narendra modi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 07 Oct 2024 06:53:27 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg narendra modi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 एससीओ बैठक में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएंगे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, 9 साल बाद पहली बार भारत का कोई मंत्री करेगा यात्रा https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/#respond Mon, 07 Oct 2024 06:53:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5237 भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा …

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि बीते 9 सालों में यह पहला मौका होगा जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेगा। इससे पहले, दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं, लेकिन उसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में काफी तनाव रहा है और कोई भी भारतीय मंत्री वहां नहीं गया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस यात्रा की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि यह दौरा एससीओ चार्टर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “भारत एससीओ चार्टर को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और विदेश मंत्री की यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस चार्टर के तहत दिए गए दायित्वों को निभाना है।” साथ ही उन्होंने इस यात्रा को भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों के सुधार से जोड़कर देखने से मना कर दिया। उन्होंने साफ किया कि यह दौरा केवल एससीओ के संदर्भ में है और इसका कोई अन्य राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

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पाकिस्तान ने एससीओ की इस बैठक के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा था। अगस्त 2024 में पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस बैठक के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान दौरे को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस निमंत्रण पर स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “पाकिस्तान से बातचीत का समय समाप्त हो चुका है”। जयशंकर ने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद अब इस मुद्दे का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और भारत पाकिस्तान के साथ किसी प्रकार के रिश्ते पर विचार करने की स्थिति में नहीं है।

भारत और पाकिस्तान दोनों एससीओ के सदस्य देश हैं और इस संगठन के तहत दोनों देशों के अधिकारियों ने समय-समय पर बैठकें की हैं। पिछले साल जुलाई 2023 में भारत ने वर्चुअल माध्यम से एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑनलाइन हिस्सा लिया था। इसके अलावा मई 2023 में गोवा में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने हिस्सा लिया था। यह उनके भारत दौरे का दुर्लभ मौका था, लेकिन दोनों देशों के बीच कड़वाहट उस समय भी स्पष्ट थी।

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एससीओ का गठन 2001 में हुआ था और यह संगठन सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जाना जाता है। इसमें आठ स्थायी सदस्य देश हैं, जिनमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में इस संगठन के स्थायी सदस्य बने थे।

हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर और सीमा पर तनाव जैसे मुद्दों ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को और जटिल बना दिया है। इसके बावजूद एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंच पर दोनों देशों की भागीदारी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह दोनों देशों के अधिकारियों को एक साथ लाने का अवसर प्रदान करता है। इस बार पाकिस्तान द्वारा आयोजित की जा रही एससीओ बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत इस संगठन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से लेता है।

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: मतदान के अंतिम चरण में नेताओं का मतदाता से आह्वान https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/jammu-kashmir-assembly-ch-3/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/jammu-kashmir-assembly-ch-3/#respond Tue, 01 Oct 2024 06:38:38 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5170 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण के मतदान के अवसर पर सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे लोकतंत्र के इस उत्सव में भाग लें और अपने मतदान का अधिकार अवश्य प्रयोग करें। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं की भागीदारी की उम्मीद जताई। उनका कहना …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण के मतदान के अवसर पर सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे लोकतंत्र के इस उत्सव में भाग लें और अपने मतदान का अधिकार अवश्य प्रयोग करें। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं की भागीदारी की उम्मीद जताई। उनका कहना है कि यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और सभी को अपने वोट डालने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि पहली बार वोट देने जा रहे युवा साथियों के अलावा नारीशक्ति की मतदान में बढ़-चढ़कर भागीदारी होगी।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर एक वोट लोकतंत्र की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित करेगा कि सभी की आवाज सुनी जाए।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी मतदान के लिए लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “मतदान शुरू होने के साथ, मैं इन 40 विधानसभा सीटों के लोगों से अपील करता हूं कि वे बड़े पैमाने पर अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करें।” उन्होंने यह भी कहा कि यह अवसर उन लोगों को सबक सिखाने का है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया। खड़गे ने मतदाताओं को याद दिलाया कि “एक वोट आपकी किस्मत बदल सकता है।” उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि एक वोट उनके संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है और एक उज्जवल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान कर सकता है। उन्होंने युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने, भ्रष्टाचार से निपटने और भूमि अधिकारों की रक्षा करने पर जोर दिया।

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इसके साथ ही, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने भी मतदाताओं से अपील की। उन्होंने बेरोजगारी को चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बताया और कहा, “पिछले कई सालों से रोजगार के लिए कोई योजना नहीं बनी है। यह समय है कि जम्मू-कश्मीर के मतदाता अपनी आवाज उठाएं और एक नई सरकार बनाएं।” आज़ाद ने कहा, “मैं सभी मतदाताओं से निवेदन करता हूं कि वे अपने मत का उपयोग करें।” उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना जरूरी है, ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा सके और एक विकासशील जम्मू-कश्मीर का निर्माण हो सके।

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जम्मू-कश्मीर में हो रहे चुनावों को लेकर उत्साह का माहौल है। मतदाता लंबी कतारों में खड़े होकर अपने मतदान का इंतजार कर रहे हैं। इस बार का चुनाव विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि उनकी भागीदारी से ही राज्य का भविष्य तय होगा। इस चुनावी माहौल में नेताओं की अपील यह दर्शाती है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। चुनावी प्रक्रिया में शामिल होकर मतदाता न केवल अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के भविष्य की दिशा भी तय कर रहे हैं।

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बिहार की राजनीति में नई हलचल: नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात से उठी अटकलें, पुराना वीडियो बना चर्चा का केंद्र. https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/new-solution-in-bihar-politics/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/new-solution-in-bihar-politics/#respond Fri, 06 Sep 2024 09:38:59 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4707 बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। 4 सितंबर 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर तेजी से यह चर्चा शुरू हो …

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बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। 4 सितंबर 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर तेजी से यह चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं, जिससे भाजपा और नीतीश कुमार की दोस्ती में दरार आने की संभावना जताई जा रही है।

तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच यह मुलाकात अचानक और अप्रत्याशित थी, जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। इस मुलाकात के बाद राजद समर्थक सोशल मीडिया पर दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार महागठबंधन में लौट सकते हैं, और इस तरह से बिहार की सियासत में नया मोड़ आ सकता है। हालांकि, इस मुलाकात का वास्तविक कारण क्या था, इसे लेकर तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि यह मुलाकात महज एक सामाजिक बातचीत थी और इसमें कोई बड़ा राजनीतिक इशारा नहीं था।

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हालांकि, इस मुलाकात के बाद भी राजनीतिक अटकलें कम नहीं हुई हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें नीतीश कुमार और लालू यादव की मुलाकात को हाल की बताया जा रहा है। इस वीडियो को कई लोगों ने शेयर किया और इसे बिहार की सियासी स्थिति पर बड़ा असर डालने वाला बताया। लेकिन जांच में पता चला कि यह वीडियो दो साल पुराना है। यह वीडियो 5 सितंबर 2022 का है, जब नीतीश कुमार लालू यादव से मिलने राबड़ी आवास पर गए थे, और तब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। इसलिए, इस वीडियो की ताजगी के दावे पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही बिहार की सियासत में कई बदलाव हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल नीतीश कुमार और भाजपा के रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। वर्तमान में बिहार में भाजपा और जेडीयू की डबल इंजन की सरकार है, जो अपने विकास कार्यों के लिए जानी जाती है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने हाल ही में कहा कि भाजपा की विचारधारा पर लोगों का भरोसा पूरी तरह से है। उन्होंने यह भी कहा कि 2005 के बाद बिहार में जो विकास हुआ है, वह नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में संभव हुआ है। उनके अनुसार, भाजपा ने जो भी वादे किए हैं, उन्हें पूरा भी किया है।

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वहीं, जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने राजद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लालू प्रसाद का कुशवाहा समाज के प्रति प्रेम ढकोसला है। उन्होंने दावा किया कि राजद के लुभावने भाषणों से जनता को भ्रमित किया जाता है, और कुशवाहा समाज को परिवारवादी राजनीति से बाहर रखना चाहिए। इस तरह से, बिहार की राजनीति में चल रही हलचल और सोशल मीडिया पर फैली अटकलों के बावजूद, फिलहाल कोई ठोस प्रमाण या आधिकारिक बयान नहीं आया है जो यह साबित कर सके कि नीतीश कुमार और भाजपा के रिश्तों में कोई बड़ा बदलाव होने वाला है। वर्तमान में, यह कह पाना मुश्किल है कि भविष्य में बिहार की सियासत में क्या मोड़ आएगा, लेकिन फिलहाल की स्थिति में ऐसा कोई संकेत नहीं है कि नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन में शामिल होंगे।

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भाजपा की आलोचना और जन सुराज की चुनौती,प्रशांत किशोर की राजनीति पर चर्चा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/criticism-of-bjp-and-public-surra/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/criticism-of-bjp-and-public-surra/#respond Thu, 05 Sep 2024 10:42:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4684 प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जो अभी तक आधिकारिक रूप से लॉन्च नहीं हुई है, ने बिहार में प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच ‘बी टीम’ का तमगा प्राप्त किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किशोर पर हमला करते हुए उनकी पार्टी को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ‘बी टीम’ करार दिया है। यह आरोप …

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प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जो अभी तक आधिकारिक रूप से लॉन्च नहीं हुई है, ने बिहार में प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच ‘बी टीम’ का तमगा प्राप्त किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किशोर पर हमला करते हुए उनकी पार्टी को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ‘बी टीम’ करार दिया है। यह आरोप भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अपने ट्विटर अकाउंट पर किया। मालवीय ने अपने ट्वीट में लिखा, “हिंदुस्तान की राजनीति में एक और मुस्लिम परस्त पार्टी का उदय हो चुका है। इस बार बिहार में! जैसे ही कोई हिंदू नेता कैफी या जालीदार टोपी पहन लेता है, तो समझ लेना चाहिए कि उसे मुसलमानों की भलाई नहीं, सिर्फ उनका वोट चाहिए। बिहार में जन सुराज और राजद, एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। भाजपा और एनडीए ही एकमात्र राष्ट्रवादी विकल्प है।” यह बयान भाजपा की ओर से किशोर को निशाना बनाने का नवीनतम प्रयास है, जो आगामी बिहार चुनाव के मद्देनजर हो रहा है।

भाजपा को किशोर के मुसलमानों को प्राथमिकता देने के आरोप से अधिक चिंता ऊंची जातियों के उनकी ओर आकर्षित होने की संभावनाओं को लेकर है। किशोर ने बिहार में कम से कम 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने का वादा किया है। इसके अलावा, किशोर ने जुलाई में 40 महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारने की घोषणा की है, जो भाजपा और उसके सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। भाजपा के नेतृत्व को किशोर की संगठनात्मक तैयारी और 1 करोड़ सदस्यों के साथ जन सुराज को लॉन्च करने की घोषणा ने ‘घबराहट’ में डाल दिया है। यह घटना उस समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बावजूद भाजपा ने बिहार की पांच लोकसभा सीटें — पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, औरंगाबाद और सासाराम — खो दी थीं।

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किशोर की घोषणा को राजद के मुस्लिम-यादव वोट बैंक को लक्षित करने की योजना के रूप में देखा गया है। बिहार की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है और वह सब बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय जनता दल को वोट देते हैं, केवल नीतीश कुमार की जेडी(यू) के समर्थकों के। इसके अलावा किशोर के भाषण का दूसरा हिस्सा यह रहा जिसमें उन्होंने कहा, की “भाजपा को हराने के लिए मुसलमानों को गांधी, आंबेडकर, लोहिया और जेपी (जयप्रकाश नारायण) की विचारधारा को अपनाना होगा” जिसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को गंभीरता से लिया है। किशोर ने 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत में योगदान दिया था, लेकिन 2015 से 2021 तक उन्होंने भाजपा के खिलाफ लड़ने वाली पार्टियों और नेताओं की जीत में योगदान किया। किशोर का कहना है कि भाजपा ने केवल 37 प्रतिशत वोटों के साथ दिल्ली में सरकार बनाई, जबकि हिंदू आबादी 80 प्रतिशत है, इसका मतलब है कि 40 प्रतिशत हिंदुओं ने भाजपा के खिलाफ और नफरत की राजनीति के खिलाफ वोट दिया।

किशोर का उद्देश्य विपक्ष की जगह लेने का है, जैसा कि राजद के तेजस्वी यादव पर उनके लगातार हमलों से स्पष्ट है। साथ ही, उनकी नजर भाजपा के ऊंची जातियों के वोट बैंक पर भी है। राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने किशोर पर आरोप लगाया है कि वह भाजपा की ‘बी टीम’ हैं। “यह लोकसभा चुनावों से स्पष्ट है जब उन्होंने भाजपा और मोदी की प्रशंसा की, लेकिन उन्हें हमारे आधार का कोई वोट नहीं मिलेगा।” जन सुराज के एक पदाधिकारी द्वारा कहा गया की नीतीश कुमार एक घटती हुई ताकत हैं।और नीतीश के जाने के बाद बिहार में दो पार्टियां ही बची रहेंगी जिनमें से एक है राजद और दूसरी है भाजपा। और देखा जाए तो भाजपा अपनी विचारधारा और लोकप्रिय नेतृत्व वाले विशाल संगठन के सहारे ही वहाँ अपनी मज़बूती को बनाये हुए है। तेजस्वी के स्थान पर (जन सुराज के लिए) अधिक गुंजाइश है।”

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जुलाई में, राजद के दिग्गज नेता जगदानंद सिंह ने एक पत्र लिखकर जन सुराज को भाजपा की ‘टीम बी’ करार दिया था और राजद के सदस्यों के किशोर के प्रति निष्ठा बदलने की चिंता जताई थी। पिछले पांच महीनों में कई प्रमुख राजद नेता जैसे देवेंद्र प्रसाद यादव, रामबली चंद्रवंशी, अब्दुल मजीद और रिवाज अंसारी जन सुराज में शामिल हो चुके हैं। किशोर के साथ जुड़ने वालों में से है कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉ. जागृति और पूर्व आईपीएस अधिकारी रही आनंद मिश्रा एव अभिनेत्री अक्षरा सिंह शामिल हैं। बीजेपी के उपाध्यक्ष ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया की “प्रशांत किशोर के पास पैसा और जगह है। और हर पार्टी के नेता जो नाराज़ हैं या जिन्हें टिकट नहीं मिल रहा है, वह यह सब देखकर उनके साथ आ जाएंगे। लालू के समर्थक प्रतिबद्ध हैं; यादव भाजपा को वोट नहीं देंगे। और यहां तक कि मुसलमान वोटर भी उन्हें वोट नहीं देंगे क्योंकि उन्हें मालूम है कि वह भी भाजपा को नहीं हरा सकते।”

उन्होंने कहा कि किशोर उच्च जाति के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए वे गांधी और आंबेडकर की प्रशंसा कर रहे हैं। भाजपा के एक महासचिव ने कहा कि किशोर की यात्रा चंपारण, सारण और मिथिला जैसे भाजपा के गढ़ों में भी घूमी है। उन्होंने कहा, “वो पहले आरजेडी के गढ़ मगध और सीमांचल क्यों नहीं गए? वो जानते हैं कि ऊंची जातियों के पास राजनीति के लिए संसाधन हैं और उन्हें जीता जा सकता है।”

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भाजपा प्रदेश इकाई के एक नेता ने कहा कि किशोर बिहार में बदलाव की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अरविंद केजरीवाल की राह पर चल रहे हैं। उन्होंने कहा, “किशोर बदलाव की कहानी का इस्तेमाल कर रहे हैं और कह रहे हैं कि बिहारियों ने पिछले 40 सालों में सभी पार्टियों को आजमाया है — चाहे वो आरजेडी हो, जेडी(यू) हो या भाजपा। वो बदलाव, रोजगार, युवाओं के पलायन, शिक्षा की कमी और एनडीए के 25 साल के शासन के बावजूद उद्योग की कमी के बारे में अपनी बात रख रहे हैं और यह गति पकड़ रहा है।”

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केंद्रीय कैबिनेट की बैठक: किसानों के लिए 7 कल्याणकारी योजनाओं को मिली मंजूरी, 14,000 करोड़ रुपये का आवंटन. https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/central-cabinet-meeting/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/central-cabinet-meeting/#respond Tue, 03 Sep 2024 12:16:22 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4607 सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में किसानों के कल्याण के लिए 7 प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी गई है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिनका उद्देश्य किसानों …

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सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में किसानों के कल्याण के लिए 7 प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी गई है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिनका उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है। इन योजनाओं के लिए कुल 14,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।

1. फसल विज्ञान में निवेश:
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने फसल विज्ञान, खाद्य और पोषण के क्षेत्र में निवेश के लिए 3,979 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। यह योजना किसानों को बेहतर उत्पादन तकनीकों और पोषण संबंधी फसलों की खेती में मदद करेगी।

2. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन:
कैबिनेट ने डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के लिए 2,817 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी है। इस योजना का उद्देश्य देश में कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना है। यह डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर किसानों को नई तकनीकों का उपयोग करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगा।

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3. कृषि शिक्षा और प्रबंधन:
कृषि शिक्षा और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए 2,292 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना का उद्देश्य कृषि विज्ञान में नवाचार और शिक्षा को बढ़ावा देना है, ताकि युवा किसानों को उन्नत तकनीकों के बारे में जानकारी मिल सके और वे कृषि प्रबंधन में कुशल बन सकें।

4. टिकाऊ पशुधन स्वास्थ्य:
कृषि के साथ-साथ पशुपालन क्षेत्र में सुधार के लिए भी कदम उठाए गए हैं। टिकाऊ पशुधन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए 1,702 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और टिकाऊ पशुपालन के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

5. बागवानी में वृद्धि:
बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 860 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत फलों, सब्जियों, फूलों और अन्य बागवानी उत्पादों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।

6. कृषि विज्ञान केंद्र:
कृषि विज्ञान केंद्रों के विकास के लिए 1,202 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी गई है। यह केंद्र किसानों को कृषि विज्ञान के नए तरीकों और तकनीकों के बारे में जागरूक करने के लिए स्थापित किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों के प्रति संवेदनशील बनाना है।

7. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन:
प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और उनके संरक्षण के लिए 1,115 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत कृषि क्षेत्र में जल, मिट्टी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन किया जाएगा, जिससे सतत विकास सुनिश्चित हो सके।

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किसानों की योजनाओं के अलावा, मोदी कैबिनेट ने गुजरात के साणंद में एक सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के लिए 3,300 करोड़ रुपये की योजना को भी मंजूरी दी है। यह यूनिट प्रतिदिन 60 लाख चिप का उत्पादन करेगी और इसका उपयोग औद्योगिक, ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, और मोबाइल फोन जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा। इसके अलावा, कैबिनेट ने 309 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन परियोजना को भी मंजूरी दी है, जो मुंबई और इंदौर के बीच सबसे छोटी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इस परियोजना के तहत महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के असंबद्ध क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा और इसका निर्माण 2028-29 तक पूरा होने की संभावना है। इस परियोजना से 102 लाख मानव दिवसों का प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा। इन योजनाओं और परियोजनाओं का उद्देश्य देश के कृषि और औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करना है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समग्र विकास हो सके।

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चिराग पासवान ने गृह मंत्री अमित शाह से की मुलाकात, बिहार चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन पर जताई प्रतिबद्धता. https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/chirag-paswan-new-home-mantra/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/chirag-paswan-new-home-mantra/#respond Sat, 31 Aug 2024 07:39:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4561 केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दिया है, खासकर जब से चिराग पासवान की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार से अलग रुख रखती है। जातिगत जनगणना, लैटरल एंट्री …

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केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दिया है, खासकर जब से चिराग पासवान की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार से अलग रुख रखती है। जातिगत जनगणना, लैटरल एंट्री आरक्षण, और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चिराग पासवान के विचारों ने कई बार सत्ताधारी दल के साथ असहमति के संकेत दिए हैं।

हालांकि, इन अटकलों के बीच चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच संबंध अविभाज्य हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “नरेंद्र मोदी के प्रति मेरा प्यार अटल है। जब तक वह प्रधानमंत्री हैं, मैं उनसे अविभाज्य हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी और भाजपा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें। यह बयान उन अफवाहों को खारिज करता है जिनमें कहा जा रहा था कि चिराग पासवान और भाजपा के बीच संबंधों में खटास आ गई है।

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चिराग पासवान ने बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन पर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “हमारी पार्टी का बिहार और केंद्र में भाजपा के साथ गठबंधन है, और हम इस गठबंधन धर्म का पालन करेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी झारखंड जैसे राज्यों में भी एनडीए के अन्य साथियों के साथ गठबंधन के लिए तैयार है। “हम राष्ट्रीय स्तर पर और अपने गृह राज्य में गठबंधन धर्म का पालन करेंगे। हालांकि झारखंड जैसे राज्यों में हमारे पास कोई बंधन नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम वहां भाजपा के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं। अगर भाजपा और एनडीए के अन्य साथी हमें अपने साथ चाहते हैं, तो हम तैयार हैं,” चिराग ने कहा।

अपने चाचा और लोक जनशक्ति पार्टी के अलग हुए गुट के नेता, पशुपति पारस, के बारे में चिराग पासवान ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “उन्होंने (पारस) जनता का सारा समर्थन खो दिया है। वह लोकसभा चुनाव से पहले भी सभी लोगों से मिल रहे थे, लेकिन यह कवायद कोई फायदा नहीं पहुंचा पाई।” चिराग की यह टिप्पणी पारस की राजनीतिक स्थिति और उनके पार्टी में प्रभाव को लेकर एक स्पष्ट संदेश देती है।

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चिराग पासवान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति में असमंजस का माहौल है। बिहार में जातिगत जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दे केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद पैदा कर रहे हैं। इन मुद्दों पर चिराग पासवान का स्पष्ट रुख और भाजपा के साथ उनकी प्रतिबद्धता, बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। आगामी चुनाव में भाजपा और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के गठबंधन की संभावना इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों दल इन जटिल मुद्दों को कैसे संभालते हैं।

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विनेश फोगाट के संन्यास पर देश का समर्थन ‘शेरनी’ के सम्मान में उठी आवाजें. https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/vinesh-phogat-on-retirement/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/vinesh-phogat-on-retirement/#respond Thu, 08 Aug 2024 06:39:25 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4205 भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के साथ आज पूरा देश खड़ा है। उनके संन्‍यास की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर फिल्‍मी जगत की हस्तियों तक सभी ने उनका हौसला बढ़ाया है। गुरुवार को विनेश फोगाट ने ओलंपिक (Paris Olympics 2024) के फाइनल में जाने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनने …

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भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के साथ आज पूरा देश खड़ा है। उनके संन्‍यास की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर फिल्‍मी जगत की हस्तियों तक सभी ने उनका हौसला बढ़ाया है। गुरुवार को विनेश फोगाट ने ओलंपिक (Paris Olympics 2024) के फाइनल में जाने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनने के बावजूद रेसलिंग से संन्‍यास लेने का ऐलान किया। विनेश का ओलंपिक के फाइनल में जाने का सपना इसलिए अधूरा रह गया, क्योंकि फाइनल से पहले उनके 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया। इस फैसले ने पूरे देश को झकझोर दिया और विनेश के प्रति समर्थन की लहर दौड़ पड़ी।

मंडी से सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने सोशल मीडिया पर विनेश के लिए “शेरनी” शब्द का उपयोग करते हुए एक पोस्ट साझा की। कंगना ने लिखा, “मत रो विनेश, पूरा देश आपके साथ खड़ा है।” यह संदेश सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ और कई लोगों ने विनेश के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की। कंगना रनौत ने इससे पहले भी विनेश फोगाट के फाइनल में पहुंचने पर बधाई दी थी, लेकिन उनके विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने को लेकर तंज भी कसा था। उन्होंने कहा था कि विनेश फोगाट ने एक समय सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था, जिसमें ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ जैसे नारे लगाए गए थे। इसके बावजूद उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। कंगना के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा।

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विनेश फोगाट के संन्‍यास की घोषणा के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने उनके लिए एक खास घोषणा की है। सीएम सैनी ने कहा है कि भले ही विनेश ने ओलंपिक में पदक न जीता हो, लेकिन उन्हें हरियाणा में पदक विजेता की तरह ही सम्मानित किया जाएगा। इस घोषणा ने विनेश के प्रशंसकों में एक नई ऊर्जा भर दी है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि विनेश फोगाट के लिए देश का प्यार और समर्थन कितना गहरा है। उनके संन्‍यास के बाद भी, वह भारतीय खेल जगत में अपनी छाप छोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण हस्ती के रूप में याद की जाएंगी।

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छत्तीसगढ़ : राज्यमंत्री बनने वाले राज्य के 7वें सांसद तोखन साहू को पहली बार मिली मोदी कैबिनेट में जगह. https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/chhattisgarh-minister-of-state-b/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/10/chhattisgarh-minister-of-state-b/#respond Mon, 10 Jun 2024 06:40:57 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3533 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अपनी नई कैबिनेट का गठन किया है। पीएम मोदी के साथ सभी कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार, 9 जून को मंत्री पद की शपथ ली। इस बार की कैबिनेट में छत्तीसगढ़ से 10 नवनिर्वाचित बीजेपी सांसदों में से केवल एक, तोखन साहू …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अपनी नई कैबिनेट का गठन किया है। पीएम मोदी के साथ सभी कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार, 9 जून को मंत्री पद की शपथ ली। इस बार की कैबिनेट में छत्तीसगढ़ से 10 नवनिर्वाचित बीजेपी सांसदों में से केवल एक, तोखन साहू को शामिल किया गया है। उन्होंने 2024 में बिलासपुर लोकसभा सीट जीतने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है, साल 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से ही, सत्तारूढ़ बीजेपी ने आम चुनावों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। 2004, 2009 और 2014 में बीजेपी ने 11 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं साल 2019 में बीजेपी ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2024 में यह संख्या बढ़कर फिर 10 हो गई है।

शपथ ग्रहण से पहले तक, छत्तीसगढ़ से कई सांसदों के नाम सामने आ रहे थे जिन्हें केंद्रीय मंत्री पद मिलने की संभावना जताई जा रही थी। बृजमोहन अग्रवाल, विजय बघेल जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम इस दौड़ में शामिल थे। संतोष पाण्डेय का नाम भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा में था। लेकिन अंततः प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में शामिल होने के लिए तोखन साहू को चुना गया। तोखन साहू का केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना छत्तीसगढ़ बीजेपी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। तोखन साहू प्रभावशाली अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) वर्ग से आते हैं और समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है। इस वजह से, उन्हें कैबिनेट में शामिल करने का निर्णय लिया गया। इससे पहले, सरगुजा से तत्कालीन सांसद रेणुका सिंह को जनजातीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री नियुक्त किया गया था। रेणुका सिंह बाद में छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुनी गईं और उनकी जगह तोखन साहू को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

तोखन साहू प्रभावशाली अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) वर्ग से आते हैं और समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है। इस वजह से, उन्हें कैबिनेट में शामिल करने का निर्णय लिया गया।

तोखन साहू के मंत्री बनने से छत्तीसगढ़ के विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। छत्तीसगढ़ बीजेपी की ओर से जारी किए गए एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि तोखन साहू का केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना पूरे राज्य के लिए खुशी की बात है। हम विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के संकल्प को पूरा करने के लिए मिलकर काम करेंगे, और देश और राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। बिलासपुर सीट से तोखन साहू की जीत छत्तीसगढ़ के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने प्रभावशाली चुनाव प्रचार और जनता से जुड़ाव के कारण यह सफलता हासिल की है। तोखन साहू की राजनीतिक यात्रा का आरंभ उनके क्षेत्र में जमीनी स्तर पर काम करने से हुआ। उन्होंने समाज सेवा और जनहित के कार्यों में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई, जिससे जनता में उनकी छवि एक ईमानदार और कर्मठ नेता के रूप में बनी।

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तोखन साहू ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान छत्तीसगढ़ की जनता को विकास के नए वादे किए थे। उनकी प्राथमिकता में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और बुनियादी ढांचे का विकास प्रमुख रहा है। उन्होंने चुनावी रैलियों में कहा था कि वे छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। पीएम मोदी की कैबिनेट में तोखन साहू की नियुक्ति से राज्य में बीजेपी की पकड़ और मजबूत हुई है। इसका मुख्य कारण है कि साहू का जनाधार काफी व्यापक है और वे अपने क्षेत्र में लोकप्रिय नेता हैं। उनकी नियुक्ति से ओबीसी समुदाय को भी संदेश गया है कि बीजेपी उनकी भागीदारी को महत्व देती है।

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छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनावों में भी पार्टी को अपना प्रदर्शन बेहतर करना है। तोखन साहू की नियुक्ति से पार्टी को स्थानीय स्तर पर मजबूती मिलेगी और इसका लाभ आगामी चुनावों में भी देखने को मिल सकता है। तोखन साहू की नियुक्ति पर छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेताओं ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने इसे राज्य के विकास के लिए एक सकारात्मक कदम बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि साहू का केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि साहू के अनुभव और कार्यकुशलता का लाभ राज्य को मिलेगा और वे छत्तीसगढ़ को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेंगे।

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कांग्रेस ने NDA पर कसा तंज कहा एनडीए मतलब नीतीश/नायडू डिपेंडेंट एलायंस https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/congress-took-a-dig-at-nda/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/congress-took-a-dig-at-nda/#respond Sat, 08 Jun 2024 08:01:24 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3514 कांग्रेस ने शुक्रवार को एनडीए घटक दल की मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एनडीए शब्द के बार-बार इस्तेमाल को लेकर तंज कसा। कांग्रेस का कहना था कि पिछले दस सालों में नरेंद्र मोदी ने जितनी बार एनडीए का जिक्र नहीं किया होगा, उससे ज्यादा जिक्र तो उन्होंने शुक्रवार को अपने संबोधन में किया …

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कांग्रेस ने शुक्रवार को एनडीए घटक दल की मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एनडीए शब्द के बार-बार इस्तेमाल को लेकर तंज कसा। कांग्रेस का कहना था कि पिछले दस सालों में नरेंद्र मोदी ने जितनी बार एनडीए का जिक्र नहीं किया होगा, उससे ज्यादा जिक्र तो उन्होंने शुक्रवार को अपने संबोधन में किया है। कांग्रेस के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा का कहना था कि अब ‘एनडीए’ का मतलब ‘नीतीश/नायडू डिपेंडेंट अलायंस’ हो गया है। खेड़ा ने दावा किया कि पहले कहा जाता था कि अकेला मोदी सब पर भारी है। पहले मोदी की गारंटी की बात की जाती थी। अब एनडीए की गारंटी की बात हो रही है। लेकिन नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को पता है कि मोदी की गारंटी का कोई भरोसा नहीं है, इसलिए वे भी अब भरोसा नहीं करते।

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कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संविधान की प्रति को माथे से लगाने पर भी निशाना साधा। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना था कि नरेंद्र मोदी ने पिछले दस सालों में जिस संविधान पर बार-बार हमला किया, अब उसे सिर माथे से लगा रहे हैं। रमेश ने कहा कि मोदी एनडीए में नई जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संविधान का सम्मान करने का उनका यह प्रयास केवल दिखावा है। खेड़ा ने कहा कि नरेंद्र मोदी अब एनडीए का नाम लेकर उसे पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। एनडीए जो कभी अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में एक मजबूत गठबंधन था, अब केवल एक नाम बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि एनडीए के कई पुराने साथी अब गठबंधन छोड़ चुके हैं और अब यह गठबंधन केवल नाम का रह गया है।

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में एनडीए का जिक्र कर यह साबित कर दिया है कि भाजपा अकेले चुनाव नहीं लड़ सकती। खेड़ा ने कहा कि अब मोदी को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अब भी पुराने सहयोगियों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। कांग्रेस ने एनडीए के संदर्भ में कहा कि यह गठबंधन अब पहले जैसा नहीं रहा। अब एनडीए का मतलब ही बदल गया है। उन्होंने कहा कि अब एनडीए का मतलब ‘नीतीश/नायडू डिपेंडेंट अलायंस’ हो गया है। पहले मोदी की गारंटी पर भरोसा किया जाता था, लेकिन अब किसी को उस गारंटी पर विश्वास नहीं है।

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कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को दिखावा करार दिया और कहा कि यह केवल एनडीए को पुनर्जीवित करने की कोशिश है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मोदी अब भी पुराने सहयोगियों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। मोदी अब भी एनडीए को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह संभव नहीं है।

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लोकसभा इलेक्शन 2024 NDA के स्मृति ईरानी गिरिराज सिंह और चल रहे हैं पीछे देखे लिस्ट .. https://chaupalkhabar.com/2024/06/04/lok-sabha-election-2024-nda-k-smriti/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/04/lok-sabha-election-2024-nda-k-smriti/#respond Tue, 04 Jun 2024 06:04:00 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3431 लोकसभा चुनाव 2024 के प्रारंभिक रुझानों ने भारतीय राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी कैबिनेट के कई प्रमुख मंत्री भी चुनावी मैदान में हैं। वाराणसी से चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में दर्जनों सभाएं और रैलियां कर चुनावी माहौल गर्मा दिया था। …

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लोकसभा चुनाव 2024 के प्रारंभिक रुझानों ने भारतीय राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी कैबिनेट के कई प्रमुख मंत्री भी चुनावी मैदान में हैं। वाराणसी से चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में दर्जनों सभाएं और रैलियां कर चुनावी माहौल गर्मा दिया था। उनके साथ सरकार के अन्य कई दिग्गज नेता भी विभिन्न सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। शुरुआती रुझानों में कई केंद्रीय मंत्री पीछे चल रहे हैं, जो उनके समर्थकों के लिए एक चिंता का विषय है। बिहार के बेगूसराय से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पीछे चल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट, जो कि भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण गढ़ मानी जाती है, से स्मृति ईरानी भी पीछे चल रही हैं। स्मृति ईरानी ने 2019 में इस सीट से राहुल गांधी को हराकर सबको चौंका दिया था, लेकिन इस बार के चुनाव में उनका मुकाबला कांग्रेस के नए उम्मीदवार से है, जो अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं। स्मृति ईरानी ने अपने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन शुरुआती रुझानों में उनकी स्थिति कमजोर दिख रही है महाराष्ट्र की मुंबई उत्तर सीट से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल शुरुआती रुझानों में आगे चल रहे हैं। पीयूष गोयल, जो राज्यसभा सदस्य हैं, ने इस बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई है। उनके मजबूत संगठन और क्षेत्र में विकास कार्यों का लाभ उन्हें मिलता दिख रहा है। गोयल की छवि एक सुलझे हुए और मेहनती मंत्री की है, जो उनके पक्ष में जा रही है।

मोदी कैबिनेट के ‘टेक्नोक्रैट’ कहे जाने वाले राजीव चंद्रशेखर इस बार केरल की तिरुवनन्तपुरम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन शुरुआती रुझानों में वे पीछे चल रहे हैं। केरल की राजनीति में भाजपा का पैर जमाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है, और इस बार भी राजीव चंद्रशेखर को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उनके विरोधी उम्मीदवार, जो कांग्रेस से हैं, क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। देश की हॉट सीटों पर नजर डालें तो वाराणसी से पीएम मोदी अब आगे चल रहे हैं। वाराणसी की सीट हमेशा से ही मोदी के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है, और इस बार भी वे वहां से जीत की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और वाराणसी में किए गए विकास कार्यों का लाभ उन्हें मिलता दिख रहा है।

महाराष्ट्र की नागपुर सीट से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी आगे चल रहे हैं। गडकरी, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी छवि एक सफल और सक्षम मंत्री की है, उनको नागपुर के मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने अपने क्षेत्र में सड़क और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया है, जो उनके पक्ष में काम कर रहा है हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर सीट से अनुराग ठाकुर भी आगे चल रहे हैं। अनुराग ठाकुर, जो कि एक युवा और ऊर्जावान नेता माने जाते हैं, को क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का लाभ मिल रहा है। उन्होंने खेल और युवा मामलों में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिससे उन्हें युवाओं का समर्थन मिल रहा है।

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अमेठी से स्मृति ईरानी के पीछे चलने की खबर भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हो सकती है, क्योंकि यह सीट हमेशा से प्रतिष्ठा की रही है। स्मृति ईरानी ने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों पर जोर दिया था, लेकिन शायद यह मतदाताओं को प्रभावित करने में पर्याप्त नहीं हो पाया है। वहीं, राजीव चंद्रशेखर का तिरुवनन्तपुरम से पीछे चलना भी भाजपा के लिए केरल में पैर जमाने की चुनौती को और बढ़ा रहा है। इसके विपरीत, पीयूष गोयल और नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ मंत्री अपने क्षेत्रों में आगे चल रहे हैं, जो भाजपा के लिए राहत की खबर है। ये नेता अपने-अपने क्षेत्रों में विकास और संगठनात्मक मजबूती के लिए जाने जाते हैं, और इनकी जीत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण होगी।

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गिरिराज सिंह का बेगूसराय से पीछे चलना भी चौंकाने वाला है, क्योंकि वे एक वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता हैं।  गिरिराज सिंह ने अपने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन शुरुआती रुझान उनके पक्ष में नहीं हैं। कुल मिलाकर, लोकसभा चुनाव 2024 के शुरुआती रुझान भारतीय राजनीति में कई नई दिशाएं दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट के कई मंत्री इस बार चुनावी मैदान में थे, और उनके प्रदर्शन पर पूरे देश की नजरें हैं। शुरुआती रुझानों में जहां कुछ मंत्रियों को सफलता मिलती दिख रही है, वहीं कुछ को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतिम नतीजे क्या मोड़ लेते हैं और भारतीय राजनीति के भविष्य की दिशा क्या होगी।

 

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