ED - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 07 Oct 2024 08:44:45 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg ED - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के ठिकानों पर ED की छापेमारी. https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/common-man-party-rajya-sabha/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/common-man-party-rajya-sabha/#respond Mon, 07 Oct 2024 08:44:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5243 सोमवार सुबह को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के जालंधर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। संजीव अरोड़ा को आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद राज्यसभा सांसद के रूप में नामित किया था। अरोड़ा के साथ राघव चड्ढा, हरभजन सिंह और अशोक मित्तल …

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सोमवार सुबह को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के जालंधर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। संजीव अरोड़ा को आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद राज्यसभा सांसद के रूप में नामित किया था। अरोड़ा के साथ राघव चड्ढा, हरभजन सिंह और अशोक मित्तल को भी राज्यसभा के लिए चुना गया था। संजीव अरोड़ा का प्रमुख पेशा टेक्सटाइल व्यवसाय है और वह कृष्णा प्राण ब्रेस्ट कैंसर चैरिटेबल ट्रस्ट का भी संचालन करते हैं। ईडी सूत्रों के अनुसार, इस छापेमारी का संबंध अरोड़ा के व्यवसायिक गतिविधियों से है। आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी कर जमीन पर अवैध कब्जा किया है, जिसके चलते यह कार्रवाई की जा रही है। हालांकि, ईडी ने इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह मामला भूमि कब्जे से संबंधित धोखाधड़ी का है।

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ईडी की इस कार्रवाई के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं ने तुरंत मोदी सरकार पर हमला बोला। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी। सिसोदिया ने लिखा, “आज फिर मोदीजी ने अपने तोता-मैना को खुला छोड़ दिया है। पिछले दो सालों में इन्होंने अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन और मेरे घर पर भी छापेमारी की, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। अब संजीव अरोड़ा जी के घर ईडी रेड कर रही है। ये लोग आम आदमी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम न डरेंगे, न रुकेंगे और न ही बिकेंगे।” सिसोदिया ने यह भी कहा कि यह छापेमारी केंद्र सरकार की आम आदमी पार्टी को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है। उनका दावा है कि बार-बार छापेमारी करने के बावजूद कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, लेकिन फिर भी एजेंसियां फर्जी केस बनाकर पार्टी पर दबाव डालने की कोशिश कर रही हैं।

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आप के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी ईडी की कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। सिंह ने कहा, “मोदीजी की फर्जी केस बनाने वाली मशीन 24 घंटे आप के पीछे पड़ी हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार झूठे मामलों को लेकर इन एजेंसियों को फटकार लगाई है, लेकिन वे न्यायालय की सुनने के बजाय केवल अपने आकाओं की सुनते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के हौसले बुलंद हैं और मोदी सरकार की इन चालों से वे डरने वाले नहीं हैं।

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मोहम्मद अजरुद्दीन को ईडी का समन, हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के 20 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला. https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/mohammad-azruddin-co-ed/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/mohammad-azruddin-co-ed/#respond Thu, 03 Oct 2024 10:17:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5201 भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजरुद्दीन एक बार फिर कानूनी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन भेजा है। यह मामला एसोसिएशन के फंड से 20 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का है। …

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजरुद्दीन एक बार फिर कानूनी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन भेजा है। यह मामला एसोसिएशन के फंड से 20 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का है। अजरुद्दीन को आज, 3 अक्टूबर 2024 को हैदराबाद में ईडी के सामने पेश होना है। ईडी के सूत्रों के अनुसार, हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। एसोसिएशन के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी फंड का दुरुपयोग किया और उसे निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया। इसी को लेकर ईडी ने एसोसिएशन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी गई है। तीन एफआईआर भी इस मामले में दर्ज की गई हैं।

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यह मामला हैदराबाद के राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम के लिए डीजल जनरेटर, अग्निशमन प्रणाली और छतरियों की खरीद में हेराफेरी से जुड़ा है। एसोसिएशन के लिए आवंटित 20 करोड़ रुपये की राशि में कथित तौर पर गड़बड़ी की गई है। आरोप है कि एसोसिएशन के अधिकारियों ने निजी कंपनियों को ऊंची कीमतों पर ठेके दिए, जिससे एसोसिएशन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। अजरुद्दीन, जो एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं, को इस मामले में पहला समन जारी किया गया है।

सितंबर 2019 में अजरुद्दीन को हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था। लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान एसोसिएशन में अनियमितताओं की खबरें सामने आईं। 2021 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। एसोसिएशन के सीईओ सुनीत कांत बोस ने अजरुद्दीन और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, जिसके बाद यह मामला प्रकाश में आया। हालांकि, अजरुद्दीन ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि उन्हें बेवजह इस मामले में घसीटा जा रहा है और उन्होंने किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता में भाग नहीं लिया है। इससे पहले भी अजरुद्दीन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लग चुके हैं, लेकिन बाद में अदालत ने उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया था।

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अजरुद्दीन का नाम भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में गिना जाता है। उन्होंने भारत के लिए 99 टेस्ट और 334 वनडे मैच खेले हैं। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 45.04 की औसत से 6215 रन बनाए, जबकि वनडे में 36.92 की औसत से 9378 रन बनाए। कप्तान के रूप में उन्होंने 47 टेस्ट और 174 वनडे मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व किया है। क्रिकेट से संन्यास के बाद अजरुद्दीन ने राजनीति में कदम रखा और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर मुरादाबाद से सांसद चुने गए। 2018 में उन्हें तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया गया। अब देखना होगा कि ईडी की जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और अजरुद्दीन इन आरोपों से कैसे निपटते हैं।

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लालू यादव पर नौकरी के बदले जमीन घोटाले में ईडी ने बढ़ाई मुश्किलें, चार्जशीट में गंभीर आरोप https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/lalu-yadav-in-exchange-for-job/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/lalu-yadav-in-exchange-for-job/#respond Fri, 27 Sep 2024 11:54:24 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5132 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ईडी ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें लालू यादव को इस पूरे घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। आरोप पत्र में कहा गया है कि लालू यादव, जो उस …

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ईडी ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें लालू यादव को इस पूरे घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। आरोप पत्र में कहा गया है कि लालू यादव, जो उस वक्त रेलवे मंत्री थे, ने रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले जमीन लेने की साजिश रची थी। ईडी ने दावा किया है कि लालू यादव खुद ही इस लेन-देन की निगरानी करते थे और अपने परिवार के सदस्यों के जरिए इस योजना को अंजाम देते थे। ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि लालू यादव ने रेलवे में नौकरी के लिए रिश्वत के तौर पर जमीनें लीं। उस वक्त लालू यादव भारत के रेल मंत्री थे और उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर लोगों से जमीन ली, जिसके बदले उन्हें रेलवे में नौकरियां दी गईं। ईडी के अनुसार, ये जमीनें कौड़ियों के भाव में खरीदी गईं, खासकर बिहार के पटना में स्थित महुआ बाग क्षेत्र की जमीनें। इन जमीनों के मालिकों को लालू यादव के करीबी और सहयोगियों ने रेलवे में नौकरी का वादा करके अपनी जमीन सस्ते में बेचने के लिए मजबूर किया।

चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन जमीनों को यादव परिवार से जुड़ी शेल कंपनियों के नाम पर दर्ज कराया गया। जमीन की खरीदी और बिक्री को ऐसे तरीके से अंजाम दिया गया कि लालू यादव और उनके परिवार की प्रत्यक्ष संलिप्तता पर कोई शक न हो। इन सौदों को छिपाने के लिए शेल कंपनियों का जाल बिछाया गया था, ताकि जमीन के मालिकाना हक को छुपाया जा सके। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि इस घोटाले को और जटिल बनाने के लिए कई शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया गया। चार्जशीट में एक विशेष कंपनी का जिक्र किया गया है, जिसका नाम मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी के जरिए कई जमीनें राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम ट्रांसफर की गईं। चार्जशीट के अनुसार, इस कंपनी का स्वामित्व एक करीबी सहयोगी अमित कत्याल ने मामूली कीमत पर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को हस्तांतरित कर दिया।

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चार्जशीट में लालू यादव के करीबी सहयोगी भोला यादव की भी महत्वपूर्ण भूमिका बताई गई है। ईडी के मुताबिक, भोला यादव इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार थे। उन्होंने रेलवे में नौकरी के बदले जमीनों के सौदे में मध्यस्थ की भूमिका निभाई। भोला यादव ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने लालू परिवार के नजदीक स्थित भू-स्वामियों को अपनी जमीनें बेचने के लिए राजी किया। ईडी ने आरोप लगाया कि यह सारा खेल लालू यादव के परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए रचा गया था। इसके अलावा, राबड़ी देवी के निजी कर्मचारी हृदयानंद चौधरी और लल्लन चौधरी जैसे बिचौलियों के माध्यम से जमीनों का हस्तांतरण किया गया।

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ईडी ने यह भी दावा किया है कि कई जमीनों को दूर के रिश्तेदारों से उपहार के रूप में दिखाया गया था। लेकिन जब जांच के दौरान लालू यादव की बेटी मीसा भारती से सवाल किया गया, तो उन्होंने इन रिश्तेदारों को जानने से इनकार कर दिया। ईडी के मुताबिक, इस घोटाले में उपहार और शेल कंपनियों के उपयोग से संपत्तियों को छिपाने की कोशिश की गई थी। तेजस्वी यादव ने अपने बयान में स्वीकार किया कि वह एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड में शेयरधारक थे, लेकिन कंपनी ने कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं की थी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह कंपनी के संचालन से संबंधित कई जानकारियों से अनजान थे। हालांकि, उन्होंने नई दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में स्थित संपत्ति में अपने निवेश को स्वीकार किया, जो ईडी के अनुसार, घोटाले से जुड़ी हुई थी।

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दिल्ली शराब नीति केस: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, जानिए किन शर्तों पर रिहा हुए https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/#respond Fri, 13 Sep 2024 06:26:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4837 दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने …

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दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी रिहाई के साथ कुछ सख्त शर्तें भी लगाई हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी है। इसके अलावा, कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि इस मामले को लेकर केजरीवाल कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। अदालत ने निर्देश दिया कि केजरीवाल मुकदमे में पूरी तरह सहयोग करेंगे। इन शर्तों के तहत, केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, जमानत पर रहते हुए केजरीवाल को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:
1.  जमानत के लिए केजरीवाल को 10 लाख के दो मुचलके जमा करने होंगे।
2.  केजरीवाल इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।
3. जमानत की अवधि में केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जा पाएंगे।
4.  अदालत ने यह भी कहा है कि केजरीवाल को मामले की सुनवाई में पूरा सहयोग देना होगा।

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अरविंद केजरीवाल के वकीलों ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी, क्योंकि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी, उसके ठीक बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने सुनवाई की थी। दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग थी, लेकिन जमानत के मामले में वे एकमत थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का मानना था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत सही थी और इसमें कोई अनियमितता नहीं थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान सीबीआई ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का पालन किया। दूसरी ओर, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी केवल मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केजरीवाल को मिली जमानत को विफल करने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि 22 महीने तक सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और फिर अचानक उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता को लेकर सवाल खड़े किए।

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जमानत मिलने के बावजूद, केजरीवाल की कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई का आदेश दिया है, और यह भी कहा गया है कि निकट भविष्य में मुकदमे का अंत होता नहीं दिख रहा। हालांकि, अदालत ने इस बात पर ध्यान दिया कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है, इसलिए जमानत दी जा सकती है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईडी के मामले में जमानत पर लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। यानी केजरीवाल को प्रशासनिक कामकाज से दूर रहना होगा।

अरविंद केजरीवाल की जमानत की खबर के बाद आम आदमी पार्टी के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसे न्याय की जीत बताया है। हालांकि, केजरीवाल के ऊपर लगे आरोप गंभीर हैं और अब आगे की कानूनी प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान केजरीवाल ने खुद पर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था और दावा किया था कि यह केंद्र सरकार की साजिश है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देखना यह होगा कि आगे की सुनवाई में क्या दिशा मिलती है।

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर वित्तीय अनियमितताओं और टेंडर घोटाले के आरोप, सीबीआई और ईडी की जांच जारी. https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/rg-kar-medical-college-k-pu-3/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/rg-kar-medical-college-k-pu-3/#respond Fri, 06 Sep 2024 05:35:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4691 आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर वित्तीय कदाचार और अन्य अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जड़ में आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की ओर से दाखिल की गई एक याचिका है, जिसे उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। याचिका में डॉ. अली ने …

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर वित्तीय कदाचार और अन्य अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जड़ में आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की ओर से दाखिल की गई एक याचिका है, जिसे उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। याचिका में डॉ. अली ने संदीप घोष पर वित्तीय गड़बड़ियों के साथ-साथ टेंडरों में पक्षपात और मेडिकल कचरे की अवैध बिक्री के आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही, घोष पर यह भी आरोप है कि उन्होंने पैसे लेकर मेडिकल छात्रों को परीक्षा में पास कराने का काम किया।

सीबीआई ने इस मामले में संदीप घोष के साथ सुरक्षा गार्ड अफसर अली, बिप्लब सिंह और सुमन हाजरा को भी गिरफ्तार किया है। आरोप यह भी हैं कि अस्पताल में विभिन्न टेंडरों की प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई, जिससे आर्थिक नुकसान हुआ। इसके अलावा, मेडिकल ऑर्गेनिक कचरे की अवैध बिक्री भी एक प्रमुख मुद्दा है, जिसमें भारी धनराशि का लेन-देन हुआ। ईडी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए संदीप घोष के कोलकाता स्थित आवास पर छापेमारी की, साथ ही हावड़ा में अन्य दो लोगों के आवासों पर भी तलाशी ली गई। ईडी ने जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत बरामद किए, जो इन आरोपों को पुष्ट करते हैं।

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यह मामला तब और भी गंभीर हो गया जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में पाया गया। शुरुआत में इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस ने की, लेकिन बाद में उच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया। इस महिला डॉक्टर की मौत के 26 दिनों बाद, सीबीआई ने वित्तीय कदाचार के मामले में संदीप घोष और उनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया।

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16 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था, लेकिन अगले ही दिन हाईकोर्ट ने इस केस को भी सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने 24 अगस्त को औपचारिक रूप से मामला दर्ज किया और इसके बाद कई गिरफ्तारियां कीं। संदीप घोष पर लगे इन गंभीर आरोपों के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज का प्रशासन सवालों के घेरे में है। मामले की जांच अब ईडी और सीबीआई द्वारा की जा रही है, और उम्मीद है कि इस केस में न्याय जल्द ही होगा।

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अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सीबीआई और बचाव पक्ष की दलीलें, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फ़ैसला. https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/arvind-kejriwals-bail-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/arvind-kejriwals-bail-2/#respond Thu, 05 Sep 2024 11:09:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4677 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के आरोपों में आरोपी बनाया है। ईडी के मामले में केजरीवाल को पहले ही …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के आरोपों में आरोपी बनाया है। ईडी के मामले में केजरीवाल को पहले ही जमानत मिल चुकी है, लेकिन आज सीबीआई मामले में उनकी जमानत याचिका पर बहस हो रही है। इस सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा, जबकि सीबीआई की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने जिरह की।

एएसजी एसवी राजू ने शुरुआत में सवाल उठाया कि केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट को दरकिनार कर सीधे सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका क्यों दायर की। राजू ने तर्क दिया कि मामले में पहले मनीष सिसोदिया, के कविता और अन्य आरोपी ट्रायल कोर्ट से होते हुए हाईकोर्ट पहुंचे थे, फिर अरविंद केजरीवाल को भी उसी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था। राजू ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि केजरीवाल कोई ‘विशेष’ व्यक्ति हैं, जिन्हें अलग तरह की कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि ईडी मामले में केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट से ही जमानत मिली थी, इसलिए उन्हें सीबीआई मामले में भी पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए।

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इसके अलावा, एएसजी राजू ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और ट्रायल कोर्ट में जाने का विकल्प दिया था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जमानत याचिका दायर करते समय केजरीवाल ने चार्जशीट दाखिल होने का इंतजार नहीं किया था, जो कि कानूनी दृष्टिकोण से गलत है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने अभी तक गुण-दोष पर विचार नहीं किया है और अगर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलती है, तो इससे उच्च न्यायालय की प्रक्रिया कमजोर हो जाएगी। अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलों की शुरुआत करते हुए कहा कि यह शायद पहला मामला है, जिसमें किसी व्यक्ति को दो बार जमानत मिल चुकी है, फिर भी उसे रिहा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने उनके मुवक्किल को दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया और अब अचानक उनकी गिरफ्तारी की मांग की जा रही है।

सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल का नाम एफआईआर में नहीं था और उन्हें अप्रैल 2023 में एक गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। सिंघवी ने आगे कहा कि सीबीआई ने अभी तक केजरीवाल के खिलाफ कोई नया ठोस सबूत नहीं पेश किया है। केवल एक पुराने बयान के आधार पर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है। सिंघवी ने यह भी तर्क दिया कि केजरीवाल न तो फ्लाइट रिस्क (भागने का खतरा) हैं, और न ही वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर हैं, इसलिए उनके विदेश भागने का सवाल ही नहीं उठता।

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सिंघवी ने आगे कहा कि केजरीवाल को पहले से ही तीन बार जमानत मिल चुकी है, जिसमें ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश शामिल हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि अब केजरीवाल को फिर से ट्रायल कोर्ट में भेजना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे केवल देरी होगी और मामले की सुनवाई लंबी खिंच सकती है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुय्यां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कई टिप्पणियाँ कीं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यदि हाईकोर्ट को इस मामले में पहले ही आदेश देना चाहिए था जब उन्होंने नोटिस जारी किया। वहीं जस्टिस भुय्यां ने कहा कि हाईकोर्ट ने फैसला लिखने में 7 दिन का समय लिया, जबकि उन्हें तुरंत निर्णय देना चाहिए था।

जब एएसजी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उच्च न्यायालय के मनोबल को कमजोर कर सकता है, तो जस्टिस भुय्यां ने इसे खारिज करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के पास अभी भी मामला गुण-दोष पर विचार करने का अवसर है। अंततः, जिरह के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि मामले पर फैसला सुनाया जाएगा, लेकिन एएसजी एसवी राजू ने और समय की मांग की।

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सुप्रीम कोर्ट की ईडी को फटकार, मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में आरोपी के अधिकारों पर उठाए सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/supreme-court-ki-ed-ko-fat/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/supreme-court-ki-ed-ko-fat/#respond Wed, 04 Sep 2024 13:06:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4657 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों के मामले में कड़ी आलोचना की। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने की, जहां ईडी द्वारा दस्तावेजों को आरोपियों को न देने के फैसले पर सवाल उठाए गए। न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति …

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों के मामले में कड़ी आलोचना की। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने की, जहां ईडी द्वारा दस्तावेजों को आरोपियों को न देने के फैसले पर सवाल उठाए गए। न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ईडी से पूछा कि क्या जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों को आरोपी से छिपाना उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा? इस मामले की सुनवाई के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों को दस्तावेजों की आपूर्ति से संबंधित अपील पर विचार किया गया। अदालत ने पूछा कि यदि आरोपी को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है, तो क्या उसे आवश्यक दस्तावेजों से वंचित करना न्यायसंगत होगा? न्यायमूर्ति संजय करोल ने सवाल उठाते हुए कहा कि “क्या आरोपी को सिर्फ तकनीकी आधार पर दस्तावेज़ों से वंचित किया जा सकता है?” न्यायमूर्ति ने आगे कहा, “सब कुछ पारदर्शी क्यों नहीं हो सकता? न्याय का उद्देश्य न्याय करना है, न कि आरोपी को अंधेरे में रखना।”

इस मामले में ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए, जिन्होंने तर्क दिया कि यदि आरोपी को दस्तावेज़ों का पता होता है, तो वह उन्हें प्राप्त करने की मांग कर सकता है। लेकिन यदि आरोपी को दस्तावेजों के बारे में पता नहीं है, तो वह सिर्फ अनुमान के आधार पर दस्तावेजों की मांग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “अगर आरोपी को इन दस्तावेजों के अस्तित्व के बारे में जानकारी नहीं है, तो वह इनकी मांग नहीं कर सकता।” जस्टिस अमानुल्लाह ने इस तर्क को चुनौती देते हुए कहा कि समय के साथ कानूनों में परिवर्तन हो रहा है, और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय प्रणाली सख्त न हो जाए। “हम इतने कठोर कैसे हो सकते हैं कि एक व्यक्ति अभियोजन का सामना कर रहा हो, लेकिन हम यह कहें कि दस्तावेज़ सुरक्षित हैं? क्या यह न्याय होगा?” उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य न्याय करना है, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आरोपी को उसके खिलाफ आरोपों से संबंधित सभी दस्तावेज़ मिलें।”

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इस मामले के संदर्भ में, कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य हाई-प्रोफाइल मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया, और बीआरएस नेता के कविता शामिल हैं। इन मामलों में पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) का उपयोग किया गया है, और इस कानून की वैधता पर बार-बार सवाल उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जमानत एक नियम होनी चाहिए, और जेल एक अपवाद। कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 45 का उल्लेख करते हुए कहा कि जमानत के लिए दोहरी शर्तें हैं – प्रथम दृष्टया यह संतोष होना चाहिए कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और जमानत पर रहते हुए वह कोई और अपराध नहीं करेगा।

हालांकि, इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आरोपी को दस्तावेज़ों तक पहुंच का अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि ऐसा कोई दस्तावेज़ नहीं है और यह स्पष्ट रूप से दोषसिद्धि का मामला है, और आरोपी सिर्फ मुकदमे में देरी करने के लिए दस्तावेज़ों की मांग कर रहा है, तो यह अधिकार नहीं दिया जा सकता।” अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। साथ ही, यह फैसला पीएमएलए के तहत चल रही जांचों और मामलों के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

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यह मामला विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में पीएमएलए के तहत कई हाई-प्रोफाइल विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, जिससे यह कानून जांच के दायरे में आ गया है। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय हो सकता है।

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दिल्ली में CBI का दावा, केजरीवाल ने गोवा चुनाव के लिए 90 लाख रुपये की रिश्वत देने का किया था वादा https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/cbi-claims-kejriwal-in-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/28/cbi-claims-kejriwal-in-delhi/#respond Wed, 28 Aug 2024 09:25:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4481 दिल्ली की एक अदालत में मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2022 गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के 40 उम्मीदवारों में से प्रत्येक को 90 लाख रुपये देने का आश्वासन दिया था। यह धनराशि कथित रूप से “दक्षिण समूह” (दक्षिण भारत के …

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दिल्ली की एक अदालत में मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2022 गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के 40 उम्मीदवारों में से प्रत्येक को 90 लाख रुपये देने का आश्वासन दिया था। यह धनराशि कथित रूप से “दक्षिण समूह” (दक्षिण भारत के व्यापारियों) से प्राप्त “रिश्वत के पैसे” से दी जानी थी, जिसके बदले उन्हें अब रद्द हो चुकी आबकारी नीति के मसौदे के दौरान विशेष लाभ दिए गए थे। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक (SPP) डी पी सिंह ने अदालत में कहा, “केजरीवाल दक्षिण समूह के संपर्क में थे… पूरी धनराशि को गोवा चुनावों के लिए AAP में स्थानांतरित कर दिया गया था। प्रत्येक उम्मीदवार को 90 लाख रुपये दिए जाने थे।”

CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले दावा किया था कि “दक्षिण समूह” से प्राप्त 45 करोड़ रुपये की रिश्वत को AAP के 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव अभियान में खर्च किया गया था। SPP सिंह ने यह भी कहा, “दुर्गेश पाठक (AAP विधायक) गोवा चुनाव अभियान के प्रभारी थे… चुनावों के लिए धनराशि पाठक के निर्देश पर स्थानांतरित की गई थी।” अभियोजन पक्ष के अनुसार, केजरीवाल ने उम्मीदवारों से कहा था कि चुनाव प्रचार के लिए आवश्यक धन के बारे में चिंता न करें।

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इस बीच, केजरीवाल, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से सुनवाई में शामिल हुए, ने अदालत से दोपहर का भोजन करने की अनुमति मांगी। “मेरा शुगर (स्तर) नीचे जा रहा है। क्या मैं कृपया भोजन कर सकता हूँ?” उन्होंने कहा। अदालत ने उन्हें अनुमति दे दी और उनकी न्यायिक हिरासत को 3 सितंबर तक बढ़ा दिया। इसके बाद, SPP सिंह ने पी सरथ चंद्र रेड्डी (दक्षिण समूह के सदस्य और मामले में माफी देने वाले) की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “उन्होंने के. कविता (BRS नेता) को एक “नकली” भूमि सौदे के लिए 14 करोड़ रुपये दिए। ये 14 करोड़ रुपये AAP को दिए गए थे… रेड्डी ‘रिश्वत देने वाले’ थे।”

केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। 26 जून को, CBI ने उन्हें “घोटाले” से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में वह अब भी न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई के अदालत में दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए, AAP ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी, “अपनी एजेंसियों के माध्यम से, बिना किसी सबूत के असत्यापित कहानियाँ गढ़ती रहती है। AAP नेताओं को दो साल से अधिक समय से परेशान किया जा रहा है, लेकिन आज तक एक पैसा भी बरामद नहीं हुआ है।”

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AAP ने आगे कहा, “BJP का एकमात्र उद्देश्य है सुर्खियाँ बनाना, बिना किसी ठोस सबूत के, ताकि AAP को बदनाम किया जा सके, लेकिन दिल्ली के लोग BJP की इन दुर्भावनापूर्ण योजनाओं को समझ चुके हैं… देश के सभी भ्रष्ट राजनेता BJP में शामिल हो गए हैं और इस बार, आगामी चुनावों में BJP की सभी जमानतें जब्त हो जाएंगी।”

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दिल्ली शराब घोटाला: ईडी-सीबीआई की कार्यशैली पर उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट से के कविता को मिली जमानत. https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/delhi-liquor-scam-ed-c/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/delhi-liquor-scam-ed-c/#respond Tue, 27 Aug 2024 09:40:13 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4446 दिल्ली शराब घोटाले मामले में भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए के कविता को जमानत देने का फैसला किया। इस मामले में पहले ही दो बड़े नेता, संजय …

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दिल्ली शराब घोटाले मामले में भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए के कविता को जमानत देने का फैसला किया। इस मामले में पहले ही दो बड़े नेता, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया, जमानत पा चुके हैं, और अब के कविता तीसरी बड़ी नेता बन गई हैं जिन्हें जमानत मिली है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जमानत के आदेश में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

अदालत ने एजेंसियों के चयनात्मक रुख और कुछ आरोपियों को गवाह बनाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि अभियोजन निष्पक्ष होना चाहिए, और यह नहीं हो सकता कि जिसे आप चाहें उसे गवाह बना दें और जिसे चाहें आरोपी बना दें। उन्होंने कहा, “अगर एक व्यक्ति ने खुद को दोषी बताया है, तो उसे गवाह बनाना न्यायसंगत नहीं है। यह स्थिति दर्शाती है कि कहीं न कहीं निष्पक्षता के साथ खिलवाड़ हो रहा है।”

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जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू को चेतावनी भी दी कि यदि वे मेरिट के आधार पर जमानत का विरोध करते रहे, तो अदालत अपनी टिप्पणियों को आदेश में शामिल कर सकती है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभियोजन को निष्पक्ष और संतुलित रहना चाहिए, और कानून के दायरे में काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई और ईडी की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट व अन्य दस्तावेज अदालत में पेश किए जा चुके हैं। इसलिए, आरोपी से अब और हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। के कविता को पांच महीने से जेल में रखा गया है, जबकि जांच एजेंसियों के पास सभी सबूत पहले से मौजूद हैं। अदालत ने यह भी माना कि इस मामले का ट्रायल जल्द पूरा नहीं हो सकता, क्योंकि इसमें 493 गवाहों और 50,000 पन्नों के दस्तावेजों की जांच की जानी है।

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अदालत ने मनीष सिसोदिया के मामले में दी गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि “अंडर ट्रायल” की अवधि को सजा में नहीं बदला जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि पीएमएलए (PMLA) एक्ट की धारा 45(1) के तहत महिलाओं को जमानत के लिए विशेष विचार दिया गया है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की उस ऑब्जर्वेशन की भी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि पीएमएलए एक्ट महिलाओं को विशेष दर्जा नहीं देता। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत ठहराते हुए कहा कि महिलाओं को जमानत देने के लिए कानून में विशेष प्रावधान मौजूद है, और इस प्रावधान को ध्यान में रखकर ही फैसला लिया जाना चाहिए।

 

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दिल्ली आबकारी नीति घोटाला: अरविंद केजरीवाल की जमानत पर फिर लटकी तलवार, अदालत ने सुनवाई 5 सितंबर तक टाली. https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/delhi-excise-policy-scam/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/delhi-excise-policy-scam/#respond Fri, 23 Aug 2024 07:20:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4386 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अदालत से जमानत नहीं पा सके। सीबीआई द्वारा अधिक समय की मांग किए जाने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई को 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अदालत से जमानत नहीं पा सके। सीबीआई द्वारा अधिक समय की मांग किए जाने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई को 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सीबीआई ने केजरीवाल की जमानत का जोरदार विरोध किया, जिसके चलते मामले की सुनवाई को टालना पड़ा। इससे पहले 14 अगस्त को अदालत ने केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था और एजेंसी से अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। आज, सीबीआई ने अदालत में अपना जवाब पेश किया, लेकिन अदालत ने अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया है। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति में घोटाला कर सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया।

आम आदमी पार्टी (AAP) ने अरविंद केजरीवाल को लेकर एक नया अभियान शुरू किया है। पार्टी ने दावा किया है कि “तानाशाह की जेल की दीवारें” केजरीवाल को रोक नहीं पाएंगी और वह जल्द ही बाहर आएंगे, जैसे मनीष सिसोदिया आए थे। इस अभियान में पार्टी ने एक नया नारा भी दिया है, “मनीष सिसोदिया आ गए, केजरीवाल आएंगे।” 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने मामले की गहन जांच के लिए इसे एक बड़ी पीठ को भेज दिया था, जिसमें केजरीवाल की गिरफ्तारी की आवश्यकता के सवाल पर विचार किया जाना था। हालांकि, सीबीआई द्वारा दायर घोटाले के मामले में वह अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।

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गौरतलब है कि केजरीवाल को सबसे पहले 21 मार्च को उनके मुख्यमंत्री आवास से गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के पीछे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मनी लॉन्ड्रिंग के तहत चल रही जांच थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई के मामले में उनकी जमानत अभी तक नहीं मिल सकी है। केजरीवाल की गिरफ्तारी और अदालती प्रक्रिया ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता उनके समर्थन में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। पार्टी का मानना है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है और केजरीवाल के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। वहीं, सीबीआई और ईडी का दावा है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं, जो इस घोटाले में केजरीवाल की संलिप्तता को साबित करते हैं।

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अभी देखना होगा कि 5 सितंबर को अदालत में क्या निर्णय होता है। अगर केजरीवाल को जमानत मिलती है, तो यह आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत होगी। वहीं, अगर जमानत नहीं मिलती, तो पार्टी के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इस मामले का असर आने वाले दिल्ली चुनावों पर भी पड़ सकता है, जहां आम आदमी पार्टी की साख दांव पर लगी हुई है।

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