one nation one eletion - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 18 Sep 2024 11:13:08 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg one nation one eletion - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 एक राष्ट्र, एक चुनाव, मोदी सरकार की पहल पर कांग्रेस का सख्त विरोध https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/one-nation-one-election-modi-s/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/one-nation-one-election-modi-s/#respond Wed, 18 Sep 2024 11:13:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4965 मोदी सरकार ने देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस योजना पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इस पहल के तहत, सरकार का उद्देश्य देश में सभी चुनावों को एक साथ कराने की प्रक्रिया को सरल …

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मोदी सरकार ने देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस योजना पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इस पहल के तहत, सरकार का उद्देश्य देश में सभी चुनावों को एक साथ कराने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। हालांकि, इस प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहा है कि यह योजना भारतीय लोकतंत्र के लिए अनुपयुक्त है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” लोकतंत्र में प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकता।

खरगे ने आगे कहा, “अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र जीवित और सक्रिय रहे, तो चुनावों को आवश्यकतानुसार आयोजित करना चाहिए।” उनका तर्क है कि समय-समय पर चुनाव कराना न केवल जनता की आवाज़ को सुनने का एक तरीका है, बल्कि यह राजनीतिक प्रक्रिया को भी गतिशील बनाए रखता है। कांग्रेस का यह मत है कि यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, तो स्थानीय मुद्दों और आवश्यकताओं को नजरअंदाज किया जा सकता है। इससे राजनीतिक दलों के लिए राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाएगा, जबकि क्षेत्रीय समस्याएँ और चिंताएँ पीछे छूट जाएँगी।

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इससे पहले, कई राज्यों ने भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस योजना से चुनावों की स्वतंत्रता और विविधता पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। इससे राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में कमी आ सकती है और मतदाता विकल्पों की विविधता भी प्रभावित हो सकती है। कांग्रेस की इस आलोचना के बावजूद, मोदी सरकार का कहना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी और चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा। यह योजना न केवल खर्चों को कम करने का प्रयास करती है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज को भी सुचारू बनाने का दावा करती है।

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आगे बढ़ते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों का क्या रुख रहता है और क्या ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की इस योजना को लागू किया जा सकेगा या नहीं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद, सरकार इसे आगे बढ़ाने की तैयारी में है।

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वन नेशन, वन इलेक्शन’, मोदी सरकार ने प्रस्ताव को दी मंजूरी, शीतकालीन सत्र में पेश होगा विधेयक. https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/one-nation-one-election-modi-sir/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/one-nation-one-election-modi-sir/#respond Wed, 18 Sep 2024 10:48:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4962 देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दी गई है। अब यह प्रस्ताव संसद …

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देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दी गई है। अब यह प्रस्ताव संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा।

मोदी सरकार लंबे समय से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस मुद्दे पर कई बार चर्चा की थी। हाल ही में, एनडीए सरकार के 100 दिन पूरे होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर इस संकल्प को दोहराया था। शाह ने साफ किया था कि सरकार इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इसे संसद में लाने की तैयारी में है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश के विकास में रुकावट आ रही है। बार-बार चुनावी प्रक्रियाओं के कारण प्रशासनिक कामकाज और विकास कार्यों में देरी हो रही है, जिसे एक साथ चुनाव कराकर सुधारा जा सकता है। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी ने इस वर्ष 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी थी। यह रिपोर्ट काफी विस्तृत है, जिसमें कुल 18,626 पन्ने शामिल हैं। इस रिपोर्ट में देशभर में एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं, चुनौतियों और फायदों पर गहराई से विचार किया गया है।

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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब है कि देशभर में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं। वर्तमान में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे बार-बार चुनावी प्रक्रिया में खर्च और समय की खपत होती है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य यह है कि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं, ताकि देश के संसाधनों और समय की बचत हो सके और विकास कार्यों में रुकावट न आए। अब जबकि मोदी कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है, एनडीए सरकार इसे संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक के रूप में पेश करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर संसद में क्या बहस होती है और इसे कितनी जल्दी कानून में तब्दील किया जा सकता है।

 

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मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे, ‘एक देश, एक चुनाव’ की घोषणा और उत्पादन क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका. https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/third-task-of-modi-government/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/third-task-of-modi-government/#respond Tue, 17 Sep 2024 11:23:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4937 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें सरकार की उपलब्धियों को सामने रखा गया। इस मौके पर अमित शाह ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि सरकार इस कार्यकाल में ‘एक देश, एक चुनाव’ की …

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें सरकार की उपलब्धियों को सामने रखा गया। इस मौके पर अमित शाह ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि सरकार इस कार्यकाल में ‘एक देश, एक चुनाव’ की योजना को लागू करेगी। यह योजना बीजेपी के घोषणा पत्र का हिस्सा रही है, और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में भी इसका जिक्र किया था।

अमित शाह ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी, जिसने इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। सरकार इसी कार्यकाल में इस अहम कदम को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “60 साल बाद देश को एक ऐसा नेता मिला है जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनकर देश का नेतृत्व कर रहा है, जिससे राजनीतिक स्थिरता आई है।”

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अमित शाह ने देश के विकास में मोदी सरकार की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत अब दुनिया का सबसे पसंदीदा उत्पादन केंद्र बन चुका है। उन्होंने कहा, “पिछले दस सालों में बाहरी और आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए गए हैं, जिससे भारत अब पहले से अधिक सुरक्षित है।” सरकार की नई शिक्षा नीति के बारे में भी चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए गए हैं जो देश को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।

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स्थानीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए अमित शाह ने कहा कि किसी भी देश का विकास उसकी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के बिना संभव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी का देश की अन्य स्थानीय भाषाओं के साथ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। सरकार एक ऐसा पोर्टल ला रही है जिससे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में लेखों का त्वरित अनुवाद संभव होगा। अमित शाह ने इस अवसर पर मोदी सरकार की नीतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये नीतियां भारत को आर्थिक और सामाजिक रूप से एक नए स्तर पर ले जाने में मदद कर रही हैं।

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एक राष्ट्र, एक चुनाव” पर रिपोर्ट: कोविंद समिति ने राष्ट्रपति को सौंपी एक देश-एक चुनाव पर रिपोर्ट https://chaupalkhabar.com/2024/03/14/report-on-one-nation-one-election-kovind-committee-submits-report-on-one-nation-one-election-to-the-presiden/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/14/report-on-one-nation-one-election-kovind-committee-submits-report-on-one-nation-one-election-to-the-presiden/#respond Thu, 14 Mar 2024 11:17:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2577 समाज में विभाजन और चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण बदलावों में से एक रहा है “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की प्रस्तावित रिपोर्ट। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने इस महत्वपूर्ण विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें समाज के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण और सुझावों …

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समाज में विभाजन और चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण बदलावों में से एक रहा है “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की प्रस्तावित रिपोर्ट। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने इस महत्वपूर्ण विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें समाज के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण और सुझावों का मूल्यांकन किया गया है। इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा के साथ स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ कराने के सुझाव का मकसद प्रणाली में सुधार करना है। इसमें  पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराकर, दूसरे चरण में 100 दिन के अंदर स्थानीय निकायों के चुनावों को आयोजित करने का प्रावधान किया गया है।

 

Ram Nath Kovind-led panel submits report on One Nation One Election to  President - BusinessToday

 

रिपोर्ट में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों में एक राष्ट्र, एक चुनाव की प्राथमिकता, प्रक्रियात्मक विकल्पों की समीक्षा, आर्थिक व्यवस्था की व्यवहार्यता, और उपयुक्त संविधानिक बदलाव शामिल हैं। रिपोर्ट में इन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि एक साथ चुनाव की संभावना के प्रति सार्वजनिक और राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारपूर्वक चर्चा हो सके। इस रिपोर्ट के मुख्य लेखकों में से एक ने अपनी शर्त पर यह बताया कि समिति 2029 में एक साथ चुनाव कराने का सुझाव देगी, जिससे प्रक्रियात्मक और तार्किक मुद्दों पर चर्चा की जा सके। इसके साथ ही, रिपोर्ट में विभिन्न आर्थिक और प्रशासनिक मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।

हैं। रिपोर्ट में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष NK सिंह और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्राची मिश्रा द्वारा एक साथ चुनावों की आर्थिक व्यवहार्यता पर विचार किया गया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में विभिन्न अन्य सदस्यों के भी महत्वपूर्ण योगदान हैं। रिपोर्ट में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष NK सिंह और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्राची मिश्रा द्वारा एक साथ चुनावों की आर्थिक व्यवहार्यता पर विचार किया गया है। रिपोर्ट में इसके अलावा आवश्यक वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों का भी उल्लेख किया गया है।

 

समिति की रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने की संभावना को लेकर एक महत्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख किया गया है कि 1951-52 और 1967 के बीच तीन चुनावों के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि पहले की तरह अब भी एक साथ चुनाव करना संभव है। इससे पहले की तरह, यह विकल्प चर्चा करने योग्य है कि क्या एक साथ चुनाव कराना उचित होगा या नहीं।

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इस समिति की रिपोर्ट के माध्यम से प्रस्तावित बदलाव के तहत संविधान की संशोधन की संभावना भी है। इसमें लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए एक एकल मतदाता सूची के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, रिपोर्ट को लागू करने के लिए उच्च स्तरीय निर्णय लिया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि रिपोर्ट के सुझावों का उपयोग चुनाव प्रक्रिया में लागू किया जा सके, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नेतृत्व में समिति के द्वारा तैयार किया गया था।

 

एक बार जब रिपोर्ट को लागू किया जाएगा, तो यह संविधान की संशोधन के लिए नवीनतम प्रस्तावित बदलावों में से एक होगा। इससे चुनाव प्रक्रिया में सुधार किए जाएंगे और सामाजिक विभाजन को कम किया जा सकेगा। इस रिपोर्ट के प्रस्तावित बदलाव का संविधानिक समीक्षण और समाज में जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण योगदान होगा। यह भारतीय लोकतंत्र को मजबूती और अधिक संवेदनशील बनाने का एक प्रयास होगा जो समृद्धि और समाजिक न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर सियासी सरगर्मी हुई तेज , जानिए क्या होगा फायदा, संविधान में करने पड़ेंगे ये बड़े बदलाव https://chaupalkhabar.com/2023/09/02/political-temperature-going-hingh-on-the-issue-of-one-nation-one-election/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/02/political-temperature-going-hingh-on-the-issue-of-one-nation-one-election/#respond Sat, 02 Sep 2023 07:32:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1560 आगामी 18 सितंबर से 22 सितंबर को केन्द्र की मोदी सरकार की तरफ से बड़ा फैसला लेते हुए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया गया है। 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गये संसद के इस विशेष सत्र में कुल 5 बैठकें होंगी जिसमें “एक राष्ट्र एक चुनाव” जैसी विभिन्न मुद्दो पर चर्चा होनी है. …

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आगामी 18 सितंबर से 22 सितंबर को केन्द्र की मोदी सरकार की तरफ से बड़ा फैसला लेते हुए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया गया है। 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गये संसद के इस विशेष सत्र में कुल 5 बैठकें होंगी जिसमें “एक राष्ट्र एक चुनाव” जैसी विभिन्न मुद्दो पर चर्चा होनी है. संसद के इस विशेष सत्र के बारे में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा दी गई जानकारी के बाद देश की सियासत में भुचाल आ गया है या कहें की कई तरह के सवाल सियासी गलियारों में तैरने लगे हैं। विभिन्न पार्टियों द्वारा ढेर सारे कयास भी लगाए जा रहे हैं।

केन्द्र सरकार द्वारा बुलाये गए इस विशेष सत्र को लेकर सियासी पंडितों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच भी वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है। इस सरगर्मी को उस वक्त और बल मिला गया, जब केन्द्र सरकार ने इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी के गठन होने का ऐलान कर दिया। हालांकी इसकी अधिकारिक पुष्टी अभी तक नही हुइ हे.

 

भारत देश में कई तरह के चुनाव कइ चरणों में कराये जाते हैं लेकिन इस बार पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक के सभी चुनाव एक साथ कराने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी लिहाजा मोदी सरकार द्वारा बुलाये गये संसद का विशेष सत्र के बाद ये और तेज हो गयी है। केन्द्र में मौजूद मोदी सरकार का यह मानना है कि वन नेशन-वन इलेक्शन से वक्त और संसाधन दोनों की बचत होगी। जिससे इलेक्शन कराने में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये देश के विकास पर खर्च किये जा सकेंगे।

 

इस पूरे प्रकरण में राजनैतिक जानकारों का मानना है कि वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर बहुत सारे पेंच हैं। इसे पुरा करने के लिए न सिर्फ देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को एकसाथ आना होगा वहीं कई राज्यों में सरकारों को कुर्बानी भी देनी पड़ सकती है। जिस कारण से विपक्ष के अधिकतर और खासकर क्षेत्रीय दल इसके निर्णय के खिलाफ हैं। क्योंकी उन्हें डर है कि एकसाथ चुनाव होने की स्थिति में राज्यों में भी उनकी सरकार बननी थोडी मुश्किल हो जाएगी।

 

बताया जा रहा है कि भारत में प्रत्येक वर्ष 5-6 राज्यों में चुनाव कराना पडता हैं। इसलिए वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थकों का कहना है कि इससे विकास कार्यों में बाधा उतपन्न होती है।ओडिशा का उदाहरण देते हुए जानकारों का कहना है की  ओडिशा में 2004 के बाद से चारों विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के साथ हुए और उसमें नतीजे भी अलग-अलग रहे हैं।एक साथ चुनाव होने से ओडिसा में आचार संहिता बहुत कम देर के लिए लागू होती है, जिसकी वजह से सरकार के कामकाज में दूसरे राज्यों के मुकाबले कम खलल पड़ता है।

गौरतलब है कि भारत में इससे पूर्व भी कई मर्तबा एकसाथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ हुए थे। हालांकि देश में अलग-अलग चुनावों की स्थिति तब बनीं, जब कई राज्यों में विभिन्न कारणों से राज्य सरकारें गिर गई थी।

इस मामले को लेकर विधि आयोग भी अपनी रिपोर्ट दे चुका है। जिसमे आयोग के द्वारा इस संबंध में एकसाथ चुनाव कराने के साथ ही कई दूसरे विकल्प भी सरकार को सुझाए गए हैं। फिलहाल इसकी जरूरत इसलिए महसूस होने लगी है कि बार-बार होने वाले चुनाव देश के विकास में बाधा बन रहे हैं।

संविधान के जानकारों की माने तो वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर क़ानून में कई संशोधन करने पड़ेंगे जो बेहद ही जरूरी होंगे। पुरे भारत में एकसाथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराने को लेकर संविधान के इन 5 अनुच्छेदों में संशोधन करना पड़ेगा।

Article 83 : संसद के दोनों सदनों की अवधि के संबंध में।

Article 85 : राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा का विघटन ।

Article 172 : राज्य विधानसभा की अवधि ।

Article 174 : राज्य विधानसभा के विघटन से संबंधित ।

Article 356 : राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करना।

अगर देश में एक साथ चुनाव को मंजूरी मिल जाती है तो वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर अतिरिक्त EVM और VVPAT की जरूरत पड़ेगी। जिसपर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। यदी वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू किया जाता है तो देश में बड़ी संख्या में अतिरिक्त चुनाव कर्मियों और सुरक्षा बलों की जरूरत पड़ेगी ताकि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराई जा सके।

 

वहीँ राजनैतिक जानकारों का कहना है की वन नेशन-वन इलेक्शन से धीरे-धीरे अतिरिक्त खर्च में कमी आएगी लेकिन शुरुआत में कुछ खर्च बढ़ सकते हैं,लेकिन इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इसके अलावा एक साथ चुनाव कराने को लेकर समर्थकों का तर्क है कि इससे पूरे देश में प्रशासनिक व्यवस्था में दक्षता भी बढ़ेगी। क्योकि कहा जाता है कि अलग-अलग मतदान के दौरान प्रशासनिक व्यवस्था की गति काफी धीमी हो जाती है। जिस कारण से सामान्य प्रशासनिक कर्तव्य चुनाव से प्रभावित होते हैं।

वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में यह भी कहा जाता है कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों और कार्यक्रमों में निरंतरता सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। क्युकी वर्तमान में जब भी चुनाव कराने होते हैं तो आदर्श आचार संहिता लागू की जाती है। जिस कारण से उस अवधि के दौरान लोक कल्याण के लिए नई परियोजनाओं के शुरूआत पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

वन नेशन-वन इलेक्शन के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी भी कह चुके हैं कि एक देश-एक चुनाव से देश के संसाधनों की बड़ी बचत होगी। साथ ही साथ विकास की गति भी धीमी नहीं होगी।

 

Brajesh Kumar

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