justin trudeau - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 24 Oct 2024 08:20:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg justin trudeau - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव, पार्टी के भीतर उठ रही विरोध की आवाजें. https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/canadian-prime-just/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/canadian-prime-just/#respond Thu, 24 Oct 2024 08:20:29 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5270 कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। हाल ही में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच ट्रूडो सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इस विवाद के बाद कनाडा में प्रधानमंत्री …

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। हाल ही में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच ट्रूडो सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इस विवाद के बाद कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की स्थिति कमजोर हो गई है, और अब पार्टी के कई सांसद उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देने का सुझाव दे रहे हैं। भारत से बिगड़ते रिश्तों के कारण जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के लिए राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। हाल ही में हुए कई सर्वेक्षणों से पता चला है कि लिबरल पार्टी का समर्थन तेजी से घट रहा है, जबकि विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यदि अभी चुनाव होते हैं, तो कंजरवेटिव पार्टी जीत के करीब होगी, जबकि लिबरल पार्टी पिछड़ जाएगी।

23 अक्टूबर को लिबरल पार्टी के सांसदों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री ट्रूडो के नेतृत्व पर गंभीर चर्चा की गई। बैठक के दौरान दर्जनों सांसदों ने ट्रूडो से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की। सांसदों का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो पार्टी को अगले चुनावों में जीत दिलाने में सक्षम नहीं होंगे, इसलिए उन्हें समय रहते पद छोड़ देना चाहिए। लिबरल पार्टी के सांसद केन मैकडोनाल्ड ने खुले तौर पर ट्रूडो को सलाह दी कि उन्हें जनता की बातें सुननी चाहिए और पार्टी के भविष्य के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “लोकप्रियता में हो रही गिरावट के चलते ट्रूडो को अगले चुनाव से पहले अपना पद छोड़ देना चाहिए।” मैकडोनाल्ड उन 20 सांसदों में शामिल हैं जो ट्रूडो के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

हालांकि, जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान में पार्टी को एकजुट रखने की बात कही और पार्टी के सांसदों से समर्थन बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह समय पार्टी को और अधिक मजबूत और संगठित करने का है, न कि विभाजन का। लेकिन पार्टी के भीतर बगावत के संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं। लगभग 20 सांसदों ने ट्रूडो के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और वह चाहते हैं कि ट्रूडो चौथे कार्यकाल के लिए अपनी दावेदारी पेश न करें। ट्रूडो की स्थिति इस समय काफी मुश्किल भरी है। वे एक तरफ अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी के अंदर से ही इस्तीफे की आवाजें तेज हो रही हैं। कनाडा के राजनीतिक समीकरणों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रूडो पार्टी के भीतर हो रहे इस विरोध को समय रहते संभाल नहीं पाए, तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

कनाडा में जस्टिन ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण समय आ गया है। भारत के साथ राजनयिक विवाद और गिरती लोकप्रियता ने ट्रूडो की सरकार की स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। पार्टी के कई सांसद अब ट्रूडो को इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं, और यदि यह दबाव जारी रहा तो आगामी चुनावों में लिबरल पार्टी की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।

By Neelam Singh.

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कनाडा में भारतीयों की चुनौतियां बढ़ी, अस्थायी विदेशी श्रमिकों पर नई पाबंदियों का असर. https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/selection-of-indians-in-canada/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/27/selection-of-indians-in-canada/#respond Tue, 27 Aug 2024 07:48:21 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4435 कनाडा सरकार के एक हालिया फैसले से वहां रहने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को घोषणा की कि कनाडा में अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम किया जाएगा। इस निर्णय का सीधा प्रभाव उन भारतीय युवाओं पर पड़ेगा, जो कनाडा में अस्थायी नौकरियों के सहारे जीवन …

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कनाडा सरकार के एक हालिया फैसले से वहां रहने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को घोषणा की कि कनाडा में अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम किया जाएगा। इस निर्णय का सीधा प्रभाव उन भारतीय युवाओं पर पड़ेगा, जो कनाडा में अस्थायी नौकरियों के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाइम काम करके अपने खर्चों को पूरा करते हैं, और अब उनकी स्थिति पर इस फैसले का गहरा असर हो सकता है।

पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “हम कनाडा में कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम कर रहे हैं। हमारा लेबर मार्केट काफी बदल चुका है, और अब समय आ गया है कि हमारी कंपनियां कनाडाई श्रमिकों और युवाओं को ज्यादा से ज्यादा नौकरी के अवसर प्रदान करें।” इस कदम का मकसद कनाडाई नागरिकों को रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है, लेकिन इससे वहां काम कर रहे भारतीयों के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी।

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रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 के अंत तक कनाडा में भारतीयों की संख्या 20 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। साल 2022 में 118,095 भारतीयों ने कनाडा में स्थायी निवास प्राप्त किया था, जबकि 59,503 लोग कनाडाई नागरिक बन गए थे। हालांकि, 2024 की पहली तिमाही में कनाडा ने 37,915 नए भारतीय स्थायी निवासियों को प्रवेश दिया, जो कि 2023 की पहली तिमाही की तुलना में 8,175 कम है। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि कनाडा में भारतीयों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन नई नीति के बाद यह प्रवृत्ति धीमी पड़ सकती है। कनाडा में रहने वाले ज्यादातर भारतीय सिख समुदाय से हैं, जो छोटे-मोटे कारोबार और विभिन्न कंपनियों में काम करते हैं। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि जस्टिन ट्रूडो की सरकार खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम रही है, जिससे भारत के साथ कनाडा के रिश्ते में पहले से ही तनाव बना हुआ है। अब इस नए फैसले से भारत की चिंताएं और बढ़ सकती हैं।

हाल ही में, कनाडा में हिंदू पूजा स्थलों पर हमलों की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। एडमोंटन के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी, जिसमें भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के अनुसार, मंदिर पर सुबह-सुबह हमला किया गया, और इसके पीछे खालिस्तानी समर्थकों का हाथ होने का संदेह जताया जा रहा है। साथ ही, भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य पर भी हमला किया गया। इस तरह की घटनाएं कनाडा में भारतीयों की सुरक्षा के प्रति चिंता को और बढ़ा रही हैं।

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इस नए फैसले के बाद कनाडा में रहने वाले भारतीयों को न केवल रोजगार के संकट का सामना करना पड़ सकता है, बल्कि सामाजिक सुरक्षा के मामले में भी उनकी चुनौतियां बढ़ सकती हैं। ट्रूडो सरकार का यह कदम कनाडा में भारतीय समुदाय के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

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