Himachal pradesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 31 Jul 2024 07:19:55 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Himachal pradesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा: हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के ठिकानों पर ईडी की बड़ी कार्रवाई https://chaupalkhabar.com/2024/07/31/ayushman-bharat-scheme-in-f/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/31/ayushman-bharat-scheme-in-f/#respond Wed, 31 Jul 2024 07:19:55 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4120 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत फर्जी आईडी कार्ड बनाने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की है। इस मामले में हिमाचल प्रदेश में दो कांग्रेस नेताओं का नाम सामने आया है, जिनमें नगरोटा से कांग्रेस विधायक और …

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत फर्जी आईडी कार्ड बनाने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की है। इस मामले में हिमाचल प्रदेश में दो कांग्रेस नेताओं का नाम सामने आया है, जिनमें नगरोटा से कांग्रेस विधायक और हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली और कांग्रेस नेता डॉ. राजेश शर्मा शामिल हैं। ईडी ने दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, ऊना, शिमला, मंडी और कुल्लू में 19 ठिकानों पर एक साथ तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान ईडी ने फर्जी आयुष्मान भारत कार्ड बनाने और उनके जरिए बड़े पैमाने पर चिकित्सा बिलों में हेरफेर किए जाने की जांच की। बताया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है और आम जनता भी इस धोखाधड़ी का शिकार बनी है।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित तीन बड़े निजी अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल और सिटी अस्पताल मटौर, जांच के दायरे में आए हैं। इनमें से फोर्टिस अस्पताल के मालिक आरएस बाली और श्री बालाजी अस्पताल के मालिक डॉ. राजेश शर्मा के घरों पर भी तलाशी ली गई है। डॉ. राजेश शर्मा, जो कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष भी हैं, हाल ही में देहरा से कांग्रेस का टिकट पाने में असफल रहे थे।

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ईडी द्वारा की गई इस छापेमारी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। बुधवार सुबह पंजाब नंबर की इनोवा गाड़ियों में सवार होकर ईडी के अधिकारी और सीआरपीएफ के जवान कांगड़ा पहुंचे। इसके बाद, तीनों अस्पतालों में एक साथ तलाशी अभियान शुरू हुआ। बताया जा रहा है कि इन अस्पतालों में फर्जी आयुष्मान भारत कार्ड के माध्यम से चिकित्सा सेवाओं के लिए बड़े पैमाने पर फर्जी बिल बनाए गए थे, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।

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इस छापेमारी के बाद, कई अन्य नेताओं का भी नाम ईडी की जांच के दायरे में आ सकता है। ईडी द्वारा हिमाचल प्रदेश में की जा रही लगातार छापेमारी से राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में शामिल सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

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ECI द्वारा 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का किया गया एलान, 10 जुलाई को किया जाएगा मतदान. https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/eci-by-7-states-of-13-legislation/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/eci-by-7-states-of-13-legislation/#respond Mon, 10 Jun 2024 08:10:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3540 भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के 13 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने का निर्णय लिया है। ये उपचुनाव 10 जुलाई को होंगे और मतगणना 13 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अपनी घोषणा कर दी है, जिसमें नामांकन, स्क्रूटनी और मतदान के …

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भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के 13 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने का निर्णय लिया है। ये उपचुनाव 10 जुलाई को होंगे और मतगणना 13 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अपनी घोषणा कर दी है, जिसमें नामांकन, स्क्रूटनी और मतदान के लिए तिथियों का विवरण दिया गया है। इन उपचुनावों में बिहार की 1 , पश्चिम बंगाल की 4 , तमिलनाडु की 1 , मध्य प्रदेश की 1 , उत्तराखंड की 2 , पंजाब की 1 और हिमाचल प्रदेश की 3 सीटों पर मतदान किया जायगा । चुनाव आयोग के अनुसार, इन सीटों पर नोटिफिकेशन 14 जून को जारी किया जाएगा। नामांकन की अंतिम तिथि 21 जून होगी और नामांकन की स्क्रूटनी 24 जून को की जाएगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून तय की गई है। मतदान 10 जुलाई को होगा और परिणाम 13 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।

चुनाव आयोग के अनुसार, नोटिफिकेशन 14 जून को जारी किया जाएगा। नामांकन की अंतिम तिथि 21 जून होगी और नामांकन की स्क्रूटनी 24 जून को की जाएगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून तय की गई है।

बिहार की एक सीट पर उपचुनाव होगा, जिसका विवरण आयोग ने स्पष्ट किया है। पश्चिम बंगाल की चार सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिनमें विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। तमिलनाडु की एक सीट पर भी उपचुनाव होगा। इसके अलावा, मध्य प्रदेश की एक सीट पर उपचुनाव होगा, जो अमरवाड़ा की है। अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 123 की यह सीट कमलेश प्रताप शाह के इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी। कमलेश शाह ने हाल ही में इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, जिसके बाद यह सीट रिक्त घोषित कर दी गई थी। उत्तराखंड की दो सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिनमें दोनों ही महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। पंजाब की एक सीट पर भी उपचुनाव का आयोजन किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की तीन सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिनमें विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

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चुनाव आयोग ने इन उपचुनावों के लिए पूरी प्रक्रिया का विवरण भी दिया है। नोटिफिकेशन जारी होने की तिथि 14 जून होगी, जिसके बाद उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। नामांकन की अंतिम तिथि 21 जून है, जिसके बाद कोई नामांकन पत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा। नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी 24 जून को की जाएगी, जिसमें सभी उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। इसके बाद, नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून है, जिसके बाद उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं ले सकेंगे। मतदान 10 जुलाई को होगा, जिसमें सभी योग्य मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मतगणना 13 जुलाई को की जाएगी और उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे। मध्य प्रदेश में अमरवाड़ा की सीट पर भी उपचुनाव होगा। यह सीट विधायक कमलेश प्रताप शाह के इस्तीफे के बाद से खाली है। कमलेश शाह ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, जिसके कारण यह सीट रिक्त हो गई थी। अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 123 की यह सीट छिंदवाड़ा जिले में आती है। उपचुनाव के जरिए इस सीट पर नए विधायक का चयन किया जाएगा।

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चुनाव आयोग ने इन उपचुनावों के संबंध में सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और आयोग द्वारा जारी तिथियों के अनुसार सभी प्रक्रियाएं संचालित की जाएंगी। आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरी हो। सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को आयोग के निर्देशों का पालन करना होगा। इन उपचुनावों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये विभिन्न राज्यों के महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद यह देखा जाएगा कि किस राजनीतिक दल को कितनी सीटें मिलती हैं और इससे राज्यों की राजनीतिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है। उपचुनावों के नतीजे 13 जुलाई को घोषित किए जाएंगे, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस दल को जनता का समर्थन मिला है।

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दिल्ली में हुए जल संकट को लेकर आतिशी ने हरियाणा सरकार को घेरा कहा अगर दिल्ली को पानी नहीं दिया गया तो पूरी दिल्ली में त्राहि-त्राहि मच जाएगी। https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/water-crisis-in-delhi-open-in-google-translate-feedback-google-translate-google-translate-https-translate-google-co-in-googles-service-offered-free-of-charge-instantly-translates-wo/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/water-crisis-in-delhi-open-in-google-translate-feedback-google-translate-google-translate-https-translate-google-co-in-googles-service-offered-free-of-charge-instantly-translates-wo/#respond Sat, 08 Jun 2024 11:59:31 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3526 दिल्ली में जल संकट की समस्या लगातार बनी हुई है। राजधानी में पानी की कमी के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा सरकार पर पानी रोकने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 दिनों से दिल्ली को मिलने …

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दिल्ली में जल संकट की समस्या लगातार बनी हुई है। राजधानी में पानी की कमी के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा सरकार पर पानी रोकने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 दिनों से दिल्ली को मिलने वाली पानी की मात्रा लगातार घट रही है, जिससे जल संकट और गहरा रहा है। आतिशी ने कहा, “अगर हरियाणा की ओर से 1050 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है तो कम से कम 1000 क्यूसेक पानी दिल्ली तक पहुंचना चाहिए। लेकिन, पिछले कुछ दिनों में यह मात्रा घटकर 1 जून को 924 क्यूसेक और 2 जून को सिर्फ 848 क्यूसेक रह गई है।”

उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा की नहरों से पानी दिल्ली के सात जल उपचार संयंत्रों (डब्ल्यूटीपी) तक आता है। इनमें वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल उपचार संयंत्र शामिल हैं। जब हरियाणा से पानी की आपूर्ति कम होती है, तो इन संयंत्रों में कम पानी पहुंचता है, जिससे दिल्ली के नागरिकों को पर्याप्त पेयजल नहीं मिल पाता है। आतिशी ने हरियाणा सरकार पर षड्यंत्र का आरोप लगाते हुए कहा, “हरियाणा सरकार दिल्ली के लोगों के विरुद्ध षड्यंत्र रच रही है। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में पानी की समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रहा है, परंतु हरियाणा सरकार लगातार दिल्ली के हिस्से के पानी को रोक रही है।”

आतिशी ने कहा, “अगर हरियाणा की ओर से 1050 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है तो कम से कम 1000 क्यूसेक पानी दिल्ली तक पहुंचना चाहिए। लेकिन, पिछले कुछ दिनों में यह मात्रा घटकर 1 जून को 924 क्यूसेक और 2 जून को सिर्फ 848 क्यूसेक रह गई है।”

उन्होंने कहा कि इस कारण वजीराबाद जलाशय का जल स्तर गिरता जा रहा है। “दो जून को जल स्तर 671.3 फीट था और सात जून को घटकर 669.7 फीट रह गया है,” आतिशी ने कहा। उनका आरोप है कि जब यह मामला दो जून को सुप्रीम कोर्ट में गया, उसी दिन से हरियाणा ने दिल्ली की तरफ पानी छोड़ना कम कर दिया दिल्ली जल आपूर्ति के लिए यमुना नदी पर निर्भर है। यमुना नदी में वही पानी आता है, जो हरियाणा से छोड़ा जाता है। अगर हरियाणा से कम पानी छोड़ा जाएगा, तो इसका असर दिल्ली के जल उपचार संयंत्रों पर पड़ेगा और इससे कम उपचारित पेयजल मिलेगा।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पानी की समस्या सुलझाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से मामले की गंभीरता को समझने और समाधान निकालने की अपील की है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भी निर्देश दिया है कि वह दिल्ली को उसके हिस्से का पानी देने में कोई कोताही न बरते। हिमाचल प्रदेश ने भी दिल्ली को पानी देने की पेशकश की है, लेकिन हरियाणा सरकार इसे रोक रही है। हिमाचल प्रदेश से मिलने वाला पानी दिल्ली तक पहुंचने में हरियाणा सरकार बाधा डाल रही है। इस पर आतिशी ने कहा, “हिमाचल प्रदेश ज्यादा पानी देने को तैयार है, वहीं दूसरी ओर हरियाणा दिल्ली के हक का पानी रोक रहा है और जारी नहीं कर रहा है।”

कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भी निर्देश दिया है कि वह दिल्ली को उसके हिस्से का पानी देने में कोई कोताही न बरते।

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दिल्ली में पानी की कमी से स्थिति गंभीर होती जा रही है। जलमंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर दिल्ली को पानी नहीं दिया गया तो पूरी दिल्ली में त्राहि-त्राहि मच जाएगी। उन्होंने कहा, “पूरी दिल्ली में पानी को लेकर हाहाकार मचा है। अगर हरियाणा ने अपनी हरकतें नहीं रोकीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है।” इससे पहले, शुक्रवार को जल मंत्री आतिशी ने वजीराबाद बैराज का निरीक्षण किया। उन्होंने वहाँ की स्थिति का जायजा लेते हुए कहा कि हरियाणा सरकार जानबूझकर दिल्ली के हिस्से का पानी रोक रही है। “वजीराबाद जलाशय का जल स्तर गिरता जा रहा है, जिससे दिल्ली के लोगों को पेयजल की कमी हो रही है। हरियाणा सरकार के इस रवैये से दिल्लीवासियों को काफी परेशानी हो रही है।

इस पूरे मामले पर हरियाणा सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि, हरियाणा के अधिकारियों ने बार-बार दावा किया है कि वे दिल्ली को उसके हिस्से का पानी दे रहे हैं और किसी भी तरह की कमी नहीं हो रही है। लेकिन दिल्ली सरकार के आरोप और आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। दिल्ली के जल संकट पर राजनीति भी गरमा गई है। आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोकझोंक हो रही है। दिल्ली सरकार के मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता आतिशी ने भाजपा शासित हरियाणा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह दिल्लीवासियों के साथ अन्याय कर रही है। दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए हरियाणा पर आरोप लगा रही है।

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इस बीच, दिल्लीवासियों को जल संकट से निपटने के लिए जल संरक्षण और जल प्रबंधन के उपाय अपनाने की अपील की जा रही है। जल संकट के इस गंभीर समय में लोगों से पानी की बर्बादी न करने और जितना हो सके पानी बचाने की अपील की जा रही है। दिल्ली सरकार भी इस दिशा में कई कदम उठा रही है और लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक कर रही है। जल संकट का समाधान निकट भविष्य में निकल पाएगा या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल, दिल्ली के लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं और हरियाणा सरकार के रवैये से नाराज हैं। सुप्रीम कोर्ट के प्रयास और हिमाचल प्रदेश की पेशकश इस मामले में क्या बदलाव ला पाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

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दिल्ली में जल संकट: सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप, हिमाचल- हरियाणा को आदेश, केजरीवाल सरकार को भी चेताया https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/water-crisis-in-delhi-supr/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/water-crisis-in-delhi-supr/#respond Thu, 06 Jun 2024 07:21:47 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3456 दिल्ली में जल संकट के गंभीर होते हालात को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, हरियाणा को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि यह पानी निर्बाध तरीके …

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दिल्ली में जल संकट के गंभीर होते हालात को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, हरियाणा को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि यह पानी निर्बाध तरीके से दिल्ली तक पहुंचे। अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में पानी की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और एक महीने तक अतिरिक्त पानी की मांग की थी। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार को भी चेतावनी दी है और पानी की बर्बादी रोकने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली पिछले कुछ समय से भीषण गर्मी का सामना कर रही है, जिससे पानी की मांग में भारी वृद्धि हुई है। लाखों लोग हर दिन पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस संकट के बीच, केजरीवाल सरकार ने हरियाणा पर यमुना में कम पानी आपूर्ति का आरोप लगाया। इसके बाद दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें अतिरिक्त पानी की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने गुरुवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाया। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को आदेश दिया कि वह यमुना नदी में 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़े। साथ ही, हरियाणा को निर्देश दिया गया कि वह इस पानी को हथनीकुंड और वजीराबाद बैराज तक निर्बाध तरीके से पहुंचने दे, ताकि दिल्ली में पीने के पानी का संकट दूर हो सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि हरियाणा को सूचित करके हिमाचल प्रदेश 7 जून को पानी छोड़ेगा। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 5 जून को अपर यमुना बोर्ड की बैठक बुलाने का आदेश दिया था और संबंधित पक्षों से बातचीत करने को कहा था। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया कि हिमाचल से छोड़े गए पानी को हथिनीकुंड में मापा जाए। इस प्रक्रिया की निगरानी अपर यमुना रिवर बोर्ड को सौंपी गई है।

कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को आदेश दिया कि वह यमुना नदी में 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़े। साथ ही, हरियाणा को निर्देश दिया गया कि वह इस पानी को हथनीकुंड और वजीराबाद बैराज तक निर्बाध तरीके से पहुंचने दे, ताकि दिल्ली में पीने के पानी का संकट दूर हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि पानी की कहीं बर्बादी न हो। कोर्ट ने इस पर जोर दिया कि पानी का उपयोग जिम्मेदारी से किया जाए ताकि यह सभी जरूरतमंदों तक पहुंच सके। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 10 जून को एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी आदेश दिया है, जिसमें यह विवरण हो कि अतिरिक्त पानी का सही उपयोग हो रहा है या नहीं। यह आदेश जल संकट से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। दिल्ली जैसे महानगर में पानी की समस्या अक्सर गर्मी के मौसम में विकराल रूप ले लेती है। ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और आदेश एक राहत की बात है।

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दिल्ली में जल संकट की समस्या के समाधान के लिए जल प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उपलब्ध जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो और पानी की बर्बादी को रोका जा सके। इसके लिए न केवल सरकारी स्तर पर बल्कि आम जनता को भी जागरूक होना होगा और जल संरक्षण के उपाय अपनाने होंगे। दिल्ली में जल संकट के पीछे कई कारण हैं। मुख्य कारणों में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण, और जल संसाधनों का अपर्याप्त प्रबंधन शामिल हैं। यमुना नदी का पानी दिल्ली के लिए जीवनरेखा की तरह है, लेकिन इसके जल की मात्रा और गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है।

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सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश हिमाचल प्रदेश और हरियाणा दोनों के लिए एक जिम्मेदारी का मामला है। हिमाचल प्रदेश को अतिरिक्त पानी छोड़ने के निर्देश से यह सुनिश्चित होगा कि दिल्ली को आवश्यक जल आपूर्ति मिल सके। वहीं, हरियाणा को इस पानी को निर्बाध तरीके से दिल्ली तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।दिल्ली में जल संकट की समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण कदम है। इस आदेश से उम्मीद है कि दिल्ली में पानी की कमी की समस्या को कुछ हद तक दूर किया जा सकेगा। हालांकि, यह भी आवश्यक है कि पानी की बर्बादी को रोका जाए और जल प्रबंधन को बेहतर बनाया जाए। इसके साथ ही, सरकार और जनता दोनों को मिलकर जल संरक्षण के उपाय अपनाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।

 

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हिमाचल के बागी MLA का विक्रमादित्य सिंह पर निशाना बस्ती भी जलानी है, मातम भी मनाना है….. https://chaupalkhabar.com/2024/03/11/himachals-rebel-mla-targets-vikramaditya-singh-we-have-to-burn-the-colony-we-have-to-mourn-too/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/11/himachals-rebel-mla-targets-vikramaditya-singh-we-have-to-burn-the-colony-we-have-to-mourn-too/#respond Mon, 11 Mar 2024 07:07:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2544 हिमाचल प्रदेश की सियासत में ताजा उथल-पुथल के बाद, मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एक मंच पर सामने आकर राज्य में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान गठित साजिश का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि इस साजिश में इंटेलिजेंस फेलियर का बहुत बड़ा हाथ था और उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दुर्भाग्यपूर्ण …

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हिमाचल प्रदेश की सियासत में ताजा उथल-पुथल के बाद, मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने एक मंच पर सामने आकर राज्य में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान गठित साजिश का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि इस साजिश में इंटेलिजेंस फेलियर का बहुत बड़ा हाथ था और उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद, विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे हिमाचल प्रदेश की सियासत में नई उथल-पुथल आई।

विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में सरकार गिराने की साजिश में इंटेलिजेंस फेलियर का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायकों द्वारा किये गए क्रॉस वोटिंग का हवाला देते हुए इंटेलिजेंस की नकामी के कारण यह साजिश सफल हुई। उन्होंने साफ किया कि उन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की जो इस घटना की संभावना में शामिल थे। हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा, जो कि इसलिए थी क्योंकि बीजेपी के पास केवल 25 विधायक थे जबकि कांग्रेस के पास बहुमत था। इस हार के बड़े चर्चे हो रहे हैं, जिसमें इंटेलिजेंस की नकामी के बादल भी घिरे हैं।

विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे के बाद, कांग्रेस के बागी विधायक सुधीर शर्मा ने उन पर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि जो हमारे साथ थे अब एजेंसियों पर तंज कस रहे हैं। यह बातें सामाजिक और राजनीतिक तौर पर  उठाए गयी हैं, जोकि इस साजिश के पीछे छुपे रहस्य को उजागर करती हैं। इस घटना से उत्पन्न हुई उथल-पुथल के बावजूद, कांग्रेस ने कहा है कि सुक्खू सरकार को कोई खतरा नहीं है। पार्टी के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह घटना राज्य की सियासत में उथल-पुथल के बावजूद, कांग्रेस की अधिकतम स्थिरता को प्रमाणित करती है।

हिमाचल प्रदेश की सियासत में यह स्थिति उत्तेजक है, और लोग देश की राजनीति में इसके प्रभावों का अनुमान लगा रहे हैं। इस वक्त कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही एक-दूसरे पर निगरानी बनाए रखने के प्रयास कर रहे हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति में नए संग्राम की संभावना बनी रहती है। सरकार और विपक्ष के बीच चल रही तनावपूर्ण संघर्ष के बीच, हिमाचल प्रदेश की जनता के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए, नेताओं को एकजुट होकर प्रदेश के विकास और कल्याण के लिए काम करने की आवश्यकता है। यह समय है कि सभी दल और नेता एक साथ आए और प्रदेश के हित में साझा काम करें, ताकि हिमाचल प्रदेश को एक मजबूत और प्रगतिशील भविष्य की दिशा में अग्रसर किया जा सके।

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