INDIAAlliance - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 31 Jan 2024 11:45:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg INDIAAlliance - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 पार्टी नेता और बड़े उद्योगपति मनोज यादव ने छोड़ी सपा पार्टी, डिंपल यादव को टिकट का ऐलान होते ही मैनपुरी में अखिलेश को लगा बड़ा झटका https://chaupalkhabar.com/2024/01/31/party-leader-and-big-industrialist-manoj-yadav-left-sp-party-akhilesh-got-a-big-shock-in-mainpuri-as-soon-as-ticket-for-dimple-yadav-was-announced/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/31/party-leader-and-big-industrialist-manoj-yadav-left-sp-party-akhilesh-got-a-big-shock-in-mainpuri-as-soon-as-ticket-for-dimple-yadav-was-announced/#respond Wed, 31 Jan 2024 11:45:34 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2266 मनोज यादव, आरसीएल ग्रुप के चेयरमैन, ने सपा से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद उनकी बीजेपी के साथ जुड़ने की संभावना भी सामने आ रही हैं। उनके इस कदम से सपा को कठिनाईयों का सामना करना पढ़ सकता है।     मनोज यादव की राजनीतिक यात्रा मैनपुरी से शुरू हुई और सपा में उन्होंने …

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मनोज यादव, आरसीएल ग्रुप के चेयरमैन, ने सपा से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद उनकी बीजेपी के साथ जुड़ने की संभावना भी सामने आ रही हैं। उनके इस कदम से सपा को कठिनाईयों का सामना करना पढ़ सकता है।

 

SP announces 16 candidates for Lok Sabha polls; Dimple to contest from  Mainpuri - The Week

 

मनोज यादव की राजनीतिक यात्रा मैनपुरी से शुरू हुई और सपा में उन्होंने अखिलेश यादव के साथ मिलकर कई चुनाव लड़े। उन्होंने विभिन्न चरणों में पार्टी के लिए सक्रिय भूमिका निभाई, लेकिन हाल के इस्तीफे में उन्होंने सपा के कुछ नेताओं के साथ उनकी टकराहटों को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। उनका आरोप है कि सपा में पारिवारिक कलह बढ़ रहा है और स्थानीय स्तर पर नेताओं के बीच चाटुकारिता और टांग खींचने का माहौल है।

 

मनोज यादव ने कहा, सपा अब जनता के लिए काम नहीं कर पा रही है। बीजेपी सरकार में बिना किसी पक्षपात के काम किया जा रहा है और उनकी कंपनी के पास भी करोड़ों रुपए के काम हैं जबकि सपा सरकार में उनको काम मिलने में बहुत दिक्कत हो रही थी खासकर शिवपाल यादव से, हालाँकि मनोज यादव सपा के प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं और इसके साथ ही पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव से भी उनकी काफी नजदीकियां रही हैं। इसके बावजूद उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया यह विषय का मुद्दा बन सकता है।

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सपा ने मंगलवार को 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। और इससे प्रदेश में राजनीतिक गतिशीलता में बढ़ोतरी हो रही है। उनकी पहली लिस्ट में 11 OBC, 1 मुस्लिम, 1 दलित, 1 ठाकुर, 1 टंडन और 1 खत्री उम्मीदवार शामिल हैं, जो पार्टी की सांसद विधायिका डिंपल यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया है। इस लिस्ट में 11 OBC उम्मीदवारों में 4 कुर्मी, 3 यादव, 2 शाक्य, 1 निषाद और 1 पाल समुदाय से हैं, जो पार्टी की समर्थन बढ़ा सकते हैं। सपा ने अयोध्या लोकसभा (सामान्य सीट) पर दलित वर्ग के पासी प्रत्याशी को टिकट दिया है, जिससे पार्टी ने अपने विचारों को बहुजन समुदाय के प्रति संवेदनशीलता व्यक्त किया है।

 

Dimple Yadav files nomination from Mainpuri, Akhilesh says victory margin  will increase

 

इस चुनाव में ये उम्मीदवार कहां से उतरेंगे, इसका बहुत बड़ा महत्व है। शाफिकुर रहमान बर्क, जो संभल से हैं, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, मैनपुरी से डिंपल यादव, एटा से देवेश शाक्य, बदायूं से धर्मेंद्र यादव, खीरी से उत्कर्ष वर्मा, धौरहरा से आनंद भदौरिया, उन्नाव से अनु टंडन, लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा, फर्रुखाबाद से नवल किशोर शाक्य, अकबरपुर से राजाराम पाल, बांदा से शिव शंकर सिंह पटेल, फैजाबाद से अवधेश प्रसाद, अंबेडकर नगर से लालजी वर्मा, बस्ती से राम प्रसाद चौधरी, गोरखपुर से काजल निषाद – ये सभी उम्मीदवार पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

 

 

साथ ही, सपा ने अखिलेश यादव को मिर्जापुर सीट प्रभारी और पूर्व मंत्री सुंदर सिंह को वाराणसी सीट प्रभारी नियुक्त किया है, जिससे प्रदेश में उनका स्थान सुदृढ़ हो सकता है। चुनाव में सपा की चुनौती बढ़ रही है और इसमें उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया और उनके प्रति जनमत का विश्वास महत्वपूर्ण होगा। पार्टी को जनता के बीच अपने विचारों को सही तरीके से पहुंचाने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके उम्मीदवार लोगों के दिलों में स्थान बना सकें और चुनौती को सफलता में बदल सकें।

 

By Neelam Singh.

 

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INDIA अलायंस के दल AAP और कांग्रेस ने एक साथ आने का  किया प्लान, चंडीगढ़ में मेयर की कवायद तेज https://chaupalkhabar.com/2024/01/15/india-alliance-parties-aap-and-congress-plan-to-come-together-efforts-for-mayor-in-chandigarh-intensified/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/15/india-alliance-parties-aap-and-congress-plan-to-come-together-efforts-for-mayor-in-chandigarh-intensified/#respond Mon, 15 Jan 2024 13:43:25 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2154 चंडीगढ़ में नगर निगम के मेयर चुनाव की सत्रकारी मुख्यरूप से हो रही है और इसमें हार-जीत के लिए दो बड़े दल, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, एक साथ आने का सिलसिला बन रहा है। इस उत्कृष्ट प्रक्रिया में दोनों पार्टियां गठबंधन की संभावना को ध्यान में रखती हैं, लेकिन इसके साथ ही सवाल उठ …

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चंडीगढ़ में नगर निगम के मेयर चुनाव की सत्रकारी मुख्यरूप से हो रही है और इसमें हार-जीत के लिए दो बड़े दल, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, एक साथ आने का सिलसिला बन रहा है। इस उत्कृष्ट प्रक्रिया में दोनों पार्टियां गठबंधन की संभावना को ध्यान में रखती हैं, लेकिन इसके साथ ही सवाल उठ रहा है कि क्या यह गठबंधन अधिकतम संख्या प्राप्त करने का एक उपाय है या क्या इससे होने वाले नाते केवल सुरक्षित होंगे?

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर एक उदार गठबंधन का निर्णय किया है, जिसके तहत वे मेयर, डिप्टी मेयर, और सीनियर डिप्टी मेयर के लिए भी एक समझौता कर रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस ने अपने सभी पार्षदों की बाड़ेबंदी करने का फैसला किया है, जो इस गठबंधन के लिए एक सूची से बाहर रखे गए हैं गठबंधन के बीच बातचीत के दौर में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को वापस लेने का विकल्प रखा है, जो गठबंधन से हो सकता है। इससे साफ है कि चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के साथ मिलकर ही मेयर पद पर बैठने का मौका मिल सकता है। इसमें बीजेपी के लिए एक चुनौती है, क्योंकि इस स्थिति में उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है।

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गठबंधन के संदर्भ में एक बड़ी चुनौती उभर रही है – इस गठबंधन के सीधे प्रभाव पर चर्चा हो रही है और यह स्पष्ट है  कि इसका सीधा प्रभाव बीजेपी की चुनौती पर हो सकता है। चंडीगढ़ में नगर निगम के चुनाव की तारीख के नजदीक आते ही, सभी दल तैयारियों में जुट रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच आज चर्चा होगी कि कौन और कैसे पथ पर बढ़ेगा, जिससे गठबंधन को सही दिशा में ले जाया जा सके।

‘अलायंस की स्थिति में बीजेपी पर संकट के बादल मंडरा रहे है’ इस उपशीर्षक के तहत, यह स्पष्ट है कि बीजेपी के लिए यह एक बड़ी समस्या का समय हो सकता है. इस स्थिति में बीजेपी को गठबंधन के प्रति अपनी दृष्टि को स्थिर रखने की आवश्यकता है, क्योंकि अगर वे गठबंधन के बाहर होते हैं, तो हार का संकट उनके सामने है चंडीगढ़ में चल रहे मेयर चुनाव की उत्कृष्टता और महत्व को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि जनता को उच्चतम शिक्षा, स्वास्थ्य, और नगरिक सुविधाओं के क्षेत्र में एक नेतृत्व चाहिए. यह गठबंधन कैसे प्रभावित करता है, इससे होने वाले नतीजों को लेकर जनता की राय को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।

 

 

इस समर्थन में आने वाले चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में जनता का समर्थन होना जरूरी है, ताकि सही और सशक्त नेतृत्व चुना जा सके गठबंधन की सफलता यही बताएगी कि जनता कैसे एकजुट होकर अपने नगर को बेहतर बना सकती है और कैसे वे सशक्त नेतृत्व के साथ सशक्त नगर की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

by Neelam Singh 

 

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ना INDIA, ना NDA बसपा अकेले ही लोकसभा का चुनाव लड़ेगी मायावती ने स्पष्ट किया कि, वह गठबंधन में शामिल नहीं होंगी। https://chaupalkhabar.com/2024/01/15/neither-india-nor-nda-bsp-will-contest-the-lok-sabha-elections-alone-mayawati-made-it-clear-that-she-will-not-join-the-alliance/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/15/neither-india-nor-nda-bsp-will-contest-the-lok-sabha-elections-alone-mayawati-made-it-clear-that-she-will-not-join-the-alliance/#respond Mon, 15 Jan 2024 12:38:41 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2148 मायावती, जो अपने जन्मदिन के मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साकार रूप से मीडिया को संबोधित किया, मायावती ने बड़ी उत्साह से अपने कार्यकाल की बातें साझा कीं। उन्होंने गरीबों, अल्पसंख्यकों, मुस्लिमों, और किसानों के लिए किए गए कार्यों पर जोर दिया और कहा कि उनकी सरकार ने यूपी में चार बार की सत्ता …

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मायावती, जो अपने जन्मदिन के मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साकार रूप से मीडिया को संबोधित किया, मायावती ने बड़ी उत्साह से अपने कार्यकाल की बातें साझा कीं। उन्होंने गरीबों, अल्पसंख्यकों, मुस्लिमों, और किसानों के लिए किए गए कार्यों पर जोर दिया और कहा कि उनकी सरकार ने यूपी में चार बार की सत्ता कायम करने के दौरान सभी वर्गों के हित में काम किया।

 

 

उन्होंने कहा की वह जब भी सत्ता में आयी है उन्होंने जनता के हित को सर्वोपरि रखा है। इसी के साथ मायावती ने आगे कहा, “हमने यूपी में अपने कार्यकाल में सभी वर्गों के हित के लिए काम किया, जिसमे शामिल है अल्पसंख्यक, गरीब, मुस्लिम, किसान और अन्य मेहनतकश लोग जिनके लिए बसपा द्वारा  जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई थीं।

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सरकारें नाम और स्वरूप बदल कर अपना बनाने का प्रयास कर रही हैं लेकिन जातिवादी होने के कारण यह काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सीधे तौर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा और बताया कि उनकी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), अगले लोकसभा चुनाव में अकेले ही उतरेगी। उनका दावा है कि गठबंधन करने से पार्टी को फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है, और उनकी पार्टी अकेले लोकसभा चुनाव लड़कर बेहतर नतीजे लाएगी।

मायावती ने स्पष्ट शब्दों में कहा की “हम इसलिए चुनाव अकेले लड़ते हैं क्योंकि इसका सर्वोच्च नेतृत्व एक दलित के हाथ है,” उन्होंने गठबंधन के कमजोरियों को बताया और यकीन दिलाया कि बसपा ने किसी को फ्री में समर्थन नहीं देने का निर्णय लिया है, लेकिन चुनाव के बाद गठबंधन के बारे में विचार किया जा सकता है।

 

मायावती ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा, “वर्तमान सरकारें नाम बदल कर अपना बनाने का प्रयास कर रही हैं लेकिन जातिवादी होने के कारण यह काम नहीं हो पा रहा है। जहा सरकार को रोजगार के साधन मुहैया कराने चाहिए उसकी बजाए वह फ्री में थोड़ा सा राशन देकर जनता को बहका रही हैं।”

 

इसके साथ ही, उन्होंने आपत्ति जताई कि उनकी सरकार के दौरान उन्होंने सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के साधन देने का प्रयास किया और अपने विधायकों से विशेषज्ञता से काम करने को कहा। अपनी चुनौतीपूर्ण बातचीत में, मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि वह गठबंधन में शामिल नहीं होंगी, और उनकी पार्टी आगे भी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी पार्टी के विचार को बनाए रखने की महत्वपूर्णता पर जोर दिया, जिससे कि उनका वोटबैंक बनाए रहे।

 

इस बयान से स्पष्ट होता है कि मायावती ने अपने जन्मदिन पर एक बड़ा राजनीतिक ऐलान किया है और उनका लक्ष्य है अपनी पार्टी को सुशक्त बनाए रखना, चाहे कुछ भी हो।

by – Neelam Singh

 

 

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ममता बनर्जी का राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान, कहा कि धर्म एक व्यक्तिगत विषय हो सकता है, लेकिन त्योहार सभी का होता है https://chaupalkhabar.com/2024/01/10/mamta-banerjees-big-statement-regarding-ram-temple-said-that-religion-can-be-a-personal-subject-but-festivals-belong-to-everyone/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/10/mamta-banerjees-big-statement-regarding-ram-temple-said-that-religion-can-be-a-personal-subject-but-festivals-belong-to-everyone/#respond Wed, 10 Jan 2024 09:12:09 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2137 क्या ममता बनर्जी एक धार्मिक विवाद में बसी जंग की बात कर रही हैं या फिर कुछ और? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने राम मंदिर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जो न केवल राजनीति में बदलाव ला सकता है, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता की ओर भी संकेत कर सकता है।  ममता बनर्जी ने यह …

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क्या ममता बनर्जी एक धार्मिक विवाद में बसी जंग की बात कर रही हैं या फिर कुछ और? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने राम मंदिर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जो न केवल राजनीति में बदलाव ला सकता है, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता की ओर भी संकेत कर सकता है।  ममता बनर्जी ने यह बयान देते हुए कहा कि धर्म एक व्यक्तिगत विषय हो सकता है, लेकिन त्योहार सभी का होता है। वे उस उत्सव के विश्वास में हैं जो सभी को साथ लेकर चलता है और सभी धर्मों की मान्यताओं को सम्मान देता है।

उन्होंने दूसरे समुदायों की अवहेलना करने को सही नहीं माना। उनका वचन है कि जब तक वे जीवित रहेंगी, तब तक वे किसी भी तरह के धार्मिक भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेंगी। ममता ने उसे चुनावी नौटंकी के रूप में देखा, जहां धर्म को बेहद खेला जा रहा है। वह कहती है कि जो करना है, वो करें, लेकिन किसी भी तरह के धार्मिक विभाजन को बढ़ावा नहीं देगी।

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उन्होंने ध्यान दिलाया कि चुनावी दल आते हैं, धर्म के नाम पर बांटते हैं, लेकिन फिर भी वह बंगाल के बकाया का भुगतान नहीं करते हैं। वे इस बात को भी सामने लाती हैं कि उनकी सरकार मुफ्त राशन वातानुकूलन देती है, लेकिन दूसरी ओर दल उनकी योजनाओं में अपना चिह्न चाहते हैं। वे ध्यान देने की गुज़ारिश करती हैं कि मतदाता सूची में नाम न काटें, अन्यथा वे CAA और एनआरसी के खिलाफ उठेंगे।

 

ममता बनर्जी ने महुआ मोइत्रा के केस की भी चर्चा की और कहा कि वहीं टीएमसी की भी जीत है। उन्होंने ईडी की छापेमारी पर भी अपनी बात रखी, कहते हुए कि वे टीएमसी से डरते हैं, इसलिए वे टीएमसी नेताओं के घरों पर जाते हैं और उन्हें फर्जी मामलों में गिरफ्तार करते हैं।  यह बयान न केवल बंगाल की राजनीति में ताक़त के संकेत के रूप में खड़ा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे राजनीतिक दल अपने हित के लिए धर्म को बाजार में ला रहे हैं।

 

ममता बनर्जी का बयान दरअसल धार्मिक सहिष्णुता की मांग और समर्थन का एक संकेत है, जो राजनीतिक दलों को सोचने पर मजबूर करता है कि क्या धर्म को चुनावी मुद्दा बनाना सही है या नहीं।

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में इंडी गठबंधन को लेकर अपनी रणनीति को साफ किया, कहा कि वह बंगाल में अकेले लड़ाई लड़ेंगी https://chaupalkhabar.com/2023/12/30/chief-minister-mamata-banerjee-clarified-her-strategy-regarding-indi-alliance-in-bengal-said-that-she-will-fight-alone-in-bengal/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/30/chief-minister-mamata-banerjee-clarified-her-strategy-regarding-indi-alliance-in-bengal-said-that-she-will-fight-alone-in-bengal/#respond Sat, 30 Dec 2023 07:34:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2093 भारतीय राजनीति में विपक्षी दलों की ओर से उम्मीद जताने वाली इकाइयों में टकराव की लहर देखी जा रही है। जहां एक ओर कांग्रेस अपने साथी दलों पर हमला बोल रही है, वहीं दूसरी दलों ने कांग्रेस को अपना निशाना बनाया है।   मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में इंडी गठबंधन को लेकर अपनी रणनीति …

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भारतीय राजनीति में विपक्षी दलों की ओर से उम्मीद जताने वाली इकाइयों में टकराव की लहर देखी जा रही है। जहां एक ओर कांग्रेस अपने साथी दलों पर हमला बोल रही है, वहीं दूसरी दलों ने कांग्रेस को अपना निशाना बनाया है।

 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में इंडी गठबंधन को लेकर अपनी रणनीति को साफ किया है। उनका दावा है कि बंगाल में टीएमसी अकेले ही भाजपा को हराने के लिए चुनाव लड़ेगी। वह कहती है कि टीएमसी ही उस दल को सिखा सकती है जो अभी तक बंगाल में सरकार बनाने की कोशिश कर रहा है। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में सीधी  चुनौती  दी है, उनका मानना है कि टीएमसी ही उस दल को सिखा सकती है जो अभी तक बंगाल में सरकार बनाने की कोशिश कर रहा है।

 

उन्होंने कहा कि वह बंगाल में अकेले लड़ाई लड़ेंगी, इससे साफ है कि वह कांग्रेस और लेफ्ट को सीटों का बंटवारा करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसी तरह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी उत्तर प्रदेश में दबदबा बढ़ रहा है, उनकी तरफ से लगातार संकेत आ रहे हैं।

 

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गठबंधन के दलों के बीच यह तकराव और विवाद तो गलियारों में हैं ही, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर लोकतंत्र के महापर्व पर पड़ेगा। आखिरकार, इससे गठबंधन की मजबूती और चुनाव में होने वाले बदलाव पर भी असर पड़ सकता है।

इसी बीच, शिवसेना ने भी सीटों के मुद्दे पर अपने तेवर दिखाए हैं। महाराष्ट्र की सीटों में टकराव की बातें सामने आई हैं, जहां शिवसेना ने अपनी मांग रखी है और कांग्रेस ने इसे मना कर दिया। इस बात से शिवसेना का दावा है कि वह राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है और कांग्रेस को जीरो से शुरू करना होगा।

 

कांग्रेस के संजय निरुपम ने शिवसेना को टूटी हुई पार्टी बताया था, जिस पर शिवसेना ने जवाब दिया है। यह तकरारें सीटों के बटवारे पर बढ़ी हैं, जिससे एक अच्छी गठबंधन की समीक्षा पर सवाल उठते हैं। इसके साथ ही, सपा और बसपा भी अपने साथी दलों के साथ गठबंधन में सीटों के बटवारे में देरी को लेकर असंतुष्ट दिख रहे हैं। इससे साफ होता है कि विपक्षी दलों के बीच एकमत नहीं है और गठबंधन की ताकत और मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

 

राजनीतिक दलों के बीच सीटों के बटवारे पर उठी इस बहस ने विपक्षी गठबंधन की सामर्थ्य को लेकर सवाल उठाए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि विपक्षी दलों को साथ मिलकर एकमत्र होकर चुनावी लड़ाई में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

 

चुनावी तैयारियों की गहरी जंग में, विपक्षी दलों को अपनी रणनीति को मजबूत बनाने की जरूरत है। एकमत और सहयोग के साथ, वे सशक्त और सशक्तिशाली गठबंधन की नींव रख सकते हैं, जो कि उन्हें चुनावी मैदान में विजयी बनाने में मदद कर सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी की INDIA गठबंधन के बीच छिड़ी यह बहस क्या रूप लेती है और चुनावी राजनीति पर इसका क्या असर पड़ता है।

 

 

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सांसदों के निलंबन पर विपक्षी नेताओं का जन्तर मंतर पर प्रदर्शन आज https://chaupalkhabar.com/2023/12/22/opposition-leaders-protest-at-jantar-mantar-today-on-suspension-of-mps/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/22/opposition-leaders-protest-at-jantar-mantar-today-on-suspension-of-mps/#respond Fri, 22 Dec 2023 08:00:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2052 शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में हुई घटनाओं ने सामान्यता से बाहरी रूप से हो जाने वाले आम दिनचर्या को हिला दिया। 13 दिसंबर को, सदन में अनियंत्रित घुसे दो लोगों ने सांसदों को चौंका दिया, जिसके बाद न सिर्फ सदन स्थगित किया गया, बल्कि विपक्षी दलों ने बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया। इसके फलस्वरूप, …

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शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में हुई घटनाओं ने सामान्यता से बाहरी रूप से हो जाने वाले आम दिनचर्या को हिला दिया। 13 दिसंबर को, सदन में अनियंत्रित घुसे दो लोगों ने सांसदों को चौंका दिया, जिसके बाद न सिर्फ सदन स्थगित किया गया, बल्कि विपक्षी दलों ने बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया।

इसके फलस्वरूप, रिकॉर्ड संख्या में सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इस अनिश्चितकालीन परिस्थिति में, देश की राजनीति में शोरगुल की उच्चतम स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है। इसी के बीच, विपक्षी दलों की आवाज और सरकारी कदमों पर सवाल उठ रहे हैं। इस संदर्भ में, दिल्ली के जंतर मंतर पर भी बड़ा प्रदर्शन हो रहा है,जिसमें कई बड़े नेता भाग ले रहे हैं।यह सब घटनाएं न केवल संसद की महत्ता को उजागर करती हैं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मानसिकता में भी बदलाव दिखाती हैं।

क्या है संसद में हो रहा है? यह सवाल आजकल बहुत चर्चा में है। विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की तरफ से इस विवाद के बारे में अब तक की सबसे बड़ी घटना के बाद, यह तमाम बातों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस मामले में, संसद के 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। यह कार्रवाई क्यों हुई और इसके परिणाम क्या हो सकते हैं, इस पर विचार करना जरूरी है।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने संसद के मामले पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने साफ़ तौर पर बताया कि सरकार ने संसदीय लोकतंत्र को बर्बाद किया जा रहा है। उनका मानना है कि सरकार संसदीय प्रक्रियाओं को लेकर गंभीरता से नहीं ले रही है, जोकि लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस बयान के बाद, विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ ने प्रदर्शन का फैसला किया। उन्होंने जनता को दिखाने का ऐलान किया कि वे संसद में हो रहे हालात के खिलाफ हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी बात सुने और संसद को इस प्रकार चलाए जो लोकतंत्र को मजबूती दे।

 

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इस घटना का मुद्दा है संसद में हो रही हिंसा और अमर्यादित व्यवहार। संसद के दोनों सदनों में कुल 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। यह कदम क्या दिखाता है? क्या संसद में विवादों का हल नहीं हो सकता? इससे पहले भी, संसद में विवाद और हंगामे की घटनाएं हुई हैं। लेकिन इस बार का मामला कुछ अलग दिख रहा है। विपक्षी सांसदों का दावा है कि सरकार ने संसदीय प्रक्रियाओं का मजाक बना रखा है, जो बहुत चिंताजनक है।

विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के प्रदर्शन की सूचना दी गई है। वे अपने विरोध को उजागर करने के लिए जंतर मंतर पर आने की तैयारी कर रहे हैं। यह उनका संदेश है कि वो संसद में चल रही गतिविधियों के खिलाफ हैं और उन्हें सुना जाना चाहिए। इस घटना के परिणाम क्या हो सकते हैं? यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है। संसद में हो रही तकरारों और विवादों से लोकतंत्र को कितना नुकसान हो सकता है, यह बहुत सोचने वाला मुद्दा है।

संसद में हो रहे इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि संसदीय लोकतंत्र में कितनी दिक्कतें हैं। सरकार और विपक्ष दोनों को मिलकर संसद को सुधारना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की मज़बूती बनी रहे। आखिर में, संसद एक महत्त्वपूर्ण स्थान है जहाँ लोकतंत्र की प्रक्रियाएं संचालित होती हैं। इसे मजबूत बनाने का हर कदम महत्त्वपूर्ण है ताकि देश की जनता को विश्वास और न्याय का मिले।

 

 

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने वोले मामले में डिफेंस कॉलोनी थाने में शिकायत दर्ज, दिल्ली पुलिस द्वारा जांच शुरू https://chaupalkhabar.com/2023/12/20/complaint-filed-in-defense-colony-police-station-in-case-of-mimicry-of-vice-president-jagdeep-dhankhar-investigation-started-by-delhi-police/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/20/complaint-filed-in-defense-colony-police-station-in-case-of-mimicry-of-vice-president-jagdeep-dhankhar-investigation-started-by-delhi-police/#respond Wed, 20 Dec 2023 10:43:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2041 जहां एक तरफ़ देश में संसदीय घमासान मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ़ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने हेतु मामले पर डिफेंस कॉलोनी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच करनी शुरू कर दी है। थाने के प्रभारी शिकायत के बारे में सुचना प्रदान की। अभी पुलिस …

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जहां एक तरफ़ देश में संसदीय घमासान मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ़ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने हेतु मामले पर डिफेंस कॉलोनी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच करनी शुरू कर दी है।

थाने के प्रभारी शिकायत के बारे में सुचना प्रदान की। अभी पुलिस शिकायत के आधार पर अन्य तथ्यों पर जाँच पड़ताल कर रही है। दक्षिणी दिल्ली पुलिस उपायुक्त चंदन चौधरी का कहना है कि कुछ वकीलों के द्वारा यह शिकायत दर्ज कराई गई है।

भारतीय राजनीति में हाल के दिनों में हुए कुछ घटनाक्रमों ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। राजनीतिक वातावरण में हास्यास्पद घटनाएं सामाजिक मीडिया पर व्यापक वार्ता का विषय बन गई हैं। इन घटनाओं के परिणाम सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से देखने पर विचार करने लायक हैं।

 

यहां हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने वाले एक सांसद के कार्यवाही का ज़िक्र हुआ है। विपक्षी सदस्यों के इस आचरण ने राज्यसभा में हंगामे का सबब बना दिया। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या राजनीति में मजाक उदाहरण और उनका प्रभाव वास्तविक दृष्टिकोण से हमारे समाज और देश को किस तरह प्रभावित करते हैं।

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राजनीतिक संसदों में इस तरह के अनर्थकारी आचरण से हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है। राजनीतिक प्रतिद्वंदीता अपनी बहुमतीय या अलगाववादी दृष्टिकोण को साबित करने के लिए इस तरह के अव्यवस्थित कार्यवाही में रुचि लेती है। लेकिन यह भारतीय लोकतंत्र के धार्मिकता और गरिमा को उच्च रक्षा की आवश्यकता रखते हैं।

 

एक सांसद द्वारा उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करना न केवल अनुशासनहीनता का परिणाम है, बल्कि यह राजनीति की मान्यताओं को भी चुनौती देता है। ऐसे आचरण से जनता में निराशा और नाराजगी की भावना उत्पन्न होती है, जो देश के लोकतंत्रिक मूल्यों को हानि पहुंचाती है।

 

संसदीय संघर्षों और आम जनता में निराशा के बीच, जनता के आश्वासन को बढ़ावा देने और लोकतंत्र के महत्त्व को समझाने की आवश्यकता है। राजनीति के माध्यम से जनता को सशक्त और सक्रिय बनाने के लिए नेतृत्व की गुणवत्ता का अभिवादन किया जाना चाहिए। इस तरह के घटनाक्रमों से हमें समझना चाहिए कि राजनीति में मजाक का स्थान हो सकता है, लेकिन वहाँ यह कैसे किया जाता है, इसका महत्त्व है। समाज के उत्कृष्टता के लिए, राजनीति में मूर्खतापूर्ण और अशोभनीय आचरण को नकारना और उन्हें सुधारना हम सभी की जिम्मेदारी है।

 

 

राजनीति में मजाक उदाहरण या किसी भी तरह की हास्यास्पदता का प्रयोग सतर्कता और समझदारी से होना चाहिए। हम सभी को यहां तक की सभी नेताओं को भी विचारशीलता और जिम्मेदारी में अपना व्यवहार सुधारने की आवश्यकता है। इससे ही हम सब मिलकर एक मजबूत और समृद्ध लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे।

 

 

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Delhi : ‘I.N.D.I.A.’ गठबंधन की बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति और चेहरों के मुद्दे पर चर्चा की। 28 दलों की इस महत्त्वपूर्ण बैठक में भारतीय राजनीति को बदलने की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक से पहले सियासी माहौल में बवाल उठ खड़ा हुआ है कि राजनीति का सफर चुनौतियों से भरा है। दिल्ली से लेकर पटना तक बढ़ी चर्चा और मांगें स्पष्ट कर रही हैं कि गठबंधन की रणनीति और नेतृत्व को लेकर उम्मीद है। इस संदर्भ में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताने की मांग और गठबंधन का चेहरा घोषित करने की मांग ने राजनीतिक दायरे में तेजी भर दी है। इस चर्चा से पहले और नई रणनीतियों के साथ, गठबंधन की बैठक का महत्त्व बढ़ गया है।

 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की नेतृत्व में 28 विपक्षी दलों की अद्भुत बैठक में भारतीय राजनीति में नया मोड़ देखने को मिला। इस बैठक में चुनावी रणनीति और चेहरे को लेकर चर्चा हुई और इंडिया गठबंधन को आगे बढ़ाने के तरीकों पर बातचीत हुई। खरगे ने स्पष्ट किया कि इस समय जीत महत्त्वपूर्ण है, और बाद में उम्मीदवार का चयन हो सकता है। इससे पहले सीटों के बंटवारे को लेकर बहस का खुलासा होगा, जो अलग-अलग राज्यों में समझौते के माध्यम से हल होगा।

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ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने खरगे के नाम का समर्थन किया है प्रधानमंत्री पद के लिए। खरगे ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है, लेकिन उन्होंने जीत को प्राथमिकता दी और बाकी निर्णय को बाद में छोड़ा। साथ ही, बैठक में सांसदों के निलंबन पर भी चर्चा हुई। खरगे ने इसे अलोकतांत्रिक माना और सांसदों के निलंबन के खिलाफ 22 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन करने की घोषणा की।

 

इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी नेताओं ने शामिल होकर विशेष रूप से सीटों के बंटवारे पर चर्चा की। बैठक में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, लालू प्रसाद, शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे महत्त्वपूर्ण नेताओं ने भाग लिया।

खरगे ने स्पष्ट किया कि इस बैठक के बाद सीटों के बंटवारे पर प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे गठबंधन की ताकत मजबूत होगी। उन्होंने इस बैठक को बहुत महत्त्वपूर्ण बताया और सांसदों के निलंबन के खिलाफ भी अब राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने की बात कही। अखिल भारतीय प्रदर्शन का दिन निर्धारित है, जिसमें सांसदों के निलंबन के खिलाफ विरोध होगा।

 

इस बैठक ने भारतीय राजनीति को नई दिशा देने की संकल्पना को मजबूत किया है। इसने सीटों के बंटवारे को लेकर राजनीतिक संवाद को बढ़ावा दिया है और आने वाले चुनावों में गठबंधन की शक्ति को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है।

 

यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय राजनीति को एक मजबूत और संघर्षमयी गठबंधन की दिशा में बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक पहलू है। इससे देश की राजनीतिक व्यवस्था में नयी ऊर्जा आएगी और जनता के मुद्दों को उठाने के लिए एक मजबूत राजनीतिक गठबंधन का निर्माण हो सकता है।

 

 

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