Gyanvapi Mosque - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 14 Sep 2024 09:41:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Gyanvapi Mosque - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ज्ञानव्यापी पर योगी आदित्यनाथ का बयान, ‘यह साक्षात शिव हैं, मस्जिद कहना दुर्भाग्य. https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/knowledgeable-but-yogi-addicted/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/knowledgeable-but-yogi-addicted/#respond Sat, 14 Sep 2024 09:41:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4870 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक संगोष्ठी में ज्ञानव्यापी को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश लोग इसे मस्जिद कहते हैं, जबकि वास्तव में यह साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी ने इस बयान के संदर्भ में आदि शंकराचार्य के जीवन से एक प्रसंग साझा किया, जिसमें …

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक संगोष्ठी में ज्ञानव्यापी को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश लोग इसे मस्जिद कहते हैं, जबकि वास्तव में यह साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी ने इस बयान के संदर्भ में आदि शंकराचार्य के जीवन से एक प्रसंग साझा किया, जिसमें भगवान विश्वनाथ स्वयं को ज्ञानव्यापी के रूप में प्रकट करते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह विचार गोरखपुर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में आयोजित ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषयक संगोष्ठी के दौरान रखे। बतौर मुख्य अतिथि, उन्होंने आदि शंकराचार्य के उस प्रसंग को विस्तार से समझाया, जिसमें ज्ञान और साधना की बात की गई है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब आदि शंकराचार्य अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए दक्षिण भारत के केरल से चलकर वाराणसी पहुंचे, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। एक दिन जब आदि शंकराचार्य गंगा स्नान के लिए जा रहे थे, तो उनके रास्ते में एक चांडाल आ खड़ा हुआ और उनके मार्ग में बाधा डालने का प्रयास करने लगा। आदि शंकर ने चांडाल को हटने के लिए कहा। चांडाल ने इसके उत्तर में आदि शंकर को उनके अद्वैत सिद्धांत की याद दिलाई, जिसमें यह बताया गया है कि ब्रह्म ही सत्य है और सारा संसार माया है। यह सुनकर आदि शंकर को यह आभास हुआ कि यह चांडाल साधारण व्यक्ति नहीं है। उन्होंने उससे पूछा कि वह कौन है, जो उनके अद्वैत सिद्धांत के बारे में इतनी गहराई से जानता है। इसके उत्तर में चांडाल ने कहा कि वह वही ज्ञानव्यापी है, जिसकी साधना के लिए आदि शंकर काशी आए हैं। वह कोई और नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विश्वनाथ हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रसंग के जरिए अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि ज्ञानव्यापी को मस्जिद कहना एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गलती है। उन्होंने इसे ‘दुर्भाग्य’ करार देते हुए कहा कि यह स्थान वास्तव में साक्षात शिव का स्वरूप है। योगी का मानना है कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस स्थान का महत्व अत्यधिक है और इसे किसी अन्य रूप में देखना शिव के प्रति सम्मान का उल्लंघन है। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समझने के लिए आदि शंकराचार्य के जीवन और उनके सिद्धांतों का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आदि शंकर ने जो अद्वैत का ज्ञान फैलाया था, वह न केवल एक दार्शनिक विचारधारा है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता के मूल सिद्धांतों में से एक है।

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इस संगोष्ठी में योगी आदित्यनाथ ने नाथ पंथ के योगदान पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि नाथ पंथ ने भारतीय समाज में समरसता और धार्मिक सहिष्णुता के सिद्धांतों को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नाथ पंथ के संतों ने समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। योगी आदित्यनाथ, जो खुद नाथ पंथ से जुड़े हुए हैं, ने कहा कि इस पंथ ने समाज को बिना किसी भेदभाव के सेवा और साधना के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। नाथ पंथ के संतों ने समाज में जाति, धर्म, और वर्ग के भेदभाव को मिटाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है और उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है।

 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले मे मुस्लिम पक्ष को दिया बड़ा झटका https://chaupalkhabar.com/2023/12/19/allahabad-high-court-gave-a-big-blow-to-the-muslim-side-in-the-gyanvapi-case/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/19/allahabad-high-court-gave-a-big-blow-to-the-muslim-side-in-the-gyanvapi-case/#respond Tue, 19 Dec 2023 07:07:54 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2028 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले मे मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के 1991 के मुकदमे की ट्रायल की मंजूरी दे दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने पांच याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं। काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जिसने 1991 के मुकदमे में ट्रायल की मंजूरी …

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले मे मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के 1991 के मुकदमे की ट्रायल की मंजूरी दे दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने पांच याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं।

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जिसने 1991 के मुकदमे में ट्रायल की मंजूरी दी है, जो समाज में गहरी चर्चाओं का केंद्र बन गया है। यह फैसला न केवल भूमि स्वामित्व के विवाद को बढ़ा देगा, बल्कि समाज के सामाजिक-राजनीतिक रूपांतरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस निर्णय के परिणामस्वरूप, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। इस मामले में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने मालिकाना हक विवाद के मुकदमों को चुनौती देने का साहस दिखाया है।

काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले की शुरुआत 1991 में हुई थी, जब पूजा स्थल के भूमि स्वामित्व पर विवाद शुरू हुआ था। इस विवाद में सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय जैसे वादी शामिल थे। तब से लेकर इस समय तक कई मोड़ आए, कई निर्णय लिए गए, लेकिन विवाद अभी भी जारी है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में विवादित मामलों में स्टे आदेश की वैधता की सीमा को निर्धारित किया था, जिससे इस मामले को अधिकारिक और निष्पक्ष तरीके से हल करने का मार्ग मिला। हालांकि, इस मामले में सर्वे का महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है। विवादित स्थल पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मांग है कि वैज्ञानिक सर्वे द्वारा सत्यता का पता चले। इसके बाद ही विवाद का समाधान संभव होगा।

 

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इसमें उल्लेखनीय बात यह है कि इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया में समर्थन और विरोध दोनों ही पक्षों ने अपनी पक्षधरता को अच्छी तरीके से प्रस्तुत किया है। न्यायिक संस्था ने दोनों पक्षों की बात सुनी और समर्थन की दृष्टि से निर्णय देने का प्रयास किया है।

इस कठिनाई और विवाद से भरे मामले को ध्यान में रखते हुए, न्यायिक संस्थाओं को उच्चतम सतर्कता और निष्पक्षता से काम करना होगा। इसके साथ ही, समाज को भी शांति और सामंजस्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए संवेदनशीलता और समझदारी का होना जरूरी है।

विवादों के समाधान में न्यायिक संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण होता है, परंतु समाज के भीतर सहयोग और समझौता बनाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अगली सुनवाई में जो भी निर्णय हो, उससे समाज को सामंजस्य, विश्वास और अधिक सहमति की दिशा में बढ़ने की उम्मीद है। इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से संचालन होना चाहिए।

सर्वे के परिणाम का इंतजार है, जो इस मामले को नए मोड़ पर ले जा सकता है। निष्कर्ष यह है कि न्यायिक प्रक्रिया की दिशा में बढ़ते हुए, समाज में भी सद्भावना और समझौता बढ़ाना आवश्यक है।

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