Popular Front of India - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 22 May 2024 07:28:25 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Popular Front of India - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 PFI के 8 सदस्यों की जमानत रद्, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास हाईकोर्ट का फैसला कहा आतंकवाद के आरोपियों को सिर्फ डेढ़ साल की सजा https://chaupalkhabar.com/2024/05/22/bail-of-8-members-of-pfi-cancelled/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/22/bail-of-8-members-of-pfi-cancelled/#respond Wed, 22 May 2024 07:28:25 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3362 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के आठ आरोपियों की जमानत रद्द कर दी है। न्यायमूर्ति बेला माधुर्य त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह आदेश जारी किया। इस फैसले में कहा गया है कि अपराध की गंभीरता और इस तथ्य को …

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के आठ आरोपियों की जमानत रद्द कर दी है। न्यायमूर्ति बेला माधुर्य त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह आदेश जारी किया। इस फैसले में कहा गया है कि अपराध की गंभीरता और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इन आरोपियों ने अधिकतम सजा के तौर पर केवल 1.5 वर्ष जेल में बिताए हैं, उनकी जमानत रद्द की जाती है। पीएफआई पर केंद्र सरकार ने देश में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोप में प्रतिबंध लगाया है। सरकार का दावा है कि यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है और देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सरकार की इस दलील के समर्थन में आया है।

पिछले साल अक्टूबर में मद्रास हाईकोर्ट ने इन आठों आरोपियों को जमानत दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इन आरोपियों के खिलाफ आतंकवादी गिरोह से जुड़े होने या आतंकी सामग्री की मौजूदगी के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस एसएस सुंदर की खंडपीठ ने कहा था कि अभियोजन पक्ष इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सका, जिसके चलते इन्हें जमानत दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि मद्रास हाईकोर्ट ने जमानत देने में कानून की गंभीरता और अपराध की प्रकृति को सही ढंग से नहीं आंका। उन्होंने कहा कि इन आरोपियों ने देश की सुरक्षा के खिलाफ साजिश रची है और उन्हें जमानत पर रिहा करना न्याय के हित में नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकारते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि ऐसे आरोपियों को जमानत न दी जाए। कोर्ट ने कहा कि इन आरोपियों ने जेल में केवल 1.5 वर्ष बिताए हैं, जो कि उनके अपराध के मुकाबले काफी कम है। इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया और आठों आरोपियों की जमानत रद्द कर दी। इस फैसले के बाद पीएफआई और उसके समर्थकों के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया है। सरकार का कहना है कि पीएफआई जैसे संगठन देश में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं और इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोपियों की जमानत रद्द कर दी। यह फैसला देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। सरकार ने इस फैसले के बाद सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने और ऐसे संगठनों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। पीएफआई के खिलाफ यह कार्रवाई सरकार के उस व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत आतंकवादी गतिविधियों में शामिल संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि देश में आतंकवादी गतिविधियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पीएफआई के आठ आरोपियों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने मद्रास हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद राहत की सांस ली थी। अब उन्हें फिर से जेल जाना पड़ेगा और अपने अपराधों के लिए कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप गंभीर होते हैं और इन मामलों में जमानत देने से पहले अदालतों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह फैसला देश की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि पीएफआई जैसे संगठन देश में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं और इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों के आरोपियों की जमानत रद्द कर दी है। यह फैसला देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के संदर्भ में महत्वपूर्ण है और इसे आने वाले समय में अन्य मामलों में भी एक मिसाल के रूप में देखा जाएगा।

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यूएपीए के तहत केंद्र सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया https://chaupalkhabar.com/2023/10/20/pfi-approaches-supreme-court-against-central-govts-ban-under-uapa/ https://chaupalkhabar.com/2023/10/20/pfi-approaches-supreme-court-against-central-govts-ban-under-uapa/#respond Fri, 20 Oct 2023 10:34:47 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1905 पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने गृह मंत्रालय की उस अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें उसे और उसके सहयोगी संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत ‘गैरकानूनी संघ’ के रूप में नामित किया गया है।     न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ आज इस …

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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने गृह मंत्रालय की उस अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें उसे और उसके सहयोगी संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत ‘गैरकानूनी संघ’ के रूप में नामित किया गया है।

 

 

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ आज इस साल की शुरुआत में केंद्र सरकार के प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले यूएपीए न्यायाधिकरण के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करने वाली थी। हालाँकि, स्थगन की मांग वाले पत्र के संदर्भ में सुनवाई फिलहाल टाल दी गई है।

पिछले साल सितंबर में, गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना प्रकाशित की थी, जिसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके विभिन्न सहयोगियों, सहयोगियों या मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत ‘गैरकानूनी संघ’ घोषित किया गया था, जिसमें उनके कथित संबंधों का हवाला दिया गया था। आतंकवादी संगठनों के साथ और आतंकवादी कृत्यों में संलिप्तता। उनका विकास पीएफआई और उसके सदस्यों के खिलाफ दो बड़े राष्ट्रव्यापी खोज, हिरासत और गिरफ्तारी अभियानों के बाद हुआ।

यूएपीए की धारा 3(1) के तहत प्रतिबंध पांच साल की अवधि के लिए तुरंत प्रभावी होना था। सूचीबद्ध सहयोगियों में रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन शामिल थे। और रिहैब फाउंडेशन, केरल।

Brajesh Kumar

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