Indian contitution - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 24 Sep 2024 06:37:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Indian contitution - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 कुर्सी विवाद: आतिशी के फैसले पर बसपा नेता भड़के, बोले – खड़ाऊ से शासन करना संविधान का अपमान. https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/chair-dispute-atishi-ke-fais/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/chair-dispute-atishi-ke-fais/#respond Tue, 24 Sep 2024 06:37:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5089 दिल्ली की राजनीति में सोमवार, 23 सितंबर का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अरविंद केजरीवाल के पद छोड़ने के बाद, आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। परंतु, उनके शपथ ग्रहण समारोह में एक अनोखी घटना ने …

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दिल्ली की राजनीति में सोमवार, 23 सितंबर का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अरविंद केजरीवाल के पद छोड़ने के बाद, आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। परंतु, उनके शपथ ग्रहण समारोह में एक अनोखी घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। इस घटना का संबंध उस खाली कुर्सी से था जिसे आतिशी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के बगल में रखा और सार्वजनिक रूप से कहा कि यह अरविंद केजरीवाल की प्रतीकात्मक कुर्सी है, जो उनके वापस आने का प्रतीक है। शपथ ग्रहण के दौरान, आतिशी ने अपनी इस अनोखी पहल को पौराणिक संदर्भ से जोड़ते हुए कहा कि उनके दिल में वही भावना है जो भरत के मन में थी जब भगवान राम वनवास पर गए थे। आतिशी ने कहा, “जैसे भरत ने भगवान राम की खड़ाऊँ रखकर अयोध्या का शासन संभाला था, वैसे ही मैं 4 महीने दिल्ली की सरकार चलाऊँगी। इस कुर्सी को अरविंद केजरीवाल का इंतजार रहेगा।” आतिशी के इस बयान के बाद राजनीति में हड़कंप मच गया। जहाँ उनके समर्थक इस प्रतीकात्मक कदम की तारीफ कर रहे थे, वहीं विपक्षी दलों ने इसे सियासी प्रपंच करार दिया।

बसपा (बहुजन समाज पार्टी) के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने इस कदम की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि आतिशी का यह कृत्य न केवल संविधान का उल्लंघन है, बल्कि दिल्ली की जनता का भी अपमान है। आकाश आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अरविंद केजरीवाल की प्रतीकात्मक उपस्थिति दिखाना इस बात को साबित करता है कि आतिशी का विश्वास संविधान से अधिक केजरीवाल में है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संविधान का अपमान बताया। आकाश आनंद ने इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की तस्वीर लगाकर अरविंद केजरीवाल की खड़ाऊ रखकर अयोध्या के शासन का सपना देख रही आतिशी सिंह की यह तस्वीर गुमराह करने वाली है। यह संविधान की शपथ का उल्लंघन है, क्योंकि उनकी आस्था केजरीवाल जी के प्रति ज़्यादा दिख रही है न कि भारत के संविधान के प्रति।”

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आतिशी के इस प्रतीकात्मक कदम ने आम आदमी पार्टी की रणनीति को भी स्पष्ट किया है। आतिशी ने साफ किया कि वह केवल अगले विधानसभा चुनाव तक ही मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करेंगी। उनका यह बयान दर्शाता है कि अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक विरासत को बनाए रखने और उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी की साख को मजबूत रखने का प्रयास किया जा रहा है। यह विवाद उस समय सामने आया जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले में जेल भेजा गया था, ने 17 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। आतिशी को पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से नया मुख्यमंत्री चुना।

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आतिशी की मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति के साथ ही यह बहस भी उठी कि लोकतांत्रिक प्रणाली में इस तरह की प्रतीकात्मकता का क्या स्थान है। भारतीय संविधान के तहत, एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, न कि किसी नेता या पार्टी प्रमुख के प्रति। बसपा जैसे विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया। हालांकि, आतिशी के समर्थकों का मानना है कि उनका यह कदम अरविंद केजरीवाल के प्रति उनके समर्पण और पार्टी की एकता का प्रतीक है। इस तरह की प्रतीकात्मकता, भले ही विवादास्पद हो, पर यह दिखाती है कि आतिशी अपने नेता के प्रति निष्ठावान हैं और उनकी गैरमौजूदगी में भी पार्टी की विचारधारा को जीवित रखना चाहती हैं।

आतिशी की चुनौती अब यह है कि वे आने वाले चार महीनों में दिल्ली की जनता का विश्वास कैसे जीतेंगी। उनकी राजनीतिक काबिलियत और नेतृत्व क्षमता का इम्तिहान अब विधानसभा चुनावों में होगा। अरविंद केजरीवाल की गैरमौजूदगी में पार्टी की नीतियों और उनकी कार्यशैली पर लोगों की नजरें होंगी।

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संविधान की मूल भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जोर. https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/basic-spirit-of-the-constitution-and-lo/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/basic-spirit-of-the-constitution-and-lo/#respond Mon, 16 Sep 2024 11:45:13 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4915 नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान की मूल भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्थाएं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती हैं, लेकिन उनके खिलाफ हानिकारक और भड़काऊ बयान उन्हें निराश कर सकते हैं। धनखड़ …

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नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान की मूल भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्थाएं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती हैं, लेकिन उनके खिलाफ हानिकारक और भड़काऊ बयान उन्हें निराश कर सकते हैं। धनखड़ ने यह भी कहा कि राजनीतिक भड़काऊ बहसें हमारे संस्थानों के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं और ऐसी चर्चाओं से बचा जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि राज्य के सभी अंगों का उद्देश्य एक है – संविधान की मूल भावना को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना कि आम आदमी को उसके सभी अधिकार प्राप्त हों। उन्होंने कहा, “भारत को प्रगति और विकास की ओर ले जाने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक आदर्शों का पालन करना बेहद जरूरी है। हमें मिलकर एकजुट होकर काम करना होगा ताकि हमारा लोकतंत्र सुदृढ़ बना रहे और देश में हर व्यक्ति को उसके अधिकार मिल सकें।”

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धनखड़ ने कहा कि जो संस्थान कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य पूरी निष्ठा से करते हैं, उनके खिलाफ हानिकारक बयानबाज़ी न केवल उन्हें कमजोर करती है बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी विपरीत असर डालती है। उन्होंने कहा, “संस्थाएं स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और हमें उनका समर्थन करना चाहिए। हमें उनके खिलाफ कोई ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो उन्हें कमजोर करे या राजनीतिक बहस को बढ़ावा दे।” उपराष्ट्रपति ने भारत की आर्थिक प्रगति का भी उल्लेख किया और कहा कि देश अब प्रगति की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत की तरक्की को अब कोई नहीं रोक सकता। देश आर्थिक रूप से उभर रहा है और वैश्विक स्तर पर एक पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है।” अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अनुसार, भारत निवेश और अवसरों के मामले में सबसे आगे है और यह भविष्य में और अधिक अवसरों की ओर अग्रसर है।

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धनखड़ ने भ्रष्टाचार की समस्या पर भी चर्चा की और कहा कि पहले के समय में भ्रष्टाचार हर स्तर पर फैला हुआ था, लेकिन अब स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार ने हमारे समाज को अंदर से खोखला कर दिया था। नौकरियों से लेकर ठेकों तक, हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त था। अब, देश में युवाओं के लिए अवसर खुल गए हैं और उन्हें अपनी क्षमता का उपयोग करने के बेहतर मौके मिल रहे हैं।”

उपराष्ट्रपति ने शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि शिक्षा एक सेवा है, व्यापार नहीं। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य समाज की सेवा करना होना चाहिए, न कि उसे एक व्यावसायिक गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और छात्रों को समुद्र विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अवसरों को तलाशना चाहिए। अपने भाषण के अंत में, धनखड़ ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि AI सुशासन के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रौद्योगिकी प्रशासन में सुधार करने और जनसेवा में गुणवत्ता लाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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