Menka Gandhi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 28 Mar 2024 11:49:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Menka Gandhi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 वरुण गांधी ने उजागर किया पीलीभीत से टिकट कटने का ‘राज’ ढाई साल पुरानी चिट्ठी से ऐसे जुड़ रहा नाता. https://chaupalkhabar.com/2024/03/28/varun-gandhi-exposed/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/28/varun-gandhi-exposed/#respond Thu, 28 Mar 2024 11:49:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2747 भाजपा नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के नाम एक चिट्ठी लिखी। वह चिट्ठी उनके और पीलीभीत के लोगों के बीच के गहरे संबंध को प्रकट करती है। इस चिट्ठी में वह व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन और आशीर्वाद प्रकट करते हैं, साथ ही पीलीभीत के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े …

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भाजपा नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के नाम एक चिट्ठी लिखी। वह चिट्ठी उनके और पीलीभीत के लोगों के बीच के गहरे संबंध को प्रकट करती है। इस चिट्ठी में वह व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन और आशीर्वाद प्रकट करते हैं, साथ ही पीलीभीत के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े रहने का वादा करते हैं। इस चिट्ठी में वरुण गांधी ने अपने दर्द को भी बयां किया है, जो सियासी गलियारों में बहस का केंद्र बन गया है।

वरुण गांधी ने पीलीभीत के लोगों के लिए लिखी चिट्ठी में भावुक शब्दों में अपना समर्थन जताया है। उन्होंने चिट्ठी में बताया कि क्यों उनका पीलीभीत से टिकट कटा गया है, और इसका संकेत भी इशारों में किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने राजनीतिक मामलों में आम जनता की समस्याओं का ध्यान रखने का संकल्प लिया है। उन्होंने पीलीभीत की जनता को आश्वासन दिया कि वे उनकी समस्याओं को सुनेंगे और उनके लिए समाधान ढूंढेंगे। उन्होंने उन लोगों को साथ खड़ा होने का आश्वासन दिया जो उन्हें समर्थन देते हैं, चाहे फिर उसका कोई भी कीमत हो। इस चिट्ठी में उनका दर्द भी प्रकट होता है जिसे वह इस्तेमाल किया है। वास्तव में, वरुण गांधी ने गुरुवार को लिखी चिट्ठी में जिस “कीमत चुकाने” का उल्लेख किया है, वह ढाई साल पहले प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी से सीधे जुड़ रहा है। 20 नवंबर 2021 को वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उन्होंने प्रधानमंत्री के द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान का स्वागत किया था। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तत्काल निर्णय लेने की मांग की ताकि किसान अपने आंदोलन से वापस लौट सकें।

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वरुण गांधी ने आंदोलन के शहीद किसानों के परिवारों को भी आर्थिक सहायता देने की मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, वरुण गांधी की इस चिट्ठी में वही मांगें शामिल थीं जो विपक्ष के नेता और किसान आंदोलन के समर्थक कर रहे थे। इस चिट्ठी के बाद, न केवल केंद्रीय नेतृत्व बल्कि केंद्र सरकार के साथ भी उनका संघर्ष बढ़ गया। वरुण गांधी ने चिट्ठी के माध्यम से ही केंद्र सरकार पर निशाना साधा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उन्होंने अपने संदेश को पहुंचाया।

उन्होंने कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के ऐलान के बाद एक ट्वीट किया और कहा कि देश के किसानों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखा, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय समय पर लिया गया होता, तो उन 700 किसानों की जान बच सकती थी, जो अपने आंदोलन में बलिदान दे चुके थे।राजनीतिक जानकार टीबी सिंह के अनुसार, वरुण गांधी को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं देने का निर्णय लिया। हालांकि, उसके बाद उन्होंने लोगों की समस्याओं को सुनने और समाधान के लिए काम करना शुरू किया।

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उन्होंने सरकारी क्रय केंद्रों समेत अन्य जगहों पर जाकर किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझा। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के लिए लिखी गई चिट्ठी में अपनी आवाजों को सुनाया है, जो उन्होंने पहले भी उठाई थीं। उन्होंने अंतिम लाइनों में न केवल इन आवाजों को उठाने का वादा किया है, बल्कि कोई भी कीमत चुकाने के लिए भी तैयार हैं। इस चिट्ठी के माध्यम से, उन्हें पीलीभीत में कटे गए टिकट के साथ सीधा नाता जोड़ा जा रहा है।

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पीलीभीत सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वरुण गांधी का टिकट काटकर उन्हें चुनाव मैदान से हटा दिया है। इसके बजाय, पार्टी ने जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पार्टी के द्वारा लिया गया है। पीलीभीत सीट के चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका देने का फैसला किया गया है।

जितिन प्रसाद, जो पहले से ही शाहजहांपुर और धौरहरा लोकसभा सीटों से सांसद रह चुके हैं, होली के दिन पीलीभीत पहुंचे। वहां उन्होंने सिख समाज के लोगों के साथ बैठक की और बीजेपी कार्यकर्ताओं से मिलकर चुनावी रणनीतियों पर चर्चा की। जितिन प्रसाद ने पीलीभीत को महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र मानते हुए कहा कि पूरे देश-प्रदेश की नजरें इस सीट पर हैं। जितिन ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर वरुण गांधी की जगह उम्मीदवार बनाए जाने के बाद संगठन की गतिविधियों को तेजी से बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि पार्टी के कार्यकर्ता अपने काम में निष्ठावान रहेंगे और पीलीभीत सीट को बीजेपी के लिए जीत के रूप में साबित करेंगे।

वरुण गांधी ने पीलीभीत से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने अपने समर्थकों को इस बारे में सूचित किया है। इस निर्णय के बाद, उनके समर्थकों में कोई उत्साह या सक्रियता नहीं दिख रही है। उन्होंने अपने करीबी लोगों को बताया है कि उनके साथ छल हुआ है और अब वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे। बीजेपी ने वरुण के नाम के साथ जितिन प्रसाद को पीलीभीत सीट से उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के साथ ही, पार्टी ने मेनका गांधी को सुल्तानपुर सीट से टिकट दिया है। यह चुनाव पहले चरण में हैं, जिसमें पीलीभीत समेत यूपी की आठ सीटें शामिल हैं।

मेनका गांधी को सुल्तानपुर सीट से टिकट दिया है। यह चुनाव पहले चरण में हैं, जिसमें पीलीभीत समेत यूपी की आठ सीटें शामिल हैं।

वरुण गांधी को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में या दूसरे दल से चुनाव मैदान में उतरने की संभावना है। यदि ऐसा होता है, तो बीजेपी इसे सहजता से लेगी, जिससे मेनका गांधी को नकारात्मक असर पड़ सकता है। वरुण गांधी के कई मौकों पर अपनी पार्टी और सरकार की लाइन के विपरीत खड़े होने की रिपोर्टें आई हैं। वह नए कृषि कानूनों से लेकर कोरोना महामारी तक, कई मौकों पर अपनी सरकार के विरोध में बोले हैं।

वर्ष 2016 में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक से पहले प्रयागराज में ‘न अपराध, न भ्रष्टाचार… अबकी बार बीजेपी सरकार’ के पोस्टर लगे थे। यह पोस्टर उन्हें बीजेपी के आगे केंद्र सरकार के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने के लिए किया गया था। लेकिन इसे वरुण गांधी की ओर से खुद को सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट करने का रूप माना गया। योगी सरकार ने जब अमेठी में उनके पिता संजय गांधी के नाम पर अमेठी के अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड किया था, तो वरुण गांधी ने भी इसे लेकर कड़ा प्रतिक्रिया दी थी।

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वरुण गांधी को कई मौकों पर पार्टी की लाइन के खिलाफ बोलने के लिए जाना जाता है। उन्हें पार्टी ने 2016 में पश्चिम बंगाल में संगठन का काम सौंपा था, लेकिन उन्होंने इसमें कोई रुचि नहीं दी। उन्होंने अपने प्रियजनों की सीट से भी दूरी बनाए रखी है। वरुण गांधी के आगे की सियासी राह के बारे में विभिन्न रायें हैं। कुछ लोग उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में या कांग्रेस से चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस विषय पर अलग-अलग डिबेट चल रही है।

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लोकसभा चुनाव के पहले चरण में देश की 102 लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है। इसके लिए नॉमिनेशन की अंतिम तारीख 27 मार्च है। बीजेपी के उम्मीदवार जितिन प्रसाद 27 मार्च को पीलीभीत से नामांकन करेंगे। पीलीभीत सीट पर 1996 से ही मेनका गांधी का दबदबा रहा है। मेनका 1989 में जनता दल के टिकट पर इसी सीट से पहली बार संसद पहुंची थीं। बीजेपी ने 1991 में इस सीट से जीत हासिल की लेकिन 1996 में फिर मेनका को जीत मिली और तब से अब तक इस सीट से वह खुद या उनके बेटे वरुण गांधी ही लोकसभा पहुंचते रहे हैं। वरुण गांधी के अगले कदम के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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