Modi govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 01 Oct 2024 11:27:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Modi govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 चिराग पासवान का बड़ा बयान, “मैं सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा, पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने को तैयार”. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/#respond Tue, 01 Oct 2024 11:27:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5185 लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और …

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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और यदि आवश्यक हुआ, तो मंत्री पद छोड़ने में भी संकोच नहीं करेंगे। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है, और अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

चिराग पासवान ने साफ कहा कि वह अपने पिता के उदाहरण का पालन करते हुए, अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने भी उस समय मंत्री पद छोड़ दिया था, जब वह महसूस करते थे कि दलितों के हितों का उल्लंघन हो रहा है।” उनका इशारा स्पष्ट था कि वह भी उसी तरह का फैसला लेने के लिए तैयार हैं। चिराग ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता रामविलास पासवान ने यूपीए सरकार में दलितों के मुद्दों पर समझौता नहीं किया था और मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

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हालांकि, चिराग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह वर्तमान में एनडीए गठबंधन के साथ बने रहेंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा, “जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम एनडीए का हिस्सा रहेंगे।” पीएम मोदी की तारीफ करते हुए चिराग ने मौजूदा सरकार को दलितों के प्रति संवेदनशील बताया। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने दलितों की समस्याओं और उनकी चिंताओं को प्राथमिकता दी है। चिराग पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनकी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उनके पास पार्टी के 5 सांसदों का समर्थन है, जो उन्हें भाजपा के सहयोगी दल के रूप में मजबूती प्रदान करता है। हालांकि, इस बयान से यह संकेत मिलता है कि चिराग पासवान अपने राजनीतिक भविष्य के लिए स्वतंत्र रूप से सोच रहे हैं और अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

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पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान के इस बयान को उनकी राजनीतिक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि चिराग भाजपा नेतृत्व को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ भाजपा की बढ़ती नजदीकियों से पूरी तरह खुश नहीं हैं। यह भी संभव है कि चिराग अपनी पार्टी को भाजपा की छाया से बाहर निकालकर स्वतंत्र रूप से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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एक राष्ट्र, एक चुनाव, मोदी सरकार की पहल पर कांग्रेस का सख्त विरोध https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/one-nation-one-election-modi-s/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/one-nation-one-election-modi-s/#respond Wed, 18 Sep 2024 11:13:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4965 मोदी सरकार ने देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस योजना पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इस पहल के तहत, सरकार का उद्देश्य देश में सभी चुनावों को एक साथ कराने की प्रक्रिया को सरल …

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मोदी सरकार ने देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस योजना पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इस पहल के तहत, सरकार का उद्देश्य देश में सभी चुनावों को एक साथ कराने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। हालांकि, इस प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहा है कि यह योजना भारतीय लोकतंत्र के लिए अनुपयुक्त है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” लोकतंत्र में प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकता।

खरगे ने आगे कहा, “अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र जीवित और सक्रिय रहे, तो चुनावों को आवश्यकतानुसार आयोजित करना चाहिए।” उनका तर्क है कि समय-समय पर चुनाव कराना न केवल जनता की आवाज़ को सुनने का एक तरीका है, बल्कि यह राजनीतिक प्रक्रिया को भी गतिशील बनाए रखता है। कांग्रेस का यह मत है कि यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, तो स्थानीय मुद्दों और आवश्यकताओं को नजरअंदाज किया जा सकता है। इससे राजनीतिक दलों के लिए राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाएगा, जबकि क्षेत्रीय समस्याएँ और चिंताएँ पीछे छूट जाएँगी।

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इससे पहले, कई राज्यों ने भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस योजना से चुनावों की स्वतंत्रता और विविधता पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। इससे राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में कमी आ सकती है और मतदाता विकल्पों की विविधता भी प्रभावित हो सकती है। कांग्रेस की इस आलोचना के बावजूद, मोदी सरकार का कहना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी और चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा। यह योजना न केवल खर्चों को कम करने का प्रयास करती है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज को भी सुचारू बनाने का दावा करती है।

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आगे बढ़ते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों का क्या रुख रहता है और क्या ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की इस योजना को लागू किया जा सकेगा या नहीं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद, सरकार इसे आगे बढ़ाने की तैयारी में है।

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राहुल गांधी के सिखों पर बयान को लेकर मचा बवाल, भाजपा का कड़ा विरोध, अदालत में घसीटने की चेतावनी https://chaupalkhabar.com/2024/09/10/rahul-gandhi-on-sikhs-buy/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/10/rahul-gandhi-on-sikhs-buy/#respond Tue, 10 Sep 2024 08:11:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4784 विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, जहां वे विभिन्न मंचों से मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर हमला बोल रहे हैं। इस दौरे के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों और भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा की कड़ी आलोचना की है। …

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विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, जहां वे विभिन्न मंचों से मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर हमला बोल रहे हैं। इस दौरे के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों और भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा की कड़ी आलोचना की है। हालांकि, उनके एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें उन्होंने सिखों से जुड़े मुद्दों पर बात की। भाजपा ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और कांग्रेस नेता को चुनौती दी है कि वे इस बयान को भारत में भी दोहराएं।

राहुल गांधी ने वर्जीनिया में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत में सिखों को उनकी धार्मिक पहचान के साथ जीने के अधिकार पर हमला हो रहा है। उन्होंने कहा, “लड़ाई राजनीति के बारे में नहीं है। असल लड़ाई यह है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी पहनने की अनुमति दी जाएगी, क्या उन्हें गुरुद्वारे में जाने की इजाजत मिलेगी, और क्या उन्हें अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखने का हक दिया जाएगा।” राहुल ने इसे सिर्फ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया। राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेता आरपी सिंह ने कहा कि राहुल गांधी को अपने इस बयान को भारत में भी दोहराना चाहिए। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, “अगर राहुल गांधी ने वर्जीनिया में जो कहा है उसे भारत में दोहराया, तो हम उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेंगे और उन्हें अदालत में घसीटेंगे।”

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आरपी सिंह ने कांग्रेस पर सिख विरोधी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “1984 में दिल्ली में 3000 से अधिक सिखों का नरसंहार हुआ था, और उस समय कांग्रेस की सरकार थी।” आरपी सिंह ने राहुल गांधी को उनके बयान के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सिख समुदाय से माफी मांगने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में देश की छवि को खराब करने का काम किया है। चौहान ने कहा, “जब अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष के नेता थे, तब उन्होंने कभी देश की छवि को धूमिल नहीं किया। विपक्ष का पद जिम्मेदारी वाला होता है और राहुल गांधी को इस पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।” चौहान ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने सिखों के बारे में जो बातें कही हैं, वे देश में धार्मिक असहिष्णुता का गलत चित्रण करती हैं।

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राहुल गांधी के इस बयान ने सिख समुदाय के मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। सिखों की धार्मिक पहचान और अधिकारों से जुड़े मुद्दे, जैसे कि पगड़ी, कड़ा, और गुरुद्वारे में जाने की स्वतंत्रता, हमेशा से संवेदनशील रहे हैं। भाजपा का आरोप है कि राहुल गांधी इन मुद्दों का राजनीतिकरण कर रहे हैं और देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नुकसान पहुंचा रहे हैं। भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है और राहुल गांधी को सिखों पर दिए गए बयान के लिए माफी मांगने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई के रूप में देख रही है।

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024: सत्ता और विपक्ष के बीच विवाद, वायरल वीडियो से उठे सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/09/10/waqf-amendment-bill-2024-power/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/10/waqf-amendment-bill-2024-power/#respond Tue, 10 Sep 2024 06:36:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4776 वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देश के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। सत्ता और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर तीखी बहस चल रही है, वहीं एक वायरल वीडियो ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। वीडियो में लोगों से वक्फ विधेयक का विरोध करने की अपील की जा रही है …

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देश के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। सत्ता और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर तीखी बहस चल रही है, वहीं एक वायरल वीडियो ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। वीडियो में लोगों से वक्फ विधेयक का विरोध करने की अपील की जा रही है और लाउडस्पीकर के माध्यम से विधेयक के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है, वीडियो में लोगों से अपील की जा रही है कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करें। यह भी कहा जा रहा है कि अगर यह विधेयक पास हो गया तो मस्जिदें, मजारें और कब्रिस्तान छिन जाएंगे। लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि संसद की संयुक्त समिति ने इस विधेयक पर राय मांगी है और सभी को ईमेल के माध्यम से अपनी राय भेजनी चाहिए। इसमें यह भी दावा किया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर भी सरकार का कब्जा हो जाएगा अगर यह बिल पारित हो जाता है।

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वायरल वीडियो किसी बाजार या सार्वजनिक स्थान का प्रतीत हो रहा है। इसमें एक व्यक्ति लाउडस्पीकर लेकर घूम रहा है और दूसरा माइक के माध्यम से लोगों से अपील कर रहा है। लगभग एक मिनट के इस वीडियो में बताया गया है कि वक्फ संशोधन विधेयक को फिलहाल संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है। वीडियो में कहा जा रहा है कि सभी नागरिक, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लोग, समिति को ईमेल के माध्यम से अपनी राय भेजें ताकि इस विधेयक को रोका जा सके। वीडियो में यह भी बताया गया कि 13 अगस्त तक राय भेजने का समय है और अगर विधेयक पारित हो गया तो मस्जिदों, मजारों और कब्रिस्तानों पर खतरा मंडरा सकता है।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष के भारी विरोध और दबाव के चलते इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया। समिति ने मुस्लिम संगठनों और आम नागरिकों से इस विधेयक पर राय मांगी है। समिति की राय जानने के बाद ही विधेयक पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस वायरल वीडियो पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा है, वह दुखद और विचलित करने वाला है। उन्होंने कहा कि वे खुद इस विधेयक का गहराई से अध्ययन कर चुके हैं और इसे कम से कम 100 बार पढ़ चुके हैं। दुबे ने जोर देकर कहा कि इस विधेयक में कहीं भी मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान, या मदरसों पर सरकार का कब्जा करने का प्रावधान नहीं है।

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दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि यह वीडियो झूठी सूचनाओं पर आधारित है और इसे मुस्लिम समुदाय के बीच भ्रम और डर फैलाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष और मोदी सरकार विरोधी ताकतें इस विधेयक का गलत इस्तेमाल कर एक विशेष वर्ग के मन में नफरत भरने का प्रयास कर रही हैं। दुबे ने इस प्रकार की राजनीति को “वोट बैंक की राजनीति” और “अंधी राजनीति” करार दिया। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का भविष्य अब संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों पर निर्भर करेगा। इस बीच, मुस्लिम संगठनों और आम जनता को अपनी राय प्रस्तुत करने का समय दिया गया है। समिति इस राय के आधार पर विधेयक में सुधार कर सकती है या फिर इसे नए रूप में पेश किया जा सकता है।

विपक्ष का आरोप है कि इस विधेयक से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा और इससे अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को खतरा हो सकता है। वहीं, सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और पारदर्शी और जिम्मेदार बनाना है। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर मचे घमासान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। वायरल वीडियो और इससे जुड़ी चर्चाओं ने इस मुद्दे को और भड़का दिया है। हालांकि, अब देखना यह होगा कि संयुक्त समिति इस पर क्या निर्णय लेती है और विधेयक का अंतिम रूप क्या होगा।

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एससी/एसटी आरक्षण, उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर पर बढ़ता विवाद. https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/sc-st-reservation-sub-category/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/sc-st-reservation-sub-category/#respond Wed, 04 Sep 2024 08:41:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4636 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी आरक्षण के उप-वर्गीकरण को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसने दलित समुदायों के बीच खलबली मचा दी है। इस फैसले के बाद से पूरे देश में विभिन्न दलित संगठनों ने इसके विरोध में बैठकें और रैलियां आयोजित करनी शुरू कर दी हैं। इस मुद्दे ने सरकार और …

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1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी आरक्षण के उप-वर्गीकरण को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसने दलित समुदायों के बीच खलबली मचा दी है। इस फैसले के बाद से पूरे देश में विभिन्न दलित संगठनों ने इसके विरोध में बैठकें और रैलियां आयोजित करनी शुरू कर दी हैं। इस मुद्दे ने सरकार और दलित संगठनों के बीच एक गंभीर विवाद को जन्म दे दिया है। अखिल भारतीय स्वतंत्र अनुसूचित जाति संघ (एआईआईएससीए) ने हाल ही में दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एक महत्वपूर्ण चर्चा आयोजित की, जिसमें निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग उठाई गई। चर्चा के दौरान, विभिन्न दलित नेताओं ने सरकार और सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कड़ी आलोचना की। इनमें पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, लेखिका और कार्यकर्ता अनीता भारती, बीएसपी नेता रितु सिंह, और जेएनयू के प्रोफेसर हरीश वानखेड़े जैसे प्रमुख नाम शामिल थे।

गौतम ने सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “इस फैसले को देखकर ऐसा लगता है कि यह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आरएसएस की विचारधारा का प्रतिबिंब है।” उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस बात का कोई डेटा नहीं है कि एससी/एसटी की किस जाति को कितना लाभ मिला है, और इस निर्णय के बिना समुदाय को सुने बगैर लिया गया। गौतम के अनुसार, यह फैसला समाज को विभाजित करने का प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की पीठ ने 6:1 के बहुमत से एससी/एसटी आरक्षण के उप-वर्गीकरण को परिभाषित करने का फैसला सुनाया। हालांकि, पीठ की एकमात्र असहमति जताने वाली न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी थीं। इस बीच, नरेंद्र मोदी सरकार ने क्रीमी लेयर की किसी भी संभावना को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया, जिससे विवाद और गहरा हो गया।

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मोदी सरकार के सहयोगियों में भी इस मुद्दे पर मतभेद दिखा। एलजेपी (रामविलास) के चिराग पासवान और आरएलडी के जयंत चौधरी ने इस उप-वर्गीकरण का विरोध किया, जबकि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। इस मुद्दे पर कुछ दलित नेताओं का मानना है कि आरक्षण ने नेतृत्व की संरचना को बदलने में असफलता पाई है। राजेंद्र पाल गौतम ने भारत के शीर्ष 10 पीएसयू बैंकों का उदाहरण देते हुए कहा कि 147 में से 135 पद उच्च जातियों के लोगों द्वारा भरे गए हैं। उन्होंने कहा, “एससी/एसटी को वह हिस्सा नहीं मिल रहा है जो मिलना चाहिए।”

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गौतम और अन्य दलित नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें उप-वर्गीकरण से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि इसे कैसे लागू किया जाएगा। प्रोफेसर वानखेड़े ने कहा कि अधिक भागीदारी से सत्ता का लोकतंत्रीकरण होगा। उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग करते हुए कहा, “निजी अर्थव्यवस्था का भी लोकतंत्रीकरण होना चाहिए, और उसे इस देश की विविधता को दर्शाना चाहिए।” बीएसपी नेता रितु सिंह ने इस मुद्दे पर संसद की निष्क्रियता पर चिंता जताई और समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का हवाला देते हुए कहा कि “सड़कें खामोश हो जाएं तो संसद आवारा हो जाएगी।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब वक्त आ गया है कि सड़कों पर आवाज उठाई जाए।

 

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