Delhi University - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 17 Sep 2024 07:29:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Delhi University - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 शिक्षक से लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री तक, आतिशी का सफर और उपलब्धियाँ. https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/from-teacher-to-delhis-mother/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/from-teacher-to-delhis-mother/#respond Tue, 17 Sep 2024 07:28:23 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4925 आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना गया है। आतिशी, जो 2020 में पहली बार विधायक बनी थीं, अब दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। यह फैसला विधायक दल की …

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आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना गया है। आतिशी, जो 2020 में पहली बार विधायक बनी थीं, अब दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। यह फैसला विधायक दल की बैठक में मंगलवार को लिया गया। इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी।

आतिशी का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली में हुआ था। उनके माता-पिता, विजय सिंह और त्रिप्ता वाही, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में प्रोफेसर थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के प्रतिष्ठित स्प्रिंगडेल्स स्कूल, पूसा रोड से हुई। बाद में उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा का सफर यहीं नहीं रुका। उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शेवनिंग स्कॉलरशिप पर मास्टर्स करने का अवसर मिला। इसके बाद रोड्स स्कॉलरशिप के तहत भी उन्होंने ऑक्सफोर्ड से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

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राजनीति में कदम रखने से पहले आतिशी ने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। उन्होंने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में लगभग 7 वर्षों तक काम किया। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में इतिहास और अंग्रेज़ी पढ़ाया। शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें दिल्ली के शिक्षा संस्थानों में सुधार के लिए एक अहम भूमिका निभाने का अवसर दिया। उनके प्रयासों का असर दिल्ली के सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के रूप में देखा गया।

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आतिशी ने 2013 में आम आदमी पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने 2015 से 2018 तक मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम किया। 2019 में उन्होंने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि वे गौतम गंभीर से हार गईं। लेकिन 2020 में उन्होंने कालकाजी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की और दिल्ली विधानसभा में पहुंचीं। 9 मार्च 2023 को आतिशी पहली बार दिल्ली सरकार में मंत्री बनीं। उनके पास शिक्षा और PWD समेत 13 मंत्रालयों का प्रभार था। आतिशी का दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने का सफर उनके नेतृत्व, शिक्षा के प्रति समर्पण और जनता की सेवा में निरंतरता का प्रमाण है।

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दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को ऑनलाइन मार्कशीट डाउनलोड से मिलेगा छुटकारा, अब हाथ में मिलेगी मार्कशीट. https://chaupalkhabar.com/2024/06/13/delhi-university/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/13/delhi-university/#respond Thu, 13 Jun 2024 05:45:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3574 दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने नए शैक्षणिक सत्र से अपने छात्रों को मार्कशीट की हार्ड कॉपी प्रदान करने का निर्णय लिया है। अब तक छात्रों को परीक्षा परिणामों के बाद अपनी मार्कशीट ऑनलाइन डाउनलोड करनी पड़ती थी। लेकिन, अब डीयू प्रशासन ने एक बार फिर छात्रों को मार्कशीट की हार्ड कॉपी देने का फैसला किया है। …

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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने नए शैक्षणिक सत्र से अपने छात्रों को मार्कशीट की हार्ड कॉपी प्रदान करने का निर्णय लिया है। अब तक छात्रों को परीक्षा परिणामों के बाद अपनी मार्कशीट ऑनलाइन डाउनलोड करनी पड़ती थी। लेकिन, अब डीयू प्रशासन ने एक बार फिर छात्रों को मार्कशीट की हार्ड कॉपी देने का फैसला किया है। इस मार्कशीट में छात्र का फोटो भी होगा और इसके पीछे विश्वविद्यालय का कुलगीत लिखा होगा। इससे पहले, दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को विशेष सुरक्षा फीचर के साथ डिग्री प्रदान करने की पहल की थी, जिसे नक़ल करना असंभव था। अब डीयू प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि छात्रों को उनकी मार्कशीट की हार्ड कॉपी दी जाए, जिसमें कुछ नई विशेषताएँ होंगी। उदाहरण के तौर पर, पहले केवल छात्र का नाम मार्कशीट पर होता था, लेकिन अब इसमें छात्र का फोटो भी शामिल होगा। इसके अतिरिक्त, मार्कशीट के पीछे डीयू का कुलगीत लिखा होगा।

डीयू के एक अधिकारी ने बताया कि 2012 तक विश्वविद्यालय अपने छात्रों को मार्कशीट की हार्ड कॉपी प्रदान करता था। उस समय, व्यवस्था को डिजिटल बनाने और कागज की बचत करने के उद्देश्य से इसे ऑनलाइन कर दिया गया था। हालांकि, अब एक बार फिर पुरानी व्यवस्था को नए तरीके से शुरू किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के ओएसडी प्रो. अजय अरोड़ा ने कहा कि डिग्री की तरह मार्कशीट में सुरक्षा फीचर नहीं जोड़े जा रहे हैं, लेकिन इसे तैयार करने में उच्च गुणवत्ता वाले कागज का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि छात्र लगातार हार्ड कॉपी की मांग कर रहे थे क्योंकि कई बार ऑनलाइन मार्कशीट डाउनलोड करने में समस्याएं आती थीं।

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प्रो. अजय अरोड़ा ने यह भी कहा कि कई बार सर्वर ठप होने की वजह से छात्रों को मार्कशीट डाउनलोड करने में दिक्कतें आती थीं। इसके अलावा, कई जगहों पर ऑनलाइन मार्कशीट को मान्यता देने में भी समस्याएं होती थीं। छात्रों की इन परेशानियों को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने हार्ड कॉपी प्रदान करने का निर्णय लिया है। प्रारंभ में, नियमित कॉलेजों के छात्रों को यह सुविधा दी जाएगी और इसके बाद स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के छात्रों के लिए भी इसे शुरू किया जाएगा। इसको लेकर भी काम किया जा रहा है। छात्रों ने इस निर्णय पर हर्ष व्यक्त किया है। एक छात्र शेखर ने कहा कि छात्रों की लगातार मांग थी कि उन्हें मार्कशीट की हार्ड कॉपी दी जाए। उन्होंने बताया कि सर्वर ठप होने के कारण कई बार मार्कशीट डाउनलोड नहीं हो पाती थी, और कई जगहों पर ऑनलाइन कॉपी को मान्यता देने में समस्याएं होती थीं। हार्ड कॉपी मिलने से इन सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

डीयू प्रशासन का यह निर्णय न केवल छात्रों की समस्याओं को हल करेगा बल्कि उन्हें अपने शैक्षिक दस्तावेज़ों की सुरक्षा और विश्वसनीयता के प्रति भी आश्वस्त करेगा। इस पहल से छात्रों को मार्कशीट की हार्ड कॉपी रखने की सुविधा मिलेगी, जो कि भविष्य में उनके लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ साबित होगी। विश्वविद्यालय ने यह भी सुनिश्चित किया है कि मार्कशीट को तैयार करने में उत्तम गुणवत्ता के कागज का उपयोग किया जाएगा, जिससे यह लंबे समय तक सुरक्षित रहेगी। इससे पहले, विश्वविद्यालय ने दीक्षा समारोह में छात्रों को सुरक्षा फीचर्स के साथ डिग्री प्रदान की थी, जिसे न तो कॉपी किया जा सकता है और न ही 200 डिग्री सेल्सियस पर नष्ट किया जा सकता है।

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डीयू का यह कदम छात्रों की जरूरतों और उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। इससे छात्रों को न केवल अपने शैक्षिक दस्तावेज़ों की एक प्रमाणिक प्रति मिलेगी, बल्कि वे इसे बिना किसी कठिनाई के विभिन्न स्थानों पर प्रस्तुत कर सकेंगे। इस नई व्यवस्था से छात्रों को मार्कशीट की हार्ड कॉपी मिलने के बाद उनके शैक्षिक और व्यावसायिक जीवन में सुविधा और सुरक्षा का एक नया अध्याय शुरू होगा।

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भारतीय विश्वविद्यालयो में भी अब विदेशी विश्वविद्यालयो की तरह दो बार हो सकेगा दाख़िला. https://chaupalkhabar.com/2024/06/12/in-indian-universities/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/12/in-indian-universities/#respond Wed, 12 Jun 2024 07:13:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3561 भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अब विदेशी विश्वविद्यालयों की तर्ज पर साल में दो बार दाखिला लेने की सुविधा मिलेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसी साल से इस नई व्यवस्था को लागू करने की मंजूरी दे दी है। इससे छात्रों को दाखिले का पहला मौका जुलाई-अगस्त में और दूसरा मौका जनवरी-फरवरी में …

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भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अब विदेशी विश्वविद्यालयों की तर्ज पर साल में दो बार दाखिला लेने की सुविधा मिलेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसी साल से इस नई व्यवस्था को लागू करने की मंजूरी दे दी है। इससे छात्रों को दाखिले का पहला मौका जुलाई-अगस्त में और दूसरा मौका जनवरी-फरवरी में मिलेगा। यूजीसी ने इस संबंध में इच्छुक विश्वविद्यालयों को आवश्यक व्यवस्थाएँ जुटाने के निर्देश भी दिए हैं। वर्तमान में, विश्वविद्यालयों सहित अन्य सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में नियमित पाठ्यक्रमों में दाखिला साल में केवल एक बार, यानी जुलाई-अगस्त के बीच ही मिलता है। यूजीसी ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब इन उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के अनुसार, विश्वविद्यालयों सहित सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में यह व्यवस्था इसी शैक्षणिक सत्र से, यानी 2024-25 से ही शुरू हो जाएगी। हालांकि, यह किसी के लिए अनिवार्य नहीं होगा। संस्थान छात्रों की मांग के आधार पर इस व्यवस्था को लागू कर सकेंगे। इस दौरान दोनों सत्रों में छात्रों को नियमित कोर्स में दाखिला दिया जाएगा। इससे पहले भी यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को साल में दो बार दाखिला देने की अनुमति दी थी, लेकिन यह केवल ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के लिए था।

यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर कुमार ने कहा कि इस नई व्यवस्था से उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों के दाखिले में आने वाली दिक्कतें खत्म हो जाएंगी। मौजूदा व्यवस्था के तहत यदि कोई छात्र जुलाई-अगस्त में दाखिला लेने से चूक जाता था, तो उसे पूरे साल इंतजार करना पड़ता था। प्रोफेसर कुमार ने एक आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए बताया कि 2022 में ऑनलाइन कोर्स में साल में दो बार दाखिला देने की अनुमति के बाद, जुलाई सत्र में जहां 19.73 लाख छात्रों ने दाखिला लिया था, वहीं जनवरी सत्र में भी 4.28 लाख छात्रों ने दाखिला लिया था। इससे स्पष्ट है कि बड़ी संख्या में छात्र विभिन्न कारणों जैसे बीमारी, रिजल्ट देर से आने आदि के कारण दाखिला लेने से वंचित रह जाते हैं। इस नई व्यवस्था से छात्रों को बेहतर अवसर मिलेंगे और उन्हें अपने करियर की दिशा में समय की बचत होगी। इसके अलावा, यह व्यवस्था उन छात्रों के लिए भी लाभकारी होगी जो किसी कारणवश नियमित सत्र में दाखिला नहीं ले पाते थे। उदाहरण के लिए, कई छात्र अपने रिजल्ट देर से आने या व्यक्तिगत कारणोंसे जुलाई-अगस्त में दाखिला नहीं ले पाते थे और उन्हें अगले साल तक इंतजार करना पड़ता था। अब उन्हें इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी और वे जनवरी-फरवरी में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेंगे। इससे छात्रों की शिक्षा में निरंतरता बनी रहेगी और वे अपने करियर को समय पर पूरा कर सकेंगे।

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यूजीसी के इस निर्णय का स्वागत उच्च शिक्षण संस्थानों ने भी किया है। उनका मानना है कि यह कदम न केवल छात्रों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि संस्थानों को भी अपनी सीटें भरने में मदद मिलेगी। अक्सर देखा जाता है कि जुलाई-अगस्त में कुछ सीटें खाली रह जाती हैं, जिन्हें अब जनवरी-फरवरी में भरा जा सकेगा। इससे संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता और वित्तीय स्थिरता में सुधार होगा। यूजीसी ने संस्थानों को यह भी निर्देश दिया है कि वे अपनी शैक्षणिक कैलेंडर और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में आवश्यक बदलाव करें ताकि दोनों सत्रों में दाखिला प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके। इसके लिए संस्थानों को अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति, सूचना प्रौद्योगिकी ढांचे में सुधार और अन्य प्रशासनिक तैयारियाँ करनी होंगी। यूजीसी ने यह भी कहा है कि संस्थानों को छात्रों की सुविधा के लिए दाखिला प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना चाहिए।

इसके अलावा, यूजीसी ने इस नई व्यवस्था के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों को सभी शैक्षणिक सुविधाएँ प्रदान करने का भी निर्देश दिया है। इसमें लाइब्रेरी, प्रयोगशाला, छात्रावास और अन्य आवश्यक सुविधाएँ शामिल हैं। यूजीसी का कहना है कि इससे छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी और वे अपने शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे।

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इस नई व्यवस्था के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों को वही पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम सामग्री मिलेगी जो जुलाई-अगस्त सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को मिलती है। इससे सुनिश्चित होगा कि सभी छात्रों को समान शैक्षणिक अवसर प्राप्त हों और वे अपनी पढ़ाई में किसी भी प्रकार की असमानता महसूस न करें। यूजीसी के इस निर्णय से छात्रों के दाखिला लेने में आसानी होगी और उन्हें अपने शैक्षणिक और करियर लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे उच्च शिक्षण संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी। कुल मिलाकर, यह कदम भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को और अधिक लचीला और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

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प्रोफेसर Ritu Singh के समर्थन में नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को हिरासत में लिया गया https://chaupalkhabar.com/2024/01/20/bhim-army-chief-chandra-shekhar-azad-and-delhi-university-students-detained-during-north-campus-protest-in-support-of-professor-ritu-singh/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/20/bhim-army-chief-chandra-shekhar-azad-and-delhi-university-students-detained-during-north-campus-protest-in-support-of-professor-ritu-singh/#respond Sat, 20 Jan 2024 10:03:18 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2182 दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को पूर्व सहायक प्रोफेसर रितु सिंह के समर्थन में नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह को हिरासत में ले लिया। सिंह की सेवाएं दौलत राम कॉलेज ने 2020 में समाप्त कर दी थीं, परंतु उनका समर्थन …

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दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को पूर्व सहायक प्रोफेसर रितु सिंह के समर्थन में नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह को हिरासत में ले लिया। सिंह की सेवाएं दौलत राम कॉलेज ने 2020 में समाप्त कर दी थीं, परंतु उनका समर्थन और मुद्दा अब भी गरमा गरम हैं।

 

दौलत राम कॉलेज प्रशासन के खिलाफ उठाए गए आरोपों में कथित जाति-आधारित भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप शामिल है। यह मुद्दा कोर्ट में सुलझाने की कोशिश हो रही है, लेकिन इसका असर उच्च शिक्षा से लेकर समाज के विभिन्न वर्गों तक फैल रहा है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “आजाद अपने समर्थकों के साथ नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन करने आए थे, परंतु प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया क्योंकि उन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं थी।”इस स्थिति ने स्थानीय लोगों के बीच उच्च न्यायिक और सामाजिक चर्चाओं को भी उत्तेजित किया है।

New Delhi: Bhim Army president Chandrashekhar Azad takes part in a protest  in support of Prof. Ritu Singh #Gallery

आज़ाद सहित लगभग 80 लोगों को हिरासत में लिया गया और उन्हें बुराड़ी पुलिस स्टेशन ले जाया गया। परंतु इसके कुछ घंटों के बाद, उन्हें रिहा कर दिया गया, जिसने विवाद को और भी गहरा बना दिया।

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दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की सदस्य माया जॉन ने इस मामले पर रोष जताया और कहा, “विश्वविद्यालय परिसर और बाहर लोकतांत्रिक स्थान तेजी से सिकुड़ रहा है और  जो की काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने इस मामले को निंदनीय बताया और कहा कि अधिकारियों द्वारा विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाना लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से खतरनाक है।

 

Bhim Army president Chandrashekhar Azad takes part in a protest in support  of Prof. Ritu Singh

 

माया जॉन ने आगे कहा, “आज जो हुआ वह वास्तव में निंदनीय है… जिस तरह से अधिकारी विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा रहे हैं, प्रतिरोध के लिए कोई लोकतांत्रिक जगह नहीं छोड़ रहे हैं।” यह देश के लिए काफी शर्मशार करने वाली बात है की  एक लोकतान्त्रिक देश के नागरिक होने पर भी  हम अपनी आवाज को नहीं उठा पा रहे हमारी आवाज को दबाया जा रहा है जो की सही नहीं है  इसके साथ ही उन्होंने सभी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट होने के लिए कहा, ताकि वे प्रशासनिक अधिनायकवाद, दमन और जवाबदेही के खिलाफ सामूहिक रूप से आवाज उठा सकें।

 

इस घटना के बाद से दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं के बीच उच्चतम स्तर पर चर्चाएं हो रही हैं और इस मुद्दे पर विचार-विमर्श तेजी से बढ़ रहा है। इससे सामाजिक जागरूकता और लोकतंत्र की रक्षा में सामाजिक सक्रियता बढ़ रही है, जिससे यह साबित हो रहा है कि नागरिकों की भागीदारी और आवाज़ बनी रहना हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है।

By Neelam Singh.

 

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