parliament of india - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 21 Dec 2023 08:10:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg parliament of india - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 Loksabha में Amit Shah द्वारा नए Criminal Bill को कराया गया पास https://chaupalkhabar.com/2023/12/21/new-criminal-bill-passed-by-amit-shah-in-lok-sabha/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/21/new-criminal-bill-passed-by-amit-shah-in-lok-sabha/#respond Thu, 21 Dec 2023 08:10:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2045 लोकसभा में अमित शाह जी द्वारा प्रस्तुत 3 नए क्रांतिकारी कानूनों को बुधवार को लोकसभा में पास कर दिया गया। यह बिल लोकसभा में विपक्ष के नेताओं की अनुपस्थिति में पास किया गया जिन्हें निलंबित किया गया था इसके बाद यह बिल राज्यसभा में रखा जाएगा, वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के …

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लोकसभा में अमित शाह जी द्वारा प्रस्तुत 3 नए क्रांतिकारी कानूनों को बुधवार को लोकसभा में पास कर दिया गया। यह बिल लोकसभा में विपक्ष के नेताओं की अनुपस्थिति में पास किया गया जिन्हें निलंबित किया गया था इसके बाद यह बिल राज्यसभा में रखा जाएगा, वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

भारत न्यायायिक व्यवस्था पिछले 7 दशकों से 160 वर्ष पूराने ब्रिटिशों के कानून IPC, CrPC, इंडियन एविडेंस एक्ट से चलता था। तब यह कानून ब्रिटिश शासन के हितों के अनुकूल बनाए गए थे न कि जनता केंद्रित। गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गुलामी की निशानी से भरे IPC, CrPC एवं इंडियन एविडेंस एक्ट निरस्त कर न्याय देने वाले तीन नए बिल लाए गए हैं।

 

जिन्हें बुधवार को लोकसभा में पास करा दिया गया भारतीय न्यायिक व्यवस्था में इन आवश्यक बदलावों को स्थापित करना अति आवश्यक था, आजादी के 7 दशकों बाद भी हम ब्रिटिशों की कैद में थे, वर्तमान सरकार ने कॉलेजियम को हटाकर भारतवासियों के हित में नए कानूनों को लाया है, जो भारत के नागरिकों के हितों में बनाया गया है। कानून व्यवस्था को आधुनिकता से जोड़कर न्याय प्रणाली को तीव्र किया है ताकि इंसाफ का मांग के लिए एक आदमी अपनी पूरी जिंदगी दाव पर न लगा दे। इन तीन नए कानूनों में बदलाव से भारत में वो हुआ है जो आज से पहले कभी नहीं हुआ।

भारतीय संविधान के तहत, कानूनों का महत्त्वपूर्ण योगदान है जो समाज की सुरक्षा और न्याय को सुनिश्चित करते हैं। हाल ही में हुए कुछ महत्त्वपूर्ण तीन नए क्रिमिनल बिलों की मंजूरी और उनके लोकसभा में पारित होने पर चर्चा का केंद्रीय बिंदु बना है। इन बिलों के पारित होने से पहले के कानूनों में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह न केवल अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की संभावना लेकर आता है, बल्कि नए कानून मानवीय संरक्षा और समाज की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देने का वादा करता है। इन परिवर्तनों के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया में व्यापक परिवर्तन होने का दावा किया गया है। यह संशोधन सीआरपीसी, बीएनएस, और बीएसए को समेकित करके भारतीय न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास किया गया है।

 

गृहमंत्री अमित शाह ने इन नए क्रिमिनल बिलों के माध्यम से एक नयी यात्रा की घोषणा की है, जहां अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ-साथ पुलिस की भी ज़िम्मेदारी बढ़ाई गई है। इन बिलों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है, जो समाज के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्रिमिनल लॉ परिवर्तनों में अदालती प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने का प्रयास किया गया है। इन संशोधनों में अपराध की परिभाषा में विस्तार किया गया है और इसने जुर्माने और सजा में भी बदलाव किया है। संशोधित कानूनों में विभिन्न अपराधों की परिभाषा में वृद्धि की गई है जिसमें संगठित अपराध, आतंकवाद, धोखे से महिलाओं का यौन शोषण, छीनना, भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्य शामिल हैं। इन संशोधनों से अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की संभावना बढ़ी है।

साथ ही, इलेक्ट्रानिक और डिजिटल रिकॉर्ड्स को भी अब अपराधी के साक्ष्य के रूप में माना जाएगा, जो अदालती प्रक्रिया को और विश्वसनीय बनाएगा। इन संशोधनों का असर यह हो सकता है कि अब जुर्माने और सजा में वृद्धि होने से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे जनता में भरोसा बढ़ सकता है कि न्यायिक प्रक्रिया में तेजी होगी और अपराधियों को जल्द से जल्द सजा होगी।

क्रिमिनल लॉ के इन संशोधनों के माध्यम से जानकारी को इलेक्ट्रानिक रूप से रखा गया है जिससे कि पुलिस और अन्य न्यायिक अधिकारियों को तुरंत और सही सूचना मिल सके। इस संशोधन के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया में बदलाव लाने की कोशिश की गई है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी और अनुकूलता आ सके। शाह ने बताया कि इन बिलों के माध्यम से सरकार ने समाज में उन बुराईयों को मिटाने की कड़ी इच्छा दर्शाई है, जो विभिन्न स्तरों पर मानवता को चोट पहुंचाती थीं।

 

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इस संदर्भ में, नए कानूनों के माध्यम से समाज में जागरूकता और सच्चाई की बात करने की ज़रूरत है। लोगों को इसके महत्त्व को समझाने और समर्थन देने की आवश्यकता है ताकि ये कानून समाज में समर्थन पा सकें और उनकी सफलता में सहायता कर सकें। इन कानूनों के माध्यम से उठाए गए कदमों की व्यापक जानकारी और समझ लोगों को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। समाज को इसकी महत्ता समझाने के लिए उचित साधनों का उपयोग करना चाहिए ताकि इस दिशा में होने वाले प्रगति को बढ़ावा मिल सके।

 

यह नए कानून समाज में जागरूकता, सुरक्षा, और न्याय की महत्ता को समझाते हैं। इन्हें समर्थन देने से पहले उनकी व्यापक समझ और गहरी जानकारी होनी चाहिए ताकि वे समाज के हित में योगदान कर सकें।

 

इस तरह के कानूनों का मानवीय स्तर पर जोरदार प्रभाव होता है जो समाज के हर व्यक्ति की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करता है। इन नए कानूनों के माध्यम से देश में न्याय प्रणाली में सुधार लाने का यह प्रयास आगे बढ़ावा देता है और मानवीयता को सशक्त बनाता है। इस प्रकार, नए कानूनों का पारित होना एक नयी दिशा की ओर एक महत्त्वपूर्ण कदम है जो समाज में सुरक्षा, न्याय, और मानवीयता को मजबूत करता है।

 

 

 

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जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक और आरक्षण संशोधन विधेयक https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/detail-of-jammu-kashmir-reorganization-amendment-bill-and-reservation-amendment-bill/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/detail-of-jammu-kashmir-reorganization-amendment-bill-and-reservation-amendment-bill/#respond Mon, 11 Dec 2023 13:13:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1955 हाल ही में, लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 को ध्वनिमत से पारित किया गया है। यह विधेयक वर्गों के परिभाषाओं में बदलाव लाने के साथ-साथ राज्य के नए नेतृत्व के प्रावधानों को भी समाहित करता है । इससे आरक्षण के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग समुदायों को समानता …

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हाल ही में, लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 को ध्वनिमत से पारित किया गया है। यह विधेयक वर्गों के परिभाषाओं में बदलाव लाने के साथ-साथ राज्य के नए नेतृत्व के प्रावधानों को भी समाहित करता है । इससे आरक्षण के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग समुदायों को समानता का मार्ग दिखाया गया है, यह विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को संशोधित करके लाया गया है संशोधित विधेयक जम्मू और कश्मीर राज्य के संघ में पुनर्गठन का प्रावधान करता है। जिसमें जम्मू और कश्मीर (विधानमंडल के साथ), लद्दाख (विधानमंडल के बिना) के क्षेत्र शामिल हैं।

चुनाव से ठीक पहले इन दोनों विधेयकों के लोकसभा में पास हो जाने के बाद सत्ता के गलियारों में चर्चा होने लगी कि केंद्र सरकार इस विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर की भाजपा इकाई के हाथ मजबूत करना चाहती है।

जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 के द्वारा पहले “कमज़ोर और वंचित वर्ग (सामाजिक जाति)” के रूप में जाने जाने वाले समुदायों को “अन्य पिछड़ा वर्ग” के रूप में परिभाषित किया गया है। इससे समाज में वर्गवाद के खिलाफ एक सार्थक कदम उठाया गया है। इस विधेयक के माध्यम से गुज्जरों को पहाड़ियों के समुदाय के साथ अनुसूचित जनजाति जाने का प्रावधान किया गया है, जिससे समाज में उन्हें समानता की दिशा में बढ़ावा मिलेगा।

 

 

इसी तरह, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 ने राज्य के नए प्रशासनिक संरचना को स्थापित किया है। इससे विभाजित होकर बने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को संघ में शामिल किया गया है। इसमें कश्मीर घाटी, जम्मू-कश्मीर विधानमंडल के साथ और लद्दाख विधानमंडल के बिना शामिल हैं।

यहां तक कि पुनर्गठन विधेयक ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा की सीटों की संख्या को बढ़ाकर 90 कर दिया है। इससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया गया है। इस संशोधन के तहत कुल सीटें 119 हो जाएंगी, जिनमें से खाली रहेंगी 24 सीटें वे हैं, जो पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के हैं।

 

साथ ही, इस विधेयक में विस्थापित कश्मीरी पंडितों और पाक अधिकृत कश्मीर के विस्थापितों के लिए भी सीटों की आरक्षण की गई है। इससे वे भी सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में अपनी भूमिका निभा सकेंगे।

हालांकि, इस विधेयक को लेकर विभिन्न धारावाहिकों में अलग-अलग धारणाएं हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों को सकारात्मक बताया है, जबकि कुछ नेताओं ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ माना है ।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेता मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी ने इस विधेयरों के पारित किए जाने पर सवाल पूछते हुए कहा, ”गृहमंत्री ने चर्चा के दौरान लोगों को उनका अधिकार दिलाने की बात की है, तो मैं ये पूछना चाहता हूं कि जम्मू -कश्मीर में पिछले पांच सालों से चुनाव नहीं हो रहे हैं, क्या ये लोगों के अधिकार का हनन नहीं है?” बीजेपी जम्मू कश्मीर के जिन लोगों को मजबूत करने की बात कर रही है, वो उनके हित में नहीं है। बीजेपी की सीटों में पिछले दरवाज़े से गिनती बढ़ाना कश्मीरी पंडितों के फायदे के तक़ाज़े के मुताबिक नहीं है।

 

इन विधेयकों के माध्यम से राज्य में समानता और सामाजिक न्याय का संदेश दिया गया है, जो समृद्धि और सहयोग की राह पर अग्रसर होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, राजनीतिक विवादों का रुख भी है, जो लोकतंत्रिक मूल्यों के संरक्षण में सवाल उठा रहे हैं।

यह विधेयक सिर्फ नई संरचना की रचना नहीं कर रहा, बल्कि समाज में समानता और विकास के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसे समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के साथ-साथ सही राजनीतिक संरचना में उनकी भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

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