Loksabha Election 2024 - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 26 Jun 2024 07:42:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Loksabha Election 2024 - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ओम बिरला दूसरी बार बने लोकसभा स्पीकर: पहली बार कब आए चर्चा में? जानिए उनके रिकॉर्ड और उपलब्धियां। https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/om-birla-became-lok-for-the-second-time/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/om-birla-became-lok-for-the-second-time/#respond Wed, 26 Jun 2024 07:42:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3738 भाजपा नेता और लोकसभा अध्यक्ष रह चुके ओम बिरला आज यानी बुधवार को लगातार दूसरी बार लोकसभा स्पीकर चुने गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ओम बिरला को उनके आसन तक लेकर गए। इसके साथ ही बिरला दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले नेता बलराम जाखड़, जीएम बालयोगी, और पीए संगमा …

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भाजपा नेता और लोकसभा अध्यक्ष रह चुके ओम बिरला आज यानी बुधवार को लगातार दूसरी बार लोकसभा स्पीकर चुने गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ओम बिरला को उनके आसन तक लेकर गए। इसके साथ ही बिरला दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले नेता बलराम जाखड़, जीएम बालयोगी, और पीए संगमा की सूची में शामिल हो गए। अगर ओम बिरला अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर लेते हैं, तो बलराम जाखड़ के बाद ऐसा करने वाले दूसरे नेता होंगे। दूसरी बार कई नेता लोकसभा अध्यक्ष बने, लेकिन पूरे 5-5 साल के कार्यकाल पूरे नहीं कर पाए। केवल बलराम जाखड़ ने ही 1980 से 1985 और 1985 से 1989 तक अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए।

लोकसभा चुनाव 2024 में ओम बिरला कोटा की संसदीय सीट से सांसद चुने गए हैं। राजस्थान के कोटा शहर में 4 दिसंबर, 1962 को जन्मे ओम बिरला लीक से हटकर काम करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी मां का नाम शकुंतला देवी और पिता का नाम कृष्ण बिरला है। उनकी पत्नी अमिता बिरला पेशे से चिकित्सक हैं। उन्होंने राजस्थान से ही पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद कृषि के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लगे। छात्र राजनीति से संघ और राजनीति में आए तो तीन बार विधायक और तीसरी बार सांसद चुने गए। इसी के साथ कई रिकॉर्ड भी उन्होंने अपने नाम किए। वह लोकसभा स्पीकर बनने वाले राजस्थान के पहले सांसद हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 में ओम बिरला कोटा की संसदीय सीट से सांसद चुने गए हैं। राजस्थान के कोटा शहर में 4 दिसंबर, 1962 को जन्मे ओम बिरला लीक से हटकर काम करने के लिए जाने जाते हैं।

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ओम बिरला राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव थे। इस दौरान उन्होंने गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने 2004 की बाढ़ के दौरान भी पीड़ितों की जमकर मदद की। साल 2006 में ओम बिरला सुर्खियों में उस वक्त आए, जब उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कोटा और बूंदी में आयोजित ‘आजादी के स्वर’ कार्यक्रम में 15 हजार से अधिक अधिकारियों को सम्मानित किया था। 1979 में ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। ओम बिरला कोटा के गुमानपुरा स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। इसके बाद वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में प्रधान सदस्य के तौर पर शामिल हो गए। साल 1987 में बिरला भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्य बने और जल्द ही जिला अध्यक्ष बन गए। चार साल पूरे होने से पहले वह भाजपा युवा मोर्चा के राज्य अध्यक्ष बन गए। इस पद पर उन्होंने महीने से ज्यादा वक्त तक कार्यभार संभाला।

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इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड नई दिल्ली और फिर राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड जयपुर (जून 1992 से जून 1995) तक अध्यक्ष बने रहे। बिरला की इस सफलता का सफर उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है। वह सदैव सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहे और जनता की सेवा में तत्पर रहे। उनके इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए और संसद में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ओम बिरला का दूसरा कार्यकाल लोकसभा अध्यक्ष के रूप में शुरू हो गया है और देश को उनसे अनेक अपेक्षाएं हैं। उनका यह कार्यकाल भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने वाला है। उनके अनुभव और नेतृत्व से संसद को एक नई दिशा मिलेगी और देश के विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहेगा।

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लोकसभा चुनाव में महाअघाड़ी का प्रभावशाली प्रदर्शन, आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी. https://chaupalkhabar.com/2024/06/15/maha-aghad-in-lok-sabha-elections/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/15/maha-aghad-in-lok-sabha-elections/#respond Sat, 15 Jun 2024 11:39:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3596 लोकसभा चुनाव 2024 में महाअघाड़ी दल का प्रदर्शन अत्यंत प्रभावशाली रहा। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने 13 सीटें, शिवसेना (उद्धव गुट) ने 9 सीटें, और एनसीपी (एसपी) ने 7 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की। इसी साल महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, जिसको लेकर महाअघाड़ी दल के प्रमुख नेता सक्रिय हो गए हैं। …

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लोकसभा चुनाव 2024 में महाअघाड़ी दल का प्रदर्शन अत्यंत प्रभावशाली रहा। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने 13 सीटें, शिवसेना (उद्धव गुट) ने 9 सीटें, और एनसीपी (एसपी) ने 7 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की। इसी साल महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, जिसको लेकर महाअघाड़ी दल के प्रमुख नेता सक्रिय हो गए हैं। आगामी चुनावों की रणनीति और लोकसभा चुनाव में मिली सफलता पर चर्चा करने के लिए महाअघाड़ी दल के प्रमुख नेताओं की आज (15 जून) बैठक हुई।

इस महत्वपूर्ण बैठक में शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण जैसे बड़े नेता शामिल हुए। बैठक के दौरान, उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा, “यह (लोकसभा चुनाव) संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई थी। जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पहले यह मोदी सरकार थी और अब यह NDA सरकार बन गई है। अब देखना यह है कि यह सरकार कितने दिन चलती है।” उद्धव ठाकरे के इस बयान ने भाजपा और एनडीए के खिलाफ महाअघाड़ी दल के संघर्ष की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। ठाकरे ने लोकसभा चुनावों में मिली सफलता को संविधान और लोकतंत्र की जीत बताया और आगामी विधानसभा चुनावों में भी इसी जोश के साथ लड़ने का संकल्प व्यक्त किया।

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वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, “जहां भी प्रधानमंत्री का रोड शो और रैली हुई, वहां हमारी जीत हुई। इसलिए मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना अपना कर्तव्य समझता हूं।” शरद पवार के इस बयान ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि महाअघाड़ी की जीत में प्रधानमंत्री की रैलियों का अप्रत्यक्ष रूप से योगदान रहा है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बैठक के दौरान महाराष्ट्र की जनता का धन्यवाद करते हुए कहा, “हम सभी आज महाराष्ट्र की जनता का धन्यवाद करने और सभी के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए एक साथ आए हैं। महाराष्ट्र की जनता ने एमवीए उम्मीदवारों को विजयी बनाया है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पहली बार आज महाराष्ट्र के भारत गठबंधन के नेता मिले हैं।” पृथ्वीराज चव्हाण ने यह भी कहा कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य जनता का धन्यवाद करना है और लोकतंत्र को बचाने के लिए महाअघाड़ी के प्रयासों को जारी रखना है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस तरह से लोगों ने लोकसभा चुनाव में महाअघाड़ी को समर्थन दिया, वैसा ही समर्थन उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा। चव्हाण ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि जिस तरह से लोगों ने लोकसभा चुनाव में हमें वोट दिया, वैसा ही प्यार हमें विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा और अब महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होगा।”

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इस बैठक में महाअघाड़ी दल के नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की और जनता के बीच अपने संदेश को प्रभावी ढंग से पहुंचाने का संकल्प लिया। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने जो विश्वास महाअघाड़ी पर दिखाया है, उसे बनाए रखने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे। इस बैठक से स्पष्ट हो गया कि महाअघाड़ी दल आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है और उन्होंने लोकसभा चुनाव में मिली सफलता को विधानसभा चुनाव में भी दोहराने का संकल्प लिया है। अब देखना यह है कि आगामी चुनावों में महाअघाड़ी दल का प्रदर्शन कैसा रहता है और क्या वे महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन करने में सफल हो पाते हैं।

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पाकिस्तान के बिज़नेसमैन ने जमकर की पीएम मोदी की तारीफ़ कहा भारत ही नहीं, पाकिस्‍तान के लिए भी अच्‍छे हैं। https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/businessmen-of-pakistan/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/businessmen-of-pakistan/#respond Sat, 08 Jun 2024 11:11:53 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3523 लोकसभा चुनाव में NDA को बहुमत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। 9 जून, यानी कल शाम को, शपथ ग्रहण समारोह होगा जिसमें पीएम मोदी के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ लेंगे। नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी बिजनेसमैन …

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लोकसभा चुनाव में NDA को बहुमत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। 9 जून, यानी कल शाम को, शपथ ग्रहण समारोह होगा जिसमें पीएम मोदी के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ लेंगे। नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी बिजनेसमैन साजिद तरार ने खुशी जताई है। उन्होंने हाल ही में एक बयान में भारत के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर सराहना की है। भारत में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से हर कोई परिचित है, लेकिन अब पाकिस्तान-अमेरिकी बिजनेसमैन तरार ने कहा है कि नरेंद्र मोदी का एक बार फिर प्रधानमंत्री बनना न केवल भारत में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्थिरता की गारंटी है। तरार ने मोदी की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की और भारत की स्थिरता बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

तरार ने कहा कि भारत के भविष्य की स्थिरता के लिए मोदी का नेतृत्व आवश्यक है।उन्होंने बताया कि मोदी राजनीतिक उथल-पुथल को रोकने और देश के संविधान को बनाए रखने के लिए एक मजबूत नेता हैं। और उनका नेतृत्व भारत की स्थिरता और भविष्य की संभावनाओं की गारंटी है। मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की बात पर तरार ने कहा कि पाकिस्तान के लोग दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से बधाई संदेश नहीं मिला। तरार ने उम्मीद जताई कि शहबाज शरीफ मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे।

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तरार द्वारा नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि मोदी केवल भारत के लिए बल्कि पाकिस्तान के लिए भी काफी फायदेमंद हैं।और उनका निरंतर नेतृत्व में दोनों देशों के बीच व्यापार और बेहतर संबंधों को बढ़ाने की संभावना है। पाकिस्तान के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं, जिनमें राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट शामिल हैं। तरार का कहना है कि यदि पाकिस्तान को भारत से संबंध अच्छे करने हैं तो उसे चीन के प्रतिनिधि बनने से बचना होगा और नई दिल्ली के साथ संबंधों को मजबूत करने और आंतरिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए पाकिस्तान में मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया।

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तरार ने भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों को सुलझाने और व्यापार को बढ़ाने के लिए कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों से दक्षिण एशिया में स्थिरता आएगी। अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय ने भी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ ने इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बताया, जबकि कुछ ने चिंता जताई। लेकिन साजिद तरार जैसे कारोबारी नेताओं ने मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की और इसे दक्षिण एशिया के लिए फायदेमंद बताया। तरार ने कहा कि भारत के साथ अच्छे संबंधों से पाकिस्तान को आर्थिक लाभ होगा। उन्होंने बताया कि मोदी के पिछले कार्यकाल में भी दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि हुई थी।

तरार ने कहा कि नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी ने अपने पिछले कार्यकालों में देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है और उन्हें विश्वास है कि वह भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे। तरार ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और भारत के साथ सकारात्मक संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने से दोनों को फायदा होगा।

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CWC सदस्यों ने रखा प्रस्ताव, राहुल गांधी को बनाया जाए लोकसभा में विपक्ष का नेता. https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/cwc-members-put-proposal-r/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/cwc-members-put-proposal-r/#respond Sat, 08 Jun 2024 09:47:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3518 कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने शनिवार को महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें भविष्य की रणनीति तय करने के लिए हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों पर विचार-विमर्श किया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य उपस्थित थे, जिनमें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी …

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कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने शनिवार को महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें भविष्य की रणनीति तय करने के लिए हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों पर विचार-विमर्श किया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य उपस्थित थे, जिनमें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल थे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावी रणनीति की रूपरेखा तैयार करना और पार्टी को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा करना था। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य का विश्लेषण किया और पार्टी के प्रदर्शन पर विचार-विमर्श किया। इसके साथ ही, उन्होंने आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की।

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक के दौरान कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में राहुल गांधी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त करने की बात कही गई है। यह प्रस्ताव राहुल गांधी के अनुभव और उनके नेतृत्व क्षमता को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया। सदस्यों का मानना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी। बैठक में उपस्थित सदस्यों ने राहुल गांधी की राजनीतिक दूरदर्शिता और उनकी नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को विपक्ष में मजबूती मिलेगी और वह जनता की समस्याओं को प्रभावी ढंग से उठाने में सक्षम होंगे। राहुल गांधी को पार्टी का नेता नियुक्त करने के इस प्रस्ताव का उद्देश्य पार्टी के भीतर एकता और संगठनात्मक मजबूती को बढ़ावा देना है।

प्रस्ताव में राहुल गांधी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त करने की बात कही गई है। यह प्रस्ताव राहुल गांधी के अनुभव और उनके नेतृत्व क्षमता को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया।

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बैठक के दौरान पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने भी अपने विचार साझा किए और आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी को वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा और जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने कार्यसमिति के सदस्यों से पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों में सक्रिय भागीदारी की अपील की। इस बैठक में पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने विचार प्रकट किए और पार्टी को मजबूत करने के लिए विभिन्न सुझाव दिए। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनने और उनके समाधान के लिए काम करने का आह्वान किया। इसके साथ ही, उन्होंने आगामी चुनावों के लिए रणनीतिक योजनाओं पर जोर दिया और पार्टी के भीतर समर्पण और एकता की भावना को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

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कुल मिलाकर, कांग्रेस कार्यसमिति की इस बैठक में पार्टी के भविष्य की दिशा और रणनीति पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिसमें राहुल गांधी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त करने का प्रस्ताव भी शामिल था। इस निर्णय का उद्देश्य पार्टी को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करना है, ताकि आगामी चुनावों में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सके।

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MP अजय सिंह ने जीतू पटवारी को घेरा, कमल नाथ-दिग्‍विजय पर भी उठाए गये सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/mp-ajay-singh-won-patwari/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/mp-ajay-singh-won-patwari/#respond Sat, 08 Jun 2024 06:43:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3510 मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को हाल के छह महीनों में दो बड़ी हारों का सामना करना पड़ा है, 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जिसका दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था कि लोकसभा चुनावों में पार्टी का राज्य से सफाया हो गया। यह स्थिति तब …

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को हाल के छह महीनों में दो बड़ी हारों का सामना करना पड़ा है, 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जिसका दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था कि लोकसभा चुनावों में पार्टी का राज्य से सफाया हो गया। यह स्थिति तब और भी चौंकाने वाली हो जाती है जब देखा जाए कि भाजपा शासित अन्य राज्यों में कांग्रेस और आईएनडीआई गठबंधन को अपेक्षाकृत बेहतर परिणाम मिले। इस परिप्रेक्ष्य में, मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता अब प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ खुलकर विरोध करने लगे हैं। इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, दिग्विजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी हैं। कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की लीडरशिप में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया। वहीं, पार्टी में नई जान फूंकने के लिए आलाकमान ने जीतू पटवारी को प्रदेश की कमान सौंपी थी, लेकिन उनके कार्यकाल में तीन विधायकों समेत कई बड़े नेता उन पर आरोप लगाकर भाजपा में शामिल हो गए।

कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग जीतू पटवारी, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को हार के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। वहीं, दूसरा वर्ग कांग्रेस आलाकमान से संगठन की समीक्षा की मांग कर रहा है। चुरहट से विधायक और विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ‘राहुल’ ने मीडिया से कहा कि जीतू पटवारी के कार्यकाल की समीक्षा होनी चाहिए कि उनके कार्यकाल में बड़ी संख्या में नेताओं ने पार्टी क्यों छोड़ी। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके दामोदर यादव ने भी जीतू पटवारी पर हार का ठीकरा फोड़ा है।

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अजय सिंह ‘राहुल’ ने सवाल उठाया कि कमल नाथ और दिग्विजय सिंह प्रचार के लिए अपने क्षेत्रों से बाहर क्यों नहीं निकले। उन्होंने मांग की कि पार्टी हाईकमान इस बात की भी समीक्षा करे कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के समर्थन में कौन-कौन दिग्गज कहां-कहां पहुंचे। उन्होंने कमल नाथ और नकुल नाथ का नाम लिए बिना इशारे में कहा कि कुछ लोग भाजपा में जा रहे हैं, नहीं जा रहे हैं, ऐसी अटकलें चलती रहीं और उसका भी असर पड़ा। लोकसभा चुनाव के छिंदवाड़ा में अपने बेटे नकुल नाथ की हार से काफी आहत कमल नाथ ने मीडिया को बताया कि प्रश्न सिर्फ छिंदवाड़ा की हार का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में हार का है। इसका कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम होना चाहिए। उनका इशारा यही है कि प्रदेश में इतनी बड़ी हार की वजह सिर्फ प्रत्याशियों का प्रदर्शन नहीं, बल्कि कुछ और है। वे खुलकर भले ही नहीं बोले पर विधानसभा चुनाव में हार के बाद से वे अलग-थलग हैं।

मध्य प्रदेश की इस हार ने कांग्रेस के भीतर गहरे विवादों को जन्म दिया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं का कहना है कि प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी की कमान संभालने में विफलता प्रदर्शित की है। पार्टी के बड़े नेताओं के बीच समन्वय की कमी, रणनीति की कमजोरियां और आंतरिक कलह ने पार्टी की स्थिति को और बिगाड़ दिया है। कमल नाथ और दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं पर सवाल उठते रहे हैं कि वे अपने प्रभावशाली क्षेत्रों से बाहर क्यों नहीं निकले और पार्टी के लिए प्रचार क्यों नहीं किया। उनके क्षेत्रीय समर्थन में कमी और प्रभावशाली नेतृत्व की अनुपस्थिति ने पार्टी की स्थिति को और खराब कर दिया।

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वहीं, जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फैसले पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। उनके कार्यकाल में कई बड़े नेताओं और विधायकों का पार्टी से अलग होना चिंता का विषय बना हुआ है। दामोदर यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पटवारी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं और इसकी समीक्षा होनी चाहिए कांग्रेस के भीतर यह मतभेद और आरोप-प्रत्यारोप पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी को उजागर करते हैं। पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता मानते हैं कि पार्टी आलाकमान को संगठन की गहन समीक्षा करनी चाहिए और नए सिरे से नेतृत्व की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि पार्टी को भविष्य में इस तरह की हार से बचाया जा सके।

इस स्थिति ने कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है कि वह कैसे अपने संगठन को मजबूत करे, आंतरिक कलह को खत्म करे और प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प पेश कर सके। यह समय कांग्रेस के लिए आत्ममंथन और सुधार का है, ताकि वह आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सके और राज्य में अपनी खोई हुई साख को फिर से हासिल कर सके।

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2024 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस छोड़ने पर क्या कहा अधीर रंजन चौधरी ने आईये जानते है. https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/after-losing-the-2024-lok-sabha-elections/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/after-losing-the-2024-lok-sabha-elections/#respond Fri, 07 Jun 2024 11:19:19 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3498 लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी के नतीजे अपेक्षाकृत बेहतर रहे, लेकिन पार्टी के कई महत्वपूर्ण और कद्दावर नेता अपनी-अपनी सीटें हार गए। इनमें सबसे चर्चित नाम पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का है। अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर सीट से चुनाव हार गए, जहां उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार युसूफ पठान …

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लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी के नतीजे अपेक्षाकृत बेहतर रहे, लेकिन पार्टी के कई महत्वपूर्ण और कद्दावर नेता अपनी-अपनी सीटें हार गए। इनमें सबसे चर्चित नाम पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का है। अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर सीट से चुनाव हार गए, जहां उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार युसूफ पठान ने 85,022 वोटों के अंतर से हराया।

अधीर रंजन चौधरी की हार के बाद उनके पार्टी छोड़ने की अफवाहें भी जोर पकड़ने लगीं। हालांकि, अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को इन अफवाहों पर विराम लगाते हुए एक बड़ा बयान दिया। कांग्रेस नेता ने स्पष्ट किया कि वह नहीं जानते कि अब उनका राजनीतिक भविष्य कैसा होगा, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी छोड़ने की अफवाहें पूरी तरह गलत हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें फोन किया और उन्हें आगामी सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस कार्यसमिति) की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा, “दिल्ली में कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि मैं पार्टी से दूर जा रहा हूँ, लेकिन यह सच नहीं है। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने मुझे फोन कर के समर्थन दिया और मैं कल दिल्ली की बैठक में जा रहा हूँ। अगर कोई मुझसे मिलना चाहता है, तो वह आ सकता है।”

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इससे पहले बहरामपुर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि आने वाला समय उनके लिए बहुत कठिन होगा। उन्होंने कहा, “मैं खुद को बीपीएल (Below Poverty Line) सांसद कहता हूँ। राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और कौशल नहीं है। इसलिए आने वाले दिनों में मेरे लिए मुश्किलें खड़ी होंगी।”अधीर रंजन चौधरी की इस हार को कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। चौधरी ने बहरामपुर सीट पर लंबे समय तक कब्जा बनाए रखा था और वे इस क्षेत्र में एक मजबूत जनाधार रखते थे। उनकी हार के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें से प्रमुख है तृणमूल कांग्रेस का बढ़ता प्रभाव और मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताएँ।

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कौशांबी में भाजपा को ध्वस्त करने वाले पुष्पेंद्र सरोज ने राजा भैया से मुलाकात की,कुंडा जाकर किया धन्यवाद. https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/bjps-destruction-in-kaushambi/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/bjps-destruction-in-kaushambi/#respond Fri, 07 Jun 2024 06:16:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3477 उत्तर प्रदेश के कुंडा से हाल ही में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। इस तस्वीर में बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और समाजवादी पार्टी के नवनिर्वाचित सांसद पुष्पेंद्र सरोज साथ नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद …

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उत्तर प्रदेश के कुंडा से हाल ही में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। इस तस्वीर में बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और समाजवादी पार्टी के नवनिर्वाचित सांसद पुष्पेंद्र सरोज साथ नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद की यह मुलाकात न केवल चर्चा का विषय बनी हुई है, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी गहरे हैं। पुष्पेंद्र सरोज, जिन्होंने इस बार कौशांबी लोकसभा सीट से चुनाव जीता है, राजा भैया से मिलने कुंडा के बेंती महल आए थे। यह मुलाकात केवल शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक समीकरण भी काम कर रहे थे। कहा जा रहा है कि राजा भैया के समर्थक सपा के साथ थे, इसलिए पुष्पेंद्र उन्हें धन्यवाद देने आए थे।

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राजा भैया और पुष्पेंद्र सरोज के बीच करीब आधे घंटे तक गुफ्तगू हुई। इस मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। जनसत्ता दल के सोशल मीडिया पेज से इस फोटो को शेयर किया गया है। इसके कैप्शन में लिखा है- “आज राजभवन बेंती (कुंडा) में जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय राजा भैया से शिष्टाचार भेंट करने पहुंचे कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के नवनिर्वाचित सांसद पुष्पेंद्र सरोज।” लोकसभा चुनाव के दौरान गृह मंत्री अमित शाह से राजा भैया की मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में शाह ने राजा भैया से बीजेपी का समर्थन करने का अनुरोध किया था। इसके बाद राजा भैया ने अपने समर्थकों के साथ बैठक की थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि हम किसी को समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन मेरे समर्थक जिसका चाहें समर्थन कर सकते हैं। हालांकि, इसके बाद राजा भैया के ज्यादातर समर्थक सपा उम्मीदवार के साथ नजर आए थे। उन्होंने सपा के कौशांबी और प्रतापगढ़ प्रत्याशी के लिए समर्थन जुटाया था। जनसत्ता दल के कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव की रैली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इन घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया कि राजा भैया के समर्थकों का रुझान सपा की ओर था। 4 जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में पुष्पेंद्र सरोज ने बीजेपी के दो बार के सांसद विनोद सोनकर को डेढ़ लाख से अधिक वोटों से हराया। 25 साल के सरोज इस बार सबसे कम उम्र के सांसद बने हैं। उनकी इस जीत ने सियासी पंडितों को चौंका दिया है। यह जीत न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सपा के लिए भी एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

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राजा भैया की भूमिका इस चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने सीधे तौर पर किसी का समर्थन नहीं किया, लेकिन उनके समर्थकों ने सपा के लिए माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस मुलाकात के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या आने वाले समय में राजा भैया और सपा के बीच कोई नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है? राजा भैया और पुष्पेंद्र सरोज की मुलाकात की चर्चा सियासी गलियारों में जोरों पर है। यह मुलाकात केवल शिष्टाचार भेंट नहीं मानी जा रही, बल्कि इसके पीछे गहरे राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात आने वाले चुनावों के लिए एक संकेत हो सकती है। सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की फोटो तेजी से वायरल हो रही है। जनसत्ता दल और सपा के समर्थक इस फोटो को अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं। कुछ लोग इसे सियासी गठजोड़ की शुरुआत मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे केवल एक शिष्टाचार भेंट के रूप में देख रहे हैं। यह मुलाकात और इसके बाद की चर्चाएं आने वाले समय में राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करेंगी, यह देखने वाली बात होगी। राजा भैया और पुष्पेंद्र सरोज के बीच की यह मुलाकात सपा और जनसत्ता दल के बीच एक नए समीकरण का संकेत हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है। कुंडा की यह तस्वीर और इसके पीछे की राजनीतिक घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बदलाव की लहरें चल रही हैं। राजा भैया और पुष्पेंद्र सरोज की मुलाकात आने वाले समय में क्या रंग लाए।

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हरियाणा में सियासी हलचल तेज़ी पर, CM सैनी और खट्टर से मिले चंडीगढ़ में JJP के विधायक https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/haryana-in-political-stir-t/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/haryana-in-political-stir-t/#respond Thu, 06 Jun 2024 06:47:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3453 हरियाणा में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। राज्य सरकार वर्तमान में अल्पमत में है, लेकिन सरकार गिरने का कोई स्पष्ट खतरा नहीं है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दो असंतुष्ट विधायकों से मुलाकात …

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हरियाणा में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। राज्य सरकार वर्तमान में अल्पमत में है, लेकिन सरकार गिरने का कोई स्पष्ट खतरा नहीं है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दो असंतुष्ट विधायकों से मुलाकात की है। जेजेपी के ये विधायक हैं जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। हरियाणा में बीजेपी को 2019 में मिली 10 सीटों की तुलना में इस बार केवल 5 सीटें ही मिली हैं। इसके साथ ही, तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद राज्य में बीजेपी की सरकार अल्पमत में आ गई है।

बीजेपी ने 47 विधायकों के समर्थन का दावा किया है, जबकि वास्तविकता में उनके पास 40 विधायक हैं। राज्य की मौजूदा विधानसभा में कुल 88 सदस्य हैं और बहुमत का आंकड़ा 45 है। सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है, जिसमें एक एचएलपी और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इससे स्पष्ट है कि बीजेपी को बहुमत के लिए दो विधायकों की कमी है। बीजेपी इस सियासी संकट से उबरने के लिए जेजेपी के कुछ विधायकों को साधने में जुटी है। जेजेपी के दस विधायकों में से पांच असंतुष्ट गुट के हैं, जो हाल ही में बीजेपी के संपर्क में आए हैं। इन विधायकों में राम कुमार गौतम, जोगी राम सिहाग, ईश्वर सिंह, देवेंद्र सिंह बबली और राम निवास सुरजाखेड़ा शामिल हैं। जेजेपी मुखिया दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली में जब अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी, तो इनमें से पांच विधायक नहीं पहुंचे थे। इसके बाद से कहा जा रहा है कि ये पांचों विधायक बीजेपी के साथ मिल गए हैं।

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लोकसभा चुनाव के दौरान पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान और नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदल ने हरियाणा की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया था। इस ऐलान के बाद ये तीनों विधायक रोहतक पहुंचे थे और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया। हरियाणा विधानसभा में वर्तमान स्थिति को देखते हुए, सदन में बीजेपी के 40, कांग्रेस के 30 और जेजेपी के 10 विधायक हैं। जेजेपी ने मार्च में गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बावजूद, हाल के दिनों में जेजेपी के कुछ विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का संकेत दिया था।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि सरकार पर कोई संकट नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि 13 मार्च को ही उन्होंने बहुमत साबित किया था और नियम के अनुसार, इसके छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है। इसका मतलब है कि 13 सितंबर तक कोई भी विश्वास मत परीक्षण का प्रस्ताव नहीं ला सकता है। बीजेपी ने जेजेपी के असंतुष्ट विधायकों से मुलाकात करके अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है। हरियाणा की मौजूदा राजनीति में जेजेपी का समर्थन बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। यदि जेजेपी के असंतुष्ट विधायक बीजेपी का समर्थन करते हैं, तो सरकार बहुमत हासिल कर सकती है।

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जेजेपी के असंतुष्ट गुट में पांच विधायक हैं, और यदि ये सभी बीजेपी के समर्थन में आ जाते हैं, तो बीजेपी के पास कुल 45 विधायकों का समर्थन होगा, जो बहुमत के लिए पर्याप्त है। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी की सरकार अल्पमत में आ गई है, लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जेजेपी के असंतुष्ट विधायकों से मुलाकात करके स्थिति को संभालने की कोशिश की है।

इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि जेजेपी के असंतुष्ट विधायक किस दिशा में जाते हैं और हरियाणा की राजनीति का अगला अध्याय किस प्रकार लिखा जाएगा। बीजेपी ने भले ही 47 विधायकों के समर्थन का दावा किया हो, लेकिन वास्तविकता में उनके पास 40 विधायक हैं और उन्हें बहुमत के लिए अभी भी दो विधायकों की आवश्यकता है। जेजेपी के असंतुष्ट विधायकों का समर्थन इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।हरियाणा की राजनीति में यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में और भी दिलचस्प मोड़ ले सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले की यह सियासी हलचल राज्य की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है।

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बीजेपी को गाजीपुर से लगा बड़ा झटका, मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल की जीत. https://chaupalkhabar.com/2024/06/04/bjp-is-facing-trouble-from-ghazipur/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/04/bjp-is-facing-trouble-from-ghazipur/#respond Tue, 04 Jun 2024 12:28:38 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3443 हॉट सीट गाजीपुर से आइएनडीआइए गठबंधन के सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने 124266 वोटों से जीत दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी पारस नाथ राय को हार का सामना करना पड़ा। यह उनकी 11वीं चुनावी चुनौती थी, जिसमें वह सफल नहीं हो सके। अफजाल अंसारी अब तक पांच बार विधायक रह चुके हैं और तीसरी बार …

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हॉट सीट गाजीपुर से आइएनडीआइए गठबंधन के सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने 124266 वोटों से जीत दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी पारस नाथ राय को हार का सामना करना पड़ा। यह उनकी 11वीं चुनावी चुनौती थी, जिसमें वह सफल नहीं हो सके। अफजाल अंसारी अब तक पांच बार विधायक रह चुके हैं और तीसरी बार संसद में प्रवेश करने जा रहे हैं। इस चुनाव में प्रदेश सरकार द्वारा माफिया स्व. मुख्तार अंसारी के खिलाफ की गई ‘बुलडोजर बाबा’ की कार्रवाई जनपद के मतदाताओं को पसंद नहीं आई और न ही विकास व केंद्र सरकार की योजनाएं भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकीं। आइएनडीआइए का संविधान खतरे का मुद्दा इस जीत में काफी प्रभावी साबित हुआ। अफजाल अंसारी 40 वर्षों में लगातार दूसरी बार सांसद बनने वाले तीसरे नेता बन गए हैं। गाजीपुर संसदीय सीट पर कुल 20,74,883 मतदाताओं में से 11,51,145 (55.48 प्रतिशत) ने मतदान किया था। मतगणना मंगलवार को मंडी समिति जंगीपुर परिसर में सुबह आठ बजे से शुरू हुई और 33 राउंड में पूरी हुई। सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में 14-14 टेबल बनाए गए थे।

24 राउंड की मतगणना के बाद सपा के अफजाल अंसारी को 4,49,141 वोट मिले, जबकि भाजपा के पारस नाथ राय को 3,41,931 वोट और बसपा के डॉ. उमेश कुमार सिंह को 1,37,305 वोट प्राप्त हुए। पहले राउंड में ही भाजपा प्रत्याशी 328 वोटों से आगे थे, लेकिन इसके बाद अफजाल अंसारी ने बढ़त बनाई और अंत तक उसे बनाए रखा। अफजाल अंसारी ने 2019 के चुनाव में भी मनोज सिन्हा को 1,19,392 वोटों से हराया था। इस बार की जीत का अंतर उस आंकड़े को भी पार कर गया है। इतनी बड़ी जीत के पीछे आइएनडीआइए का संविधान खतरे का मुद्दा अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग में गहरी पैठ बना गया। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन सभाएं कीं, जिसमें उन्होंने माफिया के परिवार पर निशाना साधा। इसके बावजूद भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। बसपा प्रत्याशी को भी पार्टी के आधार वोट बैंक का भरोसा नहीं मिला, जिसके कारण उनका अधिकांश वोट सपा को मिल गया।

इस चुनाव में गाजीपुर के मतदाताओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि विकास और केंद्र सरकार की योजनाओं से अधिक उन्हें अपने संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा की चिंता है। अफजाल अंसारी ने इसे भुनाया और एक बड़ी जीत हासिल की। इसके अलावा, बुलडोजर बाबा की कार्रवाई से नाखुश मतदाताओं ने भाजपा को नकार दिया। चुनाव प्रचार के दौरान अफजाल अंसारी ने अपने क्षेत्र के विकास और संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने अपनी चुनावी रैलियों में कहा कि वह जनता की आवाज संसद में उठाएंगे और उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे। इसने उन्हें अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग का समर्थन दिलाया, जो इस चुनाव में निर्णायक साबित हुआ।

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गाजीपुर की यह जीत सिर्फ सपा और अफजाल अंसारी के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि आइएनडीआइए गठबंधन के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। यह जीत दर्शाती है कि अगर सही मुद्दों को उठाया जाए और जनता के साथ सही संवाद स्थापित किया जाए तो चुनावी परिणाम भी अनुकूल हो सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी पारस नाथ राय की हार इस बात का संकेत है कि सिर्फ विकास और योजनाएं ही चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। मतदाताओं की भावनाएं और उनकी चिंता भी महत्वपूर्ण हैं। इस चुनाव ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब जनता अपने संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए चिंतित होती है, तो वे उसे प्राथमिकता देते हैं।

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इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी डॉ. उमेश कुमार सिंह का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। पार्टी का आधार वोट बैंक सपा के पक्ष में चला गया, जो बसपा के लिए एक बड़ा झटका है। इस परिणाम से स्पष्ट है कि बसपा को अपने रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। मंडी समिति जंगीपुर परिसर में हुई मतगणना में अफजाल अंसारी की जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर जनता के मुद्दों को सही तरीके से उठाया जाए तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं है। 33 राउंड की मतगणना में उन्होंने लगातार बढ़त बनाए रखी और अंततः जीत दर्ज की। अफजाल अंसारी की इस जीत से गाजीपुर की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी और उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे।

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लोकसभा इलेक्शन 2024 NDA के स्मृति ईरानी गिरिराज सिंह और चल रहे हैं पीछे देखे लिस्ट .. https://chaupalkhabar.com/2024/06/04/lok-sabha-election-2024-nda-k-smriti/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/04/lok-sabha-election-2024-nda-k-smriti/#respond Tue, 04 Jun 2024 06:04:00 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3431 लोकसभा चुनाव 2024 के प्रारंभिक रुझानों ने भारतीय राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी कैबिनेट के कई प्रमुख मंत्री भी चुनावी मैदान में हैं। वाराणसी से चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में दर्जनों सभाएं और रैलियां कर चुनावी माहौल गर्मा दिया था। …

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लोकसभा चुनाव 2024 के प्रारंभिक रुझानों ने भारतीय राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी कैबिनेट के कई प्रमुख मंत्री भी चुनावी मैदान में हैं। वाराणसी से चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में दर्जनों सभाएं और रैलियां कर चुनावी माहौल गर्मा दिया था। उनके साथ सरकार के अन्य कई दिग्गज नेता भी विभिन्न सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। शुरुआती रुझानों में कई केंद्रीय मंत्री पीछे चल रहे हैं, जो उनके समर्थकों के लिए एक चिंता का विषय है। बिहार के बेगूसराय से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पीछे चल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट, जो कि भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण गढ़ मानी जाती है, से स्मृति ईरानी भी पीछे चल रही हैं। स्मृति ईरानी ने 2019 में इस सीट से राहुल गांधी को हराकर सबको चौंका दिया था, लेकिन इस बार के चुनाव में उनका मुकाबला कांग्रेस के नए उम्मीदवार से है, जो अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। स्मृति ईरानी ने अपने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन शुरुआती रुझानों में उनकी स्थिति कमजोर दिख रही है महाराष्ट्र की मुंबई उत्तर सीट से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल शुरुआती रुझानों में आगे चल रहे हैं। पीयूष गोयल, जो राज्यसभा सदस्य हैं, ने इस बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई है। उनके मजबूत संगठन और क्षेत्र में विकास कार्यों का लाभ उन्हें मिलता दिख रहा है। गोयल की छवि एक सुलझे हुए और मेहनती मंत्री की है, जो उनके पक्ष में जा रही है।

मोदी कैबिनेट के ‘टेक्नोक्रैट’ कहे जाने वाले राजीव चंद्रशेखर इस बार केरल की तिरुवनन्तपुरम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन शुरुआती रुझानों में वे पीछे चल रहे हैं। केरल की राजनीति में भाजपा का पैर जमाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है, और इस बार भी राजीव चंद्रशेखर को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उनके विरोधी उम्मीदवार, जो कांग्रेस से हैं, क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। देश की हॉट सीटों पर नजर डालें तो वाराणसी से पीएम मोदी अब आगे चल रहे हैं। वाराणसी की सीट हमेशा से ही मोदी के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है, और इस बार भी वे वहां से जीत की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और वाराणसी में किए गए विकास कार्यों का लाभ उन्हें मिलता दिख रहा है।

महाराष्ट्र की नागपुर सीट से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी आगे चल रहे हैं। गडकरी, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी छवि एक सफल और सक्षम मंत्री की है, उनको नागपुर के मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने अपने क्षेत्र में सड़क और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया है, जो उनके पक्ष में काम कर रहा है हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर सीट से अनुराग ठाकुर भी आगे चल रहे हैं। अनुराग ठाकुर, जो कि एक युवा और ऊर्जावान नेता माने जाते हैं, को क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का लाभ मिल रहा है। उन्होंने खेल और युवा मामलों में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिससे उन्हें युवाओं का समर्थन मिल रहा है।

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अमेठी से स्मृति ईरानी के पीछे चलने की खबर भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हो सकती है, क्योंकि यह सीट हमेशा से प्रतिष्ठा की रही है। स्मृति ईरानी ने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों पर जोर दिया था, लेकिन शायद यह मतदाताओं को प्रभावित करने में पर्याप्त नहीं हो पाया है। वहीं, राजीव चंद्रशेखर का तिरुवनन्तपुरम से पीछे चलना भी भाजपा के लिए केरल में पैर जमाने की चुनौती को और बढ़ा रहा है। इसके विपरीत, पीयूष गोयल और नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ मंत्री अपने क्षेत्रों में आगे चल रहे हैं, जो भाजपा के लिए राहत की खबर है। ये नेता अपने-अपने क्षेत्रों में विकास और संगठनात्मक मजबूती के लिए जाने जाते हैं, और इनकी जीत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण होगी।

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गिरिराज सिंह का बेगूसराय से पीछे चलना भी चौंकाने वाला है, क्योंकि वे एक वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता हैं।  गिरिराज सिंह ने अपने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन शुरुआती रुझान उनके पक्ष में नहीं हैं। कुल मिलाकर, लोकसभा चुनाव 2024 के शुरुआती रुझान भारतीय राजनीति में कई नई दिशाएं दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट के कई मंत्री इस बार चुनावी मैदान में थे, और उनके प्रदर्शन पर पूरे देश की नजरें हैं। शुरुआती रुझानों में जहां कुछ मंत्रियों को सफलता मिलती दिख रही है, वहीं कुछ को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतिम नतीजे क्या मोड़ लेते हैं और भारतीय राजनीति के भविष्य की दिशा क्या होगी।

 

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