MUMBAI - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 21 Sep 2024 07:20:55 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg MUMBAI - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 धारावी में मस्जिद के ‘अवैध हिस्से’ को तोड़ने पर विवाद, बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन. https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/illegal-mosque-in-dharavi/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/illegal-mosque-in-dharavi/#respond Sat, 21 Sep 2024 07:20:55 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5032 मुंबई के धारावी क्षेत्र में स्थित महबूब-ए-सुबानिया मस्जिद को लेकर शुक्रवार को विवाद खड़ा हो गया, जब बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की टीम मस्जिद के कथित ‘अवैध हिस्से’ को तोड़ने के लिए पहुंची। धारावी, जिसे एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में जाना जाता है, घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जहां कई वर्षों से …

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मुंबई के धारावी क्षेत्र में स्थित महबूब-ए-सुबानिया मस्जिद को लेकर शुक्रवार को विवाद खड़ा हो गया, जब बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की टीम मस्जिद के कथित ‘अवैध हिस्से’ को तोड़ने के लिए पहुंची। धारावी, जिसे एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में जाना जाता है, घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जहां कई वर्षों से यह मस्जिद स्थानीय लोगों के धार्मिक और सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। बीएमसी की जी-नॉर्थ प्रशासनिक वार्ड की टीम सुबह 9 बजे धारावी के 90 फीट रोड पर स्थित इस मस्जिद के अवैध हिस्से को ध्वस्त करने के लिए पहुंची थी। इस मस्जिद को बीएमसी के अनुसार, कुछ हिस्से बिना अनुमति के बनाए गए थे, जो नगर निगम के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। हालाँकि, जैसे ही बीएमसी की टीम मस्जिद के पास पहुंची, बड़ी संख्या में स्थानीय लोग वहां इकट्ठा हो गए और उन्होंने इस कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया।

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विरोध करने वाले लोगों का कहना था कि मस्जिद करीब 25 साल पुरानी है और इसे अवैध ठहराना गलत है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने रास्ते पर बैठकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, जिससे बीएमसी की गाड़ी और अन्य वाहन को क्षति भी पहुंचाई गई। प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पुलिस की भारी तैनाती की गई और स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और बीएमसी के अधिकारी प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ बातचीत में जुट गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीड़ ने बीएमसी की टीम को उस गली में प्रवेश करने से रोका, जहां मस्जिद स्थित है। पुलिस ने बताया कि अब हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। पुलिस की टीम लगातार स्थानीय लोगों से संवाद कर रही है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति न बने।

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मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने इस कार्रवाई का विरोध किया और इसे गलत बताया। उनका कहना है कि मस्जिद का निर्माण वर्षों पहले किया गया था, और यह धारावी के समुदाय के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। मस्जिद को अवैध ठहराकर इस पर कार्रवाई करना स्थानीय लोगों की भावनाओं को आहत करने वाला कदम है। इस बीच, मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से सांसद प्रो. वर्षा गायकवाड़ ने इस मसले पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बात की और उन्हें मस्जिद की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने मांग की कि इस मामले में उचित समाधान निकाला जाए और समुदाय की भावनाओं का ध्यान रखा जाए। सांसद ने इस कार्रवाई को रोकने की अपील की और सभी पक्षों से शांति बनाए रखने का अनुरोध किया।

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धारावी को एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में जाना जाता है, जहां लाखों लोग छोटे घरों और तंग गलियों में रहते हैं। यहां की हर इमारत, चाहे वह धार्मिक स्थल हो या आवासीय ढांचा, स्थानीय लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इस इलाके में इस तरह की कोई भी कार्रवाई सामुदायिक तनाव का कारण बन सकती है, जैसा कि इस मस्जिद के मामले में देखने को मिला।

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महाराष्ट्र ‌स्पीकर ने दाखिल की SC में याचिका, कहा विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय के लिए है अधिक समय की आवश्यकता https://chaupalkhabar.com/2023/12/15/maharashtra-speaker-files-petition-in-sc-says-more-time-is-needed-to-decide-on-disqualification-of-mlas/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/15/maharashtra-speaker-files-petition-in-sc-says-more-time-is-needed-to-decide-on-disqualification-of-mlas/#respond Fri, 15 Dec 2023 11:39:37 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2010 MUMBAI : महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है। इस मामले में शीर्ष अदालत में कल सुनवाई होगी।   सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों …

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MUMBAI : महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है। इस मामले में शीर्ष अदालत में कल सुनवाई होगी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए 30 दिसंबर तक अधिसूचना जारी की थी। इस अनुमान के बाद कि इतने बड़े मामले में फैसला लेने के लिए अधिक समय की जरूरत है, राहुल नार्वेकर ने शीर्ष अदालत से कहा कि मामले में दस्तावेजों की भरमार होने के कारण और विधानसभा सत्र चल रहा होने के कारण उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।

 

 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 30 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को 30 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का स्पष्ट निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा था, “हम नहीं चाहते कि मामला अगले चुनाव तक लटका रहे। अगर स्पीकर सुनवाई नहीं कर सकते तो हम करेंगे। हमने बार-बार स्पीकर से फैसला लेने के लिए कहा है।”

यह मामला शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 33 विधायकों के खिलाफ है। उद्धव गुट ने इन विधायकों पर दल बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है।

राजनीतिक गतिशीलता के माध्यम से यह मामला महत्त्वपूर्ण हो गया है जो महाराष्ट्र की राजनीति को गहरे संघर्ष की दिशा में धकेल रहा है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना इस संघर्ष की मोहर बन गया है जिसमें दो शिवसेना गुटों के बीच संघर्ष चरम पर है।

शिवसेना के प्रतिनिधित्व में इस मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है, जो इस मामले की महत्ता को दर्शाती है।

विधायकों की अयोग्यता के मामले में इतनी बड़ी दस्तावेजीकरण और सत्र चल रहे होने के चलते अधिक समय की आवश्यकता होना सामान्य है। राजनीतिक विवाद के बीच इस मामले का समाधान ढंग से होना महत्त्वपूर्ण है ताकि राजनीतिक संघर्ष दूर हो सके और विधायकों की अयोग्यता के मामले में स्पष्टता आ सके।

 

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इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्त्वपूर्ण होगा जो महाराष्ट्र की राजनीतिक मान्यताओं और विधायकों की अयोग्यता के मामले में नई दिशा देने के लिए सार्थक हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए 30 दिसंबर तक अधिसूचना जारी की थी। इस अनुमान के बाद कि इतने बड़े मामले में फैसला लेने के लिए अधिक समय की जरूरत है, राहुल नार्वेकर ने शीर्ष अदालत से एक 3 सप्ताह की मांग की है।
अध्यक्ष नार्वेकर ने बताया कि मामले में दस्तावेजों की भरमार होने के कारण और विधानसभा सत्र चल रहा होने के कारण उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से तीन सप्ताह का एक्सटेंशन मांगा है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 30 अक्टूबर 2023 को हुई सुनवाई में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को 30 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने का स्पष्ट निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था, “हम नहीं चाहते कि मामला अगले चुनाव तक लटका रहे। अगर स्पीकर सुनवाई नहीं कर सकते तो हम करेंगे। हमने बार-बार स्पीकर से फैसला लेने के लिए कहा है।”

 

यह मामला शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 33 विधायकों के खिलाफ है। उद्धव गुट ने इन विधायकों पर दल बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है।

राजनीतिक गतिशीलता के माध्यम से यह मामला महत्त्वपूर्ण हो गया है जो महाराष्ट्र की राजनीति को गहरे संघर्ष की दिशा में धकेल रहा है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना इस संघर्ष की मोहर बन गया है जिसमें दो शिवसेना गुटों के बीच संघर्ष चरम पर है।

शिवसेना के प्रतिनिधित्व में इस मामले में विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है, जो इस मामले की महत्ता को दर्शाती है। विधायकों की अयोग्यता के मामले में इतनी बड़ी दस्तावेजीकरण और सत्र चल रहे होने के चलते अधिक समय की आवश्यकता होना सामान्य है। राजनीतिक विवाद के बीच इस मामले का समाधान ढंग से होना महत्त्वपूर्ण है ताकि राजनीतिक संघर्ष दूर हो सके और विधायकों की अयोग्यता के मामले में स्पष्टता आ सके।

इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्त्वपूर्ण होगा जो महाराष्ट्र की राजनीतिक मान्यताओं और विधायकों की अयोग्यता के मामले में नई दिशा देने के लिए सार्थक हो सकता है।

 

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