Kerela - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 10 Apr 2024 10:01:06 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Kerela - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 अपने स्वयं के बेटे को हार का शाप देने वाले एके एंटनी खुद इंदिरा काल में चला चुके हैं अपनी अलग कांग्रेस पार्टी! https://chaupalkhabar.com/2024/04/10/losing-ones-own-son/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/10/losing-ones-own-son/#respond Wed, 10 Apr 2024 10:01:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2897 अनिल एंटनी: कांग्रेस के बेटे से बीजेपी के उम्मीदवार तक का सफर भारतीय राजनीति में विवाद और उलझनें कभी नहीं खत्म होती हैं। वर्तमान समय में एक ऐसी घटना की चर्चा हो रही है जिसने राजनीतिक गलियारों को हलचलाया है। यहां बात है केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, देश के पूर्व रक्षामंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ …

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अनिल एंटनी: कांग्रेस के बेटे से बीजेपी के उम्मीदवार तक का सफर भारतीय राजनीति में विवाद और उलझनें कभी नहीं खत्म होती हैं। वर्तमान समय में एक ऐसी घटना की चर्चा हो रही है जिसने राजनीतिक गलियारों को हलचलाया है। यहां बात है केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, देश के पूर्व रक्षामंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे, अनिल एंटनी की। अनिल एंटनी ने अपनी राजनीतिक जिद के तहत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस से जुड़कर विपक्षी धरोहर का साथ दिया है। बीजेपी ने दक्षिण केरल के लिए अनिल एंटनी को उम्मीदवार घोषित किया है। इसके प्रति एके एंटनी ने अपने बेटे को हार का शाप दिया है।

एके एंटनी ने कहा कि उन्हें लगता है कि इस सीट से अनिल को चुनाव जीतना चाहिए। एके एंटनी की राजनीतिक यात्रा में अलगाव की एक लंबी कहानी है। इंदिरा गांधी के समय में, उन्होंने खुद को कांग्रेस से अलग करके अपनी पार्टी की स्थापना की थी। इस प्रकार, उन्होंने कांग्रेस (उर्स) नामक पार्टी की शुरुआत की थी, जिसमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री देवराज उर्स भी शामिल थे। राजनीतिक संघर्षों के बीच, एके एंटनी ने कई बार अपनी पार्टी का नाम बदला, परंतु उनकी राजनीतिक दिशा कभी नहीं बदली। साल 1980 में, उन्होंने अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय किया, लेकिन उनकी राजनीतिक प्रक्रिया में उलझनें कभी नहीं थमी।

अनिल एंटनी का राजनीतिक सफर कुछ अलग है। वे कांग्रेस के संगठन में सक्रिय रहे हैं, लेकिन अपनी राजनीतिक प्राथमिकताओं के बारे में अलग राय रखते हैं। उनका बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के पारिवारिक परंपरा के खिलाफ है, लेकिन वे अपने निर्णय पर दृढ़ रहे हैं। अनिल एंटनी का राजनीतिक सफर उनके पिता की तुलना में थोड़ा सा अलग है। वे कांग्रेस के संगठन में अपनी प्राथमिकताओं को साझा करते हैं, लेकिन उनका बीजेपी में शामिल होना कुछ और अनिल एंटनी के बीच राजनीतिक उथल-पुथल को लेकर असमंजस है।

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उनके पिता का इस निष्क्रियता का संकेत है कि वे उन्हें हार का शाप देने के लिए तैयार हैं, जो कांग्रेस की धरोहर के खिलाफ है।अनिल एंटनी के राजनीतिक निर्णय पर उनके परिवार के समर्थन में एक गहरा विचार है। इससे स्पष्ट होता है कि उनके पिता एके एंटनी ने राजनीति और परिवार को अलग मानते हैं, जो उनके संघर्ष का एक पहलू है।

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Kerala का Sabrimala Mandir एक बार फिर चर्चा का विषय बना, https://chaupalkhabar.com/2023/12/14/keralas-sabarimala-temple-once-again-became-a-topic-of-discussion/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/14/keralas-sabarimala-temple-once-again-became-a-topic-of-discussion/#respond Thu, 14 Dec 2023 10:44:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1995 भारत के धार्मिक स्थलों की शांति और आदर्शता का संकेत, Sabrimala Mandir की परिस्थितियों में आयी चुनौतियों ने देशवासियों की ध्यान आकर्षित किया है। इस पवित्र स्थल पर हुए घटनाक्रमों ने श्रद्धालुओं और सरकारी अधिकारियों के बीच विवाद का सिलसिला चला दिया है। Kerala का Sabrimala Mandir एक बार फिर चर्चा का विषय बना गया …

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भारत के धार्मिक स्थलों की शांति और आदर्शता का संकेत, Sabrimala Mandir की परिस्थितियों में आयी चुनौतियों ने देशवासियों की ध्यान आकर्षित किया है। इस पवित्र स्थल पर हुए घटनाक्रमों ने श्रद्धालुओं और सरकारी अधिकारियों के बीच विवाद का सिलसिला चला दिया है।

Kerala का Sabrimala Mandir एक बार फिर चर्चा का विषय बना गया है यह मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच बसा है और 800 साल पुराना है इसी बीच खबर का आईं की मंदिर की भीड़ में दर्शन का इंतजार कर रही 11 वर्षीय लड़की मौत हो गई। श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए 18-18 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है,जानिए, मंदिर की कहानी और ऐसे हालात क्यों बने।

 

मंदिर में भीड़ की वजह है वो सबरीमाला यात्रा, जो नवंबर से शुरू होकर जनवरी तक चलती है, इसे शामिल होने के लिए श्रद्धालु बडी संख्या में आते है इसी यात्रा के चलते मंदिर परिसर के हालात बिगड़ गए, मंदिर में बद इंतजामी को लेकर मंगलवार को संसद परिसर में खुब प्रदर्शन हुआ। Kerala से कांग्रेस सांसदों ने संसद परिसर में इसका विरोध जताया। विधानसभा में विधायकों ने सवाल उठाए। 800 साल पुराना यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है।

 

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Sabrimala Mandir में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं का आना-जाना होता है, लेकिन पिछले कुछ समय से बुनियादी सुविधाओं की कमी ने इस स्थल को गंभीरता से गुजारा है। मंदिर की पहाड़ी चोटी पर हुई भारी भीड़ ने श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ा दी है।

भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सबरीमाला में Kerala सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने अधिकारियों को सुरक्षा और सुविधाओं के अभाव का मुकाबला करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही, केरल उच्च न्यायालय ने भी मंदिर पर्यटकों को सहायता देने का निर्देश दिया और पुलिस को भीड़ को प्रबंधित करने का आदेश दिया।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में किसी असामान्य घटना का खंडन किया, और नई व्यवस्थाओं की सूचना देने का आग्रह किया। हालांकि, यहां की स्थिति पर कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं की भी चिंताएं बढ़ी हैं।

 

 

सबरीमाला में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि के कारण, भक्तों ने अपनी चिंताओं को जाहिर किया है, विशेष रूप से सुरक्षा और आवश्यक सुविधाओं की कमी के संबंध में। यहां की भीड़ और सुविधाओं की अनुपस्थिति ने श्रद्धालुओं को परेशान किया है।

 

स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, दिसंबर के पहले सप्ताह में चेन्नई में हुई बाढ़ ने उथल-पुथल मचा दी थी, जिसके कारण कई ट्रेनें रद्द हो गई थीं। इससे भक्तों की यात्रा में बदलाव आया और सबरीमाला में भीड़ बढ़ गई। श्रद्धालुओं और सरकारी अधिकारियों के बीच चल रहे विवादों के बीच, देवस्वओम बोर्ड ने भी ऐसी स्थिति पर शिकायत की है और सु रक्षा और सुविधाओं में कमी को निहारा है।

 

इस संबंध में सार्वजनिक प्रमुख दलों और सरकारी अधिकारियों के बीच समझौता और समन्वय की जरूरत है, ताकि सबरीमाला में श्रद्धालुओं को उचित सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान की जा सकें। यहां धार्मिक महत्व के स्थल पर हो रही गतिविधियों को सम्मान और सुरक्षा से देखा जाना चाहिए ताकि श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान किया जा सके। आशा है कि समय जल्दी ही समझौते की दिशा में बदलेगा और सबरीमाला में सुधार होगा।

 

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