Dr. S. Jaishankar - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 11 Sep 2024 06:31:06 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Dr. S. Jaishankar - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान, चीन के साथ व्यापार पर खुलापन और रूस-यूक्रेन संकट पर वार्ता का ज़िक्र https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/foreign-minister-s-jaishankar/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/foreign-minister-s-jaishankar/#respond Wed, 11 Sep 2024 06:31:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4801 बर्लिन में आयोजित वार्षिक राजदूत सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर महत्वपूर्ण बयान दिए। सम्मेलन में जयशंकर ने भारत-चीन व्यापारिक संबंधों और यूक्रेन युद्ध के समाधान पर अपनी राय स्पष्ट की, जिससे इन मुद्दों पर भारत के रुख को लेकर नई दिशा सामने आई। विदेश मंत्री जयशंकर …

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बर्लिन में आयोजित वार्षिक राजदूत सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर महत्वपूर्ण बयान दिए। सम्मेलन में जयशंकर ने भारत-चीन व्यापारिक संबंधों और यूक्रेन युद्ध के समाधान पर अपनी राय स्पष्ट की, जिससे इन मुद्दों पर भारत के रुख को लेकर नई दिशा सामने आई। विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के साथ व्यापार पर भारत की नीति पर विचार साझा किए। उन्होंने साफ किया कि भारत ने चीन के साथ व्यापार के लिए दरवाजे बंद नहीं किए हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत किन क्षेत्रों में चीन के साथ व्यापार करता है और किन शर्तों पर, यह बेहद महत्वपूर्ण और जटिल मुद्दा है।

जयशंकर का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और अन्य कूटनीतिक मुद्दों पर तनाव जारी है। भारत के लिए व्यापारिक संबंधों में सामरिक संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। जहां एक ओर दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियाँ चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर, भारत लगातार आत्मनिर्भरता पर भी ज़ोर दे रहा है और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है।

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जयशंकर ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर भी अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष युद्ध के मैदान में सुलझाया नहीं जा सकता है और दोनों पक्षों को वार्ता की ओर बढ़ना ही होगा। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत इस मुद्दे पर हमेशा से वार्ता का समर्थक रहा है और अगर रूस और यूक्रेन को सलाह की ज़रूरत होगी, तो भारत उसकी पेशकश करने को तैयार रहेगा। जयशंकर ने यह बयान उस दिन दिया जब उन्होंने सऊदी अरब की राजधानी रियाद में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। यह मुलाकात खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई थी।

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जयशंकर ने सम्मेलन के दौरान कहा कि इस संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है और अंततः रूस और यूक्रेन को बातचीत की मेज पर आना ही पड़ेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा असर पड़ा है, और भारत वैश्विक शांति स्थापित करने की दिशा में अपना योगदान देने के लिए प्रयासरत है।

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पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात से पहले विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान, भारत-रूस संबंधों पर दी अहम जानकारी https://chaupalkhabar.com/2024/07/08/pm-modi-and-putin-ki-mula/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/08/pm-modi-and-putin-ki-mula/#respond Mon, 08 Jul 2024 06:31:34 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3863 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 8-9 जुलाई को मॉस्को की यात्रा करेंगे। यह यात्रा 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए हो रही है। इस यात्रा से पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में काफी सुधार हुआ है और यह रूस …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 8-9 जुलाई को मॉस्को की यात्रा करेंगे। यह यात्रा 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए हो रही है। इस यात्रा से पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में काफी सुधार हुआ है और यह रूस के साथ संबंधों में सबसे बड़ा बदलाव है। विदेश मंत्री ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के लिए यह एक शानदार अवसर होगा कि वे दोनों मिलकर संबंधों पर चर्चा करें।जयशंकर ने बताया ,की ” किसी भी देश के साथ बातचीत करने का एक तरीका है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि रूस के साथ हमारे आर्थिक संबंध काफी बढ़ गए हैं। नेतृत्व के स्तर पर, यह एक बड़ा अवसर होगा जब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के लिए एक-दूसरे के साथ बैठकर सीधे वार्तालाप करेंगे

उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की व्यस्तताओं के कारण इस वार्षिक शिखर सम्मेलन में थोड़ी देरी हुई है। जयशंकर ने कहा, “शिखर सम्मेलन में थोड़ी देरी जरूर हुई, लेकिन हम दो देशों के बीच एक साथ काम करने का मजबूत इतिहास रहा है। हम वार्षिक शिखर सम्मेलन की जरूरत को महत्व देते हैं। पिछले साल जब मैं मॉस्को गया था, तो मैं प्रधानमंत्री का संदेश लेकर गया था कि हम वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे जल्द से जल्द करेंगे। यह एक नियमित प्रक्रिया है। यह किसी भी देश से बात करने का एक तरीका है।” जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनों देशों का एक साथ काम करने का एक स्थिर इतिहास रहा है। “हम दुनिया भर में हो रही घटनाओं को देखते हैं और अगर किसी स्थिति में कोई सुधार करना होता है, तो हम मिलते हैं और चर्चा करते हैं। यह बैठक कुछ ऐसी थी जिसका होना तय था।”

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इस प्रकार, यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है। भारत और रूस के बीच लंबे समय से राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, और इस शिखर सम्मेलन से इन संबंधों को और भी मजबूत बनाने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से यह स्पष्ट होता है कि भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में वृद्धि होने की संभावना है।

इस यात्रा के दौरान, दोनों नेता विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें आर्थिक सहयोग, रक्षा साझेदारी, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल होंगे। यह यात्रा दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वे अपने संबंधों को और गहरा करें और साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करें। समग्र रूप से, प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा भारत-रूस संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने का कार्य करेगी, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग और समझ बढ़ेगी। यह यात्रा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है और इसके परिणामस्वरूप कई महत्वपूर्ण समझौतों और साझेदारियों की उम्मीद की जा रही है।

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PM Modi ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का किया उद्घाटन, साथ में नीतीश कुमार भी दिखे। https://chaupalkhabar.com/2024/06/19/pm-modi-inaugurated-nalanda-university/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/19/pm-modi-inaugurated-nalanda-university/#respond Wed, 19 Jun 2024 07:06:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3632 लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर से बिहार पहुंचे हैं। वह थोड़ी देर में राजगीर स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करेंगे और छात्रों को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों के बारे में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की पटना सर्किल हेड गौतमी …

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लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर से बिहार पहुंचे हैं। वह थोड़ी देर में राजगीर स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करेंगे और छात्रों को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों के बारे में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की पटना सर्किल हेड गौतमी भट्टाचार्या से जानकारी प्राप्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों का दौरा किया। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं दिखे, जबकि पहले जानकारी आ रही थी कि सीएम नीतीश कुमार भी उनके साथ रहेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंच गए हैं और वहां के पुराने धरोहरों का मुआयना कर रहे हैं। पीएम मोदी का यूनिवर्सिटी में घूमते हुए वीडियो भी सामने आया है। गया एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री डॉ प्रेम कुमार, लघु सिंचाई मंत्री संतोष सुमन, विधायक और NDA के घटक दल के पदाधिकारियों ने किया। सभी से मिलने के बाद PM मोदी हेलीकॉप्टर से नालंदा के लिए चले गए। इसके बाद गया एयरपोर्ट पर विदेश मंत्री एस जयशंकर भी पहुंचे, जहां मगध प्रमंडल के आयुक्त मयंक बरबड़े और जिला पदाधिकारी डॉक्टर त्याग राजन एस एम ने उनका स्वागत किया। इसके बाद विदेश मंत्री के साथ 16 सदस्यीय शिष्टमंडल सड़क मार्ग से नालंदा के लिए रवाना हो गया।

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नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंचने से पहले पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट कर संदेश दिया। उन्होंने लिखा कि यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत खास दिन है। आज सुबह करीब 10:30 बजे राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया जाएगा। नालंदा का हमारे गौरवशाली अतीत से गहरा नाता है। यह विश्वविद्यालय निश्चित रूप से युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी मदद करेगा। पीएम के आगमन के पहले सुरक्षा के दृष्टि से एसपीजी पहुंच गई है। प्रधानमंत्री का हवाई जहाज गया में लैंड करेगा, जहां से वह राजगीर पहुंचेंगे। सबसे पहले 9 बजकर 45 मिनट पर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावेशष देखने नालंदा आएंगे। इसके बाद नालंदा यूनिवर्सिटी जाएंगे।

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नालंदा यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने बताया कि यह हमारी यूनिवर्सिटी के लिए बहुत ही यादगार क्षण होगा। यह हमारे लिए उत्सव जैसा है। PM के आगमन को लेकर राजगीर में सुरक्षा के लिहाज से हेलीकॉप्टर से रिहर्सल की गयी । इसी को ध्यान में रखते हुए SPG के अधिकारी चप्पे-चप्पे की जांच कर रहे हैं। PM के आगमन के मद्देनजर नालंदा में कई जगह रूट में बदलाव भी किया गया है। कारगिल चौक से नालंदा, सिलाव होते हुए राजगीर जाने वाले हाईवे पर सभी वाहनों का परिचालन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। राजगीर जाने वाले वाहन पावापुरी, गिरियक होते हुए राजगीर जाएंगे। नवादा से आने वाली सभी गाड़ियां गिरीयक पावापुरी होते हुए बिहारशरीफ आएंगी। गया से बिहारशरीफ की ओर आने वाली गाड़ियां सरवहदा से खुदागंज, इस्लामपुर, एकंगरसराय होते हुए बिहारशरीफ आएंगी।

छबिलापुर से आने वाली सभी गाड़ियां परवलपुर होते हुए बिहारशरीफ आएंगी। छबिलापुर से राजगीर आने वाली सभी गाड़ियां कटारीमोड़, सीआरपीएफ कैम्प, विरायतन होते हुए राजगीर जाएंगी। नवादा से राजगीर आने वाली सभी गाड़ियां झूला मोड़, अम्बेदकर चौक, पीटीजेएम कॉलेज होते हुए राजगीर बाजार आएंगी। दीपनगर बाजार से राजगीर आने वाली सभी गाड़ियां वास्तु विहार, नानंद, गिरीयक रोड होते हुए राजगीर आएंगी।

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जयशंकर ने संभाला विदेश मंत्री के पद का कार्यभार, विदेश मंत्रालय द्वारा 2 नए राज्य मंत्रियों का स्वागत किया गया. https://chaupalkhabar.com/2024/06/12/jaishankar-took-over-foreign-mother/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/12/jaishankar-took-over-foreign-mother/#respond Wed, 12 Jun 2024 10:16:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3570 नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के मंत्रियों ने आधिकारिक रूप से शपथ ग्रहण कर ली है और उन्हें उनके संबंधित मंत्रालय सौंप दिए गए हैं। अधिकांश मंत्रियों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को संभाल भी लिया है। डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर को एक बार फिर से केंद्रीय विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। …

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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के मंत्रियों ने आधिकारिक रूप से शपथ ग्रहण कर ली है और उन्हें उनके संबंधित मंत्रालय सौंप दिए गए हैं। अधिकांश मंत्रियों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को संभाल भी लिया है। डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर को एक बार फिर से केंद्रीय विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। इस बार उन्हें दो नए विदेश राज्य मंत्रियों (एमओएस) का सहयोग मिलेगा। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कुल 71 संसद सदस्यों ने भाग लिया। अगले दिन, सोमवार को प्रत्येक मंत्री को उनके विभाग सौंप दिए गए। उत्तर प्रदेश के गोंडा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार निर्वाचित कीर्तिवर्धन सिंह को विदेश राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। कीर्तिवर्धन सिंह एक उत्साही पर्यावरण कार्यकर्ता हैं और उन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री का प्रभार भी सौंपा गया है, जो उनके पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

राज्यसभा में असम से सेवारत सांसद पबित्रा मार्गेरिटा भी विदेश राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त हुए है। और मार्गेरिटा इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के प्रवक्ता और राजनीतिक सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। विदेश मंत्रालय में अपनी जिम्मेदारियों के अलावा, वह कपड़ा मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य करेंगे। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में, कैबिनेट मंत्री डॉ. एस जयशंकर के अलावा, तीन अन्य राज्य मंत्रियों को भी जिम्मेदारी दी गई थी, जिनके नाम है मीनाक्षी लेखी, वी मुरलीधरन, और राजकुमार रंजन सिंह। अब, अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, डॉ. जयशंकर को नए मंत्रियों का साथ मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने तुरंत कार्यभार संभाल लिया है। कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए नई दिल्ली में मौजूद थे। विदेश मंत्री के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की नई दिल्ली की प्राथमिकता को स्पष्ट करती है। अपने कार्यकाल के पहले दिन, विदेश मंत्री ने कामकाज संभालने के बाद मंगलवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कुछ तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने एक तस्वीर अपलोड करते हुए लिखा, “विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। मुझे यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद।”

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डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर, जिनका अंतरराष्ट्रीय अनुभव और कूटनीति में गहरा ज्ञान है, भारत की विदेश नीति को मजबूती देने के लिए एक बार फिर केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। उनके नेतृत्व में विदेश मंत्रालय ने पिछले कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की थीं, और इस बार भी उनसे वही उम्मीद की जा रही है। कीर्तिवर्धन सिंह और पबित्रा मार्गेरिटा जैसे नए विदेश राज्य मंत्रियों के सहयोग से, विदेश मंत्रालय के कार्यों में अधिक गतिशीलता और नयापन आने की संभावना है। सिंह के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रति समर्पण के कारण उनकी दोहरी भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विदेश नीति के साथ-साथ पर्यावरणीय मुद्दों को भी प्राथमिकता देने का संकेत देता है।

पबित्रा मार्गेरिटा की कपड़ा मंत्रालय में भूमिका से, भारत के कपड़ा उद्योग को नई दिशा मिल सकती है। असम के बुनकर समुदाय और राज्य की पारंपरिक कपड़ा कला को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को भी बल मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह नई मंत्रिपरिषद अपने अनुभव और ऊर्जा के मिश्रण से देश को प्रगति की नई राह पर ले जाने के लिए तैयार है। विभिन्न मंत्रालयों में नए मंत्रियों की नियुक्ति से सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है – सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मजबूती।

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की लगातार दूसरे कार्यकाल में नियुक्ति, उनकी कूटनीतिक कुशलता और देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना, क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को सुदृढ़ करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होगा। नई टीम के साथ, उम्मीद की जा रही है कि विदेश मंत्रालय न केवल पारंपरिक कूटनीति में बल्कि आधुनिक वैश्विक मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी सक्रिय भूमिका निभाएगा।

 

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विदेश मंत्री का पदभार संभालते ही जयशंकर द्वारा चीन-पाकिस्तान को दी गई यह नसीहत https://chaupalkhabar.com/2024/06/11/possible-to-take-over-as-foreign-minister/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/11/possible-to-take-over-as-foreign-minister/#respond Tue, 11 Jun 2024 07:32:20 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3551 डॉ. एस. जयशंकर ने आज (11 जून) को विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल लिया है। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “हम सभी को पूरा विश्वास है कि यह हमें ‘विश्व बंधु’ के रूप में स्थापित करेगा, एक ऐसा देश जो बहुत ही अशांत दुनिया में है, एक बहुत ही विभाजित दुनिया में है, …

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डॉ. एस. जयशंकर ने आज (11 जून) को विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल लिया है। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “हम सभी को पूरा विश्वास है कि यह हमें ‘विश्व बंधु’ के रूप में स्थापित करेगा, एक ऐसा देश जो बहुत ही अशांत दुनिया में है, एक बहुत ही विभाजित दुनिया में है, संघर्षों और तनावों की दुनिया में है।” हालाँकि जयशंकर 2019 से ही देश के विदेश मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ हमारे संबंध अलग-अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग-अलग हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन दोनों देशों के साथ संबंधों में विविधता और चुनौतीपूर्ण मुद्दे मौजूद हैं।

डॉ. एस. जयशंकर का विदेश मंत्री के रूप में कार्यकाल महत्वपूर्ण और घटनाओं से भरपूर रहा है। 2019 में इस पद को संभालने से पहले, वह 2015 से 2018 तक भारत के विदेश सचिव के रूप में कार्यरत थे। वह विदेश मंत्री की भूमिका निभाने वाले पहले पूर्व विदेश सचिव भी बने। इस नई जिम्मेदारी के साथ उन्होंने भारत की विदेश नीति को नई दिशा दी और वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को मजबूत किया। जयशंकर के कार्यकाल के दौरान कई बड़ी वैश्विक घटनाएं घटीं। रूस-यूक्रेन संघर्ष, इजरायल-हमास युद्ध, और कोविड-19 महामारी जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं का सामना करना पड़ा। इन सभी चुनौतियों के बीच जयशंकर ने भारत की विदेश नीति को कुशलता से संभाला और वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को सुदृढ़ किया।

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कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्होंने विभिन्न देशों के साथ समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महामारी के समय में उन्होंने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत विभिन्न देशों को वैक्सीन प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाई, जिससे भारत की वैश्विक छवि और मजबूत हुई। इसके साथ ही उन्होंने महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। रूस-यूक्रेन संघर्ष और इजरायल-हमास युद्ध जैसी घटनाओं के दौरान भी जयशंकर ने भारत की तटस्थ और संतुलित नीति को बनाए रखा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग करते हुए भारत के हितों की रक्षा की और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए अपना योगदान दिया।

जयशंकर के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले। उन्होंने विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और सुदृढ़ किया। उनके कुशल नेतृत्व और रणनीतिक दृष्टिकोण ने भारत को एक मजबूत और विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित किया। जयशंकर ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने विभिन्न मंचों पर भारत के हितों की पुरजोर वकालत की और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। उनके नेतृत्व में भारत ने विभिन्न देशों के साथ व्यापार, सुरक्षा, और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया।

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विदेश मंत्री के रूप में डॉ. एस. जयशंकर का कार्यकाल न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण रहा है। उनके नेतृत्व में भारत ने एक मजबूत और स्थिर विदेश नीति का पालन किया और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया। जयशंकर के अनुभव और दूरदर्शिता ने भारत को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया और भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

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