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आंदोलन के 52वें दिन, जूनियर डॉक्टर्स की मांगें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं। एक जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो ने बताया कि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा से जुड़ी मांगों को लेकर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दे रही है। उन्होंने कहा, “हमारे ऊपर अब भी हमले हो रहे हैं और राज्य सरकार ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक के बावजूद हमें हमारी समस्याओं का समाधान नहीं मिला है। इसलिए अब हमारे पास काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।” डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक राज्य सरकार उनकी मांगों पर स्पष्ट कार्रवाई नहीं करती, तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे।
पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से भी कुछ समय पहले बयान जारी किया गया था। राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि सरकार हॉस्पिटल्स में डॉक्टर्स की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है और जल्द ही इसका परिणाम देखने को मिलेगा। हालांकि, आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स से पंत ने अपील की कि वे धैर्य बनाए रखें और अपनी जिम्मेदारियों को समझें। 9 अगस्त की घटना के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने भी असंतोष जताया है। कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और शौचालयों एवं रेस्टरूम्स का निर्माण करने में राज्य सरकार की धीमी गति पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 15 अक्टूबर तक काम पूरा करने का निर्देश दिया है।
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मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाई जाए और इस दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स से यह भी उम्मीद जताई कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए मरीजों का इलाज जारी रखेंगे। पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स का यह आंदोलन उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग को लेकर है। डॉक्टर्स ने साफ किया है कि जब तक राज्य सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती, तब तक वे काम पर लौटने के लिए तैयार नहीं हैं।
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]]>The post पश्चिम बंगाल कांग्रेस में बदलाव, अधीर रंजन की जगह शुभंकर सरकार बने नए अध्यक्ष. first appeared on chaupalkhabar.com.
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अधीर रंजन चौधरी का ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ संबंध तनावपूर्ण रहा। वह ममता बनर्जी के कट्टर आलोचक माने जाते हैं, और इसी कारण टीएमसी के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो सका। माना जाता है कि उनके इस रुख के कारण राज्य में कांग्रेस को टीएमसी के साथ हाथ मिलाने का मौका नहीं मिला, जो पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर भारी पड़ा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी चुनाव के दौरान अधीर रंजन की इस नकारात्मक भूमिका पर उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई थी। शुभंकर सरकार को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में उनकी गिनती होती है। शुभंकर का कांग्रेस में लंबा अनुभव रहा है, और उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं। इस साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था और साथ ही अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, और मिजोरम का प्रभारी भी नियुक्त किया गया था। इससे पहले 2013 से 2018 तक वह कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और ओडिशा राज्य के प्रभारी के रूप में कार्यरत थे। उनकी संगठनात्मक क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही उन्हें अब पश्चिम बंगाल कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गई है।
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शुभंकर सरकार के नेतृत्व में कांग्रेस को उम्मीद है कि वह पश्चिम बंगाल में पार्टी को एक नई दिशा दे सकेंगे और पार्टी के गिरते ग्राफ को रोकने के लिए नए सिरे से रणनीति बना सकेंगे। उनकी नियुक्ति को कांग्रेस की ओर से राज्य में संगठन को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति सुधारनी है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए शुभंकर सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। राज्य में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने के कारण कांग्रेस की जमीन खिसकती जा रही है। ऐसे में शुभंकर सरकार को न केवल पार्टी के आंतरिक ढांचे को मजबूत करना होगा, बल्कि कार्यकर्ताओं में जोश और विश्वास भी भरना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह टीएमसी और ममता बनर्जी के साथ संबंधों को किस तरह से संभालते हैं, क्योंकि राज्य की राजनीति में टीएमसी का वर्चस्व है।
इस बड़े फेरबदल से कांग्रेस आलाकमान ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि पार्टी पश्चिम बंगाल में फिर से खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश करेगी। शुभंकर सरकार की नियुक्ति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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]]>The post कोलकाता मेडिकल कॉलेज में हड़ताल, ममता बनर्जी ने दिया जूनियर डॉक्टरों को समर्थन, दोषियों को सजा दिलाने का वादा first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के सामने अपने छात्र जीवन का जिक्र करते हुए कहा, “मैंने भी अपने छात्र जीवन में बहुत आंदोलन किए हैं, इसलिए मैं आपके आंदोलन का समर्थन करती हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार दोषियों को सजा दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। उन्होंने सीबीआई से मामले की जांच की मांग करते हुए कहा, “मैं सीबीआई से दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग करती हूं। दोषियों को सजा जरूर मिलेगी।” ममता बनर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले में राजनीतिक लाभ लेने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिलाते हुए कहा, “मैं आपकी आवाज़ सुनने और आपकी मांगों को समझने के लिए यहां आई हूं। मुझे इस पद की कोई चिंता नहीं है।”
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मुख्यमंत्री के समर्थन और आश्वासन के बावजूद, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने उनकी उपस्थिति में नारेबाजी की और अपना विरोध जारी रखा। हालांकि, ममता बनर्जी ने शांति और संयम से डॉक्टरों की बात सुनी और कहा कि वह हरसंभव कोशिश करेंगी कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए। डॉक्टरों का कहना है कि इस हड़ताल का मकसद केवल महिला डॉक्टर को न्याय दिलाना ही नहीं है, बल्कि यह अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके कार्यस्थल की सुरक्षा को मजबूत करने की मांग भी है। डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने अब तक उनके खिलाफ हो रही हिंसा और असुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया है।
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इससे एक दिन पहले, ममता बनर्जी ने डॉक्टरों से मुलाकात की कोशिश की थी, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी। मुख्यमंत्री ने कहा, “मैंने जूनियर डॉक्टरों से मिलने के लिए दो घंटे इंतजार किया, लेकिन वे बैठक स्थल पर नहीं आए।” उन्होंने कहा कि यदि उनकी बात नहीं सुनी जाती, तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं। हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि वे नबन्ना (मुख्यमंत्री का कार्यालय) गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई थी। इस पूरे घटनाक्रम से स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई है, लेकिन ममता बनर्जी ने डॉक्टर्स को हरसंभव समर्थन देने का वादा किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस पहल के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या डॉक्टरों की हड़ताल खत्म होती है और सरकार उनकी मांगों पर क्या ठोस कदम उठाती है।
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]]>The post ममता बनर्जी ने दिया इस्तीफे का संकेत, डॉक्टरों की हड़ताल से 27 मौतें, समाधान की कोशिशें विफल. first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर डॉक्टरों से बातचीत के लिए बैठक बुलाने की कोशिश की थी। इस पर ममता बनर्जी खुद डॉक्टरों से बातचीत के लिए पहुंचीं। हालांकि, दो घंटे के लंबे इंतजार के बावजूद डॉक्टरों ने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया। इसके बाद ममता बनर्जी ने जनता से माफी मांगते हुए कहा, “मैं बंगाल की जनता से हाथ जोड़कर माफी मांगती हूं कि हम डॉक्टरों को काम पर वापस नहीं ला सके।” उन्होंने यह भी खुलासा किया कि हड़ताल के चलते अब तक 27 लोगों की जान जा चुकी है, क्योंकि उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल सका। ममता ने कहा, “मैंने तीन बार डॉक्टरों से बातचीत की कोशिश की, लेकिन यह बैठक नहीं हो सकी। अब अगर कोई बैठक होगी, तो उसमें मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी शामिल होंगे।”
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ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य में कुछ लोग उनकी कुर्सी चाहते हैं और उनकी सत्ता को लेकर साजिशें कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हूं। मुझे सत्ता की भूख नहीं है। मेरी प्राथमिकता जनता और राज्य की भलाई है।” मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों की बातचीत को बाधित करने के पीछे बाहरी ताकतें काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, “बैठक में आने के लिए कई डॉक्टर तैयार थे, लेकिन कुछ लोगों को बाहर से निर्देश दिए गए थे कि बातचीत में हिस्सा न लें।”
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ममता बनर्जी ने जनता से माफी मांगते हुए कहा, “बंगाल की जनता इंतजार कर रही थी कि इस संकट का कोई समाधान निकलेगा, लेकिन मुझे खेद है कि हम ऐसा नहीं कर पाए।” उन्होंने जनता से हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने डॉक्टरों को बातचीत के लिए मनाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों के हड़ताल से राज्य में हालात गंभीर बने हुए हैं। डॉक्टरों की इस हड़ताल से पश्चिम बंगाल के कई अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं और अब तक 27 मौतें हो चुकी हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि वे लगातार डॉक्टरों से वार्ता करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है।
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]]>The post पश्चिम बंगाल में अपराजिता बिल की मंजूरी में देरी, गवर्नर आनंद बोस ने ममता सरकार पर उठाए सवाल. first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>3 सितंबर को, ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक महत्वपूर्ण एंटी-रेप बिल पेश किया था। यह बिल विशेष रूप से कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठे सवालों के संदर्भ में पेश किया गया था। इस घटना के बाद राज्य भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, जिसने सरकार को यह कदम उठाने पर मजबूर किया। एंटी-रेप बिल के अनुसार, पुलिस को रेप के मामलों की जांच 21 दिन के भीतर पूरी करनी होगी। विधानसभा में इस बिल को पास करने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद, यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही यह कानून में बदल सकेगा।
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गवर्नर आनंद बोस ने ममता सरकार पर साधा निशाना, यह आरोप लगाते हुए कि एंटी-रेप बिल आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश के बिलों की नकल है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे बिल पहले से राष्ट्रपति के पास पेंडिंग हैं और ममता बनर्जी धरना-प्रदर्शनों में भाग लेकर लोगों को धोखा दे रही हैं। उनका कहना है कि ममता सरकार ने विरोध प्रदर्शन की आड़ में कानून बनाने के मामले में वास्तविक प्रगति नहीं की है।
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गवर्नर के आरोपों और ममता सरकार के रवैये पर राजनीतिक हलकों में विवाद हो सकता है, और यह मुद्दा राज्य की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। ममता सरकार को अब तकनीकी रिपोर्टों को सही समय पर राजभवन भेजने की आवश्यकता है, ताकि अपराजिता बिल को मंजूरी मिल सके और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम प्रभावी बन सकें।
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]]>The post आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष गिरफ्तार, वित्तीय अनियमितताओं और रेप मर्डर केस में सीबीआई की कार्रवाई. first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान कई सबूतों को इकट्ठा किया, जिनसे यह प्रतीत होता है कि इन वित्तीय अनियमितताओं में संदीप घोष की भूमिका संदिग्ध है। इसके आधार पर, एजेंसी ने संदीप घोष को गिरफ्तार किया। इस मामले में, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) भी मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच कर रही है। ईडी, सीबीआई के एफआईआर के आधार पर ईसीआईआर (एन्फोर्समेंट केस इनफॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज कर चुकी है, और अब मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना को लेकर जांच जारी है आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल इन दिनों लगातार विवादों में घिरा हुआ है। हाल ही में, इस कॉलेज के एक जूनियर डॉक्टर के साथ घटित एक भयानक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। 9 अगस्त की रात, नाइट ड्यूटी के दौरान, इस डॉक्टर के साथ रेप किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। यह घटना अस्पताल के भीतर हुई और इसके बाद से कॉलेज प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले में भी सीबीआई ने जांच शुरू की है और संदीप घोष से पूछताछ की जा रही है।
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संदीप घोष से इस मामले में पूछताछ के दौरान उनके बयान लगातार बदलते रहे, जिससे जांच एजेंसियों का शक और भी गहरा हो गया। फिलहाल, यह मामला भी सीबीआई के लिए एक महत्वपूर्ण जांच का विषय बना हुआ है। इस केस ने कॉलेज प्रशासन की जिम्मेदारी और सुरक्षा उपायों पर सवाल उठाए हैं, और इसने राज्य में चिकित्सा पेशे की नैतिकता पर भी गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। संदीप घोष की गिरफ्तारी पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा, “बंगाल के लोग इस मामले में न्याय चाहते थे और यह गिरफ्तारी उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुझे पहले से ही अंदेशा था कि संदीप घोष को सीबीआई गिरफ्तार करेगी। यह कार्रवाई राज्य में बढ़ती भ्रष्टाचार और अपराध की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जरूरी है।” सीबीआई और ईडी की जांच अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने बंगाल के राजनीतिक माहौल को भी गरमा दिया है, क्योंकि यह मामला केवल एक मेडिकल कॉलेज तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य की चिकित्सा व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र पर भी सवाल उठा रहा है।
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इस मामले में संदीप घोष के साथ-साथ तीन व्यापारिक संस्थाओं की भूमिका भी जांच के दायरे में है, और यह देखना बाकी है कि जांच में और क्या खुलासे होते हैं। फिलहाल, इस पूरे मामले को लेकर बंगाल के लोग और राज्य का चिकित्सा समुदाय बेचैनी से आगे की घटनाओं का इंतजार कर रहे हैं।
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]]>The post कोलकाता कांड पर अधीर रंजन का बड़ा आरोप, ‘ममता जांच को सही से नहीं होने देना चाहतीं, कई रहस्य खुल सकते हैं first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>इस घटना के बाद कोलकाता में लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा, छात्र संगठन और डॉक्टर इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टरों ने हड़ताल का आह्वान किया है और उनकी मांग है कि इस मामले में दोषियों को सख्त सजा दी जाए।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों की हड़ताल का समर्थन किया है और कहा है कि उनकी मांगें जायज हैं। ममता ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “मैंने कुछ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार अभियान देखा है। यह हमारे छात्रों के कार्यक्रम में दिए गए भाषण के संदर्भ में चलाया जा रहा है। मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैंने छात्रों व उनके आंदोलन के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला। मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं। यह आंदोलन वास्तविक है।” ममता ने यह भी कहा कि कुछ लोग झूठे आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी किसी को धमकी नहीं दी।
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इस पूरे मामले की शुरुआत 9 अगस्त को हुई थी, जब आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर का शव मिला था। पुलिस जांच में यह साफ हो गया कि महिला डॉक्टर के साथ पहले दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद अस्पताल और उसके आसपास के इलाके में तनाव फैल गया। सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस ने संजय रॉय नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। शुरुआती जांच में ही यह मामला अत्यंत गंभीर पाया गया, जिसके बाद इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने मुख्य आरोपी संजय रॉय समेत सात लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया है।
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सीबीआई अब इस मामले की पूरी जांच कर रही है। पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद कई और सुराग मिलने की उम्मीद है। यह देखना होगा कि जांच में क्या नए तथ्य सामने आते हैं और आरोपियों को क्या सजा दी जाती है। यह मामला राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासन पर भी सवाल खड़े करता है। जहां एक तरफ सरकार जांच के लिए प्रतिबद्धता दिखा रही है, वहीं विपक्ष इसे लेकर सरकार पर सवाल उठा रहा है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में न्याय कैसे और कब तक मिलता है।
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]]>प्रदर्शनकारी लगातार आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें रोक रही है। पानी की तेज बौछारों और लाठीचार्ज के बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हट रहे। वे ममता बनर्जी की सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लिया है और उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस विरोध प्रदर्शन को गुंडागर्दी करार दिया है। सांसद सयानी घोष ने आरोप लगाया कि यह प्रदर्शन केवल गुंडागर्दी का हिस्सा है और इसमें अधिकतर महिला प्रदर्शनकारी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विरोध-प्रदर्शन पिकनिक जैसा है जिसमें कुछ प्रदर्शनकारी पानी की बौछारों के नीचे ठंडा स्नान कर रहे हैं।
कोलकाता पुलिस की सेंट्रल डिवीजन की डिप्टी कमिश्नर (डीसी) इंदिरा मुखर्जी ने स्थिति को नियंत्रित करने की बात की। उन्होंने कहा कि फिलहाल किसी भी गिरफ्तारी की संख्या की जानकारी नहीं दी जाएगी और पहले स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। शहर में सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मंगलवार को नवान्न और इसके आसपास 6,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। सुरक्षा के विशेष जिम्मे में 21 आइजी और डीआइजी रैंक के अधिकारियों को रखा गया है। इसके अलावा, 13 एसपी और डीएसपी रैंक के अधिकारियों के साथ-साथ 15 अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी भी तैनात किए गए हैं। हावड़ा ब्रिज को सील कर दिया गया है और किसी भी वाहन को आने-जाने की अनुमति नहीं है। चेक गेटों पर नागरिक स्वयंसेवकों द्वारा ग्रीस लगाया जा रहा है ताकि प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स पर चढ़ न सकें।
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ड्रोन की मदद से भी सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है। पुलिस प्रशासन ने ड्रोन के माध्यम से इलाके पर निगरानी रखी है। पुलिस की विशेष टीमें सुरक्षा की निगरानी और नियंत्रण के लिए तैनात की गई हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने ‘नबन्ना अभियान’ के पीछे एक बड़ी साजिश का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि इस आंदोलन को भाजपा और अन्य विपक्षी पार्टियों की मदद से चलाया जा रहा है, जो खून की राजनीति कर रही हैं। उन्होंने माकपा और कांग्रेस का भी इसमें शामिल होने का आरोप लगाया और दो वीडियो जारी किए जिसमें लोगों को गोलियां चलाने और लाशें गिराने की बातें करते हुए दिखाया गया। हालांकि, दैनिक जागरण ने इन वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की है।
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वहीं, केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि वह छात्रों के आंदोलन से डर गई है और इसे दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आंदोलन के दौरान कोई बड़ी घटना घटी, तो राज्य सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। बंगाल पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि नवान्न का क्षेत्र संरक्षित है और वहां किसी भी संगठन द्वारा विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ बदमाश इस अभियान की आड़ में अशांति फैलाने की कोशिश कर सकते हैं और बच्चों और महिलाओं को आगे रखकर गड़बड़ी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यूजीसी नेट की परीक्षा भी आज हो रही है और पुलिस का प्रयास होगा कि सामान्य जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
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