owaisi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 02 Feb 2024 07:44:01 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg owaisi - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ज्ञानवापी के उस तहखाने की कहानी, जहां 30 साल बाद की गयी पूजा, प्राचीन मूर्तियों के सबूत से पता लगी, पूजा की पुरानी परंपरा https://chaupalkhabar.com/2024/02/02/the-story-of-the-basement-of-gyanvapi-where-puja-was-performed-after-30-years-evidence-of-ancient-idols-revealed-the-old-tradition-of-puja/ https://chaupalkhabar.com/2024/02/02/the-story-of-the-basement-of-gyanvapi-where-puja-was-performed-after-30-years-evidence-of-ancient-idols-revealed-the-old-tradition-of-puja/#respond Fri, 02 Feb 2024 07:44:01 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2282 वाराणसी के कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार प्रदान किया गया है। जिसके बाद 31 सालों से बरसो पुरानी पूजा के अधिकार को लेकर हुए विवाद को सुलझाया गया है। यह विवाद वाराणसी जिला अदालत में चल रहा हैं, जिसमें व्यासजी …

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वाराणसी के कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार प्रदान किया गया है। जिसके बाद 31 सालों से बरसो पुरानी पूजा के अधिकार को लेकर हुए विवाद को सुलझाया गया है। यह विवाद वाराणसी जिला अदालत में चल रहा हैं, जिसमें व्यासजी के तहखाने में नवंबर 1993 से पहले हुई पूजा-पाठ को रुकवा देने का दावा किया जा रहा है। प्रमुख वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास का कहना है कि उनके पूर्वजों ने इस स्थल में सद्गुण से पूजा की थी, और उन्हें इस अधिकार को पुनः स्थापित करने का अधिकार होना चाहिए।

कोर्ट ने इस मामले में ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार देने का फैसला किया है, जिसके बाद रात के 2 बजे, कड़ी सुरक्षा के बावजूद यहां पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ। इससे लगभग 30 सालों के बाद ज्ञानवापी के तहखाने में आरती की आवाज गूंजी। वाराणसी जिला अदालत ने पूजा पर लगी रोक हटाते हुए जिलाधिकारी को 7 दिनों के अंदर पूजा शुरू कराने का आदेश दिया था। इससे पहले यहां पर 1993 से पूजा पाठ बंद थी, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन ने त्वरित कोर्ट के आदेश को मानते हुए  रात भर बैठके की । जिसके बाद में काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की तरफ से पूजा-अर्चना की गई, जिससे स्थिति में सुधार हुआ।

 

इसके अलावा, वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद तीन दशक से भी ज्यादा समय से अदालत में लंबित है। ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास 350 साल से भी ज्यादा पुराना है। इसमें हिंदू पक्ष का दावा है कि वहां पहले से ही हिंदू मंदिर था, जिसे मुग़ल शासक औरंगजेब ने मस्जिद में बदल दिया था। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कभी मंदिर नहीं था और मस्जिद हमेशा से ही यहां बनी हुई थी।

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इस मुद्दे पर अगस्त 2021 में पांच महिलाएं वाराणसी के सिविल जज के सामने याचिका दायर करने गई थीं। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। जज ने मस्जिद परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया था, जिसके बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया। मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और वहां से एक न्यायाधीश को ट्रांसफर करके याचिका पर नियमित सुनवाई करने का निर्देश दिया गया।

 

Gyanvapi case: Varanasi court allows Hindu side to pray in mosque basement

 

जिला जज ने यह भी कहा कि विवाद पोषणीय नहीं है, लेकिन सुनवाई योग्य मानी जाएगी। मई 2023 में पांच याचिकाकर्ता  महिलाओं में से चार ने एक प्रार्थना पत्र दायर किया, जिसमें उन्होंने मांग की कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए। इस पर जिला जज ने ASI सर्वे कराने का आदेश दिया।

 

The Statesman

ASI के सर्वे में मिली मूर्तियां और मंदिर के सूबत के आधार पर कहा गया कि इस स्थान पर पहले हिंदू मंदिर था, जिसे मुग़ल शासकों ने मस्जिद में बदला गया था। हिंदू पक्ष ने यहां के ढांचे में प्राचीन मंदिर के सबूत के रूप में पिलर्स और प्लास्टर का उपयोग करके मस्जिद को मूर्तियों के साथ सुसज्जित करने का आरोप लगाया है। विवादित स्थल को सील करने की मांग को सुनते हुए सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने केस जिला जज के पास भेजा और न्यायिक सुनवाई करने का आदेश दिया। जिला जज ने अपने फैसले में यह कहा कि सभी पक्षों को सर्वे रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया जाएगा। इसके बाद हिंदू पक्ष ने रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया कि यहां पर पहले हिंदू मंदिर था और मुस्लिम पक्ष द्वारा उसे मस्जिद में बदला गया।

 

By Neelam singh.

 

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ज्ञानवापी मामले में ओवैसी का बड़ा बयान, “ज्ञानवापी सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद क्या होगा, कौन जानता है.. https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/#respond Sat, 05 Aug 2023 07:27:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1347 पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा …

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि जब सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कौन जानता है कि हालात कैसे होंगे?

 

 

“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि जब सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कौन जानता है कि हालात कैसे होंगे?

 

 

“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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