eknath shinde - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 10 Jun 2024 11:14:24 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg eknath shinde - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 मोदी 3.0 में अजित पवार गुट को नहीं दिया गया कोई मंत्री पद, विपक्ष ने सरकार को घेरा; एकनाथ शिंदे पर भी कसे तंज। https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/modi-3-0-in-ajit-pawar-group/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/modi-3-0-in-ajit-pawar-group/#respond Mon, 10 Jun 2024 11:14:24 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3547 अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने राज्य मंत्री पद को अस्वीकार करते हुए कैबिनेट पद पर जोर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अभी तक कोई पद नहीं मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई केंद्रीय सरकार में एनसीपी का कोई नेता शामिल नहीं किया गया है। रविवार को नरेंद्र मोदी ने तीसरी …

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अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने राज्य मंत्री पद को अस्वीकार करते हुए कैबिनेट पद पर जोर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अभी तक कोई पद नहीं मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई केंद्रीय सरकार में एनसीपी का कोई नेता शामिल नहीं किया गया है। रविवार को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, और इस अवसर पर महाराष्ट्र के कई सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को मंत्रीमंडल में कोई स्थान नहीं मिला। एनसीपी के इस निर्णय ने विपक्ष को सरकार की आलोचना का मौका दिया है। महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर निशाना साधा। एमवीए के नेताओं का कहना है कि एनसीपी को राज्य मंत्री पद अस्वीकार करने के बाद कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

शपथ ग्रहण समारोह में शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के प्रतापराव जाधव ने स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। इसके विपरीत, अजित पवार की एनसीपी ने राज्य मंत्री पद को अस्वीकार कर दिया और केवल कैबिनेट पद पर जोर दिया। इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि मोदी कैबिनेट में एनसीपी और शिवसेना का मामूली प्रतिनिधित्व साबित करता है कि भाजपा ने उन्हें उनकी औकात दिखा दी है। राउत ने यह भी कहा, “जब आप किसी के गुलाम बनने का फैसला करते हैं तो आपको यही मिलता है।” कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने इस मामले पर कहा कि यदि अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी राज्य मंत्री पद को स्वीकार नहीं करती है, तो उन्हें भविष्य में कैबिनेट में किसी भी पद की आशा नहीं रखनी चाहिए। वडेट्टीवार, जो महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, ने आगे कहा कि अजित पवार को देर से ही सही, यह एहसास हुआ होगा कि भाजपा अपने सहयोगियों के लिए ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ की नीति रखती है।

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एनसीपी की इस स्थिति ने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में तनाव को बढ़ा दिया है। एक तरफ जहां एनसीपी ने अपने रुख में दृढ़ता दिखाई है, वहीं दूसरी ओर भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने अपने निर्णयों के माध्यम से स्पष्ट संदेश दिया है। एनसीपी के इस कदम का भविष्य में महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद एनसीपी की यह स्थिति स्पष्ट करती है कि पार्टी अपने उद्देश्यों और मांगों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की अपने सहयोगियों के प्रति नीति का उदाहरण बताया है।

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महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने एनसीपी को सावधान करते हुए कहा कि यदि वे राज्य मंत्री पद को अस्वीकार करते हैं, तो भविष्य में उन्हें कैबिनेट में स्थान मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। यह राजनीति का एक जटिल खेल है जहां निर्णय और रणनीतियों का व्यापक प्रभाव पड़ता है। एनसीपी के इस निर्णय का परिणाम क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

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आखिर किस पार्टी में जा रहे है संजय निरूपम, शिंदे ने किया ऐलान, 19 साल बाद शिवसेना में करेंगे वापसी. https://chaupalkhabar.com/2024/05/02/what-party-are-you-going-to/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/02/what-party-are-you-going-to/#respond Thu, 02 May 2024 07:53:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3079 संजय निरुपम की राजनीतिक रंगमंच पर वापसी एक महत्वपूर्ण उथल-पुथल बन चुकी है। 19 साल के बाद, उन्होंने शिवसेना में फिर से कदम रखा है। इस निर्णय ने महाराष्ट्र के राजनीतिक मंच पर तहलका मचा दिया है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने अपनी ‘अल्मा मेटर’ शिवसेना में वापसी के लिए तैयारी का …

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संजय निरुपम की राजनीतिक रंगमंच पर वापसी एक महत्वपूर्ण उथल-पुथल बन चुकी है। 19 साल के बाद, उन्होंने शिवसेना में फिर से कदम रखा है। इस निर्णय ने महाराष्ट्र के राजनीतिक मंच पर तहलका मचा दिया है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने अपनी ‘अल्मा मेटर’ शिवसेना में वापसी के लिए तैयारी का ऐलान किया है। उनकी वापसी की घोषणा शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे के द्वारा की गई, जिन्होंने बताया कि संजय निरुपम जल्द ही उनकी पार्टी में शामिल होंगे।

संजय निरुपम का राजनीतिक सफर काफी रोचक और उलझनभरा रहा है। 2005 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त हुए। उन्होंने 2009 में मुंबई उत्तर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, उन्होंने कांग्रेस में कई पदों पर काम किया और पार्टी की स्टेट यूनिट की रहनुमाई भी की।

Uddलेकिन 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, संजय निरुपम ने कांग्रेस के साथ शिवसेना और नसीमी पार्टी के विरोध में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी का समर्थन किया। इसके परिणामस्वरूप, उनके और कांग्रेस के बीच की तनावपूर्ण संबंधों ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।

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इससे पहले भी, संजय निरुपम का राजनीतिक सफर उलझनभरा रहा है। 2005 में उन्होंने शिवसेना को छोड़ा और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, 2014 में उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के गोपाल शेट्टी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। संजय निरुपम का यह नया कदम राजनीतिक दायरे में एक नई चुनौती हो सकती है। उनकी शिवसेना में वापसी की खबरों के बाद, राजनीतिक गणित में नए रंग और संघर्ष की संभावना बढ़ गई है।

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इस तरह, संजय निरुपम की राजनीतिक दायरे में नई कड़ी जुड़ी है। उनकी शिवसेना में वापसी ने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्क्रीन पर एक नया उथल-पुथल उत्पन्न किया है। अब, देखना है कि यह कदम उन्हें कितने महत्वपूर्ण राजनीतिक संघर्षों में ले जाता है।

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महाराष्ट्र ‌स्पीकर ने दाखिल की SC में याचिका, कहा विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय के लिए है अधिक समय की आवश्यकता https://chaupalkhabar.com/2023/12/15/maharashtra-speaker-files-petition-in-sc-says-more-time-is-needed-to-decide-on-disqualification-of-mlas/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/15/maharashtra-speaker-files-petition-in-sc-says-more-time-is-needed-to-decide-on-disqualification-of-mlas/#respond Fri, 15 Dec 2023 11:39:37 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2010 MUMBAI : महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है। इस मामले में शीर्ष अदालत में कल सुनवाई होगी।   सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों …

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MUMBAI : महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है। इस मामले में शीर्ष अदालत में कल सुनवाई होगी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए 30 दिसंबर तक अधिसूचना जारी की थी। इस अनुमान के बाद कि इतने बड़े मामले में फैसला लेने के लिए अधिक समय की जरूरत है, राहुल नार्वेकर ने शीर्ष अदालत से कहा कि मामले में दस्तावेजों की भरमार होने के कारण और विधानसभा सत्र चल रहा होने के कारण उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।

 

 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 30 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को 30 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का स्पष्ट निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा था, “हम नहीं चाहते कि मामला अगले चुनाव तक लटका रहे। अगर स्पीकर सुनवाई नहीं कर सकते तो हम करेंगे। हमने बार-बार स्पीकर से फैसला लेने के लिए कहा है।”

यह मामला शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 33 विधायकों के खिलाफ है। उद्धव गुट ने इन विधायकों पर दल बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है।

राजनीतिक गतिशीलता के माध्यम से यह मामला महत्त्वपूर्ण हो गया है जो महाराष्ट्र की राजनीति को गहरे संघर्ष की दिशा में धकेल रहा है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना इस संघर्ष की मोहर बन गया है जिसमें दो शिवसेना गुटों के बीच संघर्ष चरम पर है।

शिवसेना के प्रतिनिधित्व में इस मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है, जो इस मामले की महत्ता को दर्शाती है।

विधायकों की अयोग्यता के मामले में इतनी बड़ी दस्तावेजीकरण और सत्र चल रहे होने के चलते अधिक समय की आवश्यकता होना सामान्य है। राजनीतिक विवाद के बीच इस मामले का समाधान ढंग से होना महत्त्वपूर्ण है ताकि राजनीतिक संघर्ष दूर हो सके और विधायकों की अयोग्यता के मामले में स्पष्टता आ सके।

 

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इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्त्वपूर्ण होगा जो महाराष्ट्र की राजनीतिक मान्यताओं और विधायकों की अयोग्यता के मामले में नई दिशा देने के लिए सार्थक हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए 30 दिसंबर तक अधिसूचना जारी की थी। इस अनुमान के बाद कि इतने बड़े मामले में फैसला लेने के लिए अधिक समय की जरूरत है, राहुल नार्वेकर ने शीर्ष अदालत से एक 3 सप्ताह की मांग की है।
अध्यक्ष नार्वेकर ने बताया कि मामले में दस्तावेजों की भरमार होने के कारण और विधानसभा सत्र चल रहा होने के कारण उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से तीन सप्ताह का एक्सटेंशन मांगा है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 30 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को 30 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का स्पष्ट निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था, “हम नहीं चाहते कि मामला अगले चुनाव तक लटका रहे। अगर स्पीकर सुनवाई नहीं कर सकते तो हम करेंगे। हमने बार-बार स्पीकर से फैसला लेने के लिए कहा है।”

 

यह मामला शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 33 विधायकों के खिलाफ है। उद्धव गुट ने इन विधायकों पर दल बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है।

राजनीतिक गतिशीलता के माध्यम से यह मामला महत्त्वपूर्ण हो गया है जो महाराष्ट्र की राजनीति को गहरे संघर्ष की दिशा में धकेल रहा है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना इस संघर्ष की मोहर बन गया है जिसमें दो शिवसेना गुटों के बीच संघर्ष चरम पर है।

शिवसेना के प्रतिनिधित्व में इस मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है, जो इस मामले की महत्ता को दर्शाती है। विधायकों की अयोग्यता के मामले में इतनी बड़ी दस्तावेजीकरण और सत्र चल रहे होने के चलते अधिक समय की आवश्यकता होना सामान्य है। राजनीतिक विवाद के बीच इस मामले का समाधान ढंग से होना महत्त्वपूर्ण है ताकि राजनीतिक संघर्ष दूर हो सके और विधायकों की अयोग्यता के मामले में स्पष्टता आ सके।

इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्त्वपूर्ण होगा जो महाराष्ट्र की राजनीतिक मान्यताओं और विधायकों की अयोग्यता के मामले में नई दिशा देने के लिए सार्थक हो सकता है।

 

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