Richard Verma - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 17 Sep 2024 13:40:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Richard Verma - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 भारत-अमेरिका के बढ़ते संबंधों से चीन और रूस चिंतित, वैश्विक राजनीति में नया मोड़. https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/growing-relations-between-india-and-usa/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/growing-relations-between-india-and-usa/#respond Tue, 17 Sep 2024 13:40:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4943 भारत और अमेरिका के बीच के मजबूत होते संबंधों ने वैश्विक राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। खासकर चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह गठबंधन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बढ़ती मित्रता का आधार दोनों देशों के समान विचारधारा पर आधारित है, जो विभिन्न आवाजों का आदर, समावेशिता, शांति …

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भारत और अमेरिका के बीच के मजबूत होते संबंधों ने वैश्विक राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। खासकर चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह गठबंधन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बढ़ती मित्रता का आधार दोनों देशों के समान विचारधारा पर आधारित है, जो विभिन्न आवाजों का आदर, समावेशिता, शांति और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को प्राथमिकता देती है। अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और अमेरिका के प्रबंधन एवं संसाधन के उपविदेश मंत्री, रिचर्ड वर्मा ने इस संबंध की मजबूती पर जोर दिया है। वर्मा, जो भारत में अमेरिका के राजदूत रह चुके हैं, ने हाल ही में वॉशिंगटन डीसी स्थित हडसन इंस्टीट्यूट में एक कार्यक्रम में भारत-अमेरिकी संबंधों पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “भारत-अमेरिका संबंध ठोस बुनियाद और उज्ज्वल भविष्य के साथ एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं।”

रिचर्ड वर्मा के अनुसार, अमेरिका और भारत के संबंधों में हर मुद्दे पर सहमति संभव नहीं है, लेकिन यह संबंध राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में पहले से कहीं अधिक मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और वैश्विक स्थिरता को लेकर न केवल संवाद बढ़ा है, बल्कि नई-नई साझेदारियाँ भी आकार ले रही हैं। उदाहरण के तौर पर ‘क्वाड’ को देखा जा सकता है, जो अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच एक सुरक्षा सहयोग है। ‘क्वाड’ का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है। हाल ही में रिचर्ड वर्मा ने इस पर भी टिप्पणी की कि यह सहयोग सिर्फ किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।

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वर्मा ने यह भी स्वीकार किया कि भारत-अमेरिका संबंधों में चुनौतियाँ हैं, विशेषकर रूस और चीन के बढ़ते सहयोग के संदर्भ में। उन्होंने कहा, “मुझे रूस-चीन के बढ़ते सुरक्षा सहयोग को लेकर चिंता है, क्योंकि यह सहयोग रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने गैरकानूनी युद्ध में मदद कर सकता है।” यह साझेदारी न केवल रूस को यूक्रेन में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर सकती है, बल्कि चीन को भी नए सुरक्षा संसाधन उपलब्ध करा सकती है, जो कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक चुनौती साबित हो सकती है। यह क्षेत्र पहले से ही भू-राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बना हुआ है, और चीन की बढ़ती आक्रामकता इसे और जटिल बना सकती है।

वर्मा ने भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग को और अधिक मजबूत करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सहयोग को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए दोनों देशों को कड़ी मेहनत करनी होगी। इससे न केवल व्यापार संबंध मजबूत होंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर दोनों देशों का प्रभाव भी बढ़ेगा। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपने सामूहिक नागरिक समाजों का समर्थन जारी रखना चाहिए ताकि बोलने की स्वतंत्रता और विभिन्न विचारों को महत्व दिया जा सके।

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क्वाड को लेकर हाल ही में हुई चर्चाओं में यह भी बताया गया कि इसका चौथा शिखर सम्मेलन अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा उनके डेलवेयर स्थित आवास पर आयोजित किया जाएगा। इस साल क्वाड की मेजबानी भारत को करनी थी, लेकिन अब वह इसे अगले साल आयोजित करेगा। यह शिखर सम्मेलन भारत-अमेरिका और उनके सहयोगी देशों के बीच सुरक्षा और आर्थिक रणनीतियों को मजबूत करने का एक और मौका साबित होगा।

भारत-अमेरिका संबंधों का यह नया अध्याय न केवल इन दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है। चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह एक संकेत है कि विश्व की शक्ति संरचना में बदलाव हो रहा है। जहां अमेरिका और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मिलकर वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं, वहीं रूस और चीन अपने-अपने हितों के लिए नई साझेदारियों को बढ़ावा दे रहे हैं। इस बदलते परिदृश्य में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में।

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