minority hindu in Bangladesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 06 Sep 2024 11:07:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg minority hindu in Bangladesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना को भारत से राजनीतिक बयान देने पर चेताया. https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/interim-sir-in-bangladesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/interim-sir-in-bangladesh/#respond Fri, 06 Sep 2024 11:07:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4709 बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ, मोहम्मद यूनुस ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में रहते हुए राजनीतिक बयान देने से मना किया है। यूनुस ने चेतावनी दी है कि हसीना के इस तरह के बयान भारत और बांग्लादेश के बीच के कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी …

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ, मोहम्मद यूनुस ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में रहते हुए राजनीतिक बयान देने से मना किया है। यूनुस ने चेतावनी दी है कि हसीना के इस तरह के बयान भारत और बांग्लादेश के बीच के कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे, ताकि वह वापस लौटने पर बांग्लादेश में कानूनी कार्यवाही का सामना कर सकें। यूनुस का कहना था कि अगर हसीना चुप रहतीं, तो संभवतः राजनीतिक स्थिति शांत हो जाती और जनता भी इसे भूल जाती। हालांकि, उनके निरंतर राजनीतिक बयानबाजी से बांग्लादेश में फिर से तनाव बढ़ सकता है और इससे क्षेत्रीय संबंध भी प्रभावित हो सकते हैं। अंतरिम चीफ ने चेतावनी दी कि यदि शेख हसीना ने अपनी बयानबाजी जारी रखी, तो इससे उनके व्यक्तिगत भविष्य और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट के बाद, शेख हसीना, जो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और आवामी लीग पार्टी की नेता हैं, भारत में निर्वासन में रहने लगीं। तख्तापलट के बाद हसीना ने संभावित कानूनी और राजनीतिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत में शरण ली थी। वर्तमान में वह भारत में रहते हुए बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पर समय-समय पर बयान देती रहती हैं। ये बयान अक्सर विवाद का कारण बनते हैं, खासकर बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार और विपक्षी नेताओं के बीच। 13 अगस्त को, शेख हसीना ने बांग्लादेश में हुई हिंसा और हत्याओं की निंदा करते हुए इसे आतंकी घटना करार दिया था। इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल और गरम हो गया, और अंतरिम सरकार ने हसीना की राजनीति में हस्तक्षेप की आलोचना की। शेख हसीना के बयान के अलावा, मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों के मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने का दावा किया और कहा कि ये घटनाएं कुछ राजनीतिक समूहों द्वारा अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। यूनुस ने कहा कि हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन यह देश की वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाती है।

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और हिंसा का मुद्दा हमेशा चिंता का विषय रहा है, और यूनुस की इस पर टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों के लिए तनाव पैदा कर सकती है। हालांकि, यूनुस का मानना है कि इसे राजनीतिक तौर पर गलत ढंग से पेश किया जा रहा है। मीडिया से बात करते हुए, यूनुस ने भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंधों की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को प्राथमिकता देते हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, यूनुस ने भारत द्वारा बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टियों के प्रति नजरिए पर चिंता व्यक्त की। यूनुस का मानना है कि भारत अक्सर बांग्लादेश की किसी भी पार्टी को, जो आवामी लीग के अलावा हो, एक इस्लामिक चरित्र वाली पार्टी के रूप में देखता है, जो एक गलत दृष्टिकोण है। उन्होंने भारत से इस नजरिए को बदलने की अपील की, और कहा कि बांग्लादेश की राजनीतिक विविधता को समझना जरूरी है। यूनुस ने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में आवामी लीग के अलावा किसी भी पार्टी की सरकार बनने पर देश अफगानिस्तान में तब्दील नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, चाहे जो भी पार्टी सत्ता में हो, अपनी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को बनाए रखेगा।

भारत में शेख हसीना के ठहराव का मुद्दा बांग्लादेश में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर सहित विपक्षी नेताओं ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। आलमगीर ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों को सुधारने के लिए शेख हसीना का बांग्लादेश लौटना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अगर हसीना भारत में ही रहती हैं, तो इससे दोनों देशों के रिश्तों में और दरार आ सकती है। आलमगीर के बयान से यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश के विपक्षी दलों में हसीना की भारत में उपस्थिति को लेकर असंतोष है। उनका मानना है कि हसीना की वापसी से राजनीतिक मुद्दे सुलझ सकते हैं और दोनों देशों के बीच सकारात्मक कूटनीतिक वार्ता का रास्ता खुल सकता है।

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शेख हसीना के निर्वासन से बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है। उनकी अनुपस्थिति और भारत से उनकी निरंतर राजनीतिक भागीदारी ने देश में राजनीतिक स्थिरता को कठिन बना दिया है। अंतरिम सरकार, यूनुस के नेतृत्व में, कानून और व्यवस्था बनाए रखने और अल्पसंख्यक मुद्दों जैसे गंभीर मामलों पर ध्यान दे रही है। हालांकि, यूनुस द्वारा हसीना की राजनीतिक बयानबाजी के खिलाफ चेतावनी से यह स्पष्ट है कि स्थिति अब भी संवेदनशील बनी हुई है। हसीना के प्रत्यर्पण और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना देश में राजनीतिक अनिश्चितता को और बढ़ा सकती है। बांग्लादेश के राजनीतिक नेता इस मुद्दे का समाधान करने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन समाधान का रास्ता अभी भी अस्पष्ट है।

बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक स्थिति अनिश्चित है, और शेख हसीना, अंतरिम सरकार और भारत के बीच के संबंध भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यूनुस जहां भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने और बांग्लादेश को स्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की विदेश से जारी राजनीति ने इन प्रयासों को जटिल बना दिया है। हसीना की वापसी से स्थिति सुधर सकती है, लेकिन इससे राजनीतिक अस्थिरता का जोखिम भी बना रहेगा।

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पीएम मोदी ने पहली बार मुहम्मद यूनुस से फोन पर बातचीत की, हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर मिला भरोसा. https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/pm-modi-launched-the-campaign-for-the-first-time/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/pm-modi-launched-the-campaign-for-the-first-time/#respond Fri, 16 Aug 2024 11:46:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4339 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख, प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस से फोन पर बात की, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्वीट के माध्यम से दी। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने वर्तमान स्थिति पर अपने विचार साझा किए और एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को फिर …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख, प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस से फोन पर बात की, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्वीट के माध्यम से दी। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने वर्तमान स्थिति पर अपने विचार साझा किए और एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को फिर से स्पष्ट किया। इसके साथ ही, उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा का आश्वासन भी दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक हफ्ते में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के मुद्दे को दो बार उठाया है। सबसे पहले, आठ अगस्त को, जब प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला था, तब पीएम मोदी ने उन्हें बधाई दी थी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।

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इसके बाद, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत के 140 करोड़ नागरिकों को बांग्लादेश के हिंदुओं की स्थिति की चिंता है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वहां के हालात सामान्य होंगे।

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प्रधानमंत्री के इस बयान से साफ है कि भारत सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर प्रमुखता से उठा रही है। पीएम मोदी का यह कदम दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को बनाए रखने और मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर भारत सरकार की यह चिंता और पहल, दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाने में सहायक हो सकती है।

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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के विरोध में शिक्षाविदों और इतिहासकारों का प्रदर्शन, संसद में प्रस्ताव लाने के लिए खुला पत्र लिखा. https://chaupalkhabar.com/2024/08/12/hindu-community-in-bangladesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/12/hindu-community-in-bangladesh/#respond Mon, 12 Aug 2024 12:38:10 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4277 बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। हिंदुओं के घरों और मंदिरों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, और इस हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने में अंतरिम सरकार की निष्क्रियता ने स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है। हाल ही …

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बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। हिंदुओं के घरों और मंदिरों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, और इस हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने में अंतरिम सरकार की निष्क्रियता ने स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है। हाल ही में, बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी घटनाओं की रिपोर्टें आई हैं जिनमें हिंदू समुदाय पर हमले किए गए हैं। मेहरपुर में स्थित इस्कॉन मंदिर को जलाना, देशभर में कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़, और हिंदुओं की लिंचिंग के जश्न मनाते हुए दंगाइयों के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं। ये घटनाएं न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन चुकी हैं।

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बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को लंबे समय से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, खासकर तब जब देश में राजनीतिक अस्थिरता होती है। 1971 में बांग्लादेश के गठन के समय से ही हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं जारी हैं। पाकिस्तानी शासन के दौरान लाखों हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी, और आज भी हिंसा की ये लहर जारी है। इन घटनाओं के खिलाफ विभिन्न शिक्षाविदों और इतिहासकारों ने आवाज उठाई है। उन्होंने भारतीय संसद को एक खुला पत्र लिखकर हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय द्वारा सामना की जा रही हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ एक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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इस खुले पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने भारतीय संसद से अपील की है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे। पत्र में यह भी कहा गया है कि अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने और न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता है, ताकि इस हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के इस नए और खतरनाक पैटर्न ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश सरकार को इस हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाना चाहिए। अंतरिम सरकार की निष्क्रियता के कारण ही इस तरह की हिंसात्मक घटनाएं बढ़ रही हैं, और यदि सरकार जल्द से जल्द कदम नहीं उठाती है, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

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बांग्लादेशी हिंदू परिवारों की भारत में शरण की कोशिश, सीमा पर बढ़ा तनाव और कड़ी की गई बॉर्डर पर सुरक्षा . https://chaupalkhabar.com/2024/08/10/bangladeshi-hindu-family/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/10/bangladeshi-hindu-family/#respond Sat, 10 Aug 2024 06:35:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4241 बांग्लादेश में नई सरकार बनने के बावजूद हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस हिंसा में खासकर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, जिसके कारण हजारों हिंदू परिवार अपना घर छोड़कर भारत में शरण लेना चाहते हैं। वर्तमान में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग भारत-बांग्लादेश सीमा …

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बांग्लादेश में नई सरकार बनने के बावजूद हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस हिंसा में खासकर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, जिसके कारण हजारों हिंदू परिवार अपना घर छोड़कर भारत में शरण लेना चाहते हैं। वर्तमान में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग भारत-बांग्लादेश सीमा पर एकत्रित हैं, जो भारत में प्रवेश की अनुमति मांग रहे हैं पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के सितालकुची में करीब 1000 बांग्लादेशी नागरिक भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित जलाशय में खड़े होकर बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) से भारत में प्रवेश की अनुमति की गुहार लगा रहे हैं। बीएसएफ ने बताया कि यह अब तक का सबसे बड़ा समूह है, जिसने भारत में प्रवेश की कोशिश की है।

सितालकुची के काशियार बरुनी इलाके के पठानटुली गांव में सीमा पार करने की कोशिश कर रहे लोगों की स्थिति अत्यधिक विकट है। वे लोग बाड़ के पार जलाशय में घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन अपने गांवों में वापस जाने को तैयार नहीं हुए। इनमें से कुछ लोग ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए भी देखे गए। बीएसएफ कर्मियों ने इन लोगों को सीमा के जीरो पॉइंट (नो मैन्स लैंड) से करीब 150 गज की दूरी पर बाड़ पार करने से रोक दिया। बीएसएफ की कई बार की अपील के बावजूद भी ये लोग बांग्लादेश के रंगपुर जिले के दोई खावा और गेंदुगुरी गांवों में लौटने को तैयार नहीं हुए। इस स्थिति से बीएसएफ के लिए नई चुनौती उत्पन्न हो गई है।

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बीएसएफ के पूर्वी कमान के एडीजी को इस स्थिति से निपटने के लिए गठित एक समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। समिति को इस सीमा पर नजर रखने का कार्य सौंपा गया है। इससे पहले, बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं को देखते हुए भारत सरकार ने सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी थी। पिछले कुछ दिनों से उत्तर 24 परगना जिले के पेट्रापोल सीमा पर भी बांग्लादेश से लोगों का आना जारी है। यह स्थिति भारत सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और इसके परिणामस्वरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव बढ़ रहा है।

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इस स्थिति के मद्देनजर भारत सरकार ने सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार और हिंसा से उत्पन्न इस संकट ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है।

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