी को 75 साल पहले ही भविष्य की तानाशाही से लड़ने के लिए सशक्त किया।” उन्होंने इस बयान के जरिए इस बात पर जोर दिया कि यह जीत केवल एक व्यक्ति की नहीं बल्कि एक विचारधारा की है जो जनता के हक के लिए लड़ रही है। दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री आतिशी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “सत्यमेव जयते। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।” उनका यह बयान सीधे तौर पर इस बात को दर्शाता है कि पार्टी को न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था और उन्हें यकीन था कि अंततः सत्य की जीत होगी।

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दिल्ली से राज्यसभा सांसद और आप के प्रमुख नेता राघव चड्ढा ने भी अरविंद केजरीवाल की जमानत पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “अरविंद केजरीवाल केवल एक नाम नहीं, बल्कि ईमानदार राजनीति का ब्रांड हैं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण उन्हें 6 महीने जेल में रहना पड़ा।” राघव का यह बयान संकेत करता है कि पार्टी इस फैसले को सियासी दबाव के तहत लिया गया कदम मानती है।उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान से पढ़ने के बाद पार्टी अपनी आगे की रणनीति बनाएगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि किन शर्तों के तहत केजरीवाल को जमानत दी गई है और क्या इससे पार्टी के अभियान और दिशा में कोई बदलाव आएगा।

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राघव चड्ढा ने यह भी कहा कि दिल्ली और पूरे देश में आप कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच खुशी की लहर है। उन्होंने पुष्टि की कि अरविंद केजरीवाल जल्द ही हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप के प्रचार अभियान का नेतृत्व करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पार्टी को और मजबूती मिलेगी और वे अब आगामी चुनावों में और ज्यादा उत्साह के साथ भाग लेंगे।

 

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दिल्ली शराब नीति केस: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, जानिए किन शर्तों पर रिहा हुए https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/#respond Fri, 13 Sep 2024 06:26:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4837 दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने …

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दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी रिहाई के साथ कुछ सख्त शर्तें भी लगाई हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी है। इसके अलावा, कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि इस मामले को लेकर केजरीवाल कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। अदालत ने निर्देश दिया कि केजरीवाल मुकदमे में पूरी तरह सहयोग करेंगे। इन शर्तों के तहत, केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, जमानत पर रहते हुए केजरीवाल को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:
1.  जमानत के लिए केजरीवाल को 10 लाख के दो मुचलके जमा करने होंगे।
2.  केजरीवाल इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।
3. जमानत की अवधि में केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जा पाएंगे।
4.  अदालत ने यह भी कहा है कि केजरीवाल को मामले की सुनवाई में पूरा सहयोग देना होगा।

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अरविंद केजरीवाल के वकीलों ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी, क्योंकि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी, उसके ठीक बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने सुनवाई की थी। दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग थी, लेकिन जमानत के मामले में वे एकमत थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का मानना था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत सही थी और इसमें कोई अनियमितता नहीं थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान सीबीआई ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का पालन किया। दूसरी ओर, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी केवल मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केजरीवाल को मिली जमानत को विफल करने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि 22 महीने तक सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और फिर अचानक उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता को लेकर सवाल खड़े किए।

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जमानत मिलने के बावजूद, केजरीवाल की कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई का आदेश दिया है, और यह भी कहा गया है कि निकट भविष्य में मुकदमे का अंत होता नहीं दिख रहा। हालांकि, अदालत ने इस बात पर ध्यान दिया कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है, इसलिए जमानत दी जा सकती है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईडी के मामले में जमानत पर लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। यानी केजरीवाल को प्रशासनिक कामकाज से दूर रहना होगा।

अरविंद केजरीवाल की जमानत की खबर के बाद आम आदमी पार्टी के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसे न्याय की जीत बताया है। हालांकि, केजरीवाल के ऊपर लगे आरोप गंभीर हैं और अब आगे की कानूनी प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान केजरीवाल ने खुद पर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था और दावा किया था कि यह केंद्र सरकार की साजिश है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देखना यह होगा कि आगे की सुनवाई में क्या दिशा मिलती है।

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उत्पाद शुल्क नीति घोटाला, अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू. https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/excise-dutyexcise-duty/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/excise-dutyexcise-duty/#respond Thu, 05 Sep 2024 07:05:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4663 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई। केजरीवाल ने उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है और जमानत की मांग की है। केजरीवाल का नाम सीबीआई की प्राथमिकी में नहीं है, और उनकी ओर से पेश वरिष्ठ …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई। केजरीवाल ने उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है और जमानत की मांग की है। केजरीवाल का नाम सीबीआई की प्राथमिकी में नहीं है, और उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में यही तर्क दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के भागने का कोई खतरा नहीं है और उनका आचरण ऐसा नहीं है जिससे समाज को कोई खतरा हो। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि 2023 में शुरू हुई जांच के बाद, केजरीवाल को मार्च 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले शीर्ष अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी और यह भी कहा था कि केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि निचली अदालत और सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें जमानत दे चुकी हैं।

केजरीवाल ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। एक याचिका में उन्होंने जमानत से इनकार किए जाने को चुनौती दी है, जबकि दूसरी में उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें 5 अगस्त को उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले 14 अगस्त को उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, और सीबीआई से इस पर जवाब मांगा था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि अरविंद केजरीवाल उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं जो घोटाले में गवाही दे सकते हैं। इसके बाद ही हाई कोर्ट ने उन्हें नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में आवेदन करने का आदेश दिया था। दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति 2021-2022 में सीबीआई द्वारा अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। जांच के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने इस नीति को रद्द कर दिया था। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया और नीति में जानबूझकर बदलाव किए गए।

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सीबीआई और ईडी के अनुसार, इस नीति को लागू करने में कई स्तरों पर अनियमितताएं की गईं। इससे सरकार को नुकसान हुआ और कुछ विशेष ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया। यह घोटाला तब सामने आया जब दिल्ली सरकार की नीति पर सवाल उठने लगे और उपराज्यपाल ने इस पर सीबीआई जांच के आदेश दिए। अगस्त 2023 में शुरू हुई जांच के बाद, इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं और कई नेताओं पर आरोप लगे। सीबीआई का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी जरूरी है क्योंकि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने भी सीबीआई के इस तर्क को सही माना और मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया।

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वहीं, केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के तहत निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है, और आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि अदालत क्या फैसला देती है।

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सुप्रीम कोर्ट की ईडी को फटकार, मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में आरोपी के अधिकारों पर उठाए सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/supreme-court-ki-ed-ko-fat/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/supreme-court-ki-ed-ko-fat/#respond Wed, 04 Sep 2024 13:06:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4657 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों के मामले में कड़ी आलोचना की। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने की, जहां ईडी द्वारा दस्तावेजों को आरोपियों को न देने के फैसले पर सवाल उठाए गए। न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति …

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों के मामले में कड़ी आलोचना की। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने की, जहां ईडी द्वारा दस्तावेजों को आरोपियों को न देने के फैसले पर सवाल उठाए गए। न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ईडी से पूछा कि क्या जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों को आरोपी से छिपाना उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा? इस मामले की सुनवाई के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों को दस्तावेजों की आपूर्ति से संबंधित अपील पर विचार किया गया। अदालत ने पूछा कि यदि आरोपी को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है, तो क्या उसे आवश्यक दस्तावेजों से वंचित करना न्यायसंगत होगा? न्यायमूर्ति संजय करोल ने सवाल उठाते हुए कहा कि “क्या आरोपी को सिर्फ तकनीकी आधार पर दस्तावेज़ों से वंचित किया जा सकता है?” न्यायमूर्ति ने आगे कहा, “सब कुछ पारदर्शी क्यों नहीं हो सकता? न्याय का उद्देश्य न्याय करना है, न कि आरोपी को अंधेरे में रखना।”

इस मामले में ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए, जिन्होंने तर्क दिया कि यदि आरोपी को दस्तावेज़ों का पता होता है, तो वह उन्हें प्राप्त करने की मांग कर सकता है। लेकिन यदि आरोपी को दस्तावेजों के बारे में पता नहीं है, तो वह सिर्फ अनुमान के आधार पर दस्तावेजों की मांग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “अगर आरोपी को इन दस्तावेजों के अस्तित्व के बारे में जानकारी नहीं है, तो वह इनकी मांग नहीं कर सकता।” जस्टिस अमानुल्लाह ने इस तर्क को चुनौती देते हुए कहा कि समय के साथ कानूनों में परिवर्तन हो रहा है, और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय प्रणाली सख्त न हो जाए। “हम इतने कठोर कैसे हो सकते हैं कि एक व्यक्ति अभियोजन का सामना कर रहा हो, लेकिन हम यह कहें कि दस्तावेज़ सुरक्षित हैं? क्या यह न्याय होगा?” उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य न्याय करना है, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आरोपी को उसके खिलाफ आरोपों से संबंधित सभी दस्तावेज़ मिलें।”

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इस मामले के संदर्भ में, कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य हाई-प्रोफाइल मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया, और बीआरएस नेता के कविता शामिल हैं। इन मामलों में पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) का उपयोग किया गया है, और इस कानून की वैधता पर बार-बार सवाल उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जमानत एक नियम होनी चाहिए, और जेल एक अपवाद। कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 45 का उल्लेख करते हुए कहा कि जमानत के लिए दोहरी शर्तें हैं – प्रथम दृष्टया यह संतोष होना चाहिए कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और जमानत पर रहते हुए वह कोई और अपराध नहीं करेगा।

हालांकि, इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आरोपी को दस्तावेज़ों तक पहुंच का अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि ऐसा कोई दस्तावेज़ नहीं है और यह स्पष्ट रूप से दोषसिद्धि का मामला है, और आरोपी सिर्फ मुकदमे में देरी करने के लिए दस्तावेज़ों की मांग कर रहा है, तो यह अधिकार नहीं दिया जा सकता।” अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। साथ ही, यह फैसला पीएमएलए के तहत चल रही जांचों और मामलों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

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यह मामला विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में पीएमएलए के तहत कई हाई-प्रोफाइल विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, जिससे यह कानून जांच के दायरे में आ गया है। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय हो सकता है।

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दिल्ली में CBI का दावा, केजरीवाल ने गोवा चुनाव के लिए 90 लाख रुपये की रिश्वत देने का किया था वादा https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/cbi-claims-kejriwal-in-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/cbi-claims-kejriwal-in-delhi/#respond Wed, 28 Aug 2024 09:25:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4481 दिल्ली की एक अदालत में मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2022 गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के 40 उम्मीदवारों में से प्रत्येक को 90 लाख रुपये देने का आश्वासन दिया था। यह धनराशि कथित रूप से “दक्षिण समूह” (दक्षिण भारत के …

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दिल्ली की एक अदालत में मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2022 गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के 40 उम्मीदवारों में से प्रत्येक को 90 लाख रुपये देने का आश्वासन दिया था। यह धनराशि कथित रूप से “दक्षिण समूह” (दक्षिण भारत के व्यापारियों) से प्राप्त “रिश्वत के पैसे” से दी जानी थी, जिसके बदले उन्हें अब रद्द हो चुकी आबकारी नीति के मसौदे के दौरान विशेष लाभ दिए गए थे। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक (SPP) डी पी सिंह ने अदालत में कहा, “केजरीवाल दक्षिण समूह के संपर्क में थे… पूरी धनराशि को गोवा चुनावों के लिए AAP में स्थानांतरित कर दिया गया था। प्रत्येक उम्मीदवार को 90 लाख रुपये दिए जाने थे।”

CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले दावा किया था कि “दक्षिण समूह” से प्राप्त 45 करोड़ रुपये की रिश्वत को AAP के 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव अभियान में खर्च किया गया था। SPP सिंह ने यह भी कहा, “दुर्गेश पाठक (AAP विधायक) गोवा चुनाव अभियान के प्रभारी थे… चुनावों के लिए धनराशि पाठक के निर्देश पर स्थानांतरित की गई थी।” अभियोजन पक्ष के अनुसार, केजरीवाल ने उम्मीदवारों से कहा था कि चुनाव प्रचार के लिए आवश्यक धन के बारे में चिंता न करें।

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इस बीच, केजरीवाल, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से सुनवाई में शामिल हुए, ने अदालत से दोपहर का भोजन करने की अनुमति मांगी। “मेरा शुगर (स्तर) नीचे जा रहा है। क्या मैं कृपया भोजन कर सकता हूँ?” उन्होंने कहा। अदालत ने उन्हें अनुमति दे दी और उनकी न्यायिक हिरासत को 3 सितंबर तक बढ़ा दिया। इसके बाद, SPP सिंह ने पी सरथ चंद्र रेड्डी (दक्षिण समूह के सदस्य और मामले में माफी देने वाले) की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “उन्होंने के. कविता (BRS नेता) को एक “नकली” भूमि सौदे के लिए 14 करोड़ रुपये दिए। ये 14 करोड़ रुपये AAP को दिए गए थे… रेड्डी ‘रिश्वत देने वाले’ थे।”

केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। 26 जून को, CBI ने उन्हें “घोटाले” से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में वह अब भी न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई के अदालत में दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए, AAP ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी, “अपनी एजेंसियों के माध्यम से, बिना किसी सबूत के असत्यापित कहानियाँ गढ़ती रहती है। AAP नेताओं को दो साल से अधिक समय से परेशान किया जा रहा है, लेकिन आज तक एक पैसा भी बरामद नहीं हुआ है।”

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AAP ने आगे कहा, “BJP का एकमात्र उद्देश्य है सुर्खियाँ बनाना, बिना किसी ठोस सबूत के, ताकि AAP को बदनाम किया जा सके, लेकिन दिल्ली के लोग BJP की इन दुर्भावनापूर्ण योजनाओं को समझ चुके हैं… देश के सभी भ्रष्ट राजनेता BJP में शामिल हो गए हैं और इस बार, आगामी चुनावों में BJP की सभी जमानतें जब्त हो जाएंगी।”

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दिल्ली शराब घोटाला: ईडी-सीबीआई की कार्यशैली पर उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट से के कविता को मिली जमानत. https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/delhi-liquor-scam-ed-c/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/delhi-liquor-scam-ed-c/#respond Tue, 27 Aug 2024 09:40:13 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4446 दिल्ली शराब घोटाले मामले में भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए के कविता को जमानत देने का फैसला किया। इस मामले में पहले ही दो बड़े नेता, संजय …

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दिल्ली शराब घोटाले मामले में भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए के कविता को जमानत देने का फैसला किया। इस मामले में पहले ही दो बड़े नेता, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया, जमानत पा चुके हैं, और अब के कविता तीसरी बड़ी नेता बन गई हैं जिन्हें जमानत मिली है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जमानत के आदेश में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

अदालत ने एजेंसियों के चयनात्मक रुख और कुछ आरोपियों को गवाह बनाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि अभियोजन निष्पक्ष होना चाहिए, और यह नहीं हो सकता कि जिसे आप चाहें उसे गवाह बना दें और जिसे चाहें आरोपी बना दें। उन्होंने कहा, “अगर एक व्यक्ति ने खुद को दोषी बताया है, तो उसे गवाह बनाना न्यायसंगत नहीं है। यह स्थिति दर्शाती है कि कहीं न कहीं निष्पक्षता के साथ खिलवाड़ हो रहा है।”

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जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू को चेतावनी भी दी कि यदि वे मेरिट के आधार पर जमानत का विरोध करते रहे, तो अदालत अपनी टिप्पणियों को आदेश में शामिल कर सकती है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभियोजन को निष्पक्ष और संतुलित रहना चाहिए, और कानून के दायरे में काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई और ईडी की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट व अन्य दस्तावेज अदालत में पेश किए जा चुके हैं। इसलिए, आरोपी से अब और हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। के कविता को पांच महीने से जेल में रखा गया है, जबकि जांच एजेंसियों के पास सभी सबूत पहले से मौजूद हैं। अदालत ने यह भी माना कि इस मामले का ट्रायल जल्द पूरा नहीं हो सकता, क्योंकि इसमें 493 गवाहों और 50,000 पन्नों के दस्तावेजों की जांच की जानी है।

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अदालत ने मनीष सिसोदिया के मामले में दी गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि “अंडर ट्रायल” की अवधि को सजा में नहीं बदला जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि पीएमएलए (PMLA) एक्ट की धारा 45(1) के तहत महिलाओं को जमानत के लिए विशेष विचार दिया गया है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की उस ऑब्जर्वेशन की भी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि पीएमएलए एक्ट महिलाओं को विशेष दर्जा नहीं देता। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत ठहराते हुए कहा कि महिलाओं को जमानत देने के लिए कानून में विशेष प्रावधान मौजूद है, और इस प्रावधान को ध्यान में रखकर ही फैसला लिया जाना चाहिए।

 

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दिल्ली आबकारी नीति घोटाला: अरविंद केजरीवाल की जमानत पर फिर लटकी तलवार, अदालत ने सुनवाई 5 सितंबर तक टाली. https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/delhi-excise-policy-scam/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/delhi-excise-policy-scam/#respond Fri, 23 Aug 2024 07:20:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4386 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अदालत से जमानत नहीं पा सके। सीबीआई द्वारा अधिक समय की मांग किए जाने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई को 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अदालत से जमानत नहीं पा सके। सीबीआई द्वारा अधिक समय की मांग किए जाने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई को 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सीबीआई ने केजरीवाल की जमानत का जोरदार विरोध किया, जिसके चलते मामले की सुनवाई को टालना पड़ा। इससे पहले 14 अगस्त को अदालत ने केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था और एजेंसी से अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। आज, सीबीआई ने अदालत में अपना जवाब पेश किया, लेकिन अदालत ने अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया है। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति में घोटाला कर सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया।

आम आदमी पार्टी (AAP) ने अरविंद केजरीवाल को लेकर एक नया अभियान शुरू किया है। पार्टी ने दावा किया है कि “तानाशाह की जेल की दीवारें” केजरीवाल को रोक नहीं पाएंगी और वह जल्द ही बाहर आएंगे, जैसे मनीष सिसोदिया आए थे। इस अभियान में पार्टी ने एक नया नारा भी दिया है, “मनीष सिसोदिया आ गए, केजरीवाल आएंगे।” 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने मामले की गहन जांच के लिए इसे एक बड़ी पीठ को भेज दिया था, जिसमें केजरीवाल की गिरफ्तारी की आवश्यकता के सवाल पर विचार किया जाना था। हालांकि, सीबीआई द्वारा दायर घोटाले के मामले में वह अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।

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गौरतलब है कि केजरीवाल को सबसे पहले 21 मार्च को उनके मुख्यमंत्री आवास से गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के पीछे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मनी लॉन्ड्रिंग के तहत चल रही जांच थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई के मामले में उनकी जमानत अभी तक नहीं मिल सकी है। केजरीवाल की गिरफ्तारी और अदालती प्रक्रिया ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता उनके समर्थन में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। पार्टी का मानना है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है और केजरीवाल के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। वहीं, सीबीआई और ईडी का दावा है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं, जो इस घोटाले में केजरीवाल की संलिप्तता को साबित करते हैं।

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अभी देखना होगा कि 5 सितंबर को अदालत में क्या निर्णय होता है। अगर केजरीवाल को जमानत मिलती है, तो यह आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत होगी। वहीं, अगर जमानत नहीं मिलती, तो पार्टी के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इस मामले का असर आने वाले दिल्ली चुनावों पर भी पड़ सकता है, जहां आम आदमी पार्टी की साख दांव पर लगी हुई है।

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दिल्ली अदालत ने अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 27 अगस्त तक बढ़ाई, सीबीआई मामले में अगली सुनवाई का इंतजार https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/delhi-court-judge-arvind-k/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/20/delhi-court-judge-arvind-k/#respond Tue, 20 Aug 2024 10:59:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4381 दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत की अवधि को मंगलवार को 27 अगस्त तक बढ़ा दिया। यह फैसला सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार के एक मामले के संबंध में किया गया है। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश किए गए केजरीवाल …

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दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत की अवधि को मंगलवार को 27 अगस्त तक बढ़ा दिया। यह फैसला सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार के एक मामले के संबंध में किया गया है। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश किए गए केजरीवाल की हिरासत की अवधि बढ़ाने का आदेश दिया। अब अदालत 27 अगस्त को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर पूरक आरोप पत्र पर विचार करेगी।

इससे पहले, केजरीवाल को कथित उत्पाद शुल्क घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया था। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 21 मार्च को मुख्यमंत्री आवास से केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके अंतरिम संरक्षण की याचिका को अस्वीकार कर दिया था, जिससे उनकी तत्काल राहत की संभावना समाप्त हो गई थी। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद, 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीन महत्वपूर्ण सवालों पर गहन विचार करने के लिए एक बड़ी पीठ को निर्देशित किया था। यह पीठ उन सवालों पर विचार करेगी जिनसे यह तय किया जाएगा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी की आवश्यकता है या नहीं।

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हालांकि, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी, लेकिन सीबीआई मामले में आरोपी होने के कारण वह अब भी न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई ने केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और मामले की जांच जारी है। 27 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान अदालत सीबीआई द्वारा दायर पूरक आरोप पत्र पर विचार करेगी, जो कि इस मामले में आगे की कार्यवाही को तय करेगा। इस बीच, केजरीवाल की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाई गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि मामले में अभी और जांच और कानूनी कार्यवाही की आवश्यकता है।

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इस मामले में की जा रही कार्यवाही का राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि यह देश की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी और उसके नेता के खिलाफ चल रहा मामला है। ऐसे में इस केस की अदालत में होने वाली अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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दिल्ली शराब नीति घोटाला, सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली अंतरिम जमानत, 23 अगस्त को होगी अगली सुनवाई. https://chaupalkhabar.com/2024/08/14/delhi-liquor-policy-scam-s/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/14/delhi-liquor-policy-scam-s/#respond Wed, 14 Aug 2024 06:55:34 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4304 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए CBI को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 23 …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए CBI को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की है। दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट में यह सुनवाई हो रही थी। आम आदमी पार्टी (AAP) को उम्मीद थी कि मनीष सिसोदिया को अंतरिम जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल को भी जमानत मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने आज (14 अगस्त) को मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें हाई कोर्ट ने CBI द्वारा उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया था।

यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया। जब सोमवार को अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया, तो शीर्ष अदालत ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 5 अगस्त को दिए गए अपने फैसले में मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि CBI की कार्यवाही में कोई दुर्भावना नहीं थी। हाई कोर्ट ने कहा कि CBI ने यह दिखाया है कि किस तरह अरविंद केजरीवाल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, और उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाहों ने गवाही देने का साहस जुटाया।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और सबूत जुटाने के बाद उनके खिलाफ ‘लूप ऑफ एविडेंस’ को बंद कर दिया गया था और यह नहीं कहा जा सकता कि यह गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के या अवैध थी। हाई कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान इस तथ्य पर भी जोर दिया कि अरविंद केजरीवाल सिर्फ एक साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसेसे पुरस्कार विजेता और AAP के संयोजक हैं। कोर्ट ने कहा कि गवाहों पर उनका प्रभाव और नियंत्रण प्रथम दृष्ट्या इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि ये गवाह उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने के लिए तैयार हुए।

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इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि CBI की कार्रवाई में किसी प्रकार की दुर्भावना का संकेत नहीं मिलता है। हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अपराध के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के पद के कारण उनके प्रभाव के कारण गवाह सामने नहीं आ रहे थे। यह स्पष्ट किया गया कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए।

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सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल इस मामले पर आगे की सुनवाई 23 अगस्त को होगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट उस दिन क्या फैसला सुनाती है, क्योंकि यह मामला दिल्ली की राजनीति और कानूनी प्रक्रियाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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