Judiciary - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 31 Aug 2024 08:35:19 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Judiciary - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 महिलाओं की सुरक्षा पर प्रधानमंत्री मोदी की अपील, त्वरित न्याय से बढ़ेगा भरोसा. https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/womens-safety-issue/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/womens-safety-issue/#respond Sat, 31 Aug 2024 08:35:19 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4565 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने न्याय प्रणाली से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में त्वरित और प्रभावी न्याय की मांग की है। कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए कथित बलात्कार और हत्या की जांच के बीच प्रधानमंत्री का यह …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने न्याय प्रणाली से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में त्वरित और प्रभावी न्याय की मांग की है। कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए कथित बलात्कार और हत्या की जांच के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान आया है। इसके साथ ही, महाराष्ट्र के ठाणे में दो किंडरगार्टन लड़कियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों ने भी देशभर में चिंता बढ़ाई है। इन घटनाओं ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति महिलाओं में असुरक्षा की भावना को बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि त्वरित और प्रभावी न्याय से महिलाओं को अपनी सुरक्षा पर अधिक भरोसा मिलेगा। उन्होंने न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका ने हमेशा से अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी घटकों के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए कई कड़े कानून हैं, लेकिन इन कानूनों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन और त्वरित न्याय की उपलब्धता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।

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प्रधानमंत्री ने आपातकाल को भारत के लोकतंत्र का ‘काला दौर’ बताया और कहा कि उस समय न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने हमेशा राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोग हमेशा से सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका पर भरोसा करते आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका के इस विश्वास को बनाए रखने के लिए त्वरित और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है।

प्रधानमंत्री मोदी के बयान से स्पष्ट होता है कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक महिलाओं को त्वरित और प्रभावी न्याय नहीं मिलेगा, तब तक वे अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि न्याय प्रणाली में सुधार किया जाए, ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में तेजी से न्याय मिल सके। उन्होंने आपराधिक न्याय प्रणाली में बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि इस दिशा में कदम उठाने से महिलाओं को अधिक सुरक्षा का अहसास होगा।

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प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि न्यायपालिका की भूमिका केवल संविधान की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में विश्वास और न्याय की भावना को बनाए रखना भी उसकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में न्यायपालिका की सक्रियता और तत्परता से ही समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना मजबूत हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और न्यायपालिका से अपेक्षा करती है कि वह त्वरित और प्रभावी न्याय के जरिए महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा दिलाएगी। न्यायपालिका की सक्रियता और न्याय प्रक्रिया की गति ही समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा दे सकती है।

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समाज में न्यायिक संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो समाज के न्याय और व्यवस्था को सुनिश्चित करती है। न्यायपालिका के निर्णयों का भरोसा जनता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज में विश्वास का एक मुख्य स्रोत है। हाल ही में, भारतीय न्यायपालिका में एक चिंता का विषय उठा है, जिसमें कुछ वकीलों ने एक चिट्ठी में लिखकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सार्वजनिक रूप से संदेश दिया है।

इन वकीलों ने अपनी चिट्ठी में बताया कि एक विशेष ग्रुप का गठन हुआ है, जो न्यायपालिका के निर्णयों को प्रभावित करने के लिए प्रयासरत है। विशेष रूप से उन मामलों में, जिनमें नेताओं की संलग्नता होती है या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, मेंदू को इन वकीलों ने उचित नहीं माना है। इस ग्रुप के कार्यों और उनकी चालाकी से, वे न्यायपालिका के संरचना और विश्वास को खतरे में डालते हैं।सीजेआई को चिट्ठी लिखने वाले वकीलों के बीच वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पिंकी आनंद समेत देश के 600 से अधिक वकील शामिल हैं। उनका कहना है कि इस ग्रुप का उद्देश्य न्यायपालिका को कमजोर करना है और उसे राजनीतिक और व्यक्तिगत हितों के लिए इस्तेमाल करना है।

 

वकीलों का कहना है कि यह ग्रुप न्यायपालिका के निर्णयों को अपने पॉलिटिकल एजेंडे के आधार पर सराहना या आलोचना करता है।

उनकी चिट्ठी में आलेखित है कि इस ग्रुप के द्वारा कई तरीकों से न्यायपालिका के काम पर दबाव डाला जाता है, जैसे कि न्यायपालिका के इतिहास को दोषारोपण करना, अदालतों की गतिविधियों पर सवाल उठाना और जनता के विश्वास को कमजोर करना।वकीलों का कहना है कि यह ग्रुप न्यायपालिका के निर्णयों को अपने पॉलिटिकल एजेंडे के आधार पर सराहना या आलोचना करता है। इस ग्रुप का मानना है कि ‘माई वे या हाईवे’ वाली थ्योरी और बेंच फिक्सिंग की थ्योरी सही है। उनका आरोप है कि ये व्यक्ति भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद अदालत में उनका बचाव करते हैं, और अगर उनकी पसंदीदा गवाही नहीं मिलती है तो वे उदाहरण के रूप में अदालत कीआलोचना करते हैं। चिट्ठी में यह भी दावा किया गया है कि कुछ तत्व जजों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, और कुछ चुनिंदा मामलों में अपने पक्ष का फैसला करवाने के लिए उन्हें दबाव डाला जा रहा है।

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इसके अलावा, इन गतिविधियों का असर सोशल मीडिया पर भी देखा गया है, जिससे भ्रांतियां और गलत जानकारी प्रसारित होती है। इन वकीलों का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां न्यायपालिका को राजनीतिक और व्यक्तिगत कारणों से प्रभावित करने का प्रयास है, जो किसी भी समय स्वीकार्य नहीं होता।चिट्ठी में इस ग्रुप की गतिविधियों के बारे में एक और बात भी उजागर की गई है, जिसमें यह बताया गया है कि इनकी गतिविधियां चुनावी समय में अधिक सक्रिय होती हैं। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भी, इस ग्रुप की गतिविधियों में एक वृद्धि देखी गई थी।

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वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह इस तरह की गतिविधियों से न्यायपालिका को संरक्षित रखने के लिए कठोर कदम उठाएं।इन वकीलों ने चिट्ठी में न्यायपालिका के समर्थन में एकजुट रुख अपनाने का आह्वान किया है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि न्यायपालिका लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ बनी रहे।

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