NITI AYOG - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 26 Jul 2024 11:09:58 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg NITI AYOG - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 विपक्षी बहिष्कार में दरार, ममता बनर्जी के बाद हेमंत सोरेन भी नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगे…. https://chaupalkhabar.com/2024/07/26/opposition-boycott-in-rate/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/26/opposition-boycott-in-rate/#respond Fri, 26 Jul 2024 11:09:58 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4047 हाल ही में देश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की कि वे नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगे। यह घोषणा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद आई है, जिन्होंने पहले ही बैठक में भाग लेने की घोषणा की थी। यह निर्णय …

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हाल ही में देश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की कि वे नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगे। यह घोषणा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद आई है, जिन्होंने पहले ही बैठक में भाग लेने की घोषणा की थी। यह निर्णय विपक्षी दलों के बीच मतभेद को उजागर करता है, जो नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का विचार कर रहे थे। नीति आयोग की बैठक का उद्देश्य विभिन्न राज्यों के विकास और नीति निर्माण पर चर्चा करना है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं। विपक्षी दलों ने पहले इस बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था, उनका आरोप था कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों का हनन कर रही है और नीति आयोग का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे इस बैठक में भाग लेंगी। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे नीति आयोग की बैठक में भाग लें और राज्य के मुद्दों को उठाएं। ममता बनर्जी का यह निर्णय विपक्षी दलों के बहिष्कार में पहली दरार के रूप में देखा गया। हेमंत सोरेन ने ममता बनर्जी के बाद अपनी उपस्थिति की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए इस बैठक में भाग लेना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का यह एक महत्वपूर्ण मंच है और वे इसे छोड़ नहीं सकते।

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हेमंत सोरेन और ममता बनर्जी के इस निर्णय के बाद विपक्षी दलों के बीच मतभेद और गहरे हो गए हैं। कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने अभी भी बहिष्कार पर डटे रहने का निर्णय लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह बैठक सिर्फ एक औपचारिकता है और इसमें कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी एकता को मजबूत रखने के लिए बहिष्कार आवश्यक है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम विपक्षी एकता के लिए एक चुनौती है। ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन का निर्णय यह दर्शाता है कि राज्यों के मुख्यमंत्री अपने राज्य के विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं, बजाय कि वे विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए एक सामूहिक निर्णय लें। विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना विपक्षी दलों के बीच रणनीतिक मतभेद को उजागर करती है और आगामी चुनावों में इसका प्रभाव देखा जा सकता है।

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विपक्ष का विरोध: नीति आयोग की बैठक में कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री नहीं होंगे शामिल …… https://chaupalkhabar.com/2024/07/24/opposition-protest-policy-commission/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/24/opposition-protest-policy-commission/#respond Wed, 24 Jul 2024 06:42:57 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4022 नई दिल्ली: 2024 के बजट से असंतुष्ट विपक्ष ने नीति आयोग की आगामी बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री – राजस्थान के अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और कर्नाटक के सिद्धारमैया – ने इस बैठक में भाग न लेने की घोषणा की …

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नई दिल्ली: 2024 के बजट से असंतुष्ट विपक्ष ने नीति आयोग की आगामी बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री – राजस्थान के अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और कर्नाटक के सिद्धारमैया – ने इस बैठक में भाग न लेने की घोषणा की है। यह बैठक राष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है, लेकिन कांग्रेस का यह कदम केंद्र सरकार की नीतियों के प्रति उनके असंतोष को दर्शाता है। कांग्रेस के नेताओं ने कई मुद्दों पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। मुख्यतः वे निम्नलिखित बिंदुओं पर अपनी असहमति व्यक्त कर रहे हैं।

1. बजट 2024 : विपक्ष का मानना है कि बजट 2024 में राज्यों के विकास के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं किए गए हैं। उनका आरोप है कि यह बजट केवल केंद्र के हितों को साधने के लिए बनाया गया है और राज्यों की आवश्यकताओं की अनदेखी की गई है।

2. नीति आयोग की भूमिका : विपक्ष का यह भी कहना है कि नीति आयोग का उद्देश्य राज्यों के साथ मिलकर विकास की योजनाएं बनाना है, लेकिन वर्तमान में इसका उपयोग राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

3. संघीय ढांचे का उल्लंघन : कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार संघीय ढांचे का सम्मान नहीं कर रही है और राज्यों को निर्णय प्रक्रिया में उचित भागीदारी नहीं मिल रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “नीति आयोग की बैठकों में चर्चा और निर्णयों में राज्यों की भागीदारी आवश्यक है, लेकिन वर्तमान सरकार इस बात को नहीं समझ रही है। बजट 2024 में राज्यों की वित्तीय आवश्यकताओं की अनदेखी की गई है।” छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे “केंद्र की तानाशाही” करार दिया। उन्होंने कहा, “नीति आयोग की बैठक का उद्देश्य राष्ट्रीय विकास को गति देना है, लेकिन जब राज्यों को उचित प्रतिनिधित्व ही नहीं मिलेगा, तो ऐसे बैठकों का क्या फायदा?”

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कांग्रेस के इस निर्णय का समर्थन अन्य विपक्षी दलों से भी मिला है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं और उन्होंने कांग्रेस के कदम की सराहना की है। केंद्र सरकार ने कांग्रेस के इस निर्णय पर खेद व्यक्त किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “नीति आयोग की बैठकें देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसमें सभी राज्यों की भागीदारी आवश्यक है। हम कांग्रेस के नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे इस बैठक में शामिल हों और अपने विचार रखें।” कांग्रेस के चार मुख्यमंत्रियों का नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है, जो केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। यह निर्णय राष्ट्रीय राजनीति में नई दिशा का संकेत हो सकता है और आने वाले समय में इसका असर राष्ट्रीय विकास योजनाओं पर भी पड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर क्या बातचीत होती है और क्या कोई समाधान निकलता है।

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नीति आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 9 साल में 24.82 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से निकले बाहर https://chaupalkhabar.com/2024/01/18/according-to-the-report-released-by-niti-aayog-24-82-crore-indians-came-out-of-poverty-line-in-9-years/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/18/according-to-the-report-released-by-niti-aayog-24-82-crore-indians-came-out-of-poverty-line-in-9-years/#respond Thu, 18 Jan 2024 09:01:23 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2164 नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट ने देश की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार की जानकारी दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 की  बहुआयामी गरीबी कि स्थिति से 9 सालों में लगभग 24.82 करोड़ लोग बाहर निकले गये हैं। इसमें प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश को …

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नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट ने देश की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार की जानकारी दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 की  बहुआयामी गरीबी कि स्थिति से 9 सालों में लगभग 24.82 करोड़ लोग बाहर निकले गये हैं। इसमें प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश को सबसे बड़ी गिरावट दर के रूप में रखा गया है।

NITI Aayog to organize Workshop on “Indian Development Model” as an engine of growth - India Shipping News

 

 

रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 में भारत में बहुआयामी गरीबी की दर 29.17 प्रतिशत थी, जो 2022-23 में 11.28 प्रतिशत तक घटकर रह गई है। इस अवधि में लगभग 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर में सुधार बड़ा है। नीति आयोग कि रिपोर्ट बताती है कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा, और जीवन स्तर को मापने में समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। जिसमें 12 सतत विकास लक्ष्यों को दर्शाया गया हैं, जिसमें पोषण, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, आवास, बिजली, संपत्ति, और बैंक खाते शामिल हैं।

 

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नीति आयोग का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) गरीबी दर में गिरावट का आकलन करने के लिए अल्किरे फोस्टर पद्धति का उपयोग करता है। इसमें राष्ट्रीय एमपीआई में 12 संकेतक शामिल हैं, जबकि वैश्विक एमपीआई में 10 संकेतक शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले 9 वर्षों में सबसे ज्यादा 5.94 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं, दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां 3.77 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। जबकि मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग गरीबी रेखा से निकले हैं  रिपोर्ट में दिये गये डेटा के मुताबिक गरीब राज्यों में बेहद तेज रफ्तार के साथ गरीबी घटी है जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक असामनता में कमी आई है।

 

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया कि सरकार का लक्ष्य बहुआयामी गरीबी को 1 प्रतिशत से नीचे लाना है और इस दिशा में सभी प्रयास किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत 2024 के दौरान एकल-अंकीय गरीबी स्तर तक पहुंचने के लिए पूरी तरह तैयार है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि 2013-14 से 2022-23 के दौरान बहुआयामी गरीबी में गिरावट की दर तेज हो गई है। इसमें उच्चतम स्तर पर सुधार और सरकार की योजनाओं एवं कदमों का महत्वपूर्ण योगदान है।

 

 

नीति आयोग की रिपोर्ट से साबित होता है कि गरीबी में तेजी से गिरावट हो रही है और सरकार अपने लक्ष्य की प्राप्ति के दिशा में सफलता की ऊचाईयों की ओर बढ़ रही है। इससे सामाजिक और आर्थिक असमानता में कमी होने की संकेत मिल रहे है, जिससे देश की अगली पीढ़ी को बेहतर और समृद्धिशील भविष्य की दिशा में बढ़ने का अवसर मिलेगा।

 

By Neelam Singh.

 

 

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