tdp - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 16 Sep 2024 07:29:31 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg tdp - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 वन नेशन, वन इलेक्शन, इलेक्शन’, भारतीय चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव? https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/one-nation-one-election-election/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/one-nation-one-election-election/#respond Mon, 16 Sep 2024 07:29:31 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4899 ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इस विचार का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। सरकार तेजी से इस दिशा में काम कर रही है, और उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी …

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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इस विचार का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। सरकार तेजी से इस दिशा में काम कर रही है, और उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी सरकार अपने वर्तमान कार्यकाल (मोदी 3.0) में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश कर सकती है। इसका मतलब यह है कि देशभर के सभी चुनाव एक ही समय पर होंगे, जो बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रिया को सरल बना सकता है। मोदी सरकार वर्तमान में अपने सहयोगियों के समर्थन पर निर्भर है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ जेडीयू (JDU) और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) जैसी प्रमुख पार्टियों का सहयोग भी है। ये पार्टियां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा हैं और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के विचार पर सरकार का समर्थन कर रही हैं। बताया जा रहा है कि एनडीए में शामिल सभी दल इस अवधारणा के पक्ष में हैं और इसके कार्यान्वयन के लिए तैयार हैं।

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यह विचार केवल सरकार का एजेंडा ही नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बार-बार जनता और अन्य राजनीतिक दलों के समक्ष प्रस्तुत किया है। बीजेपी के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का वादा किया गया था। इस साल स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में पीएम मोदी ने राजनीतिक दलों से इस दिशा में साथ आने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि “समय की मांग है कि हम एक राष्ट्र, एक चुनाव के संकल्प को हासिल करें।” इससे चुनावों की प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाने की उम्मीद जताई जा रही है।

सरकार ने इस मुद्दे पर अध्ययन और विचार के लिए एक समिति गठित की, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की। इस समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने सुझाव दिया है कि पहले लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे सभी स्तरों के चुनाव एक निश्चित समय सीमा में संपन्न हो सकें।

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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मुख्य उद्देश्य चुनावों की आवृत्ति को कम करना और संसाधनों की बचत करना है। बार-बार चुनाव कराने से सरकार और जनता दोनों पर वित्तीय और प्रशासनिक बोझ पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक लागत कम होगी और विकास योजनाओं के संचालन में भी रुकावटें कम होंगी। हालांकि, इस प्रस्ताव के खिलाफ भी कुछ तर्क दिए जा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान हो सकता है और स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय मुद्दों के नीचे दबा दिया जाएगा। इसके अलावा, यह भी तर्क दिया जा रहा है कि एक साथ चुनाव कराने से संसदीय और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।

 

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024: विपक्ष के विरोध और सरकार के तर्कों के बीच लोकसभा में पेश किया गया वक्फ संशोधन विधेयक. https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/waqf-amendment-bill-2024-opposition/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/waqf-amendment-bill-2024-opposition/#respond Thu, 08 Aug 2024 09:16:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4216 केंद्रीय अल्पसंख्यक और कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया। लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते समय काफी हंगामा हुआ, जहां विपक्षी दलों ने इसे संविधान की बुनियादी धारणाओं पर हमला बताते हुए विरोध किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) समेत …

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केंद्रीय अल्पसंख्यक और कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया। लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते समय काफी हंगामा हुआ, जहां विपक्षी दलों ने इसे संविधान की बुनियादी धारणाओं पर हमला बताते हुए विरोध किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक को अस्वीकार्य बताते हुए सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रमुख नेता केसी वेणुगोपाल ने इस विधेयक को संविधान की बुनियाद पर हमला करार दिया। उन्होंने लोकसभा में कहा, “हम हिंदू हैं, लेकिन हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह विधेयक महाराष्ट्र और हरियाणा में आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। पिछली बार जनता ने साफ संदेश दिया था, लेकिन सरकार ने उससे कुछ नहीं सीखा। यह विधेयक संघीय ढांचे पर सीधा आक्रमण है।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस विधेयक के जरिए सरकार वक्फ गवर्निंग काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान कर रही है, जोकि धर्म की स्वतंत्रता पर हमले को दर्शाता है। “इससे पहले आप ईसाइयों के पास जाएंगे, फिर जैनियों के पास। यह विधेयक विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा दे रहा है, जिसे भारत की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी,” वेणुगोपाल ने कहा। वहीं, सरकार ने इस विधेयक को मुस्लिम विरोधी मानने से इनकार किया है। जेडीयू और टीडीपी जैसी एनडीए की सहयोगी पार्टियों ने विधेयक का समर्थन किया। जेडीयू के सांसद ललन सिंह ने भी इस पर अपना पक्ष रखा और कहा, की “यह विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है, बल्कि इस विधेयक को वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लाया गया है। विपक्ष इसे मंदिरों के मुद्दे से जोड़ रहा है, जो कि बिलकुल निराधार है। सरकार का अधिकार है कि वह किसी भी निरंकुश संस्था पर नियंत्रण के लिए कानून बनाए।”

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने भी इस विधेयक को मुसलमानों के खिलाफ मानने से इनकार करते हुए कहा, “यह मुसलमानों के खिलाफ कैसे हो सकता है? यह कानून पारदर्शिता लाने के लिए बनाया जा रहा है। विपक्ष इसे मंदिरों के साथ तुलना कर रहा है और मुख्य मुद्दे से भटका रहा है।” लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस सांसदों की एक बैठक बुलाई जिसमें वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा की गई। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और हिबी ईडेन ने इस विधेयक का विरोध करने के लिए नियम 72 के तहत एक नोटिस भी दिया था।

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कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को सीमित करने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमणों को हटाने के मुद्दों को प्रभावी ढंग से निपटाने के बजाय सरकार इन शक्तियों को कमजोर कर रही है। वेणुगोपाल ने कहा, “यह विधेयक संघीय ढांचे पर सीधा आक्रमण है और संविधान की बुनियाद पर चोट करता है।” सरकार का दावा है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमणों को हटाने के मुद्दों को हल करने के लिए यह विधेयक आवश्यक है। राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को सीमित करने के उद्देश्य से इस विधेयक में कई प्रावधान किए गए हैं, जो वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माने जा रहे हैं।

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संशोधन विधेयक 2024 को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखा मतभेद देखने को मिल रहा है। जहां सरकार इसे वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक आवश्यक कदम मानती है, वहीं विपक्ष इसे धर्म की स्वतंत्रता और संविधान की मूल भावना पर हमला बताकर विरोध कर रहा है। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में माहौल गर्म रहा, और आने वाले दिनों में इस पर और अधिक बहस की संभावना है।

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आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू न्यायिक हिरासत में भेजे गए, TDP द्वारा पुरे आंध्रप्रदेश में आज  बंद का आह्वान https://chaupalkhabar.com/2023/09/11/andhra-pradesh-ex-cm-sent-to-judicial-custody-of-14-days/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/11/andhra-pradesh-ex-cm-sent-to-judicial-custody-of-14-days/#respond Mon, 11 Sep 2023 08:03:31 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1608 दक्षिण भारत के राजनीति में अलग पहचान रखने वाले तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू को कल राजमुंदरी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है. उनको आंध्रप्रदेश के 371 करोड़ रुपए के स्किल डेवलपमेंट स्कैम में 9 सितम्बर को गिरफ्तार किया गया था. एक तरफ उनके गिरफ़्तारी …

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दक्षिण भारत के राजनीति में अलग पहचान रखने वाले तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू को कल राजमुंदरी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है. उनको आंध्रप्रदेश के 371 करोड़ रुपए के स्किल डेवलपमेंट स्कैम में 9 सितम्बर को गिरफ्तार किया गया था. एक तरफ उनके गिरफ़्तारी से पुरे राज्य में उनके समर्थको ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है,तोड़-फोड़,आन्दोलन और आगजनी भी देखने को मिला है.आज टीडीपी ने पार्टी स्तर से नायडू की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार (11 सितंबर) को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है. जिसका असर सुबह से ही देखने को मिल रहा है.

जगह जगह TDP कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर चन्द्रबाबू नायडू को रिहा करने की मांग शुरू कर दी है,सुबह से ही TDP कर्कर्ताओ की भीड़ जुटने लगी जो धीरे धीरे एक बड़ी संख्या में तब्दील होई गई. तो वहीं YSR कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी की है.

 

बता दें की, चंद्रबाबू नायडू को सीआईडी ने शनिवार (9 सितंबर) को नंदयाल से गिरफ्तार किया था. उसके एक दिन बाद ही चंद्रबाबू नायडू को रविवार (10 सितंबर) सुबह विजयवाड़ा की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.अपने नेता के गिरफ़्तारी के बाद तेलुगु देशम पार्टी के नेताओं ने कार्यकर्ताओं और आम लोगों से राज्य में लोकतंत्र को बचाने के लिए बंद में स्वेच्छा से शामिल होने की अपील की है. TDP नेता ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री  चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी जगन मोहन रेड्डी की मानसिक प्रकृति का लेटेस्ट सबूत है. उन्होंने कहा कि खुद आंध्रप्रदेश के लोग ही जगन मोहन रेड्डी को सबक सिखाएंगे.

 

 

टीडीपी के वरिष्ठ नेता डी. नरेंद्र कुमार ने कहा कि 10 सितंबर 2023 लोकतंत्र के लिए काला दिन है. क्युकी जनता के लिए काम करने वाले एक इमानदार नेता को सरकार ने राजनीतिक साजिश के तहत जेल भेज दिया. नरेंद्र कुमार ने TDP कार्यकर्ताओं से हिम्मत न हारने की अपील करते हुए कहा कि TDP, पार्टी के युवा नेता नारा लोकेश के नेतृत्व में कानूनी लड़ाई जारी रखेगी.

 

गौरतलब हो की सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और वकीलों का एक ग्रुप आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नायडू केस का प्रतिनिधित्व कर रहा है. चन्द्रबाबू नायडू को शनिवार 9 सितम्बर को देर रात तीन बजकर 40 मिनट पर मेडिकल टेस्ट के लिए विजयवाड़ा के सरकारी जनरल अस्पताल ले जाया गया था. इससे पहले, उनसे यहां कुंचनपल्ली स्थित सीआईडी के विशेष जांच दल (एसआईटी) कार्यालय में लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की गई थी.

TDP प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि पार्टी प्रमुख के बेटे नारा लोकेश, उनकी पत्नी नारा भुवनेश्वरी और अन्य लोग एसीबी अदालत में उनका इंतजार कर रहे थे. हमने सोचा था कि उन्हें उनको अदालत में पेश किया जाएगा, लेकिन वे उन्हें वापस एसआईटी कार्यालय ले गए. चन्द्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश और पत्नी  भुवनेश्वरी अदालत में उनका इंतजार कर रहे थे, लेकिन अचानक जाँच एजेंसी का काफिला एसआईटी कार्यालय की तरफ मुड़ गया.

 

बता दे की ,आंध्र प्रदेश पुलिस ने कथित कौशल विकास निगम घोटाले में नायडू को ‘मुख्य षड्यंत्रकारी’ बताया था. उनपर ऐसा आरोप है कि इस कथित घोटाले से राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

 

 

Brajesh Kumar 

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