Solicitor General Tushar Mehta - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 01 Oct 2024 07:56:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Solicitor General Tushar Mehta - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि, अतिक्रमण हटाने के निर्देश https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/bulldozer-action-on-sup/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/bulldozer-action-on-sup/#respond Tue, 01 Oct 2024 07:56:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5173 सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर फिर से सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और अतिक्रमण चाहे सड़क पर हो, जल निकायों पर हो या फिर रेल …

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सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर फिर से सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और अतिक्रमण चाहे सड़क पर हो, जल निकायों पर हो या फिर रेल पटरियों के आसपास, उसे हटाना आवश्यक है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी धार्मिक ढांचे को अतिक्रमण के नाम पर बख्शा नहीं जाएगा, और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, और कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बुलडोजर कार्रवाई या अतिक्रमण विरोधी अभियानों के दौरान किसी विशेष धर्म या समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। ये निर्देश हर धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होंगे।

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कोर्ट में अपराध के आरोपी लोगों के खिलाफ की जाने वाली बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी। कई राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर लगातार विवाद हो रहा है, जिसे ‘बुलडोजर न्याय’ के रूप में भी संदर्भित किया जा रहा है। राज्य सरकारों का कहना है कि केवल अवैध संरचनाओं को ही ध्वस्त किया जा रहा है, लेकिन कुछ समुदायों का आरोप है कि इस कार्रवाई में उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश सरकारों की ओर से अदालत में पेश हुए, ने कहा कि अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई किसी भी आरोपी व्यक्ति के अपराध की स्थिति पर निर्भर नहीं करती है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यहां तक कि जघन्य अपराधों जैसे बलात्कार या आतंकवाद के मामलों में भी बुलडोजर का इस्तेमाल कानून के अनुसार ही किया जाता है और केवल अवैध निर्माणों को ही हटाया जाता है।

न्यायालय ने इस पर सवाल उठाया कि क्या किसी व्यक्ति का अपराधी होना या उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना, अवैध निर्माण ध्वस्त करने का आधार हो सकता है? इस पर मेहता ने साफ तौर पर कहा, “बिल्कुल नहीं।” न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अवैध निर्माणों के लिए कानून स्पष्ट होना चाहिए और यह किसी व्यक्ति की आस्था, धर्म या विश्वास पर निर्भर नहीं होना चाहिए। साथ ही, नोटिस जारी करने की प्रक्रिया पर भी जोर दिया गया। अदालत ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से पहले संबंधित लोगों को उचित समय के भीतर नोटिस दिया जाना चाहिए। इस पर मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि नगरपालिकाओं के कानून में नोटिस जारी करने का प्रावधान है, लेकिन इसे और सुसंगठित करने की जरूरत है।

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कोर्ट ने सुझाव दिया कि नगरपालिकाओं और पंचायतों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था होनी चाहिए, जहां लोग अपने मामलों की जानकारी प्राप्त कर सकें और यह प्रक्रिया पारदर्शी हो सके। इससे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी या अन्यायपूर्ण कार्रवाई से बचा जा सकेगा।

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सुप्रीम कोर्ट का बुलडोजर कार्रवाई पर निर्देश, अवैध निर्माण पर कार्रवाई जारी रहेगी, मनमानी पर रोक. https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/bulldozer-of-supreme-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/bulldozer-of-supreme-court/#respond Tue, 17 Sep 2024 10:47:31 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4935 सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरे देश में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक, बिना उसकी अनुमति के किसी भी प्रकार की मनमानी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने साफ किया कि यह रोक सभी राज्यों पर लागू होगी और इसका पालन अनिवार्य …

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरे देश में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक, बिना उसकी अनुमति के किसी भी प्रकार की मनमानी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने साफ किया कि यह रोक सभी राज्यों पर लागू होगी और इसका पालन अनिवार्य रूप से करना होगा। हालांकि, अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई पर यह रोक लागू नहीं होगी, खासकर जो सड़क, फुटपाथ और रेलवे लाइनों पर अवैध तरीके से किए गए हैं। बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट 1 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा। यह मामला तब उठा जब विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अपराधियों और अन्य कानून उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ बुलडोजर का उपयोग तेज़ी से बढ़ा। याचिकाकर्ताओं ने इसे कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी। याचिका के अनुसार, कई स्थानों पर बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, जिससे आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने बुलडोजर कार्रवाई के महिमा मंडन पर भी गंभीर सवाल उठाए। न्यायाधीशों ने कहा कि कानून को नियम और प्रक्रिया के अनुसार चलना चाहिए, न कि उसे महिमामंडित किया जाना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बुलडोजर का “मनमाना” उपयोग बंद होना चाहिए, क्योंकि इससे शासन के प्रति जनता में गलत संदेश जा सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी, विशेष रूप से सड़क, फुटपाथ और रेलवे लाइनों पर हो रहे निर्माणों पर यह रोक लागू नहीं होगी। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि अदालत अनधिकृत निर्माण के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी, परंतु जहां बुलडोजर का उपयोग मनमाने ढंग से किया जा रहा है, वहां तुरंत कार्रवाई की जरूरत है।

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जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकारों को भी फटकार लगाते हुए पूछा कि 2022 में जब नोटिस जारी किया गया था, तो 2024 में इतनी जल्दीबाजी क्यों की जा रही है? कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित किया जाए और आगे की कार्रवाई कोर्ट की अनुमति से ही की जाए। कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के “महिमा मंडन” को लेकर भी सवाल उठाया। न्यायाधीशों ने कहा कि बुलडोजर का उपयोग सिर्फ अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में किया जाना चाहिए, न कि इसे किसी प्रकार की शक्ति का प्रतीक बनाकर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अदालत ने सख्ती से कहा कि यह प्रवृत्ति तुरंत बंद होनी चाहिए और कार्रवाई का तरीका कानून के दायरे में रहकर होना चाहिए।

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वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि हर दिन बुलडोजर की कार्रवाई हो रही है और यह बिना किसी पूर्व नोटिस या कानूनी प्रक्रिया का पालन किए हो रहा है। उन्होंने अदालत से इस पर कड़ी निगरानी रखने का अनुरोध किया। इसके जवाब में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि 2022 में संबंधित पक्षों को नोटिस दिया गया था और उसके बाद ही कार्रवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करेगा। कोर्ट ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों का पालन सभी राज्यों को करना होगा और मनमाने ढंग से बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका कार्यपालिका के काम में हस्तक्षेप नहीं करेगी, लेकिन कानून के उल्लंघन के मामलों में अदालत को हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा।

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