Saran loksabha seat - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 06 Jun 2024 10:30:15 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Saran loksabha seat - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 सारण सीट से राजीव प्रताप रूडी ने दी लालू के परिवार को करारी शिकस्त,उनकी पत्नी और समधी के बाद बेटी को भी हराने में सफलता हासिल की. https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/saran-seat-to-rajeev-pratap-r/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/06/saran-seat-to-rajeev-pratap-r/#respond Thu, 06 Jun 2024 10:30:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3470 पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर बिहार की सारण सीट से कामयाबी हासिल कारने में सफल रहे हैं। यह लगातार तीसरी बार है जब उन्होंने इस सीट पर लालू परिवार के सदस्य/रिश्तेदार को शिकस्त दी है। इससे पहले यहां से केवल लालू यादव ही रूडी को हराने में कामयाब …

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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर बिहार की सारण सीट से कामयाबी हासिल कारने में सफल रहे हैं। यह लगातार तीसरी बार है जब उन्होंने इस सीट पर लालू परिवार के सदस्य/रिश्तेदार को शिकस्त दी है। इससे पहले यहां से केवल लालू यादव ही रूडी को हराने में कामयाब हो सके हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाये तो बिहार से बीजेपी को इस बार 12 सीटें मिली हैं, जो को 2019 के मुक़ाबले काफ़ी कम हैं। इस चुनाव में जहां बक्सर, पाटलिपुत्र और आरा जैसी सीटों पर बीजेपी के दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा, वहीं एक सीट ऐसी रही जिस पर लालू परिवार को एक बार फिर शिकस्त का सामना करना पड़ा। हम बात कर रहे हैं सारण लोकसभा सीट की, जहां बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी उम्मीदवार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को 13,661 वोटों से हरा दिया।

सारण सीट पर इस बार जीत का अंतर बेहद कम रहा है, लेकिन पेशे से पायलट रूडी पांचवी बार यहां से संसद पहुंचने में कामयाब रहे। गौर करने वाली बात यह है कि सारण सीट पर रूडी और लालू परिवार/रिश्तेदारों के बीच चार बार मुकाबला हो चुका है और दो बार ही आरजेडी यहां जीत हासिल करने में कामयाब हो सकी है। दोनों मौकों- 2004 और 2009 में लालू प्रसाद यादव ने ही रूडी को शिकस्त दी थी। हालाँकि लालू यादव के अलावा, उनकी पत्नी, समधी और बेटी खुद रूडी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी थी परंतु जीत केवल लालू प्रसाद यादव को ही मिल सकी। इस बार जिस तरह लालू और तेजस्वी यादव ने बहन रोहिणी के लिए जोर लगाया था, उससे लग रहा था कि शायद वे आरजेडी के लिए 2004 या 2009 वाला इतिहास दोहरा देंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

सारण लोकसभा सीट की, जहां बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी उम्मीदवार और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को 13,661 वोटों से हरा दिया।

पिछले चार चुनाव की बात करें तो 2009 में ही सारण सीट आरजेडी के खाते में जा पाई थी जब खुद लालू यादव ने राजीव प्रताप रूडी को पटखनी दी थी। लेकिन 2014 आते-आते सियासी समीकरण बदल गए। लालू यादव को चारा घोटाले में अदालत ने दोषी ठहरा दिया और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गई। लालू ने इस सीट से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को चुनाव मैदान में उतार दिया, लेकिन राजीव प्रताप रूडी ने तब राबड़ी देवी को करीब 40,000 से अधिक वोटों से हरा दिया। 2019 में लालू यादव ने एक बार फिर से इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा के साथ जोड़ दिया और अपने समधी चंद्रिका राय को मैदान में उतार दिया। तमाम मेहनत करने के बावजूद भी वे सफल नहीं हो सके और रूडी ने चंद्रिका राय को 1 लाख 38 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया।

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इस बार, यानी 2024 में, जैसे ही सारण सीट से रोहिणी आचार्य के नाम का ऐलान हुआ तो तभी से यह सीट देश की हॉट सीट बन गई। बीजेपी ने एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी को यहां से उतारा। लालू प्रसाद यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक ने रोहिणी के लिए प्रचार और रोड शो किया, लेकिन जब नतीजे आए तो वे आरजेडी के लिए अच्छे नहीं थे। रूडी ने 13,661 वोटों से रोहिणी को हरा दिया। इस तरह रूडी इस सीट से पांचवी बार संसद पहुंचने में कामयाब रहे। इससे पहले उन्होंने 1996, 1999, 2014 और 2019 में जीत दर्ज की थी। वहीं लालू प्रसाद यादव चार बार – 1977, 1989, 2004 और 2009 में यहां से सांसद रह चुके हैं।

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लालू यादव का इस सीट पर वर्चस्व 2004 और 2009 के चुनावों में स्पष्ट रूप से दिखा था जब उन्होंने खुद रूडी को हराया था। 2009 के बाद, लालू यादव के राजनीतिक जीवन में बड़ा झटका तब लगा जब उन्हें चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया और उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग गया। इसके बावजूद, लालू यादव ने 2014 के चुनाव में अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मैदान में उतारा, लेकिन रूडी ने उन्हें हराने में कामयाबी पाई। 2019 के चुनाव में, लालू यादव ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया और अपने समधी चंद्रिका राय को उम्मीदवार बनाया। लेकिन चंद्रिका राय को भी रूडी ने भारी मतों के अंतर से हरा दिया। 2024 में रोहिणी आचार्य के नाम की घोषणा होते ही, यह सीट एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई। लालू परिवार ने इस बार भी पूरी ताकत लगाई, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए।

सारण सीट की इस चुनावी कहानी में राजीव प्रताप रूडी का दबदबा स्पष्ट रूप से नजर आता है। रूडी की पांचवी बार जीत इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। वहीं लालू परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों के लिए यह सीट हमेशा से एक चुनौती बनी रही है। लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक करियर इस सीट से जुड़े कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। 1977 में पहली बार सांसद बने लालू यादव ने 1989 में फिर से जीत हासिल की। 2004 और 2009 में उन्होंने रूडी को हराया, लेकिन 2014 के बाद सियासी समीकरण बदल गए। चारा घोटाले में सजा के बाद उनकी राजनीति में भागीदारी सीमित हो गई और उनके परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारना पड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। रूडी की इस जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सारण सीट पर उनका प्रभाव अडिग है। 2024 के चुनावी परिणामों ने यह दिखाया कि लालू परिवार के लिए यह सीट अभी भी एक कठिन चुनौती बनी हुई है। भाजपा के लिए बिहार की अन्य सीटों पर भले ही परिणाम उम्मीदों के अनुसार न आए हों, लेकिन सारण सीट पर रूडी की जीत ने पार्टी के लिए एक मजबूत संदेश दिया है।

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बिहार के सारण में चुनावी हिंसा, गोली लगने से एक की मौत, दो घायल, 48 घंटे के लिए किया गया इंटरनेट बंद https://chaupalkhabar.com/2024/05/21/elections-are-in-saran-of-bihar/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/21/elections-are-in-saran-of-bihar/#respond Tue, 21 May 2024 06:06:55 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3340 बिहार के सारण में लोकसभा सीट पर सोमवार को हुए पांचवें चरण की वोटिंग के बाद जमकर हिंसा हुई। इस लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से रोहिणी आचार्य उम्मीदवार हैं। मतदान खत्म होने के बाद जब वह छपरा शहर के एक बूथ पर पहुंचीं, तो वहां जमकर हंगामा हुआ। सारण में …

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बिहार के सारण में लोकसभा सीट पर सोमवार को हुए पांचवें चरण की वोटिंग के बाद जमकर हिंसा हुई। इस लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से रोहिणी आचार्य उम्मीदवार हैं। मतदान खत्म होने के बाद जब वह छपरा शहर के एक बूथ पर पहुंचीं, तो वहां जमकर हंगामा हुआ। सारण में मंगलवार को विवाद बढ़ने पर दो पक्षों के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें तीन लोगों को गोली लगी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है और क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।

घटना के बाद छपरा के भिखारी ठाकुर चौक पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। मौके पर जिले के एसपी और डीएम भी मौजूद हैं। सोमवार शाम को आरजेडी उम्मीदवार रोहिणी आचार्य इसी इलाके के बूथ संख्या 118 पर पहुंची थीं। एक चश्मदीद स्थानीय नागरिक ने बताया कि दोनों पक्षों के लोग भारी संख्या में मौजूद थे और उनके पास लाठी-डंडे थे। दोनों तरफ से गोलियां भी चलीं। तीन लोगों को गोली लगी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि रोहिणी आचार्य ने बूथ पर पहुंचकर मतदाताओं के साथ गलत बर्ताव किया था और उनके समर्थक भी साथ थे। आक्रोशित भीड़ को देखकर रोहिणी आचार्य को वहां से निकलना पड़ा, लेकिन मंगलवार सुबह फिर से विवाद बढ़ गया और गोलीबारी की घटना हो गई।

दो पक्षों के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें तीन लोगों को गोली लगी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई.

सारण के एसपी गौरव मंगला ने बताया कि सोमवार को आरजेडी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच विवाद हुआ था। इसी के प्रतिक्रम में मंगलवार को कुछ लोगों ने गोलीबारी की। तीन लोगों को गोली लगी है, जिसमें एक की मौत हो गई है और दो लोग अस्पताल में भर्ती हैं। जिन लोगों ने यह घटना भड़काई थी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कुछ समय के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया है। सोमवार को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के तहत आठ राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की 49 सीटों पर मतदान हुआ था। इस चरण के तहत बिहार की पांच सीटों पर वोटिंग हुई थी, जिनमें सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर शामिल हैं। बिहार में पांचवे चरण में 52.93% वोटिंग हुई थी।

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घटना के बाद से सारण क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य किया जा सके। इस घटना ने क्षेत्र में चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। सोमवार शाम को जब रोहिणी आचार्य बूथ संख्या 118 पर पहुंचीं, तो वहां पहले से ही तनावपूर्ण माहौल था। स्थानीय लोगों का कहना है कि रोहिणी आचार्य के बूथ पर पहुंचने के बाद स्थिति और बिगड़ गई। रोहिणी आचार्य के समर्थकों और विरोधी दल के कार्यकर्ताओं के बीच तीखी झड़प हो गई।

पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है और क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।

घटनास्थल पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि दोनों पक्षों के लोग हाथों में लाठी-डंडे लेकर आए थे। दोनों तरफ से तीखी नारेबाजी हो रही थी और फिर अचानक गोलियां चलने लगीं। तीन लोगों को गोली लगी और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां एक व्यक्ति की मौत हो गई। घटना के बाद से इलाके में भारी तनाव है। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कार्रवाई की और दो लोगों को हिरासत में लिया। एसपी गौरव मंगला ने बताया कि इस घटना में शामिल सभी दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

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इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का निर्णय इसीलिए लिया गया है ताकि अफवाहों और गलत जानकारी फैलाने से रोका जा सके। बिहार में चुनाव के दौरान हिंसा की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं, लेकिन इस बार की घटना ने सभी को चौंका दिया है। मतदाताओं में भी इस घटना के बाद से डर और असुरक्षा की भावना है। प्रशासन को उम्मीद है कि वे जल्द ही स्थिति को नियंत्रण में ला पाएंगे और इलाके में शांति स्थापित कर पाएंगे। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक क्षेत्र में पुलिस का भारी बंदोबस्त रहेगा। डीएम ने कहा कि मतदान प्रक्रिया को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाने के लिए प्रशासन ने हर संभव कदम उठाए हैं और जो भी इस तरह की घटनाओं में शामिल पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने चुनावी राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। दोनों पार्टियों के समर्थकों के बीच तनाव बढ़ गया है और यह चुनावी माहौल को और भी गरमा सकता है। ऐसे समय में प्रशासन की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। कुल मिलाकर, सारण में चुनाव के दौरान हुई हिंसा ने पूरे बिहार में हलचल मचा दी है। यह देखना बाकी है कि प्रशासन कैसे इस स्थिति को संभालता है और दोषियों को सजा दिलाने में कितनी सफल होती है। मतदाताओं को सुरक्षित और निष्पक्ष मतदान का माहौल देने की जिम्मेदारी अब प्रशासन पर है। सारण की इस घटना ने एक बार फिर चुनावी हिंसा और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन और चुनाव आयोग को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और सभी मतदाता बिना किसी डर के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।

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