JUstice DY Chandrachud - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 02 Aug 2024 11:47:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg JUstice DY Chandrachud - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड की एसआईटी जांच की याचिकाओं को किया खारिज, कहा पहले से मौजूद तंत्र का करें उपयोग https://chaupalkhabar.com/2024/08/02/supreme-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/02/supreme-court/#respond Fri, 02 Aug 2024 11:47:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4157 शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड डोनेशन से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच कथित तौर पर लेन-देन की व्यवस्था की एसआईटी (विशेष जांच दल) से जांच कराने की …

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शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड डोनेशन से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच कथित तौर पर लेन-देन की व्यवस्था की एसआईटी (विशेष जांच दल) से जांच कराने की मांग की गई थी। यह ध्यान देने योग्य है कि इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए उसे रद्द कर दिया था। कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को तुरंत चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। चुनावी बॉन्ड योजना का उद्देश्य राजनीतिक दलों को गुमनाम तरीके से फंडिंग की सुविधा प्रदान करना था, लेकिन इसे लेकर सवाल उठते रहे हैं कि इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी हो सकती है।

मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने की। पीठ ने कहा कि वर्तमान कानून और नियमों के तहत याचिकाओं को स्वीकार करना उपयुक्त नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले से मौजूद शिकायत निवारण तंत्र का उपयोग करना चाहिए, और यदि उनकी शिकायतों का समाधान नहीं होता है, तो वे उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

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एनजीओ कॉमन कॉज द्वारा दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए चंदों में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। याचिका में कहा गया था कि यह घोटाला इस स्तर का है कि इसकी जांच एसआईटी द्वारा की जानी चाहिए, और इस जांच की निगरानी स्वयं सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जानी चाहिए। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि चुनावी चंदे के बदले कॉरपोरेट्स को भारी आर्थिक लाभ पहुंचाया गया।

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सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस मांग को खारिज कर दिया और कहा कि जांच एजेंसियां पहले से ही इस प्रकार की शिकायतों को देखने के लिए स्थापित की गई हैं। अगर शिकायतों का सही ढंग से समाधान नहीं होता है, तो याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद चुनावी बॉन्ड योजना और इससे जुड़े विवादों पर एक बार फिर से बहस छिड़ सकती है, लेकिन फिलहाल इस मामले में कोई नई जांच नहीं होगी।

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Supreme Court द्वारा सांसदों को कानूनी छूट से इनकार, सदन में नोट लेकर दिया वोट या भाषण तो चलेगा केस…. https://chaupalkhabar.com/2024/03/04/supreme-court-%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%82%e0%a4%a8/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/04/supreme-court-%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a4%a6%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%82%e0%a4%a8/#respond Mon, 04 Mar 2024 06:47:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2421 सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें वोट के बदले नोट मामले पर कानूनी गतिरोध को समाप्त करने का निर्णय दिया गया है। इस नए निर्णय के अनुसार, अब सांसदों या विधायकों को अगर सदन में पैसे लेकर वोट देते हैं या भाषण करते हैं, तो उनके खिलाफ केस चलाया …

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें वोट के बदले नोट मामले पर कानूनी गतिरोध को समाप्त करने का निर्णय दिया गया है। इस नए निर्णय के अनुसार, अब सांसदों या विधायकों को अगर सदन में पैसे लेकर वोट देते हैं या भाषण करते हैं, तो उनके खिलाफ केस चलाया जा सकेगा। यह फैसला भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले फैसले को बदलते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। 1998 में नरसिम्हा राव के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 बहुमत से तय किया था कि सांसदों पर इस मुद्दे के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। लेकिन अब, नए फैसले के अनुसार, राजनीतिज्ञों को भ्रष्टाचार के आरोप में कानूनी छूट नहीं मिलेगी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस फैसले में सहमति से यह निर्णय लिया है कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को खत्म कर देती है। सम्बंधित सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विवाद के सभी पहलुओं पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लिया है।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस फैसले में सहमति से यह निर्णय लिया है कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को खत्म कर देती है।

इस नए फैसले के परिणामस्वरूप, सांसदों और विधायकों को राजनीतिक मामलों में भ्रष्टाचार करने की छूट नहीं मिलेगी। यह निर्णय राजनीतिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय की महत्वपूर्ण स्थापना है। इस निर्णय के पहलू पर समय-समय पर उठी  राजनीतिक विवादों की रोशनी में, यह फैसला सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अब सांसदों और विधायकों को अपनी कार्रवाई में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखने के लिए जिम्मेदार बनाया जाएगा। इस नए फैसले के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के विश्वास को बढ़ावा दिया है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो राजनीतिक प्रक्रिया को और भी पारदर्शी और न्यायसंगत बनाए रखने में मदद करेगा।

अब से, सांसदों और विधायकों को राजनीतिक कार्रवाई में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए पारदर्शिता और ईमानदारी की प्राथमिकता देनी होगी। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र में न्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हम सभी मिलकर सामने आएं। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में नए समय की शुरुआत करेगा। यह हमें सभी को याद दिलाता है कि राजनीतिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी की महत्वपूर्ण भूमिका है, और हमें इसे सुनिश्चित करना होगा कि यह मूल्य समाज के हर सदस्य द्वारा पालन किया जाए।

 

 

 

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