Indian Medical Association - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 31 Aug 2024 10:48:53 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Indian Medical Association - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 कोलकाता घटना के बाद आईएमए सर्वे में डॉक्टरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल: 35.5% नाइट शिफ्ट में असुरक्षित. https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/kolkata-incident-after-ima/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/kolkata-incident-after-ima/#respond Sat, 31 Aug 2024 10:48:53 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4568 कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले ने पूरे देश में चिकित्सा समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में एक सर्वे किया, जिसके परिणामों ने स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत कर्मियों की सुरक्षा को लेकर …

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कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले ने पूरे देश में चिकित्सा समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में एक सर्वे किया, जिसके परिणामों ने स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत कर्मियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ उजागर की हैं। इस सर्वे के अनुसार, देशभर के 22 राज्यों से 3,885 डॉक्टरों ने इसमें भाग लिया, जिनमें से 63% महिला डॉक्टर थीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन डॉक्टरों में से 35.5% ने कहा कि वे नाइट शिफ्ट के दौरान ‘असुरक्षित या बहुत असुरक्षित’ महसूस करते हैं। इसमें विशेष रूप से महिला डॉक्टरों की संख्या अधिक है।

नाइट शिफ्ट में काम करने वाले डॉक्टरों में से 45% ने बताया कि उनके कार्यस्थल पर नाइट ड्यूटी के लिए अलग से कोई ड्यूटी रूम नहीं है। यह कमी खासतौर पर उन युवा डॉक्टरों के लिए चिंता का विषय है जो अभी प्रशिक्षण या पीजी ट्रेनिंग के दौर से गुजर रहे हैं। सर्वे के परिणामों से यह भी पता चलता है कि 20-30 वर्ष के डॉक्टरों में असुरक्षा की भावना सबसे ज्यादा है। यह भयावह स्थिति उन महिलाओं में भी देखी गई जो अपनी सुरक्षा के लिए चाकू या पेपर स्प्रे जैसे उपकरणों का सहारा ले रही हैं। महिला डॉक्टरों की बड़ी संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की कमी है। डॉक्टर जो जीवन रक्षा के कार्य में जुटे होते हैं, उनके लिए नाइट शिफ्ट के दौरान कार्यस्थल पर असुरक्षा का अनुभव करना उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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आईएमए के इस सर्वे में शामिल 85% युवा डॉक्टरों ने अपने असुरक्षा के अनुभवों को साझा किया, जिनमें से अधिकांश डॉक्टर ट्रेनी या पीजी ट्रेनी थे। यह तथ्य चिकित्सा समुदाय के लिए एक चेतावनी की तरह है कि जब युवा डॉक्टर, जो भविष्य की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बनने वाले हैं, खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते, तो यह चिकित्सा प्रणाली के लिए एक गंभीर चुनौती है।

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सर्वे में भाग लेने वाले डॉक्टरों का कहना है कि नाइट शिफ्ट के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना बेहद जरूरी है। नाइट ड्यूटी के लिए अलग ड्यूटी रूम न होना न केवल असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है, बल्कि यह चिकित्सा संस्थानों की ढांचागत कमियों को भी उजागर करता है। इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल का अभाव उन्हें अपने कार्यस्थल पर डर और असुरक्षा के माहौल में काम करने के लिए मजबूर करता है। चूंकि महिलाएं चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखती हैं, उनके लिए सुरक्षित कार्यस्थल का निर्माण आवश्यक है।

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