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]]>पेरिस ओलंपिक के दौरान विनेश को फाइनल मुकाबले से ठीक पहले टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था। इसका कारण था कि उनका वजन तयशुदा वेट कैटेगरी 50 किलोग्राम से 100 ग्राम ज्यादा था। विनेश ने बताया कि उन्होंने रातभर वजन कम करने की कोशिश की थी। करीब साढ़े पांच घंटे तक उन्होंने कठिन मेहनत की, लेकिन अपने वजन को 50 किलोग्राम की सीमा में लाने में असमर्थ रहीं। विनेश के कोच वॉलर अकोस ने भी इस स्थिति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “एक समय हमें लगा कि विनेश की जान को खतरा हो सकता है।” विनेश ने अपने पोस्ट में 6 और 7 अगस्त की रात के संघर्ष का वर्णन किया। उन्होंने लिखा, “हमने हार नहीं मानी, हमारी कोशिशें जारी रहीं। हम झुके नहीं, लेकिन घड़ी रुक गई और समय हमारे साथ नहीं था। मेरा भाग्य भी मेरे साथ नहीं था। हमने एक बड़े गोल के लिए मेहनत की थी, जो अधूरा रह गया। यह हमेशा मिसिंग रहेगा।”
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विनेश ने इस पोस्ट के माध्यम से अपने दिल के भावों को साझा करते हुए संकेत दिए कि वह इस अनुभव से गहरे आहत हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन शब्द पर्याप्त नहीं होंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जब समय सही होगा, वह इस पर दोबारा बात करेंगी। विनेश फोगाट के इस पोस्ट से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने ओलंपिक से बाहर होने के बाद भी अपनी कुश्ती के प्रति समर्पण और संघर्ष की भावना को नहीं खोया है। हालांकि, पेरिस ओलंपिक के दौरान उनका प्रदर्शन उनके और उनके समर्थकों के लिए निराशाजनक रहा, लेकिन उन्होंने इस कठिन समय का सामना करते हुए एक मजबूत संदेश दिया है।
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भारतीय कुश्ती के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और जुनून के चलते यह कहना गलत नहीं होगा कि विनेश फोगाट का करियर अभी खत्म नहीं हुआ है। उनका यह संघर्ष और अनुभव शायद उनके भविष्य के सफर को और भी मजबूत बनाएगा। इस पोस्ट के माध्यम से विनेश ने अपने प्रशंसकों और समर्थकों को यह संदेश दिया है कि वह हार मानने वालों में से नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा उस बात के लिए खड़ी रहेंगी, जिसे वह सही मानती हैं, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। विनेश का यह संघर्ष और समर्पण निश्चित रूप से आने वाले समय में उन्हें और भी मजबूत बनाएगा और वह भारतीय कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।
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]]>The post ट्रम्प और माइक जॉनसन ने पेरिस ओलंपिक उद्घाटन समारोह की आलोचना की । Trump and Mike Johnson Slam Paris Olympics Opening Ceremony first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>डोनाल्ड ट्रम्प ने इस उद्घाटन समारोह को “अपमानजनक” करार दिया है। उन्होंने सोमवार रात फॉक्स न्यूज के शो ‘द इंग्राहम एंगल’ पर कहा, “मुझे लगा कि उद्घाटन समारोह वास्तव में अपमानजनक था। मुझे लगता है कि उन्होंने जो किया वह अपमानजनक था।” ट्रम्प ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि वह आम तौर पर खुले विचारों वाले व्यक्ति हैं, लेकिन इस विशेष दृश्य ने उन्हें आपत्ति की। उनका मानना है कि यह घटना ईसाई समुदाय के धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती है।
हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने भी इस दृश्य की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि “पिछली रात लास्ट सपर का मजाक उड़ाना दुनिया भर के ईसाई लोगों के लिए चौंकाने वाला और अपमानजनक था।” जॉनसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में ऐसा दृश्य दिखाना विश्वास और पारंपरिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “हमारे विश्वास और पारंपरिक मूल्यों पर युद्ध आज कोई सीमा नहीं जानता। लेकिन हम जानते हैं कि सत्य और सदाचार हमेशा जीतेंगे। प्रकाश अंधेरे में चमकता है, और अंधेरे ने इसे दूर नहीं किया है।”
उद्घाटन समारोह के दौरान प्रदर्शित दृश्य में लियोनार्डो दा विंची की “द लास्ट सपर” की झलक देखी गई, जो ईसाई धर्म में एक महत्वपूर्ण चित्र है। इस दृश्य को लेकर लोगों का कहना है कि इसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना था। इस दृश्य ने कई लोगों के धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाई और इसका विरोध शुरू हो गया।
इस विवाद ने व्यापक चर्चा और विरोध को जन्म दिया है। पेरिस ओलंपिक आयोजकों ने इस आलोचना पर अभी तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, यह विवाद ओलंपिक आयोजनों की धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के मुद्दे को उजागर करता है, जो भविष्य के आयोजनों में विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु हो सकता है।
इस विवाद ने यह सवाल भी उठाया है कि सार्वजनिक समारोहों में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग कैसे किया जाता है और इसके संभावित प्रभाव क्या हो सकते हैं।
By – Brajesh Kumar Gaurav
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]]>The post पेरिस ओलंपिक्स 2024: बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने अपनी पहली जीत दर्ज की; अगले दौर में प्रवेश किया। first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>रविवार को खेले गए मैच में विश्व नंबर 111 रैंकिंग वाली फातिमा अब्दुल रज्जाक ने पूर्व विश्व चैंपियन सिंधु के खिलाफ संघर्ष किया। पहले गेम में सिंधु ने अपनी दमदार खेल का प्रदर्शन किया और केवल 13 मिनट में गेम को खत्म कर दिया। दूसरे गेम में भी सिंधु का दबदबा बना रहा। उन्होंने तेजी से 4-0 की बढ़त हासिल की। हालांकि रज्जाक ने संक्षेप में अंतर को 3-4 तक कम किया, लेकिन सिंधु ने फिर से 10-3 की बढ़त बना ली। सिंधु के आक्रमक खेल ने फातिमा को अधिक मौके नहीं दिए। दूसरे गेम के अंत में सिंधु के पास 14 मैच प्वाइंट थे, लेकिन उन्होंने सिर्फ एक का उपयोग करते हुए जीत हासिल कर ली। मैच के दौरान सिंधु ने अपने खेल के विभिन्न पहलुओं का प्रदर्शन किया, जिसमें उनकी गति, सटीकता और शॉट चयन की उत्कृष्टता शामिल थी।
सिंधु की यह जीत केवल एक शुरुआत है। उनके प्रशंसक और भारतीय बैडमिंटन समुदाय उनके अगले मैच की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो बुधवार को एस्टोनिया की क्रिस्टिन कूबा के खिलाफ होगा। कूबा के खिलाफ मैच में सिंधु का प्रदर्शन देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि इस मैच के नतीजे से उनके नॉकआउट चरण में प्रवेश करने की संभावना और स्पष्ट हो जाएगी। पीवी सिंधु का यह ओलंपिक सफर कई मायनों में महत्वपूर्ण है। उनका अनुभव और उनकी तैयारी उन्हें इस बार भी पदक की दावेदार बनाता है। उनके पिछले ओलंपिक सफर ने उन्हें एक मजबूत मानसिकता और आत्मविश्वास दिया है, जो इस बार उनके खेल में दिखाई दे रहा है।
सिंधु की सफलता की कहानी सिर्फ उनके खेल तक सीमित नहीं है। यह उनके दृढ़ संकल्प, मेहनत और अपने देश के लिए कुछ बड़ा करने की इच्छा की कहानी है। उनकी जीत और उनके प्रदर्शन ने कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है और भारतीय बैडमिंटन को वैश्विक मंच पर ऊंचाई तक पहुंचाया है। इस जीत के साथ, सिंधु ने यह साबित कर दिया कि वह अपनी शीर्ष फॉर्म में हैं और उनके लक्ष्य स्पष्ट हैं। आगामी मैचों में उनके प्रदर्शन पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी, और उनके समर्थक उनसे एक और पदक की उम्मीद लगाए हुए हैं। पेरिस ओलंपिक्स 2024 में पीवी सिंधु की यात्रा अभी शुरू हुई है, और उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता के साथ, वे निश्चित रूप से और भी ऊंचाइयों को छुएंगी।
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