parliament special session - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 20 Sep 2023 08:23:02 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg parliament special session - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, यह भाजपा का बिल है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिल है https://chaupalkhabar.com/2023/09/20/bjp-mp-nishikant-said-on-womens-reservation-bill-its-bjp-bill-pm-modi-bill-not-others/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/20/bjp-mp-nishikant-said-on-womens-reservation-bill-its-bjp-bill-pm-modi-bill-not-others/#respond Wed, 20 Sep 2023 08:22:41 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1667 विशेष सत्र के तीसरे दिन 11 बजे से शाम 6 बजे तक महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में कांगेस की तरफ से सोनिया गाँधी बहस कर रही थी. इस बिल में महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33% आरक्षण मिलेगा. सोनिया गाँधी ने कहा कि राजीव गाँधी का सपना आधा ही पूरा हुआ है इस …

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विशेष सत्र के तीसरे दिन 11 बजे से शाम 6 बजे तक महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में कांगेस की तरफ से सोनिया गाँधी बहस कर रही थी. इस बिल में महिलाओं को लोकसभा और राज्यसभा में 33% आरक्षण मिलेगा. सोनिया गाँधी ने कहा कि राजीव गाँधी का सपना आधा ही पूरा हुआ है इस बिल के पास होने से ये सपना पूर्ण रूप से पूरा होगा.  यह मेरी ज़िन्दगी का भी मार्मिक क्षण है. हमारी मांग है की ये बिल जल्द ही अमल में लाया जाए, साथ ही देश में जनगणना करा कर इसमें OBC महिलाओं को अलग से आरक्षण दिया जाए. सोनिया गाँधी ले कहा की , मैं मांग करती हूँ इस बिल के सभी रुकावटों को दूर करके जल्द से जल्द लागु किया जाए.

 

वहीं,अधीर रंजन चौधरी के मुह से दो शब्द छूटते ही अमित शाह ने उन्हें कहा की क्या पुरुष महिलाओं के बारे में सोच नहीं सकते.
इस बिल पर भाजपा की तरफ से बोलते हुए निशिकांत दुबे ने कहा की आप संविधान के  आर्टिकल 82 को पढ़िए इसमें लिखा है की पहले जनगणना होगी, फिर डीलिमीटेशन के बाद ही लागु हो सकता है. इससे पहले हम कोरोना से जूझ रहे थे तो जनगणना किस तरह संभव होता.


संसद के अन्दर और बाहर अगर इस बिल पर सबसे ज्यादा किसी ने बोला है तो गीता मुख़र्जी और शुष्मा स्वराज ने बोला है. गीता मुख़र्जी का ज़िक्र सोनिया गाँधी ने क्यूँ नहीं किया. इस पर कांग्रेस का कोई हक नहीं है. यह भाजपा का बिल है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिल है.
उन्होंने महिला आरक्षण बिल पर शरद यादव के एक विवादित बयान को भी याद किया. शरद यादव द्वारा बोले गए शब्द ‘परकटी महिलाओं’ को याद दिलाया और पूछा की क्या यही महिलाओं का सम्मान है? उन्होंंने कहा की कांग्रेस गलत बिल लेकर आई थी. साथ ही कांग्रेस को इस बिल पर राजनीति करने के लिए दोषी ठहराया.


बता दें की मंगलवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को लोकसभा पेश किया था. कानून मंत्री मेघवाल ने विधेयक को करते हुए कहा था कि यह विधेयक महिला सशक्तिकरण के सम्बन्ध में है. संविधान के अनुच्छेद 239 में संसोधन करके दिल्ली के राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र में महिला वर्ग के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएंगी.

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महिला आरक्षण विधेयक पर सोनिया गांधी का बड़ा बयान, बोली “ये हमारा है” https://chaupalkhabar.com/2023/09/19/womens-quota-bill-in-loksabha-sonia-gandhi-statements-on-womens-reservation-bill-it-is-ours/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/19/womens-quota-bill-in-loksabha-sonia-gandhi-statements-on-womens-reservation-bill-it-is-ours/#respond Tue, 19 Sep 2023 11:22:01 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1658 संसद भवन के नए बिल्डिंग में आज से शुरू हुए संसद के स्पेशल सेशन में नारी शक्ति वंदन बिल आज लोकसभा में पेश हो गया है. आज मंगलवार से ही संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही नए संसद भवन में शुरू हुई . इससे पहले कल सोमवार को संसद के विशेष सत्र …

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संसद भवन के नए बिल्डिंग में आज से शुरू हुए संसद के स्पेशल सेशन में नारी शक्ति वंदन बिल आज लोकसभा में पेश हो गया है. आज मंगलवार से ही संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही नए संसद भवन में शुरू हुई . इससे पहले कल सोमवार को संसद के विशेष सत्र की कार्यवाही पुराने भवन में ही संपन्न हुई थी . आज नारी शक्ति वंदन बिल लोकसभा में पेश होने के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने मंगलवार को कहा कि महिला आरक्षण बिल “हमारा है”. हालाँकि , इससे पहले कल सोमवार को ही कांग्रेस ने कहा था कि वो सरकार के इस कदम का स्वागत करती है क्योंकि कांग्रेस पार्टी लंबे समय से यह मांग उठाती रही है.

बता दें की आज मंगलवार को कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गाँधी संसद में प्रवेश कर रही थीं तब पत्रकारों ने उनसे बिल के बारे में पूछा, तो सोनिया गांधी ने कहा, “यह हमारा है.” एक दिन पहले ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हैं और इस विधेयक के विवरण का इंतजार करते हैं.” कांग्रेस महासचिव ने कहा कि विशेष सत्र से पहले इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में बहुत अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी, और गोपनीयता के पर्दे के तहत जो काम किया गया, उसके  बजाय आम सहमति भी बनाई जा सकती थी.

नारी शक्ति वंदन बिल को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि अगर सरकार मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक पेश करती है, तो यह “कांग्रेस और यूपीए सरकार में सहयोगी रहे उसके अन्य पार्टियों की जीत” होगी. क्युकी यूपीए सरकार के दौरान ही यह बिल 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में तो पारित हो गया था, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार इसे लोकसभा में पास नहीं करवा पायी थी. जिसके बाद से ही महिला आरक्षण विधेयक लटका हुआ था.

बता दें मोदी सरकार ने आज इस बिल को कुछ नए बदलाव और नए नाम के साथ  लोकसभा मे पेश किया है. जिस पर कल सदन में विधिवत चर्चा होनी है.

Brajesh Kumar

 

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वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर सियासी सरगर्मी हुई तेज , जानिए क्या होगा फायदा, संविधान में करने पड़ेंगे ये बड़े बदलाव https://chaupalkhabar.com/2023/09/02/political-temperature-going-hingh-on-the-issue-of-one-nation-one-election/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/02/political-temperature-going-hingh-on-the-issue-of-one-nation-one-election/#respond Sat, 02 Sep 2023 07:32:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1560 आगामी 18 सितंबर से 22 सितंबर को केन्द्र की मोदी सरकार की तरफ से बड़ा फैसला लेते हुए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया गया है। 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गये संसद के इस विशेष सत्र में कुल 5 बैठकें होंगी जिसमें “एक राष्ट्र एक चुनाव” जैसी विभिन्न मुद्दो पर चर्चा होनी है. …

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आगामी 18 सितंबर से 22 सितंबर को केन्द्र की मोदी सरकार की तरफ से बड़ा फैसला लेते हुए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया गया है। 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गये संसद के इस विशेष सत्र में कुल 5 बैठकें होंगी जिसमें “एक राष्ट्र एक चुनाव” जैसी विभिन्न मुद्दो पर चर्चा होनी है. संसद के इस विशेष सत्र के बारे में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा दी गई जानकारी के बाद देश की सियासत में भुचाल आ गया है या कहें की कई तरह के सवाल सियासी गलियारों में तैरने लगे हैं। विभिन्न पार्टियों द्वारा ढेर सारे कयास भी लगाए जा रहे हैं।

केन्द्र सरकार द्वारा बुलाये गए इस विशेष सत्र को लेकर सियासी पंडितों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच भी वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है। इस सरगर्मी को उस वक्त और बल मिला गया, जब केन्द्र सरकार ने इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी के गठन होने का ऐलान कर दिया। हालांकी इसकी अधिकारिक पुष्टी अभी तक नही हुइ हे.

 

भारत देश में कई तरह के चुनाव कइ चरणों में कराये जाते हैं लेकिन इस बार पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक के सभी चुनाव एक साथ कराने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी लिहाजा मोदी सरकार द्वारा बुलाये गये संसद का विशेष सत्र के बाद ये और तेज हो गयी है। केन्द्र में मौजूद मोदी सरकार का यह मानना है कि वन नेशन-वन इलेक्शन से वक्त और संसाधन दोनों की बचत होगी। जिससे इलेक्शन कराने में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये देश के विकास पर खर्च किये जा सकेंगे।

 

इस पूरे प्रकरण में राजनैतिक जानकारों का मानना है कि वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर बहुत सारे पेंच हैं। इसे पुरा करने के लिए न सिर्फ देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को एकसाथ आना होगा वहीं कई राज्यों में सरकारों को कुर्बानी भी देनी पड़ सकती है। जिस कारण से विपक्ष के अधिकतर और खासकर क्षेत्रीय दल इसके निर्णय के खिलाफ हैं। क्योंकी उन्हें डर है कि एकसाथ चुनाव होने की स्थिति में राज्यों में भी उनकी सरकार बननी थोडी मुश्किल हो जाएगी।

 

बताया जा रहा है कि भारत में प्रत्येक वर्ष 5-6 राज्यों में चुनाव कराना पडता हैं। इसलिए वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थकों का कहना है कि इससे विकास कार्यों में बाधा उतपन्न होती है।ओडिशा का उदाहरण देते हुए जानकारों का कहना है की  ओडिशा में 2004 के बाद से चारों विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के साथ हुए और उसमें नतीजे भी अलग-अलग रहे हैं।एक साथ चुनाव होने से ओडिसा में आचार संहिता बहुत कम देर के लिए लागू होती है, जिसकी वजह से सरकार के कामकाज में दूसरे राज्यों के मुकाबले कम खलल पड़ता है।

गौरतलब है कि भारत में इससे पूर्व भी कई मर्तबा एकसाथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ हुए थे। हालांकि देश में अलग-अलग चुनावों की स्थिति तब बनीं, जब कई राज्यों में विभिन्न कारणों से राज्य सरकारें गिर गई थी।

इस मामले को लेकर विधि आयोग भी अपनी रिपोर्ट दे चुका है। जिसमे आयोग के द्वारा इस संबंध में एकसाथ चुनाव कराने के साथ ही कई दूसरे विकल्प भी सरकार को सुझाए गए हैं। फिलहाल इसकी जरूरत इसलिए महसूस होने लगी है कि बार-बार होने वाले चुनाव देश के विकास में बाधा बन रहे हैं।

संविधान के जानकारों की माने तो वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर क़ानून में कई संशोधन करने पड़ेंगे जो बेहद ही जरूरी होंगे। पुरे भारत में एकसाथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराने को लेकर संविधान के इन 5 अनुच्छेदों में संशोधन करना पड़ेगा।

Article 83 : संसद के दोनों सदनों की अवधि के संबंध में।

Article 85 : राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा का विघटन ।

Article 172 : राज्य विधानसभा की अवधि ।

Article 174 : राज्य विधानसभा के विघटन से संबंधित ।

Article 356 : राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करना।

अगर देश में एक साथ चुनाव को मंजूरी मिल जाती है तो वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर अतिरिक्त EVM और VVPAT की जरूरत पड़ेगी। जिसपर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। यदी वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू किया जाता है तो देश में बड़ी संख्या में अतिरिक्त चुनाव कर्मियों और सुरक्षा बलों की जरूरत पड़ेगी ताकि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराई जा सके।

 

वहीँ राजनैतिक जानकारों का कहना है की वन नेशन-वन इलेक्शन से धीरे-धीरे अतिरिक्त खर्च में कमी आएगी लेकिन शुरुआत में कुछ खर्च बढ़ सकते हैं,लेकिन इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इसके अलावा एक साथ चुनाव कराने को लेकर समर्थकों का तर्क है कि इससे पूरे देश में प्रशासनिक व्यवस्था में दक्षता भी बढ़ेगी। क्योकि कहा जाता है कि अलग-अलग मतदान के दौरान प्रशासनिक व्यवस्था की गति काफी धीमी हो जाती है। जिस कारण से सामान्य प्रशासनिक कर्तव्य चुनाव से प्रभावित होते हैं।

वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में यह भी कहा जाता है कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों और कार्यक्रमों में निरंतरता सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। क्युकी वर्तमान में जब भी चुनाव कराने होते हैं तो आदर्श आचार संहिता लागू की जाती है। जिस कारण से उस अवधि के दौरान लोक कल्याण के लिए नई परियोजनाओं के शुरूआत पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

वन नेशन-वन इलेक्शन के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी भी कह चुके हैं कि एक देश-एक चुनाव से देश के संसाधनों की बड़ी बचत होगी। साथ ही साथ विकास की गति भी धीमी नहीं होगी।

 

Brajesh Kumar

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