Devendra Fadnavis - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 28 Oct 2024 08:46:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Devendra Fadnavis - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 महाराष्ट्र चुनाव 2024: रिपब्लिकन पार्टी को सीट ना मिलने पर अठावले नाराज, फडणवीस से की शिकायत. https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/maharashtra-election-2024-republic/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/maharashtra-election-2024-republic/#respond Mon, 28 Oct 2024 08:46:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5288 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख नजदीक आ रही है, पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद भी गहराता जा रहा है। मंगलवार, 29 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन है, लेकिन अब तक महायुती में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) को एक भी सीट …

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख नजदीक आ रही है, पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद भी गहराता जा रहा है। मंगलवार, 29 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन है, लेकिन अब तक महायुती में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) को एक भी सीट नहीं दी गई है। आरपीआई प्रमुख रामदास अठावले ने इस पर नाराजगी जाहिर की है और इसे अपनी पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया है। अठावले ने शिकायत की है कि सीट बंटवारे पर जितनी भी बैठके हुईं, उनमें आरपीआई को नजरअंदाज किया गया और उनकी पार्टी को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। अठावले ने इस संदर्भ में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और उन्हें एक पत्र भी सौंपा, जिसमें आरपीआई को सीट देने की मांग की गई है।
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आरपीआई प्रमुख रामदास अठावले ने कहा कि उनकी देवेंद्र फडणवीस से बातचीत हुई है और उन्हें भरोसा दिया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कोटे से आरपीआई को एक विधानसभा सीट दी जाएगी। इसके अलावा फडणवीस ने एक विधान परिषद (एमएलसी) सीट देने का भी वादा किया है। अठावले का मानना है कि आरपीआई का महायुती में होना समाज के लिए एक बड़ी बात है, लेकिन उन्हें नजरअंदाज करना गलत है। उनका कहना है कि आरपीआई महायुती और एनडीए का अभिन्न हिस्सा है, और उन्हें सीटों का आवंटन न होना अनुचित है।
महायुती में इस बार सीटों का बंटवारा विभिन्न दलों के बीच इस प्रकार हुआ है:
•भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 121 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
•शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) को 65 सीटें मिली हैं।
•एनसीपी (अजित पवार गुट) ने 49 उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

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महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं, जिनके लिए आगामी 20 नवंबर को मतदान होगा, और 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। रामदास अठावले ने इसे अपनी पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया और कहा कि इस नजरअंदाजी से पार्टी और उनके समाज को गहरा धक्का पहुंचा है। उनका मानना है कि अगर महायुती में शामिल अन्य दलों ने आरपीआई को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया, तो यह उनकी पार्टी के प्रति अनदेखी और समाज के प्रति अन्याय है। अठावले के मुताबिक, महायुती के अन्य नेताओं के लिए आरपीआई को नजरअंदाज करना सही नहीं है और इससे उनकी पार्टी के प्रति जनता में गलत संदेश जाएगा। वे चाहते हैं कि आरपीआई को महाराष्ट्र की राजनीति में उचित स्थान और प्रतिनिधित्व मिले।
महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में आरपीआई की भूमिका को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि फडणवीस के आश्वासन के बाद आरपीआई को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या वाकई उन्हें एक सीट मिलती है और वे इसे कैसे उपयोग में लाते हैं।
By Neelam Singh.
https://youtu.be/1bRj_y6QzV4?si=6kaeWVLdNCq-a9yH

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महाराष्ट्र में सत्ता की चाबी विदर्भ के हाथ, भाजपा और कांग्रेस की रणनीतियां क्या कहती हैं? https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/maharashtra-in-power-cha/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/maharashtra-in-power-cha/#respond Thu, 24 Oct 2024 10:13:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5284 महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र विधानसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र की 62 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें इसे राज्य की राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाती हैं। कहा जाता है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिलता है, वह महाराष्ट्र की सत्ता के करीब पहुंच जाता है। इस बार फिर …

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महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र विधानसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र की 62 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें इसे राज्य की राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाती हैं। कहा जाता है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिलता है, वह महाराष्ट्र की सत्ता के करीब पहुंच जाता है। इस बार फिर से कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता संघर्ष जारी है, और दोनों दल अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में हैं। विदर्भ का राजनीतिक इतिहास देखें तो यह इलाका हमेशा से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद यहां भाजपा ने भी अपनी मजबूत पैठ बनाई। भाजपा की पितृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय नागपुर में स्थित है, जिससे भाजपा को क्षेत्रीय स्तर पर बढ़त हासिल हुई। नागपुर से ही भाजपा के बड़े नेता नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस का उदय हुआ। नितिन गडकरी जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, वहीं फडणवीस 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे।

विदर्भ में भाजपा के इन दिग्गज नेताओं के चलते कई विकास कार्य हुए, जिन्हें जनता भी स्वीकार करती है। नागपुर समेत अन्य क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है, और गढ़चिरौली जैसे पिछड़े इलाके में उद्योगों की स्थापना ने रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। बावजूद इसके, पिछले कुछ चुनावों में भाजपा की सीटें घटती हुई नजर आई हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने विदर्भ की 10 में से 10 सीटें जीती थीं, लेकिन 2019 में यह संख्या घटकर सिर्फ 2 रह गई। लोकसभा की तरह विधानसभा चुनावों में भी यही पैटर्न दिखा। 2014 में भाजपा को 62 विधानसभा सीटों में से 44 सीटें मिली थीं, जिसके बाद वह राज्य की सत्ता में आई। लेकिन 2019 के चुनावों में भाजपा की सीटें घटकर 29 रह गईं, और उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा।

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2024 के चुनावों में भाजपा एक बार फिर से अपने मजबूत विकास कार्यों को मुद्दा बना रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले खुद विदर्भ की कामटी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वे भाजपा सरकार के कामों का हवाला देते हुए दावा कर रहे हैं कि नागपुर जैसे बड़े नगरों में भाजपा के विकास को जनता देख रही है। साथ ही, गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उद्योगों का आना युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ा रहा है। भाजपा को उम्मीद है कि हाल ही में शुरू की गई मुख्यमंत्री लाडली बहिन योजना जैसे सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम उसे फायदा पहुंचाएंगे। इसके अलावा, पार्टी ओबीसी समाज को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, जो इस क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण वोट बैंक है।

दूसरी तरफ, कांग्रेस भी पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में है। कांग्रेस का मानना है कि लोकसभा चुनावों में भाजपा को झटका देने के बाद, वह विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार जैसे बड़े नेता विदर्भ से ही चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस अपने जातीय समीकरणों पर भरोसा कर रही है। इस क्षेत्र में दलित और ओबीसी वोटर्स की संख्या अधिक है, जो कांग्रेस की जीत की कुंजी बन सकते हैं। मराठा कुनबी जैसे बड़े समूह भी कांग्रेस के समर्थन में माने जाते हैं।

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विदर्भ की राजनीति महाराष्ट्र की सत्ता के समीकरण तय करती रही है। 2014 से लेकर अब तक के चुनाव परिणामों ने यह दिखाया है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिला, वह सत्ता के करीब पहुंचा। इस बार फिर से कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है। अब देखना होगा कि कौन सा दल विदर्भ को अपने पक्ष में कर महाराष्ट्र की सत्ता तक पहुंचता है।

By Neelam Singh.

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महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल, शिवसेना (यूबीटी) और भाजपा की मुलाकातों पर उठे सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/politics-of-maharashtra-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/politics-of-maharashtra-2/#respond Tue, 01 Oct 2024 10:34:07 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5179 महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच संभावित मुलाकातों की चर्चाएं तेज हो गई हैं। वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) ने इन मुलाकातों पर बड़ा दावा किया है, जिससे राजनीतिक हलचल और बढ़ गई है। वीबीए के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने एक वीडियो में खुलासा करते हुए …

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महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच संभावित मुलाकातों की चर्चाएं तेज हो गई हैं। वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) ने इन मुलाकातों पर बड़ा दावा किया है, जिससे राजनीतिक हलचल और बढ़ गई है। वीबीए के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने एक वीडियो में खुलासा करते हुए दावा किया है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच गुप्त मुलाकातें हो चुकी हैं। साथ ही, शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। हालांकि, इन मुलाकातों की आधिकारिक पुष्टि भाजपा और शिवसेना (यूबीटी) की ओर से अब तक नहीं की गई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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सिद्धार्थ मोकले ने दावा किया है कि 25 जुलाई को रात 2 बजे संजय राउत ने दिल्ली स्थित ‘7 डी मोतीलाल मार्ग’ पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इसके बाद, 5 अगस्त को रात 12 बजे राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मातोश्री बंगले पर पहुंचे थे, जहां उनकी उद्धव ठाकरे से मुलाकात हुई। मोकले का दावा है कि यह मुलाकात दो घंटे तक चली। इस बैठक में सिर्फ फडणवीस और ठाकरे ही शामिल थे। वीबीए प्रवक्ता मोकले ने आगे कहा कि उद्धव ठाकरे को स्पष्ट करना चाहिए कि 6 अगस्त को दिल्ली दौरे के दौरान उनके साथ कौन-कौन था और उन्होंने किन लोगों से मुलाकात की। मोकले का यह बयान तब आया है जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन चल रहा है।

वीबीए के प्रवक्ता ने अपने बयान में राज्य के आरक्षण समर्थक मतदाताओं को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जो मतदाता आरक्षण के पक्षधर हैं, उन्हें शिवसेना (यूबीटी) और उद्धव ठाकरे का समर्थन मिला है, जबकि भाजपा और उसके सहयोगी दलों की नीतियां आरक्षण के खिलाफ मानी जाती हैं। मोकले ने कहा कि इन मुलाकातों को ध्यान में रखते हुए अगर भविष्य में कोई घटना होती है, तो राज्य के आरक्षण समर्थक मतदाता खुद को ठगा हुआ महसूस न करें।

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वीबीए का यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी के बीच सीटों का बंटवारा जल्द होने वाला है। ऐसे में वीबीए के दावे ने जनता के बीच राजनीतिक संशय पैदा कर दिया है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वीबीए विपक्षी गठबंधन में शामिल हो सकती है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। अब तक इन दावों पर भाजपा या शिवसेना (यूबीटी) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस तरह की मुलाकातें और गठजोड़ राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।

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