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भारत और इजरायल के बीच 1992 में राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई थी। तब से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत होते गए हैं। वर्ष 2022-23 के दौरान, भारत और इजरायल के बीच व्यापार 10.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा। भारत, एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और विश्व स्तर पर सातवें स्थान पर है। भारत से इजरायल को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में मोती और कीमती पत्थर, स्पेस इक्विपमेंट, पोटेशियम क्लोराइड और मैकेनिकल उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा, लगभग 300 इजरायली कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं, जो भारत-इजरायल संबंधों को और मजबूती प्रदान करती हैं।
भारत और ईरान के बीच भी लंबे समय से व्यापारिक संबंध रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह संबंध कमजोर हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत और ईरान के बीच कई आर्थिक समझौते और परियोजनाएं चल रही हैं। वर्ष 2022-23 में, ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा था। भारत ईरान से कच्चे तेल के साथ-साथ सूखे मेवे, रसायन और कांच के बर्तन खरीदता है। वहीं, भारत की ओर से ईरान को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में बासमती चावल, चाय और कॉफी शामिल हैं। पिछले साल, भारत ने ईरान को लगभग 15,300 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। इसके बावजूद, ईरान के साथ भारत का व्यापार पिछले कुछ वर्षों में घटा है।
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ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते इस तनाव का असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है। भारत, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए काफी हद तक कच्चे तेल पर निर्भर है, ईरान से तेल की आपूर्ति में रुकावट का सामना कर सकता है। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसी तरह, इजरायल के साथ व्यापार में भी रुकावट आ सकती है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है। दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंध होने के बावजूद, इस युद्ध का प्रभाव भारत की व्यापारिक गतिविधियों पर भी पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, इस तनाव के कारण वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी, जिससे भारतीय शेयर बाजार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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