President Ayub Khan - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Wed, 18 Sep 2024 12:20:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg President Ayub Khan - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 नेहरू-अयूब खान के 64 साल पुराने समझौते पर मोदी सरकार का निर्णय”,भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए नोटिस भेजा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/nehru-ayub-khan-64-years-old/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/nehru-ayub-khan-64-years-old/#respond Wed, 18 Sep 2024 12:20:34 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4967 भारत ने दशकों पुराने सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को आधिकारिक नोटिस जारी किया है, जिसमें समझौते में संशोधन की मांग की गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह नोटिस पिछले महीने 30 तारीख को भेजा गया। भारत का कहना है कि बदलती परिस्थितियों के कारण इस संधि की समीक्षा करना आवश्यक हो गया …

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भारत ने दशकों पुराने सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को आधिकारिक नोटिस जारी किया है, जिसमें समझौते में संशोधन की मांग की गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह नोटिस पिछले महीने 30 तारीख को भेजा गया। भारत का कहना है कि बदलती परिस्थितियों के कारण इस संधि की समीक्षा करना आवश्यक हो गया है। भारत ने इस नोटिस में कई कारण बताए हैं। इनमें प्रमुख हैं जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण संबंधी मुद्दे और भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विकास में तेजी लाने की आवश्यकता। भारत का मानना है कि सिंधु जल संधि के बाद से स्थितियाँ काफी बदल गई हैं, और इसे ध्यान में रखकर पुनर्विचार करना जरूरी है।

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एक और महत्वपूर्ण कारण सीमा पार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियाँ भी हैं। भारत ने कहा कि आतंकवाद के चलते सिंधु जल संधि के सुचारू कार्यान्वयन में बाधाएँ आ रही हैं। इस कारण से संधि के उद्देश्यों की पूर्ति में रुकावट उत्पन्न हो रही है। सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित हुई थी, जिसमें विश्व बैंक की मध्यस्थता थी। उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में इस पर हस्ताक्षर किए। इस संधि के तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज जैसी तीन पूर्वी नदियों का नियंत्रण प्राप्त हुआ, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम जैसी तीन पश्चिमी नदियों का नियंत्रण मिला।

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भारत की इस नवीनतम पहल को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद को सुलझाने में मदद मिल सकती है। यह मुद्दा न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी अहम है। अब देखने की बात होगी कि पाकिस्तान इस नोटिस का क्या जवाब देता है और दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के प्रबंधन पर क्या बातचीत होती है।

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