gyanvapi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 02 Feb 2024 07:44:01 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg gyanvapi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ज्ञानवापी के उस तहखाने की कहानी, जहां 30 साल बाद की गयी पूजा, प्राचीन मूर्तियों के सबूत से पता लगी, पूजा की पुरानी परंपरा https://chaupalkhabar.com/2024/02/02/the-story-of-the-basement-of-gyanvapi-where-puja-was-performed-after-30-years-evidence-of-ancient-idols-revealed-the-old-tradition-of-puja/ https://chaupalkhabar.com/2024/02/02/the-story-of-the-basement-of-gyanvapi-where-puja-was-performed-after-30-years-evidence-of-ancient-idols-revealed-the-old-tradition-of-puja/#respond Fri, 02 Feb 2024 07:44:01 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2282 वाराणसी के कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार प्रदान किया गया है। जिसके बाद 31 सालों से बरसो पुरानी पूजा के अधिकार को लेकर हुए विवाद को सुलझाया गया है। यह विवाद वाराणसी जिला अदालत में चल रहा हैं, जिसमें व्यासजी …

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वाराणसी के कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार प्रदान किया गया है। जिसके बाद 31 सालों से बरसो पुरानी पूजा के अधिकार को लेकर हुए विवाद को सुलझाया गया है। यह विवाद वाराणसी जिला अदालत में चल रहा हैं, जिसमें व्यासजी के तहखाने में नवंबर 1993 से पहले हुई पूजा-पाठ को रुकवा देने का दावा किया जा रहा है। प्रमुख वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास का कहना है कि उनके पूर्वजों ने इस स्थल में सद्गुण से पूजा की थी, और उन्हें इस अधिकार को पुनः स्थापित करने का अधिकार होना चाहिए।

कोर्ट ने इस मामले में ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार देने का फैसला किया है, जिसके बाद रात के 2 बजे, कड़ी सुरक्षा के बावजूद यहां पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ। इससे लगभग 30 सालों के बाद ज्ञानवापी के तहखाने में आरती की आवाज गूंजी। वाराणसी जिला अदालत ने पूजा पर लगी रोक हटाते हुए जिलाधिकारी को 7 दिनों के अंदर पूजा शुरू कराने का आदेश दिया था। इससे पहले यहां पर 1993 से पूजा पाठ बंद थी, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन ने त्वरित कोर्ट के आदेश को मानते हुए  रात भर बैठके की । जिसके बाद में काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की तरफ से पूजा-अर्चना की गई, जिससे स्थिति में सुधार हुआ।

 

इसके अलावा, वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद तीन दशक से भी ज्यादा समय से अदालत में लंबित है। ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास 350 साल से भी ज्यादा पुराना है। इसमें हिंदू पक्ष का दावा है कि वहां पहले से ही हिंदू मंदिर था, जिसे मुग़ल शासक औरंगजेब ने मस्जिद में बदल दिया था। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कभी मंदिर नहीं था और मस्जिद हमेशा से ही यहां बनी हुई थी।

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इस मुद्दे पर अगस्त 2021 में पांच महिलाएं वाराणसी के सिविल जज के सामने याचिका दायर करने गई थीं। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। जज ने मस्जिद परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया था, जिसके बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया। मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और वहां से एक न्यायाधीश को ट्रांसफर करके याचिका पर नियमित सुनवाई करने का निर्देश दिया गया।

 

Gyanvapi case: Varanasi court allows Hindu side to pray in mosque basement

 

जिला जज ने यह भी कहा कि विवाद पोषणीय नहीं है, लेकिन सुनवाई योग्य मानी जाएगी। मई 2023 में पांच याचिकाकर्ता  महिलाओं में से चार ने एक प्रार्थना पत्र दायर किया, जिसमें उन्होंने मांग की कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए। इस पर जिला जज ने ASI सर्वे कराने का आदेश दिया।

 

The Statesman

ASI के सर्वे में मिली मूर्तियां और मंदिर के सूबत के आधार पर कहा गया कि इस स्थान पर पहले हिंदू मंदिर था, जिसे मुग़ल शासकों ने मस्जिद में बदला गया था। हिंदू पक्ष ने यहां के ढांचे में प्राचीन मंदिर के सबूत के रूप में पिलर्स और प्लास्टर का उपयोग करके मस्जिद को मूर्तियों के साथ सुसज्जित करने का आरोप लगाया है। विवादित स्थल को सील करने की मांग को सुनते हुए सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने केस जिला जज के पास भेजा और न्यायिक सुनवाई करने का आदेश दिया। जिला जज ने अपने फैसले में यह कहा कि सभी पक्षों को सर्वे रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया जाएगा। इसके बाद हिंदू पक्ष ने रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया कि यहां पर पहले हिंदू मंदिर था और मुस्लिम पक्ष द्वारा उसे मस्जिद में बदला गया।

 

By Neelam singh.

 

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Gyanvyapi Case: ह‍िंदू पक्ष की बड़ी जीत, कोर्ट ने ह‍िंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाने में द‍िया पूजा करने का अधि‍कार https://chaupalkhabar.com/2024/01/31/big-victory-for-the-hindu-side-the-court-gave-the-hindu-side-the-right-to-worship-in-the-basement-of-vyas-ji/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/31/big-victory-for-the-hindu-side-the-court-gave-the-hindu-side-the-right-to-worship-in-the-basement-of-vyas-ji/#respond Wed, 31 Jan 2024 11:47:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2268 ज्ञानवापी केस में बुधवार को ह‍िंदू पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ह‍िंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाने में पूजा करने का अधि‍कार दे द‍िया है। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा यह पूजा सात दिनों के भीतर शुरू होगी और सभी को पूजा …

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ज्ञानवापी केस में बुधवार को ह‍िंदू पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ह‍िंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाने में पूजा करने का अधि‍कार दे द‍िया है। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा यह पूजा सात दिनों के भीतर शुरू होगी और सभी को पूजा करने का अधिकार होगा।

Gyanvapi case: Varanasi court allows Hindu side to pray in mosque basement

 

ज्ञानवापी स्थित व्यास जी ने तहखाना को जिलाधिकारी को सौंपने व उसमें पूजा-पाठ का अधिकारी देने की मांग को लेकर पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक की ओर से दाखिल मुकदमे में जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया था।

 

पहली बार  1991 में वाराणसी कोर्ट में यह मुकदमा दाखिल हुआ था, जहां याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई थी, इसके पीछे हिंदू पक्ष का मानना था कि ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर है और यहां विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थानीय है। केंद्र सरकार ने सितंबर 1991 में पूजा स्थल को कानूनी बना दिया, जिसमें कहा गया कि 15 अगस्त 1947 से पहले के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के स्थल में नहीं बदला जा सकता। 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया।

 

 

जिसके बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि स्टे ऑर्डर की वैधता छह महीने तक ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा। इस आदेश के उपरांत 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। और 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी।

 

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आदेश के मुताबिक एक कमीशन नियुक्त किया गया जिसके बाद आदेशनुसार कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए थे। 10 मई तक शीर्ष अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी। लेकिन छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, और सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। और मामला कोर्ट पहुंचा।

 

12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जिस-जिस जगह ताले लगे हैं, वहां पर लगे सभी ताले तुड़वाये जाये । अगर इसमें कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जायगी, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए।

Gyanvapi dispute | Now, masjid panel too seeks removal of Vishnu Shankar  Jain over 'conflict' - The Hindu

 

14 मई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। मुस्लिम पक्ष द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी।  जिसपर कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार करते हुए कहा कि हम बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। अब मामले की सुनवाई 17 मई को  होगी।

 

14 मई के बाद से ही ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई। इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी की गयी। 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं। इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने दावा किया की सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला। जिसके जवाब में  हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की। मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया।

 

The Statesman

 

21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी दे दी और ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया। 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया।जिसके बाद  जिला जज ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया।

 

25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला , इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई। जिसके बाद आज  31 जनवरी 2024 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी, इस फैसले को  हिन्दू पक्ष के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।

 

By Neelam Singh.

 

 

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ज्ञानवापी मामले में ओवैसी का बड़ा बयान, “ज्ञानवापी सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद क्या होगा, कौन जानता है.. https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/#respond Sat, 05 Aug 2023 07:27:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1347 पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा …

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि जब सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कौन जानता है कि हालात कैसे होंगे?

 

 

“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि जब सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कौन जानता है कि हालात कैसे होंगे?

 

 

“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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ASI ने ज्ञानवापी क्षेत्र पर सर्वे शुरू किया, विवादित स्थानों को लेकर हो सकते हैं बड़े खुलासे https://chaupalkhabar.com/2023/08/04/asi-starts-survey-today-in-gyanvapi/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/04/asi-starts-survey-today-in-gyanvapi/#respond Fri, 04 Aug 2023 05:55:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1327 वाराणसी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी मस्जिद की जांच फिर से शुरू की है। क्या यह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाया गया था, यह जानने की कोशिश जारी है। सुप्रीम कोर्ट में सर्वे को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।   1.गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ मंजूर कर दिया, …

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वाराणसी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी मस्जिद की जांच फिर से शुरू की है। क्या यह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाया गया था, यह जानने की कोशिश जारी है। सुप्रीम कोर्ट में सर्वे को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।

 

1.गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ मंजूर कर दिया, क्योंकि यह न्याय के हित में आवश्यक था।

2. पीठ ने 16 पेज के फैसले में कहा, “न्यायालय की राय में, प्रस्तावित वैज्ञानिक सर्वेक्षण/जांच न्याय के हित में आवश्यक है और इससे वादी और प्रतिवादी दोनों को समान लाभ होगा और न्यायोचित निर्णय पर पहुंचने में ट्रायल कोर्ट को मदद मिलेगी।” (ट्रायल) कोर्ट का विवादग्रस्त आदेश पारित करना उचित है,’

 

3.बीजेपी के कई नेताओं ने हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अब उस स्थान पर मंदिर के बारे में “सच्चाई” सामने आ जाएगी।

 

 

4.मस्जिद समिति ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जो आज बाद में सुनवाई होगी।

5.हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर कहा कि इस मामले में उनका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए।

6.हिंदू याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था, लेकिन 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब ने इसे ध्वस्त कर दिया।

7.सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी मस्जिद परिसर में किसी भी जांच पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मस्जिद का ‘वज़ुखाना’, जहां याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि वह संरचना ‘शिवलिंग’ थी, नए सर्वेक्षण के दायरे में नहीं आएगा।

8. 21 जुलाई को वाराणसी जिला अदालत ने एक “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” का आदेश दिया जब चार महिलाओं ने एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि ऐतिहासिक मस्जिद को एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था या नहीं।

 

Brajesh Kumar 

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ASI सर्वे जारी रहेगा, ज्ञानवापी मामले में बड़ा फैसला, मुस्लिम पक्ष को झटका, https://chaupalkhabar.com/2023/08/03/alllahabad-high-court-allows-asi-to-start-gyanvapi-survey/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/03/alllahabad-high-court-allows-asi-to-start-gyanvapi-survey/#respond Thu, 03 Aug 2023 06:01:35 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1317 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई का सर्वे को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी है।  दरअसल, 21 जुलाई को वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी …

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई का सर्वे को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी है। 

दरअसल, 21 जुलाई को वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आदेश दिया था।उसके बाद  मस्जिद कमिटी ने सर्वे के फैसले को सुप्रीम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । 

 

मुस्लिम पक्ष के अपील को अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सर्वे न्यायहित में आवश्यक है। इसे कुछ शर्तों के साथ लागू करना आवश्यक है।

 

वाराणसी जिला जज एके विश्वेश ने पिछले दिनों मस्जिद के आसपास एक वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था। चार अगस्त तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट को सौंपनी थी। जिला अदालत के आदेश के बाद सोमवार को एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण करने पहुंची। लेकिन सर्वे का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 

 

मस्जिद कमिटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया। जिसके बाद मुसलमान पक्ष हाईकोर्ट पहुंचा। मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया  है। 

 

कोर्ट में दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी ने ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से मूल ढांचे को नुकसान पहुंचने की आशंका व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि देश अयोध्या के बाबरी मसले से पीड़ित है। सिविल वाद में पोषणीयता का मुद्दा निर्धारित किये बिना जल्दबाजी में खोदाई और सर्वेक्षण करना घातक हो सकता है।

 

ASI ने मुस्लिम पक्ष की दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सर्वेक्षण की तकनीक मूल ज्ञानवापी संरचना को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और सौरभ तिवारी ने कहा कि वे ज्ञानवापी की सच्चाई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण के जरिए पता लगाना चाहते हैं।

सुनवाई के दौरान प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कहा कि राज्य सरकार याचिका में पक्षकार नहीं है, लेकिन सर्वेक्षण होने पर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी लेने को तैयार है।

Brajesh Kumar

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