Lok Sabha election - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 03 May 2024 05:47:45 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Lok Sabha election - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 अमेठी और रायबरेली में नामांकन की तैयारी हो गई है पूरी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी नामांकन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए पहुँचे रायबरेली https://chaupalkhabar.com/2024/05/03/amethi-and-rae-bareli-in-name/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/03/amethi-and-rae-bareli-in-name/#respond Fri, 03 May 2024 05:47:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3089 अमेठी और रायबरेली – यह दो नाम न केवल चुनावी मैदानों के बल्कि भारतीय राजनीति के इतिहास में भी गहरे रंग भरे हैं। ये दो सीटें वहां की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, जो न केवल चुनावी मैदानों की होती हैं, बल्कि इसके साथ ही राजनीतिक इतिहास में भी अपनी महत्ता बनाए रखती हैं। …

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अमेठी और रायबरेली – यह दो नाम न केवल चुनावी मैदानों के बल्कि भारतीय राजनीति के इतिहास में भी गहरे रंग भरे हैं। ये दो सीटें वहां की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, जो न केवल चुनावी मैदानों की होती हैं, बल्कि इसके साथ ही राजनीतिक इतिहास में भी अपनी महत्ता बनाए रखती हैं। अमेठी नाम का सम्बंध अनन्य नहीं है। यहां से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी ने चुनावी जंगल में कई बार एक-दूसरे के साथ मुकाबला किया है। इस बार भी स्मृति ईरानी ने फिर से इस सीट के लिए अपनी उम्मीदवारी जताई हैं, जबकि रायबरेली में दूसरी बार बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है।

राहुल गांधी ने 2004 में पहली बार अमेठी से चुनाव जीता था, और उसके बाद वे लगातार तीन बार वहां से संसद सदस्य बने रहे। लेकिन 2019 में स्मृति ईरानी ने उन्हें हराकर एक बड़ा उलटफेर किया था। राहुल गांधी के वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं, जो दूसरे चरण में वोटिंग हो चुकी है। कांग्रेस ने इस बार राहुल गांधी की यूपी में सीट बदल दी है, और उन्हें रायबरेली से मैदान में उतारा गया है। जहां सोनिया गांधी ने पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी।

रायबरेली, जो सोनिया गांधी की राजनीतिक धारा का केंद्र रहा है, अब उनकी संसदीय सीट के रूप में दिखाई नहीं देगा, क्योंकि सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनावों में भाग नहीं लिया है। यह नहीं कहा जा सकता कि राहुल और सोनिया गांधी का अमेठी और रायबरेली से हटना उनकी राजनीतिक पारी का अंत है। राहुल गांधी ने अपनी परंपरागत सीट को छोड़कर वायनाड से चुनाव लड़ा है, जबकि सोनिया गांधी अब राजस्थान से राज्यसभा की सीट पर हैं।

सोनिया गांधी ने 2019 में घोषणा की थी कि वह लोकसभा चुनावों में अपनी उम्र के कारण भाग नहीं लेंगी, और यह उनके लिए अंतिम चुनाव होगा। उनके द्वारा 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अमेठी से चुनाव लड़ा गया था और जीत हासिल की थी। रायबरेली की बात करें, तो यह सीट कांग्रेस के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। यहां सोनिया गांधी ने बड़ी संख्या में वोट प्राप्त किए और उन्हें बार-बार संसद भेजा गया है। इस बार, जब उन्होंने चुनाव में भाग नहीं लिया, तो पार्टी ने अपने किशोरीलाल शर्मा को मैदान में उतारा है।

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यह चुनाव न केवल अमेठी और रायबरेली के लिए ही महत्वपूर्ण है, बल्कि ये दोनों ही सीटें उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दायरे में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन चुनावों के परिणाम न केवल उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदल सकते हैं, बल्कि ये राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। अमेठी और रायबरेली के चुनावी रंगमंच कभी भी सीधा नहीं होता। इन्हें राजनीतिक दायरे के राजनीतिक उत्तरदाताओं की बहुमूल्य धरोहर के रूप में देखा जाता है, जो हमेशा चुनावी लड़ाई में जुटे रहते हैं। इसलिए, यहां के चुनावी परिणाम सिर्फ एक पारंपरिक चुनावी जीत-हार से ज्यादा हैं, बल्कि ये राजनीतिक परिवर्तन का परिचय भी करा सकते हैं।

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वरुण गांधी ने उजागर किया पीलीभीत से टिकट कटने का ‘राज’ ढाई साल पुरानी चिट्ठी से ऐसे जुड़ रहा नाता. https://chaupalkhabar.com/2024/03/28/varun-gandhi-exposed/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/28/varun-gandhi-exposed/#respond Thu, 28 Mar 2024 11:49:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2747 भाजपा नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के नाम एक चिट्ठी लिखी। वह चिट्ठी उनके और पीलीभीत के लोगों के बीच के गहरे संबंध को प्रकट करती है। इस चिट्ठी में वह व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन और आशीर्वाद प्रकट करते हैं, साथ ही पीलीभीत के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े …

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भाजपा नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के नाम एक चिट्ठी लिखी। वह चिट्ठी उनके और पीलीभीत के लोगों के बीच के गहरे संबंध को प्रकट करती है। इस चिट्ठी में वह व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन और आशीर्वाद प्रकट करते हैं, साथ ही पीलीभीत के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े रहने का वादा करते हैं। इस चिट्ठी में वरुण गांधी ने अपने दर्द को भी बयां किया है, जो सियासी गलियारों में बहस का केंद्र बन गया है।

वरुण गांधी ने पीलीभीत के लोगों के लिए लिखी चिट्ठी में भावुक शब्दों में अपना समर्थन जताया है। उन्होंने चिट्ठी में बताया कि क्यों उनका पीलीभीत से टिकट कटा गया है, और इसका संकेत भी इशारों में किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने राजनीतिक मामलों में आम जनता की समस्याओं का ध्यान रखने का संकल्प लिया है। उन्होंने पीलीभीत की जनता को आश्वासन दिया कि वे उनकी समस्याओं को सुनेंगे और उनके लिए समाधान ढूंढेंगे। उन्होंने उन लोगों को साथ खड़ा होने का आश्वासन दिया जो उन्हें समर्थन देते हैं, चाहे फिर उसका कोई भी कीमत हो। इस चिट्ठी में उनका दर्द भी प्रकट होता है जिसे वह इस्तेमाल किया है। वास्तव में, वरुण गांधी ने गुरुवार को लिखी चिट्ठी में जिस “कीमत चुकाने” का उल्लेख किया है, वह ढाई साल पहले प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी से सीधे जुड़ रहा है। 20 नवंबर 2021 को वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उन्होंने प्रधानमंत्री के द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान का स्वागत किया था। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तत्काल निर्णय लेने की मांग की ताकि किसान अपने आंदोलन से वापस लौट सकें।

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वरुण गांधी ने आंदोलन के शहीद किसानों के परिवारों को भी आर्थिक सहायता देने की मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, वरुण गांधी की इस चिट्ठी में वही मांगें शामिल थीं जो विपक्ष के नेता और किसान आंदोलन के समर्थक कर रहे थे। इस चिट्ठी के बाद, न केवल केंद्रीय नेतृत्व बल्कि केंद्र सरकार के साथ भी उनका संघर्ष बढ़ गया। वरुण गांधी ने चिट्ठी के माध्यम से ही केंद्र सरकार पर निशाना साधा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उन्होंने अपने संदेश को पहुंचाया।

उन्होंने कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के ऐलान के बाद एक ट्वीट किया और कहा कि देश के किसानों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखा, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय समय पर लिया गया होता, तो उन 700 किसानों की जान बच सकती थी, जो अपने आंदोलन में बलिदान दे चुके थे।राजनीतिक जानकार टीबी सिंह के अनुसार, वरुण गांधी को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं देने का निर्णय लिया। हालांकि, उसके बाद उन्होंने लोगों की समस्याओं को सुनने और समाधान के लिए काम करना शुरू किया।

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उन्होंने सरकारी क्रय केंद्रों समेत अन्य जगहों पर जाकर किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझा। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के लिए लिखी गई चिट्ठी में अपनी आवाजों को सुनाया है, जो उन्होंने पहले भी उठाई थीं। उन्होंने अंतिम लाइनों में न केवल इन आवाजों को उठाने का वादा किया है, बल्कि कोई भी कीमत चुकाने के लिए भी तैयार हैं। इस चिट्ठी के माध्यम से, उन्हें पीलीभीत में कटे गए टिकट के साथ सीधा नाता जोड़ा जा रहा है।

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