Loksabha Election - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 26 Jun 2024 10:49:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Loksabha Election - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 शपथग्रहण के बाद अरुण गोविल ने ‘बेईमानी से जीते…’ कहा, तो सपा सांसदों ने ‘जय अवधेश’ के नारे लगाए। https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/after-swearing-in-arun-govi/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/after-swearing-in-arun-govi/#respond Wed, 26 Jun 2024 10:49:00 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3748 भाजपा सांसद अरुण गोविल ने संस्कृत में सांसद पद की शपथ ली और उसके बाद जय श्री राम के नारे लगाए। शपथ के बाद जब वे वापस लौटने लगे तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने जय अवधेश के नारे लगाने शुरू कर दिए। हालांकि, अरुण गोविल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे पहले …

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भाजपा सांसद अरुण गोविल ने संस्कृत में सांसद पद की शपथ ली और उसके बाद जय श्री राम के नारे लगाए। शपथ के बाद जब वे वापस लौटने लगे तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने जय अवधेश के नारे लगाने शुरू कर दिए। हालांकि, अरुण गोविल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे पहले सपा सांसदों ने अरुण गोविल के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि उन्होंने बेईमानी से जीत हासिल की है लोकसभा चुनाव में मेरठ संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज करने के बाद भाजपा सांसद अरुण गोविल ने नई दिल्ली स्थित संसद भवन में शपथ ली। उन्होंने सांसद पद की शपथ संस्कृत भाषा में ली और शपथग्रहण के बाद जय श्री राम के नारे भी लगाए।

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जब भाजपा सांसद अरुण गोविल शपथ लेने के लिए आगे बढ़े, तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने उन पर कटाक्ष किया और कहा, “बेईमानी से जीते-बेईमानी से जीते।” अरुण गोविल ने इन टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और शपथ के लिए आगे बढ़ गए। संस्कृत में शपथ लेने के बाद भाजपा सांसद ने जय श्री राम के नारे लगाए, जिस पर सपा सांसदों ने एक बार फिर कटाक्ष करते हुए ‘जय अवधेश-जय अवधेश’ के नारे लगाए। इस दौरान समाजवादी पार्टी के फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद अवधेश प्रसाद ने खड़े होकर सांसदों का अभिवादन किया। अरुण गोविल, जिन्होंने रामानंद सागर के टीवी धारावाहिक ‘रामायण’ में भगवान राम की भूमिका निभाई थी, ने अपने राजनीतिक करियर में इस तरह की प्रतिक्रियाओं का सामना किया।

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संसद भवन में इस प्रकार के घटनाक्रम ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया। एक तरफ जहां भाजपा समर्थक अरुण गोविल के संस्कृत में शपथ लेने और जय श्री राम के नारे लगाने को उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा के रूप में देख रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सपा सांसद इस पर कटाक्ष कर रहे थे और इसे राजनीतिक अवसरवादिता के रूप में देख रहे थे। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, “यह 18वीं लोकसभा लोकतंत्र का विश्व का सबसे बड़ा उत्सव है। अन्य चुनौतियों के बावजूद 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने पूरे उत्साह के साथ चुनाव में भाग लिया। मैं सदन की ओर से उनका और देश की जनता का आभार व्यक्त करता हूं।”

ओम बिरला ने आगे कहा, “लोकसभा में विभिन्न विचारधाराओं और क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का स्वागत है। हमें आपसी सहमति और संवाद के माध्यम से देश के विकास में योगदान देना है।” अरुण गोविल की जीत और उनके शपथग्रहण का यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों के उपयोग पर एक नई बहस छेड़ गया है। समर्थकों का कहना है कि यह उनकी व्यक्तिगत आस्थाओं और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है, जबकि आलोचकों का मानना है कि इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर विरोधाभास ने संसद में एक नया विवाद उत्पन्न किया है। भविष्य में इस प्रकार के घटनाक्रमों का राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना बाकी है। लेकिन एक बात साफ है कि अरुण गोविल की संस्कृत में शपथ और जय श्री राम के नारे भारतीय राजनीति में एक नई दिशा और दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहे हैं।

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सुभासपा अपना चुनाव चिह्न छड़ी बदलना चाहती है, पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने नेताओं से राय मांगी. https://chaupalkhabar.com/2024/06/17/subhaspa-own-election-symbol/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/17/subhaspa-own-election-symbol/#respond Mon, 17 Jun 2024 08:21:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3606 सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अपने चुनाव चिह्न ‘छड़ी’ को बदलने का निर्णय लिया है। पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने इस विषय में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय मांगी है। चुनाव चिह्न बदलने के पीछे मुख्य वजह इस बार घोसी में मूलनिवासी समाज पार्टी को मिला चुनाव चिह्न ‘हॉकी’ है, जो …

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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अपने चुनाव चिह्न ‘छड़ी’ को बदलने का निर्णय लिया है। पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने इस विषय में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय मांगी है। चुनाव चिह्न बदलने के पीछे मुख्य वजह इस बार घोसी में मूलनिवासी समाज पार्टी को मिला चुनाव चिह्न ‘हॉकी’ है, जो सुभासपा के चिह्न ‘छड़ी’ से काफी मिलता-जुलता था। पार्टी का मानना है कि इसके कारण उसके समर्थक भ्रमित हो गए। घोसी लोकसभा सीट पर चुनाव के दौरान, एनडीए की सहयोगी सुभासपा को यह सीट आवंटित की गई थी। ओम प्रकाश राजभर ने अपने बेटे अरविंद राजभर को इस सीट से प्रत्याशी बनाया था। उनके चुनाव निशान ‘छड़ी’ को ईवीएम में ऊपर से तीसरे नंबर पर रखा गया था। वहीं, मूलनिवासी समाज पार्टी की प्रत्याशी लीलावती राजभर को चुनाव आयोग द्वारा ‘हॉकी’ चुनाव चिह्न आवंटित किया गया, जो ईवीएम में नीचे से तीसरे नंबर पर था। इस चुनाव में लीलावती को 47,527 वोट मिले थे।

सुभासपा के प्रवक्ता अरुण राजभर का मानना है कि पार्टी के वोटरों ने भ्रम में लीलावती को वोट दे दिया। सुभासपा ने अपने मतदाताओं को बताया था कि उनका चुनाव निशान ईवीएम में ऊपर से तीसरे नंबर पर ‘छड़ी’ है। लेकिन ‘छड़ी’ और ‘हॉकी’ के मिलते-जुलते चुनाव चिह्न के कारण सुभासपा के मतदाता गलती से ‘हॉकी’ का बटन दबा आए। इस ग़लतफ़हमी के कारण सुभासपा को काफी नुकसान हुआ। अरुण राजभर ने कहा कि पार्टी जल्द ही चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आग्रह करेगी कि ‘हॉकी’ चुनाव चिह्न किसी अन्य पार्टी को आवंटित न किया जाए। यदि यह संभव न हुआ तो पार्टी अपना चुनाव चिह्न बदलवाने पर विचार करेगी। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से इस विषय पर राय ली जा रही है और सभी की सहमति से ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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सुभासपा का मानना है कि चुनाव चिह्न का भ्रम उनके पक्ष में वोटों को कम कर सकता है। इसलिए, पार्टी इस बात को लेकर गंभीर है कि आगे ऐसे किसी भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। चुनाव चिह्न बदलने की प्रक्रिया के दौरान पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि नया चुनाव चिह्न ऐसा हो जो आसानी से पहचाना जा सके और किसी अन्य चिह्न से न मिलता-जुलता हो। इसके अलावा, पार्टी अपने मतदाताओं के बीच जागरूकता फैलाने के लिए भी कदम उठाएगी ताकि भविष्य में कोई भ्रम की स्थिति न हो।

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चुनाव आयोग से संपर्क के बाद, यदि ‘हॉकी’ चुनाव चिह्न किसी अन्य पार्टी को नहीं दिया गया तो सुभासपा अपने मौजूदा चुनाव चिह्न ‘छड़ी’ को ही बनाए रखेगी। अन्यथा, नया चुनाव चिह्न तय किया जाएगा जो पार्टी के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप हो। सुभासपा के इस निर्णय का उद्देश्य अपने मतदाताओं को स्पष्ट संदेश देना और भविष्य में किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति से बचना है। पार्टी का कहना है कि वह अपने समर्थकों के हित में हर संभव कदम उठाएगी ताकि उनके वोट सही दिशा में जाएं और पार्टी को अधिक से अधिक समर्थन मिल सके।

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NDA की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर फाइनल मुहर, विपक्ष पर साधा निशाना कहा “ना हारे थे ना हारे है”…. https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/lok-sabha-elections-2024-nda-meeting/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/lok-sabha-elections-2024-nda-meeting/#respond Fri, 07 Jun 2024 09:12:24 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3488 लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा पूर्ण बहुमत से चूक गई, लेकिन एनडीए ने 293 सीटें हासिल करके 272 सीटों (बहुमत) का आंकड़ा प्राप्त कर लिया। इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। इसके पहले …

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लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा पूर्ण बहुमत से चूक गई, लेकिन एनडीए ने 293 सीटें हासिल करके 272 सीटों (बहुमत) का आंकड़ा प्राप्त कर लिया। इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। इसके पहले एनडीए की एक बैठक बुलाई गई है जिसमें सभी दलों के शीर्ष नेता, मुख्यमंत्री, और सांसद भाग लेंगे। इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। 9 जून को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। जनसेना प्रमुख पवन कल्याण ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, कोई भी भारत की ओर आंख उठाकर नहीं देख सकता।

सविंधान सदन (पुरानी संसद) के सेंट्रल हॉल में एनडीए के संसदीय दल की बैठक शुरू हो चुकी है। एनडीए के सहयोगी दलों के पार्टी प्रमुखों का स्वागत किया जा रहा है। इस बैठक में नरेंद्र मोदी ,अमित शाह, जेपी नड्डा, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू उपस्थित थे इसके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवनिर्वाचित सांसदों का स्वागत किया और पार्टी कार्यकर्ताओं के परिश्रम पर बात करते हुए उनको ध्यानवाद दिया। उन्होंने एनडीए को तीसरी बार बहुमत मिलने पर सहयोगियों का धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “न हम हारे थे, न हारें हैं; हम विजय को पचाना जानते हैं।” उन्होंने कहा कि पहले भी (2014 में) एनडीए था, कल (2019 में) भी एनडीए था और आज (2024 में) भी एनडीए है। दस साल बाद भी कांग्रेस 100 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाई। पीएम मोदी ने ईवीएम पर उठाए गए सवालों को लेकर विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने 4 जून को परिणाम वाले दिन का एक वाकया साझा करते हुए कहा कि ईवीएम जिंदा है या मर गया। उन्होंने कहा कि शाम होते-होते ईवीएम पर सवाल उठाने वाले विपक्षियों के मुंह पर ताला लग गया। ये लोग ईवीएम के खिलाफ झूठ का षड्यंत्र लेकर बैठे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NDA को तीसरी बार बहुमत मिलने पर सहयोगियों का धन्यवाद दिया और कहा, “न हम हारे थे, न हारें हैं; हम विजय को पचाना जानते हैं।”

मोदी बोले- “किसी पार्टी का सांसद हो, मेरे लिए सभी समान होंगे।” उन्होंने कहा कि विकसित भारत के अपने सपने को साकार करके रहेंगे। मोदी ने दक्षिण के राज्यों में एनडीए को मिली बढ़त का जिक्र किया, विशेष रूप से केरल का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां हमारी विचारधारा को लेकर हमारे कार्यकर्ताओं पर जुल्म किया गया। इतना तो जम्मू-कश्मीर में भी नहीं हुआ था। आज पहली बार केरल से हमारा प्रतिनिधि सदन में होगा। इस दौरान उन्होंने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बड़ी जीत पर भी बयान दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “एनडीए ने 30 साल के समय में 5 साल के 3 कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण रूप से पूरे किए हैं। अब यह अपने चौथे कार्यकाल में प्रवेश करने जा रहा है। इस दौरान उन्होंने दिवंगत पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, शरद यादव, जॉर्ज फर्नांडीज जैसे नेताओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जो बीज उन्होंने बोया था, उसे जनता ने अपने विश्वास से सींचकर विशाल वटवृक्ष बना दिया है।

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जनसेना प्रमुख पवन कल्याण ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।  जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, कोई भी भारत की ओर आंख उठाकर नहीं देख सकता। एनडीए के सहयोगी दलों के पार्टी प्रमुखों का स्वागत किया जा रहा है। मीटिंग में अमित शाह, जेपी नड्डा, नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, और नरेंद्र मोदी उपस्थित हैं।अपना दल प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने भी पीएम के लिए नरेंद्र मोदी के नाम के प्रस्ताव को समर्थन दिया। लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान ने भी प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। अपने वक्तव्य में उन्होंने नरेंद्र मोदी के पिछले 10 वर्षों की उपलब्धियों पर धन्यवाद ज्ञापित किया। वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा कि वे एनडीए के साथ बने रहेंगे और उन्होंने भी प्रस्ताव का समर्थन किया।

एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने भी पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम को समर्थन दिया है। शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी पीएम पद के लिए मोदी के नाम का समर्थन किया और कहा कि उनका भाजपा के साथ गठबंधन फेविकोल के जोड़ की तरह मजबूत है, यह टूटने वाला नहीं है। इस दौरान उन्होंने पीएम के लिए ‘मैं उस माटी का वृक्ष नहीं…’ कविता की कुछ पंक्तियां पढ़ीं।
जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने भी नरेंद्र मोदी के नाम के प्रस्ताव को समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मोदी 10 साल पीएम रहने के बाद एक बार फिर पीएम बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार पूरे समय वे सरकार के साथ बने रहेंगे। अगली बार एनडीए फिर एक साथ बिहार में चुनाव लड़ेगा और सभी सीटें जीतेगा।

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टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि देश सही समय पर सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने नरेंद्र मोदी के कार्यों का जिक्र किया और एनडीए संसदीय दल के नेता के तौर पर मोदी के नाम का समर्थन किया। चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हमने आंध्र प्रदेश में 95 प्रतिशत सीटें जीतीं। इस दौरान उन्होंने अपने सहयोगी पवन कल्याण की पार्टी जनसेना और भाजपा का उल्लेख किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी के नाम का प्रस्ताव एनडीए संसदीय दल के नेता चुने जाने के लिए किया। अमित शाह ने भी उक्त प्रस्ताव का समर्थन किया। कार्यक्रम की शुरुआत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभी को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “ये हम सबके लिए एक ऐतिहासिक पल है और हम लगातार तीसरी बार एनडीए के नेता के रूप में श्री नरेंद्र मोदी जी को चयन करने वाले हैं। इस ऐतिहासिक घड़ी में आज हम सब लोग चश्मदीद गवाह बन रहे हैं… ये हम सबका सौभाग्य है।”

जेपी नड्डा ने अरुणाचल और सिक्किम में भी भाजपा-एनडीए की सरकार बनने का जिक्र किया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रश्मिरथी के अंश ‘वसुधा का नेता कौन हुआ, भूखंड विजेता कौन हुआ…’ का पाठ किया। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले भारत के बारे में कहा जाता था कि यहां कुछ बदलने वाला नहीं है। आज 10 साल बाद मोदी जी के नेतृत्व में वही भारत आकांक्षी भारत बन गया है और विकसित भारत के संकल्प को लेकर चल पड़ा है। NDA संसदीय बैठक के लिए संसद पहुंचने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह खुशी की बात है कि पीएम मोदी लगातार तीसरी बार पीएम बनेंगे। यह शिवसेना के लिए खुशी की बात है, क्योंकि शिवसेना और बीजेपी की विचारधारा एक जैसी है। एनडीए के सभी गठबंधन दलों ने उन्हें अपना नेता चुना है और आज की बैठक उनके नेतृत्व में हो रही है।

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चर्चा का विषय बनी NDA की बैठक में कंगना रनौत और चिराग पासवन की मुलाकात। https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/nda-of-meeting-in-kangana-ranaut-and-ch/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/07/nda-of-meeting-in-kangana-ranaut-and-ch/#respond Fri, 07 Jun 2024 07:45:19 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3482 केंद्र सरकार के सेंट्रल हॉल में आज एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई, जिसमें एनडीए के सभी दलों के शीर्ष नेता, मुख्यमंत्रियों और सांसदों ने भाग लिया। इस बैठक में विशेष रूप से एजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान और भाजपा की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत के बीच हुई मुलाकात चर्चा का विषय …

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केंद्र सरकार के सेंट्रल हॉल में आज एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई, जिसमें एनडीए के सभी दलों के शीर्ष नेता, मुख्यमंत्रियों और सांसदों ने भाग लिया। इस बैठक में विशेष रूप से एजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान और भाजपा की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत के बीच हुई मुलाकात चर्चा का विषय रही। दोनों नेता एक-दूसरे से गले मिले और कुछ समय के लिए बातचीत की। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया। हालांकि एनडीए ने कुल 293 सीटें हासिल करके बहुमत के 272 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया। इस चुनाव परिणाम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और अब वे एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह 9 जून को शाम 6 बजे आयोजित किया जाएगा।

बैठक से पहले संसद परिसर में चिराग पासवान और कंगना रनौत की मुलाकात हुई। राजनीति में आने से पहले चिराग पासवान एक अभिनेता थे और उन्होंने कंगना रनौत के साथ फिल्म “मिले ना मिले हम” में काम किया था। इस फिल्म में दोनों की केमिस्ट्री काफी अच्छी थी। यह मुलाकात न केवल पुरानी यादों को ताजा करने का अवसर थी, बल्कि इससे राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई। कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। उनकी यह जीत भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। कंगना का राजनीति में आना और चुनाव जीतना एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि वे अपने विवादास्पद बयानों और स्पष्टवादी दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं। उनकी चुनावी जीत ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा के लिए एक नया जोश भर दिया है।

हालांकि, कंगना हाल ही में एक विवाद में भी फंस गई थीं। गुरुवार को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर उनके साथ बदसलूकी की घटना हुई। सीआईएसएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी, कुलविंदर कौर ने कंगना को थप्पड़ मार दिया। यह घटना एयरपोर्ट लाउंज में सुरक्षा जांच के दौरान हुई, जब कंगना और कुलविंदर कौर के बीच बहस हो गई। यह बहस कंगना द्वारा किसान आंदोलन के बारे में दिए गए बयानों को लेकर थी। इस घटना ने मीडिया और सोशल मीडिया में काफी चर्चा बटोरी। एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलों के नेताओं से मिलकर आगामी योजनाओं और रणनीतियों पर चर्चा की। बैठक में शामिल हुए नेताओं ने आगामी सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों पर विचार-विमर्श किया। बैठक का मुख्य उद्देश्य आने वाले समय में एनडीए के समग्र विकास और सहयोग को सुनिश्चित करना था।

सीआईएसएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी, कुलविंदर कौर ने कंगना को थप्पड़ मार दिया। यह घटना एयरपोर्ट लाउंज में सुरक्षा जांच के दौरान हुई, जब कंगना और कुलविंदर कौर के बीच बहस हो गई। यह बहस कंगना द्वारा किसान आंदोलन के बारे में दिए गए बयानों को लेकर थी।

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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने पिछले दस वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इन उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए, एनडीए की नई सरकार के सामने कई चुनौतियां भी होंगी। मोदी ने बैठक में अपने संबोधन में सभी नेताओं से अनुरोध किया कि वे एकजुट होकर देश की सेवा में जुटें और सभी दलों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा दें। चिराग पासवान और कंगना रनौत की मुलाकात के बारे में बात करते हुए, यह उल्लेखनीय है कि दोनों नेता राजनीति में आने से पहले फिल्मी दुनिया का हिस्सा थे। चिराग पासवान ने कंगना के साथ काम करने के अनुभव को साझा किया और दोनों ने फिल्म उद्योग की पुरानी यादों को ताजा किया। इस मुलाकात से यह स्पष्ट हुआ कि राजनीति में भी व्यक्तिगत संबंध महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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बैठक के दौरान, एनडीए के नेताओं ने आगामी योजनाओं पर विचार-विमर्श किया और देश के विभिन्न हिस्सों में विकास और सुधार के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक में आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय, और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया। सभी नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एनडीए की नई सरकार को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश के समग्र विकास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। कुल मिलाकर, एनडीए की इस बैठक में नेताओं के बीच आपसी सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने पिछले दो कार्यकालों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और अब नई सरकार से भी यही उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शपथ ग्रहण समारोह को लेकर सभी दलों में उत्साह और जोश का माहौल है। इस बैठक में हुई चर्चाओं और प्रस्तुत सुझावों से स्पष्ट है कि एनडीए की नई सरकार देश के विकास और समृद्धि के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सभी दलों के नेताओं ने एकजुट होकर देश की सेवा में जुटने का संकल्प लिया है।

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सारण सीट से राजीव प्रताप रूडी ने दी लालू के परिवार को करारी शिकस्त,उनकी पत्नी और समधी के बाद बेटी को भी हराने में सफलता हासिल की. https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/saran-seat-to-rajeev-pratap-r/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/saran-seat-to-rajeev-pratap-r/#respond Thu, 06 Jun 2024 10:30:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3470 पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर बिहार की सारण सीट से कामयाबी हासिल कारने में सफल रहे हैं। यह लगातार तीसरी बार है जब उन्होंने इस सीट पर लालू परिवार के सदस्य/रिश्तेदार को शिकस्त दी है। इससे पहले यहां से केवल लालू यादव ही रूडी को हराने में कामयाब …

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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर बिहार की सारण सीट से कामयाबी हासिल कारने में सफल रहे हैं। यह लगातार तीसरी बार है जब उन्होंने इस सीट पर लालू परिवार के सदस्य/रिश्तेदार को शिकस्त दी है। इससे पहले यहां से केवल लालू यादव ही रूडी को हराने में कामयाब हो सके हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाये तो बिहार से बीजेपी को इस बार 12 सीटें मिली हैं, जो को 2019 के मुक़ाबले काफ़ी कम हैं। इस चुनाव में जहां बक्सर, पाटलिपुत्र और आरा जैसी सीटों पर बीजेपी के दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा, वहीं एक सीट ऐसी रही जिस पर लालू परिवार को एक बार फिर शिकस्त का सामना करना पड़ा। हम बात कर रहे हैं सारण लोकसभा सीट की, जहां बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी उम्मीदवार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को 13,661 वोटों से हरा दिया।

सारण सीट पर इस बार जीत का अंतर बेहद कम रहा है, लेकिन पेशे से पायलट रूडी पांचवी बार यहां से संसद पहुंचने में कामयाब रहे। गौर करने वाली बात यह है कि सारण सीट पर रूडी और लालू परिवार/रिश्तेदारों के बीच चार बार मुकाबला हो चुका है और दो बार ही आरजेडी यहां जीत हासिल करने में कामयाब हो सकी है। दोनों मौकों- 2004 और 2009 में लालू प्रसाद यादव ने ही रूडी को शिकस्त दी थी। हालाँकि लालू यादव के अलावा, उनकी पत्नी, समधी और बेटी खुद रूडी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी थी परंतु जीत केवल लालू प्रसाद यादव को ही मिल सकी। इस बार जिस तरह लालू और तेजस्वी यादव ने बहन रोहिणी के लिए जोर लगाया था, उससे लग रहा था कि शायद वे आरजेडी के लिए 2004 या 2009 वाला इतिहास दोहरा देंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

सारण लोकसभा सीट की, जहां बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी उम्मीदवार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को 13,661 वोटों से हरा दिया।

पिछले चार चुनाव की बात करें तो 2009 में ही सारण सीट आरजेडी के खाते में जा पाई थी जब खुद लालू यादव ने राजीव प्रताप रूडी को पटखनी दी थी। लेकिन 2014 आते-आते सियासी समीकरण बदल गए। लालू यादव को चारा घोटाले में अदालत ने दोषी ठहरा दिया और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गई। लालू ने इस सीट से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को चुनाव मैदान में उतार दिया, लेकिन राजीव प्रताप रूडी ने तब राबड़ी देवी को करीब 40,000 से अधिक वोटों से हरा दिया। 2019 में लालू यादव ने एक बार फिर से इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा के साथ जोड़ दिया और अपने समधी चंद्रिका राय को मैदान में उतार दिया। तमाम मेहनत करने के बावजूद भी वे सफल नहीं हो सके और रूडी ने चंद्रिका राय को 1 लाख 38 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया।

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इस बार, यानी 2024 में, जैसे ही सारण सीट से रोहिणी आचार्य के नाम का ऐलान हुआ तो तभी से यह सीट देश की हॉट सीट बन गई। बीजेपी ने एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी को यहां से उतारा। लालू प्रसाद यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक ने रोहिणी के लिए प्रचार और रोड शो किया, लेकिन जब नतीजे आए तो वे आरजेडी के लिए अच्छे नहीं थे। रूडी ने 13,661 वोटों से रोहिणी को हरा दिया। इस तरह रूडी इस सीट से पांचवी बार संसद पहुंचने में कामयाब रहे। इससे पहले उन्होंने 1996, 1999, 2014 और 2019 में जीत दर्ज की थी। वहीं लालू प्रसाद यादव चार बार – 1977, 1989, 2004 और 2009 में यहां से सांसद रह चुके हैं।

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लालू यादव का इस सीट पर वर्चस्व 2004 और 2009 के चुनावों में स्पष्ट रूप से दिखा था जब उन्होंने खुद रूडी को हराया था। 2009 के बाद, लालू यादव के राजनीतिक जीवन में बड़ा झटका तब लगा जब उन्हें चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया और उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग गया। इसके बावजूद, लालू यादव ने 2014 के चुनाव में अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मैदान में उतारा, लेकिन रूडी ने उन्हें हराने में कामयाबी पाई। 2019 के चुनाव में, लालू यादव ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया और अपने समधी चंद्रिका राय को उम्मीदवार बनाया। लेकिन चंद्रिका राय को भी रूडी ने भारी मतों के अंतर से हरा दिया। 2024 में रोहिणी आचार्य के नाम की घोषणा होते ही, यह सीट एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई। लालू परिवार ने इस बार भी पूरी ताकत लगाई, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए।

सारण सीट की इस चुनावी कहानी में राजीव प्रताप रूडी का दबदबा स्पष्ट रूप से नजर आता है। रूडी की पांचवी बार जीत इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। वहीं लालू परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों के लिए यह सीट हमेशा से एक चुनौती बनी रही है। लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक करियर इस सीट से जुड़े कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। 1977 में पहली बार सांसद बने लालू यादव ने 1989 में फिर से जीत हासिल की। 2004 और 2009 में उन्होंने रूडी को हराया, लेकिन 2014 के बाद सियासी समीकरण बदल गए। चारा घोटाले में सजा के बाद उनकी राजनीति में भागीदारी सीमित हो गई और उनके परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारना पड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। रूडी की इस जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सारण सीट पर उनका प्रभाव अडिग है। 2024 के चुनावी परिणामों ने यह दिखाया कि लालू परिवार के लिए यह सीट अभी भी एक कठिन चुनौती बनी हुई है। भाजपा के लिए बिहार की अन्य सीटों पर भले ही परिणाम उम्मीदों के अनुसार न आए हों, लेकिन सारण सीट पर रूडी की जीत ने पार्टी के लिए एक मजबूत संदेश दिया है।

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लोकसभा चुनाव: एनडीए-इंडिया गठबंधन के टकाटक के वादें के सामने पीछे रह गयी मोदी की गारंटी https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/lok-sabha-election-debate/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/lok-sabha-election-debate/#respond Thu, 06 Jun 2024 08:51:12 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3460 उत्तर प्रदेश के हालिया चुनावों में मतदाताओं ने साफ तौर पर संकेत दिया कि इस बार के चुनावों में परंपरागत हिंदू-मुस्लिम कार्ड नहीं चला। इसके बजाय, मुफ्त राशन और योजनाओं पर विपक्ष का जोर, संविधान और बेरोजगारी के मुद्दे और खातों में एक लाख रुपये भेजने के वादे हावी रहे। इस बीच, एनडीए ने भी …

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उत्तर प्रदेश के हालिया चुनावों में मतदाताओं ने साफ तौर पर संकेत दिया कि इस बार के चुनावों में परंपरागत हिंदू-मुस्लिम कार्ड नहीं चला। इसके बजाय, मुफ्त राशन और योजनाओं पर विपक्ष का जोर, संविधान और बेरोजगारी के मुद्दे और खातों में एक लाख रुपये भेजने के वादे हावी रहे। इस बीच, एनडीए ने भी टकाटक का वादा करते हुए अपने प्रचार अभियान को नई दिशा देने की कोशिश की। पहले चरण में, बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी और लाभार्थीपरक योजनाओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया। बीजेपी को उम्मीद थी कि ये योजनाएं उन्हें जनता का समर्थन दिलाएंगी, लेकिन यह योजना अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाई। पहले चरण में आठ सीटों में से केवल बिजनौर और पीलीभीत ही बीजेपी के खाते में आईं। जबकि पांच सीटें इंडिया गठबंधन ने जीतीं और एक सीट आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने जीती।

दूसरे चरण में एनडीए ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और सभी आठ सीटें जीत लीं। इस चरण में एनडीए को क्लीन स्वीप मिली, जो कि एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। टकाटक का वादा और लाभार्थी योजनाएं यहाँ काम कर गईं, जिससे एनडीए को बड़ा फायदा हुआ। तीसरे चरण में समाजवादी पार्टी (सपा) ने बीजेपी के विजय रथ को थाम लिया। इस चरण में बीजेपी को केवल चार सीटें मिलीं, जबकि सपा ने छह सीटों पर जीत दर्ज की। इस प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि विपक्ष ने भी अपनी रणनीतियों को धार देना शुरू कर दिया था। चौथे चरण में बीजेपी को आठ सीटें मिलीं, जबकि सपा को चार और कांग्रेस को एक सीट मिली। इस चरण में विपक्ष ने अपने प्रचार अभियान को और व्यवस्थित किया और जनता के बीच अपनी पकड़ को मजबूत किया। इसके बाद विपक्ष ने बेरोजगारी और संविधान के मुद्दों को और भी जोरशोर से उठाना शुरू किया।

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पांचवें चरण में राहुल गांधी के बेरोजगारों और गरीब महिलाओं के खातों में टकाटक हर महीने 8500 रुपये भेजने का वादा असर दिखाने लगा। इस वादे ने जनता के बीच गहरी पैठ बनाई। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर प्रतिक्रिया दी, तो राहुल ने मंच से स्पष्ट किया कि वे मोदी से डरते नहीं हैं और जनता के मुद्दों को उठाने में सक्षम हैं। इस चरण में सपा ने सात सीटें और कांग्रेस ने तीन सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को केवल चार सीटों पर संतोष करना पड़ा। छठा चरण इंडिया गठबंधन के लिए और भी अधिक फलदायी साबित हुआ। सपा को दस और कांग्रेस को एक सीट मिली, जबकि बीजेपी ने केवल तीन सीटें जीतीं। इस चरण में विपक्ष ने बेरोजगारी, संविधान और आरक्षण के मुद्दों को जोरशोर से उठाया, जिससे जनता का समर्थन उन्हें मिला।सातवें चरण में एनडीए के तहत बीजेपी को छह और अपना दल को एक सीट मिली। वहीं, सपा ने छह सीटें जीतीं। इस चरण में एनडीए ने अपनी पुरानी रणनीतियों के साथ वापसी की और अंततः बेहतर प्रदर्शन किया। इस चुनाव में स्पष्ट हो गया कि उत्तर प्रदेश के मतदाता अब केवल परंपरागत मुद्दों पर नहीं, बल्कि योजनाओं और वादों पर भी ध्यान दे रहे हैं।

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एनडीए ने टकाटक का वादा करके जनता का ध्यान खींचा, लेकिन विपक्ष ने बेरोजगारी, संविधान और खातों में धन भेजने के वादों के साथ मजबूत चुनौती दी। चुनाव के विभिन्न चरणों में इंडिया गठबंधन ने एनडीए को कड़ी टक्कर दी और कई चरणों में उनसे आगे भी रहा। जनता के बदलते रुझानों को देखते हुए, भविष्य में राजनीतिक दलों को और भी सशक्त योजनाएं और वादे पेश करने की आवश्यकता होगी। इस बार के चुनाव ने यह भी साबित कर दिया कि केवल धार्मिक और परंपरागत मुद्दे अब जनता को आकर्षित नहीं करते। मतदाता अब उन वादों और योजनाओं पर ध्यान देते हैं जो उनके जीवन में सीधा प्रभाव डालते हैं। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ने अपनी-अपनी रणनीतियों से जनता को लुभाने की कोशिश की, लेकिन अंततः यह चुनाव उन वादों और योजनाओं का था जो जनता के दिल और दिमाग पर गहरा असर डालते हैं।

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सपा को लगा पूर्वांचल में झटका,अमित शाह से मुलाकात के बाद बोले नारद राय, कहा BJP के लिए पूरी ताकत से करेंगे प्रयास https://chaupalkhabar.com/2024/05/28/sp-felt-in-purvanchal/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/28/sp-felt-in-purvanchal/#respond Tue, 28 May 2024 06:36:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3416 बलिया के प्रमुख भूमिहार नेता और सपा के पूर्व मंत्री नारद राय ने समाजवादी पार्टी (सपा) को बड़ा झटका दिया है। नारद राय ने दिन में बागी तेवर दिखाने के बाद देर शाम को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत के लिए पूरी ताकत से प्रयास करने …

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बलिया के प्रमुख भूमिहार नेता और सपा के पूर्व मंत्री नारद राय ने समाजवादी पार्टी (सपा) को बड़ा झटका दिया है। नारद राय ने दिन में बागी तेवर दिखाने के बाद देर शाम को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत के लिए पूरी ताकत से प्रयास करने का ऐलान कर दिया। नारद राय ने आरोप लगाया कि पिछले सात साल से उन्हें लगातार बेइज्जत किया जा रहा था। पूर्वांचल की बलिया लोकसभा सीट के लिए सातवें और अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होगा। और चुनाव प्रचार के लिए केवल तीन दिन का समय बचा है एवं वोटिंग में केवल चार दिन शेष बचे है। मतदान इतना करीब होने के बावजूद सपा को तगड़ा झटका लगा है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पूर्व मंत्री नारद राय ने पार्टी छोड़ने और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जॉइन करने का ऐलान कर दिया है। बलिया के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले नारद राय ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर यह ऐलान किया।

नारद राय ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद आजतक से खास बातचीत में सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बहुत भारी और दुखी मन से समाजवादी पार्टी छोड़ रहा हूं। नारद राय ने कहा कि 40 साल का साथ था जो आज मैंने छोड़ दिया है। उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर बेइज्जत करने का आरोप लगाया और कहा कि मेरी गलती यह है कि अखिलेश और मुलायम में मैंने मुलायम को चुना। नारद ने बताया कि पिछले सात साल से उन्हें लगातार बेइज्जत किया जा रहा था। नारद राय ने यह भी आरोप लगाया कि 2017 में उनका टिकट अखिलेश यादव ने काटा था। नारद ने कहा कि 2022 में अखिलेश ने टिकट दिया लेकिन साथ ही साथ मेरी हार का इंतजाम भी कर दिया। उन्होंने दो दिन पहले बलिया में हुई अखिलेश की रैली का जिक्र करते हुए कहा कि मंच पर भी उन्हें बेइज्जत किया गया। अखिलेश यादव ने मंच से उनका नाम तक नहीं लिया। नारद राय ने अमित शाह से मुलाकात के बाद कहा कि अब अपनी पूरी ताकत बीजेपी के लिए लगाएंगे। उन्होंने कहा कि हमसे जितना हो पाएगा , हम उतनी ताकत से बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेंगे।

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गौरतलब है कि नारद राय बलिया सदर विधानसभा सीट से विधायक और उत्तर प्रदेश में सपा की सरकारों में मंत्री रहे हैं। उनकी गिनती बलिया के बड़े भूमिहार नेताओं में होती है। यह पहला मौका नहीं है जब नारद का सपा से मोहभंग हुआ हो। खुद को जनेश्वर मिश्रा का शिष्य, राजनारायण की परंपरा का राजनेता बताने वाले नारद राय ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी पार्टी छोड़ी थी। नारद ने तब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जॉइन की थी। नारद बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन बीजेपी के आनंद स्वरूप शुक्ल से मात खानी पड़ी। नारद राय 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ही सपा में लौट आए थे। जिसके बाद वह 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर मैदान में उतरे। परंतु इस बार भी नारद को जीत नसीब नहीं हुई। उन्हें बीजेपी के दयाशंकर सिंह ने हरा दिया। लोकसभा चुनाव में भी वह सपा से टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी द्वारा 2019 के चुनाव में bjp उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त को कड़ी टक्कर देने वाले सनातन पाण्डेय पर भरोसा जताया।

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नारद राय इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार भी कर रहे थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से प्रचार से उनकी दूरी से चर्चाएं हो रही थीं कि वे बीजेपी में जा सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनके पोस्ट से भी नाराजगी झलक रही थी और रही-सही कसर पूरी हो गई अखिलेश यादव की दो दिन पहले बलिया में हुई जनसभा से। नारद राय ने कहा कि इस बार के चुनाव में भी उन्हें उचित सम्मान नहीं मिला और उन्हें मंच से नजरअंदाज किया गया। नारद राय ने अमित शाह से मुलाकात के बाद बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अब उनका मकसद बीजेपी को जीत दिलाना है और इसके लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे। नारद राय के इस फैसले से बलिया लोकसभा सीट पर चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है। बलिया की जनता और राजनीतिक विशेषज्ञ अब इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं कि नारद राय के बीजेपी में जाने से सपा और बीजेपी के बीच मुकाबला किस दिशा में जाएगा।

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ईरान से डील पर अमेरिका की प्रतिबंधों की धमकी पर जयशंकर ने दिया जवाब, चुनाव को लेकर भी दी प्रतिक्रिया https://chaupalkhabar.com/2024/05/15/americas-deal-with-iran/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/15/americas-deal-with-iran/#respond Wed, 15 May 2024 10:34:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3247 “भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विदेशी मीडिया को निशाना साधते हुए कहा कि यह भारत की लोकतंत्रिक प्रक्रिया को ‘नकारात्मक ढंग’ से दिखा रहा है। उन्होंने पश्चिमी देशों के मीडिया को भारतीय लोकसभा चुनाव के विषय में अधिक नकारात्मकता दिखाने पर आलोचना की। उन्होंने अमेरिका के साथ होने वाले बिजनेस समझौते को लेकर अमेरिकी …

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“भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विदेशी मीडिया को निशाना साधते हुए कहा कि यह भारत की लोकतंत्रिक प्रक्रिया को ‘नकारात्मक ढंग’ से दिखा रहा है। उन्होंने पश्चिमी देशों के मीडिया को भारतीय लोकसभा चुनाव के विषय में अधिक नकारात्मकता दिखाने पर आलोचना की। उन्होंने अमेरिका के साथ होने वाले बिजनेस समझौते को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ भी अपने विचार व्यक्त किये । जयशंकर ने कोलकाता में अपनी पुस्तक ‘Why Bharat Matters’ के बांग्ला संस्करण के लॉन्च के दौरान विदेशी मीडिया की भारतीय चुनाव प्रक्रिया पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि विदेशी मीडिया को भारतीय चुनाव को लेकर अपनी ‘ज्ञान’ देने के बजाय नकारात्मक ढंग से दिखा रहा है।

उन्होंने चाबहार बंदरगाह के समझौते को लेकर अमेरिका की चेतावनी पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि लोगों को अपना संकीर्ण नजरिया छोड़ना चाहिए। इससे पूरे क्षेत्र को फायदा होगा। भारत ने हाल ही में ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के विकास को लेकर 10 साल का समझौता किया है। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी दी है। जयशंकर ने कहा, ‘चाबहार बंदरगाह के विकास और उसके ऑपरेशनल होने से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा।’ उन्होंने पूर्व में अमेरिका के द्वारा चाबहार बंदरगाह के फायदों की सराहना भी की है।

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जयशंकर ने पश्चिमी मीडिया की कवरेज पर भी सवाल उठाए और कहा, ‘उनके अखबार भारत को लेकर इतने नकारात्मक क्यों हैं? क्या इसलिए कि वो एक ऐसा भारत देख रहे हैं जो भारत के लिए उनकी बनाई छवि के जैसा नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘वे लोग, विचारधारा या जीवन जीने का एक तरीका चाहते हैं… वे चाहते हैं कि उसी वर्ग के लोग इस देश पर शासन करें, और जब भारतीय आबादी इससे अलग महसूस करती है तो वो परेशान हो जाते हैं।’ जयशंकर ने विदेशी मीडिया पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा, ‘कुछ मामलों में पश्चिमी मीडिया ने खुलकर कुछ उम्मीदवारों और पार्टियों का समर्थन किया है… वो अपनी पसंद- नापसंद छिपाते नहीं है। वो बहुत स्मार्ट हैं… आखिर 300 सालों से वो दबदबा बनाए हुए हैं… उन्होंने बहुत कुछ सीखा है… अनुभवी लोग हैं, चतुर लोग हैं।’

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जयशंकर ने पश्चिमी देशों पर दोहरा रवैया रखने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘जिन देशों को अपने चुनाव के नतीजे तय करने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है वो हमें ज्ञान दे रहे हैं कि चुनाव कैसे कराए जाएं। यह दिमाग का खेल दुनिया में चल रहा है।

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जम्मू- कश्मीर की श्रीनगर सीट पर टूटा रिकॉर्ड, दोपहर एक बजे तक हुआ 40 फीसदी मतदान. https://chaupalkhabar.com/2024/05/13/jammu-kashmir-srinagar-s/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/13/jammu-kashmir-srinagar-s/#respond Mon, 13 May 2024 10:02:16 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3201 लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण में, 13 मई को, देश भर में लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। इस चरण में, 10 राज्यों की 96 सीटों पर वोटिंग की जा रही है, जिसमें एक हजार 717 उम्मीदवारों ने भाग लिया है। यहाँ तक कि पांच केंद्रीय मंत्रियों, एक पूर्व मुख्यमंत्री, दो क्रिकेटर, …

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लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण में, 13 मई को, देश भर में लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। इस चरण में, 10 राज्यों की 96 सीटों पर वोटिंग की जा रही है, जिसमें एक हजार 717 उम्मीदवारों ने भाग लिया है। यहाँ तक कि पांच केंद्रीय मंत्रियों, एक पूर्व मुख्यमंत्री, दो क्रिकेटर, और एक अभिनेता भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश में सभी 25 सीटों पर मतदान हो रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश में 13 सीटों पर वोटिंग की जा रही है। इसी तरह, तेलंगाना में 17, महाराष्ट्र में 11, एमपी में 8, पश्चिम बंगाल में 8, बिहार में 5, झारखंड और ओडिशा में 4-4, और जम्मू-कश्मीर में एक सीट पर मतदान हो रहा है।

यह चरण महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कई महत्वपूर्ण राजनीतिक नेता भाग ले रहे हैं, जिनमें से कुछ केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। इसके अलावा, क्रिकेट और सिनेमा जगत से भी कुछ उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में कदम रख रहे हैं। यह चरण विभिन्न राज्यों के लिए विशेष महत्व रखता है। आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ, महाराष्ट्र, तेलंगाना, एमपी, और पश्चिम बंगाल भी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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चुनाव में लोगों का उत्साह और रुझान भी देखने लायक है। यह चरण विशेष रूप से अपेक्षाओं से भरा है, क्योंकि इसमें कई प्रमुख उम्मीदवारों के खिलाफ मुकाबला हो रहा है। राजनीतिक गतिशीलता और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर लोगों का विचार अब तक देशभर में महसूस हो रहा है।चुनावी महामारी की स्थिति में, सुरक्षा एवं सावधानी का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। लोगों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन करने के लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है।

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इस चरण में जनता के आशीर्वाद और वोटिंग प्रक्रिया का सम्मान किया जा रहा है। लोगों का उत्साह और सक्रिय भागीदारी देश की लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चुनावी महामारी के कारण, लोगों को सावधान रहने की सलाह दी जा रही है। सुरक्षा के निर्देशों का पालन करने के लिए सभी को निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है।

 

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पद से हटाने के बाद आकाश आनंद का पहला रिएक्शन मायावती पर कही ये बात कहा उनका आदेश आदेश सिर माथे पर. https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/aakash-anm-after-removal-from-the-post/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/aakash-anm-after-removal-from-the-post/#respond Thu, 09 May 2024 05:12:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3147 बहुजन समाज पार्टी (BSP) कि नेता मायावती ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है, जिसका प्रभाव राजनीतिक दल की विनिर्देशक शक्ति में बदलाव लाने के साथ-साथ दल के आंतरिक संरचना में भी दिखा है। इस निर्णय के पीछे की यह वजह क्या है और इसका क्या महत्व है, इसे समझने के लिए हमें …

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बहुजन समाज पार्टी (BSP) कि नेता मायावती ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है, जिसका प्रभाव राजनीतिक दल की विनिर्देशक शक्ति में बदलाव लाने के साथ-साथ दल के आंतरिक संरचना में भी दिखा है। इस निर्णय के पीछे की यह वजह क्या है और इसका क्या महत्व है, इसे समझने के लिए हमें पिछले कुछ दिनों में हुए घटनाक्रमों की ओर देखने की आवश्यकता है, 7 मई को मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को BSP के नेशनल को ऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया। इसका ऐलान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किया गया, जहां मायावती ने इस निर्णय की वजह के रूप में मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक फिलहाल आकाश आनंद को इन दोनों जिम्मेदारियों से अलग रखने की घोषणा की।

इस घटना के पीछे की वजह और इसके महत्व को समझने के लिए, हमें आकाश आनंद के विचारों को भी समझने की आवश्यकता है। उन्होंने मायावती के निर्णय का सम्मान करते हुए उनके निर्णय को स्वीकार किया और मायावती को सर्वमान्य नेता बताया। उन्होंने ट्विटर पर अपने बयान में कहा कि मायावती बहुजन समाज के लिए एक आदर्श हैं और उनके संघर्षों की वजह से ही आज हमारे समाज को एक राजनैतिक ताकत मिली है। वे भीम मिशन और अपने समाज के लिए अपनी अंतिम सांस तक लड़ने का आश्वासन देते हैं।

मायावती ने इस निर्णय के पीछे की वजह के रूप में यह बताया कि बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आत्मसम्मान और स्वाभिमान का मूवमेन्ट है, और उन्होंने खुद भी इसे गति देने के लिए अपनी पूरी जिन्दगी समर्पित की है। इस संदर्भ में, आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया गया है, लेकिन उन्हें फिलहाल इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग रखा जाएगा।

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इस घटना के बाद, मायावती ने अपने बयान में यह भी कहा कि उनके पिता आनंद कुमार भी पार्टी व मूवमेन्ट में अपनी जिम्मेदारी को पहले की तरह ही निभाएंगे।  इस पूरे मामले में, एक बात साफ है कि मायावती द्वारा लिए गए निर्णय का मुख्य उद्देश्य है BSP के आंतरिक संरचना को मजबूत करना और पार्टी को उसकी मूल उद्देश्यों की दिशा में स्थापित रखना। इसके साथ ही, यह एक संदेश भी है कि पार्टी के नेतृत्व ने विचारशीलता और उदारता के मानकों को महत्व दिया है, जिससे पार्टी का पारंपरिक संरचना में नयी दिशा मिल सके।

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