Iran - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 20 May 2024 07:31:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Iran - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 हेलीकॉप्टर क्रैश में रईसी और ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुलहियान की दुर्घटानग्रस्त मौत https://chaupalkhabar.com/2024/05/20/helicopter-crash-in-raees/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/20/helicopter-crash-in-raees/#respond Mon, 20 May 2024 06:38:23 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3312 ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु होने की खबर सामने आई है। यह हादसा रविवार को तब हुआ जब इब्राहिम रईसी और कई अन्य ईरानी अधिकारी एक ग्रामीण इलाके में जा रहे थे। दुर्घटना के कारणों में कोहरा और खराब मौसम का उल्लेख किया जा रहा है, जिसने खोज अभियान को …

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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु होने की खबर सामने आई है। यह हादसा रविवार को तब हुआ जब इब्राहिम रईसी और कई अन्य ईरानी अधिकारी एक ग्रामीण इलाके में जा रहे थे। दुर्घटना के कारणों में कोहरा और खराब मौसम का उल्लेख किया जा रहा है, जिसने खोज अभियान को भी मुश्किल बना दिया था। हादसे के बाद हेलीकॉप्टर का मलबा 17 घंटे की खोजबीन के बाद जला हुआ पाया गया, जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि उसमें सवार किसी भी व्यक्ति के जीवित होने की उम्मीद नहीं है। यह हादसा तब हुआ जब राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उनके साथ यात्रा कर रहे कई अन्य अधिकारी एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए जा रहे थे। हेलीकॉप्टर ग्रामीण इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ और तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। ईरानी अधिकारियों ने बताया कि हेलीकॉप्टर पूरी तरह से जल चुका है और किसी भी जीवित व्यक्ति के मिलने की संभावना नहीं है।

प्रारंभिक जांच के अनुसार, दुर्घटना का मुख्य कारण खराब मौसम और घना कोहरा बताया जा रहा है। हेलीकॉप्टर के पायलट ने आखिरी समय में नियंत्रण खो दिया, जिससे यह हादसा हुआ। खोज अभियान के दौरान मौसम की खराब स्थिति ने रेस्क्यू ऑपरेशन को काफी कठिन बना दिया। इब्राहिम रईसी का राजनीतिक करियर काफी विवादित और अति-रूढ़िवादी रहा है। उन्हें तेहरान का कसाई कहा जाता था और उन पर अत्याचार के कई आरोप लगे हैं। रईसी ने न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई कठोर फैसले लिए। उनका नाम विशेष रूप से 1988 में हुए बड़े पैमाने पर राजनीतिक बंदियों की हत्या से जुड़ा है, जिसमें हजारों लोगों को मारा गया था।

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हादसे के बाद हेलीकॉप्टर का मलबा 17 घंटे की खोजबीन के बाद जला हुआ पाया गया, जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि उसमें सवार किसी भी व्यक्ति के जीवित होने की उम्मीद नहीं है।

रईसी ने अपनी कठोर नीतियों के माध्यम से एक अति-रूढ़िवादी छवि बनाई और 2021 में राष्ट्रपति बने। उनकी नीतियों को लेकर देश और विदेश में कई आलोचनाएं भी हुईं। लेकिन अपने समर्थकों के बीच वह एक मजबूत नेता के रूप में जाने जाते थे, जिन्होंने ईरान की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए काम किया। दुर्घटना के बाद ईरान में शोक का  माहौल है। राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के समर्थकों और उनके परिवार के सदस्यों ने इस हादसे पर गहरा दुःख जताया है। ईरानी मीडिया और सरकारी अधिकारियों ने इस हादसे की पुष्टि की है और राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। ईरानी सरकार ने इस हादसे की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके। ईरानी जनता ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त किया है और कई स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की गई हैं।

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रईसी की मौत की खबर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी मिली है। कई देशों के नेताओं ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं और ईरान के साथ अपनी सहानुभूति प्रकट की है। हालांकि, कुछ देशों ने रईसी के विवादास्पद अतीत को ध्यान में रखते हुए संयमित प्रतिक्रियाएं दी हैं रईसी की मृत्यु का ईरानी राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। उनके नेतृत्व में ईरान की नीति में जो सख्ती और रूढ़िवादिता थी, उसमें बदलाव की संभावना बढ़ गई है। नई सरकार के गठन और नए नेतृत्व के चयन के लिए जल्द ही चुनाव कराए जा सकते हैं।

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ईरान से डील पर अमेरिका की प्रतिबंधों की धमकी पर जयशंकर ने दिया जवाब, चुनाव को लेकर भी दी प्रतिक्रिया https://chaupalkhabar.com/2024/05/15/americas-deal-with-iran/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/15/americas-deal-with-iran/#respond Wed, 15 May 2024 10:34:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3247 “भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विदेशी मीडिया को निशाना साधते हुए कहा कि यह भारत की लोकतंत्रिक प्रक्रिया को ‘नकारात्मक ढंग’ से दिखा रहा है। उन्होंने पश्चिमी देशों के मीडिया को भारतीय लोकसभा चुनाव के विषय में अधिक नकारात्मकता दिखाने पर आलोचना की। उन्होंने अमेरिका के साथ होने वाले बिजनेस समझौते को लेकर अमेरिकी …

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“भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विदेशी मीडिया को निशाना साधते हुए कहा कि यह भारत की लोकतंत्रिक प्रक्रिया को ‘नकारात्मक ढंग’ से दिखा रहा है। उन्होंने पश्चिमी देशों के मीडिया को भारतीय लोकसभा चुनाव के विषय में अधिक नकारात्मकता दिखाने पर आलोचना की। उन्होंने अमेरिका के साथ होने वाले बिजनेस समझौते को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ भी अपने विचार व्यक्त किये । जयशंकर ने कोलकाता में अपनी पुस्तक ‘Why Bharat Matters’ के बांग्ला संस्करण के लॉन्च के दौरान विदेशी मीडिया की भारतीय चुनाव प्रक्रिया पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि विदेशी मीडिया को भारतीय चुनाव को लेकर अपनी ‘ज्ञान’ देने के बजाय नकारात्मक ढंग से दिखा रहा है।

उन्होंने चाबहार बंदरगाह के समझौते को लेकर अमेरिका की चेतावनी पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि लोगों को अपना संकीर्ण नजरिया छोड़ना चाहिए। इससे पूरे क्षेत्र को फायदा होगा। भारत ने हाल ही में ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के विकास को लेकर 10 साल का समझौता किया है। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी दी है। जयशंकर ने कहा, ‘चाबहार बंदरगाह के विकास और उसके ऑपरेशनल होने से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा।’ उन्होंने पूर्व में अमेरिका के द्वारा चाबहार बंदरगाह के फायदों की सराहना भी की है।

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जयशंकर ने पश्चिमी मीडिया की कवरेज पर भी सवाल उठाए और कहा, ‘उनके अखबार भारत को लेकर इतने नकारात्मक क्यों हैं? क्या इसलिए कि वो एक ऐसा भारत देख रहे हैं जो भारत के लिए उनकी बनाई छवि के जैसा नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘वे लोग, विचारधारा या जीवन जीने का एक तरीका चाहते हैं… वे चाहते हैं कि उसी वर्ग के लोग इस देश पर शासन करें, और जब भारतीय आबादी इससे अलग महसूस करती है तो वो परेशान हो जाते हैं।’ जयशंकर ने विदेशी मीडिया पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा, ‘कुछ मामलों में पश्चिमी मीडिया ने खुलकर कुछ उम्मीदवारों और पार्टियों का समर्थन किया है… वो अपनी पसंद- नापसंद छिपाते नहीं है। वो बहुत स्मार्ट हैं… आखिर 300 सालों से वो दबदबा बनाए हुए हैं… उन्होंने बहुत कुछ सीखा है… अनुभवी लोग हैं, चतुर लोग हैं।’

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जयशंकर ने पश्चिमी देशों पर दोहरा रवैया रखने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘जिन देशों को अपने चुनाव के नतीजे तय करने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है वो हमें ज्ञान दे रहे हैं कि चुनाव कैसे कराए जाएं। यह दिमाग का खेल दुनिया में चल रहा है।

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India-Iran News: ‘भारत और ईरान के बीच चाबहार समझौते पर तिलमिलाया अमेरिका, कहा जो देश ईरान के साथ व्यापार करेगा प्रतिबंध के लिए तैयार रहे। https://chaupalkhabar.com/2024/05/14/india-iran-news-between-india-iran-chabah/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/14/india-iran-news-between-india-iran-chabah/#respond Tue, 14 May 2024 06:11:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3205 भारत ने हाल ही में चाबहार पोर्ट के प्रबंधन के लिए दस वर्षों का ठेका हासिल किया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत के और ईरान के बीच सशक्त और गहरे व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत करेगा। चाबहार पोर्ट एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है जो भारत के लिए गुजरात के मुंबई और …

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भारत ने हाल ही में चाबहार पोर्ट के प्रबंधन के लिए दस वर्षों का ठेका हासिल किया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत के और ईरान के बीच सशक्त और गहरे व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत करेगा। चाबहार पोर्ट एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है जो भारत के लिए गुजरात के मुंबई और दक्षिण भारत के चेन्नई जैसे मुख्य बंदरगाहों के साथ संचार को और भी मजबूत बनाएगा। इस ठेके को हासिल करने के पीछे अमेरिका की चिंता का सबसे बड़ा कारण है ईरान के साथ व्यापार करने वाले देशों को संभावित सैंक्शन का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका के तर्क के मुताबिक, ईरान के साथ किये जाने वाले व्यापारिक समझौते से अमेरिकी प्रतिबंध के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन भारत की बारीक विदेश नीति और उसके स्वाधीनता के प्रति इसमें कोई संकोच नहीं है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने इस समय पर भारत-ईरान समझौते के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ईरान के साथ व्यापार करने वाले देशों को संभावित सैंक्शन के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि, उन्होंने भी यह स्पष्ट किया कि भारत को अपनी विदेश नीति के मामले में अपनी बात रखने का पूरा हक है। चाबहार पोर्ट का अमेरिकी संदेश भारत की ओर से स्वागत किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण स्थान है  विशेष रूप से चीन के बढ़ते प्रभुत्व  को देखते हुए । इससे पहले किसी भारतीय कंपनी को एक विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन करने का मौका नहीं मिला था, जो इसे भारतीय व्यापारिक समुदाय के लिए एक विशेष अवसर बना सकता है।

चाबहार पोर्ट का अधिग्रहण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर भारतीय व्यापारिक समुदाय के लिए। यह पोर्ट भारत के और दक्षिणी एशिया के बीच व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण ब्रिज का काम करेगा, जिससे भारतीय व्यवसायिकों को नए विपणन और निर्यात के अवसर प्राप्त होंगे। इस ठेके के माध्यम से, भारत और ईरान के बीच सशक्त संबंधों को मजबूत किया जा सकता है, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा। यह स्थायी और स्थिर व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देगा और दोनों देशों के लिए साझा सौर्य सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, और अन्य क्षेत्रों में भी साझा समर्थन प्रदान कर सकता है।

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भारतीय शिपिंग और पोर्ट मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के ईरान यात्रा का संदेश भारत के लिए एक और उदाहरण है कि देश किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। इस यात्रा के माध्यम से, भारत ने अपने समर्थन और साझा इरादे को पुष्टि की है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया जा सकता है। चाबहार पोर्ट के अधिग्रहण से भारत को अपनी गुर्ति बनाने का एक अवसर मिला है। यह न केवल भारत के लिए एक व्यापारिक और रणनीतिक जीत है, बल्कि दक्षिणी एशिया के विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत की गणराज्यता और उसकी आर्थिक शक्ति में वृद्धि होगी, जो देश को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।

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अमेरिका की धमकियों को अनसुना करना पड़ेगा पाकिस्तान को भारी ईरान को लेकर भारत के नक़्शेक़दम पर पाक https://chaupalkhabar.com/2024/04/29/americas-threats/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/29/americas-threats/#respond Mon, 29 Apr 2024 08:04:03 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3032 ईरान और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की चुनौतियों और संबंधों के नए मोड़ के साथ, अमेरिका की चिंताओं का सामना करने वाले पाकिस्तान के व्यापारिक संबंधों की खोज और विस्तार के प्रयास जारी हैं। यह उस प्रयास का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति अपनी कटिबध्दता को प्रदर्शित कर रहा है। …

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ईरान और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की चुनौतियों और संबंधों के नए मोड़ के साथ, अमेरिका की चिंताओं का सामना करने वाले पाकिस्तान के व्यापारिक संबंधों की खोज और विस्तार के प्रयास जारी हैं। यह उस प्रयास का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति अपनी कटिबध्दता को प्रदर्शित कर रहा है। अमेरिका के धमकाने के बावजूद, पाकिस्तान ईरान के साथ समझौते कर रहा है, जिसमें उसका व्यापार और गैर-राजनीतिक संबंधों का विस्तार शामिल है। पाकिस्तान का उद्देश्य है भारत की तरह विदेश नीति में स्वतंत्रता बनाए रखना, जो कि अमेरिका के खिलाफ है।

भारत के उत्कृष्ट रूसी संबंधों के बावजूद, पाकिस्तान भी ईरान के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहा है। यही वजह है कि अब अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हाल ही में पाकिस्तान दौरे ने अमेरिका को परेशान किया है। इसे अमेरिका की प्रयासों को कमजोर करना माना जा रहा है। इसके बावजूद, पाकिस्तान और ईरान के बीच व्यापार बढ़ाने का संवाद जारी है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधों को चुनौती देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रयास के परिणामस्वरूप अमेरिका पाकिस्तान को प्रतिबंधों के साथ डराने के लिए तैयार हो सकता है।

ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट एक और मुख्य मुद्दा है, जिसमें दोनों देशों ने सहमति जताई है कि इसे आगे बढ़ाया जाए। लेकिन अमेरिका इसे भी चुनौती देता है, देखते हुए कि यह उसके हित में नहीं है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए, यह अमेरिका के धारावाहिक प्रतिबंधों के खिलाफ भारत की तरह अपनी विदेश नीति को स्थायी रखने का प्रयास है। लेकिन यह कठिन हो सकता है क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है।

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भारत की विदेश नीति के साथ काम करते हुए, पाकिस्तान को ध्यान में रखना होगा कि वह ईरान और अमेरिका के बीच एक संतुलन बनाए रखे। यही उसके लिए सबसे उत्तम राह हो सकती है, जिससे वह अपने अर्थव्यवस्था को सुधार सके और विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सके।

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बाइडन के एक फोन पर क्यों बदल गया इजरायली PM का मिजाज,ठंडे पड़े नेतन्याहू के तेवर. https://chaupalkhabar.com/2024/04/15/biden-on-a-phone-why-bad/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/15/biden-on-a-phone-why-bad/#respond Mon, 15 Apr 2024 07:56:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2934 इजरायल और ईरान के बीच तनाव तेज हो रहा है और इसे बढ़ता हुआ देखकर राजनीतिक दुनिया में उत्सुकता बढ़ गई है। इजरायल ने बताया था कि वह ईरान से जल्द ही बदला लेगा, लेकिन इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बातचीत के बाद उनके तेवर में बदलाव आया है। सीरिया में …

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इजरायल और ईरान के बीच तनाव तेज हो रहा है और इसे बढ़ता हुआ देखकर राजनीतिक दुनिया में उत्सुकता बढ़ गई है। इजरायल ने बताया था कि वह ईरान से जल्द ही बदला लेगा, लेकिन इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बातचीत के बाद उनके तेवर में बदलाव आया है। सीरिया में ईरानी दूतावास पर हाल ही में हुए हमले के बाद इजरायल को ईरानी मिसाइलों और ड्रोन्स से अटैक का सामना करना पड़ा। इस घटना के पहले नेतन्याहू ने अपनी ‘वार कैबिनेट’ की एक आपात बैठक बुलाई जिसमें कई नेता जवाबी कार्रवाई की मांग करते हुए आए थे, लेकिन किसी तरह की निर्णय लेने में सक्षम नहीं थे।

इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायली पीएम से बातचीत की और उन्हें स्पष्ट रूप से सूचित किया कि अगर युद्ध होता है तो अमेरिका इसमें सक्रिय तौर पर भाग नहीं लेगा। जो बाइडन ने इस अवस्था में अमेरिका की भूमिका साफ करते हुए कहा कि अमेरिका इजरायल की सुरक्षा के लिए समर्थ है, लेकिन वह खुद युद्ध में शामिल नहीं होगा। अमेरिका ने इस मामले में जिम्मेदारी और दूसरे पश्चिमी देशों के साथ भी युद्ध नहीं चाहता है।

इस बीच, इजरायल की डिफेंस सिस्टम ने कुछ मिसाइलों को नष्ट कर दिया। यह घटना इस तथ्य को और जटिल बनाता है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष की गहरी जंग जारी है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति की बात सुनकर अपने तेवर में बदलाव लाया है और इससे अमेरिकी राष्ट्रपति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की बातचीत के बाद इजरायल के प्रति अपनी पूरी समर्था जताई गई है और वह इजरायल को हथियार और दूसरी मदद प्रदान करेगा, लेकिन युद्ध में उतरने का फैसला नहीं होगा।

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इस पूरे मामले में अमेरिका की भूमिका स्पष्ट है कि वह इजरायल की सुरक्षा के लिए तैयार है, लेकिन वह युद्ध नहीं चाहता है। अमेरिका के इस तरीके से दर्शाए गए स्टैंड का दूसरे देशों ने भी समर्थन दिया है। अमेरिका ने कहा है कि यदि अमेरिका युद्ध में शामिल होता है तो पश्चिमी एशिया के हालात और भी बिगड़ सकते हैं।  इस प्रकार, इजरायल और ईरान के बीच के तनाव ने राजनीतिक विश्व में खिंचाव बढ़ा दिया है और इसके समाधान के लिए अमेरिका समर्थन प्रदान कर रहा है। इस मामले में अमेरिका की सहयोगिता से दोनों देशों के बीच संघर्ष को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

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