Lalu Yadav - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 27 Sep 2024 11:54:24 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Lalu Yadav - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 लालू यादव पर नौकरी के बदले जमीन घोटाले में ईडी ने बढ़ाई मुश्किलें, चार्जशीट में गंभीर आरोप https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/lalu-yadav-in-exchange-for-job/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/lalu-yadav-in-exchange-for-job/#respond Fri, 27 Sep 2024 11:54:24 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5132 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ईडी ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें लालू यादव को इस पूरे घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। आरोप पत्र में कहा गया है कि लालू यादव, जो उस …

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ईडी ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें लालू यादव को इस पूरे घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। आरोप पत्र में कहा गया है कि लालू यादव, जो उस वक्त रेलवे मंत्री थे, ने रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले जमीन लेने की साजिश रची थी। ईडी ने दावा किया है कि लालू यादव खुद ही इस लेन-देन की निगरानी करते थे और अपने परिवार के सदस्यों के जरिए इस योजना को अंजाम देते थे। ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि लालू यादव ने रेलवे में नौकरी के लिए रिश्वत के तौर पर जमीनें लीं। उस वक्त लालू यादव भारत के रेल मंत्री थे और उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर लोगों से जमीन ली, जिसके बदले उन्हें रेलवे में नौकरियां दी गईं। ईडी के अनुसार, ये जमीनें कौड़ियों के भाव में खरीदी गईं, खासकर बिहार के पटना में स्थित महुआ बाग क्षेत्र की जमीनें। इन जमीनों के मालिकों को लालू यादव के करीबी और सहयोगियों ने रेलवे में नौकरी का वादा करके अपनी जमीन सस्ते में बेचने के लिए मजबूर किया।

चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन जमीनों को यादव परिवार से जुड़ी शेल कंपनियों के नाम पर दर्ज कराया गया। जमीन की खरीदी और बिक्री को ऐसे तरीके से अंजाम दिया गया कि लालू यादव और उनके परिवार की प्रत्यक्ष संलिप्तता पर कोई शक न हो। इन सौदों को छिपाने के लिए शेल कंपनियों का जाल बिछाया गया था, ताकि जमीन के मालिकाना हक को छुपाया जा सके। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि इस घोटाले को और जटिल बनाने के लिए कई शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया गया। चार्जशीट में एक विशेष कंपनी का जिक्र किया गया है, जिसका नाम मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी के जरिए कई जमीनें राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम ट्रांसफर की गईं। चार्जशीट के अनुसार, इस कंपनी का स्वामित्व एक करीबी सहयोगी अमित कत्याल ने मामूली कीमत पर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को हस्तांतरित कर दिया।

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चार्जशीट में लालू यादव के करीबी सहयोगी भोला यादव की भी महत्वपूर्ण भूमिका बताई गई है। ईडी के मुताबिक, भोला यादव इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार थे। उन्होंने रेलवे में नौकरी के बदले जमीनों के सौदे में मध्यस्थ की भूमिका निभाई। भोला यादव ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने लालू परिवार के नजदीक स्थित भू-स्वामियों को अपनी जमीनें बेचने के लिए राजी किया। ईडी ने आरोप लगाया कि यह सारा खेल लालू यादव के परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए रचा गया था। इसके अलावा, राबड़ी देवी के निजी कर्मचारी हृदयानंद चौधरी और लल्लन चौधरी जैसे बिचौलियों के माध्यम से जमीनों का हस्तांतरण किया गया।

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ईडी ने यह भी दावा किया है कि कई जमीनों को दूर के रिश्तेदारों से उपहार के रूप में दिखाया गया था। लेकिन जब जांच के दौरान लालू यादव की बेटी मीसा भारती से सवाल किया गया, तो उन्होंने इन रिश्तेदारों को जानने से इनकार कर दिया। ईडी के मुताबिक, इस घोटाले में उपहार और शेल कंपनियों के उपयोग से संपत्तियों को छिपाने की कोशिश की गई थी। तेजस्वी यादव ने अपने बयान में स्वीकार किया कि वह एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड में शेयरधारक थे, लेकिन कंपनी ने कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं की थी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह कंपनी के संचालन से संबंधित कई जानकारियों से अनजान थे। हालांकि, उन्होंने नई दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में स्थित संपत्ति में अपने निवेश को स्वीकार किया, जो ईडी के अनुसार, घोटाले से जुड़ी हुई थी।

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पीएम पद को लेकर इंडिया गठबंधन में मतभेद, तेज प्रताप यादव ने अखिलेश यादव को बताया प्रधानमंत्री पद का दावेदार https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/india-alliance-regarding-pm-post/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/india-alliance-regarding-pm-post/#respond Wed, 11 Sep 2024 13:12:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4827 लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही विपक्षी इंडिया गठबंधन के भीतर प्रधानमंत्री पद को लेकर अलग-अलग सुर सुनाई देने लगे हैं। हालाँकि, इस गठबंधन ने अभी तक किसी भी नेता को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेताओं के विचारों में मतभेद …

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लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही विपक्षी इंडिया गठबंधन के भीतर प्रधानमंत्री पद को लेकर अलग-अलग सुर सुनाई देने लगे हैं। हालाँकि, इस गठबंधन ने अभी तक किसी भी नेता को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेताओं के विचारों में मतभेद सामने आने लगे हैं। आरजेडी के वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव, प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार को लेकर अलग-अलग राय रखते हैं। जहां तेजस्वी यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करते हुए देखे जाते हैं, वहीं उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बताया है।

हाल ही में तेज प्रताप यादव ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि वे चाहते हैं कि अखिलेश यादव देश के अगले प्रधानमंत्री बनें। जब उनसे पूछा गया कि इंडिया गठबंधन में प्रधानमंत्री पद के लिए उनका समर्थन किसके पक्ष में है, तो तेज प्रताप ने पहले राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की क्षमताओं की प्रशंसा की और कहा कि राहुल गांधी ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी व्यक्तिगत राय व्यक्त करते हुए कहा कि उनका दिल चाहता है कि अखिलेश यादव ही देश के प्रधानमंत्री बनें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अखिलेश यादव के साथ उनके पारिवारिक संबंध हैं, जिससे यह संबंध और भी गहरा हो जाता है।

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इंटरव्यू के दौरान तेज प्रताप यादव ने यह दावा भी किया कि आने वाले कुछ महीनों में नरेंद्र मोदी सरकार गिर जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के गिरने के बाद देश में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की सरकार बनेगी। उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि विपक्षी दलों को लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्हें मजबूत समर्थन मिलेगा।

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दूसरी तरफ, तेज प्रताप यादव के भाई और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बारे में माना जाता है कि वे राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार मानते हैं। तेजस्वी का मानना है कि राहुल गांधी का अनुभव और देशभर में उनकी छवि उन्हें इस पद के लिए सबसे बेहतर दावेदार बनाती है। राहुल गांधी ने पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष की तरफ से एक मजबूत नेता के रूप में उभरते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मोदी सरकार की नीतियों का विरोध किया है। इंडिया गठबंधन के भीतर प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार का नाम तय करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। इसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी समेत कई अन्य दल शामिल हैं, जिनके अपने-अपने दावेदार हो सकते हैं।

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जद(यू) में अंदरूनी कलह, भाजपा के साथ गठबंधन और विचारधारा के बीच फंसी नीतीश कुमार की पार्टी. https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/internal-strife-in-jdu-bjp/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/internal-strife-in-jdu-bjp/#respond Sat, 07 Sep 2024 07:27:50 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4721 जनता दल (यूनाइटेड) [जद(यू)] के भीतर इस समय सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में दो धड़ों के बीच सत्ता संघर्ष उभर कर सामने आया है। एक ओर वे नेता हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन को बनाए रखने के पक्षधर हैं, जबकि दूसरी …

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जनता दल (यूनाइटेड) [जद(यू)] के भीतर इस समय सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में दो धड़ों के बीच सत्ता संघर्ष उभर कर सामने आया है। एक ओर वे नेता हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन को बनाए रखने के पक्षधर हैं, जबकि दूसरी ओर वे नेता हैं जो पार्टी की मूल विचारधारा पर समझौता करने के खिलाफ हैं। यह विवाद तब खुलकर सामने आया जब जद(यू) के वरिष्ठ नेता और मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। केसी त्यागी ने मोदी सरकार के कुछ फैसलों, जैसे सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री, समान नागरिक संहिता, और सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर दिए गए फैसले का खुलकर विरोध किया। इसके अलावा, इजरायल और फिलिस्तीन पर भारत की विदेश नीति को लेकर भी उन्होंने तीखे सवाल उठाए। हालांकि, त्यागी के ये बयान जद(यू) की विचारधारा के अनुरूप ही थे, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि भाजपा के साथ पार्टी के समीकरण को बिगड़ने से रोकने के लिए उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया।

भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर जद(यू) के भीतर विवाद और भी गहरा हो गया है, खासकर तब जब पार्टी ने संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन किया। वक्फ संपत्ति पर कानून में संशोधन को लेकर पार्टी के अंदर मतभेद उभरकर सामने आए। कुछ नेताओं ने इस विधेयक का विरोध यह कहकर किया कि यह जद(यू) की मूल विचारधारा के खिलाफ है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने संसद में विधेयक का समर्थन किया, जबकि जद(यू) के अन्य नेता, जैसे विजय कुमार चौधरी, इससे असहमत थे। चौधरी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय की चिंताओं को दूर किए बिना इस विधेयक को पारित नहीं किया जाना चाहिए। नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले विजय कुमार चौधरी के इस बयान को पार्टी की आधिकारिक स्थिति के रूप में देखा गया। दूसरी ओर, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ज़मा खान ने मुस्लिम बच्चों के लिए नए स्कूल और वक्फ भूमि पर 21 मदरसों के निर्माण की योजना की घोषणा करके ललन सिंह के बयान का असर कम करने की कोशिश की।

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जद(यू) के अंदर यह सत्ता संघर्ष इस बात का संकेत है कि पार्टी के नेता अगले साल के विधानसभा चुनाव और नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत को ध्यान में रखते हुए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के एक नेता ने बताया कि एक धड़ा भाजपा के साथ गठबंधन बनाए रखने के पक्ष में है, जबकि दूसरा धड़ा मानता है कि भाजपा की मजबूरी है, इसलिए जद(यू) को अपनी पहचान और विचारधारा पर कायम रहना चाहिए। इस विभाजन के बीच पार्टी के कुछ नेता अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भाजपा के साथ मधुर संबंध बनाए रखना चाहते हैं। हालांकि, नीतीश कुमार एक अनुभवी और चतुर राजनेता हैं। वे पहले भी पार्टी के भीतर असहमति रखने वाले नेताओं, जैसे जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव, को दरकिनार कर चुके हैं। पिछले साल ललन सिंह ने नीतीश कुमार के साथ मतभेदों की अफवाहों के चलते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। हालांकि, पार्टी ने इन अफवाहों का खंडन किया था। नीतीश कुमार ने अपने करीबी सहयोगी संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है, ताकि विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को मजबूत किया जा सके।

विधानसभा चुनाव से पहले जद(यू) के सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। वक्फ विधेयक पर मतभेद, त्यागी का इस्तीफा, और पार्टी के भीतर के असंतोष ने जद(यू) को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। पार्टी के अंदर की एक और घटना, जिसने असंतोष को और बढ़ा दिया, वह थी 22 अगस्त को राज्य कार्यकारिणी सदस्यों की सूची का अचानक बदलाव। पहली सूची में 251 सदस्यों के नाम थे, लेकिन कुछ ही घंटों में इसे वापस लेकर नई सूची जारी की गई, जिसमें सदस्यों की संख्या घटाकर 115 कर दी गई। इस बदलाव ने पार्टी के अंदर और भी असंतोष पैदा कर दिया, क्योंकि ललन सिंह और अशोक चौधरी के कई समर्थकों को नई सूची से हटा दिया गया था। पार्टी ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह बदलाव उन नेताओं को हटाने के लिए किया गया, जो लोकसभा चुनावों के दौरान सक्रिय नहीं थे या जिनका प्रदर्शन असंतोषजनक था। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, यह कदम सत्ता संतुलन बनाने के लिए उठाया गया था। अशोक चौधरी ने जहानाबाद संसदीय सीट पर हार के लिए भूमिहारों को जिम्मेदार ठहराते हुए विवाद खड़ा कर दिया। उनका बयान जद(यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार को पसंद नहीं आया, जिन्होंने उनकी आलोचना की और कहा कि नीतीश कुमार कभी जाति आधारित राजनीति नहीं करते हैं।

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बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की स्थिति बेहद महत्वपूर्ण है। वे कुर्मी-कुशवाहा और अत्यंत पिछड़ी जातियों के गठबंधन के कारण राज्य की राजनीति में एक मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। हालांकि, पार्टी के अंदर चल रहे इस सत्ता संघर्ष को देखते हुए, नीतीश कुमार को जल्द से जल्द पार्टी के भीतर की दरारों को दूर करना होगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व पर चर्चा करते हुए, पूर्व भाजपा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने एक बार कहा था, “नीतीश कुमार हमेशा अपने मौजूदा साथी को मात देने के लिए दो खिड़कियां खुली रखते हैं।” इस बात को ध्यान में रखते हुए, विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार इस समय की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं और उन्होंने पहले भी ऐसे कई राजनीतिक संकटों का सामना किया है।

पार्टी के सांसद रामप्रीत मंडल ने कहा, “त्यागी ने अवांछित रुख अपनाया, लेकिन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की संवेदनशीलता को देखते हुए पार्टी में आखिरकार नीतीश जी के विचार ही चलेंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे नेता क्या सोचते हैं।”

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सारण सीट से राजीव प्रताप रूडी ने दी लालू के परिवार को करारी शिकस्त,उनकी पत्नी और समधी के बाद बेटी को भी हराने में सफलता हासिल की. https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/saran-seat-to-rajeev-pratap-r/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/saran-seat-to-rajeev-pratap-r/#respond Thu, 06 Jun 2024 10:30:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3470 पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर बिहार की सारण सीट से कामयाबी हासिल कारने में सफल रहे हैं। यह लगातार तीसरी बार है जब उन्होंने इस सीट पर लालू परिवार के सदस्य/रिश्तेदार को शिकस्त दी है। इससे पहले यहां से केवल लालू यादव ही रूडी को हराने में कामयाब …

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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर बिहार की सारण सीट से कामयाबी हासिल कारने में सफल रहे हैं। यह लगातार तीसरी बार है जब उन्होंने इस सीट पर लालू परिवार के सदस्य/रिश्तेदार को शिकस्त दी है। इससे पहले यहां से केवल लालू यादव ही रूडी को हराने में कामयाब हो सके हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाये तो बिहार से बीजेपी को इस बार 12 सीटें मिली हैं, जो को 2019 के मुक़ाबले काफ़ी कम हैं। इस चुनाव में जहां बक्सर, पाटलिपुत्र और आरा जैसी सीटों पर बीजेपी के दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा, वहीं एक सीट ऐसी रही जिस पर लालू परिवार को एक बार फिर शिकस्त का सामना करना पड़ा। हम बात कर रहे हैं सारण लोकसभा सीट की, जहां बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी उम्मीदवार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को 13,661 वोटों से हरा दिया।

सारण सीट पर इस बार जीत का अंतर बेहद कम रहा है, लेकिन पेशे से पायलट रूडी पांचवी बार यहां से संसद पहुंचने में कामयाब रहे। गौर करने वाली बात यह है कि सारण सीट पर रूडी और लालू परिवार/रिश्तेदारों के बीच चार बार मुकाबला हो चुका है और दो बार ही आरजेडी यहां जीत हासिल करने में कामयाब हो सकी है। दोनों मौकों- 2004 और 2009 में लालू प्रसाद यादव ने ही रूडी को शिकस्त दी थी। हालाँकि लालू यादव के अलावा, उनकी पत्नी, समधी और बेटी खुद रूडी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी थी परंतु जीत केवल लालू प्रसाद यादव को ही मिल सकी। इस बार जिस तरह लालू और तेजस्वी यादव ने बहन रोहिणी के लिए जोर लगाया था, उससे लग रहा था कि शायद वे आरजेडी के लिए 2004 या 2009 वाला इतिहास दोहरा देंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

सारण लोकसभा सीट की, जहां बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी उम्मीदवार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को 13,661 वोटों से हरा दिया।

पिछले चार चुनाव की बात करें तो 2009 में ही सारण सीट आरजेडी के खाते में जा पाई थी जब खुद लालू यादव ने राजीव प्रताप रूडी को पटखनी दी थी। लेकिन 2014 आते-आते सियासी समीकरण बदल गए। लालू यादव को चारा घोटाले में अदालत ने दोषी ठहरा दिया और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गई। लालू ने इस सीट से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को चुनाव मैदान में उतार दिया, लेकिन राजीव प्रताप रूडी ने तब राबड़ी देवी को करीब 40,000 से अधिक वोटों से हरा दिया। 2019 में लालू यादव ने एक बार फिर से इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा के साथ जोड़ दिया और अपने समधी चंद्रिका राय को मैदान में उतार दिया। तमाम मेहनत करने के बावजूद भी वे सफल नहीं हो सके और रूडी ने चंद्रिका राय को 1 लाख 38 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया।

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इस बार, यानी 2024 में, जैसे ही सारण सीट से रोहिणी आचार्य के नाम का ऐलान हुआ तो तभी से यह सीट देश की हॉट सीट बन गई। बीजेपी ने एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी को यहां से उतारा। लालू प्रसाद यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक ने रोहिणी के लिए प्रचार और रोड शो किया, लेकिन जब नतीजे आए तो वे आरजेडी के लिए अच्छे नहीं थे। रूडी ने 13,661 वोटों से रोहिणी को हरा दिया। इस तरह रूडी इस सीट से पांचवी बार संसद पहुंचने में कामयाब रहे। इससे पहले उन्होंने 1996, 1999, 2014 और 2019 में जीत दर्ज की थी। वहीं लालू प्रसाद यादव चार बार – 1977, 1989, 2004 और 2009 में यहां से सांसद रह चुके हैं।

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लालू यादव का इस सीट पर वर्चस्व 2004 और 2009 के चुनावों में स्पष्ट रूप से दिखा था जब उन्होंने खुद रूडी को हराया था। 2009 के बाद, लालू यादव के राजनीतिक जीवन में बड़ा झटका तब लगा जब उन्हें चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया और उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग गया। इसके बावजूद, लालू यादव ने 2014 के चुनाव में अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मैदान में उतारा, लेकिन रूडी ने उन्हें हराने में कामयाबी पाई। 2019 के चुनाव में, लालू यादव ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया और अपने समधी चंद्रिका राय को उम्मीदवार बनाया। लेकिन चंद्रिका राय को भी रूडी ने भारी मतों के अंतर से हरा दिया। 2024 में रोहिणी आचार्य के नाम की घोषणा होते ही, यह सीट एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई। लालू परिवार ने इस बार भी पूरी ताकत लगाई, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए।

सारण सीट की इस चुनावी कहानी में राजीव प्रताप रूडी का दबदबा स्पष्ट रूप से नजर आता है। रूडी की पांचवी बार जीत इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। वहीं लालू परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों के लिए यह सीट हमेशा से एक चुनौती बनी रही है। लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक करियर इस सीट से जुड़े कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। 1977 में पहली बार सांसद बने लालू यादव ने 1989 में फिर से जीत हासिल की। 2004 और 2009 में उन्होंने रूडी को हराया, लेकिन 2014 के बाद सियासी समीकरण बदल गए। चारा घोटाले में सजा के बाद उनकी राजनीति में भागीदारी सीमित हो गई और उनके परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारना पड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। रूडी की इस जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सारण सीट पर उनका प्रभाव अडिग है। 2024 के चुनावी परिणामों ने यह दिखाया कि लालू परिवार के लिए यह सीट अभी भी एक कठिन चुनौती बनी हुई है। भाजपा के लिए बिहार की अन्य सीटों पर भले ही परिणाम उम्मीदों के अनुसार न आए हों, लेकिन सारण सीट पर रूडी की जीत ने पार्टी के लिए एक मजबूत संदेश दिया है।

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लालू यादव ने अपने जिगरी दोस्त को आरजेडी में फिर दी जगह, अपने दफ्तर में दिलाई सदस्यता साथ में मनोज झा रहे मौजूद. https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/lalu-yadav-gave-his-best-friend/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/lalu-yadav-gave-his-best-friend/#respond Thu, 09 May 2024 10:22:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3160 रंजन यादव, जो पूर्व में लालू यादव को हराने वाले और बाद में उनके खास दोस्त बन गए, ने एक बार फिर से आरजेडी का दामन थाम लिया है। पूर्व सांसद रंजन यादव को मनोज झा ने एक बार फिर से पार्टी की सदस्यता दिलाई है। रंजन यादव ने 2009 में लालू यादव को पाटलीपुत्र …

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रंजन यादव, जो पूर्व में लालू यादव को हराने वाले और बाद में उनके खास दोस्त बन गए, ने एक बार फिर से आरजेडी का दामन थाम लिया है। पूर्व सांसद रंजन यादव को मनोज झा ने एक बार फिर से पार्टी की सदस्यता दिलाई है। रंजन यादव ने 2009 में लालू यादव को पाटलीपुत्र संसदीय क्षेत्र से हराया था।

पाटलिपुत्र संसदीय सीट से कभी लालू प्रसाद को पटखनी देने वाले जदयू नेता रंजन यादव एक बार फिर राजद में शामिल हो गए। वे आज राजद कार्यालय में आयोजित एक मिलन समारोह में रंजन यादव राजद के साथ जुड़ गए। रंजन यादव किसी दौर में लालू प्रसाद के मित्रों की श्रेणी में शामिल थे। लालू प्रसाद के अधिकांश फैसलों में रंजन यादव उनके साथ रहे। रंजन यादव दो बार राज्यसभा सदस्य भी रहे। दोनों बार जनता दल ने उन्हें यह मौका दिया। पहली बार 1990 से 1996 और इसके बाद 1996 से 2002 तक, लेकिन इसके बाद वे राजद छोड़ जदयू में शामिल हो गए।

इससे पहले रंजन यादव बुधवार को लालू प्रसाद से राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर मुलाकात कर राजद में शामिल होने वाले थे। लेकिन, आदर्श आचार संहिता को देखते हुए कल यह कार्य हो नहीं पाया। मनोज झा ने कहा कि रंजन यादव पुराने समाजवादी हैं। उनके वापस पार्टी में शामिल होने से राजद और मजबूत होगा। जदयू ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। उनका मुकाबला राजद नेता और पुराने मित्र लालू प्रसाद से होना था। इस चुनाव में लालू प्रसाद अपने मित्र रंजन यादव से पराजित रहे। बाद में उनका जदयू से भी मोहभंग हुआ और वे कुछ दिनों के लिए भाजपा में आए।

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इसके पूर्व उन्होंने अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राष्ट्रवादी) भी बनाई, लेकिन समय के साथ वे राजनीति के हाशिये पर चले गए। अब रंजन यादव एक बार फिर राजनीति में वापसी कर ली है। रंजन यादव ने राजनीति में अपना कदम बड़े ही साहसिकी से रखा और लालू यादव के साथ एक बड़ा संघर्ष किया। उनका योगदान राजनीतिक वातावरण में महत्वपूर्ण रहा है और उन्होंने अपने संघर्षों के माध्यम से अपने आत्मविश्वास को साबित किया। रंजन यादव की राजनीतिक यात्रा में कई मोड़ आए और उन्होंने हमेशा नए उतार-चढ़ाव का सामना किया। उन्होंने लालू यादव के साथ मित्रता की शुरुआत की, लेकिन फिर उनके बीच अलगाव हो गया। रंजन यादव का पुनरागमन राजनीति में एक महत्वपूर्ण पल बन सकता है। उनकी वापसी से राजद को नई ऊर्जा मिलेगी और पार्टी को मजबूती मिलेगी।

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रंजन यादव के भविष्य के बारे में कुछ कहना अभी नहीं सम्भव है, लेकिन उनका पुनरागमन राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्हें अपने करियर के नए चरण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है और उनका योगदान राजनीतिक व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण हो सकता है।

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Nitish Kumar: नौकरी को लेकर फिर नीतीश कुमार के दो टूक जवाब। रोहिणी आचार्य और मीसा भारती की उम्मीदवारी पर क्या बोले नीतीश. https://chaupalkhabar.com/2024/04/08/nitish-kumar-about-job-again-nitish-k/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/08/nitish-kumar-about-job-again-nitish-k/#respond Mon, 08 Apr 2024 09:45:50 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2879 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राजद नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दावे पर प्रहार किया, जो युवाओं को नौकरी उपलब्ध कराने का आरोप लगा रहे थे। उन्होंने कहा कि नौकरी के क्षेत्र में उन्होंने काम किया है और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के झूठे दावों को प्रकट किया। नीतीश कुमार ने …

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राजद नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दावे पर प्रहार किया, जो युवाओं को नौकरी उपलब्ध कराने का आरोप लगा रहे थे। उन्होंने कहा कि नौकरी के क्षेत्र में उन्होंने काम किया है और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के झूठे दावों को प्रकट किया। नीतीश कुमार ने कहा, “हमारे सभी कामों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

हम नौकरियों के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जिससे लोगों को रोजगार के अवसर मिलें। तेजस्वी जैसे नेता झूठ-मूठ बोलकर सिर्फ प्रचार कर रहे हैं, जबकि हम नौकरियों के क्षेत्र में वास्तविक काम कर रहे हैं।”उन्होंने आगे कहा, “जब हम आए तो सड़कें खराब थीं, हिंदू-मुस्लिम झगड़े होते थे। हमने इन समस्याओं का समाधान किया और राज्य को शांति और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाया।”मुख्यमंत्री ने लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासन काल का भी जिक्र किया, और पूछा, “माता-पिता के राज में कोई काम हुआ क्या? लोग डर के मारे अपने घरों से नहीं निकलते थे।

हिंदू-मुस्लिम झगड़े रोजगार के अवसरों को क्यों नहीं बढ़ा पाए?”नीतीश कुमार ने उन्हें उनके काम की सूची देते हुए कहा, “हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कों, और सामाजिक विकास के क्षेत्र में काम किया है। आज राज्य में विकास की नई धारा चल रही है और यह हमारे काम का परिणाम है।”उन्हें एक प्रश्न पर जवाब देते हुए कहा गया, “लालू प्रसाद की दो बेटियां चुनाव में हैं, लेकिन उनके उम्मीदवारी से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।

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हम अपने कामों पर ही ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”चुनावी तैयारियों के संबंध में प्रश्न पर नीतीश कुमार ने कहा, “हमारी पूरी तैयारी है और हम हर जगह जाएंगे। हमने समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए काम किया है, और इस बार हम फिर से जनता के विश्वास को जीतेंगे।”

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क्या है? RJD का ‘मिशन 16 Nitish Kumar को झटका देने के लिए Lalu Yadav और Tejashwi का बड़ा गेम प्लान! https://chaupalkhabar.com/2024/01/27/what-is-rjds-mission-16-big-game-plan-of-lalu-yadav-and-tejashwi-to-shock-nitish-kumar/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/27/what-is-rjds-mission-16-big-game-plan-of-lalu-yadav-and-tejashwi-to-shock-nitish-kumar/#respond Sat, 27 Jan 2024 09:15:32 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2223 बिहार में राजनीतिक समीकरण में तेजी आ रही है और विधायकों के बीच चेस की तरह एक नया खेल शुरू हो गया है। आरजेडी, जो पहले से ही चुनावी समर्थन और सत्ता के क्षेत्र में अपनी गिनती में बड़ी भूमिका निभा रही है, अब नीतीश कुमार की सरकार को एक नए दृष्टिकोण से देख रही …

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बिहार में राजनीतिक समीकरण में तेजी आ रही है और विधायकों के बीच चेस की तरह एक नया खेल शुरू हो गया है। आरजेडी, जो पहले से ही चुनावी समर्थन और सत्ता के क्षेत्र में अपनी गिनती में बड़ी भूमिका निभा रही है, अब नीतीश कुमार की सरकार को एक नए दृष्टिकोण से देख रही है।

Why Bihar CM Nitish Kumar can't say no to RJD-JDU merger plans

 

आरजेडी का यह नया खेलप्लान 5 फरवरी से शुरू हो रहे बिहार विधानसभा के बजट सत्र के माध्यम से नीतीश कुमार को बड़ा झटका पहुंचाने पर आधारित है। विधायकों के विश्वास प्रस्ताव लेने के दौरान, आरजेडी ने योजना बनाई है कि उनके समर्थन में होने वाले कुछ विधायकों को वोटिंग के दौरान अनुपस्थित करवाया जाएगा या फिर कम से कम 16 विधायक इस्तीफा देंगे, जिससे विधानसभा की संख्या 243 से घटकर 227 पर आ जाएगी। इससे नीतीश कुमार की सरकार को बहुमत से बाहर करने का मार्ग खुल जाएगा।

 

इस चुनौतीपूर्ण  चरण में, आरजेडी को सावधानी बरतनी होगी क्योंकि नीतीश कुमार की सरकार को गिराने के लिए 122 सीटों की आवश्यकता है और आरजेडी के पास 79 सदस्यों की संख्या है। इसके लिए वह जनता दल यूनाइटेड के 16 विधायकों को इस्तीफा देने के लिए मोबाइल चेस की तरह खेलने की कोशिश करेगी।

 

लालू और तेजस्वी के द्वारा साजगोई से बनाए गए यह खेल क्या सफल होगा, यह निर्दिष्ट होगा जब वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके नेतृत्व में कितने विधायक इस पहले पर्व में समर्थन करने को तैयार हैं। सरकार को गिराने के लिए आरजेडी को नीतीश कुमार की पार्टी के अलावा कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिलकर काम करना होगा, जो बहुमत की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए जरूरी है।

 

How Tejashwi may now eye Bihar CM chair without even needing Nitish - India Today

 

आंकड़ों की चर्चा करते हुए, इस बार के विधानसभा में 243 सदस्य हैं, जिसके लिए बहुमत की जरूरत 122 सीटों की है। लालू यादव की पार्टी राजेडी 79 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, बीजेपी 78 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर है, जबकि जेडीयू 45 सदस्यों के साथ तीसरे नंबर पर है। कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 विधायक हैं, जिनके समर्थन से त्रिकोणीय साझेदारी बनाई जा सकती है।

 

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एनडीए की ओर से, गठबंधन में होने वाली एकमत की स्थिति को देखते हुए आरजेडी को विधायकों को एकत्र करने और उन्हें नीतीश कुमार के खिलाफ मोबाइल चेस में हस्तक्षेप करने के लिए सतर्क रहना होगा। वह यह सुनिश्चित करना चाहेगी कि विधायक अपनी ज़िम्मेदारियों में सहयोग करें और उन्हें राजनीतिक खेल के इस नए चरण में जीत का आनंद लेने का अवसर मिले।

 

 

इस राजनीतिक खेल का परिणाम अभी तक अनिश्चित है, लेकिन आरजेडी का यह नया खेलप्लान बिहार के सियासी मैदान में एक नए रंग भर सकता है। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की दिशा में बढ़ रहे इस कदम का उद्दीपन, नीतीश कुमार को सरकार से हटाने की कड़ी मेहनत का परिणाम हो सकता है। इस नए युद्ध के बारे में हमें देखना होगा कि यह किस प्रकार से खेला जाता है और क्या नतीजा होता है।

 

By Neelam Singh.

 

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