.pakistan - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 07 Oct 2024 06:53:27 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg .pakistan - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 एससीओ बैठक में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएंगे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, 9 साल बाद पहली बार भारत का कोई मंत्री करेगा यात्रा https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/#respond Mon, 07 Oct 2024 06:53:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5237 भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा …

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि बीते 9 सालों में यह पहला मौका होगा जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेगा। इससे पहले, दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं, लेकिन उसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में काफी तनाव रहा है और कोई भी भारतीय मंत्री वहां नहीं गया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस यात्रा की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि यह दौरा एससीओ चार्टर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “भारत एससीओ चार्टर को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और विदेश मंत्री की यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस चार्टर के तहत दिए गए दायित्वों को निभाना है।” साथ ही उन्होंने इस यात्रा को भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों के सुधार से जोड़कर देखने से मना कर दिया। उन्होंने साफ किया कि यह दौरा केवल एससीओ के संदर्भ में है और इसका कोई अन्य राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

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पाकिस्तान ने एससीओ की इस बैठक के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा था। अगस्त 2024 में पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस बैठक के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान दौरे को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस निमंत्रण पर स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “पाकिस्तान से बातचीत का समय समाप्त हो चुका है”। जयशंकर ने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद अब इस मुद्दे का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और भारत पाकिस्तान के साथ किसी प्रकार के रिश्ते पर विचार करने की स्थिति में नहीं है।

भारत और पाकिस्तान दोनों एससीओ के सदस्य देश हैं और इस संगठन के तहत दोनों देशों के अधिकारियों ने समय-समय पर बैठकें की हैं। पिछले साल जुलाई 2023 में भारत ने वर्चुअल माध्यम से एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑनलाइन हिस्सा लिया था। इसके अलावा मई 2023 में गोवा में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने हिस्सा लिया था। यह उनके भारत दौरे का दुर्लभ मौका था, लेकिन दोनों देशों के बीच कड़वाहट उस समय भी स्पष्ट थी।

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एससीओ का गठन 2001 में हुआ था और यह संगठन सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जाना जाता है। इसमें आठ स्थायी सदस्य देश हैं, जिनमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में इस संगठन के स्थायी सदस्य बने थे।

हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर और सीमा पर तनाव जैसे मुद्दों ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को और जटिल बना दिया है। इसके बावजूद एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंच पर दोनों देशों की भागीदारी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह दोनों देशों के अधिकारियों को एक साथ लाने का अवसर प्रदान करता है। इस बार पाकिस्तान द्वारा आयोजित की जा रही एससीओ बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत इस संगठन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से लेता है।

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा, वार्ता का कोई इरादा नहीं https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/indian-foreign-minister-s-jay/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/indian-foreign-minister-s-jay/#respond Sat, 05 Oct 2024 11:27:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5234 भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर आगामी 15 और 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता का कोई इरादा …

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर आगामी 15 और 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा एक बहुपक्षीय आयोजन के लिए की जा रही है और इसे केवल एससीओ शिखर सम्मेलन की अनिवार्यता के कारण ही किया जा रहा है।

जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया, “यह यात्रा एक बहुपक्षीय आयोजन के लिए होगी। मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मेरा उद्देश्य एससीओ का एक सक्रिय सदस्य बनना है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस यात्रा को लेकर मीडिया का ध्यान आकर्षित होना स्वाभाविक है, लेकिन यह यात्रा किसी वार्ता के लिए नहीं है।

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पाकिस्तान इस बार एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेज़बानी कर रहा है, और इस बैठक में सभी सदस्य देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। जयशंकर ने अपने दौरे के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह यात्रा एक परंपरा के अनुसार है, जिसमें प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री उच्च स्तरीय बैठक के लिए जाते हैं। “इस वर्ष, यह बैठक इस्लामाबाद में हो रही है, और यह एक नया अनुभव है, जैसा कि हम पहले भी देख चुके हैं,” उन्होंने कहा।

जयशंकर ने एससीओ की कार्यप्रणाली और इसके सदस्यों की अपेक्षाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि एससीओ अपने उद्देश्यों को पूरा करने में विफल रहा है। इसके पीछे की मुख्य वजह आतंकवाद का मुद्दा है। उन्होंने यह भी बताया कि एक पड़ोसी देश आतंकवाद को समर्थन दे रहा है, जो इस क्षेत्र में स्थिरता के लिए खतरा बन रहा है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे पड़ोसी देश की गतिविधियों के परिणामस्वरूप स्थिति में बदलाव आएगा। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में सार्क की बैठकें नहीं हुई हैं।”

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हालांकि, जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि क्षेत्रीय गतिविधियां ठप हो गई हैं। वास्तव में, पिछले 5-6 वर्षों में भारतीय उपमहाद्वीप में क्षेत्रीय एकीकरण के कई संकेत मिले हैं। उन्होंने कहा, “अगर आप बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों का अवलोकन करें, तो आपको पता चलेगा कि रेलवे लाइनों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है, सड़कों का विकास हो रहा है, और बिजली ग्रिड का निर्माण हो रहा है।”

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि जयशंकर की यात्रा का मुख्य उद्देश्य एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी को सुनिश्चित करना है, न कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना। उन्होंने अपनी बातों में यह भी जोड़ते हुए कहा कि वह एक सभ्य व्यक्ति के रूप में व्यवहार करेंगे और सम्मेलन के दौरान सभी देशों के नेताओं के साथ बातचीत का अवसर उठाएंगे।

इस यात्रा के संदर्भ में जयशंकर ने यह भी कहा, “हम क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।” इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के प्रति सजग है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक मजबूत रुख बनाए रखेगा।

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अनुच्छेद 370 पर ख्वाजा आसिफ के बयान से मचा राजनीतिक घमासान, भाजपा का कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर हमला https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/article-370-on-khwaja-asif-k/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/article-370-on-khwaja-asif-k/#respond Thu, 19 Sep 2024 10:00:36 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4981 पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान ने भारत की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल मचा दी है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के रुख का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की ओर से खुला समर्थन दिया है। पाकिस्तान के इस …

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान ने भारत की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल मचा दी है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के रुख का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की ओर से खुला समर्थन दिया है। पाकिस्तान के इस बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला किया है। भाजपा का कहना है कि इससे एक बार फिर साबित हो गया है कि कांग्रेस और पाकिस्तान का एजेंडा एक है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने यह बयान जियो न्यूज के शो ‘कैपिटल टॉक’ में दिया, जिसे वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर होस्ट करते हैं। इस शो में उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ खड़ा है। इसके जवाब में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि “बिल्कुल, यहां तक ​​कि हमारी मांग भी यही है।” उनका यह बयान भारत की राजनीति में हलचल पैदा करने वाला था क्योंकि अनुच्छेद 370 और 35ए भारत के आंतरिक मामलों से जुड़ा हुआ है और इस पर पाकिस्तान का समर्थन भारतीय राजनीति में विवाद का विषय बन जाता है।

ख्वाजा आसिफ के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला बोला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के इस बयान ने एक बार फिर कांग्रेस की “सच्चाई” को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का आर्टिकल 370 और 35ए पर कांग्रेस और JKNC के समर्थन की बात ने एक बार फिर कांग्रेस को एक्सपोज कर दिया है। इस बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस और पाकिस्तान के इरादे भी एक हैं और एजेंडा भी।” अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विशेष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “राहुल गांधी पिछले कुछ वर्षों से भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े हैं। चाहे वह एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने की बात हो या भारतीय सेना के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने की बात, राहुल गांधी और कांग्रेस का पाकिस्तान से सुर हमेशा एक रहा है।”

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अनुच्छेद 370 और 35ए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था, जिसे केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को हटाया था। इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। पाकिस्तान ने इस फैसले का हमेशा विरोध किया है और लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे उठाता रहा है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के फैसले की आलोचना की थी और इसे जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता पर हमला बताया था। हालांकि, भाजपा और केंद्र सरकार का तर्क है कि अनुच्छेद 370 और 35ए का हटाया जाना आवश्यक था ताकि जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाया जा सके और वहां विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार के रहते जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और पाकिस्तान यह भूल जाते हैं कि अब केंद्र में मोदी सरकार है। कश्मीर में न तो अनुच्छेद 370 वापस आएगा और न ही आतंकवाद।” इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस ने पाकिस्तान के बयान से खुद को अलग कर लिया है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर देश की संप्रभुता और अखंडता के साथ खड़ी है।

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ख्वाजा आसिफ के इस बयान के बाद भारत में राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। भाजपा इसे कांग्रेस के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जबकि कांग्रेस अपने रुख को सही ठहराने की कोशिश कर रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर के हितों के लिए संघर्ष करती रहेगी, चाहे पाकिस्तान कुछ भी कहे। यह विवाद आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की राजनीति और राष्ट्रीय राजनीति पर असर डाल सकता है, खासकर जब 2024 के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं।

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नेहरू-अयूब खान के 64 साल पुराने समझौते पर मोदी सरकार का निर्णय”,भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए नोटिस भेजा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/nehru-ayub-khan-64-years-old/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/nehru-ayub-khan-64-years-old/#respond Wed, 18 Sep 2024 12:20:34 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4967 भारत ने दशकों पुराने सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को आधिकारिक नोटिस जारी किया है, जिसमें समझौते में संशोधन की मांग की गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह नोटिस पिछले महीने 30 तारीख को भेजा गया। भारत का कहना है कि बदलती परिस्थितियों के कारण इस संधि की समीक्षा करना आवश्यक हो गया …

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भारत ने दशकों पुराने सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को आधिकारिक नोटिस जारी किया है, जिसमें समझौते में संशोधन की मांग की गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह नोटिस पिछले महीने 30 तारीख को भेजा गया। भारत का कहना है कि बदलती परिस्थितियों के कारण इस संधि की समीक्षा करना आवश्यक हो गया है। भारत ने इस नोटिस में कई कारण बताए हैं। इनमें प्रमुख हैं जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण संबंधी मुद्दे और भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विकास में तेजी लाने की आवश्यकता। भारत का मानना है कि सिंधु जल संधि के बाद से स्थितियाँ काफी बदल गई हैं, और इसे ध्यान में रखकर पुनर्विचार करना जरूरी है।

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एक और महत्वपूर्ण कारण सीमा पार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियाँ भी हैं। भारत ने कहा कि आतंकवाद के चलते सिंधु जल संधि के सुचारू कार्यान्वयन में बाधाएँ आ रही हैं। इस कारण से संधि के उद्देश्यों की पूर्ति में रुकावट उत्पन्न हो रही है। सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित हुई थी, जिसमें विश्व बैंक की मध्यस्थता थी। उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में इस पर हस्ताक्षर किए। इस संधि के तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज जैसी तीन पूर्वी नदियों का नियंत्रण प्राप्त हुआ, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम जैसी तीन पश्चिमी नदियों का नियंत्रण मिला।

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भारत की इस नवीनतम पहल को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद को सुलझाने में मदद मिल सकती है। यह मुद्दा न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी अहम है। अब देखने की बात होगी कि पाकिस्तान इस नोटिस का क्या जवाब देता है और दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के प्रबंधन पर क्या बातचीत होती है।

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बांग्लादेश में पाकिस्तान की मदद से परमाणु शक्ति बनने की मांग, बढ़ रहा भारत विरोध https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/bangladesh-in-pakistan/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/bangladesh-in-pakistan/#respond Mon, 16 Sep 2024 05:56:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4891 बांग्लादेश में हाल ही में भारत विरोधी भावना तेज़ी से उभर रही है, खासकर शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिदुज्जमां द्वारा की गई एक नई मांग ने इस भावना को और हवा दी है। उन्होंने अपने हालिया संबोधन में कहा कि बांग्लादेश को परमाणु शक्ति बनने के लिए पाकिस्तान …

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बांग्लादेश में हाल ही में भारत विरोधी भावना तेज़ी से उभर रही है, खासकर शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिदुज्जमां द्वारा की गई एक नई मांग ने इस भावना को और हवा दी है। उन्होंने अपने हालिया संबोधन में कहा कि बांग्लादेश को परमाणु शक्ति बनने के लिए पाकिस्तान के साथ संधि करनी चाहिए। उनका मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश का सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद सहयोगी हो सकता है और भारत से मुकाबला करने के लिए यह आवश्यक है। एक सेमिनार में बोलते हुए, प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने बांग्लादेश को परमाणु संपन्न बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है, और इसके लिए पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि करना सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा, “हमें पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि करनी होगी। पाकिस्तान बांग्लादेश का सबसे भरोसेमंद सुरक्षा सहयोगी है, लेकिन भारत इस तथ्य को स्वीकार नहीं करना चाहता।”

प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि परमाणु संपन्न होने का मतलब यह नहीं कि बांग्लादेश को खुद परमाणु हथियार विकसित करने चाहिए। उनका कहना था कि पाकिस्तान की तकनीक और विशेषज्ञता का उपयोग करके बांग्लादेश को परमाणु सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत की वर्तमान स्थिति और सोच को चुनौती देने के लिए हमें परमाणु सक्षम बनने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। पाकिस्तान के साथ इस संदर्भ में सहयोग से हम अपनी सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।”

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प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि बांग्लादेश के पास पाकिस्तान के सहयोग के बिना भारत से मुकाबला करने की कोई ठोस रणनीति नहीं हो सकती। उनके अनुसार, पाकिस्तान की सैन्य ताकत और उसकी मिसाइल तकनीक बांग्लादेश के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत से निपटने के लिए पाकिस्तान का समर्थन आवश्यक है।

सबसे विवादास्पद टिप्पणी तब आई जब प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने पाकिस्तानी मिसाइलों को बांग्लादेश में तैनात करने की मांग की। उन्होंने कहा, “हमें पाकिस्तान से गौरी शॉर्ट-रेंज मिसाइलें हासिल करनी चाहिए और उन्हें उत्तरी बांग्लादेश और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात करना चाहिए। यह कदम भारत पर दबाव डालने का प्रभावी तरीका हो सकता है।”

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शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी बयानों की बाढ़ सी आ गई है। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अब पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों की वकालत कर रहे हैं। शाहिदुज्जमां जैसे लोग अब खुलकर यह कह रहे हैं कि भारत के प्रभाव को रोकने के लिए पाकिस्तान ही एकमात्र विकल्प है। बांग्लादेश में इस बढ़ती भारत विरोधी भावना और पाकिस्तान समर्थक विचारधारा ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को एक नए मोड़ पर ला दिया है।

 

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अमेरिका के पूर्व एनएसए एचआर मैकमास्टर ने आईएसआई के आतंकवाद से जुड़े काले कारनामों का किया खुलासा. https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/usa-ex-nsa-h/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/31/usa-ex-nsa-h/#respond Sat, 31 Aug 2024 11:41:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4574 अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचआर मैकमास्टर ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के आतंकवाद से जुड़े काले कारनामों को उजागर किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आईएसआई का आतंकवादी संगठनों के साथ सीधा संबंध है और इसमें कोई संदेह नहीं है। मैकमास्टर ने कहा …

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचआर मैकमास्टर ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के आतंकवाद से जुड़े काले कारनामों को उजागर किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आईएसआई का आतंकवादी संगठनों के साथ सीधा संबंध है और इसमें कोई संदेह नहीं है। मैकमास्टर ने कहा कि पाकिस्तान का आईएसआई न केवल आतंकवादी संगठनों का समर्थन करता है, बल्कि उन्हें सुरक्षित पनाहगाह भी मुहैया कराता है। उनका यह बयान उस समय का है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे और उन्होंने पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। ट्रंप प्रशासन का यह कदम पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने की नीति के खिलाफ था, लेकिन इस निर्णय को लागू करने में व्हाइट हाउस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।

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उन्होंने खुलासा किया कि ट्रंप प्रशासन के दौरान, व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता को रोकने के लिए विदेश विभाग और पेंटागन के विरोध का सामना किया। यह विरोध इसलिए था क्योंकि कई अधिकारियों का मानना था कि पाकिस्तान के साथ संबंध बनाए रखना अमेरिका के रणनीतिक हित में है। हालांकि, ट्रंप ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने से रोकने के लिए सभी प्रकार की सहायता पर रोक लगाने का निर्णय लिया था। मैकमास्टर ने अपने अनुभवों और जानकारी के आधार पर बताया कि पाकिस्तान में आतंकवाद का गढ़ बन चुके कई संगठन, जैसे लश्कर-ए-तैयबा, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क, आईएसआई की छत्रछाया में पनपे हैं। उनका कहना था कि इन संगठनों को आईएसआई की तरफ से न केवल वित्तीय सहायता मिलती है बल्कि उन्हें सुरक्षित ठिकाने भी उपलब्ध कराए जाते हैं।

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यहां तक कि जब भी अमेरिका या अन्य पश्चिमी देश इन संगठनों पर कार्रवाई करने का प्रयास करते हैं, तो आईएसआई अपने प्रभाव का उपयोग करके उन्हें बचाने का प्रयास करता है। इस प्रकार, आईएसआई का आतंकवाद से जुड़ा चेहरा अब दुनिया के सामने उजागर हो चुका है। मैकमास्टर के इन बयानों ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान की नीतियों में आतंकवाद का समर्थन एक गंभीर मुद्दा है, और इस समस्या के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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अफ्रीका और स्वीडन के बाद अब पाकिस्तान पहुंचा Mpox वायरस, मिला पहला केस, जानिए क्या है वायरस के लक्षण और इलाज. https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/africa-and-sweden-after-a/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/africa-and-sweden-after-a/#respond Fri, 16 Aug 2024 08:01:21 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4330 हाल ही में, अफ्रीका और स्वीडन के बाद, Mpox वायरस ने पाकिस्तान में भी दस्तक दी है। पाकिस्तान में Mpox के पहले केस की पुष्टि ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है। Mpox, जिसे पहले “मंकीपॉक्स” के नाम से जाना जाता था, एक वायरल संक्रमण है जो बुखार, दाने और अन्य गंभीर लक्षणों के …

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हाल ही में, अफ्रीका और स्वीडन के बाद, Mpox वायरस ने पाकिस्तान में भी दस्तक दी है। पाकिस्तान में Mpox के पहले केस की पुष्टि ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है। Mpox, जिसे पहले “मंकीपॉक्स” के नाम से जाना जाता था, एक वायरल संक्रमण है जो बुखार, दाने और अन्य गंभीर लक्षणों के साथ आता है। आइए जानें Mpox वायरस के लक्षण, इसके इलाज, और इससे बचाव के उपाय।

Mpox वायरस: सामान्य जानकारी:-  Mpox वायरस का पहला मामला 1958 में मंकीपॉक्स के रूप में सामने आया था। इस वायरस के संक्रमण के मामले आमतौर पर अफ्रीकी देशों में देखे गए हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इसका प्रसार अन्य देशों में भी देखने को मिला है। यह वायरस मुख्यतः जंगली जानवरों के माध्यम से फैलता है और मानव से मानव के बीच भी संक्रमण हो सकता है।

पाकिस्तान में Mpox वायरस का पहला केस:- पाकिस्तान में Mpox वायरस के पहले केस की पुष्टि हाल ही में की गई है। यह मामला एक व्यक्ति का है जिसने विदेश यात्रा की थी और संभावित रूप से वहां से वायरस संक्रमित हो सकता है। पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले की पुष्टि की है और संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

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Mpox वायरस के संक्रमण के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:-

1. बुखार: संक्रमित व्यक्ति को अचानक बुखार हो सकता है।
2. दाने और चकत्ते: शरीर पर दाने और चकत्ते दिख सकते हैं, जो धीरे-धीरे घाव में बदल सकते हैं।
3. पेशियों में दर्द: शरीर में दर्द और अस्वस्थता का अनुभव हो सकता है।
4. थकावट और सिरदर्द: मरीज को अत्यधिक थकावट और सिरदर्द का अनुभव हो सकता है।

Mpox वायरस के उपचार में मुख्य रूप से लक्षणों की देखभाल की जाती है। इस समय, कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन संक्रमण के गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है। दवाओं और टीकों के विकास पर शोध जारी है, और कुछ मामलों में, इम्यूनोथेरेपी भी उपयोगी साबित हो सकती है।

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Mpox वायरस से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

1. स्वच्छता: नियमित रूप से हाथ धोएं और स्वच्छता बनाए रखें।
2. संक्रमित व्यक्तियों से दूरी: संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें और उनके साथ शारीरिक संपर्क से बचें।
3. टीकाकरण: जिन क्षेत्रों में Mpox का प्रकोप है, वहां टीकाकरण करने की सलाह दी जाती है।

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UN में पाकिस्तान को फिर मिली खरी-खरी, कश्मीर का मुद्दा उठाकर फंसा, भारत ने लताड़ते हुए कहा- ध्यान भटकाने की कोशिश न करें https://chaupalkhabar.com/2024/06/27/un-found-again-in-pakistan/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/27/un-found-again-in-pakistan/#respond Thu, 27 Jun 2024 06:16:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3751 पाकिस्तान हमेशा से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है, और इस बार भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसने ऐसा ही किया। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और पाकिस्तान की इन हरकतों को राजनीति से प्रेरित और निराधार बताया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष …

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पाकिस्तान हमेशा से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है, और इस बार भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसने ऐसा ही किया। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और पाकिस्तान की इन हरकतों को राजनीति से प्रेरित और निराधार बताया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर खुली बहस के दौरान, भारत के उप प्रतिनिधि आर. रविन्द्र ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया। उन्होंने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर की गई टिप्पणियों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि ये केवल बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघनों से ध्यान भटकाने का प्रयास है, जो पाकिस्तान में बेरोकटोक जारी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा थे, हैं और हमेशा रहेंगे, चाहे पाकिस्तान कुछ भी माने या चाहे।

भारत ने पाकिस्तान पर यह भी आरोप लगाया कि वह अपने देश में जारी गंभीर समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए कश्मीर का मुद्दा उठाता है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान का यह प्रयास केवल राजनीति से प्रेरित है और उसका कोई आधार नहीं है। आर. रविन्द्र ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में पाकिस्तान में बच्चों के खिलाफ हो रहे गंभीर उल्लंघनों का स्पष्ट रूप से उल्लेख है। इसलिए, पाकिस्तान को अपने देश में इन समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए बजाय इसके कि वह भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाए।

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भारत ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न हिस्से हैं और रहेंगे। पाकिस्तान की इन निराधार टिप्पणियों को भारत ने कड़ी आलोचना की है और कहा है कि यह पाकिस्तान की एक आदतन हरकत है। इस प्रकार, भारत ने पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे पर उठाए गए बयानों को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताते हुए पूरी तरह खारिज कर दिया है। भारत ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को अपने देश में जारी गंभीर समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाने से बचना चाहिए। भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उसके अभिन्न हिस्से हैं और रहेंगे, चाहे पाकिस्तान कुछ भी कहे या करे। इस प्रकार, पाकिस्तान की आदतन हरकतों का भारत ने कड़ा विरोध किया है और अपने रुख को स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने रखा है।

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पाकिस्तान के बिज़नेसमैन ने जमकर की पीएम मोदी की तारीफ़ कहा भारत ही नहीं, पाकिस्‍तान के लिए भी अच्‍छे हैं। https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/businessmen-of-pakistan/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/08/businessmen-of-pakistan/#respond Sat, 08 Jun 2024 11:11:53 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3523 लोकसभा चुनाव में NDA को बहुमत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। 9 जून, यानी कल शाम को, शपथ ग्रहण समारोह होगा जिसमें पीएम मोदी के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ लेंगे। नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी बिजनेसमैन …

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लोकसभा चुनाव में NDA को बहुमत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। 9 जून, यानी कल शाम को, शपथ ग्रहण समारोह होगा जिसमें पीएम मोदी के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ लेंगे। नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी बिजनेसमैन साजिद तरार ने खुशी जताई है। उन्होंने हाल ही में एक बयान में भारत के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर सराहना की है। भारत में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से हर कोई परिचित है, लेकिन अब पाकिस्तान-अमेरिकी बिजनेसमैन तरार ने कहा है कि नरेंद्र मोदी का एक बार फिर प्रधानमंत्री बनना न केवल भारत में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्थिरता की गारंटी है। तरार ने मोदी की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की और भारत की स्थिरता बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

तरार ने कहा कि भारत के भविष्य की स्थिरता के लिए मोदी का नेतृत्व आवश्यक है।उन्होंने बताया कि मोदी राजनीतिक उथल-पुथल को रोकने और देश के संविधान को बनाए रखने के लिए एक मजबूत नेता हैं। और उनका नेतृत्व भारत की स्थिरता और भविष्य की संभावनाओं की गारंटी है। मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की बात पर तरार ने कहा कि पाकिस्तान के लोग दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से बधाई संदेश नहीं मिला। तरार ने उम्मीद जताई कि शहबाज शरीफ मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे।

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तरार द्वारा नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि मोदी केवल भारत के लिए बल्कि पाकिस्तान के लिए भी काफी फायदेमंद हैं।और उनका निरंतर नेतृत्व में दोनों देशों के बीच व्यापार और बेहतर संबंधों को बढ़ाने की संभावना है। पाकिस्तान के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं, जिनमें राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट शामिल हैं। तरार का कहना है कि यदि पाकिस्तान को भारत से संबंध अच्छे करने हैं तो उसे चीन के प्रतिनिधि बनने से बचना होगा और नई दिल्ली के साथ संबंधों को मजबूत करने और आंतरिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए पाकिस्तान में मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया।

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तरार ने भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों को सुलझाने और व्यापार को बढ़ाने के लिए कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों से दक्षिण एशिया में स्थिरता आएगी। अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय ने भी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ ने इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बताया, जबकि कुछ ने चिंता जताई। लेकिन साजिद तरार जैसे कारोबारी नेताओं ने मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की और इसे दक्षिण एशिया के लिए फायदेमंद बताया। तरार ने कहा कि भारत के साथ अच्छे संबंधों से पाकिस्तान को आर्थिक लाभ होगा। उन्होंने बताया कि मोदी के पिछले कार्यकाल में भी दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि हुई थी।

तरार ने कहा कि नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी ने अपने पिछले कार्यकालों में देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है और उन्हें विश्वास है कि वह भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे। तरार ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और भारत के साथ सकारात्मक संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने से दोनों को फायदा होगा।

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India-Iran News: ‘भारत और ईरान के बीच चाबहार समझौते पर तिलमिलाया अमेरिका, कहा जो देश ईरान के साथ व्यापार करेगा प्रतिबंध के लिए तैयार रहे। https://chaupalkhabar.com/2024/05/14/india-iran-news-between-india-iran-chabah/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/14/india-iran-news-between-india-iran-chabah/#respond Tue, 14 May 2024 06:11:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3205 भारत ने हाल ही में चाबहार पोर्ट के प्रबंधन के लिए दस वर्षों का ठेका हासिल किया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत के और ईरान के बीच सशक्त और गहरे व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत करेगा। चाबहार पोर्ट एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है जो भारत के लिए गुजरात के मुंबई और …

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भारत ने हाल ही में चाबहार पोर्ट के प्रबंधन के लिए दस वर्षों का ठेका हासिल किया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत के और ईरान के बीच सशक्त और गहरे व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत करेगा। चाबहार पोर्ट एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है जो भारत के लिए गुजरात के मुंबई और दक्षिण भारत के चेन्नई जैसे मुख्य बंदरगाहों के साथ संचार को और भी मजबूत बनाएगा। इस ठेके को हासिल करने के पीछे अमेरिका की चिंता का सबसे बड़ा कारण है ईरान के साथ व्यापार करने वाले देशों को संभावित सैंक्शन का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका के तर्क के मुताबिक, ईरान के साथ किये जाने वाले व्यापारिक समझौते से अमेरिकी प्रतिबंध के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन भारत की बारीक विदेश नीति और उसके स्वाधीनता के प्रति इसमें कोई संकोच नहीं है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने इस समय पर भारत-ईरान समझौते के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ईरान के साथ व्यापार करने वाले देशों को संभावित सैंक्शन के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि, उन्होंने भी यह स्पष्ट किया कि भारत को अपनी विदेश नीति के मामले में अपनी बात रखने का पूरा हक है। चाबहार पोर्ट का अमेरिकी संदेश भारत की ओर से स्वागत किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण स्थान है  विशेष रूप से चीन के बढ़ते प्रभुत्व  को देखते हुए । इससे पहले किसी भारतीय कंपनी को एक विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन करने का मौका नहीं मिला था, जो इसे भारतीय व्यापारिक समुदाय के लिए एक विशेष अवसर बना सकता है।

चाबहार पोर्ट का अधिग्रहण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर भारतीय व्यापारिक समुदाय के लिए। यह पोर्ट भारत के और दक्षिणी एशिया के बीच व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण ब्रिज का काम करेगा, जिससे भारतीय व्यवसायिकों को नए विपणन और निर्यात के अवसर प्राप्त होंगे। इस ठेके के माध्यम से, भारत और ईरान के बीच सशक्त संबंधों को मजबूत किया जा सकता है, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा। यह स्थायी और स्थिर व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देगा और दोनों देशों के लिए साझा सौर्य सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, और अन्य क्षेत्रों में भी साझा समर्थन प्रदान कर सकता है।

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भारतीय शिपिंग और पोर्ट मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के ईरान यात्रा का संदेश भारत के लिए एक और उदाहरण है कि देश किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। इस यात्रा के माध्यम से, भारत ने अपने समर्थन और साझा इरादे को पुष्टि की है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया जा सकता है। चाबहार पोर्ट के अधिग्रहण से भारत को अपनी गुर्ति बनाने का एक अवसर मिला है। यह न केवल भारत के लिए एक व्यापारिक और रणनीतिक जीत है, बल्कि दक्षिणी एशिया के विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत की गणराज्यता और उसकी आर्थिक शक्ति में वृद्धि होगी, जो देश को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।

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