Israel - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 23 Sep 2024 12:56:27 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Israel - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 लेबनान में हिज़बुल्लाह के खिलाफ इजरायल की बड़ी कार्रवाई, 100 से ज्यादा मरे, 400 से अधिक घायल https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/hezbollah-in-lebanon/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/hezbollah-in-lebanon/#respond Mon, 23 Sep 2024 12:56:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5082 इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। सोमवार को इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर भारी बमबारी की, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक लोग घायल हो गए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस आंकड़े की पुष्टि की है। इजरायल द्वारा …

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इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। सोमवार को इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर भारी बमबारी की, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक लोग घायल हो गए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस आंकड़े की पुष्टि की है। इजरायल द्वारा किए गए ये हमले बीते एक साल में हिज़बुल्लाह के खिलाफ सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है। इजरायली सेना ने हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर हमला करते हुए कहा कि यह आतंकवादी संगठन देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। इजरायल ने दावा किया कि उसकी सेना ने लेबनान में हिज़बुल्लाह के 300 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया है। इजरायल की सेना ने अपनी कार्रवाई को “बड़े पैमाने की जवाबी कार्रवाई” बताया, जो हिज़बुल्लाह के लगातार हमलों का प्रतिशोध है।

इजरायली सेना ने अपने हमले की पहले ही घोषणा कर दी थी। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पहले ट्विटर) पर इजरायली सेना ने अपने प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी का बयान साझा किया, जिसमें कहा गया कि इजरायल अब लेबनान में और भी बड़े हमलों के लिए तैयार है। बयान में यह भी कहा गया कि हिज़बुल्लाह आतंकवादी समूह को समाप्त करने के लिए इजरायल अपनी सैन्य कार्रवाई को और तेज करेगा। इजरायल ने दक्षिणी लेबनान के निवासियों से आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द अपने घरों को खाली कर दें। इजरायली सेना का आरोप है कि हिज़बुल्लाह ने इसी क्षेत्र में भारी मात्रा में हथियार जमा कर रखे हैं और यहां से ही इजरायल पर हमले करने की योजना बना रहा है।

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इजरायल द्वारा किए गए इस हमले को हिज़बुल्लाह के खिलाफ एक व्यापक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इजरायल के अधिकारियों ने कहा है कि आने वाले दिनों में हिज़बुल्लाह के खिलाफ और भी कठोर कदम उठाए जाएंगे। लेफ्टिनेंट जनरल हलेवी ने यह भी संकेत दिया कि इजरायल इस लड़ाई को लंबे समय तक जारी रखेगा, जब तक हिज़बुल्लाह की ताकत को पूरी तरह खत्म नहीं कर दिया जाता। विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच यह टकराव और भी गंभीर हो सकता है। हालांकि दोनों पक्षों के बीच सीधा युद्ध छिड़ने की संभावना फिलहाल कम नजर आ रही है, लेकिन इजरायल के हालिया हमलों ने क्षेत्रीय स्थिति को बेहद तनावपूर्ण बना दिया है। लेबनान में पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता है, ऐसे में इन हमलों से देश की स्थिति और भी खराब हो सकती है।

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इस हमले के बाद लेबनान और इजरायल के बीच शांति की उम्मीदें कम हो गई हैं। लेबनान में हिज़बुल्लाह की पकड़ मजबूत है और यह संगठन अपने राजनीतिक और सैन्य नेटवर्क के जरिए लेबनान के कई हिस्सों में शासन करता है। इजरायल द्वारा किए गए हमलों से हिज़बुल्लाह की प्रतिक्रिया और भी आक्रामक हो सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ सकता है। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस स्थिति पर चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और शांति के लिए बातचीत की अपील की है।

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सुप्रीम कोर्ट ने इज़राइल को हथियार निर्यात पर रोक लगाने की याचिका खारिज की, विदेश नीति में हस्तक्षेप से किया इनकार. https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/supreme-court-in-israel/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/supreme-court-in-israel/#respond Mon, 09 Sep 2024 11:52:50 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4767 हाल के दिनों में भारत से इज़राइल को हथियार और सैन्य उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाने की मांग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी। याचिका में अदालत से केंद्र सरकार को इन निर्यातों को रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, विशेष रूप …

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हाल के दिनों में भारत से इज़राइल को हथियार और सैन्य उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाने की मांग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी। याचिका में अदालत से केंद्र सरकार को इन निर्यातों को रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, विशेष रूप से गाजा में इज़राइल और फिलिस्तीनी लड़ाकों के बीच चल रहे संघर्ष के मद्देनज़र। हालाँकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुना दिया है। इज़राइल गाजा में फिलिस्तीनी लड़ाकों के साथ सैन्य संघर्ष में लगा हुआ है। भारतीय कंपनियां इज़राइल को हथियार और सैन्य उपकरण बेचने में शामिल हैं। याचिका में इन निर्यातों पर चिंता जताई गई और उन्हें तुरंत रोकने की मांग की गई। जनहित याचिका में उन भारतीय फर्मों के लाइसेंस को रद्द करने की मांग की गई थी जो इज़राइल को हथियार निर्यात कर रही हैं, साथ ही नए लाइसेंस जारी करने पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी।

अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालत देश की विदेश नीति में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह के हस्तक्षेप से भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ताओं को गाजा में संघर्ष के बारे में चिंता हो, लेकिन विदेश नीति मामलों पर सरकार को निर्देशित करना एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है। उन्होंने कहा, “हम उन व्यापक प्रभावों को समझने की स्थिति में नहीं हैं जो हमारे निर्देशों का विदेश नीति पर हो सकते हैं। अदालत की भूमिका इतनी संवेदनशील मामलों में हस्तक्षेप करने की नहीं है।”

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अदालत ने आगे कहा कि इज़राइल को हथियार और सैन्य उपकरणों के निर्यात में शामिल भारतीय कंपनियां संविदात्मक दायित्वों से बंधी हैं। अदालत ने देखा कि इन अनुबंधों को आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता, क्योंकि ऐसा करने पर कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। पीठ ने कहा कि अगर कंपनियां अपनी आपूर्ति रोक देती हैं, तो उन्हें अनुबंधों का उल्लंघन करने पर मुकदमा झेलना पड़ सकता है। याचिकाकर्ताओं, जिनका प्रतिनिधित्व वकील प्रशांत भूषण ने किया, ने तर्क दिया कि गाजा में इज़राइल की कार्रवाइयाँ नरसंहार के समान हैं। हालाँकि, अदालत ने कहा कि यह न्यायपालिका की भूमिका नहीं है कि वह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हस्तक्षेप करे या देश की विदेश नीति को निर्देशित करे। पीठ ने रूस से तेल आयात का उदाहरण देते हुए कहा, “क्या यह उचित होगा कि अदालत सरकार को रूस से तेल आयात रोकने या मालदीव से निवेश वापस लेने का निर्देश दे? ये ऐसे मुद्दे नहीं हैं जहाँ अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए।”

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यह जनहित याचिका अशोक कुमार शर्मा और अन्य लोगों द्वारा प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से इज़राइल को हथियार निर्यात करने वाली भारतीय फर्मों के लाइसेंस रद्द करने का निर्देश मांगा था, जिसमें गाजा में इज़राइल द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों और युद्ध अपराधों के आरोपों को आधार बनाया गया था। याचिका में इस बात पर जोर दिया गया था कि इज़राइल की सैन्य गतिविधियों में मदद करने से रोकने के लिए भारतीय सरकार की नैतिक और नैतिक जिम्मेदारी है। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि विदेश नीति के मामले कार्यपालिका के दायरे में आते हैं, न कि न्यायपालिका के। अदालत के फैसले ने यह स्पष्ट किया कि भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों को न्यायिक निर्देशों से प्रभावित नहीं किया जा सकता। यह निर्णय विशेष रूप से सैन्य निर्यात से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और व्यापार में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाओं पर एक महत्वपूर्ण रुख को रेखांकित करता है।

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इज़राइल को भारतीय हथियार निर्यात पर रोक लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर. https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/indian-arms-to-israel/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/indian-arms-to-israel/#respond Wed, 04 Sep 2024 11:58:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4654 सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें भारतीय कंपनियों द्वारा इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रथा को तुरंत रोका जाना चाहिए क्योंकि यह भारतीय संविधान के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन करती है। याचिका में विशेष रूप से …

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सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें भारतीय कंपनियों द्वारा इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रथा को तुरंत रोका जाना चाहिए क्योंकि यह भारतीय संविधान के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन करती है। याचिका में विशेष रूप से उन भारतीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने का अनुरोध किया गया है जो वर्तमान में गाज़ा में चल रहे संघर्ष में शामिल इज़राइल को हथियार और सैन्य उपकरण आपूर्ति कर रही हैं। इसके अलावा, यह सरकार से भविष्य में ऐसे निर्यातों के लिए नए लाइसेंस जारी न करने की भी मांग करती है।

रक्षा मंत्रालय को याचिका में प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का हवाला दिया है, जिन पर भारत हस्ताक्षरकर्ता है। उनका तर्क है कि ये समझौते भारत को उन देशों को सैन्य हथियारों की आपूर्ति न करने का दायित्व देते हैं जिन पर युद्ध अपराधों का आरोप है। याचिका के अनुसार, किसी भी ऐसे हथियार का निर्यात जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन कर सकता है, उसे अवैध और भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के खिलाफ माना जाना चाहिए।

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यह PIL ग्यारह व्यक्तियों के एक समूह द्वारा दायर की गई है, जिनमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, अर्थशास्त्री जीन ड्रेज़ और कार्यकर्ता निखिल डे जैसे प्रमुख सार्वजनिक व्यक्ति शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं में नोएडा के निवासी अशोक कुमार शर्मा भी शामिल हैं, जिन्होंने गाज़ा में चल रहे संघर्ष में भारतीय कंपनियों की भूमिका को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि कई कंपनियां, जिनमें रक्षा मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी शामिल हैं, इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति में लगी हुई हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह न केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है, जो समानता का अधिकार और जीवन का अधिकार सुनिश्चित करते हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत भारत के दायित्वों का भी उल्लंघन है।

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याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया है, कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जिम्मेदार सदस्य के रूप में भारत की भूमिका दांव पर है। वे कहते हैं कि ऐसे हथियारों के निर्यात की निरंतरता से भारत की प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है और मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता कमजोर हो सकती है। PIL का उद्देश्य सरकार की हथियार निर्यात नीतियों की न्यायिक समीक्षा कराना है, विशेष रूप से उन संघर्ष क्षेत्रों में जहां इन हथियारों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवीय मानदंडों के उल्लंघन में होने की उच्च संभावना है।

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गाजा में इस्राइली हमले से 100 से अधिक की मौत, पश्चिम एशिया में बढ़ा तनाव. https://chaupalkhabar.com/2024/08/10/israeli-attack-in-gaza-100/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/10/israeli-attack-in-gaza-100/#respond Sat, 10 Aug 2024 07:34:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4251 गाजा के अल-तबैइन स्कूल पर हुए एक भीषण हमले में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए हैं। यह स्कूल गाजा सिटी के अल-सहाबा इलाके में स्थित है, जहां विस्थापित शरणार्थियों ने शरण ली हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले का आरोप इस्राइली …

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गाजा के अल-तबैइन स्कूल पर हुए एक भीषण हमले में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए हैं। यह स्कूल गाजा सिटी के अल-सहाबा इलाके में स्थित है, जहां विस्थापित शरणार्थियों ने शरण ली हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले का आरोप इस्राइली सेना पर लगाया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर हमास के एक कमांड सेंटर को निशाना बनाया था। गाजा के सरकारी मीडिया ने दावा किया कि जब लोग फज्र की नमाज पढ़ रहे थे, तब इस्राइली हवाई हमले में शरणार्थियों को निशाना बनाया गया। प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, हमले में 40 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन बाद में यह संख्या बढ़कर 100 के पार हो गई। इस्राइली सेना ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने हमास के आतंकियों के एक कमांड सेंटर पर हमला किया था, जिसमें आम नागरिकों का उपयोग ढाल के रूप में किया गया था।

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गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में इस्राइल और हमास के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। हाल ही में गोलन हाइट्स में हुए एक हिजबुल्ला रॉकेट हमले में 12 बच्चों की मौत हो गई थी। इस हमले के जवाब में इस्राइल ने बेरूत में हिजबुल्ला के एक शीर्ष कमांडर को मार गिराया था। इसके कुछ ही समय बाद, तेहरान में हमास के शीर्ष नेता इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप भी इस्राइल पर लगाया गया था। इस हत्या के बाद, ईरान और इस्राइल के बीच तनाव और बढ़ गया, और ईरान ने इस्राइल पर हमले की धमकी दे दी है।

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पश्चिम एशिया में इस तनाव के बीच, अमेरिका ने भी इस्राइल की मदद के लिए अपने युद्धपोत और लड़ाकू विमानों की एक स्क्वाड्रन पश्चिम एशिया में भेज दी है। हिजबुल्ला ने भी इस्राइल के खिलाफ हमले की चेतावनी दी है। गाजा में हालिया हमले में 100 से अधिक लोगों की मौत से पश्चिम एशिया का यह तनाव और बढ़ सकता है। यह घटनाक्रम इस क्षेत्र में एक बड़े संघर्ष का संकेत दे सकता है, जिसमें कई और देशों के शामिल होने की संभावना है। पश्चिम एशिया में बढ़ते इस तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता को और बढ़ा दिया है, और आने वाले दिनों में इस्राइल और हमास के बीच स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।

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मुझे लोग मुस्लिमों पर घेरते हैं पर रमजान में गाजा में बमबारी रुकवाने के लिए मैंने…’, बोले PM मोदी https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/people-surround-me-muslims/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/people-surround-me-muslims/#respond Fri, 17 May 2024 09:49:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3259 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मीडिया को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में खुलासा किया कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान उन्होंने गाजा में इजरायली बमबारी रुकवाने के लिए विशेष प्रयास किए थे। उन्होंने बताया कि उस वक्त गाजा भीषण बमबारी का सामना कर रहा था, और इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मीडिया को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में खुलासा किया कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान उन्होंने गाजा में इजरायली बमबारी रुकवाने के लिए विशेष प्रयास किए थे। उन्होंने बताया कि उस वक्त गाजा भीषण बमबारी का सामना कर रहा था, और इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने विशेष दूत को इजरायल भेजा था। पीएम मोदी ने कहा कि उनके दूत ने इजरायल के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि कम से कम रमजान के महीने में गाजा में बमबारी रोक दी जाए। पीएम मोदी ने इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैंने अपने विशेष दूत को इजरायल भेजा। मैंने उनसे कहा कि आप इजरायल के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलें और उन्हें समझाएं कि कम से कम रमजान के महीने में गाजा में बमबारी न करें। और उन्होंने इस अनुरोध को गंभीरता से लिया और पालन करने का भरपूर प्रयास किया। यहां तक कि जब मैं इस तरह की पहल करता हूं, तब भी मुझे मुसलमानों को लेकर घेरा जाता है, लेकिन मैंने इसकी पब्लिसिटी नहीं की क्योंकि इसके लिए कई औरों ने भी प्रयास किए होंगे। लेकिन मैंने भी प्रयास किया, भारत ने भी किया। मेरा आज भी फिलिस्तीन के साथ उतना ही नाता है जितना इजरायल के साथ।

पीएम मोदी ने कहा कि उनके दूत ने इजरायल के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि कम से कम रमजान के महीने में गाजा में बमबारी रोक दी जाए।

 

पीएम मोदी ने विपक्ष की पिछली सरकारों पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि वे धर्मनिरपेक्ष होने का दिखावा करती थीं। उन्होंने कहा, “हमारे यहां पहले यह फैशन था कि इजरायल जाओ, फिलिस्तीन जाओ और सेक्यूलरिज्म का ढोंग करके वापस आ जाओ। मैंने कहा कि मुझे ऐसा कुछ नहीं करना है, मैं सीधे इजरायल जाऊंगा, सीधे वापस आऊंगा, मुझे ये ढोंग करने की जरूरत नहीं है। और मैंने ऐसा किया भी।” पीएम मोदी ने अपनी फिलिस्तीन यात्रा के दौरान हुए अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया, “जब मैं फिलिस्तीन गया तो बात आई कि मुझे आगे हेलिकॉप्टर से जाना होगा। जॉर्डन के राष्ट्रपति को पता चला कि मैं जॉर्डन के रास्ते फिलिस्तीन जाने वाला हूं। उन्होंने कहा कि मोदीजी, आप ऐसे नहीं जा सकते, आप मेरे मेहमान हैं। आप मेरे ही हेलिकॉप्टर में जाएंगे और मेरे घर खाना खाकर जाएंगे। मैं उनके घर गया, वहां खाना खाया, और फिर उनके हेलिकॉप्टर से फिलिस्तीन गया जहां इजरायल ने हवा में मुझे सुरक्षा दी।”

पीएम मोदी ने बताया कि इस यात्रा के दौरान तीनों देशों – इजरायल, फिलिस्तीन और जॉर्डन – के बीच तालमेल दिखा। उन्होंने कहा, “तीनों की दुनिया अलग है लेकिन मोदी के लिए आसमान में सब साथ थे। यह सब तब होता है जब आपके इरादे नेक हों और आपके प्रति विश्वास हो।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब अपने हितों को ध्यान में रखकर फैसले लेता है। पीएम मोदी ने कहा, “भारत अब किसी तीसरे देश को ध्यान में रखकर कोई फैसला नहीं करता बल्कि ऐसे फैसले करता है जो भारत के लोगों के हित में हों। हम किसी तीसरे के आधार पर अपना निर्णय नहीं करेंगे। हम निर्णय हमारे लिए करेंगे। अगर रूस से सस्ता पेट्रोल चाहिए तो हम लेंगे, और हम इसे छिपाते नहीं हैं। हम अपनी शर्तों पर देश को चलाते हैं।”

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पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के मामले पर भी अपनी राय को व्यक्त किया और कहा, “की राष्ट्रपति पुतिन यदि मेरी तारीफ करते हैं, इसका यह मतलब नहीं कि मैं उनसे यह नहीं कह सकता कि ‘यह युद्ध का समय नहीं है’। वो भी इसका सम्मान करेंगे कि चलिए कोई मित्र है जो यह बताता है कि क्या सही है और क्या गलत। यूक्रेन को भी मुझ पर उतना ही भरोसा है। मुझ पर यानी भारत पर।” पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपने हितों को प्राथमिकता देता है और किसी भी अन्य देश की राय से प्रभावित नहीं होता। उन्होंने कहा, “हम अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से लेते हैं, और हमारे निर्णय भारतीयों के हित में होते हैं। हम किसी के कहने से नहीं चलेंगे, हम अपनी शर्तों पर देश को चलाते हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि उनकी नीति स्पष्ट और पारदर्शी है। “हम जो भी करते हैं, साफ-साफ करते हैं। हम चोरी-छिपे कुछ नहीं करते, न ही किसी को बताकर कुछ करते हैं। हमारे निर्णय हमारे देश के हित में होते हैं और हम उसी अनुसार काम करते हैं। इस प्रकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि भारत अब किसी भी तरह के दबाव में आकर फैसले नहीं करता और अपने हितों को प्राथमिकता देता है। यह इंटरव्यू उनकी स्पष्ट विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की स्वतंत्र स्थिति को उजागर करता है। उन्होंने अपने प्रयासों और नीतियों के बारे में खुलकर बात की, जो यह दर्शाता है कि भारत एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।

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बाइडन के एक फोन पर क्यों बदल गया इजरायली PM का मिजाज,ठंडे पड़े नेतन्याहू के तेवर. https://chaupalkhabar.com/2024/04/15/biden-on-a-phone-why-bad/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/15/biden-on-a-phone-why-bad/#respond Mon, 15 Apr 2024 07:56:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2934 इजरायल और ईरान के बीच तनाव तेज हो रहा है और इसे बढ़ता हुआ देखकर राजनीतिक दुनिया में उत्सुकता बढ़ गई है। इजरायल ने बताया था कि वह ईरान से जल्द ही बदला लेगा, लेकिन इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बातचीत के बाद उनके तेवर में बदलाव आया है। सीरिया में …

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इजरायल और ईरान के बीच तनाव तेज हो रहा है और इसे बढ़ता हुआ देखकर राजनीतिक दुनिया में उत्सुकता बढ़ गई है। इजरायल ने बताया था कि वह ईरान से जल्द ही बदला लेगा, लेकिन इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बातचीत के बाद उनके तेवर में बदलाव आया है। सीरिया में ईरानी दूतावास पर हाल ही में हुए हमले के बाद इजरायल को ईरानी मिसाइलों और ड्रोन्स से अटैक का सामना करना पड़ा। इस घटना के पहले नेतन्याहू ने अपनी ‘वार कैबिनेट’ की एक आपात बैठक बुलाई जिसमें कई नेता जवाबी कार्रवाई की मांग करते हुए आए थे, लेकिन किसी तरह की निर्णय लेने में सक्षम नहीं थे।

इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायली पीएम से बातचीत की और उन्हें स्पष्ट रूप से सूचित किया कि अगर युद्ध होता है तो अमेरिका इसमें सक्रिय तौर पर भाग नहीं लेगा। जो बाइडन ने इस अवस्था में अमेरिका की भूमिका साफ करते हुए कहा कि अमेरिका इजरायल की सुरक्षा के लिए समर्थ है, लेकिन वह खुद युद्ध में शामिल नहीं होगा। अमेरिका ने इस मामले में जिम्मेदारी और दूसरे पश्चिमी देशों के साथ भी युद्ध नहीं चाहता है।

इस बीच, इजरायल की डिफेंस सिस्टम ने कुछ मिसाइलों को नष्ट कर दिया। यह घटना इस तथ्य को और जटिल बनाता है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष की गहरी जंग जारी है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति की बात सुनकर अपने तेवर में बदलाव लाया है और इससे अमेरिकी राष्ट्रपति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की बातचीत के बाद इजरायल के प्रति अपनी पूरी समर्था जताई गई है और वह इजरायल को हथियार और दूसरी मदद प्रदान करेगा, लेकिन युद्ध में उतरने का फैसला नहीं होगा।

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इस पूरे मामले में अमेरिका की भूमिका स्पष्ट है कि वह इजरायल की सुरक्षा के लिए तैयार है, लेकिन वह युद्ध नहीं चाहता है। अमेरिका के इस तरीके से दर्शाए गए स्टैंड का दूसरे देशों ने भी समर्थन दिया है। अमेरिका ने कहा है कि यदि अमेरिका युद्ध में शामिल होता है तो पश्चिमी एशिया के हालात और भी बिगड़ सकते हैं।  इस प्रकार, इजरायल और ईरान के बीच के तनाव ने राजनीतिक विश्व में खिंचाव बढ़ा दिया है और इसके समाधान के लिए अमेरिका समर्थन प्रदान कर रहा है। इस मामले में अमेरिका की सहयोगिता से दोनों देशों के बीच संघर्ष को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

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