russia - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 17 Sep 2024 13:40:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg russia - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 भारत-अमेरिका के बढ़ते संबंधों से चीन और रूस चिंतित, वैश्विक राजनीति में नया मोड़. https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/growing-relations-between-india-and-usa/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/growing-relations-between-india-and-usa/#respond Tue, 17 Sep 2024 13:40:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4943 भारत और अमेरिका के बीच के मजबूत होते संबंधों ने वैश्विक राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। खासकर चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह गठबंधन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बढ़ती मित्रता का आधार दोनों देशों के समान विचारधारा पर आधारित है, जो विभिन्न आवाजों का आदर, समावेशिता, शांति …

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भारत और अमेरिका के बीच के मजबूत होते संबंधों ने वैश्विक राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। खासकर चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह गठबंधन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बढ़ती मित्रता का आधार दोनों देशों के समान विचारधारा पर आधारित है, जो विभिन्न आवाजों का आदर, समावेशिता, शांति और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को प्राथमिकता देती है। अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और अमेरिका के प्रबंधन एवं संसाधन के उपविदेश मंत्री, रिचर्ड वर्मा ने इस संबंध की मजबूती पर जोर दिया है। वर्मा, जो भारत में अमेरिका के राजदूत रह चुके हैं, ने हाल ही में वॉशिंगटन डीसी स्थित हडसन इंस्टीट्यूट में एक कार्यक्रम में भारत-अमेरिकी संबंधों पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “भारत-अमेरिका संबंध ठोस बुनियाद और उज्ज्वल भविष्य के साथ एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं।”

रिचर्ड वर्मा के अनुसार, अमेरिका और भारत के संबंधों में हर मुद्दे पर सहमति संभव नहीं है, लेकिन यह संबंध राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में पहले से कहीं अधिक मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और वैश्विक स्थिरता को लेकर न केवल संवाद बढ़ा है, बल्कि नई-नई साझेदारियाँ भी आकार ले रही हैं। उदाहरण के तौर पर ‘क्वाड’ को देखा जा सकता है, जो अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच एक सुरक्षा सहयोग है। ‘क्वाड’ का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है। हाल ही में रिचर्ड वर्मा ने इस पर भी टिप्पणी की कि यह सहयोग सिर्फ किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।

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वर्मा ने यह भी स्वीकार किया कि भारत-अमेरिका संबंधों में चुनौतियाँ हैं, विशेषकर रूस और चीन के बढ़ते सहयोग के संदर्भ में। उन्होंने कहा, “मुझे रूस-चीन के बढ़ते सुरक्षा सहयोग को लेकर चिंता है, क्योंकि यह सहयोग रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने गैरकानूनी युद्ध में मदद कर सकता है।” यह साझेदारी न केवल रूस को यूक्रेन में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर सकती है, बल्कि चीन को भी नए सुरक्षा संसाधन उपलब्ध करा सकती है, जो कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक चुनौती साबित हो सकती है। यह क्षेत्र पहले से ही भू-राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बना हुआ है, और चीन की बढ़ती आक्रामकता इसे और जटिल बना सकती है।

वर्मा ने भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग को और अधिक मजबूत करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सहयोग को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए दोनों देशों को कड़ी मेहनत करनी होगी। इससे न केवल व्यापार संबंध मजबूत होंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर दोनों देशों का प्रभाव भी बढ़ेगा। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपने सामूहिक नागरिक समाजों का समर्थन जारी रखना चाहिए ताकि बोलने की स्वतंत्रता और विभिन्न विचारों को महत्व दिया जा सके।

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क्वाड को लेकर हाल ही में हुई चर्चाओं में यह भी बताया गया कि इसका चौथा शिखर सम्मेलन अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा उनके डेलवेयर स्थित आवास पर आयोजित किया जाएगा। इस साल क्वाड की मेजबानी भारत को करनी थी, लेकिन अब वह इसे अगले साल आयोजित करेगा। यह शिखर सम्मेलन भारत-अमेरिका और उनके सहयोगी देशों के बीच सुरक्षा और आर्थिक रणनीतियों को मजबूत करने का एक और मौका साबित होगा।

भारत-अमेरिका संबंधों का यह नया अध्याय न केवल इन दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है। चीन और रूस जैसे देशों के लिए यह एक संकेत है कि विश्व की शक्ति संरचना में बदलाव हो रहा है। जहां अमेरिका और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मिलकर वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं, वहीं रूस और चीन अपने-अपने हितों के लिए नई साझेदारियों को बढ़ावा दे रहे हैं। इस बदलते परिदृश्य में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में।

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सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक, भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/saint-petersburg-in-br/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/14/saint-petersburg-in-br/#respond Sat, 14 Sep 2024 08:04:29 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4864 बीते गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों की बैठक हुई, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के सुरक्षा सलाहकार सम्मिलित हुए। इस बैठक में भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और सीमा विवाद को …

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बीते गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों की बैठक हुई, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के सुरक्षा सलाहकार सम्मिलित हुए। इस बैठक में भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और सीमा विवाद को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत भी हुई। खासतौर पर, चीन के विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख के गलवान सहित चार विवादित क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने पर चर्चा की।

बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, “एनएसए अजित डोभाल और चीन के वरिष्ठ विदेश मंत्री वांग यी ने बैठक के बाद अलग से एक द्विपक्षीय चर्चा की। इस दौरान दोनों देशों ने सीमा विवाद से संबंधित हालिया घटनाओं पर विचार किया और भविष्य में संबंधों को सुधारने के लिए आपसी सहयोग पर सहमति व्यक्त की।” चीन की ओर से यह कहा गया कि हाल के वर्षों में भारत और चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए चार प्रमुख बिंदुओं से पीछे हटने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया है। इन क्षेत्रों में गलवान घाटी भी शामिल है, जो 2020 में हिंसक संघर्ष का केंद्र रही थी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओं से सैनिक पीछे हट चुके हैं, और वर्तमान स्थिति सामान्य और नियंत्रण में है।”

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प्रवक्ता माओ निंग से जब सवाल किया गया कि क्या दोनों देश पूर्वी लद्दाख में चार वर्षों से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के बाद अब अपने संबंधों को सुधारने के करीब हैं, तो उन्होंने कहा, “दोनों देशों ने अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों को वापस बुला लिया है और वर्तमान में सीमा पर स्थिति स्थिर है। यह दोनों देशों के संबंधों को सामान्य स्थिति में लाने का संकेत है।” बैठक के दौरान भारत और चीन दोनों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और आपसी विश्वास बहाल करने की आवश्यकता है। दोनों पक्षों ने एक ऐसे माहौल को विकसित करने पर जोर दिया, जिसमें सीमा पर तनाव को कम किया जा सके और आर्थिक तथा सामरिक संबंधों को मजबूत बनाया जा सके।

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हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के बाद भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे, लेकिन दोनों देशों ने मौजूदा स्थिति को संतोषजनक बताया है। भारत-चीन संबंधों में सुधार और सीमा विवाद को हल करने की दिशा में यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान, चीन के साथ व्यापार पर खुलापन और रूस-यूक्रेन संकट पर वार्ता का ज़िक्र https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/foreign-minister-s-jaishankar/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/foreign-minister-s-jaishankar/#respond Wed, 11 Sep 2024 06:31:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4801 बर्लिन में आयोजित वार्षिक राजदूत सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर महत्वपूर्ण बयान दिए। सम्मेलन में जयशंकर ने भारत-चीन व्यापारिक संबंधों और यूक्रेन युद्ध के समाधान पर अपनी राय स्पष्ट की, जिससे इन मुद्दों पर भारत के रुख को लेकर नई दिशा सामने आई। विदेश मंत्री जयशंकर …

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बर्लिन में आयोजित वार्षिक राजदूत सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर महत्वपूर्ण बयान दिए। सम्मेलन में जयशंकर ने भारत-चीन व्यापारिक संबंधों और यूक्रेन युद्ध के समाधान पर अपनी राय स्पष्ट की, जिससे इन मुद्दों पर भारत के रुख को लेकर नई दिशा सामने आई। विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के साथ व्यापार पर भारत की नीति पर विचार साझा किए। उन्होंने साफ किया कि भारत ने चीन के साथ व्यापार के लिए दरवाजे बंद नहीं किए हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत किन क्षेत्रों में चीन के साथ व्यापार करता है और किन शर्तों पर, यह बेहद महत्वपूर्ण और जटिल मुद्दा है।

जयशंकर का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और अन्य कूटनीतिक मुद्दों पर तनाव जारी है। भारत के लिए व्यापारिक संबंधों में सामरिक संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। जहां एक ओर दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियाँ चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर, भारत लगातार आत्मनिर्भरता पर भी ज़ोर दे रहा है और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहा है।

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जयशंकर ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर भी अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष युद्ध के मैदान में सुलझाया नहीं जा सकता है और दोनों पक्षों को वार्ता की ओर बढ़ना ही होगा। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत इस मुद्दे पर हमेशा से वार्ता का समर्थक रहा है और अगर रूस और यूक्रेन को सलाह की ज़रूरत होगी, तो भारत उसकी पेशकश करने को तैयार रहेगा। जयशंकर ने यह बयान उस दिन दिया जब उन्होंने सऊदी अरब की राजधानी रियाद में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। यह मुलाकात खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई थी।

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जयशंकर ने सम्मेलन के दौरान कहा कि इस संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है और अंततः रूस और यूक्रेन को बातचीत की मेज पर आना ही पड़ेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा असर पड़ा है, और भारत वैश्विक शांति स्थापित करने की दिशा में अपना योगदान देने के लिए प्रयासरत है।

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“पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात में महिला ट्रांसलेटर ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका” https://chaupalkhabar.com/2024/07/09/pm-modi-and-president-p/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/09/pm-modi-and-president-p/#respond Tue, 09 Jul 2024 06:21:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3875 रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मातृभाषा में बातचीत करना पसंद करते हैं। उनकी संवाद की इस प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए, बातचीत के दौरान दोनों नेताओं को एक-दूसरे की बात समझने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए एक महिला अनुवादक (द्विभाषी) की व्यवस्था की गई थी। यह महिला …

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मातृभाषा में बातचीत करना पसंद करते हैं। उनकी संवाद की इस प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए, बातचीत के दौरान दोनों नेताओं को एक-दूसरे की बात समझने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए एक महिला अनुवादक (द्विभाषी) की व्यवस्था की गई थी। यह महिला ट्रांसलेटर रूसी पक्ष द्वारा नियुक्त की गई थीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे हैं। उनके आगमन पर राष्ट्रपति पुतिन ने अपने सरकारी निवास में बाहें फैलाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। इस मुलाकात के दौरान एक महिला अनुवादक भी दोनों नेताओं के साथ देखी गईं, जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। बहुत से लोग इस महिला के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं।

महिला अनुवादक का काम राष्ट्रपति पुतिन की बातों को रूसी भाषा से हिंदी में अनुवाद कर प्रधानमंत्री मोदी तक पहुंचाना था, जिससे कि दोनों नेताओं के बीच संचार में कोई बाधा न आए। इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। सरकारी मीडिया स्पूतनिक के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को पांच प्रकार के व्यंजन परोसे। मुलाकात के बाद, पुतिन और मोदी ने नोवो-ओगारियोवो में पुतिन के निवास के आसपास चहलकदमी की और एक इलेक्ट्रिक कार में ड्राइव का भी आनंद लिया।

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तास की एक रिपोर्ट के अनुसार, “रूसी नेता ने अपने भारतीय अतिथि को निवास दिखाया और उन्हें इलेक्ट्रिक कार में ड्राइव कराया। अधिकांश समय वे दुभाषियों के माध्यम से बात करते थे। हालांकि, जब वह कार से नीचे उतरकर बगीचे की तरफ जा रहे थे, तो उन्होंने संभवतः अंग्रेजी में एक संक्षिप्त बातचीत की।”

राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच इस महत्वपूर्ण बातचीत को सफल बनाने के लिए महिला अनुवादक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उनके समर्पण और कुशलता के कारण दोनों नेताओं के बीच संवाद सुगम और प्रभावी रहा, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हो सके। इस मुलाकात ने यह साबित किया कि भाषा की बाधाएं संबंधों को बाधित नहीं कर सकतीं, बशर्ते कि संवाद के सही माध्यम उपलब्ध हों।

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रूस के दागेस्तान में आतंकवादी हमला: चर्च और पुलिस चौकी पर अंधाधुंध फायरिंग, पादरी सहित 15 लोगों की मौत https://chaupalkhabar.com/2024/06/24/russia-in-terror-in-dagestan/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/24/russia-in-terror-in-dagestan/#respond Mon, 24 Jun 2024 06:30:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3697 रूस के दक्षिणी दागेस्तान क्षेत्र में रविवार को सशस्त्र आतंकवादियों ने कई भयावह हमले किए, जिसमें 15 से अधिक पुलिस अधिकारियों और एक पादरी समेत कई नागरिकों की जान चली गई। अधिकारियों के अनुसार, पुलिस ने मखचकाला में चार और डर्बेंट में दो बंदूकधारियों को मार गिराया। दागेस्तान के गवर्नर सर्गेई मेलीकोव ने सोमवार तड़के …

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रूस के दक्षिणी दागेस्तान क्षेत्र में रविवार को सशस्त्र आतंकवादियों ने कई भयावह हमले किए, जिसमें 15 से अधिक पुलिस अधिकारियों और एक पादरी समेत कई नागरिकों की जान चली गई। अधिकारियों के अनुसार, पुलिस ने मखचकाला में चार और डर्बेंट में दो बंदूकधारियों को मार गिराया। दागेस्तान के गवर्नर सर्गेई मेलीकोव ने सोमवार तड़के एक वीडियो बयान में बताया कि आतंकवादियों ने दो शहरों में दो गिरजाघरों, एक यहूदी उपासनागृह और एक पुलिस चौकी पर गोलीबारी की। रूस की राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी समिति ने इन हमलों को आतंकवादी कृत्य करार दिया है। यह हमले मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल क्षेत्र में हुए, जहां सशस्त्र चरमपंथ का इतिहास रहा है। इस घटना के बाद, दागेस्तान में सोमवार, मंगलवार और बुधवार को शोक दिवस घोषित किया गया है।

दागेस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री ने बताया कि सशस्त्र आतंकवादियों के एक समूह ने कैस्पियन सागर के समीप स्थित डर्बेंट शहर में एक यहूदी उपासनागृह और एक गिरजाघर पर हमला किया। सरकारी मीडिया के अनुसार, इन दोनों जगहों पर आग भी लग गई। मखचकला में भी एक गिरजाघर और एक यातायात पुलिस चौकी पर हमले की खबरें मिली हैं। न्यूज एजेंसी एपी ने दागेस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय का हवाला देते हुए बताया कि डर्बेंट के चर्च में पादरी ‘फादर निकोले’ की गला रेतकर हत्या कर दी गई, जबकि एक सुरक्षा गार्ड को गोली मार दी गई। मारे गए कानून प्रवर्तन अधिकारियों में ‘दागेस्तान लाइट्स’ पुलिस विभाग का प्रमुख भी शामिल था।

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प्राधिकारियों ने क्षेत्र में आतंकवाद रोधी अभियान की घोषणा की है। आतंकवाद रोधी समिति ने बताया कि पांच बंदूकधारियों का ‘खात्मा’ कर दिया गया है, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हमलों में कितने आतंकवादी शामिल थे। अभी तक किसी ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने कानून प्रवर्तन सूत्रों के हवाले से बताया कि दागेस्तान के एक अधिकारी को हमलों में उसके बेटों की संलिप्तता के संदेह में हिरासत में लिया गया है। गवर्नर मेलीकोव ने बिना कोई ठोस सबूत दिए दावा किया कि इन हमलों की साजिश संभवतः विदेश में रची गई।

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इस घटना की गंभीरता को देखते हुए प्राधिकारियों ने आपराधिक जांच शुरू कर दी है और क्षेत्र में सुरक्षा उपाय कड़े कर दिए गए हैं। इस त्रासदी के बाद दागेस्तान में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है और पूरे क्षेत्र में आतंकवाद रोधी प्रयासों को बढ़ावा दिया गया है।

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किम-पुतिन बैठक: किम और पुतिन के बीच हुआ समझौता इतना अहम क्यों? नई रणनीतिक साझेदारी से उडी अमेरिका की नींद https://chaupalkhabar.com/2024/06/19/kim-putin-meeting-kim-and-puti/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/19/kim-putin-meeting-kim-and-puti/#respond Wed, 19 Jun 2024 12:24:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3646 अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते रूस और उत्तर कोरिया ने एक दूसरे के और निकट आकर अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग की यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों देशों …

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अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते रूस और उत्तर कोरिया ने एक दूसरे के और निकट आकर अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग की यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों देशों ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, किसी अन्य देश द्वारा आक्रमण किए जाने पर दोनों देशों ने एक दूसरे की मदद का संकल्प लिया है। समझौते के इस अवसर पर पुतिन ने किम जोंग उन को रूस निर्मित शानदार औरुस लिमोनिस कार भेंट की। उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन लक्जरी कारों के शौकीन माने जाते हैं, और इस भेंट से वे काफी प्रसन्न नजर आए। 24 वर्षों के बाद पुतिन की उत्तर कोरिया की यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर यूक्रेन संघर्ष के बीच। प्योंगयांग में पुतिन का भव्य स्वागत हुआ और उत्तर कोरिया के पूर्ण समर्थन से पुतिन बेहद खुश दिखे।

यूक्रेन युद्ध के चलते रूस इस समय हथियारों की कमी से जूझ रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया आर्थिक मदद और तकनीक हस्तांतरण के बदले रूस को गोला-बारूद और अन्य सैन्य सहायता प्रदान कर सकता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच हुए समझौते में एक दूसरे की मदद की स्पष्टता नहीं दी गई है, परंतु पुतिन ने उत्तर कोरिया के साथ रूस के सैन्य और तकनीकी सहयोग से इंकार नहीं किया। पुतिन ने यूक्रेन नीति को लेकर रूस का बिना शर्त समर्थन करने के लिए उत्तर कोरिया का आभार भी जताया। रूस और उत्तर कोरिया दोनों अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों के विकास और मिसाइल कार्यक्रम के चलते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। वहीं, रूस यूक्रेन पर आक्रमण के कारण अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से त्रस्त है। इन प्रतिबंधों ने दोनों देशों को एक दूसरे के निकट लाने में अहम भूमिका निभाई है।

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रूसी मीडिया के अनुसार, पुतिन और किम जोंग उन ने करीब दो घंटे आमने-सामने बैठकर चर्चा की, जबकि यह बैठक एक घंटे की ही प्रस्तावित थी। इस विस्तारित चर्चा से स्पष्ट है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ है। यह बैठक दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने का संकेत देती है। इस यात्रा से यह भी संकेत मिलता है कि रूस उत्तर कोरिया के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उत्तर कोरिया की ओर से भी इस समझौते को गंभीरता से लिया जा रहा है। प्योंगयांग में पुतिन का स्वागत और किम जोंग उन का व्यक्तिगत रूचि लेना इस बात का प्रमाण है।

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कुल मिलाकर, रूस और उत्तर कोरिया की यह नजदीकी वैश्विक राजनीति में नए समीकरण बना सकती है। दोनों देशों के बीच हुई यह बैठक और समझौता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत देता है, खासकर उन परिस्थितियों में जब दोनों देश अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ गए हैं।

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रुस और यूक्रेन में दो और भारतीय नागरिकों की मौत की खबर सामने आयी. https://chaupalkhabar.com/2024/06/12/russia-and-ukraine-into-two-india/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/12/russia-and-ukraine-into-two-india/#respond Wed, 12 Jun 2024 08:52:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3567 रूस-यूक्रेन युद्ध जहां रुकने का नाम नहीं ले रहा है वही यूक्रेन में में दो और भारतीय नागरिकों की मौत की खबर सामने आयी है, जिनकी पहचान रूसी सेना में जबरन भर्ती किए गए सैनिकों के रूप में की गई है। इस घटना के बाद भारत सरकार ने इस मामले को रूस के समक्ष कड़े …

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रूस-यूक्रेन युद्ध जहां रुकने का नाम नहीं ले रहा है वही यूक्रेन में में दो और भारतीय नागरिकों की मौत की खबर सामने आयी है, जिनकी पहचान रूसी सेना में जबरन भर्ती किए गए सैनिकों के रूप में की गई है। इस घटना के बाद भारत सरकार ने इस मामले को रूस के समक्ष कड़े शब्दों में उठाया है और रूसी सेना में शामिल सभी भारतीय नागरिकों की तत्काल रिहाई और वापसी की मांग की है। यह घटना पहले की घटनाओं की कड़ी में एक और दुखद अध्याय है, जब रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारतीय नागरिकों की जानें गई थीं। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को पुष्टि की कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान हाल ही में इन दोनों भारतीयों की मौत हुई है। मंत्रालय ने मारे गए भारतीयों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मास्को स्थित भारतीय दूतावास ने रूसी रक्षा मंत्रालय सहित अन्य संबंधित अधिकारियों से पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द वापस भेजने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है।

रिपोर्टों के अनुसार, कई भारतीय नागरिक रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के रूप में कार्यरत हैं। उन्हें रूस-यूक्रेन सीमा पर कुछ क्षेत्रों में रूसी सैनिकों के साथ लड़ने के लिए मजबूर किया गया है। इन भारतीय नागरिकों को ऐसे क्षेत्रों में तैनात किया गया है जहां संघर्ष की तीव्रता अधिक है, जिससे उनकी जान को खतरा उत्पन्न हो गया है। विदेश मंत्रालय द्वारा कहा गया की “हम इस घटना को गंभीरता से ले हैं और रूस में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। हमने मास्को में अपने दूतावास के माध्यम से रूसी अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा है और नई दिल्ली में रूसी राजदूत से भी इस मामले पर बात की है। हमारा उद्देश्य है कि रूसी सेना में शामिल सभी भारतीय नागरिकों को तुरंत रिहा किया जाए और उन्हें सुरक्षित रूप से भारत वापस लाया जाए।”

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भारत ने रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की अनिवार्य भर्ती पर पूरी तरह से रोक लगाने की भी मांग की है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी भारतीय नागरिक को उनकी इच्छा के विरुद्ध रूसी सेना में भर्ती नहीं किया जाना चाहिए। हम यह भी अपील करते हैं कि जो भारतीय नागरिक रोजगार की तलाश में रूस जा रहे हैं, वे सावधानी बरतें और वहां की स्थिति को अच्छी तरह समझने के बाद ही कोई निर्णय लें।” यह मामला उन चुनौतियों को उजागर करता है जिनका सामना भारतीय नागरिक विदेशी संघर्ष क्षेत्रों में कर रहे हैं। भारतीय नागरिकों को युद्ध क्षेत्रों में जबरन भर्ती किया जाना एक गंभीर मुद्दा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया जाना आवश्यक है। भारतीय सरकार ने इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और रूस से आवश्यक कार्रवाई की मांग की है।

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इससे पहले भी रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय नागरिकों की जानें गई हैं। ऐसे मामलों में भारतीय दूतावास ने तत्परता से काम करते हुए पार्थिव शरीर को भारत वापस लाने और मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास किया है। भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भारतीय सरकार लगातार सक्रिय है और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों से भी अपील की है कि वे रूस में रोजगार के अवसरों की तलाश करते समय सावधानी बरतें। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम अपने नागरिकों को सलाह देते हैं कि वे किसी भी नौकरी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले उसके सभी पहलुओं को अच्छी तरह से समझ लें और अनजान और संदिग्ध व्यक्तियों या संगठनों के संपर्क में न आएं।”

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मुझे लोग मुस्लिमों पर घेरते हैं पर रमजान में गाजा में बमबारी रुकवाने के लिए मैंने…’, बोले PM मोदी https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/people-surround-me-muslims/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/people-surround-me-muslims/#respond Fri, 17 May 2024 09:49:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3259 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मीडिया को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में खुलासा किया कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान उन्होंने गाजा में इजरायली बमबारी रुकवाने के लिए विशेष प्रयास किए थे। उन्होंने बताया कि उस वक्त गाजा भीषण बमबारी का सामना कर रहा था, और इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मीडिया को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में खुलासा किया कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान उन्होंने गाजा में इजरायली बमबारी रुकवाने के लिए विशेष प्रयास किए थे। उन्होंने बताया कि उस वक्त गाजा भीषण बमबारी का सामना कर रहा था, और इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने विशेष दूत को इजरायल भेजा था। पीएम मोदी ने कहा कि उनके दूत ने इजरायल के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि कम से कम रमजान के महीने में गाजा में बमबारी रोक दी जाए। पीएम मोदी ने इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैंने अपने विशेष दूत को इजरायल भेजा। मैंने उनसे कहा कि आप इजरायल के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलें और उन्हें समझाएं कि कम से कम रमजान के महीने में गाजा में बमबारी न करें। और उन्होंने इस अनुरोध को गंभीरता से लिया और पालन करने का भरपूर प्रयास किया। यहां तक कि जब मैं इस तरह की पहल करता हूं, तब भी मुझे मुसलमानों को लेकर घेरा जाता है, लेकिन मैंने इसकी पब्लिसिटी नहीं की क्योंकि इसके लिए कई औरों ने भी प्रयास किए होंगे। लेकिन मैंने भी प्रयास किया, भारत ने भी किया। मेरा आज भी फिलिस्तीन के साथ उतना ही नाता है जितना इजरायल के साथ।

पीएम मोदी ने कहा कि उनके दूत ने इजरायल के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि कम से कम रमजान के महीने में गाजा में बमबारी रोक दी जाए।

 

पीएम मोदी ने विपक्ष की पिछली सरकारों पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि वे धर्मनिरपेक्ष होने का दिखावा करती थीं। उन्होंने कहा, “हमारे यहां पहले यह फैशन था कि इजरायल जाओ, फिलिस्तीन जाओ और सेक्यूलरिज्म का ढोंग करके वापस आ जाओ। मैंने कहा कि मुझे ऐसा कुछ नहीं करना है, मैं सीधे इजरायल जाऊंगा, सीधे वापस आऊंगा, मुझे ये ढोंग करने की जरूरत नहीं है। और मैंने ऐसा किया भी।” पीएम मोदी ने अपनी फिलिस्तीन यात्रा के दौरान हुए अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया, “जब मैं फिलिस्तीन गया तो बात आई कि मुझे आगे हेलिकॉप्टर से जाना होगा। जॉर्डन के राष्ट्रपति को पता चला कि मैं जॉर्डन के रास्ते फिलिस्तीन जाने वाला हूं। उन्होंने कहा कि मोदीजी, आप ऐसे नहीं जा सकते, आप मेरे मेहमान हैं। आप मेरे ही हेलिकॉप्टर में जाएंगे और मेरे घर खाना खाकर जाएंगे। मैं उनके घर गया, वहां खाना खाया, और फिर उनके हेलिकॉप्टर से फिलिस्तीन गया जहां इजरायल ने हवा में मुझे सुरक्षा दी।”

पीएम मोदी ने बताया कि इस यात्रा के दौरान तीनों देशों – इजरायल, फिलिस्तीन और जॉर्डन – के बीच तालमेल दिखा। उन्होंने कहा, “तीनों की दुनिया अलग है लेकिन मोदी के लिए आसमान में सब साथ थे। यह सब तब होता है जब आपके इरादे नेक हों और आपके प्रति विश्वास हो।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब अपने हितों को ध्यान में रखकर फैसले लेता है। पीएम मोदी ने कहा, “भारत अब किसी तीसरे देश को ध्यान में रखकर कोई फैसला नहीं करता बल्कि ऐसे फैसले करता है जो भारत के लोगों के हित में हों। हम किसी तीसरे के आधार पर अपना निर्णय नहीं करेंगे। हम निर्णय हमारे लिए करेंगे। अगर रूस से सस्ता पेट्रोल चाहिए तो हम लेंगे, और हम इसे छिपाते नहीं हैं। हम अपनी शर्तों पर देश को चलाते हैं।”

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पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के मामले पर भी अपनी राय को व्यक्त किया और कहा, “की राष्ट्रपति पुतिन यदि मेरी तारीफ करते हैं, इसका यह मतलब नहीं कि मैं उनसे यह नहीं कह सकता कि ‘यह युद्ध का समय नहीं है’। वो भी इसका सम्मान करेंगे कि चलिए कोई मित्र है जो यह बताता है कि क्या सही है और क्या गलत। यूक्रेन को भी मुझ पर उतना ही भरोसा है। मुझ पर यानी भारत पर।” पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपने हितों को प्राथमिकता देता है और किसी भी अन्य देश की राय से प्रभावित नहीं होता। उन्होंने कहा, “हम अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से लेते हैं, और हमारे निर्णय भारतीयों के हित में होते हैं। हम किसी के कहने से नहीं चलेंगे, हम अपनी शर्तों पर देश को चलाते हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि उनकी नीति स्पष्ट और पारदर्शी है। “हम जो भी करते हैं, साफ-साफ करते हैं। हम चोरी-छिपे कुछ नहीं करते, न ही किसी को बताकर कुछ करते हैं। हमारे निर्णय हमारे देश के हित में होते हैं और हम उसी अनुसार काम करते हैं। इस प्रकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि भारत अब किसी भी तरह के दबाव में आकर फैसले नहीं करता और अपने हितों को प्राथमिकता देता है। यह इंटरव्यू उनकी स्पष्ट विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की स्वतंत्र स्थिति को उजागर करता है। उन्होंने अपने प्रयासों और नीतियों के बारे में खुलकर बात की, जो यह दर्शाता है कि भारत एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।

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रूस ने किया बड़ा दावा कहा, भारत के लोकसभा चुनावों में दखल देने की कोशिश कर रहा अमेरिका. https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/russia-made-big-claims/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/russia-made-big-claims/#respond Thu, 09 May 2024 06:00:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3151 रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी आरटी न्यूज के मुताबिक, रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने भारत के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता के रूप में अमेरिका की कई गतिविधियों की चर्चा की। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका द्वारा भारत के खिलाफ विशेष रूप से उनके धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर निरंतर आरोप लगाने का …

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रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी आरटी न्यूज के मुताबिक, रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने भारत के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता के रूप में अमेरिका की कई गतिविधियों की चर्चा की। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका द्वारा भारत के खिलाफ विशेष रूप से उनके धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर निरंतर आरोप लगाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह अमेरिका की तरफ से भारत के आंतरिक राजनीतिक परिदृश्य को बाधित करने और उनकी राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने का प्रयास है।

जाखारोवा ने कहा कि अमेरिका की गतिविधियां स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप को दर्शाती हैं, जो कि भारत के प्रति अपमानजनक हैं। उन्होंने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कोशिश के मामले में भी अमेरिका पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अभी तक अमेरिका ने इस मामले में भारतीय नागरिकों की संलिप्तता को लेकर कोई विश्वसनीय सबूत नहीं प्रस्तुत किया है।

इसके अलावा, जाखारोवा ने कहा कि अमेरिका भारत के खिलाफ लगातार झूठे आरोप लगा रहा है और उन्हें भारत के इतिहास की समझ नहीं है। उनके अनुसार, अमेरिका का उद्देश्य भारत के धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अनियंत्रित आरोप लगाना है, जिससे भारत की राजनीतिक स्थिति में अस्थिरता उत्पन्न की जा सके। जाखारोवा के इस बयान के बाद, भारतीय सरकार ने भी अमेरिका के इस नाटक की निंदा की है। एक अधिकृत सूत्र ने कहा कि भारत का लक्ष्य हमेशा से एकता और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देना रहा है और वह इस तरह के अनावश्यक विवादों में शामिल नहीं होना चाहता है।

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इसके अतिरिक्त, अमेरिका के विदेश मंत्री ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अमेरिका ने भारत के इस आरोप का खंडन किया है। वे कहते हैं कि यह आरोप बिना किसी सबूत के है और अमेरिका की किसी भी ऐसी कार्रवाई का इसमें कोई विशेष योगदान नहीं है।

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दक्षिण कोरिया-मलेशिया के तट पर रूसी तेल के टैंकरों का लगा अंबार, भारतीय तटों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं टैंकर….. https://chaupalkhabar.com/2024/02/22/%e0%a4%a6%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%a3-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87/ https://chaupalkhabar.com/2024/02/22/%e0%a4%a6%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%bf%e0%a4%a3-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87/#respond Thu, 22 Feb 2024 08:20:02 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2359 यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। लेकिन हाल के दिनों में भारत को रूसी तेल की डिलीवरी में कई दिक्कतें आ रही हैं। इन दिक्कतों की वजह से रूसी तेल से भरे टैंकर भारतीय तटों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। भारत में डिलीवरी के …

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यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। लेकिन हाल के दिनों में भारत को रूसी तेल की डिलीवरी में कई दिक्कतें आ रही हैं। इन दिक्कतों की वजह से रूसी तेल से भरे टैंकर भारतीय तटों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। भारत में डिलीवरी के लिए आ रहा रूसी कच्चा तेल सोकोल का 1.5 करोड़ बैरल मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तटों पर पड़ा हुआ है। आने वाले समय में भी रूसी तेल से भरे जहाजों के अपने स्थान से हटने के संकेत कम दिख रहे हैं।

ब्लूमबर्ग ने पोत ट्रैकिंग डेटा के आधार पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इन टैंकरों में से अधिकांश एक महीने से भी अधिक समय से तट पर लंगर डाले हुए हैं। रूसी तेल से भरे टैंकरों ने मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तट पर डेरा डालना तब शुरू किया जब पिछले साल के अंत में भारतीय तटों के आसपास के बंदरगाहों पर कच्चा तेल ले जाने वाले जहाजों ने अचानक अपने रास्ते में बदलाव कर लिया, जिसके बाद  दिसंबर आते-आते वह दक्षिण चीन सागर की ओर मुड़ गए। और हर हफ्ते लगभग दो नए कार्गो मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तटों पर रुक रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में जब तेल के तीन कार्गो भारत की तरफ बढ़ने लगे तब लगा कि शायद चीजें आसान हो जाएंगी। हालांकि, चौथा कार्गो अब विशाखापत्तनम बंदरगाह पर आता दिखाई रहा है। परन्तु, अधिकांश कार्गो अभी भी वही अटके हुए हैं। वही, तटों पर हर तीसरे या चौथे दिन कार्गो का आना भी लगा हुआ है। एक कार्गो पर औसतन 7 लाख बैरल कच्चा तेल लदा  हुआ है। और रूसी तेल से भरे जहाज दक्षिण कोरिया के बंदरगाह येओसु पर जमा होते जा रहे हैं जहां वह आम तौर पर भारत में आगे की शिपमेंट को देखते हुए अपने माल को दूसरे जहाजों पर उतारते हैं।

रूसी तेल से भरे टैंकरों का मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तट पर लगा अंबार

भारत को रूसी तेल की आपूर्ति में आ रही रुकावट के कारण कई तरह की बातें कही जा रही हैं। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जनवरी के महीने में कहा था कि रूसी तेल पर अब ज्यादा छूट नहीं मिल रही इसलिए भारतीय रिफाइनरों ने रूस से तेल खरीद में कमी कर दी है। उन्होंने इस बात को भी खारिज कर दिया था कि रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भुगतान में दिक्कतों की वजह से खरीद में कोई असर हुआ है। कुछ रिफाइरों ने भी यही बताया की सोकोल तेल से उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है। और सोकोल को खरीदने की उनकी कोई योजना नहीं है क्योंकि सोकोल यूराल की तुलना में 2-3 डॉलर महंगा है। हालांकि, तेल मंत्री पुरी ने बाद में कहा की G-7 देशों के रूसी तेल पर लगाए गए 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप और शिपिंग की चुनौतियों के कारण भारत में सोकोल की कुछ डिलीवरी में बाधा आई है।

रूस अपने सोकोल तेल को प्राइस कैप से ऊपर बेच रहा है जिस पर अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की कड़ी नजर बनाये हुए है। जिसे देखते हुए अमेरिका ने प्राइस कैप से ऊपर बेचे जा रहे रूसी तेल पर नए प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए है, जिसकी वजह से भारत को इस तेल की डिलीवरी में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने अब सोकोल तेल ढो रहे उन जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया है जो 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर का तेल बेच रहे हैं। भारत में हाल के दिनों में जो सोकोल तेल की जो डिलीवरी हुई है, उससे यही पता लगता है कि भारत की कुछ रिफाइनरों ने इन मुश्किलों से निकलने का समाधान ढूंढ लिया है।

 

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