Supreme Court of India - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 04 Oct 2024 08:10:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Supreme Court of India - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 तिरुपति लड्डू मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, एसआईटी जांच का आदेश https://chaupalkhabar.com/2024/10/04/tirupati-laddu-case-in-s/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/04/tirupati-laddu-case-in-s/#respond Fri, 04 Oct 2024 08:10:00 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5215 सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति लड्डू में कथित रूप से पशु चर्बी की मिलावट के मामले की सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने इस मामले में एक नई स्वतंत्र विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया है। अदालत का यह कदम करोड़ों भक्तों की आस्था और भावनाओं को ध्यान में …

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सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति लड्डू में कथित रूप से पशु चर्बी की मिलावट के मामले की सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने इस मामले में एक नई स्वतंत्र विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया है। अदालत का यह कदम करोड़ों भक्तों की आस्था और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, क्योंकि आरोपों के बाद लोगों की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंची है।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एसआईटी की जांच के माध्यम से इस विवाद को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से सुलझाया जाएगा। न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “हम यह आदेश इसलिए दे रहे हैं क्योंकि इस मामले में लाखों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।” अदालत ने एसआईटी में 5 सदस्यों की टीम गठित करने का निर्देश दिया है, जिसमें दो सदस्य केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से, दो सदस्य आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस से और एक सदस्य खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का विशेषज्ञ होगा। यह टीम मामले की गहन जांच करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि लड्डू में मिलावट के आरोपों की सच्चाई का पता चले।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि तिरुपति लड्डू, जिसे तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाया जाता है, से जुड़े मिलावट के आरोप न केवल कानूनी बल्कि धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी गंभीर हैं। आरोपों से देश और विदेश में भगवान वेंकटेश्वर के लाखों भक्तों की आस्था को ठेस पहुंची है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे राजनीतिक दायरे से भी दूर रखना आवश्यक है। जस्टिस गवई ने टिप्पणी की थी कि “भगवान को राजनीति से दूर रखें,” जो पिछले सुनवाई के दौरान की गई थी।

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अदालत ने यह भी देखा कि इस मामले में प्रयोगशाला से आई जांच रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है। यह आशंका व्यक्त की गई कि जिस घी का परीक्षण किया गया था, वह अस्वीकार्य घी हो सकता है, जिससे रिपोर्ट पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि आस्था और धार्मिक मान्यताओं का सवाल है, इसलिए जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक नई और स्वतंत्र एसआईटी का गठन किया गया है। अदालत ने इस मामले को राजनीतिक रंग देने के प्रयासों को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला किसी राजनीतिक ड्रामा में तब्दील नहीं होना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि यदि जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष होगी, तो जनता में विश्वास उत्पन्न होगा और यह सुनिश्चित होगा कि तिरुपति लड्डू के प्रसाद में कोई भी अनियमितता नहीं है।

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बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि, अतिक्रमण हटाने के निर्देश https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/bulldozer-action-on-sup/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/bulldozer-action-on-sup/#respond Tue, 01 Oct 2024 07:56:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5173 सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर फिर से सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और अतिक्रमण चाहे सड़क पर हो, जल निकायों पर हो या फिर रेल …

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सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर फिर से सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और अतिक्रमण चाहे सड़क पर हो, जल निकायों पर हो या फिर रेल पटरियों के आसपास, उसे हटाना आवश्यक है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी धार्मिक ढांचे को अतिक्रमण के नाम पर बख्शा नहीं जाएगा, और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, और कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बुलडोजर कार्रवाई या अतिक्रमण विरोधी अभियानों के दौरान किसी विशेष धर्म या समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। ये निर्देश हर धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होंगे।

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कोर्ट में अपराध के आरोपी लोगों के खिलाफ की जाने वाली बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी। कई राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर लगातार विवाद हो रहा है, जिसे ‘बुलडोजर न्याय’ के रूप में भी संदर्भित किया जा रहा है। राज्य सरकारों का कहना है कि केवल अवैध संरचनाओं को ही ध्वस्त किया जा रहा है, लेकिन कुछ समुदायों का आरोप है कि इस कार्रवाई में उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश सरकारों की ओर से अदालत में पेश हुए, ने कहा कि अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई किसी भी आरोपी व्यक्ति के अपराध की स्थिति पर निर्भर नहीं करती है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यहां तक कि जघन्य अपराधों जैसे बलात्कार या आतंकवाद के मामलों में भी बुलडोजर का इस्तेमाल कानून के अनुसार ही किया जाता है और केवल अवैध निर्माणों को ही हटाया जाता है।

न्यायालय ने इस पर सवाल उठाया कि क्या किसी व्यक्ति का अपराधी होना या उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना, अवैध निर्माण ध्वस्त करने का आधार हो सकता है? इस पर मेहता ने साफ तौर पर कहा, “बिल्कुल नहीं।” न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अवैध निर्माणों के लिए कानून स्पष्ट होना चाहिए और यह किसी व्यक्ति की आस्था, धर्म या विश्वास पर निर्भर नहीं होना चाहिए। साथ ही, नोटिस जारी करने की प्रक्रिया पर भी जोर दिया गया। अदालत ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से पहले संबंधित लोगों को उचित समय के भीतर नोटिस दिया जाना चाहिए। इस पर मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि नगरपालिकाओं के कानून में नोटिस जारी करने का प्रावधान है, लेकिन इसे और सुसंगठित करने की जरूरत है।

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कोर्ट ने सुझाव दिया कि नगरपालिकाओं और पंचायतों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था होनी चाहिए, जहां लोग अपने मामलों की जानकारी प्राप्त कर सकें और यह प्रक्रिया पारदर्शी हो सके। इससे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी या अन्यायपूर्ण कार्रवाई से बचा जा सकेगा।

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